Maharana Pratap Biography In Hindi - महाराणा प्रताप की जीवनी

Maharana Pratap Biography In Hindi – महाराणा प्रताप की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Maharana Pratap Biography In Hindi बताने वाले है। जिनकी बहादुरी ओरे पराक्रम से दिल्ही बादशाह अकबर भी कांपने लगता था। 

मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। आज हम maharana pratap vs akbar के युद्ध ,maharana pratap family और maharana pratap ki story से जुडी सभी बातो से वाकिफ कराने वाले है। maharana  pratap sword weight 80 किलोग्राम था। maharana pratap height in feet 2.26 m बताई जाती है। 

महाराणा प्रताप की कथा सदियों सदियों तक इतिहास के पन्नो पे। और भारत की शौर्य गाथाओ में गूजती रहेगी। क्योकि महाराणा प्रताप इतने बहादुर और प्रतापी शाशक थे। की उनके राज्य की और हमला तो ठीक लेकिन कोई आंख उठाके देखने बह नहीं चाहता था। उन्होंने कई वक्त युद्ध के मैदान में अकबर जैसे दिल्ही सल्तनज को करारी हर का सामना करवाया था। चलिए दोस्तों हम आपको maharana pratap ka jivan parichay बताते हे। 

Maharana Pratap Biography In Hindi –

नाम  महाराणा प्रताप
जन्म  9 मई, 1540
पिता  उदयसिंह
माता  महाराणी जयवंताबाई
भाई  शक्ति सिंह
जन्मस्थान  राजस्थान के कुंभलगढ़
राजवंश  सिसोदिया
कुल देवता  एकलिंग महादेव
घोड़ा  चेतक

दिल्ली की सल्तनज – Delhi Sultanaj

Maharana Pratap महाराणा प्रताप के प्राचीन काल समय दिल्ली पर मुगल सम्राट अकबर का शासन था। दिल्ली के मुगल सम्राट अकबर जो भारत के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य की स्थापना कर  इस्लामिक परचम को पूरे हिन्दुस्तान में फहराना चाहता था। लेकिन मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप ने 30 वर्षों के लगातारअकबर के प्रयास के बावजूद महाराणा प्रताप ने अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की। जिसकी आस लिए ही वह इस दुनिया से चला गया था। 

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महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक –

bharat ka veer putra maharana pratap के समय काल दरमियान दिल्ली पर मुगल बादशाह अकबर का शासन था। मेवाड़ के राजा उदयसिह ने मेवाड़ और दिल्ली ऐसी बहुत सारी जगह पर अपनी हुकूमत चलाई थी। अपनी मृत्यू से पहले उदय सिंगने उनकी सबसे छोटी पत्नीका बेटा जगम्मलको राजा घोषित किया था। जबकि प्रताप सिंह जगम्मलसे बडे थे। लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था। और आखिरकार में महाराणा प्रताप को मेवाड़ का और दिल्ली का राज्यअभिषेक उनके नाम पर हुआ था। दिल्ली और मेवाड़ महाराणा प्रताप ने अपनी हकूमत चलाई थी। 

महाराणा प्रताप का आरंभिकजीवन – 

 राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे । महाराणा प्रताप सिंह का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ इस दौरान राजकुमार प्रताप को मेवाड़ के 54वे शाषक के साथ महाराणा का ख़िताब मिला

महाराणा प्रताप का  बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे –

संन 1567 में जब राजकुमार प्रताप को उत्तराधिकारी बनाया गया तब उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी और मुगल सेनाओ ने चित्तोड़ को चारो और से घेर लिया था। महाराणा प्रताप अपनी हिम्मत और अकल मंडी से पूरी बाजी को पलट के रख दिया और उन्होंने मुगल सेना को चारों ओर से गेरकर कर चित्तौड़ से भगा भगा के मारा था।  राणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| भाले का वजन 80 किलो था उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 262 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए के लड़ते थे और उसके बावजूद भी वह युध में विजय प्राप्त करते थे। 

महाराणा प्रताप सिंह जस उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित। विशाल मुग़ल सेनाओ को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया। वे वास्तव में जटिल थी मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किन्तु महाराणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया। 

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महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक – Maharana Pratap Chetak Horse 

 राणा प्रताप की वीरता के साथ साथ उनके घोड़े चेतक की वीरता भी विश्व विख्यात है महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था..महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है। 

 Maharana Pratap Battle of Haldighati –

यह युद्ध 18 जून 1576 को लगभग 4 घंटों के लिए हुआ हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच में हुआ था। महाराणा प्रताप के पास करीबन 20 हजार तक सेना थी हल्दीघाटी का युद्ध भारत के इतिहास की एक मुख्य घटना है। इस युद्ध में कुल 20000 महारण प्रताप के राजपूतों का सामना अकबर की कुल 80000 मुग़ल सेना के साथ हुआ था जो की एक अद्वितीय बात है। Maharana Pratap हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर दोनों की आपस में बहुत ही खतरनाक युद्ध हुआ था।

करीबन हल्दीघाटी का युद्ध 4 घंटे तक चला था और उसमें किसी की भी विजय नहीं हुई थी लेकिन दोस्तों ऐसा माना जाता है। कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का विजय हुआ था मेवाड और मुगलों में घमासान युद्ध हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व एक मात्र मुस्लिम सरदार हाकिम खान सूरी ने किया और मुग़ल सेना का नेतृत्व मानसिंह तथा आसफ खाँ ने किया था। 

महाराणा प्रताप की जीवन से जुडी बाते – Talk about Maharana Pratap’s life

 राणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे। चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है। तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए। maharana pratap singh के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था हालांकि हल्दीघाटी के इसी युद्ध में घायल होने से चेतक की मौत हुई थी महाराणा प्रताप के भले का बजन 82 किलो था और युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे। महाराणा प्रताप ने भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर प्रतिज्ञा ली थी कि जिंदगीभर उनके मुख से अकबर के लिए सिर्फ तुर्क ही निकलेगा और वे कभी अकबर को अपना बादशाह नहीं मानेंगे। 

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महाराणा प्रताप की पत्निया – Maharana Pratap Wife

  •  सोलनखिनीपुर बाई
  • फूलबाई राठौर
  • जसोबाई चौहान
  • शहमति बाई हाडा
  • अलमदेबाई चौहान
  • रत्नावती बाई परमार
  • लखाबाई
  • चंपाबाई जंथी
  • अमरबाई राठौर
  • खीचर आशाबाई
  • महारानी अजबदे पंवार

महाराणा प्रताप की मृत्यु – Maharana Pratap Death

महाराणा प्रताप की मृत्यु अपनी राजधानी चावंड में हुई थी। धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज करवाया लेकिन तबियत में ज्यादा सुधार नहीं आया। इस वाज से महाराणा प्रताप की मोत 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को हो गई थी। महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर के पेरो से जमींन खिसक गई। 

क्योकि मुग़ल बादशाह अकबर को पहली बार उससे भी ज्यादा हिम्मत वाला और अकबर को हारने वाला पहेला वीर योद्धा मिलता था। उनकी मौत से अकबर राजा को बहुत ही दुख हुआ था। महाराणा प्रताप ने 57 वर्ष तक राज किया लेकिन मरते दम  तक उन्होंने किसी के सामने हार नहीं मानी और ना ही तो किसी की गुलामी किए। वह अपनी जिंदगी बहुत ही खुमारी और विरत से व्यतीत करने वाले महाराजा थे।  

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Maharana pratap History video –

महाराणा प्रताप के रोचक तथ्य –

  • महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि 19 जनवरी है। 
  • श्यामनारायण पांडेय ने कविता ‘हल्दी घाटी का युद्ध’ में महाराणा प्रताप का वर्णन अच्छे शब्दों के साथ किया है।
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु धनुष की डोर खींचते वक्त आँत में चोट लगने के कारण मृत्यु हो गई। 
  • अकबर महाराणा प्रताप की मृत्यु को सुनकर बहुत दुखी हुआ था।
  •  राणा प्रताप, मेवाड़ के 13 वें राजपूत राजा थे। उनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत परिवार में हुआ था।

महाराणा प्रताप प्रश्न –

1 . maharana pratap ki mrityu kaise hui ?

राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से आंत में लगने के कारन महाराणा प्रताप की मोत हुई थी। 

2 . महाराणा प्रताप बच्चे के नाम बताये ?

अमर सिंह,कुँवर दुर्जन सिंह,भगवान दास,शेख सिंह,कुंवर रायभान सिंह,चंदा सिंह,कुंवर हाथी सिंह,कुँवर नाथ सिंह,कुँवर कल्याण दास,सहस मल,कुंवर जसवंत सिंह,कुंवर पुराण मल,कुँवर गोपाल,कुंवर सांवल दास सिंह,कुंवर राम सिंह और कुंवर माल सिंह। 

3 . महाराणा प्रताप के गुरु कौन थे ?

महाराणा प्रताप के गुरु राघवेन्द्र थे। 

4 . maharana pratap father name क्या था ?

महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदयसिंह था। 

5 . महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था ?

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 के दिन हुआ था। 

6 . महाराणा प्रताप की ऊंचाई कितनी है ?

महाराणा प्रताप की ऊंचाई 2.26 m थी । 

7. महाराणा प्रताप की जाती क्या है ?

maharana pratap cast सिसोदिया है।

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Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने maharana pratap weight और महाराणा प्रताप बच्चे से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Sikandar Raza Biography In Hindi - सिकंदर राज़ा की जीवनी

Sikandar King Biography In Hindi – सिकंदर राज़ा की जीवनी

हमारे आर्टिकल में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Sikandar King Biography In Hindi,में पूरी दुनिया को जितने के ख्वाब रखने वाले सिकंदर का जीवन परिचय देने वाले है।  

इस दुनिया में कई महान राजा हो गये। लेकिन  एक ही ऐसा महान राजा हुवा था। जो पुरे विश्व को जितने के लिए निकला था। सिकंदर का पूरा नाम अलेक्जेंडर(alexander) था। लेकिन  पूरी दुनिया सिकंदर के नाम से जानती हैं। आज हम सिकंदर का इतिहास बताएँगे। इसमें sikandar king dom map और सिकंदर भारत कब आया था से रिलेटेड सभी जानकारी बताएँगे। 

सिकंदर ने आधी से भी ज्यादा दुनिया को जित लिया था। उसे एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी पहेचाना जाता है। सिकंदर ने मृत्यु तक पूरी दुनिया को जीत लिया था। उसकी सारी माहिती प्राचीन ग्रीक के सारे व्यक्ति के पास थी। इसीलिए Sikandar को विश्वविजेता भी कहा जाता है। उसके नाम के साथ महान या दी ग्रेट भी लगाया जाता हैं। इतिहास में वह सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। तो चलिए बताते है की सिकंदर कौन था। 

Sikandar King Biography In Hindi –

नाम

 अलेक्सेंडर तृतीय

उपनाम

 सिकन्दर

पिता

 फिलिप द्वितीय

माता

 ओलिम्पिया

सौतेली माता

 क्लेओपटेरा

पत्नी

 रोक्जाना

नाना 

 निओप्टोलेमस

जन्म

 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व

जन्म स्थान

 पेला में

शिक्षकों के नाम

 दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस,   लाईसिमेक्स,एरिसटोटल

 

विशेषता 

 अलेक्सेंडर बचपन से ही एक अच्छा घुड़सवार और योद्धा था

शौक

 गणित,विज्ञान और दर्शन शाश्त्र में रूचि थी

घोड़े का नाम

 बुसेफेल्स

जीते हुए देश

 एथेंस,एशिया माइनर,पेलेस्टाइन और पूरा पर्सिया और सिन्धु   के पहले तक का तब का भारत

मृत्यु

 13 जून 323 ईसा पूर्व

मृत्यु का कारण

 मलेरिया

मृत्यु का स्थान

 बेबीलोन

सिकंदर का प्रारंभिक जीवन –

महान राजा फिलिप द्वितीय जोकि पेला के राजा थे। सिकंदर की मां का नाम ओलिम्पिया था | महान राजा फिलिप द्वितीय ने उनके पुत्र का नाम Sikandar ( अलेक्सेंडर ) रखा था सिकंदर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में “पेला” में हुआ था। उसे प्राचीन नेपोलियन की राजधानी भी मानी जाती है। महान राजा फिलिप द्वितीय जो की मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे। 

सिकंदर की माता ओलिम्पिया इसके बगल वाले राज्य एपिरुस की राजकुमारी थी। सिकंदर के नाना का नाम राजा निओप्टोलेमस था। सिकंदर की माता ओलिम्पिया ने एक पुत्री को भी जन्म दिया था। Sikandar ( एलेक्जेंडर ) की एक बहन थी। सिकंदर बादशाह की कहानी में आपको बतादे की सिकंदर और बहन की देखभाल पेला के शाही दरबार में हुईं थी। 

sikandar raza ने हमेश्या अपने पिता को सैन्य अभियानों या तो फिर विवाहोत्तर सम्बन्धों में बीजी देखा था | माता ओलिम्पिया अपने पुत्र अलेक्जेंडर और उसकी बहन की देखभाल में कुछ भी कमी नहीं छोड़ी थी। माता ओलिम्पिया ने जब Sikandar जन्म दिया तब बचपन से उनके अंदर बुद्धि का विकास हुवा था। \ वह वहुत ही बुद्धिमान था। 12 वर्ष की उम्र में सिकन्दर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। 

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Sikandar Education – सिकंदर ( अलेक्जेंडर ) की शिक्षा 

सिकंदर ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने सबंधि दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस से प्राप्त की थी। फिर किलिप ने सिकंदर को गणित,घुड़सवारी और धनुर्विध्या सब कुछ समजाने के लिये नियुक्त किया था। लेकिन वो Sikandar के उग्र एव विद्रोही स्वभाव को नहीं सम्भाल पाए थे। 

 सिकंदर के दूसरे शिक्षक लाईसिमेक्स थे। उन्होंने सिकंदर के विद्रोही स्वभाव पर अपना काबू किया था। शिक्षक लाईसिमेक्स ने Sikandar को युद्ध की शिक्षा अच्छे से अच्छी दी थी।सिकंदर जब 13 साल के हुवे तब फिलीप ने सिकन्दर के लिए बहुत ही ज्ञानी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की तब एरिस्टोटल भारत में अरस्तु से जाना जाता था।  

 अरस्तु ने सिकंदर को आगे के तीन साल तक साहित्य की शिक्षा प्रदान की थी। अरस्तु ने सिकंदर को वाक्पटुता भी प्रदान की अलावा Sikandar को रुझान विज्ञान ,दर्शन-शास्त्र और मेडिकल के क्षेत्र में भी ज्ञात कराया था। इन सभी विध्या का सिकंदर के जीवन में बहुत ही महत्व पूण हिस्सा रहा है । 

सिकंदर का धर्म क्या था –

उसके समय में ईरानियों के प्राचीन धर्म, पारसी धर्म के मुख्य उपासना स्थलों पर हमले किए गए। Sikandar के हमले की कहानी बुनने में पश्चिमी देशों को ग्रीक भाषा और संस्कृति से मदद मिली जो ये कहती है। Sikandar का अभियान उन पश्चिमी अभियानों में पहला था। पूरब के बर्बर समाज को सभ्य और सुसंस्कृत बनाने के लिए किए गए। 

सिकंदर का राज्याभिषेक –

राजा सिकंदर के पिता 336 ईसा पूर्व की गर्मियों में अपनी बेटी क्लियोपेट्रा की शादी में भाग लेने के लिए गए थे और वहा पर फिलिप को उसके खुदके अंगरक्षकों के कप्तान, पॉसनीस ने फिलिप को जान से मार दिया। और जब उसने वहासे भागने की कोशिस की तो सिकंदर के दो साथी, पेर्डिकस और लेओनाटस ने उनका पीछा किया और उसे भी वहि के वही बेरहेमी से मार दिया। उसके बाद सिकंदर को 20 वर्ष की उम्र में रईसों और उनकी सेना द्वारा राजा घोषित कर दिया गया था। 

सिकंदर की शक्ति का एकीकरण –

राजा सिकंदर को राजपाट संभालने को दिया गया। तभी से अपने प्रतिद्वंद्वियों को एक एक करके मारने लगा था। सिकंदर ने उसकी शरुआत अपने चचेरे भाई अमीनटस चौथे को मरवा के की । Sikandar ने उसने लैंकेस्टीस क्षेत्र के दो मैसेडोनियन राजकुमारों को भी मौत के घाट उतार दिया था।  माना की तीसरे, अलेक्जेंडर लैंकेस्टीस को उन्होंने बक्स दिया था। 

ओलम्पियस ने क्लियोपेट्रा ईरीडिइस और यूरोपा को, जोकि फिलिप की बेटी थी, उसको भी जिंदा जला दिया था । जब अलेक्जेंडर को इस बारे में पता चला, तो वह गुस्सा हुई थे । सिकंदर ने अटलूस की हत्या करने का भी आदेश दिया था। वह क्लियोपेट्रा के चाचा और एशिया अभियान की सेना का अग्रिम सेनापति था।

अटलूस डेमोथेन्स एथेंस में से अपने गुन्हेगार होने की संदेह के विषय में चर्चा करने गया था। अटलूस बहुत बार Sikandar का घोर अपमान कर चुका था। क्लियोपेट्रा की हत्या के बाद, सिकंदर उसे जीवित छोड़ने के लिए बहुत खतरनाक मानता था।  सिकंदर ने एर्हिडियस को छोड़ दिया, लेकिन ओलंपियास द्वारा जहर देने के कारन मानसिक रूप से विकलांग हो चुका था। 

फिलिप की मौत की खबर से अनेक राज्यों में विद्रोह होने लगा। उसमे थीब्स, एथेंस, थिसली और मैसेडोन के उत्तर में थ्रेसियन शामिल थे। पुत्र सिकंदर को जब विद्रोह की खबर मिली तो तत्काल उसके ऊपर ध्यान दिया।  सिकंदर ने दिमाग लगाकर । कूटनीति का इस्तेमाल करने कि बजाय सिकंदर ने 3,000 मैसेडोनियन घुड़सवार सेना का गठन कर लिया। और थिसली की तरफ दक्षिण में कूच करने लगा।

सिकंदर और उसका युद्ध कौशल –

सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय द्वारा मेक्डोनिया को एक मामूली राज्य से एक महान शक्ति सैन्य बनते हुए देखा था। अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत हासिल करते हुवे देखा था। उसे देखते देखते सिकंदर बड़ा हुआ था। 12 साल की उम्र में उन्होंने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। सिकंदर ने अपने पिता को अपनी घुड़सवारी तब दिखाई उन्होंने एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में किया। क्योकि उस पर कोय भी काबू नहीं कर सकता था। 

 प्लूटार्क ने लिखा हे की “फिलिप और उनके सारे दोस्त जब सिकंदर एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में कर रहे थे।  तब सबसे पहले चिंता भरी ख़ामोशी से परिणाम की राह देख रहे थे। सब लीग यह सोच रहे थे की किलिप के पुत्र का भविष्य और जिंदगी तबाह होने वाली है। 

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सिकंदर का प्रिय घोडा –

सभी ने देखा की सिकंदर की विजय हुए तो सभी लोग सिकंदर के लिए तालिया बजाने लगे थे। सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की आँखो में से खुशी के आसु निकल आये थे। Sikandar के पिताजी फिलिप घोड़े से निचे आये और अपने बेटे सिकंदर को गाल पर किश की थी। पिता फिलिप ने सिकंदर को कहा की मेरे बेटे तुम्हे अपनी खुद की और हमारे महान साम्राज्य की और देखना चाहिए हमारा ये मेक्डोनिया का महान साम्राज्य तुम्हारे आगे बहुत ही छोटा है। 

सिकंदर तूम्हारे अंदर एक असीम भावना हे। सिकंदर ने अपने जीवनकाल के दौरान सब युद्धों में अपने प्रिय घोड़े बुसेफेल्स की सवारी की थी। अपने अंतिम स्वास तक उनका घोडा उनके साथ ही रहा था। सिकंदर के पिता फिलिप जब थ्रेस में घुसपैठ की तैयारी कर रहे थे। तब 340 ने अपनी महान मेकडोनियन आर्मी को बुलाया था।

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16 साल की कम उम्र मे बना शाशक – 

किलिप ने अपने पुत्र Sikandar को 16 साल की उम्र में मेक्डोनिया राज्य पर खुद की जगह पर शासन करने का आदेश दिया। सिकंदर छोटी सी उम्र से बहुत ही अच्छे जिम्मेदार बन गये थे। सिकंदर के पिता फिलिप जब मेक्डोनियन आर्मी ने थ्रेस में आगे निकल स्टार्ट किया। मेडी की थ्रेशियन जनजाति ने मेक्डोनिया को उत्तर – पूर्व सिमा पर विद्रोह स्टार्ट कर दिया था। उसकी वजह से पुरे देश पर खतरा बढ़ चुका था। फिर सिकंदर ने आर्मी तैयार की और उनका प्रयोग विद्रोहियों के सामने शुरू कर दिया था  उसके बाद सिकंदर ने तेजी से काम चालू किया।

उन्होंने मेडी जनजाति को हरा दिया था। सिकंदर ने पुरे किले पर अपना साम्राज्य जमा दिया | उसके बाद सिकंदर ने अपने खुद के नाम पर एलेक्जेंड्रोपोलिस रखा था। सिकंदर को 2 साल के बाद पिता फिलिप ने जब 338 ईसा पूर्व में मेकडोनीयन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर सिकंदर को आर्मी में सीनियर जनरल की पोस्ट दी थी। उसके बाद सिकंदर ने चेरोनेआ के युद्ध में ग्रीक को हरा दिया था सिकंदर ने अपनी समजदारी और बहादुरी दिखाते हुए ग्रीक फॉर्स-थेबन सीक्रेट बैंड को पूरी तरह से मार दिया। 

सिकंदर को विश्व विजेता क्यों कहा जाता है –

sikandar raza को विश्व विजेता इसलिए कहा जाता है।

क्योंकि सिकंदर कभी हारा नहीं था।

सिकंदर जब पूरी दुनिया पर कब्जा करने के बाद, जब भारत की ओर बढ़ा तब उसने भारत के राजाओं को भी हराया था।

हम सभी को पोरस और सिकंदर के बीच होने वाले महान युद्ध का पता है।

पिता फिलिप द्वितीय की मुत्यु और परिवार का बिखरना –

चेरोनेआ में ग्रीक की हार के बाद पूरा शाही परिवार बिखर गया था। सिकंदर के पिता फिलीप ने भी क्लेओपटेरा से विवाह कर दिया था। शादी के समारोह में क्लेओपटेरा के अंकल ने फिलिप के न्यायसंगत उत्तराधिकारी होने पर सवाल लगा दिया। सिकन्दर ने अपना कप उस व्यक्ति के चेहरे पर फैंक दिया। उसे बास्टर्ड चाइल्ड कहने के लिए अपना क्रोध व्यक्त किया।  फिलिप खड़ा हुआ और उसने सिकन्दर पर अपनी तलवार तानी जो अर्ध-चेतन अवस्था में होने के कारण चेहरे पर ही गिर गयी। 

सिकन्दर क्रोध में चिल्लाया कि “देखो यहाँ वो आदमी खड़ा हैं जो यूरोप से एशिया तक जीतने की तैयारी कर रहा हैं। लेकिन इस समय अपना संतुलन खोये बिना एक टेबल तक पार नहीं कर सकता। बाद उसने अपनी माँ को साथ लिया और एपिरिस की तरफ चला गया। हालांकि उसे लौटने की अनुमति थी। लेकिन इसके बाद काफी समय तक सिकन्दर मेक्डोनियन कोर्ट से विलग ही रहा था। 

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सिकंदर और भारत –

सिकंदर ने भारत पर 326 ईसा पूर्व में चढ़ाई कर दी थी। सिकंदर ने पंजाब में सिंधु नदी को पार करते हुए वो तक्षशिला पहुंचा था। समयकाल दौरान तक्षशिला मे चाणक्या अध्यापक थे। तक्षशिला के राजा आम्भी ने सिकंदर की अधीनता को स्वीकार किया था। तक्षशिला के अध्यापक चाणक्या ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओ से आग्रह किया।  लेकिन सिकंदर से युद्ध करने के लिए कोई भी नहीं आना चाहता था। 

पश्चिमोत्तर प्रदेश के बहुत सारे राजा महाराजा ओं ने तक्षशिला की देखा देखी करते हुई। सिकंदर के सामने आत्म समर्पण कर दिया था। सिकंदर ने तक्षशिला को जितने के बाद पूरी दुनिया को जीतना का सपना देखा था। वहा से सम्राट फौरन झेलम और चेनाब नदी के बीच बसे राजा पोरस के सम्राज्य की और चलने लगा। सिकंदर राजा पोरस के साम्राज्य को अपने काबू में करना चाहता था। उसी वजह से सिकंदर और राजा पोरस के बीच महा युद्ध हुआ था। 

राजा पोरस और Sikandar King का टकराव –

राजा पोरस ने अपने दिमाग और बहादुरी से सिकंदर के साथ लड़ाई की। उसके काकी संघर्ष और कोशिशों करने के बाद भी राजा पोरस को हार का सामना करना पड़ा था। इस महा युद्ध के दौरान सिकंदर की सेना को भी भारी नुकशान हुआ था। बहुत सारे महान राजाओ का कहना है।  कि राजा पोरस बहुत ही शक्तिशाली शासक माना जाता था। राजा पोरस का पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस का राज्य शासन फैला हुआ था।

सिकंदर और राजा पोरस के युद्ध में पोरस पराजित हुआ था लेकिन सिकंदर को पोरस की बहादुरी ने बहुत ही प्रभावित किया था। क्योंकि राजा पोरस ने जिस तरह लड़ाई लड़ी थी उसे देख सिकंदर दंग रह गए थे। इस युद्ध के बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली। उसे उसका राज्य के साथ साथ कुछ नए इलाके भी दिए थे ।आखिर कर सिकंदर को कूटनीतिज्ञ समझ थी। 

उसीकी वजह से आगे किसी तरह की मदद के लिए उसने राजा पोरस से व्यवहारिक तौर पर दोस्ताना संबंध जारी रखे थे। सिकंदर की सेना ने छोटे हिंदू गणराज्यों के साथ भी लड़ाई लड़ी की थी । सिकंदर की कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई बहुत ही बड़ी थी। कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी।

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Sikandar King की सेना डर गयी –

  • ऐसा भी कहा जाता है कि सभी गणराज्यों को जोड़ने में आचार्य चाणक्य का भी सबसे बड़ा योगदान माना जाता है।
  • यह सभी गणराज्यों ने मिलकर सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था।
  • उसके कारण सिकंदर की सेना बहुत डर गई थी।
  • सिकंदर पूरी दुनिया को जितना चाहता था।
  • कहा जाता है की सिकंदर व्यास नदी तक पहुँचा था।
  • लेकिन उसे वहीं से वापस लौटना पड़ा था।
  • सिकंदर और उसके सैनिको ने कठों से युद्ध किया था। 
  • उसके बाद सैनिक बहुत ही डर गए थे।
  • उसी वजह से सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया था | 
  • व्यास नदी के उस पार नंदवंशी के राजा के पास 20 हजार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हजार 4 घोड़े वाले रथ और करीब 6 हजार हाथी थे। 

सिकंदर और पोरस के युद्ध में कौन जीता – Sikandar

  • राजा सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया था।
  • मगर उसके साहस से प्रभावित होकर उस का राज्य वापस कर दिया।
  • तथा पोरस सिकंदर का सहयोगी बन गया। 
  • सिकंदर की सेना ने व्यास (विपासा) नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।
  • वह भारत में लगभग 19 महीने (326 ईसवी पूर्व से 325 ईसवी पूर्व तक) रहा।
  • इसे हाईडेस्पीज (Hydaspes) का युद्ध भी कहते हैं।

सिकंदर और पोरस के मध्य युद्ध कौन सी नदी के किनारे हुआ था –

मध्य युद्ध  झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पोरस का सामना करना पड़ा।

और दोना के युद्ध में सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया। 

सिकंदर ने उसके साहस को देखते ही उसका राज्य वापस कर दिया। 

सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण कब किया –

सिकन्दर का भारत पर आक्रमण – सिकन्दर यूनान के मकदूनिया प्रान्त का निवासी था।

326 ई०पू० में भारत पर आक्रमण किया था। लेकिन व्यास नदी से आगे नहीं बढ़ पाया था।

सिकन्दर के आक्रमण के समय पश्चिमोत्तर भारत पर दो राजा शासन कर रहे थे। 

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सिकंदर का भारत पर आक्रमण का क्या प्रभाव पड़ा –

डॉ राधा कुमुद मुखर्जी के अनुसार सिकंदर के भारत पर आक्रमण से राजनीतिक एकीकरण को प्रोत्साहन मिला था।  जिससे छोटे राज्य बड़े राज्यों में विलीन हो गए। कला के क्षेत्र में गांधार शैली का भारत मेँ विकास यूनानी प्रभाव का ही परिणाम है। यूनानियों की मुद्रण निर्माण कला का प्रभाव भारतीय मुद्रा कला पर दृष्टिगत होता है।

Sikandar King ने भारत पर आक्रमण किया मगध के शासक कौन थे –

सिकंदर ने भारत के आक्रमण के समय मगध एक शक्तिशाली राज्य था।

जिस पर घनानंद नामक राजा का शासन था। घनानंद की सेना मेँ लगभग 6 लाख सैनिक थे।

अपने देश मेसिडोनिया लौटते समय लगभग 323 ई. पू था। 

Sikandar King History Video –

सिकंदर की मृत्यु –

  • राजा सिकंदर ने कार्थेज और रोम पर विजय प्राप्त करने के बाद हुई।
  • वहा उनकी मृत्यु मलेरिया रोग और तेज बुखार चढ़ने के कारण बेबीलोन में हो गई थी। 
  • वह दिन 13 जून 323 तब उनकी उम्र केवल 32 वर्ष थी। 
  • सिकंदर की मृत्यु के कुछ महीनो बाद उसकी पत्नी रोक्जाना ने एक बेटे को जन्म दिया।
  • उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया था।
  • इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिए लड़ने लगे थे।
  • ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का एलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। 

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सिकंदर की मृत्यु कैसे हुई –

सब का कहना है कि टाईफाइड सिकंदर के समय के कुछ इतिहासकारों का कहना है।

कि उसकी मौत बुखार की वजह से हुई थी।

जिस विषाणु के कारण उसकी मौत हुई थी, उसे नील नदी का विषाणु कहा जाता था।

कुछ का कहना है कि सिकंदर को उसके विश्वासपात्रों ने जहर दे दिया था। 

Alexander the Great Empire Map –

सिकंदर राजा के रोचक तथ्य –

  • राजा सिकंदर के मृत्यु के बाद जब उसकी अर्थि जब ले जा रहे थे।
  • तब सिकंदर के दोनों हाथ अर्थि के बहार लटक रहे थे। 
  • सिकंदर ने अपनी मुत्यु से पहले कहा था।
  • की जब मेंरी मुत्यु हो जाये तब मेरे दोनों हाथ अर्थि के अंदर नहीं होने चाहिए।
  • क्योकि सिकंदर चाहता था की उसके दोनों हाथ अर्थि के बहार ही रहे। 
  • सिकंदर उसके जरिये दुनिया को यह दिखाना चाहता था।
  • की उसने दुनिया को जिता और उसने अपने हाथ में सब कुछ भर लिया।
  • लेकिन मुत्यु के बाद भी हमारे हाथ खाली है। 
  • इंसान जिस तरह दुनिया में ख़ाली हाथ आता हे और ठीक उसी तरह उसको खाली हाथ जाना पड़ता है।
  • चाहे वह कितना भी महान क्यों न बन जाये।

Sikandar Some Questions –

1 .sikandar ko kisane maara ?

भारत से अपने प्रदेश की तरफ़ लौटने  वक्त रास्ते में स्वास्थ्य बिगड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। 

2 .sikandar kee mrtyu kab huee ?

June 323 BC बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हुई थी। 

3 .sikandar kee mrtyu kab aur kahaan huee ?

११ जून ३२३ ईसा पूर्व बेबीलोन में सिकंदर की मौत हुई थी। 

4 .sikandar ke pita ka kya naam tha ?

सिकन्दर के पिता का नाम फिलिप द्वितीय था। 

5 .sikandar ko kisane haraaya tha ?

 पोरस पर आक्रमण किया लेकिन पोरस ने वीरता के साथ लड़ाई लड़ी बहुत संघर्ष के बाद विजय हुआ। 

6 .सिकंदर का जन्म कहाँ हुआ था ?

राजा सिकंदर का जन्म पेला में हुवा था

7 .सिकंदर का पुत्र कौन था ?

राजा सिकंदर चतुर्थ, मैसेडोन हेराकल्स और मैसेडोनथा उनके पुत्र थे।

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Conclusion –

आपको मेरा Sikandar King Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने sikandar king dom और sikandar king movie से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Sikandar history in hindi या Alexander the Great की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .Is Sikander and Alexander same ?

2 .Who defeated Sikander ?

3 .Why is Alexander the Great called Sikandar ?

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