Kabir Das Biography In Hindi

Kabir Das Biography In Hindi | महान कवि संत कबीर दास जी का जीवन परिचय

नमस्कार दोस्तों Kabir Das Biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम एक महान समाज सुधारक, कवि और संत कबीर दास जी का जीवन परिचय बताने वाले है। संत कबीरदास हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के ज्ञानमार्गी शाखा के कवि हैं। उन्होंने आजीवन लोगों पर समाज के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात किया था। कबीर दास के जन्म के संबंध में सभी लोगों द्वारा अनेक प्रकार की बातें कही जाती हैं। उनके दोहों और पदों में हिंदी भाषा की झलक दिखलाई पड़ती है। 

भारत देश के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में हुआ था। कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर का जन्म काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुआ था। संत कबीर दास जी की रचनाओं में ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, हरयाणवी और हिंदी खड़ी बोली की प्रचुरता देखने को मिलती है। आज हम Kabirdas jivan parichay में Saint के Kabir das ka jivan parichay संबंधित जानकारी बताने वाले है। 

Kabir Das Biography In Hindi

पूरा नाम – संत कबीरदास

अन्य नाम – कबीरा, कबीर साहब

जन्म सन – सन 1398 (विक्रमी संवत 1455 अंदाजित)

जन्म भूमि – लहरतारा ताल, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत 

मृत्यु – सन1518 (विक्रमी संवत 1551अंदाजित)

मृत्यु स्थान – मगहर, उत्तर प्रदेश, भारत  

पिता का नाम – नीरू जुलाहे

माता का नाम – नीमा जुलाहे

गुरु – गुरु रामानंद जी

पत्नी – लोई

संतान – कमाल (पुत्र), कमाली (पुत्री)

कर्म भूमि – काशी, बनारस, भारत 

कर्म-क्षेत्र – समाज सुधारक कवि, भक्त, (सूत कातकर) कपड़ा बनाना

मुख्य रचनाएँ – साखी, सबद, रमैनी, बीजक

विषय – सामाजिक, आध्यात्मिक

भाषा – अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी, हिन्दी

शिक्षा – निरक्षर

नागरिकता – भारतीय

काल – भक्ति काल

विधा – कविता, दोहा, सबद

आन्दोलन – भक्ति आंदोलन  

साहित्यिक आन्दोलन – प्रगतिशील लेखक आन्दोलन

प्रभाव – सिद्ध, गोरखनाथ, रामानंद

प्रभावित – दादू, नानक, पीपा, हजारी प्रसाद द्विवेदी

Kabir Das Images
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Kabir Das का जन्म

कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कबीर दास  का जन्म 1398 ई० में हुआ था। मगर कबीर दास के जन्म के बारे में लोगों द्वारा अनेक प्रकार की बातें कही जाती हैं। कुछ का कहना है कि वह गुरु रामानंद स्वामी जी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से जन्मे थे। उसके बाद ब्राह्मणी नवजात शिशु के रूप में ही उन्हें को लहरतारा ताल के पास फेंक आई थी।

उस समय वहां से नीरू नाम का जुलाहा अपने घर ले गया था। और उसी ने ही उनका पालन पोषण किया था। कुछ लोगों का कहना है कि कबीर जन्म से मुसलमान थे। युवावस्था में स्वामी रामानंद के प्रभाव से उन्हें हिंदू धर्म की बातें मालूम हुई थी।  कबीर पन्थियों के मुताबिक कबीर का जन्म काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर से बालक के रूप में हुआ था। 

Kabir Das की शिक्षा

मान्यता के मुताबिक कहा जाता है कि कबीर दास अनपढ़ थे। यानी वह पढ़े-लिखे नहीं थे। मगर दूसरे बच्चों से बिल्कुल अलग थे। क्योकि गरीबी के कारण उनके माता-पिता उन्हें मदरसे में नहीं भेज सके थे। इसलिए कबीरदास जी किताबी शिक्षा नहीं ले सके थे। कबीर की शिक्षा के बारे में कहा जाता हैं कि कबीर को पढने की रूचि नहीं थी। और बालयकाल में खेलों का भी शौक नहीं था।

उनके माता-पिता गरीब होने से दिन भर कबीर को भोजन की व्यवस्था करने के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। आज हम जिस कबीर के दोहे के बारे में पढ़ते हैं वह स्वयं कबीर ने नहीं मगर उनके शिष्यों ने लिखे हैं। संत कबीर के मुख से कहे गए दोहे का लेखन कार्य उनके शिष्यों ने किया था। उनके शिष्यों का नाम कामात्य और लोई था। क्योकि लोई का नाम कबीर के दोहे में कई बार प्रयोग हुआ हैं।

Kabir Das Photos
Kabir Das Photos

Kabir Das का वैवाहिक जीवन

संत कबीर का विवाह वनखेड़ी बैरागी की पालिता लड़की लोई के साथ हुआ था। संत कबीर दास जी की कमल और कमली नामक दो संतानें थी। मगर कबीर को कबीर पंथियो के जरिए बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है। उसके पंथ के मुताबक कमल उसका शिष्य था और कमली एव लोई भी उनकी शिष्या थी। लोई शब्द का प्रयोग कबीर जी ने कई समय किया है। 

उनकी पुस्तक साहिब के एक श्लोक से अनुमान होता है कि उनका पुत्र कमल कबीर दास के मत का विरोधी था।कबीर जी के घर में साधु-संतों की निरंतर आवाजाही से बच्चों को भी भोजन मिलना मुश्किल हो गया था। उससे कबीर की पत्नी को गुस्सा आता था। बाद में कबीर त्नी को समझाते थे। 

Kabir Das के विचार

कबीर दास जी के मुताबिक हिंदू हो मुस्लिम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं। 

उन्होंने बाह्य आडंबरों और पाखंडों को कटु शब्दों से कोसा है।

ईश्वर की प्राप्ति के लिए सभी धर्मों में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों को नकारा है।

उन्होंने वैष्णव व सूफीवाद को मान्यता दी है।

उनके माता अनुसार भगवान हर व्यक्ति, हर चीज में मौजूद है।

कबीर साहब आत्मिक उपासना या मन की पूजा पर विश्वास करते थे।

उन्होंने ईश्वर की  दिखावटी पूजा, नवाज, व्रत और आडंबरों के प्रति व्यंग्य किया है।

उनके मुताबिक ब्रह्म का स्मरण करने से मनुष्य का अहंकार मिटता है।

कबीर दास की फोटो गैलरी
कबीर दास की फोटो गैलरी

Kabir Das का व्यक्तित्व

हमारे हिंदी साहित्य के इतिहास में कबीर साहब जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई लेखक ने जन्म नहीं लिया है। उसका व्यक्तित्व तुलसीदास से मिलता मगर लेकिन थोड़ा अंतर था। क्योकि वह कबीर की वाणी में अनन्य असाधारण जीवन रस था। उनके व्यक्तित्व के कारण ही उनकी उक्तियां श्रोता को बलपूर्वक आकर्षित करती हैं। आपको बतादे की संत कबीर दास ने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे है। कबीर दास ने मुंह से बोला और उनके शिष्यों ने ग्रंथों को लिखा है।

वह एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकांड के घोर विरोध करते थे। वह अवतार, मूर्ति, रोजा, ईद, मस्जिद और मंदिर को नहीं मानते थे। कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या लेखों के मुताबिक भिन्न है। एच. एच. विल्सन के मुताबिक आठ ग्रंथ और विशप जी. एच. वेस्टकाॅट के मुताबिक 74 ग्रंथों की सूची कबीर के नाम पर मौजूद हैं। कबीर की वाणी का संग्रह बीजक के नाम से प्रसिद्ध है।

Kabir Das का साहित्यिक परिचय

संत कबीर साहब प्राचीन कल के एक संत, कवि और समाज सुधारक हुआ करते थे। उनकी कविता का प्रत्येक शब्द पाखंडीयों के पाखंडवाद और धर्म के नाम पर ढोंग करने वालो को ललकारता है। कबीर ने उसके असत्य और अन्याय की पोल खोलकर रख दी थी। कबीर का अनुभूत सत्य अंधविश्वासों पर बारूदी मुकाबला था। कबीर जी ने बोला वह निशाना बनकर चोट करता और खोट भी निकालता था।

महान कवि संत कबीर दास जी का जीवन परिचय
महान कवि संत कबीर दास जी का जीवन परिचय

कबीर दास जी की विशेषताए

संत कबीर दास अपने बचपन से एकांत प्रिय व्यक्ति थे। 

मूर्ति-पूजा और आडंबरों को नकारते हुए सबको एक ही ईश्वर की संतान कहा हैं। 

वह एक चिंतनशील व्यक्ति थे। 

एकांतप्रिय स्वभाव से उसकी बुद्धिमता का विकास ज्यादा हुआ था।

इतिहासकारों के अनुसार कबीर जी आजीवन अविवाहित थे। 

कबीर दास का अधिकांश समय काव्य रचना और सोच विचार पर जाता था।

 वह समाज में व्याप्त बुराइयों पर चिंतन करके कटु काव्य की रचना करते थे।

कबीर दास की रचनाएं मार्मिक और स्पष्टवादी हैं।

उन्होंने साधारण और लोकमानस भाषा का प्रयोग किया है।

कबीर दास जी गुरु और साधुसेवा को सबसे बड़ा मानते थे।

Kabir Das Death कबीर दास की मृत्यु

कबीर दास ने अपना सारा जीवन काशी शहर में बिताया था। मगर उसकी मृत्यु के समय वह मगहर गए थे। ऐसा कहा जाता है कि उस समय लोगों का मानना ​​था कि काशी में प्राण त्यागने से स्वर्ग और मगहर में मरने से नर्क मिलता है। उसके कारन कबीर को अपनी मौत का अंदाजा होने से और लोगों की धारणा तोड़ने के लिए मगहर गए थे। ऐसा भी कहा जाता था की कबीर के दुश्मनों ने मगहर जाने को मजबूर किया था। वह चाहते थे कि कबीर को मुक्ति नहीं मिलनी चाहिए। 

Kabir Das ke Dohe कबीर दास के दोहे

मानुष जन्म दुलभ है, देह न बारम्बार।
तरवर थे फल झड़ी पड्या,बहुरि न लागे डारि॥

जाता है सो जाण दे, तेरी दसा न जाइ।
खेवटिया की नांव ज्यूं, घने मिलेंगे आइ॥

मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह।
ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह॥

कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं जाव॥

सत्य की महिमा – कबीर की वाणी

साँच बराबर तप नहीं, झूँठ बराबर पाप।

जाके हिरदे साँच है, ताके हिरदे आप॥

साँच बिना सुमिरन नहीं, भय बिन भक्ति न होय।

पारस में पड़दा रहै, कंचन किहि विधि होय॥

उपदेश : कबीर के दोहे

कबीर आप ठगाइये, और न ठगिये कोय।

आप ठगे सुख ऊपजै, और ठगे दुख होय॥

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।

अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप॥

प्रेम पर दोहे

प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।

राजा-परजा जेहि रुचै, सीस देइ लै जाय॥

प्रेम-प्रेम सब कोइ कहै, प्रेम न चीन्हे कोय।

आठ पहर भीना रहे, प्रेम कहावै सोय॥

कबीर वाणी

माला फेरत जुग गया फिरा ना मन का फेर

कर का मनका छोड़ दे मन का मन का फेर

मन का मनका फेर ध्रुव ने फेरी माला

धरे चतुरभुज रूप मिला हरि मुरली वाला

कहते दास कबीर माला प्रलाद ने फेरी

धर नरसिंह का रूप बचाया अपना चेरो

कबीर भजन

उमरिया धोखे में खोये दियो रे।

धोखे में खोये दियो रे।

पांच बरस का भोला-भाला

बीस में जवान भयो।

तीस बरस में माया के कारण,

देश विदेश गयो। उमर सब ….

चालिस बरस अन्त अब लागे, बाढ़ै मोह गयो।

धन धाम पुत्र के कारण, निस दिन सोच भयो।।

Kabir Das History In Hindi Video

FAQ

Q .कबीर दास का जन्म कब हुआ था?

कबीर दास जी का जन्म 1398 ईस्वी को काशी में हुआ था। 

Q .कबीर दास की पत्नीकौन हैं?

लोई

Q .कबीर दास जी की रचनाएं क्या हैं?

कबीर बीजक साखी, सबद, रमैनी 

Q .क्या कबीर दास जी विवाहित थे?

विवादास्पद

Q .कबीर दास जी क्यों प्रसिद्ध हैं?

एक महान समाज सुधारक थे उसके कारन कबीर दास जी प्रसिद्ध है।

Q .कबीर दास जी की मृत्यु कब हुई थी?

कबीर दास जी की मृत्यु 1518 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के मगहर में हुई थी। 

Q .संत कबीर दास का मूल नाम क्या है?
संत कबीरदास, कबीरा, कबीर साहब

Conclusion

आपको मेरा Kabir Das Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Kabir das ji ke dohe, Who is kabir das

और कबीर दास की कहानी इन हिंदी से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

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Note

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Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi

Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi | गुरु तेग बहादुर का जीवन परिचय

नमस्कार दोस्तों Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम उत्कृष्ट योद्धा, विचारक, कवि और सिक्खों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर का जीवन परिचय बताने वाले है। गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के दस गुरुओं में से नौवें थे। छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद के पांच पुत्रों में सबसे छोटे थे। उन्होंने छोटी उम्र से ही तलवारबाजी और घुड़सवारी की मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया गया था। उन्होंने बाबा बुद्ध और भाई गुरदास से धार्मिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। वह बहादुर युवक के रूप में बड़े हुए और पिता एव सिखों के साथ लड़ाई में और मुगल सेनाओं से युद्धों में बहादुरी का प्रदर्शन किया था।

1634 में करतारपुर में एक खूनी लड़ाई के बाद उन्होंने त्याग और ध्यान के मार्ग अपना लिया था। उस समय में उनके पिता ने अपने पोते हर राय को उत्तराधिकारी पसंद किया था। जो सिखों के सातवें गुरु बने थे। हर राय का उत्तराधिकारी उसका पुत्र हर कृष्ण हुआ था। वह अपने बचपन से ही संत स्वरूप, गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर और निर्भीक स्वभाव के थे। आज हम प्रसिद्ध महान धर्म धुरंधर और धर्म गुरु संत गुरु श्री गुरु तेग बहादुरजी बायोग्राफी बताने वाले है। 

Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi 

Real Name (पूरा नाम)  संत गुरु श्री तेग बहादुर जी ( Guru Tegh Bahadur Ji )
Nick name (उपनाम)   त्यागमल, तेग़ बहादुर
Date of birth (जन्म तिथि)  1 April 1621
Birth Place (जन्मस्थान) अमृतसर, पंजाब, भारत 
Cast (जाती) सिख
Religion (धर्म) सिख धर्म
Age (उम्र)   मृत्यु के समय 54 वर्ष (1675)
Zodiac Sign (राशि)  तुला राशि 
Profession (पेशा)   धर्म गुरु
Famous Role (प्रसिद्ध पात्र)  सिखों के नौवें धर्म गुरु
Hometown (पता) अमृतसर, पंजाब, भारत 
Nationality (राष्ट्रीयता) भारतीय

गुरु तेग बहादुर की जीवनी एक नजर में

  • 1 .1621 – अमृतसर में जन्म
  • 2 .1632 – माता गुजरी के साथ विवाह 
  • 3 .1665 – नौवें गुरु के रूप में नियुक्त 
  • 4 .1666 – गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 
  • आनंदपुर शहर की स्थापना 
  • बंगाल और असम का दौरा किया 
  • 5 .1670 – पंजाब वापस लौटना 
  • 6 .1673 – मालवा का दूसरा दौरा 
  • 7 .1675 – कश्मीरी पंडितों की याचिका 
  • 8 .1675 – गुरगद्दी का बेटे गुरु गोविन्द के पास जाना 
  • 9 .1675 – शहादत

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Guru Tegh Bahadur Images
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Birth of Guru Tegh Bahadur

संत श्री गुरु तेग़ बहादुर का जन्म 1 अप्रैल 1621 को भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर मे हुआ था। गुरु तेग़ बहादुर का जन्म त्यागमल के रूप में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा अपने पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब से संस्कृत, हिंदी और गुरुमुखी शिक्षा प्राप्त की थी। गुरु तेग बहादुर जी ने अपने बचपन में गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ शस्त्रों और घुड़सवारी की शिक्षा भी ली थी। सिख धर्म के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की मृत्यु के बाद गुरु तेगबहादुर जी को गुरु पद मिला था। उन्होंने सिर्फ 14 वर्ष की उम्र में पिता के साथ मुग़लों के हमले में वीरता का  प्रदर्शन देदिया था। उनकी वीरता देख पिता ने त्यागमल से उनका नाम तेग़ बहादुर कर दिया था।

गुरु तेग बहादुर का परिवार

संत श्री तेग बहादुर के पिता का नाम गुरु हरगोविंद सिंह और माता का नाम नानकी देवी था। वह अपने माता पिता की पाँचवीं संतान थे।उसके भाईओ के नाम बाबा गुरदित्त, सूरज मल, अनी राय एवं अटल राय था। और उनकी बहन का नाम बीबी वीरो था। सिर्फ 12 साल की उम्र में 4 फरवरी 1632 को गुरु तेग बहादुर का विवाह माता गुजरी चंद सुभीखी से हुआ था। और सीखो के दसवे धर्म गुरु गुरु गोबिंद सिंह उनके ही पुत्र थे। 

Father Name (पिता)  गुरु हरगोविंद सिंह
Mother Name (माता)  नानकी देवी
Sister (बहन)  बीबी वीरो
Brother (भाई ) बाबा गुरदित्त, सूरज मल, अनी राय, अटल राय
Marital status/(विवाहित स्थिति )  विवाहित 
Marriage date(विवाह तिथि)  4 फरवरी 1632
Wife/Girlfriend (पत्नी)  गुजरी चंद सुभीखी
Children (बच्चे) गुरु गोबिंद सिंह
Guru Tegh Bahadur Photos
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Guru Tegh Bahadur का आरंभिक जीवन

त्याग मल जी ने सिर्फ 13 साल की आयु में पिताजी गुरु हरगोबिंद सिंह जी के साथ मिल मुगलों के साथ लड़ाई लड़े और करतारपुर में घेराबंदी कर दी थी। और त्याग मल जी ने पिता के साथ करतारपुर के सिखों को मुगलों से बचाया था। उस युद्ध में त्याग मल को उनकी वीरता देख पिताजी ने तेग बहादुर की उपाधि से संबोधित किया था। उसके बाद से त्याग मलप तेग बहादुर के नाम से प्रसिद्ध है। तेग बहादुर की शादी हुई फिरभी वह अधिकांश समय ध्यान में बिताना पसंद करते थे। 

1644 में गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने तेग बहादुर को पत्नी और मां के साथ बकाला नामक एक गांव में बसने को कहा था। उसके बाद 2 साल तक तेग बहादुर बकाला गांव में एक कमरे में ध्यान करते हुए समय बिताने लगे थे। वही से उन्हें नौवें सिख गुरु के रूप में पहच मिली थी। बकाला में रहने हुए तेग बहादुर जी ने कई यात्राएँ की थी। उसमे वह आठवें सिख गुरु, गुरु हर कृष्ण जी से मिलने दिल्ली तक गए थे। 

गुरु तेग बहादुर सिंह जी की धर्म यात्राएं

  • सिख धर्म के प्रचार करने गुरु तेग बहादुर जी ने अनेक यात्राएं की थी। 
  • कई स्थानों के यात्रा करते आनंदपुर साहब से किरतपुर, रोपण, सैफाबाद से खदल पहुंचे थे। 
  • धर्म उपदेश देते हुए गुरु तेग बहादुर दमदमा साहब से कुरुक्षेत्र पहुंच गए।
  • कुरुक्षेत्र से बहादुर जी ने यमुना के किनारे से कड़ामानकपुर पहुंच गए।
  • यहीं पर उन्होंने साधु भाई मलूक दास जी का उद्गार किया था।
  • गुरु तेज बहादुर जी ने धर्म प्रचार और लोक कल्याण के लिए सहज अनेक स्थानों की यात्रा की थी। 
  • उसमे प्रयाग, बनारस, पटना और असम क्षेत्र भी शामिल है।
  • गुरु जी ने की यात्राओं में सभी आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक उन्नत के सम्बंधित थी।
  • गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने मानव कल्याण हेतु सच्चाई का ज्ञान लोगों को वितरित किया था।
  • बहादुर सिंह जी ने रूढ़ियों, अंधविश्वासों की आलोचना करके नए आदर्शों की स्थापना की थी। 
  • तेग बहादुर जी ने कल्याण हेतु  कुएँ खुदवाना और धर्मशालाएं बनवा कर कई परोपकारी कार्य किए।
  • धर्म यात्राओं के बीच 1666 में गुरु जी को पटना साहब में पुत्र धन की प्राप्ति हुई थी।
  • गुरुजी का यही पुत्र आगे चलकर सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी कहलाए थे। 

गुरु तेग बहादुर के कार्य और लेखन

सिख गुरू जी ने अपने पवित्र हाथो से कई भजन लिखे है। उनकी रचनाओं में 116 शबद, 15 राग और 782 रचनाएँ भी शामिल हैं। उस रचनाओं की पवित्र सिख पुस्तक ग्रंथ साहिब में जोड़ा है। गुरु तेग बहादुर जी ने रचनाएं को शुद्ध हिंदी में सरल एवं भाव युक्त ‘पदों’ और ‘साखी’ जैसी रचनाओँ को लिखकर प्रस्तुत किया था। गुरु जी ने मानव कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए दो शिष्यों के साथ खुद को बलिदान कर दिया था। उससे देश एवं देश के नागरिकों के हित के लिए अपने कार्य किया है।

गुरु तेग बहादुर का जीवन परिचय
गुरु तेग बहादुर का जीवन परिचय

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गुरु तेग बहादुर की गिरप्तारी

उस समय के मुगल सम्राट औरंगजेब ने कश्मीर के ब्राह्मण को इस्लाम कबुल करने के लिए मजबूर किया तो ब्राह्मणों ने गुरु तेग बहादुर से संपर्क किया था। गुरु ने औरंगजेब को संदेशा भेजा और कहा की सम्राट ब्राह्मणों को तब धर्म परिवर्तित कर सकता है। जब वह गुरु तेग बहादुर सिख से इस्लाम में कबुल करवले। औरंगजेब ने गुस्से से आदेश दिया और गुरु तेग बहादुर की गिरप्तारी जारी कर दी। चरवाहे की भूमिका में गुरूजी की बात करे तो हसन अली के नाम का चरवाहा था। वह बकरियों को चराने के लिए जाता था। वह प्रार्थना करता था कि हिंदुओं का उद्धार करने वाले व्यक्ति गिरफ्तार हो जाए।

और गुरु तेग बहादुर साहिब की गिरफ्तारी के लिए 500 रुपये का इनाम मिले। गुरु तेग बहादुर चरवाहा हसन अली को बाजार से मिठाई लाने के लिए भेजा और अपनी अंगूठी दी। जिसे बेचकर उन पैसो से मिठाई खरीद कर खा सके। हसन दुकानदार को अंगूठी दे देता है।  दुकानदार को शक होता है की चरवाहे के पास ऐसी महंगी चीजें कैसे हो सकती  उसकी पुलिस स्टेशन को दे देता है। और पुलिस ने गुरु साहिब के पास जा कर पूछती है तुम कौन हो और बदले में जवाब आता है “हिंदुओं का उद्धारकर्ता तेग बहादुर मेरा नाम है”। उसके बाद गुरु साहिब को गिरफ्तार कर लेते है ।

Guru Tegh Bahadur Death मृत्यु

दरबार साहिब में गुरु साहिब को 9 दिनों तक आंखों पर पट्टी बांधकर रखा। और हसन अली को 500 रुपये इनाम देते है। वह से गुरु को पूर्ण सुरक्षा में दिल्ली लाते है। औरंगजेब ने आदेश दिया की उन्हें इस्लाम धर्म कुबूल करना होगा तो उन्होंने मना कर दिया था। तो औरंगजेब ने फांसी का आदेश दिया था। उसके साथ रहे माटी दास को मौत देदी और दयाल दास को उबलते पानी की कड़ाही में डाल फेक दिया था। 24 नवंबर, 1675 को मुसलमान नहीं बनने के लिए दिल्ली में गुरु तेग बहादुर का सिर कलम कर दिया था।

Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi
Guru Tegh Bahadur Biography In Hindi

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Guru Tegh Bahadur Quotes

  • सभी सजीवों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
  • महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बनते हैं।
  • प्रगाढ़ता से प्रेम करना आपको साहस देता है।
  • सफलता अंतिम नहीं और विफलता कभी घातक नहीं होती है।
  • डर सिर्फ बस हमारे दिमाग में होता है। 
  • सभी जीवित प्राणी के प्रति दया रखो क्योकि घृणा से विनाश होता है।
  • जीवन किसी के साहस में सिमटता या विस्तृत होता है।
  • एक अच्छा व्यक्ति वह है जो अनजाने में भी किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं।

गुरुद्वारा शीश गंज साहिब

औरंगजेब गुरूजी से आगबबूला हो गया था। गुरुतेग बहादुर जी  ने हंसते-हंसते बलिदान दे दिया था। आज गुरुतेग बहादुर जी की याद में उनके शहीदी स्थल पर गुरुद्वारा बना है। उस गुरुद्वारा को शीश गंज साहिब कहा जाता है। दिल्ली में स्थित शशिगंज गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर के उस महान बलिदान की स्मृति को आज भी ताज़ा कर देता है। गुरु तेग बहादुर के बलिदान के कारण मुस्लिम शासन के उत्पीड़न के सामने सिख ज़्यादा मज़बूत हो गए थे।

Guru Tegh Bahadur Images
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Interesting Facts

  • गुरु तेग बहादुर सिखो के दसवे गुरुओं में से नौवे गुरु थे।
  • गुरु तेग बहादुर को हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के बलिदान के लिए सम्मानित किया जाता है।
  • हिंदुओं के इस्लाम में धर्मांतरण का विरोध करने के लिए उन्हें हिंद-दी-चादर कहते है।
  • उन्होंने दूसरे धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी थी।
  • तेग बहादुर सिंह जी को 20 मार्च 1664 को सिखो का गुरु बनाया गया था। 
  • कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को बलपूर्वक मुस्लिम बनाने का विरोध किया था।

FAQ

Q .गुरु तेग बहादुर कौन थे?

गुरु तेग बहादुर सिखो के दसवे गुरुओं में से नौवे गुरु थे।

Q .गुरु तेग बहादुर जी का असली नाम क्या था?

त्याग मल 

Q .गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के कौन से गुरु थे?

गुरु तेग बहादुर

Q .गुरु तेग बहादुर की मृत्यु कब हुई थी?

24 नवंबर 1675 

Q .गुरु तेग बहादुर की पत्नी का क्या नाम था?

माता गुजरी चंद सुभीखी

Q .गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस कब है?

24 नवंबर 

Q .गुरु तेग बहादुर की हत्या कैसे हुई?

गुरु तेग बहादुर की हत्या औरंगजेब ने सर कलम कर दिया था। 

Q .गुरु तेग बहादुर के पिता का नाम क्या था?

गुरु हरगोविंद

Q .गुरु तेग बहादुर के तीन सहयोगी बलिदानी कौन थे?

मती दास, भाई सती दास, दयाला

Q .गुरु तेग बहादुर जी के कितने पुत्र थे?

गुरु गोविन्द सिंह

Q .गुरु तेग बहादुर ने कौन सा शहर बसाया था?

आनंदपुर साहिब

Q .गुरु तेग बहादुर का जन्म कब हुआ कहां हुआ?

1 अप्रैल, 1621 अमृतसर, लाहौर सूबा, भारत 

Q .गुरु तेग बहादुर को हिंद की चादर क्यों कहा जाता है?

हिंदुओं के इस्लाम में धर्मांतरण का विरोध करने के लिए उन्हें हिंद-दी-चादर कहते है।

Conclusion

आपको मेरा Guru Tegh Bahadur Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

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Mahavir Swami Biography In Hindi

Mahavir Swami Biography In Hindi | भगवान महावीर स्वामी का जीवन परिचय

नमस्कार दोस्तों Mahavir Swami Biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर स्वामी का जीवन परिचय और महावीर जयंती की जानकारी बताने वाले है। महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर एव वर्धमान के रूप में भी प्रसिद्ध है। उसकी याद में पूरे भारत मे महावीर जयंती जैन समाज द्वारा भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप मे मनाई जाती है। महावीर स्वामी का संबंध छठी शताब्दी ईसा पूर्व के भारतीय इतिहास से है। 

वह एक भारतीय तपस्वी दार्शनिक एव महावीर गौतम बुद्ध के समकालीन थे। बौद्ध धर्म में प्राथमिक व्यक्ति जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। महावीर का जन्म वर्तमान बिहार, भारत में क्षत्रियों के एक शाही परिवार में हुआ था। एक राजा के पुत्र के रूप में उनका बचपन एक विशेषाधिकार प्राप्त था। और उनका पालन-पोषण विलासिता की गोद में हुआ था। वह एक बहादुर बालक के रूप में बड़ा हुआ और कहा जाता है कि उसने एक भयंकर नाग को नियंत्रित किया था।

Mahavir Swami Biography In Hindi

जन्म (Birth) – 540 ई०पू० 

बचपन का नाम (Childhood name) – वर्धमान

जन्मस्थान (Birth place) – कुण्डग्राम, वैशाली, बिहार

पिता का नाम (Father name) – सिद्धार्थ (ज्ञातृक क्षत्रियों का सरदार)

माता का नाम (Mother name) – त्रिशला देवी 

गृहत्याग – 30 वर्ष में

ज्ञान प्राप्ति (Enlightment) – घर त्याग से 12 साल बाद

मृत्यु (Death) – 468 ई०पू० 

महावीर स्वामी का जन्म

भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ई.पू .वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था। महावीर स्वामी एक वर्धमान नाम के बच्चे के रूप में जन्मे थे। उन्हें ज्ञान होते ही जैन महावीर नाम से बुलाया जाने लगा था। जो आज साहित्य में प्रमाणित मिलता है। महावीर स्वामी के पिता का नाम महाराज सिद्धार्थ था। वह क्षत्रिय वंश के थे। उनकी माता का नाम त्रिशला था। उनकी मा वैशाली के लिच्छवी वंश के राजा चेटक की बहन थी। जैन ग्रंथों के मुताबिक 23  नेतृत्व कर पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त के 188 वर्षों के बाद महावीर का जन्म हुआ था।

Mahavir swami 3d images
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महावीर स्वामी का विवाह

स्वामी जी अन्तर्मुखी स्वभाव के व्यक्ति थे। एक राज परिवार में जन्म से वर्धमान का शुरुआती जीवन बहुत आनंद एव सुख में गुजरा था। उन्हें पहले से संसार के भोगो मे रुचि थी। लेकिन युवा होते ही उनके माता-पिता ने उसका विवाह यशोदा नाम की एक सुंदर कन्या से करवाया था। वह कन्या वसंतपुर के महासामन्त समरवीर की पुत्री थी। उससे उन्हें एक पुत्री हुई जिसका नाम प्रियदर्शना था। 

Mahavir Swami का गृह त्याग

अपने चिंतनशील स्वभाव के कारन महावीर स्वामी पहले से संसार में रूचि नहीं रखते थे। लेकिन उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्हें राजवैभव, भोग विलास रास नहीं आ रहे थे। उनके पिता की देहांत के बाद उसकी अवस्था 30 साल की थी। तो महावीर स्वामी अपने बड़े भाई एव राजा बने नंदीवर्धन से आज्ञा लेकर गृहत्याग कर दिया था। उसके बाद वह ज्ञान प्राप्ति के लिए घर से निकल पड़े एव सन्यासी हो गए थे।

Mahavir Swami Images
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महावीर स्वामी का वैराग्य

महावीर स्वामी के मन मे वैराग्य इच्छा जागृत हुई थी। उसके कारन उन्होंने घर छोड़ कर सन्यास वेश को अपना लिया था। सिर्फ 30 वर्ष की कम उम्र में अपने वैराग्य से घर का त्याग कर केशलोच के साथ जंगल में रहते थे। वहां महावीर स्वामी ने 12 साल के कठोर तप के बाद जम्बक में ऋजुपालिका नदी के तट पर एक साल्व वृक्ष के नीचे सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ था। उसके पश्यात उन्हें केवलिन नाम से पहचाना गया था। एव उनके उपदेश चारों और फैलने लगे थे। उसके पश्यात बडे-बडे राजा महाराजा महावीर स्वा‍मी के अनुयायी बने थे।  स्वामी ने त्याग, प्रेम और अहिंसा का संदेश फैलाया एव जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर बनेंथे।

Mahavir Jayanti महावीर जयंती

हर साल चैत्र शुक्ल तेरस को महावीर जयंती मनाई जाती है। Mahavir Jayanti 2022 Date Friday, 15 April है। उस दिन भगवान महावीर के मंदिर विशेष आयोजन किए जाते है। परंतु महावीर जयंती अधिकतर त्योहारो से अलग बहुत ही शांत माहौल मे विशेष पूजा अर्चना द्वारा मनाई जाती है। उस दिन भगवान महावीर का विशेष अभिषेक करते है। और जैन लोग मंदिरो मे जाकर विशेष ध्यान और प्रार्थना करते है। भारत मे गुजरात, राजेस्थान, बिहार और कोलकाता के प्रसिध्द मंदिरो मे उत्सव  मनाया जाता है।

महावीर स्वामी जीवनी
महावीर स्वामी जीवनी

जैन धर्म के दूसरे पर्व 

  • भगवान महावीर का जन्म दिवस – चैत्र शुक्ल 13
  • अक्षय तृतीया – वैशाख शुक्ल 3
  • वर्षीतप प्रारंभ दिवस – चैत्र कृष्ण 8
  • भगवान महावीर केवलज्ञान दिवस – वैशाख शुक्ल 10
  • भगवान महावीर च्यवन दिवस – वैशाख शुक्ल 10
  • संवत्सरी महापर्व – भद्रपद शुक्ल 4/5
  • भगवान महावीर निर्वाण दिवस – दीपावली
  • पर्युषन पर्व प्रारंभ दिवस – आषाढ़ कृष्ण 12
  • महावीर स्वामी दीक्षा दिवस – मार्गशीर्ष कृष्ण 10
  • भगवान पार्श्वनाथ जन्म दिवस – पौष कृष्ण 10

भगवान महावीर के मुख्य गणधर

1 .श्री मौर्यपुत्र जी

2 .श्री इंद्र्भूती जी

3 .श्री अचलभ्राता जी

4 .श्री अग्निभूति जी

5 .श्री प्रभासजी

6 .श्री वायुभूति जी

7 .श्री मोतार्यजी

8 .श्री व्यक्त स्वामीजी

9 .श्री अकम्पित जी

10 .श्री सुधर्मा स्वामीजी

11 .श्री मंडितपुत्रजी

महावीर स्वामी की जीवनी
महावीर स्वामी की जीवनी

Mahavir Swami का निर्वाण या मृत्यु

महावीर स्वामी निर्वाण की जानकरी बताए तो तक़रीबन 72 साल की उम्र में अपने उपदेशों का प्रचार करके 527 ईसा पूर्व में महात्मा महावीर स्वामी का देहांत हुए था। कार्तिक मास की अमावस्या के रात वर्तमान पटना के पास पावा नाम के स्थल पर उन्होंने अपना देह त्याग किया था। भगवान की मौत के पश्यात भी धर्म फलता फूलता रहा है। जो आज भी हमें दिखाई देता है। जैन धर्म के लोग महावीर स्वामी के जन्म दिवस को महावीर जयंती और मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में मनाते है।

भगवान महावीर को जैन धर्म में वीर, अतिवीर और स​न्मती के नाम से जाने जाते है। क्योकि महावीर स्वामी से ही 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ से प्रतिपादित सिद्धान्तों ने विशाल धर्म जैन धर्म का रूप लिया था। भगवान महावीर की शिक्षाओं से कई राजवंश प्रभावित हुए और ढेरों राजाओं ने जैन धर्म को अपना राजधर्म बनाया है। उसमे बिम्बसार और चंद्रगुप्त मौर्य का नाम मुख्य है। भगवान महावीर ने अहिंसा को जैन धर्म का मुख्य आधार कहा है। उन्होंने जाति व्यवस्था का बहुत विरोध किया था। 

Mahavir Swami के नाम और उसके कारन 

वर्धमान – बाल्यअवस्था का नाम

केवलिन – ज्ञान प्राप्त होने से केवलिन की उपाधि मिली

जिन – इंद्रियों को जीत लिया तो जिन कहलाए। 

महावीर – घर त्यागने से 

निगण्ठ नाटपुत्त – यह बौद्ध साहित्य का वर्णित नाम

निर्ग्रन्थ गृह त्याग और ज्ञान प्राप्ति के बिच निर्ग्रन्थ कहलाए

अर्हत – लोगों के दुख एव समस्याओं को दूर करने से मिला 

ज्ञातृपुत्र – वह ज्ञातृक राजा के बेटे थे उसके कारन ज्ञातृपुत्र कहलाए

Mahavir swami photo
Mahavir swami photo

Mahavir Swami Lifestyle Video

Interesting Facts अज्ञात तथ्य

  • भगवान महावीर के कुल ग्यारह गणधर हुआ करते थे। 
  • जैन धर्म में अहिंसा,अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह व्रत का पालन करना होता है। 
  • जैन धर्म का नाम भगवान महावीर के जिन नाम से मिला है। 
  • भगवान महावीर  इंन्द्रियों पर विजय होने के बाद प्राप्त कर जितेन्द्रिय या जिन कहलाए। 
  • जैन धर्म में दिगम्बर सम्प्रदाय के जैन संत वस्त्र त्याग देते हैं। 
  • भगवान महावीर के देह त्याग के बाद जैन धर्म श्वेताम्बर एव दिगम्बर सम्प्रदायों में विभाजित हुआ। 

FAQ

Q .भगवान महावीर का जन्म कहाँ हुआ था?

महावीर स्वामी का जन्म 540 ई०पू० में वैशाली (बिहार) के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। 

Q .स्वामी महावीर ने कितने वर्ष घोर तप किया था?

भगवान महावीर ने 30 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर बारह वर्षो तक घोर तप किया था। 

Q .महावीर को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई?

वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुबालुका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे महावीर को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

Q .भगवान महावीर के शरीर का वर्ण कौन सा था?

महावीर के शरीर का वर्ण निर्मल शरीर स्वेद तप्त स्वर्ण के समान था। 

Q .महावीर स्वामी का जन्म स्थान कहा है?

कुण्डग्राम, वैशाली, बिहार

Q .महावीर स्वामी के नाना का नाम क्या है?

राजा चेटक

Q .महावीर स्वामी की माता का नाम क्या है?

त्रिशला 

Conclusion

आपको मेरा Mahavir Swami Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

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Guru Nanak Dev Ji biography In Hindi

Guru Nanak Dev Ji Biography In Hindi | गुरु नानक देव जी जीवनी और इतिहास

नमस्कार दोस्तों Guru Nanak Dev Ji biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम भारतीय आध्यात्मिक गुरु और सिखों के पहले धर्म गुरु गुरु नानक देव जी की जीवनी और इतिहास बताने वाले है। सिख धर्म के संस्थापक का जन्म (Guru Nanak Dev Ji birthday) वैशाख सुदी 3, संवत्‌ 1526 विक्रमी (15 अप्रैल 1469 ई) में तलवंडी रायभोय ( वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान ) में हुआ था। नानक जी का जन्म ‌दिवस को गुरुनानक जयंती के रूप में बहुत धाम धूम से मनाया जाता है। सिखों के बीच गुरु संस्थापक और पंजाबी भक्ति भजन के सर्वोच्च गुरु के रूप में एक विशेष स्नेह और स्थान प्राप्त है।

गुरु नानक जी ने गुरु के रूप में शिष्यों को ऐसे उपदेश और शिक्षाएं दी थी। जिसकी की महक उनके अनुयायियों के बीच आज भी लोकप्रिय और प्रसांगिक है। गुरु नानक जी अपनी शिक्षाएँ, भक्ति भजनों के माध्यम से आज भी जीवित हैं। गुरु ने दैवीय नाम पर ध्यान के माध्यम से पुनर्जन्म से मुक्ति पर ज्यादा जोर दिया था। गुरु नानक देव जी ने अध्यात्मिक शिक्षा के आधार पर सिख धर्म की स्थापना की नींव रखी थी। आज हम गुरु नानक, बाबा नानक, नानकशाह, गुरु नानक देव जी के नाम से प्रसिद्ध महान धर्म धुरंधर और धर्म गुरु नानक देव जी बायोग्राफी बताने वाले है। 

Guru Nanak Dev Ji Biography In Hindi

Real Name (पूरा नाम)  गुरु नानक देव जी ( Guru Nanak Dev Ji )
Nick name (उपनाम)   गुरु नानक, बाबा नानक, नानकशाह, गुरु नानक
Date of birth (जन्म तिथि)  15 April 1469
Birth Place (जन्मस्थान) तलवंडी गाँव, शेइखुपुरा डिस्ट्रिक्ट(वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान) 
Cast (जाती) सिख
Religion (धर्म) सिख धर्म
Age (उम्र)   मृत्यु के समय 70 वर्ष (1539)
Zodiac Sign (राशि)  वृषिक राशि 
Profession (पेशा)   धर्म गुरु
Famous Role (प्रसिद्ध पात्र)  सिखों के पहले धर्म गुरु, सिख धर्म संस्थापक
Hometown (पता) तलवंडी गाँव, शेइखुपुरा
Nationality (राष्ट्रीयता) भारतीय

Birth of Gurunanak Dev Ji

गुरुनानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के तट पर तलवंडी नाम गांव में हुआ था। गुरुनानक जी का जन्म दिवस को गुरुनानक जयंती के रूप में पुरे सिख धर्म में बहुत धाम धूम से मनाया जाता है। अपने बचपन में श्री गुरु नानक जी नें कई प्रादेशिक भाषाएँ सीखी थी उसमे हिंदी, संस्कृत, फारसी और अरबी भाषाएँ शामिल है। वह बचपन से ही एक असाधारण बालक थे। उनके शिक्षक और बुजुर्ग सभी मामलों पर उनके ज्ञान, समझ और तर्कसंगत सोच के स्तर से विशेष रूप से आध्यात्मिक लोगों को चकित करते थे। यानि गुरुनानक जी तेज बुद्धि के बालक थे।

Guru Nanak Dev Ji images
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गुरु नानक देव जी का परिवार

नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार (Guru Nanak religion) में हुआ था। उनके पिता का नाम कल्याण राय या मेहता कालू जी था। वह एक ग्राम लेखाकार के रूप में काम करते थे और खत्री जाति के थे। और माता का नाम तृप्ती देवी था। उनकी माँ तृप्त देवी बहुत ही सरल और धार्मिक महिला थी। नानक जी की एक बड़ी बहन जिसका नाम ननकी था। वह नानाजी को बहुत प्यार करती थी। 16 वर्ष की उम्र में नानक जी का विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी गांव की रहने वाली कन्‍या सुलक्‍खनी से हुआ था। गुरु नानक देव जी के पुत्र का नाम श्रीचंद और लख्मी चंद था। 

Father Name (पिता)  मेहता कालू जी (कल्याणचंद)
Mother Name (माता)  तृप्ता देवी जी
Sister (बहन)  ननकी देवी
Brother (भाई )
Marital status/(विवाहित स्थिति )  विवाहित 
Marriage date(विवाह तिथि) 
Wife/Girlfriend (पत्नी)  सुलक्‍खनी देवी जी
Children (बच्चे) श्रीचंद और लखमी चंद

Guru Nanak Dev Ji का आरंभिक जीवन

अपने बचपन से ही नानक जी सांसारिक कार्यो में उदासीन रहा करते थे। पढ़ने लिखने में ज्यादा मन नहीं लगा था। उन्होंने सिर्फ 7-8 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया था। क्योकि बाबा के प्रश्नों से शिक्षकों ने भी हार मान ली थी। उसके बाद सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने थे। बाद में कई चमत्कारिक घटनाएं होने लगी जिससे गाँव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व  देखने लगे थे। गुरु नानक जी नें मरदाना के साथ मिल के कमज़ोर लोगों के मदद के लिए प्रचार शुरू किया था। गुरु नानक जी ने जाती भेद, मूर्ति पूजा और छद्म धार्मिक विश्वासों के खिलाफ प्रचार किया था।

Guru Nanak Dev Ji photo
Guru Nanak Dev Ji photo

वैसे नानक जी ने सिद्धांतो और नियमों के प्रचार के लिए अपना घर भी छोड़ दिया और एक सन्यासी के रूप में रहने लगे थे। गुरु नानक जी ने हिन्दू और मुस्लमान दोनों धर्मों के विचारों को सम्मिलित करके एक नए धर्म की स्थापना की जो बाद में सिख धर्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ है। यानि गुरुनानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु के रूप में स्थापित है। नानक जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के भारी समर्थक हुआ करते थे। धार्मिक सदभाव की स्थापना के लिए उन्होंने सभी तीर्थों की यात्रायें की और सभी धर्मों के लोगों को शिष्य बनाया था। नानक जी पहले और Guru gobind singh सीखो के दसवे धर्म गुरु थे। 

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गुरु नानक देव जी के जीवन की दो महत्वपूर्ण घटनाएं

मेहता कालू जी (कल्याणचंद) को जब महसूस हुआ कि गुरु नानक को खेती या संबंधित गतिविधियों में दिलचस्पी नहीं है। तो नानक जी को व्यापार लिए कुछ पैसे देने का विचार किया जिससे वह कुछ कर सकें। व्यापर के लिए उन्होंने बीस रुपये दिए और लेनदेन करने के लिए मरदाना को अपने साथ भेज दिया था। अभिलेखों के मुताबिक गुरु नानक जी ने रास्ते में कुछ भूखे और जरूरतमंद लोगों को देखा और वही पैसे को उन्हें भोजन पर खर्च कर दिए और कहा कि उससे ज्यादा लाभदायक क्या हो सकता है। जरूरतमंदों की मदद करने से सच्चा सौदा कहा जा सकता है। उस घटना को “सच्चा सौदा” के रूप में जाना जाता है।

दूसरी घटना सुल्तानपुर लोधी की थी। उनकी प्यारी बहन की शादी जय राम से हुई। वह सुल्तानपुर चली गई। गुरु नानक भी कुछ दिन अपनी बहन और साले के साथ गए और वहां साले के साथ काम करना शुरू किया था। सुल्तानपुर में वह स्नान करने और ध्यान करने के लिए पास की एक नदी में जाते थे। एक दिन वह वहाँ गये और तीन दिन तक नहीं लौटा थे। जब वह लौटे तो वह एक आदमी की तरह लग रहा था। जो कोई हिंदू या मुस्लिम नहीं था । वह घटना बाबा की शिक्षाओं की शुरुआत थी ।

Guru Nanak Dev Ji के मिशन की कहानी

नानक जी नें मरदाना के साथ मिल के जीवन में मिशन की शुरुआत की थी। उन्होंने कमज़ोर लोगों के मदद के लिए जबरदस्त प्रचार किया था। जाती भेद, मूर्ति पूजा और छद्म धार्मिक विश्वासों के खिलाफ प्रचार किया था। उस सिद्धांतो और नियमों के प्रचार के लिए घर को छोड़ दिया और सन्यासी के रूप में रहने लगे ।  हिन्दू और मुस्लमान धर्मों के विचारों को मिलाने के लिए सिख धर्म की स्थापना की थी। उसके तहत पुरे देश में ज्ञान के प्रसार के लिए हिन्दू और मुश्लिम धर्म की जगहों की यात्रा की थी।  एक बार गुरु नानक गंगा तट पर खड़े उन्होंने देखा की कुछ लोग पानी के अन्दर खड़े हो कर सूर्य की ओर पानी डाल रहें हैं।

गुरु नानक देव जी की जीवनी और इतिहास
गुरु नानक देव जी की जीवनी और इतिहास

जिससे स्वर्ग में पूर्वजों के शांति हो जाए। तब गुरु नानक जी भी पानी दोनों हाथों से पानी डालने लगे वह पंजाब की ओर खड़े हो कर। वह देख लोगों नें उनकी गलती के बारे में बताया और कहा की क्यों कर रहे थे। गुरु ने बताया की अगर गंगा माता का पानी स्वर्ग में आपके पूर्वजों तक पहुँच सकता है तो मेरे खेतों तक क्यों नहीं पहुँचता। पुरे भारत में ज्ञान को बाँटने के बाद उन्होंने मक्का मदीना की यात्रा की, वहां भी लोग विचारों और बातों से अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने 25 वर्ष की यात्रा के बाद श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर, पंजाब के एक गाँव में रहने लगे और बाद में उनकी मृत्यु भी वही हुई।

गुरु नानक देव जी की आध्यात्मिक यात्राएं

उन्होंने भगवान के संदेश को फैलाने के लिए उपमहाद्वीप में मुखय चार आध्यात्मिक यात्राएं (उदासी) कीं थी। नानक जी पहले अपने माता-पिता के पास गया और उन्हें यात्राओं का महत्व समझाया फिर यात्रा शुरू की थी। पहली यात्रा उन्होंने पाकिस्तान और भारत के ज़्यदातर विभागों को कवर किया था। उस यात्रा में 7 साल लगे या 1500 ईस्वी से। 1507 ई का समय लगा था। उन्होंने अपनी दूसरी यात्रा में श्रीलंका के के हिस्सों को कवर किया और उसमें 7 साल का समय लगा था।

उन्होंने अपनी तीसरी यात्रा में हिमालय, कश्मीर, नेपाल, सिक्किम, तिब्बत और ताशकंद जैसे पर्वतीय विस्तारो को कवर किया था। उसे पूरा होने में 5 साल लगे थे। उन्होंने अपनी चौथी यात्रा पर मक्का और मध्य पूर्व के विस्तारो का दौरा किया था। जिसमे 3 साल लग गए थे। उन्होंने अंतिम यात्रा में दो साल पंजाब में संदेश फैलाया था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने जीवन के 24 साल यात्राओं में बिताए और पैदल ही 28,000 किमी की यात्रा की थी । उन्हें विस्व की सभी भाषाओ का ज्ञात था। मगर संदेश को फैलाने के लिए वह स्थानीय भाषाओं का उपयोग करते थे।

Guru Nanak Dev Ji pics
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Guru Nanak Dev Ji का आसाधारण व्यक्तित्व

संसार को सही दिशा बताने वाले गुरु नानक देव जी बहुमुखी और विलक्षण प्रतिभा वाले आसाधरण इंसान थे। उन्होंने महान विचारों और उपदेशों से लोगों को सुखी जीवन और मोक्ष प्राप्ति का अच्छा रास्ता दिखाया था। वह सिख धर्म के प्रथम गुरु के रूप में एक महान समाजसुधारक, पैगम्बर, धर्म सुधारक और दार्शनिक थे। उसके साथ वह देशभक्त, विश्वबंधु, महान कवि, संगीतज्ञ, त्यागी एवं राजयोगी भी थे। उन्होंने महान विचारों का गहरा प्रभाव दुनिया में छोड़ा है। उनकी क्रिया शक्ति से अनेक लोगों का ह्रदय परिवर्तन हुआ है।

गुरु नानक देव जी एक महान विचार के धनि एव ऊंच-नीच और जात-पात का भेदभाव खत्म करने वाले पहले धर्म गुरु थे। उन्होंने उसे खत्म करने के लिए गुरुद्धारों में लंगर की परंपरा शुरू की थी। उससे सभी जाति के लोग एक पंक्ति में बैठकर भोजन ले सकते है। आप उसको वर्तमान समय में भी हर गुरुदारा में देख सकते है। आज भी गुरु नानक साहब ने शुरू की लंगर की परंपरा कायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती हैं। और मुख्त में भोजन देते है। 

गुरु नानक देव जी के प्रमुख उपदेश और शिक्षाएं

  • उन्होंने लोगों को सिखाया कि भगवान तक पहुंचने के लिए अनुष्ठान और पुजारियों की जरुरत नहीं है।
  • उनका मानना ​​​​था कि प्रत्येक मनुष्य के कण-कण में ईश्वर है।
  • भगवान को पाने के लिए उन्होंने लोगों को भगवान का नाम जपने को कहा था।
  • उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद और सेवा करके आध्यात्मिक जीवन जीना सिखाया है।
  • हमेशा खुश रहना चाहिए और अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
  • धोखाधड़ी या शोषण से दूर रहने और ईमानदार जीवन व्यतीत करने को कहा है।
  • सभी महिलाएं और पुरुष बराबर होते हैं और दोनों की आदर करना चाहिए। 
  • Guru Nanak Dev Ji quotes “सभी धर्मो के ईश्वर एक है”।
  • ईमानदारी, सच्चाई और कठोर परिश्रम कर ही धन कमाना चाहिए।
  • लोभ-लालच की आदत इंसान से उसकी खुशी छीन लेती है।
  • सबके साथ बिना किसी ईर्ष्या भाव से प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
  • गुरु नानक देव जी की वाणी बहुत ही पवित्र थी।
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Sikhism

गुरु नानक देव जी की कहानी बताये तो नानक जी ने अपनी शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए दूर-दूर तक यात्रा की थी। उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, सबसे युवा धर्मों में से एक, सिख धर्म की स्थापना की थी। धर्म मठवाद को गले लगाए बिना आध्यात्मिक जीवन जीने के महत्व पर जोर देता है। यह अपने अनुयायियों को वासना, क्रोध, लालच, मोह और दंभ जैसे सामान्य मानवीय लक्षणों के चंगुल से बचना सिखाता है।

सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो मानता है कि ईश्वर निराकार, कालातीत और अदृश्य है। यह सांसारिक भ्रम (माया), कर्म और मुक्ति की अवधारणाओं को भी सिखाता है। सिख धर्म की कुछ प्रमुख प्रथाएं हैं ध्यान और गुरबानी का पाठ, गुरुओं द्वारा रचित भजन। धर्म न्याय और समानता की भी वकालत करता है। और अपने अनुयायियों से मानव जाति की सेवा करने का आग्रह करता है।

Guru Nanak Dev Ji  के प्रमुख गुरुद्वारा साहिब

  • 1. गुरुद्वारा कंध साहिब- बटाला (गुरुदासपुर)
  • 2. गुरुद्वारा हाट साहिब
  • 3. गुरुद्वारा गुरु का बाग
  • 4. गुरुद्वारा कोठी साहिब
  • 5.गुरुद्वारा बेर साहिब
  • 6. गुरुद्वारा अचल साहिब
  • 7. गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक

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Guru Nanak Dev Ji Death

अपने अंतिम दिनों में Guru Nanak करतारपुर शहर में रह रहे थे। उस समय तक मानवता के लिए उनके योगदान और समाज के लिए उनकी शिक्षाओं के लिए एक बहुत ही प्रिय और सम्मानित आध्यात्मिक नेता बन गए। गुरु नानक देव जी के अंतिम संस्कार को लेकर बहस हो रही थी। गुरु नानक के शरीर का मालिक कौन होगा क्योंकि सिख, हिंदू या मुसलमान, हर कोई उनके अनुसार अंतिम संस्कार की रस्में निभाना चाहता था। गुरु नानक ने स्वयं “जोती जोत” की अवधारणा का परिचय दिया था।

उन्होंने कहा कि यह प्रकाश पास होगा उनके नए उत्तराधिकारी जो गुरु अंगद देव जी थे। (गुरु नानक की मृत्यु कहां हुई थी) गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर, 1539 ई. को करतारपुर में अपनी अंतिम सांस ली। उन्हें मुसलमानों द्वारा दफनाया गया और सिखों और हिंदुओं द्वारा अंतिम संस्कार किया गया। एक कब्र और एक स्मारक पूर्व में दोनों बनाए गए थे। आज पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर गुरु नानक के मृत्यु स्थान पर एक गुरुद्वारा है। यह स्थल सभी विशेषकर सिखों के लिए एक पवित्र स्थान है।

Guru Nanak Jayanti 

हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमाके दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक साहब जी की जयंती पूरे भारत देश धाम धूम और उल्लास के साथ मनाई जाती है। नानक जी की जयंती को प्रकाश पर्व (gurpurab) के तौर पर मनाते है। उस दिन कई जगह धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते है। साथ गुरुद्धारा में लंगर आयोजित होते है। और भक्त सत्संग और भतन-कीर्तन करते हैं। गुरुनानक जयंती के दिन ढोल-नगाड़ो के साथ प्रभाव फेरी निकाली जाती है। और गरीबों को दान करने का बहुत महत्व है।

सिक्ख समाज के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी ने उपदेशों में एकता, प्रेम, भाईचारा और सदभाव की ज्योत जलाई है। वह आज भी प्रकाश देती है। उन्होंने मूर्ति पूजा और धार्मिक आडम्बरों का खुलकर विरोध किया था। और जातिवाद, ऊंच-नीच, छूआछूत का भी विरोध था। अपनी सरल वाणी और महान विचारों से लोगों प्रभावित किया था। हिन्दू और मुस्लिम धर्म की मूल एवं सर्वोत्तम शिक्षाओं को लेकर एक सिख धर्म की स्थापना की थी।

Lifestyle Video

Interesting Facts

  • गुरू नानक देव या नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे।
  • गुरु नानक देव जी के अध्यात्मिक शिक्षा के आधार पर सिख धर्म की स्थापना हुई है।
  • उन्होंने अंधविश्वास, मूर्ति पूजा आदि का खुलकर कट्टर विरोध किया था। 
  • गुरु नानक देव जी की महान शिक्षाओं को 974 भजनों के रूप में अमर किया था। 
  • आज वह सिख धर्म के पवित्र पाठ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से जाना जाता हैं।
  • उन्होंने कम उम्र से ही रुढ़िवादिता के खिलाफ विरोध करना शुरु किया था।
  • गुरु नानक देव जी जीवन भर रुढिवादिता और धार्मिक आडम्बरों के खिलाफ थे।

FAQ

Q .गुरु नानक जी कौन थे?

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिख धर्म के प्रथम गुरु थे। 

Q .गुरु नानक देव का जन्म कहाँ हुआ था?

तलवंडी, शेइखुपुरा जिला  (वर्तमान में पंजाब, पाकिस्तान)। 

Q .गुरु नानक जी की मृत्यु कब हुई थी?

गुरु नानक की मृत्यु 22 सितंबर 1539 को हुई थी। 

Q .गुरु नानक की पत्नी का नाम क्या था?

गुरु नानक की पत्नी का नाम माता सुलक्‍खनी देवी जी था। 

Q .गुरु नानक का असली नाम क्या है?

नानक

Q .बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी?

बाबा गुरु नानक देव की प्रमुख शिक्षाएं जीने का मंत्र देती हैं। शिक्षा है- नाम जपो, किरत करो और वंड छको।

Q .गुरु नानक जी के कितने पुत्र थे?

गुरु नानक जी के दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें। 

Q .गुरु नानक का जन्म कहां हुआ?

तलवंडी, शेइखुपुरा जिला, पंजाब

Conclusion

आपको मेरा Guru Nanak Dev Ji Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने गुरु नानक देव जी के वंशज, गुरु नानक देव जी की जन्म कथा और 

Guru Nanak Dev Ji History in hindi से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

! साइट पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

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Note

आपके पास गुरु नानक के दोहे तस्वीरें या Guru Nanak Dev Ji In Hindi की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो । तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद

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Gyanvatsal Swami Biography in Hindi | ज्ञानवत्सल स्वामी का जीवन परिचय

Gyanvatsal Swami Biography in Hindi | ज्ञानवत्सल स्वामी का जीवन परिचय

स्वामिनायण संप्रदाय के संत श्री Gyanvatsal Swami Biography in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम ज्ञानवत्सल स्वामी का जीवन परिचय बताने वाले है। 

हमारे हिन्दू धर्म की BAPS संस्था में प्रेरक वक़्ता, और समाज सुधारक करते हुए संत श्री ज्ञानवत्सल स्वामी एक स्वयंसेवक के रूप में सेवाएं देते है। समाज सुधार के साथ साथ स्वामी वक़्ता के रूप में लोगो से जुड़े हुए है। आज हम Gyanvatsal Swami wiki, Gyanvatsal Swami introduction और Gyanvatsal Swami real name के साथ उनके जीवन की माहिती देने वाले है। 

स्वामी बीएपीएस संस्था में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू सामाजिक-आध्यात्मिक और सामाजिक संगठन में कार्य करते है। उनका संचालन संस्था के स्वयंसेवक को के जरिये हुआ करता है। वह संगठन लोगो की परेशानिया दूर करके उनके जीवन को सरल एव सुखमय बनाने में सहायता करते है। तो चलिए हमारे हिन्दू संत और Movitational Speaker Gyanvatsal Swami biodata बताना शुरू करते है। 

Gyanvatsal Swami Biography in Hindi –

Real Name (पूरा नाम)  रक्षित रावल
Nick name (उपनाम)   रक्षित
Date of birth (जन्म तिथि)  12 नवंबर 1958
Birth Place (जन्मस्थान) वल्लभ विद्यानगर, आणंद, गुजरात
Guru (गुरु) प्रमुख स्वामी महाराज
School (स्कूल)  बीवीएम विद्यानगर, एसपी यूनिवर्सिटी
College (कॉलेज) बिरला विश्वकर्मा महाविद्यालय
Educational Qualification (शैक्षणिक योग्यता) मैकेनिकल इंजीनियर
Cast (जाती) रावल
Religion (धर्म) हिन्दू धर्म 
Gyanvatsal Swami Age (उम्र)  वर्ष (2021)
Hobby (रूचि)   पढ़ना
Debut (शुरुआत) मोटिवेशनल वीडियो
Zodiac Sign (राशि)  तुला राशि 
Profession (पेशा)   संत, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रेरक वक्ता
Famous roll (प्रसिद्ध पात्र)  मोटिवेशनल स्पीकिंग वीडियो
Net Worth (सम्पति) 0 INR
Hometown (पता)    गुजरात 
Nationality (राष्ट्रीयता) भारतीय 

ज्ञानवत्सल स्वामी का जन्म और शिक्षा –

12 नवंबर 1958 के दिन ज्ञानवत्सल स्वामी का जन्म गुजरात के आणंद जिले के वल्लभ विद्यानगर में हुआ था। स्वामी का का असली नाम Rakshit Rawal है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात में सरकारी स्कूल और बीवीएम विद्यानगर, एसपी यूनिवर्सिटी से ली हुई है। बाद में उन्होंने बिरला विश्वकर्मा महाविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की हुई है। Gyanvatsal Swami qualification की बात करे तो उन्होंने स्नातक का डिग्री 80% से अंकों से पूरा किया था। क्योकि वह अपने समय के बहुत तेजस्वी छात्र थे। रक्षित रावल संत की दीक्षा ग्रहण की उसके पहले पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे। 

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Who is Gyanvatsal Swami ? 

ज्ञानवत्सल स्वामी कौन है तो आपको बतादे की श्री ज्ञानवत्सल स्वामी अक्षरधाम, (Bochasanwasi Akshar Purushottam Sanstha) बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के संत, समाज सुधारक और एक प्रेरक वक्ता हैं। यानि ज्ञानवत्सल स्वामी बीएपीएस संस्था के स्वामी हैं। ज्ञानवत्सल स्वामी के परिवार या उनके माता पिता की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ना स्वामी ने उसके सम्बंधित जानकारी बताई है। अगर आप जानते है। तो हमे जरूर बताये। 

ज्ञानवत्सल स्वामी का शुरुआती जीवन –

स्वामी का मूल नाम रक्षित रावल है। उन्होंने अपनी युवा अवस्था से ही माता-पिता के साथ स्वामी नारायण मंदिर में जाते थे। मंदिर में स्वामी की भेट प्रमुख स्वामी महाराज से हुई थी। प्रमुख स्वामी से प्रभावित होकर के उन्होंने अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया। कुछ समय के बाद उन्होंने प्रमुख स्वामी से दीक्षा ले करके संत जीवन की शुरुआत करते हुए अपना घर छोड़ दिया।

ज्ञानवत्सल स्वामी का करियर –

Swami Gyanvatsal जी ने दीक्षा ग्रहण की तब से वह गुरु के साथ एक साधु जीवन व्यतीत करते थे। और समाज और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में लगे रहते है। स्वामी अबतक अपने भाषणों से लाखों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने तक़रीबन 500 से भी ज्यादा आत्मकथाएँ पढ़ीं है। वह दूसरे लोगो को भी किताबें पढ़ने की सलाह देते है। स्वामी जी हमारे भारत देश के सर्वश्रेष्ठ प्रेरक गुरुओं में से एक माने जाते हैं। स्वामी जी कामकाजी पेशेवर, लक्ष्य छात्रों माता-पिता और सामान्य इंसानों को मोटिवेट करते है।

स्वामी जी ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका (यूएसए), न्यूजीलैंड, यूरोप और इंग्लैंड जैसे कई शिक्षित देशो में भी सेमिनारों के जरिये लोगो को जिने की सही राह दिखाई है। वह अलग अलग विषयों पर चर्चा किया करते है। वह ज्ञान के साथ साथ विज्ञानं का भी उदाहरण दिया करते है। क्योकि वह एक शिक्षित साधु है। उन्होंने कार्य-जीवन संतुलन, नैतिकता, दृष्टिकोण – मास्टर कुंजी और चरित्र खुशी का घर जैसे विषयों पर सेमिनार किये है।

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Gyanvatsal Swami salary – 

एक भारतीय संत और सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानवत्सल स्वामी जी की सेलरी या नेटवर्थ की बात बताये तो वह एक भी रुपया नहीं लेते है। स्वामी जी का कहना है। की में साधु हु मुझे रुपयों की कोई जरुरत नहीं है। मुझे संस्था कपडे और खाने के लिए देती है। मुझे पैसो की कोई आवस्यकता नहीं है। लोगों की भलाई एव कल्याण के हेतु स्वामी जी सामाजिक और नेक काम कर रहे है। 

Gyanvatsal Swami Social Media –

स्वामी ज्ञानवत्सल जी का आधिकारिक चैनल अक्षर मंत्र है। जिस चैनल पर स्वामीजी के नवीनतम भाषण देखने को मिलते है। उनके भाषण की अपडेट के लिए Gyanvatsal Swami profile फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज भी उपलब्ध है। Gyanvatsal Swami pravachan आप गुजराती और हिंदी भाषा भी देखा या सुन सकते है। अक्षर मंत्र स्वामी जी का एक ही चैनल है, फर्जी id से दूर रहे। 

Social Media Media Followers 
Twitter 2,082 Followers
Email Id  No
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Website No
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Youtube – Akshar Mantra Hindi
83.5K subscribers
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Gyanvatsal Swami Instagram –

 
 
 
 
 
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ज्ञानवत्सल स्वामी की शारीरिक संरचना – (Physical Information)

Hair color  काला
Eye color काला 

Gyanvatsal Swami Height

179 सेंटीमीटर 
1.79 मीटर 
5 ‘ 7 ” फिट इंच 
Weight 61 किलोग्राम 
Body measurements
Chest – 38  इंच
Wast – 32 इंच
Biceps – 15 इंच

ज्ञानवत्सल स्वामी की पसंद – Favorites Things 

  • Color – नारंगी
  • Hobby – पढ़ना
  • Actress –  ज्ञात नहीं
  • Actor –  ज्ञात नहीं
  • Place –  न्यूयॉर्क, ऑस्ट्रेलिया
  • Show – भगवान कार्यक्रम

Gyanvatsal Swami Quotes in Hindi –

  • दिशा में बढ रही भीड़ हिस्सा बनने से बेहतर हैं। की सही दिशा में अकेले चलें। 
  • पृथ्वी गोल है एव हमारे ख़राब कर्मों का कोई कोना नहीं है।
  • चाबी के बिना कोई ताला नहीं बना है।
  • अपनी समस्या का समाधान करें, इसके साथ रहें, या तो इसे छोड़ दें। 
  • अपने मन अवस्था को स्थिर रखें हमारे जीवन का पहला पहलू है।

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Gyanvatsal Swami Biography & Lifestyle Video –

Interesting Facts – 

  • ज्ञानवत्सल स्वामी बहुत बड़े विध्यवान संत है, जिन्हे एकमात्र शौक पढ़ने का ही है।
  • उनकी पहचान मुख्य रूप से BAPS संस्था के स्वामी के रूप में होती है। 
  • ज्ञानवत्सल स्वामी का असली नाम रक्षित रावल है।
  • उन्होंने प्रमुख स्वामी महाराज से प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ है। 
  • उन्होंने किये भाषण और मोटिवेशनल वीडियो इंटरनेट पर वायरल होते रहते हैं। 
  • स्वामी जी के पास प्रेरक भाषण देने की अद्भुत क्षमता है ? 
  •  मोटिवेशनल वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के कारन स्वामी जी की प्रसिद्ध हुए है। 

FAQ – 

Q .ज्ञानवत्सल स्वामी क्या काम करते है ?

A .लोगों मोटिवेट करके समाज को बेहतर बनाते है।

Q .Who is the Gyanvatsal Swami ?

A .Saint

Q .When did Pramukh Swami die ?

A .13 August 2016

Q .स्वामी ज्ञानवत्सल जी की सेलरी क्या है ?

A .नही 

Q .ज्ञानवत्सल स्वामी की यूटुब चैनल का नाम ?

A .अक्षर मंत्र

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Conclusion –

आपको मेरा Gyanvatsal Swami Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Gyanvatsal Swami history, Gyanvatsal Swami thoughts और Gyanvatsal Swami wiki से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Dr swami gyanvatsal या Gyanvatsal swami books की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .Gyanvatsal Swami contact number क्या है ? 

2 .ज्ञानवत्सल स्वामी के माता पिता का नाम क्या है ?

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Shivani Didi Biography in Hindi | ब्रह्म कुमारी शिवानी दीदी का जीवन परिचय

Shivani Didi Biography in Hindi | ब्रह्म कुमारी शिवानी दीदी का जीवन परिचय

ब्रह्मा कुमारी की एक अध्यात्म शिक्षिका शिवानी वर्मा यानि Shivani Didi Biography in Hindi की जानकारी बताने वाले है। Bk Shivani sis आध्यात्मिक संस्था प्रजापति ब्रह्मा कुमारी विश्वविद्यालय की शिक्षिका है। 

ब्रह्मा कुमारी शिवानी वर्मा को लोग प्यार से सिस्टर शिवानी कहकर पुकारते है। वह 2008 की साल से टीवी पर अवेकिंग विद ब्रह्मा कुमारी के जरिये हर रोज आस्था चैनल पर प्रवचन देते है। आज हम Bk Shivani quotes, Bk Shivani meditation और Bk Shivani hindi lectures के साथ शिवानी दीदी के जीवन से जुडी सभी बातो से आपको ज्ञात करवाने वाले है। 

Bk Shivani classes के जरिये लोगों से जुड़ कर अध्यात्मिक प्रवचन देती है। एव मानव कल्याण के हेतु लोगो को धार्मिक प्रवृतिया करने के लिए प्रेरित किया करती है। Bk Shivani ji के प्रवचनों को लोग बहुत पसंद करते है। ऐसा नहीं है की हमारे भारत  में ही उनके प्रवचन सुने जाते है , उनके प्रवचन पुरे विश्व में सुने जाते है। क्योकि उनको विभिन्न संस्थाओं के जरिये अद्यात्मिक प्रवचन करने के लिए विदेशो में भी बुलाया जाता है। तो चलिए Bk Shivani biography बताना शुरू करते है। 

Shivani Didi Biography in Hindi –

Real Name (पूरा नाम)  शिवानी वर्मा
Nick name (उपनाम)   शिवानी दीदी, Bk Shivani
Date of birth (जन्म तिथि)  19 मार्च 1972
Birth Place (जन्मस्थान) पुणे, महाराष्ट्र, भारत
Father Name (पिता)  ज्ञात नहीं 
Mother Name (माता)  ज्ञात नहीं 
Brother (भाई)   –
Sister (बहन)   –
Marital status (वैवाहिक स्थिति)  विवाहित 
Husband/Boy friend (पति) विशाल वर्मा
Marriage Date (विवाह तिथि)
Children (बच्चे)
School (स्कूल)  पुणे विश्वविद्यालय
College (कॉलेज) पुणे विश्वविद्यालय
Educational Qualification (शैक्षणिक योग्यता)  इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बी टेक
Cast (जाती) वर्मा 
Religion (धर्म) हिन्दू धर्म 
Bk Shivani Age (उम्र)  49 वर्ष (2021)
Hobby (रूचि)   धर्म का प्रचार प्रसार करना 
Debut (शुरुआत) भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे
Zodiac Sign (राशि)  मिथुन राशि 
Profession (पेशा)   उपदेशक, आध्यात्मिक गुरु
Famous roll (प्रसिद्ध पात्र)  उपदेशक
Net Worth (सम्पति)
Hometown (पता)   पुणे, महाराष्ट्र, भारत
Nationality (राष्ट्रीयता) भारतीय 

शिवानी दीदी का जन्म और शिक्षा –

19 मार्च 1972 के दिन महाराष्ट्र के पुणे शहर के एक धार्मिक परिवार में बी के शिवानी का जन्म हुआ था। उनका फेमिली बहुत ही धार्मिक प्रवृति का  होने के कारन उन्हें अपने बचपन से ही अध्यात्मिकता पर लगाव था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपना शहर सही प्राप्त की हुई है। और पुणे यूनिवर्सिटी से अपनी कॉलेज का अभ्यास करते हुए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पदवी प्राप्त की हुई है। 

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शिवानी दीदी का परिवार –

उन्होंने एक धार्मिक परिवार में जन्म लिया था। उनके माता पिता का नाम उपलब्ध नहीं है। अगर आप को उनके माता पिता के नाम की जानकारी है। तो हमें कॉमेंट करके जरूर बताये जिससे  हम यह आर्टिकल को अपडेट करेंगे। अपनी पढाई पूर्ण करके उन्होंने 1994 की साल में दो वर्ष तक भारती विद्यापीठ इंजीनियरिंग कॉलेज में एक प्राध्यापक के रूप में काम किया था। Bk Shivani son या Bk Shivani children की कोई माहिती उपलब्ध नहीं है। मगर Bk Shivani husband की बात करेतो Vishal verma husband of Bk Shivani यानि उन्होंने विशाल वर्मा से शादी की हुई है।

शिवानी दीदी का करियर –

अपने शुरुआती करियर में शिवानी अपने पति के साथ व्यवसाय किया करते थे। एव दो साल तक ब्रह्मा कुमारी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवाये देते थे। बाद में आध्यात्मिक संस्था प्रजापति ब्रह्मा कुमारी विश्वविद्यालय के तरफ उनका झुकाव रहने लगा था। क्योकि उन्हें ब्रह्मा कुमारी विश्वविद्यालय में जाना उन्हें बहुत पसंद था। लेकिन वह ब्रह्मा कुमारी में जुड़े उससे पहले ही उनकी शादी हो चुकी थी।

लेकीन 1995 की साल में Bk Shivani brahma kumari से जुड़ चुके थे। दीदी के जरिये संचालित टीवी सीरिज अंगेजी और हिंदी भाषा में प्रसारित किये जाते है। जैसे की विजडम ऑफ़ दादी जानकी, राजयोग मेडिटेशन, इनर ब्युटी, लाइफ स्किल्स, डिप्रेसन और विजडम ऑफ़ दादी जानकी उसमे शामिल है। 

ब्रह्मा कुमारी संस्था की जानकारी –

विश्व को आध्यामिकता एव धार्मिकता से परिचित करने के लिए। दादा लेखराज कृपलानी ने ब्रह्म कुमारी नाम की संस्था को स्थापित किया था। वह बहुत बड़े बिज़नेस मेन थे। उन्हें लोग प्रजापिता ब्रह्मा के प्यारे नाम से जानते है। वह अपने बालयकाल से ही धार्मिक विचारो के दाता थे ,जिसके चलते उनका मन प्रमात्मा की और झुकने लगा था।

प्रजापिता ब्रह्मा ने 1936 की साल में मानव कल्याण के लिए यह संस्था को कलकत्ता में स्थापित किया किया था। लेकिन संस्था का मुख्यालय राजस्थान के माउन्ट आबू में उपस्थित है। पुरे विस्व में ब्रह्म कुमारी की तक़रीबन 8500 से भी अधिक शाखाये मौजूद है। वह सिर्फ़ महिलाएं संस्था का संचालित करती है। जिन्हे ब्रह्मा कुमारी और जहा पुरुष चलाते है उन्हें ब्रह्म कुमार के नाम से जानते है। 

इसके बारेमे भी पढ़िए :- अंकिता लोखंडे का जीवन परिचय

Bk Shivani Quotes in Hindi – शिवानी दीदी के अनमोल वचन

  • कोई व्यक्त्ति आपको गुस्सा दिलाता है और आप गुस्सा होते है। तो आप उस इंसान के हाथों की कठपुतली है। 
  • दीदी का मानना है की अच्छे रिश्ते उन्हें ही कहते है, की कल के झगडे की असर आज की बातचीत को नहो पाए। 
  • ज्यादातर लोग दुसरो की नक़ल ज्यादा और अपनी अकल का कम इस्तेमाल करते हुए ही दुखी होते है। 
  • दीदी के अमीर बनने के दो तरीके है, आप के पास जो है उसमे संतुष्ट रहिये या सब कुछ पाने की कोशिश करे। 
  • Bk Shivani thoughts – व्यक्त्ति का कमजोर मन हर परिस्थिति को समस्याए में बदल देता है। 
  • व्यक्ति का मन संतुलित ना हो तो परिस्थितियां चुनौतीयां बन जाती है। 
  • अगर व्यक्ति का मन मजबूत हो तो वही परिस्थितियां एक अवसर के रूप में परिवर्तित हो जाती है। 
  • दीदी आध्यात्मिकता और विज्ञान यह करते है की विश्वास नहीं आपको अनुभव करना चाहिए। 
  • सभी कहते है की गलती करना सफलता की ओर पहला कदम है। मगर ऐसा नहीं है, उस गलती को सुधार कर आगे बढ़ने से सफलता मिलती है।
  • शब्दों को कोई व्यक्त्ति नहीं छु सकता मगर शब्द सभी को छुते है, अनकही बातो के हम मालिक है और कही गई बातो के गुलाम है। 

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इसके बारेमे भी पढ़िए :- यो यो हनी सिंह जीवन परिचय

Shivani Didi की शारीरिक संरचना – (Physical Information)

Hair color  काला 
Eye color गहरा भूरा

Bk Shivani Height

163 सेंटीमीटर 
1.63  मीटर 
5 ‘ 5 ” फिट इंच 
Weight 55 किलोग्राम 

Bk Shivani Books – (शिवानी दीदी की किताबें)

  • Mera Sukh Kiske Hath – मेरा सुख किसके हाथ
  • Aseem Anand Ki Aur – असीम आनंद की ओर
  • Happiness Unlimited – हैप्पीनेस अनलिमिटेड

Awards And Nominations –

  • वीमेन ऑफ़ द डिकेड अचीवर अवार्ड
  • नारी शक्ति पुरस्कार 

Shivani Didi का आध्यात्मिक जीवन –

ज्यादातर लोग के जीवन में कोई घटना या कोई मोड़ ऐसा आता है। जिसके कारन वह सब से विचलित होकर अध्यात्म की तरफ झुकाव करने लगते है। मगर ब्रह्मा कुमारी शिवानी की कहानी में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उनके माता पिता ब्रह्माकुमारी संस्थान जुड़े हुए थे। वह कहते थे की शिवानी meditation की शिक्षा प्राप्त करे। लेकिन पहले शिवानी वर्मा को उसमे रूचि नहीं थी। पहले उनका विद्रोही स्वभाव था।

मगर स्वभाव में परिवर्तन हुआ और वह अपने आप ही परेशानियों की चिंता करने की जगह बेहद संवेदनशीला से सुलझाती थी। धीरे-धीरे शिवानी की अध्यात्म में रूचि बढ़ने लगी और 1995 में उन्होंने पूर्ण रूप से ब्रह्माकुमारी संस्थान में समर्पित हो गयी। 2007 से शुर्रू हुआ उनका अवेकनिंग विद ब्रह्माकुमारी प्रोग्राम बहुत ही लोकप्रिय है। उनके विचार लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाये है।

Shivani Didi की विदेशी यात्रा – 

सिर्फ हमारे भारत में ही नहीं बल्कि अपने आत्मिक विचारों के माध्यम से उन्होंने साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन, यूनाइटेड स्टेटस ऑफ़ अमेरिका के साथ एशिया के अन्य देशो के लोगों के मन की परेशानी, ख़राब स्वभाव, कष्ट, रूठा हुआ रिश्तो, और व्यक्तिगत सम्मान से सम्बंधित कई मुश्किलों को सुलझाने में मदद किया करते है। जिसके चलते शिवानी दीदी विस्व के तक़रीबन 20 से भी ज्यादा देशों की सफर कर चुकी है। Meditation by Bk Shivani के जरिये 2100 से ज्यादा वार्ता का प्रदर्शन हो चूका है। जिसमे टेलीविजन शो, प्रसिद्ध कार्यक्रमों, एकांत, सेमिनार, कॉर्पोरेट ट्रेनिंग, ब्लॉगस और रेडियो जैसे अलग अलग उपकरणों से अपना ज्ञान दिया है। 

इसके बारेमे भी पढ़िए :- राय लक्ष्मी का जीवन परिचय

Bk Shivani Videos in Hindi – 

Shivani Didi Biography & Lifestyle Video –

Interesting Facts – 

  • शिवानी जी ने अपने करियर की शुरुआत भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे में दो साल प्रोफ़ेसर के रूप काम किया था।
  • सोनी टीवी पर प्रसारित ब्रह्मकुमारी कार्यक्रम शिवानी जी ने शुरू किया था। 
  • शिवानी जी 2007 से टीवी पर Awakening with Brahma Kumaris कार्यक्रम के जरिये स्वयं श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर देते है। 
  • Awakening with Brahma Kumaris कार्यक्रम के 1000 से भी ज्यादा एपिसोड प्रसारित हुए है। 
  • आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बनाने के लिए  ब्रह्मकुमारी शिवानी को वीमेन ऑफ़ द डिकेड अचीवर अवार्ड मिला था। 

FAQ – 

Q .Does BK Shivani live with her husband?

A .No 

Q .Does BK Shivani has child ?

A .No 

Q .Who is Shivani Verma husband ?

A .Vishal Verma

Q .BK Shivani sister se talk kaise kar ?

A .Contact number se 

Q .BK Shivani ji ji shiv baba ka name leta h u koun h ?

A .God 

इसके बारेमे भी पढ़िए :- रवि तेजा का जीवन परिचय

Conclusion –

आपको मेरा Shivani Didi Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Bk Shivani in hindi और Om shanti Bk Shivani से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Bk Shivani wiki, Bk Shivani hindi meditation commentary या Bk Shivani lectures in hindi की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .Bk Shivani videos download कहा से करे ?

2 .Bk Shivani contact number क्या है?

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Baba Ramdev Biography in Hindi | बाबा रामदेव का जीवन परिचय

Baba Ramdev Biography in Hindi | बाबा रामदेव का जीवन परिचय

हमारे देश की जानी मानी पतंजलि आयुर्वेद के फाउंडर Baba Ramdev Biography in Hindi में आपका स्वागत है। सिर्फ भारत में ही नहीं लेकिन देश विदेश सभी जगह पर पतंजलि और योग के माध्यम से प्रसिद्ध बाबा रामदेव का जीवन परिचय देने वाले है। 

स्वामी रामदेव को सभी लोग पहचानते है। क्योकि वह हमारे भारत में सबसे स्वदेशी चीजें उपयोग करने के लिए समजाते है। उन्हें योग गुरु, आध्यात्म गुरु या नेता भी कहते है। उन्होंने आचार्य बालाकृष्णा  मिलके पतंजलि के साथ दिव्य योगा मंदिर संस्थान की स्थापना की हुई है। उस संस्था का मुख्य उद्देश्य योग  और आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करना है। आज हम Baba Ramdev Patanjali Ayurvedic, Baba Ramdev Wife और Baba Ramdev ke Upay की माहिती के साथ उनसे जुडी माहिती से ज्ञात करवाने वाले है। 

Ramdev Baba आयुर्वेद, घर्म, वेद, ग्रंथों, योग और साहित्य के साथ राजनीती के धनि ज्ञानी व्यक्तित वाले  योग गुरु है। हमारे भारत देश को विदेशी दवाओं और भ्रष्टाचार से बचने के लिए कई प्रयास किये है। उन्होंने योग एव आयुर्वेद के उपयोग करने और लोकप्रिय बढ़ाके जनता को योग का महत्व समजाने का काम किया है। वह योग गुरु के साथ एक अच्छे कथावाचक है। तो चलिए बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास के साथ Baba Ramdev Corona Kit की जानकारी बताना शुरू करते है। 

Baba Ramdev Biography in Hindi –

Real Name रामकृष्ण यादव (Baba Ramdev)
Nick name

योग गुरु, बाबा रामदेव 

Date of birth 25 दिसंबर 1965
Birth Place सैयद अलीपुर, कस्बा-नांगल चौधरी, महेन्द्रगढ़, हरियाणा
Father Name रामनिवास यादव
Mother Name गुलाबो देवी
Sister
Brother राम भारत
Marital status अविवाहित 
Wife
School  गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार
Education Qualification
Cast   यादव 
Religion   हिन्दू धर्म 
Baba Ramdev Age 65 वर्ष (2021)
Hobby  योग करना
Zodiac Sign  मकर
Net Worth   25600 करोड़ 
Professionals  योग गुरु, व्यापारी
Home town  पतंजलि योगपीठ, महर्षि दयानन्द ग्राम, दिल्ली-हरिद्वार नेशनल हाईवे, नियर , हरिद्वार, उत्तराखंड
Nationality   भारतीय 

बाबा रामदेव का जन्म और शिक्षा –

25 /12/1965 के दिन हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जिले में बाबा रामदेव का जन्म हुआ था। (बाबा रामदेव का जन्म कब हुआ था ?)बाबा रामदेव का पूरा नाम यानि उनका बचपन का नाम रामकिशन यादव था। Baba Ramdev ji के शिक्षा और अभ्यास ककी बात करे तो उन्होने शाहजपुर में 8 कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की हुई है। बस में बाबा ने योग और संस्कृत का अध्ययन करने के लिए खानपुर के एक गुरुकुल में दाखिला लिया था। बाद में उन्होंने सांसारिक जीवन को छोड़ के संन्यास ले लिया और हमारे योग गुरु बाबा रामदेव का जन्म हुआ। यानि उन्होंने संन्यास लेने के पश्यात अपना नाम बाबा रामदेव रख लिया था। 

इसके बारेमे भी पढ़िए :- अलका याज्ञिक का जीवन परिचय

बाबा रामदेव का परिवार –

Baba Ramdev Family की बात बताये तो उनका परिवार खेती करके अपना गुजारा किया करता था। Baba Ramdev mother का नाम गुलाबो देवी है। और उनके पिताजी का नाम रामनिवास यादव है। बाबा का एक भाई भी है, जिसका नाम राम भारत है। वह पतंजलि आयुर्वेद का रोजमर्रा का काम देखते है। जब बाबा ढाई साल की उम्र के थे ,तब ही उन्हें शरीर के एक हिस्से को लकवा लगा था। अपने परिवार की परिस्थिति ठीक नहीं होने के कारन उन्होंने आयुर्वेद एव हररोज योगा करने से ठीक हो गये थे। वह चमत्कार होने के कारन बाबा का मन बचपन से ही योगा से जुड़ चूका था।

बाबा रामदेव की शारीरिक संरचना –

Hair color काला 
Eye color भूरा
Height
173 सेंटीमीटर 
1.73 मीटर 
5′ 8 ” फिट इंच 
Weight 65 किलोग्राम 
Body Measurements
Chest 38 इंच
Wast – 30 इंच
Biceps 11 इंच

Baba Ramdev Social Media –

Social Media Media Followers 
Twitter 2.4M Followers
Email Id  No
Instagram 1.3m Followers
Website No
Facebook 1.1 Crore Followers
Youtube  No
Linkedin No
Whatsapp Number No

इसके बारेमे भी पढ़िए :- अविका गौर का जीवन परिचय

Baba Ramdev Instagram –

 
 
 
 
 
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बाबा रामदेव शुरूआती जीवन –

संन्यास लेने के बाद बाबा ने हरियाणा राज्य के ग्रामीण लोगो को मुफ्त में योग का शिक्षण देना शुरू किया था। उनका शुरुआती जीवन बहुत ही कठिनाईओ से भरा व्यतीत हुआ था। बाबा स्वामी दयानंद सरस्वती से बहुत प्रभावित हुए थे। क्योकि वह भी समाज सेवक और धार्मिक व्यक्ति थे। उन्होंमे अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुलो को पसंद किया था। बाबा की मुलाकात आचार्य बालकृष्ण के साथ हुई थी। आचार्य से मिलने के पश्यात बाबा का किस्मत बदल गया था। रामदेव बाबा पतंजलि दवा पुरे देश में प्रसिद्ध है। 

दिव्य योग्यपीठ ट्रस्ट –

आचार्य से मिलने के बाद 1995 की साल में दिव्य योग्य मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की थी। यह प्रोग्राम आस्था चैनल पर सुबह 5 बजे प्रदर्शित किया जाता है। उनके प्रोग्राम को देश विदेश के लोग घर बैठे योग करते है। उस संस्था का मुख्य ऑफिस हरिद्वार के कृपालु बाग आश्रम में उपस्थित है। Baba Ramdev Ashram में ज्यादातर Baba Ramdev ka Yog की शिक्षा यही आश्रम में देते है। बाबा और आचार्य के अनेक प्रयत्नों के कारन भारत नहीं लेकिन पुरे विस्व में योग प्रचलित हुए है।

उन्होंने 21 जून को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस के नाम से मनाने की शुरुआत करवाई है। दुनिया के कई प्रसिद्ध लोग बाबा के योग प्रोग्राम से जुड़े हुए है। उन्होंने शिल्पा शेट्टी और अमिताभ बच्चन जैसे कई बड़े कलाकारों को योग की शिक्षा दी हुई है। उन्होंने हिन्दुओ के साथ मुस्लिम मौलवियों को भी योग की शिक्षा दी हुई है। अपनी योग विद्या का ज्ञान उन्होंने ब्रिटेन, जापान और अमेरिका जैसे बड़े देशो के लोगो को भी दी हुई है।

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पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद –

1990 में आचार्य बालकृष्ण से बाबा रामदेव मिले थे। बालकृष्ण के साथ मिलके पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना वर्ष 2006 में की थी। पतंजलि योगपीठ में आयुर्वेद और योगा का ज्ञान साथ में दिया जाता है। उनके हमारे भारत में दो संस्थान मौजूद है। पतंजलि योगपीठ 1 एव पतंजलि योगपीठ 2 उनकी शुरुआत भारत के साथ साथ नेपाल, मौरिशिश, यूके, कैनेडा और अमेरिका में भी शुरू की गयी है। वर्तमान समय में कंपनी का टर्नओवर करोड़ो रूपये का हो चूका है। और आज उनकी कंपनी ने दैनिक जीवन के उपयोग की प्रत्येक वस्तु का उत्पादन शुरू करदिया है। Baba Ramdev yoga classes & Baba Ramdev lifestyle बहुत ही लाजवाब है। 

जिसमे सौन्दर्य प्रसादन आचार, पापड़, मुरब्बा, चोकलेट, पेस्ट, शैम्पू, राशन, बिस्किट जैसे कई प्रोडक्ट मौजूद है। आचार्य और बाबा का मानना है। की हमारे भारत का पैसा देश में ही रहना चाहिए। पतंजलि का शॉप हर शहर एव गालियो में मौजूद है। और लाखो लोगो को रोजीरोटी कमाने में सहाय करता है। बाबा ने पतंजलि चिकत्सालय की भी शुरुआत की हुई है। और यहाँ के वैद्य पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाई देके इलाज को ठीक करते है। वर्तमान चलती कोरोना महामारी में Baba Ramdev Corona दवाई भी बनाई है। 

बाबा रामदेव राजनितिक –

2010 की साल में बाबा ने राजनीती में कदम रखते हुए भारत स्वाभिमान नाम  की एक राजकीय पार्टी का गठन किया था। वह चुनाव में हिस्सा लेना चाहते थे। लेकिन राजनीती में उन्हें दिलचस्पी नहीं थी। इसी लिए उन्होंने राजकरण के लिए 2014 में वह नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री कैम्पेन को समर्थन किया था। वर्ष 2011 में देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे। उनकी मांग को पूरी करने लिए सरकार ने एक कमिटी बनाई जो भ्रष्टाचार को रोक सके। उस समय में बाबा पर कई आरोप लगे थे। जिसमे पतंजलि प्रोडक्ट में मिलावट और आचार्य बालकृष्ण पर नकली पासपोर्ट का आरोप लगा था। 

बाबा रामदेव की उपलब्धियां और सम्मान –

  • रामदेव जी को महाराष्ट्र सरकार के राज्यपाल के. शंकरनारायण ने ‘ चंद्रशेखरानंद सरस्वती अवार्ड ‘ दिया था। 
  • स्वामी रामदेव जी को भारत सरकार ने  ” पद्म विभूषण ” से सम्मानित किया था। 
  • योगगुरु बाबा रामदेव जी को ग्राफिक एरा विश्वविध्यालय ने ऑनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि दी हुई है। 
  • भारत के मुख्य अखबारों ने दो वर्षो तक देश के 50 सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में बाबा का नाम शामिल किया। 
  • रामदेव जी को बेरहामपुर विश्वविध्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि से सन्मानित किया है।  
  • डी.वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी और एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा ने बाबा रामदेव जी को 2020 में डी. एससी ऑनर्स की उपाधि प्रदान की हुई है। 

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टीवी पर बाबा रामदेव के योग कार्यक्रम –

योग और व्यापार से पूरे विश्व में पतंजलि का प्रचार प्रसार करते हुए बाबा ने अपना खुद का टीवी चैनल शुरू किया है। आध्यात्म पर निर्भर यह चैनल का नाम वैदिक रखा गया है। बाबा रामदेव के कार्यक्रम धार्मिक टीवी चैनल आस्था, ज़ी नेटवर्क, इंडिया टीवी और सहारा वन पर प्रसारित किये जाते है। बाबा टीवी चैनल जरिये नियमित रूप से हमारे देश एव विदेशों में भी योग शिबीर का आयोजन करते है। 2002 की साल में बाबा रामदेव ने संसार टीवी पर अपने पेट को घुमाने वाले व्ययाम से पुरे भारत में प्रसिद्धि प्राप्त की थी।

पतंजलि आयुर्वेद भारत देश का मुख्य दस विज्ञापनदाताओं में शामिल है। उनके विज्ञापन करते हुए बाबा रामदेव का चेहरा सभी का पहचान वाला बन गया है। उनके टीवी चैनल से लोगो ने योग सीखना शुरू किया था। यह योग अभ्यास एक बहुत बड़ी क्रान्ति साबित हुई है। वर्तमान समय में बहुत ही लोकप्रिय होने के साथ अनुयायीयों की संख्या करोडो की हो चुकी है। 

योग गुरु बाबा रामदेव के अनमोल विचार –

  • अच्छा स्वस्थ हर मानव का जन्म सिद्ध अधिकार है। 
  • मानव के मन के दुखो को योग समाप्त करता है। 
  • योग मनुष्य के मन के उतार-चढ़ाव की स्थिरता कहा जाता है। 
  • चित्त की वृत्तियों का रोक योग है। 
  • योग मनुष्य के मन को शान्त करने का एक अभ्यास है।
  • योग मनुष्य के मन के भ्रमो का ध एन्ड है। 

बाबा रामदेव के विवाद –

  • बाबा ने बिना परमिशन लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन किया। उसी कारन स्थानीय पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने गयी थी। 
  • 2013 की साल में बाबा को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर कोई वजह से 8 घंटे तक हिरासत में लिया था।
  • आमिर खान की फिल्म पीके को हिंदू धर्म की छवि ख़राब करने वाली बता कर  रोक लगाने के लिए आग्रह किया। 
  • 2006 की साल में बाबा ने एड्स को रोकने के लिए एक निवेदन दिया था। 
  • 2016 के दिसंबर में पतंजलि कम्पनी को गलत नामकरण 11 लाख का जुर्माना लगाया था

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Baba Ramdev Biography in Hindi | Success Story of Patanjali –

Baba Ramdev Biography in Hindi

Interesting Facts

  • संसार त्याग काने के पश्यात बाबा ने रामकृष्ण यादव से अपना नाम बाबा रामदेव रख लिया था। 
  • Baba Ramdev Yoga के साथ हिन्दू वेदों-शास्त्रों के बहुत अच्छे जानकार हैं। 
  • रामदेव जी ने हरिद्वार में अलग-अलग गुरुओं से अभ्यास किया है। 
  • बाबा रामदेव को बचपन में लकवा लगा था। लेकिन योग और आयुर्वेद से उन्हें ठीक हुआ था। 
  • उत्तराखंड के हरिद्धार में 2006 की साल में बाबा ने पतंजली योगपीठ की स्थापना की थी। 
  • पतंजलि योगपीठ योग एव आयुर्वेद में विश्व का सबसे बड़ा केन्द्र है।
  • बाबा रामदेव कोई भी अनाज नहीं खाते है। 
  • Baba Ramdev Net Worth 25600 करोड़ है। 
  • रामदेव जी सिर्फ गाय का दूध, उबली हुई सब्जियां और  फल का भोजन करते है। 
  •  पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में बाबा की कोई हिस्सेदारी नहीं है। 
  • पतंजलि आयुर्वेद उनके दाहिने हाथ जामाने ने वाले आचार्य बालकृष्ण का 94 % हिस्सा है। 
  • बाबा स्वदेशी उत्पादों के स्वीकार करने को कहते है। 
  • रामदेव जी ने वर्तमान समय में भी 90 के दशक का स्कूटर संभाल रखा है। 
  • क्योकि वह उस स्कूटर पर बैठकर वो दवाइयां बेचते थे।

FAQ –

1 .पतंजलि का मालिक कौन है ?

बाबा रामदेव & आचार्य बालाकृष्ण

2 .रामदेव बाबा की कोरोना की दवा बाजार में आई कि नही ?

हा 

3 .बाबा रामदेव ने कोरोना की दवाई बनाई ?

हा 

4 .बाबा रामदेव के 2012 में आंदोलन का कारण क्या था ?

देश में भ्रस्टाचार को रोकने 

5 .Baba Ramdev’s Namaj padhati ?

 नहीं 

6 .बाबा रामदेव के पिता का नाम ?

रामनिवास यादव

7 .बाबा रामदेव की उम्र कितनी है ?

65 वर्ष (2021)

इसके बारेमे भी पढ़िए :- सुशील कुमार (पहलवान) का जीवन परिचय

Conclusion –

आपको मेरा Baba Ramdev Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Ramdev Baba College Nagpur और Patanjali Baba Ramdev से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Baba Ramdev News, Baba Ramdev Contact Number या Baba Ramdev Diet Plan Weight Loss in Hindi की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .पतंजलि का असली मालिक कौन है ?

2 .पतंजलि की शुरुआत कैसे हुई ?

3 .बाबा रामदेव जी की वंशावली ?

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Acharya Balkrishna Biography In Hindi - आचार्य बालकृष्ण का जीवनपरिचय

Acharya Balkrishna Biography In Hindi – आचार्य बालकृष्ण का जीवनपरिचय

आर्युवेद की सहायता के माध्यम से आयुर्वेद पद्दति को प्रसिद्ध करने का कार्य करने वाले Acharya Balkrishna Biography In Hindi बताएँगे। श्री रामदेव के साथ मिलके पतंजलि की स्थापना करने वाले आचार्य बालकृष्ण का जीवनपरिचय बताने वाले है। 

उन्होंने आयुर्वेद पद्दति को प्रसिद्ध करने के साथ साथ वह बेहतर अच्छे लेखक है। और Acharya Balkrishna Books भी लिखते है। आर्युवेद के प्रचार के साथ साथ आचार्य लोगो को योगके प्रति जाग्रत करते है। और Acharya Balkrishna ji ke Gharelu Nuskhe से लोगो को बहुत लाभ मिलता है। योग गुरु बाबा रामदेव से मिलकर आचार्य ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में 97 % के मालिकी के साथ फ़ोर्ब्स पत्रिका में स्थान प्राप्त करलिया है। अगर आपको भी Acharya Balkrishna ke Nuskhe in Hindi पढ़ना है। तो आप भी पढ़ सकते है। 

वैसे तो बालकृष्ण जी सभी पहचानते है। क्योकि वह जानेमाने योग गुरु है। जींद हरियाणा के गुरु पीठ और बलदेवजी महाराज के पास से अपना शिक्षण लेने वाले आचार्य बालकृष्ण भारत के महान मार्गदर्शक और प्रसिद्ध विद्वानो में से एक है। उनके नेतृत्व में आयुर्वेद उपचार ने बहुत ही उचाइओ को छुआ है। बाबा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के एक डॉक्टर की तरह मन जाता है। उन्होंने अपने जीवन को आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवन के महत्व को समझने में अर्पित करदिया है। उनके अनुसंधान, लेखन और शिक्षा ने मानव जीवन को योग और आयुर्वेद का महत्व समझाया है। तो चलिए Acharya Balkrishna ji Maharaj की विशेष जानकारी बताते है। 

Acharya Balkrishna Biography In Hindi –

Original name बालकृष्ण सुवेदी
Nick name आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna)
Date of birth 4 अगस्त 1972
Birth place हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत
Father Name जय बल्लभ
Mother Name श्रीमती सुमित्रा देवी
School कालवा गुरुकुल, हरियाणा
Religion हिन्दू
Marital status  अविवाहित

Language knowledge 

संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी
Acharya Balkrishna Age 49 वर्ष
Present position  पतंजलि सीईओ 
Popularity  वर्तमान ऋषि, स्वदेशी के समर्थक, आयुर्वेद आचार्य, पंतजलि सीईओ।
Wife  अविवाहित (योगी एव सन्यासी)
Property  25600 करोड़
Hometown  हरिद्वार, भारत
Business  पतंजली आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक और प्राथमिक हितधारक एव  
Natives नेपाल देश (नेपाली)
Nationality   भारतीय

आचार्य बालकृष्ण का जन्म और शिक्षा – 

4 अगस्त 1972 के दिन भारत की पवित्र भूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में आचार्य बालकृष्ण का जन्म हुआ था। उनके पिताजी जय बल्लभ और माता सुमित्रा देवी मूल नेपाल देश के निवासी है। लेकिन वह हरिद्वार में काम करते थे। तब बालकृष्ण का जन्म हुआ था। Acharya Balkrishna Education की बात करे तो 1988 की साल में कलवा गुरुकुल हरियाणा में दाखिला लिया था। उन्होंने स्वामी रामदेव से प्रभावित हो करके बहुत ही कम समय में बंधन विकसित कर दिया था। पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तरकी पदवी प्राप्त करके औषधीय मूल्य और पौधों का अध्ययन करने हेतु भारत की यात्रा की हुई है। उन्होंने दिव्य योग मदिर और पतंजलि योगपीठ की स्थापना करके भारत की आध्यात्मिक परंपरा को बरक़रार रखा है। 

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आचार्य बालकृष्ण की बायोग्राफी – Acharya Balkrishna Biography In Hindi

गुरुकुल परंपरा में प्रशिक्षित हुए आचार्य बालकृष्णजी महाराज एक महान कार्य करने वाले बहुमुखी प्रतिभा हासिल करने वाले व्यक्ति है। ऐसे देखे तो बहु आयामी कौशल, मेहनती, ऊर्जावान, महान दूरदर्शी और उच्च तपस्वी साधारण व्यक्ति हैं।  उन्होंने अपनी सारी जिंदगी मानव जाति के लिए समर्पित करदी है। वर्तमान समय में उन्हें पूरी दुनिया को आयुर्वेद के नक्शे पर चलता करदिया है। क्योकि आचार्य बालकृष्ण जी ने अपनी देखभाल में पांच हज़ार पतंजली क्लीनिक और आरोग्य केंद्र चलाया करते है। अब तक वह हजार से भी ज्यादा वैद्य को शिक्षित कर चुके है। वह अंतर्राष्ट्रीय एव राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है। बाबा वैदिक संस्कृति, उपनिषद, भारतीय दर्शन, वेद, साहित्य, चिकित्सा और योग जैसे कई विषयो में माहिर है। 

आचार्य बालकृष्ण की शारीरिक संरचना –

Height
173 सेंटीमीटर 
1.73 मीटर 
5’ 8” फीट इन्च 
Weight 75 किलो ग्राम 
Hair color काला
Eye color काला

पतंजलि आयुर्वेद – Patanjali Ayurved

2006 की साल में Baba Ramdev And Acharya Balkrishna की हिस्सेदारी में आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की हुई है। बालकृष्ण जी की उसमे 97% भागीदारी है। यह   फोर्ब्स पत्रिका ने सूची मे उनको स्थान दिया था। वह संस्था से कोई मुनाफा नहीं लेते है। क्योकि उनका कहना है। की सभी पैसा लोगो का है। और वह पैसे जनता की भलाई के लिए उपयोग किया जायेगा। वह पतंजलि आयुर्वेद के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रचार प्रसार किया करते हैं। पतंजलि योगपीठ तक़रीबन 5000 पतंंजलि क्लीनिक को हेंडल करती है। उसके बालकृष्ण महासचिव के साथ साथ पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति है। 

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आचार्य बालकृष्ण के ग्रन्थ – Acharya Balkrishna Biography In Hindi

  1. आयुर्वेद महोदधि
  2. आयुर्वेद सिद्धान्त और रहस्य
  3. भोजन और कौतुहलम्
  4. आयुर्वेद जड़ी-बूटी का रहस्य
  5. विचार क्रांति (नेपाली पुस्तक)
  6. अजीर्णामृत मंजरी

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बाल कृष्ण की शोध का प्रकाशन –

अपने जीवन का अमूल्य समय निकाल कर आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक दवाओं के प्रति व्यक्तिओ को जागृत करने किया। उसके साथ साथ अपने मेडिसिन एव आयुर्वेद के लिए अपने लेखकों के साथ मिलके तक़रीबन 41 से शोध पत्र लिखे है। वह सभी के लिए अध्ययन करके प्रयोगशालाओं में उसका परीक्षण किया है। उससे Acharya Balkrishna Tips लोगो को बहुत उपयोगी साबित हुई है। वह कार्य करके Acharya Balkrishna Medicine के लिए बहुत योगदान किया है। 

पतंजलि में बाल कृष्ण के पद – Leadership Skills of Acharya Balkrishna

पद  संस्था 
महासचिव पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट 
कुलपति पतंजलि विश्वविद्यालय 
महासचिव  पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन
प्रबंध निदेशक पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क 
महासचिव पतंजलि ग्रामोध्योग ट्रस्ट 
प्रबंध निदेशक  वैदिक ब्रॉड कास्टिंग लिमिटेड
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  पतंजलि आयुर्वेद, हरिद्वार
प्रबंध निदेशक  पतंजलि बायो अनुसंधान संस्थान
मुख्य संपादक योग संदेश

भारतीय इतिहास और पर्यटक स्थान की सम्पूर्ण जानकारी के लिए – आग्रा किले का इतिहास हिंदी में जानकारी

आचार्य बालकृष्ण की उपलब्धियां और सम्मान –

  • योग और आयुर्वेद क्षेत्र में आचार्य बालकृष्ण के योगदान के लिए प्रमाण पत्र, ढाल, प्रशंसापत्र और कई सन्मान दिए गए है।
  • पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने 23 अक्टूबर 2004 के दिन एक योग शिविर के दौरान राष्ट्रपति भवन में सम्मान दिया था। 
  • 2007 की साल में कैबिनेट मंत्रि, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में जड़ी बूटी के छिपे ज्ञान, संस्कृति और आयुर्वेद के क्षेत्र में योगदान के लिए सन्मान दिया। 
  • श्री वीरंजनया फाउंडेशन 2012 की साल में पौधों और योग के क्षेत्र में योगदान हेतु सुजाना पुरस्कार दिया था। 

आचार्य बालकृष्ण के विवाद –

  • बालकृष्ण के खिलाफ कई विवाद उठे है। उसमे मुख्य  उनके भारतीय नागरिकता और शैक्षणिक प्रमाणपत्रों  शामिल है। 
  • 2011 की साल में सीबीआई ने बालकृष्ण को धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए केश दर्ज हुआ था।
  • उसमे उनके पासपोर्ट फर्जी होने के लिए हुआ लेकिन उनके लिए कोई साबुत नहीं मिला था। 
  • प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉंडरिंग के आरोप के लिए मामला दर्ज हुआ लेकिन उसका भी कोई साबुत नहीं मिला था।
  • उन पर लगे सभी विवाद और मामलो से उन्हे बरी करदिया गया है। 

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Acharya Balkrishna Biography In Hindi – बालकृष्ण वीडियो

Acharya Balkrishna Interesting Facts –

  • उन्होंने दस साल पहले पतंजलि की शुरुआत की थी। 
  • आचार्य बालकृष्ण पतंजलि के 97%  मालिक हैं। 
  • पतंजलि संस्था से वह से एक भी रुपए मुआवजा नहीं लेते हैं। 
  • आचार्य सुबह 7 से रात 10 बजे यानि 15 घंटे काम करते हैं। 
  • बालकृष्ण एप्पल का आईफोन युस करते है। 
  • हमेशा  बालकृष्ण बात करने के लिए शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते हैं। 
  • उन्हें प्रिंट आउट पढ़ना पसंद करते हैं। 
  • आचार्य बालकृष्ण सफेद रंग की धोती और कुर्ता पहनते है। 
  • बालकृष्ण के पास 10 साल पहले कुछ भी नहीं था। 
  • योग संदेश मैगजीन के बालकृष्ण एडिटर इन चीफ हैं।
  • Acharya Balkrishna Net Worth in Rupees $5.3 billion है। 
  • बालकृष्ण के जन्मदिन 4 अगस्त को जड़ी बूटी दिवस के नाम से मानते है। 

आचार्य बालकृष्ण के प्रश्न – Acharya Balkrishna Biography In Hindi

1 .Present Health Condition of dr Balkrishna Acharya Patanjali Haridwar ?

Healthy

2 .Acharya Balkrishna weight in kg ?

75 किलो ग्राम 

3 .क्या आचार्य बालकृष्ण जी शादीशुदा हैं ?

नहीं अविवाहित 

4 .बालकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने को तैयार हुए ?

ना 

5 .आचार्य बालकृष्ण के पिताजी का नाम क्या है। 

जय बल्लभ

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Conclusion –

आपको मेरा Acharya Balkrishna Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Acharya Balkrishna ji Medicine in Hindi और Acharya Balkrishna Health Tips से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Acharya Balkrishna Net Worth 2020, Acharya Balkrishna News या आचार्य बालकृष्ण का मोबाइल नंबर की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .आचार्य बालकृष्ण जी के आयुर्वेदिक नुस्खे बताये ?

2 .आचार्य बालकृष्ण की दवाइयां कहा मिलती है ?

3 .Acharya Balkrishna ji kab call par bat karte he ?

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Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi - सद्गुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी

Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi – सद्गुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी

सद्गुरु जग्गी वासुदेव से नाम से विश्व प्रसिद्ध योगी Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi बताने वाले है। Isha Foundation एव ईशा योग के संस्थापक विश्व के प्रसिद्ध कवी सद्गुरु जग्गी वासुदेव जीवन परिचय प्रस्तुत करते है। 

उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य लोगों की आध्यात्मिकता को प्रकट करने के लिए लगादी है। उन्होंने कई योग केंद्र की स्थापना करवाई है। भारत के अलावा उन्होंने अमेरिका में भी योग केंद्र स्थापित किये है। आज हम Sadhguru Jaggi Vasudev Controversy, Sadhguru Jaggi Vasudev Videos Youtube और Sadhguru Jaggi Vasudev Tamil Books Free Download कैसे करते है उसकी सम्पूर्ण माहिती देने वाले है। 

हस्राब्दी विश्व शांति सम्मेलन में अमेरिका ने विश्व आर्थिक मंच में 2006 और 2007 में में हिस्सा लिया था। जग्गी वासुदेव सभी लोग सद्गुरु के नाम से जाना करते है। उन्हें प्रकृति के साथ बहुत ही प्यार है। उन्होंने कई दिन रात जंगल में व्यतीत किये थे। Jaggi Vasudev अपने बालयकाल से ही जिज्ञासु, सक्रिय और एक बुद्धिमान बालक हुआ करते है। युवा होते ही उन्होंने पास के जंगल में सांपों को देखने के लिए घंटों बिताता था। तो चलिए Sadhguru Quotes और Sadhguru Jaggi Vasudev Speech की बाते बताते है। 

Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi –

नाम  सद्गुरु जग्गी वासुदेव
उपनाम   सद्गुरु
जन्म  3 सितम्बर 1957
जन्म स्थान  मैसूर, कर्नाटक, भारत
पिता डॉ वासुदेव (ओप्थाल्मोलॉजिस्ट)
माता सुशीला वासुदेव
भाई  1
बहन  2
पत्नी  विजयकुमारी 
विवाह तिथि 1984 (महाशिवरात्री के दिन)
Sadhguru Daughter Age 64 साल 
बेटी राधे जग्गी
जमाई  संदीप नारायण
स्कूल Demonstration स्कूल, मैसूर
कॉलेज  मैसूर विश्वविद्यालय
शैक्षणिक योग्यता अंग्रेजी साहित्य में स्नातक
धर्म  हिंदू
गृहनगर  कर्नाटक, भारत
राशि कन्या
संस्था  ईशा फाउंडेशन
पता ईशा फाउंडेशन 15, गोविंदासामी नायडू लेआउट, सिंगनल्लूर, कोयंबटूर – 641005, भारत
पुरस्कार और उपलब्धि  पद्म विभूषण, इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार
वेबसाइट  isha.sadhguru.org
व्यवसाय  भारतीय योगी और रहस्यवादी
राष्ट्रीयता  भारतीय

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म और शिक्षा –

3 सितंबर 1957 के दिन सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्‍म कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था। माता सुशीला वासुदेव और पिता वासुदेव के लाड़प्यार में बड़े हुए सद्गुरुजी सभी बालको से अलग हुआ करते थे। क्योकि उन्हें बचपन से ही कुदरत की प्रकृति से बहुत लगाव था। वह अपने शुरुआती दिनों में ही जंगल में चले जाते थे। वह जंगल में पेड़ पर बेठ के हवाओं आनंद लिया करते थे। और वह करके ध्‍यान में मग्न होजाते थे।

Sadguru अपनी जोली में सांपों को रखते थे। वह सांप पकड़ने में माहिर थे। उन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र में ही योग का अभ्यास करना शुरू करदिया था। अपने योग के गुरु मल्‍लाडिहल्‍लि स्वामी जिनका मूल नाम श्री राघवेन्द्र राव के पास से योग की शिक्षा प्राप्त की हुई है। उन्होंने  प्रायमरी शिक्षा Demonstration स्कूल, मैसूर से की हुई है। और बाद में मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की पदवी प्राप्त की हुई है। 

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सद्गुरु जग्गी वासुदेव का परिवार –

Sadhguru जग्गी वासुदेव के फेमिली की जानकारी बताये तो उनके पिताजी का नाम डॉ वासुदेव था। वह पेशे से एक डॉक्टर थे। वह ऐसा चाहते थे की उनके बच्चे भी डॉक्टर बने। लेकिन उनके सभी बच्चे ने अलग ही रस्ते ले लिए थे। उनकी माता का नाम सुशीला वासुदेव है। वह अपने घर का काम संभाला करती थी। उनके परिवार में उनके 2 भाई और एक बहन थी। उसमे गुरूजी सबसे छोटे थे। सद्गुरु जग्गी वासुदेव का विवाह (Sadhguru Jaggi Vasudev Wife) विजया कुमारी जी से हुआ है। जिसके चलते उन्हें एक बेटी को जन्म दिया था। उसका नाम Radhe Jaggi है।

उन्होंने अपनी बेटी की शादी संदीप नारायण (Sadhguru Daughter Husband) जो कर्नाटक शास्त्रीय गायक है। उनके साथ हुई है। उनकी पत्नी विजया कुमारी ने महासमाधि लेने का फैसला लिया था। और जब उनसे पूछा गया कि वह दुनिया को क्यों छोड़ना चाहती थीं ? तो जग्गी ने कहा की कि वह बहुत खूबसूरती से दुनिया छोड़ना चाहती है। महासमाधि के लिए उन्होंने अभ्यास किया था। क्योकि शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना ही छोड़ा जाये। 23 जनवरी 1997 के दिन विजयकुमारी ने महासमाधि लेली थी। तब उनकी उम्र सिर्फ 33 साल थी। 

भारतीय इतिहास और पर्यटक स्थान की सम्पूर्ण जानकारी के लिए – नीलकंठ मंदिर पोइचा धाम

सद्गुरु जग्गी वासुदेव की शारीरिक संरचना –

ऊंचाई 
5’ 8” फीट इन्च
1.72 मीटर 
172 सेंटीमीटर 
वजन  अंदाजित 70 कि० ग्रा०
बालों का रंग ग्रे
आँखों का रंग  काला

सद्गुरु जग्गी वासुदेव आध्यात्मिक जीवन –

25 साल की उम्र में ही सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने चामुंडी पहाड़ी पर चढ़के बैठ गए थे। और वह आध्यात्मिक अनुभव की अनुभूति होने लगी थी। उसके बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय को छोड़ दिया और विश्व की यात्रा करने के लिए निकल पड़े थे। 1 साल तक भ्रमण करने के बाद Sadhguru Jaggi Vasudev Teachings की सोच आयी और उन्होंने आंतरिक अनुभव को जाग्रत करने के लिए योगा सिखाने का फैसला लिया था।

मैसूर शहर में अपने सात सहयोगियों से मिलके 1983 की साल में उन्होंने पहली योगा क्लास की शुरुआत करदी थी। ध्यानलिंग में उपचारात्मक शक्तियां होने के कारन उस थान पर अपार उर्जा आया करती है। ऐसा कहते है की वहा बैठकर लोग बहुत ज्यादा वक्त तक ध्यानकेंद्र में रहते थे। उस के सफल शुरुआत से हैदराबाद एव कर्नाटक में भी योगा क्लास की शुरुआत करदी थी। उनकी क्लास पोल्ट्री फार्म पर आधारित थी उन्होंने लोगो से फीस के पैसे लेना ना कह दिया था । 

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ईशा योग केंद्र की स्थापना –

1992 में सद्गुरु जग्गी वासुदेव और उनके अनुयायियों ने Isha Yoga Center और आश्रम की स्थापना की थी। वह जगह कोयंबटूर के पूंडी में वेल्लिंगिरी के पर्वतीय पहाडियों पर निर्माण किया गया है। ईशा फाउंडेशन लगभग 150 एकड़ जमीन में विस्तार में स्थापित हुआ है। उसके अंदर 13 फीट ऊँचे विशाल ध्यानलिंग बना हुआ है। आश्रम परिसर में धार्मिक मंदिर का निर्माण करवाया गया है। उसका निर्माण कार्य 1999 की साल में पूर्ण किया गया था।

उसका निर्माण लोगो के आंतरिक विकास के लिए किया गया है। वह स्थान ज्ञान, कर्म, क्रिया और भक्ति के लिए बनाया है। साधगुरू जग्गी वासुदेव अपनी जुबा से कहते है। की विस्व में उनके 25 योग सेंटर मौजूद है। उसमे ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, मलेशिया, यूगांडा, लेबनान, सिंगापुर, कनाडा, चाइना, यूनाइटेड स्टेट और यूनाइटेड किंगडम  समावेश होता है। और उसका प्रयोग सामुदायिक विकसित और सामाजिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। 

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनमोल विचार –

  • Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi 
  • आध्यात्मिकता का अर्थ विकास की क्रिया को सफलता दिलाना है। 
  • अवसाद, कुंठा और निराशा का अर्थ है कि इंसान खुद अपने खिलाफ कार्य करता है। 
  • कोई भी अविश्वसनीय काम हम आसानी से कर सकते हैं। लेकिन कार्य को करने के लिए रूचि होना जरुरी है। 
  • व्यक्ति का मन पूर्ण रूप से स्थिर होता है। तब बुद्धि मानवीय सीमाओं को पार कर लेती है। 
  • जिम्मेदारी का अर्थ है। आने वाली किसी भी परिस्थिति का सामना करने सक्षम होना।
  • कोई काम तनावपूर्ण नहीं होता है। भावना, शरीर और मन का प्रबन्धन ना कर पाने से तनावपूर्ण बनाता है।
  • हमारे मन को केवल कुछ चीजें याद रहती हैं। लेकिन शरीर को सबकुछ याद रहता है।
  • ज्यादातर मनुष्य पिंजरे में कैद चिड़िया के जैसा है की दरवाजा टूटा हुआ हो फिरभी निकलते नहीं है। 

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का व्यवसाय –

  • अपना अभ्यास पूर्ण करके अपने करियर की व्यवसाईक रूप से बनाने के लिए पोल्ट्री फार्म और ईंटों बनाने का व्यवसाय शुरू किया था।उसमे उन्होंने बहुत सफलता प्राप्त करली थी।  
  • 23 सितंबर 1982 के दिन के एक आध्यात्मिक अनुभव ने उनकी जिँदगी में बहुत बड़ा बदलाव कर दिया था।
  • उन्होंने चामुंडा पहाड़ियों पर बैठने के पश्यात उनका मन आध्यात्मिकता की और साढ़े चार घंटे लगा था। 
  • उस अनुभव ने उन्हें ऐसा लगा की उन्हें योग विज्ञान का ज्ञान फैलाना और योग सिखाना चाहिए। 
  • 1983 में मैसूर में योग शिखना शुरू किया था। और बाद में कर्नाटक और हैदराबाद में योग शिक्षा देना शुरू किया था।
  • उसकी फ़ीस वह नहीं लेते थे। क्योकि पोल्ट्री फार्म से मिलते पैसे से उनका खर्चों निकल जाता था। 
  • 1992 की साल में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की वह स्थान वहा योग कार्यक्रमो को प्रस्तुत करता है।
  • ईशा फाउंडेशन ने 2003 में ग्रामीण गरीबों के जीवन के गुणवत्ता और समग्र स्वास्थ्य सुधार लाने के लिए कार्यक्रम Action for Rural Rejuvenation की स्थापना की थी।
  • 2004 की साल में तमिलनाडु में राज्य में वन को विस्तृत करने के लिए पूरे तमिलनाडु में 114 मिलियन पेड़ लगाए थे। 
  • 2017 की साल में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बनाये 112 फुट आदियोगी शिव प्रतिमा का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया था।
  • जग्गी ने Rally for Rivers अभियान से नदिओं में पानी की कमी और नदियों के प्रदूषण की समस्याओं को हल किया था। 

Sadhguru Jaggi Vasudev Awards –

  • Sadhguru Jaggi Vasudev Biography में आपको बतादे की भारत सरकार ने जून 2010 की साल में गुरु के ग्रीन हैण्ड प्रोजेक्ट (PGH) के लिए इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार दिया था। 
  • पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में 2012 की साल में गुरूजी के सहयोग के लिए द इंडियन एक्स्प्रेस ने गुरूजी को 100 सबसे शक्तिशाली भारतीयों की लिस्ट में उन्हें नामित किया था। 
  • आध्यात्मिकता में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के योगदान के लिए गुरु को 2017 की साल में भारत सरकार ने पद्म विभूषण पुरस्कार दिया था। 

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Sadhguru Jaggi Vasudev Social Media –

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Sadhguru Jaggi Vasudev Net worth –

योग शिविर, ध्यानलिंग योग मंदिर, ईशा योग केंद्र, ईशा फाउंडेशन, पोल्ट्री फार्म और ईंट निर्माण व्यवसाय से सद्गुरु बाबा रामदेव के बाद सद्गुरु जग्गी वासुदेव का नाम लिया जाता है। भारतीय गुरु सद्गुरु की कुल संपत्ति लगभग 250 करोड़ है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव विवादों –

  • अक्टूबर 1997 में उनकी पत्नी की मौत के बाद बैंगलोर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की उन्होंने  पत्नी पर दहेज के लिए आरोप लगा था।
  • उसके चलते तमिल मीडिया ने सद्गुरु का विरोध और रोष प्रदर्शन किया था। 
  • तमिलनाडु जिला अदालत में उन पर आरोप लगा कि उनके ईशा योग केंद्र, कोयंबटूर में दो वयस्क महिलाओं को बंदी बनाया है।
  • पर्यावरणविदों और राजनीतिक नेताओं ने दावा किया कि ईशा योग केंद्र वन भूमि पर उपस्थित है। 

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Sadhguru Jaggi Vasudev Biography Video –

Sadhguru Jaggi Vasudev Interesting Facts –

  • अपने कॉलेजकाल के दिनों में गुरु को मोटरसाइकिल पर यात्रा करना सबसे ज्यादा पसंद था। 
  • गुरु के शौक एव अभिरुचि में उन्हें क्रिकेट खेलना, वॉलीबॉल खेलना,गोल्फ खेलना, होप्सकॉच करना,  बिलियर्ड्स खेलना, फ्रिसबी और ट्रेकिंग करना बहुत पसंद है। 
  • सद्गुरु जग्गी वासुदेव योग कक्षाओं से मिले धन को स्थानीय दान के लिए दे देते है।
  • जग्गी वासुदेव के योग कार्यक्रम को इनर इंजीनियरिंग में नामित किया है। वह लोगों के ध्यान, ईशा क्रिया, चित शक्ति, शम्भवी महामुद्रा और प्राणायाम को निर्देशित करता है।
  • Sadhguru Jaggi Vasudev Books की बात करे तो आठ अलग-अलग भाषा में 100 से भी ज्यादा पुस्तक लिख चुके हैं।
  • सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक प्रतिभाशाली कवि हैं। वह अपने ख़ाली वक्त में कविताएँ लिखते हैं।
  • उन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर से 30 किमी दूर 23 जून 1999 के दिन एक योग मंदिर “ध्यानलिंगा” की स्थापना की है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के कुछ प्रश्न –

1 .ईशा फाउंडेशन के संस्थापक कौन हैं ?

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव है। 

2 .सद्गुरु की पत्नी कौन थी ?

सद्गुरु जग्गी वासुदेव  का नाम विजयकुमारी था। 

3 .सद्गुरु एक दिन में क्या खाते हैं ?

50% प्राकृतिक भोजन और 50% पका हुआ भोजन करते है। 

4 .सद्गुरु कितने घंटे सोते हैं ?

वह 24 घंटे भी सो सकते है ऐसा कहते है। 

5 .सद्गुरु की बेटी का नाम क्या है ?

सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बेटी का नाम राधे जग्गी है। 

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Conclusion –

आपको मेरा Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Sadhguru Jaggi Vasudev Youtube और Sadhguru Exclusive से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Sadhguru Jaggi Vasudev Fake या Sadhguru Jaggi Vasudev Quotes in Tamil की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .  Www Sadhguru Jaggi Vasudev क्या है ?

2 .Jagadguru Kripaluji Maharaj Was Killed by Sadhguru Jaggi Vasudev ?

3 .Sadhguru Wife First Marriage कब हुई थी ?

4 .सद्गुरु जग्गी वासुदेव हिन्दी आलेख क्या है ?

5 .सबसे पहले सद्गुरु जग्गी वासुदेव ध्यानलिंग कहा हुए थे ?

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Jaya kishori image

Jaya Kishori Biography In Hindi – जया किशोरी की जीवनी

अपनी मधुर वाणी से भजन और कथा सुना के भक्तो के दिलो पे राज करती Jaya Kishori Biography In Hindi में आपको बतादे की एक साधारण स्त्री ने अपने कथाकारी से भारत देश के सभी राज्यों में अपनी नामना बनाई हुई है।  

आज की पोस्ट में आपको हम jaya kishori marriage कब करने वाले है ? jaya kishori net worth की जानकारी बताने वाले है। jaya kishori bhajan गाने के साथ साथ कथाकार भी है। जया किशोरी का ओरिजनल नाम जया शर्मा है उनके माता पिता को अपनी बच्ची पर बहुत गर्व है। एक साधारण लाइफ स्टाइल जीने वाली यह किशोरी से भक्तो को बहुत कुछ सिखने को मिला हैं।

अगर आप इस महान बालिका के बारे में जानना चाहते है तो आपको हमारा यह आर्टिकल पूरी तरह से पढ़ना पड़ेगा उनके रुला देने वाला भजन ,उनकी कथाकारी से जो बोध पढ़ मिलता है इससे उन्होंने भारत के सभी राज्यों में अपनी बहुत नामना की हुई है। उनका जया शर्मा से महान कथाकार बनने की सम्पूर्ण सफर का हम लेखा आपको बताने वाले है।

नाम जया किशोरी
ऑरिजनल नाम जया शर्मा
जन्म 13 जुलाई 1996
जन्म स्थान सुजानगड, राजस्थान भारत
उम्र 25 वर्ष (2021 के मुताबिक)
पिता का नाम शिव शंकर शर्मा (पूज्य राधे श्याम जी हरितपाल)
माता का नाम पूज्य गीता देवी हरितपाल
बहन चेतना शर्मा
स्कूल महादेवी बिरला सेकंडरी हाईस्कूल
कॉलेज भवानीपुर गुजराती सोसायटी कॉलेज
शिक्षा बी.कॉम
गृहनगर कोलकाता , भारत
पेशा कथाकर
राट्रीयता भारतीय

Jaya Kishori Biography In Hindi –

भारत के राजस्थान राज्य के सुजानगढ़ गाँव जया किशोरी का जन्म हुआ था । वह सिर्फ छ साल की उम्र की हुआ करती थी तब से ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना किया करती थी उस समय से ही भगवन कृष्णा को अपना सबकुछ मान लिया था। जया किशोरी जी की वाणी सुनके भक्त बहुत आनंद लिया करते है। वह दिल की बहुत साफ़ इंसान है उन्हें नन्हे नन्हे बच्चे बहुत पसंद है।

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Jaya Kishori Birth And Education-

जया किशोरी का जन्म और शिक्षा की जानकारी बताये तो धार्मिक विचारो वाले यह लड़की का जन्म 13 जुलाई 1996 के दिन भारत राजस्थान राज्य के सुजानगड में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढाई महादेवी बिरला सेकंडरी हाईस्कूल से प्राप्त की हुई है। और उनकी कॉलेज की शिक्षा भवानीपुर गुजराती सोसायटी कॉलेज से पूर्ण हुई है उन्होंने अपने कथावाचन और धार्मिक कार्यो से समय निकाल  के बी.कॉम तक का अभयास पूर्ण किया है। उन्हें पढ़ने में भी बहुत रूचि दिखाई देती है। उन्होंने अपने अच्छे कार्यो के लिए अपनी शिक्षा नहीं छोड़ी और पढ़ना चालू रखा है। jaya kishori ki shadi अभी नहीं हुई है।

जया किशोरी का परिवार –

Jaya Kishori Family में उनके पिता जी का नाम शिव शंकर शर्मा (पूज्य राधे श्याम जी हरितपाल) है माँ का नाम पूज्य गीता देवी हरितपाल है उनको अपनी बेटी के अच्छे कार्यो पर बहुत गर्व है। उनकी इक नन्ही बहन भी है जिसका नाम चेतना शर्मा है। वह ऐसा कहते है।

अपने दादा दादी और नाना-नानी के आशीर्वाद से पुरे भारत देश में भगवान की आस्था के विचार लोगोंतक पहुंचाया करते है वह इक गौड़ ब्राह्मण परिवार से बिलोंग किया करती है। और अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान है।

jaya kishori husband की बात बताई जाये तो उनका विवाह अभी नहीं हुई है। वर्तमान समय 2021 की साल में jaya kishori age 25 वर्ष है।

भजन और कथा की शुरुआत –

उनका मन सिर्फ और सिर्फ 6 वर्ष की आयु से ही कृष्ण भगवान की भक्ति में लग चूका था अपने शुरुआती जीवन से ही जन्माष्टमी पर की जाने वाली पूजा करने लगी थी। जया की छोटी उम्र में ही भगवान से सबसे ज्यादा लगाव हो चूका था और श्रीकृष्ण को ही सब कुछ मानने लगी थी। मित्र माने या भाई सब कृष्णा को ही मानने वाली यह लड़की के विचार बहुत अच्छे थे दस साल की आयु में ही सुंदरकांड का गान किया था इतनी खूबसूरती से गान किया था की देखकर लाखों लोगों के अपने और खींचने में सफल हुई थी।

जया किशोरी अपना समय भगवान की कथा और भजन सुनने में व्यतीत किया करती थी बाद मेर अपने मधुर वाणी से भजन गाया करती है और कथा का वाचन किया करती है। उन्होंने सिर्फ नौ साल की उम्र में ही शिव पंचाक्षर स्त्रोत्त,लिंगाष्टकम,मधुराष्टकम,रामाष्टकम और शिव-तांडव स्त्रोत्त गाके लोगो को मंत्र मुक्ध कर दिये थे वह अपने मुक्ख से कथा और भजन सुना के सभी लोगो को आनंद विभोर कर दिया करती है। जैसे स्वामी विवेकानंद भारत के संत हुए ऐसे ही जयाकिशोरी के विचार भी उन्ही से बहुत मिलते जुलते और नेक एव अच्छे है।

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जया किशोरी जी शादी की अफवाह –

सोसियल मिडिया पर तोड़े वक्त पहले ऐसी एक अफवाह का फैली थी। जया किशोर जी ने अपनी शादी की तैयारी की है लेकिन यह सच नहीं है। इसी अफवाह थी की कैलिफोर्निया के एक ब्राह्मण लड़के से उनकी शादी होने जा रही है इक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था की शादी के लिए अभी बहुत वक्त है अभी में शादी नही कर रही हु। वह यह नहीं चाहती है की शादी करके वे कथा करना छोड़े भक्तिमय माहौल मे जन्मी यह बालिका शादी करके भी भजन और कथा करना नहीं छोड़ेगी।

पसंद –

जया किशोर के पसंद की बात करे तो उनको किताबें पढ़ना ,पेड़ पौधे लगाना,योग करना,खाटू श्याम निशान यात्रा पर जाना जैसे काम करना बहुत पसंद है। उन्हें थिएटर की जगह घर में मूवी देखना बहुत पसंद है मगर जया को सिर्फ समझ देने वाली फिल्में ही देखना पसंद है।

वह हमेशा अच्छे संस्कार और भगवान की फिल्में देखा करते है। भगवान की कथा  करना और भजन गाना बहुत पसंद है। उनका पसंदीदा त्यौहार होली है। खाने की बात करे तो उनको साधारण खाना ही पसंद है लेकिन उसके अलावा उन्हे मोहन मास,मावा कचोरी,चूरमा और दाल बाटी पसंद है।

जया किशोरी का दान पुर्ण्य –

कथावाचन और भजन गायन के अलावा जया किशोरी कई सामाजिक कार्य में भी शामिल हुआ करती हैं। अपने कथा पाठ से जो भी रुपये मिला करते है उनसे वह राजस्थान के उदयपुर की नारायण सेवा ट्रस्ट संस्था में दान किया करती है उस नारायण सेवा ट्रस्ट अनाथ और अक्षम बच्चों को इलाज  और पढ़ने में मदद का कार्य किया करती है।

अपनी आय में से वह सेवा और समाज के कल्याण हेतु काम करते है। यह काम पुरे मानव समाज के लिए सिखने के योग्य काम है चाहे कितने भी पैसे कमालो लूकिं उन्हें समाज की सेवा में देना एक उचित मार्ग है।

 किशोरी जी के विचार –

  • अनुभव एक कठोर शिक्षक है क्योंकि वो परीक्षा पहले लेता है और पाठ बाद में सिखाता है।
  • जीतने वाला ही नहीं बल्कि कहां पर हारना है, ये जानने वाला भी महान होता है।
  • मुसीबतों से भागना, नयी मुसीबतों को निमंत्रण देने के समान है।
  • महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है।
  • ऐसी कोई मंजिल नहीं है जहाँ पहुँचने का कोई रास्ता न हो

जया किशोरी जी के विचार बहुत नेक है वह अपने कथा वाचन में धार्मिक विचारो वाली बाते बताया करते है। उनके video में अक्सर अपने विचार प्रचार किया करते है। jaya kishori hanuman chalisa बहुत अच्छी तरह से सुनते है। अगर आपको उनके भजन सुनने है तो आपको जया किशोरी bhajan youtube लिख कर के सर्च करना पड़ेगा। यह सर्च करते ही आपको उनके भजन और कथा के विडिओ दिखाई देंगे।

आपको अगर उनके भजन या विडिओ download करना हो तो इसी यूटुब चैनल से कर सकते है। उनके धार्मिक विचारो वाले वीडियो देख के कई लोगो को अपने जीवन जीने की नयी रह मिली है इतने उम्दा विचारो वाली साध्वी है। लोग उनकी radhe krishna ringtone by jaya kishori को बहुत पसंद करते है। अपने अच्छे विचारो से वह भगवान का नाम पुरे देश कथा और भजन के जरिये पहुंचाते है।

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Jaya Kishori Instagram –

Instagram – https://www.instagram.com/iamjayakishori/?hl=en

  • iamjayakishori
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  • फोल्लोविंग – 27
  • Jaya Sharma
  • Motivational Speaker

Jaya Kishori Social Media Profile –

Facebook – https://www.facebook.com/iamjayakishori/

Email Id – Not Available

WhatsApp Number – Not Available

Official Website – Not Available

Twitter – https://twitter.com/iamjayakishori?

Jaya Kishori Life Style Video –

जया किशोरी के रोचक तथ्य –

  • इस बालिका ने अपनी मधुर और मीठी वाणी से बहुत सारे भजन गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध किया है।
  • जया किशोरी जी को भारतीय छात्र संसद ने  ‘आदर्श युवा आध्यात्मिक गुरु पुरुष्कार’ दिया हुआ था यह अवार्ड डॉक्टर मोहन भागवत जो आरएसएस के प्रमुख है उन्होंने दिया था।
  • भगवान खाटूश्यामजी में जया किशोरी जी को बहुत ज्यादा विश्वास है। इसी वजह से हर साल राजस्थान में अपने पूरे फेमिली के साथ खाटूश्यामजी के मंदिर दर्शन के लिए जरूर जाती है।
  • कथावाचक तथा भजन गायिका जया किशोरी बेहद कम आयु में अपनी मधुर वाणी से भारत के करोड़ों लोगों को प्रभावित किया हैं।
  • बेहद सादा जीवन जीने में भरोसा करती जया किशोरी जी कहती हैं कि वर्तमान में तकनीक के चलते बच्चों का जीवन लैपटॉप और मोबाइल तक ही सिमित हो गया है।

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Questions –

1 .जया किशोरी जी के पति का क्या नाम है?

इस बालिका ने अभीतक शादी नहीं की है वह आज भी सिंगल लाइफ व्यतीत कर रहे है।

2 .जया किशोरी को क्या पसंद है?

किताबें पढ़ना ,पेड़ पौधे लगाना,योग करना,खाटू श्याम निशान यात्रा पर जाना बहुत पसंद है।

3 .जया किशोरी कौन है ?

भारत के राजस्थान राज्य के सुजानगढ़ गाँव में जन्मी यह बालिका एक कथाकार और भजनीक है।

4 .जया किशोरी जी की शादी कहां हुई ?

उन्हों ने अभी तक विवाह नहीं किया है।

5 .जया किशोरी जी के पिता का नाम क्या है ?

पूज्य राधे श्याम जी हरितपाल (शिव शंकर शर्मा) जयाकिशोरी के पिताजी है।

निष्कर्ष –

हमारी यह पोस्ट  Jaya Kishori Biography Hindi  आपको बहुत पसंद आई होगी। इस पोस्ट में मैंने आपको  जया किशोर जी का परिचय की सम्पूर्ण  माहिती देने की कोशिश की है लेकिन यदि हमारी पोस्ट से संबंधित आपका कोई भी प्रश्न हो, तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में वह प्रश्न पूछ सकते हैं, इसके साथ-साथ हमारी पोस्ट यदि आपको अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करके कमेंट सेक्शन में जरूर बता सकते है ।

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