Amitabh Bachchan Biography In Hindi – अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Amitabh Bachchan Biography In Hindi में भारत के सबसे बड़े सुपर स्टार अमिताभ बच्चन का परिचय की कहानी बताने वाले है। 

वह ऐसे हिन्दी फिल्मों के अभिनेता जिन्होंने है , चार दशकों से ज्यादा का वक्त बिता चुके ‘एंग्री यंग मैन’ की उपाधि प्राप्त है। वे हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली अभिनेता हैं। उन्हें लोग ‘सदी के महानायक’ के तौर पर भी जानते हैं और प्‍यार से बिग बी, शहंशाह भी कहते हैं। आज amitabh bachchan wife , jaya bachchan और उनके पुत्र abhishek bachchan से जुडी कई रोचक जानकारी से ज्ञात करवाने वाले है। 

सदी के इस महानायक ने भी राजनीति में अपनी किस्‍मत आजमायी थी वे राजीव गांधी के करीबी दोस्‍त थे इसलिये उन्‍होंने कांग्रस पार्टी जॉइन की थी और इलाहाबाद से देश आठवें आम चुनाव में ताकतवर नेता एच एन बहुगुणा को हराया था। लेकिन उन्‍हें यह राजनीति का संसार बहुत भाया और bachchan ने मात्र तीन साल में इससे अलविदा ले लिया। अमिताभ बच्चन की जीवनी में आज उनसे जुडी सभी जानकारी बताने वाले है तो चलिए शुरू करते है। 

Amitabh Bachchan Biography In Hindi – 

नाम 

 अमिताभ बच्चन 

जन्म

 11 अक्टूबर 1942 प्रयागराज

पिता

 हरिवंश राय बच्चन

माता

  तेजी बच्चन

 

शिक्षा

 किरोड़ीमल कॉलेज

व्यवसाय

 फिल्म अभिनेता, राजनीतिज्ञ, फ़िल्म निर्माता,   गायक, टेलीविज़न अभिनेता

कुल मूल्य

 500,000,000 अमेरिकी डॉलर

ऊंचाई

 1.88 मान

भार

 1.88 मान

धार्मिक मान्यता

 हिन्दू धर्म

जीवनसाथी

 जया बच्चन

बच्चे

 अभिषेक बच्चन, श्वेता बच्चन नंदा

नागरिकता

 भारत

आवास

 मुम्बई

 

पुरस्कार

पद्म भूषण, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हेतु राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ़ द इयर, पद्म विभूषण, कला में पद्मश्री श्री दादा साहेब फाल्के पुरस्का

अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय –

वह अपने आप मे एक ऐसी शख्सियत है, जो भारत के साथ देश-विदेशों मे भी प्रसिद्ध है, हर वर्ग का आदमी चाहे बच्चा हो या बुढा सभी इनको बेहद पसंद करते है। इनके अनगिनत चाहने वाले है, इनकी अदा, इनकी आवाज, इनकी एक्टिंग का हर कोई दीवाना है. यही नहीं इनका व्यवहार जो हर किसी से एक सा है। 

अपने फैन्स के लिये हर रविवार समय निकाल कर उन सभी से मिलने अपने घर के बाहर आते है , इनको बॉलीवुड का किंग या शहंशाह तथा महानायक जैसी कई उपाधियां दी गई है इंग्लिश के साथ इनकी हिन्दी भी बहुत अच्छी है हम यदि यह कहे कि यह बॉलीवुड का अहम हिस्सा है या इनसे बॉलीवुड शुरू होता है, तो भी अतिशियोक्ति नही होगी।

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अमिताभ बच्चन का जन्म – Birth of Amitabh Bachchan

अमिताभ बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था। amitabh bachchan father का नाम हरिवंश राय बच्चन था। इनके पिता harivansh rai bachchan एक बहुत बड़े और प्रसिद्ध कवि थे। हरिवंशराय बच्चन की पहली पत्नी श्यामा बच्चन थी, जिनकी टी.बी नाम की गंभीर बीमारी से मौत हो गई थी. इनकी दूसरी शादी तेजी सूरी नाम की एक लड़की से हुई जोकि, एक पंजाबी महिला थी। 

अमिताभ बच्चन का परिवार – (Amitabh Bachchan Family)

बच्चन परिवार के दो बेटे है अमिताभ और अजिताभ अमिताभ को इनके दादाजी प्रतापनारायण श्रीवास्तव का अवतार माना जाता है इनकी माता एक घरेलू महिला थी। इनके चेहरे के तेज इनके हाव-भाव को देख कर इनके पिता ने इनका जन्म का नाम इंकलाब रखा था, इंकलाब का मतलब ही क्रांति होता है। amitabh bachchan real name अमिताभ हरिवंश बच्चन है। 

बाद मे amitabh के पिता की साथी कवियित्री सुमित्रानंदन पंथ ने अपनी पसंद का नाम दिया तथा इनको अमिताभ नाम मिला. इसके अलावा इनसे छोटे इनके एक भाई है जिसका नाम अजिताभ बच्चन है. इनका सही मायने मे सरनेम श्रीवास्तव था इनके पिता ने इसको बदल कर बच्चन किया। amitabh bachchan age 79 साल है फिरभी अमिताभ बच्चन लाइफस्टाइल बहुत अच्छी है। 

अमिताभ बच्चन शिक्षा – 

अभिनेता बच्चन के पिता ने इंग्लिश से एम.ए किया हुआ था जिनके कारन उनके घर में बालयकाल से अभ्यास पर विशेष ध्यान दिया जाता था , जब की बालक अमिताभ भी पढ़ाई मे उतनी ही ज्यादा रूचि रखते थे वह बहुत ही होशियार हुआ करते थे उन्होंने अपनी शुरुआती पढाई ज्ञान प्रबोधिनी, बॉयस हाई स्कूल इलाहाबाद से पूर्ण करके उसके पश्यात शेरवुड कॉलेज, नैनीताल से हाईस्कूल से अपनी पढाई की और किरोड़ीमल कॉलेज,दिल्ली से उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस एंड आर्टस की पदवी प्राप्त की हुई है। 

अमिताभ बच्चन के पारिवारिक जानकारी –

सन्‌ 1942 की जिन सर्दियों में अमिताभ बच्चन का जन्म हुआ, बच्चन दंपति इलाहाबाद में बैंक रोड पर मकान नंबर 9 में रहता था। कविवर सुमित्रानंदन पंत भी सर्दियों में अलमोड़ा छोड़कर इलाहाबाद आ जाते थे। वे बच्चनजी के घर के निकट रहते थे। नर्सिंग होम में पंतजी ने नवजात शिशु की तरफ इशारा करते हुए कवि बच्चन से कहा था, देखो तो कितना शांत दिखाई दे रहा है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ।

तभी बच्चन दंपति ने अपने पुत्र का नाम अमिताभ रख दिया था। तब बच्चनजी के एक प्राध्यापक मित्र अमरनाथ झा ने सुझाव दिया था कि भारत छोड़ो आंदोलन कीपृष्ठभूमि में जन्मे बालक का नाम ‘इंकलाब राय’ रखना बेहतर होगा, इससे परिवार के नामकरण शैली की परंपरा भी कायम रहेगी। झा ने इसी तरह बच्चनजी के दूसरे पुत्र अजिताभ का नाम देश की आजादी के वर्ष 1947 को देखते हुए आजाद राय रखने का सुझाव दिया था।

लेकिन पंतजी ने कहा था, ‘अमिताभ के भाई का नाम तो अजिताभ ही हो सकता है।’ कालांतर में माता-पिता के लिए अमिताभ सिर्फ ‘अमित’ रह गया और उनकी माता उन्हें मुन्ना कहकर पुकारती थीं। तेजीजी की बहन गोविंद ने अजिताभ का घरेलू नाम ‘बंटी’ रखा।

ढाई साल की उम्र में अमिताभ लाहौर रेलवे स्टेशन पर अपने माता-पिता से बिछड़कर ओवरब्रिज पर पहुँच गए थे, जब वे अपने नाना के घर मीरपुर जा रहे थे। बच्चन दंपति ने पहली बार अपने बेटे को सीख दी थी कि माता-पिता को बताए बगैर बच्चों को कहीं नहीं जाना चाहिए। इस बिछोह के समय तेजी टिकट लेने गई थीं और अमित पिता का हाथ छूट जाने से भीड़ में खो गए थे।

मीरपुर में अपने नाना खजानसिंह के लंबे केश देखकर अमित को पहली बार आश्चर्य हुआ था कि ये औरतों जैसे लंबे बाल क्यों रखते हैं। लेकिन तेजी ने अपने बच्चों को सिख बनाए रखने की कोई चेष्टा नहीं की। श्रीवास्तव परंपरा के अनुसार अमित का चौल-कर्म (मुंडन संस्कार) विंध्य पर्वत पर देवी की प्रतिमा के आगे बकरे की बलि के साथ होना चाहिए था, मगर बच्चनजी ने ऐसा कुछ नहीं किया।

दुर्योग देखिए कि बालक अमित के मुंडन के दिन ही एक सांड उनके द्वार पर आया और अमित को पटकनी देकर चला गया। अमित रोया नहीं, जबकि उसके सिर में गहरा जख्म हुआ था और कुछ टाँके भी लगे थे। वे इतना जरूर कहते हैं कि यह भिड़ंत उनकी उस सहन शक्ति का ‘ट्रायल रन’ थी, जिसे उन्होंने अपनी आगे की जिंदगी में विकसित किया।

उन्हीं दिनों इलाहाबाद में न्यायाधीशों और प्राध्यापकों की पत्नियों ने ऑल इंडिया वीमॅन्स कॉन्फ्रेंस नामक संस्था की स्थापना की थी। शुरू में तेजी इस संस्था की साधारण सदस्य थीं, लेकिन आगे चलकर इसकी सेक्रेटरी बनीं। यह संस्था गायन-वादन और नाटकों का आयोजन करती थी। तेजी, लाहौर के फतेचंद कॉलेज में भी नाटकों में सक्रिय भाग लेती थीं। इसी संस्था द्वारा मंचित ‘अनारकली’ नाटक में तेजी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

जिससे वे शहर में चर्चित हो गई थीं। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था। कवि बच्चन ने अपनी पत्नी को नेताजी ब्रिगेड में भी शामिल कराया, क्योंकि वे स्वयं भी महू और सागर में फौजी प्रशिक्षण लेकर शिक्षक होने के साथ-साथ सेकंड लेफ्टिनेंट और फिर पूरे लेफ्टिनेंट बनकर कंधे पर दो सितारे लगाने के हकदार हो चुके थे।

एक बार नेताजी ब्रिगेड की परेड नेहरू घराने के पुश्तैनी मकान ‘आनंद भवन’ में हुई और इसी मौके पर तेजी बच्चन और इंदिरा नेहरू की पहली भेंट हुई। इसके बाद भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने, जो ‘मधुशाला’ के कवि बच्चन की मित्र थीं, बच्चन दंपति को बाकायदा नेहरू परिवार से परिचित कराया था। तब इंदिराजी का फिरोज गाँधी से विवाह नहीं हुआ था।

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अमिताभ बच्चन की सक्षिप्त जानकारी –

amitabh bachchan birthday के वर्ष 1947 में समय घर पर आए सुमित्रानंदन पंत से अमिताभ ने कौतूहलवश पूछा था, ‘आप कौन हैं’, तब युवा कवि पंत ने उत्तर दिया था, ‘मैं ही लक्ष्मण हूँ और शत्रुघ्न भी।’ साथ ही तेजी से कहा था,’तुम्हारा बालक तो बड़ा सुंदर है।’ तब हरिवंशराय बोले थे, ‘इसके सीधे हाथ में ज्यादा ताकत है।’ पंतजी ने कहा था, ‘लेखनी सीधे हाथ में ही रखनी चाहिए। सरस्वती का आशीर्वाद दाएँ हाथ को प्राप्त है।

जाहिर है, तब इस तरह की बातें अमिताभ को समझ में नहीं आती थीं। उन्हीं दिनों देश आजाद हुआ और बच्चन परिवार अडेल्फी के मकानमें रहने लगा था। बाद में वे क्लाइव रोड पर 17 नंबर के मकान में चले गए। यह एक महलनुमा मकान था। इसी मकान में रहते हुए अमिताभ ने पड़ोसी लड़के नरेश और शशि को अपना दोस्त बनाया।

अमिताभ बच्चन की पढाई के वक्त –

यहीं जाम (अमरूद) के पेड़ पर चढ़ने से अमिताभ जीवन में एक बार फिर धराशायी हुए। अमित को सिखाया गया कि जैसे खेलने के लिए एक निश्चित वक्त होता है, उसी तरह पढ़ने के लिए भी होता है।यहीं रानी के बाग में प्रवेश पाने की खातिर अमित ने घर में से चार आने की चोरी की थी, क्योंकि लालची दरबान ने अमित को झाँसा दिया था कि चार आने लेकर आओ, तो अंदर जाने देंगे।

उस दरबान ने अमित से पैसे छीनकर भगा दिया था। बाद में चोरी भी पकड़ी गई थी और पिता ने अमित को समझाया था कि दुनिया में चोर को कोई पसंद नहीं करता। जहाँ तक राजबाड़े में रहने वाली रहस्यमयी स्त्री का सवाल है, बेतिया की उस रानी को अभी तक किसी ने नहीं देखा है। इसी घर में रहते हुए अमिताभ को सेंट मैरीज स्कूल के लड़कियों के लिए। 

सुरक्षित हो जाने से बॉयज हाईस्कूल में भर्ती किया गया था। बॉयज हाईस्कूल की दीवारों पर अमिताभ ने पेंसिल से लकीरें खींच दी थीं और प्रिंसीपाल रिचॅर्ड डूट ने उनकी हथेलियों पर बेंतें रसीद की थीं। घबराया बच्चा जब घर गया, तो हरिवंशराय उसे ताबड़तोड़ साइकल पर बैठाकर स्कूल ले गए और सीधे प्रिंसीपाल के कक्ष में पहुँचकर उन्हें खरी-खोटी सुनाई। बाद में बच्चे से कहा था कि गलती तुम्हारी थी।

तुम्हें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरे तुम्हें दंड दें और मुझे उनसे लड़ने को जाना पड़े। कवि बच्चन ने तब प्रिंसीपाल से कहा था, ‘इस सजा से बच्चे के मन पर जो दाग पड़ गया है, वह कभी नहीं मिटेगा।’ क्लाइव रोड के इसी मकान में तेजी बच्चन ने सुंदर-सा बाग लगाया था और अमिताभ को अपने इस बाग पर गर्व था। उस समय इलाहाबाद के अल्बर्ट पार्क में हर वर्ष फ्लॉवर शो होता था। 

जहाँ तेजी भी अपने गमले प्रदर्शित करती थीं। वे अक्सर पुरस्कृत होती थीं। अमिताभ भी अपनी स्कूल मेंस्पोर्ट्स में फर्स्ट आते थे। पिताजी कहते थे- प्रेम से, मन लगाकर किए गए काम में सफलता और प्रशंसा अवश्य मिलती है। इसी मकान में अमिताभ ने अपने जीवन के पहले सुपरमैन को देखा। उनका नाम था सुशील बोस। अमिताभ उनके बारे में अपने दोस्तों से बात करते हुए कहते थे। 

अमिताभ बच्चन की समूर्ण जानकारी –

अच्छे से अच्छा पहलवान भी इस लंबे-चौड़े आदमी को देखकर घबरा जाए। पास में खड़े हो जाओ तो लगेगा बाजू में पहाड़ है। बोस अंकल के सामने तो मैं भी लिलिपुट (एक बौना पात्र) हूँ। इस बीच बंटी बड़ा हो गया और भैया के साथ स्कूल जाने लगा था। उसे साथ में स्कूल ले जाने के लिए बच्चनजी ने अमिताभ को एक साइकल खरीद दी थी। साइकल के डंडे पर बैठकर अजिताभ रोता था,

खास करके ठंड के दिनों में। तब अमित पिता के साथ कवि सम्मेलनों में जाने की जिद भी किया करता था। वह उनकी कविता की पुस्तकें पढ़ता था और कभी-कभी गला खोलकर कविता पाठ भी करने लगा था। बच्चनजी ने महसूस किया था कि लड़के का गला सुरीला है। अमिताभ जब साढ़े नौ वर्ष के थे, तब कवि बच्चन अँगरेज कवि डब्ल्यू.बी. यीट्स पर डॉक्टरेट करने के लिए इंग्लैंड चले गए, यह कहकर कि अब घर की जिम्मेदारी तुम पर है।

हरिवंशराय 12 अप्रैल 1952 को बंबई से लंदन के लिए उड़े थे। अमिताभ ने उनसे कहा था कि लंदन से मेरे लिए एक बंदूक लाना। बंदूक का नाम सुनकर कवि बच्चन दचका खा गए थे। उन्होंने पूछा, ‘बंदूक क्यों अमिताभ ने कहा था, ‘पक्षी मारने के लिए डैड। मेरी दोस्त शशि के पास एक बंदूक है। वह कभी-कभी मुझे भी चलाने को देती है।’ तब बच्चनजी ने मुस्कुराते हुए कहा था। उसे बंदूक नहीं मुन्ना, एयरगन कहते हैं।

उसमें कारतूस की जगह छर्रे लगते हैं, जिसका आघात पक्षी सह नहीं पाते।’ भूल सुधार के बाद अमित ने फिर पूछा था, ‘लाओगेना।’ बच्चनजी ने कहा था, ‘मगर तू पक्षी क्यों मारेगा, उन्होंने तेरा क्या बिगाड़ा है अमित ने कहा, ‘नहीं मारूँगा, मैं उन्हें पालूँगा।’ बच्चनजी ने कहा, तू उन्हें पालेगा भी क्यों, वे तो आकाश के राजा हैं। उनको पिंजरे में बंद करना भी अच्छी बात नहीं।

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अमिताभ बच्चन सामाजिक कार्यों में आगे –

पिंजरे में बंद पक्षियोंकी आँखों में जरा झाँककर तो देखो, वे रोते हुए से दिखते हैं।’ अमिताभ इस युक्तिवाद से जरा विचलित हो गए थे। लंदन से घर लौटे पिता ने अमित को एयरगन और अजिताभ को चाबी से चलने वाली पाँच डिब्बों की रेलगाड़ी दी। अजिताभ को पत्रों को संभालकर रखने के लिए यह आकस्मिक पुरस्कार दिया गया।

इसके बाद माँ ने पिता के समक्ष आर्थिक परेशानियों का दुःखड़ा रोया। दूसरे दिन पिता अपनी जेब में बची सिल्लक लेकर बाजार गए और संताप से ग्रस्त लौटे। वे अपनी गरीबी को कोस रहे थे। उस दिन अमिताभ अपनी एयरगन लेकर घर के बरामदे में बैठे सोच रहे थे, ‘पहली गोली किसे मारूँ।

इसलिए उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि पगार अच्छी मिलेगी। नेहरूजी के स्वर में अनुरोध भी था। अगले महीने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री डॉ. केसकर इलाहाबाद आए। वे आकाशवाणी के लिए प्रोड्यूसर ढूँढने में लगे थे। उन्होंने डॉ. बच्चन से भी बातचीत की और सितंबर 1954 में आकाशवाणी की साढ़े सात सौ रुपए की नौकरी का नियुक्ति पत्र उन्हें मिला।

अमिताभ बच्चन शुरुआती सफर –

नौकरी सिर्फ एक वर्ष के लिए थी, लेकिन बच्चनजी ने विद्यापीठ के उपेक्षा भरे वातावरण से छुटकारा पाने के इस अवसर का उपयोग किया। इसके अलावा उन्हें यह विश्वास भी था कि एक वर्ष के अंदर नेहरूजी उन्हें अपने पास बुला लेंगे। डॉ. बच्चन जब दिल्ली जाकर नेहरूजी से मिले तो उन्होंने समझाया कि आकाशवाणी की साढ़े सात सौ रुपए की नौकरी करने से उन्हें विदेश मंत्रालय के अधिकारी के रूप में हजार रुपए की

इन दिनों अमिताभ में एक अजीब-सी भावुकता आ गई- इलाहाबाद छूट जाएगा। माँ के साथ बाजार-हाट जाना। पिता के साथ गंगा तीरे। रानी का बाग। सब-कुछ। नई जगह पर होस्टल और स्कूल में छोटे भाई की देखरेख। उन्होंने ना-नुकुर की तो माँ ने कहा, ‘दुनिया बहुत बड़ी है। इतनी बड़ी दुनिया में कई आश्चर्य यहाँ-वहाँ बिखरे पड़े हैं।

दुनिया को समझने का द्वार अध्ययन ही है। अच्छे स्कूल में पढ़ने का मौका हर किसी को नहीं मिलता। शेरवुड में जाकर पढ़ने से तुम्हारा फायदा होगा।’ अमिताभ को लगा कि माँ भी अब पिताजी जैसा बोलने लगी हैं। अगले कुछ महीनों में तेज गति से बहुत कुछ बदल गया। इलाहाबाद से अमिताभ का संबंध टूट गया। वे छोटे भाई के कंधे पर हाथ रखकर नैनीताल के शेरवुड स्कूल जा पहुँचे।

विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिली है। पगार एक हजार रुपए महीना होगी।’ तेजी बच्चन की ज्योतिष में गहरी आस्था थी। उन्होंने नौकरी जॉइन करने का शुभ दिन भी निकलवा लिया था। डॉ. बच्चन को इंदौर से सीधे दिल्ली जाना पड़ा था और 27 दिसंबर को विदेश मंत्रालय में काम संभालने के लिए वे पहुँचे थे। यह उनका अड़तालीसवाँ जन्म दिवस था।

अमिताभ बच्चन का करियर –

अगले साल पूरे बच्चन परिवार ने भारी मन से इलाहाबाद छोड़ दिया। उन्हें दिल्ली के मोतीबाग में फ्लैट मिला था। दिल्ली पहुँचे तो मालूम पड़ा कि साउथ ब्लॉक के निकट साउथ एवेन्यू में भी एक फ्लैट अलॉट हो गया है।सबकी राय हुई कि साउथ एवेन्यू ज्यादा अच्छी और सुविधाजनक जगह रहेगी। यहाँ अपना पड़ाव डालकर डॉ. बच्चन ने नेहरूजी को सूचित किया और मिलने की अनुमति माँगी।

और वे दोनों भाई (अमिताभ-अजिताभ) शेरवुड में पढ़ने के लिए नैनीताल चले जाएँगे। अमित और राजीव तथा अजिताभ और संजय के बीच प्रगाढ़ दोस्ती के बीज इसी दिन अंकुरित हुए। शाम को घर लौटने के बाद पिताजी ने कहा था, ‘डिसेंसी यानी कि शालीनता किसे कहते हैं, यह बात समझ में आई या नहीं? वह देश का टॉप बॉस है और मैं उसके अधीन काम करने वाला एक कर्मचारी।

वहाँ से नैनीताल तक 30 किलोमीटर का सफर बस से किया और पहाड़ी पर स्थित शेरवुड कॉलेज की इमारत को देखा। यह संस्था नाम से तो कॉलेज कही जाती थी, लेकिन वास्तव में थी स्कूल ही। जिस पहाड़ी पर यह थी, उसका नाम टिफिन टॉप था। नजदीक ही चायना पीक, स्नोव्यू, कुमाऊँ रेंज। अमिताभ को मालूम था कि रॉबिनहुड का अड्डा शेरवुड के जंगलों में ही था।

लेकिन यहीं अमिताभ को पहली बार स्वतंत्रता का अहसास हुआ। अमिताभ को यह भी मालूम था कि इस जगह का नाम सरोवर किनारे बने नैनीदेवी के मंदिर के कारण नैनीताल है और इस स्थान पर प्रकृति की अपार कृपा है। चारों तरफ अनेक झाड़ियाँ और रंग-बिरंगे फूल। प्रकृति की सुंदरता को आँखों में समेटने और उसे नजदीक से जानने के लिए स्कूल कॉम्प्लेक्स के आसपास विचरण करने में उन्हें विशेष आनंद आने लगा

और यहीं उनके अंदर बैठे नट (अभिनेता) को भी प्रकट होना था। अमिताभ सावधानीपूर्वक पढ़ाई-लिखाई तो करते ही थे, मगर उनकी ज्यादा रुचि नाटकों में भाग लेने में रहा करती थी। राजीव से अमित की पहली मुलाकात चौथे जन्मदिन की पार्टी में हुई, जब अमित ने पहली बार मिलिट्री ड्रेस पहनी थी और इस दिन अमित के घर फैंसी ड्रेस स्पर्धा रखी गई थी,

इसलिए इंदिराजी राजीव को धोबी के वेश में लाई थीं। तब राजीव की उम्र मात्र ढाई साल थी। अमित को जब इलाहाबाद की सेंट मैरीज स्कूल में भर्ती किया गया, तब वहाँ उनका नाम लिखा गया- अमिताभ बच्चन।

Amitabh Bachchan Movie –

सात हिंदुस्तानी, आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया।

अमिताभ बच्चन के पुरस्कार –

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 14 बार उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है। 

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अमिताभ बच्चन कैसे बने फिलम स्टार –

पढ़ाई के बाद अमिताभ ने दिल्ली में कई जगह पर नौकरी की तलाश की लेकिन आशानुरूप नतीजे नहीं मिले। यहां तक कि आकाशवाणी में भी उन्हें आवाज भारी होने के कारण नौकरी नहीं मिली। कुछ हाथ ना लगने पर उन्होंने बम्बई में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया जो उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ |उस दौर के मशहूर निर्देशक के अब्बास ने ”सात हिन्दुस्तानी” फिल्म में अभिनय करने का मौका दिया।

जो बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म थी लेकिन दुर्भाग्यवश ये फिल्म सफल नहीं हुई। अमिताभ ने हिम्मत नहीं हारी और प्रयास जारी रखा। पहली फिल्म के बाद भी लगातार कई फिल्में फ्लॉप हुईं। तब 1971 में उनकी तकदीर में मोड़ लिया, जब उन्हें सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ ”आनन्द” फिल्म में मौका मिला।

जिसमें उन्होंने के डॉक्टर के किरदार को बखूबी निभाया और अपनी प्रतिभा को साबित किया। 1973 में आई ”जंजीर” ने अमिताभ की तकदीर बदल दी। यह उनकी तेरहवीं फिल्म थी। अमिताभ इस फिल्म से ”एंग्री यंग मैन” के नाम से जाने जाने लगे और एक नये नायक का जन्म हुआ और वो सुपर स्टार बन गए। amitabh bachchan net worth तक़रीबन $400 million अमरीकी डॉलर बताई जाती है जो 2020 वर्ष के मुताबिक है। 

रेखा ने अमिताभ बच्चन के रिलेशनशिप खुलासा किया –

1984 में ‘फिल्मफेयर’ को दिए एक इंटरव्यू के दौरान रेखा ने अपने और अमिताभ बच्चन के रिलेशनशिप पर बड़ा खुलासा किया।’ उन्होंने कहा कि किसी को इसकी फिक्र नहीं कि मैं क्या चाहती हूं। मैं तो दूसरी औरत हूं न। उन्होंने जया पर भी बिना नाम लिए निशाना साधा कि दूसरा इंसान तो सबकी नजर में बेचारा बना हुआ है। कोई ऐसे शख्स के साथ एक छत के नीच कैसे रह सकता है जब वह जानता है कि वह दूसरे से प्यार करता है।

रेखा ने इंटरव्यू में कहा था, सोचिए मैं उस शख्स को नहीं बता पाई कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं। मैं ये महसूस नहीं कर पाई कि उस शख्स पर क्या बीत रही है। रेखा ने इंटरव्यू में आगे कहा, ये एहसास सबसे बुरा था। मौत भी इतनी बुरी नहीं होती होगी। मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास कतई मंजूर नहीं था।

रेखा ने इसी इंटरव्यू में ये भी कहा था कि अमिताभ बच्चन के 10 अफेयर रहे हैं। रेखा ने आगे कहा था कि, हमारे बीच प्‍यार है सो है| कोई इसके बारे में क्या सोचता है। मुझे उसकी परवाह नहीं है। उन्होंने अपनी इमेज, परिवार, बच्चों की रक्षा के लिए ऐसा किया जो बहुत अच्छी बात है। पब्लिक इस बारे में क्या सोचती है, उसकी उनको परवाह नहीं है।

रेखा ने कहा बच्चन को कौन नहीं चाहता –

खा को सीमी ग्रेवाल ने पूछा था कि, क्या वे अब भी अमिताभ को चाहती हैं, तब रेखा ने कहा था, “उन्हे कौन नहीं चाहता?” सीमी ग्रेवाल ने रेखा को हर तरह से इस सवाल को पूछा लेकिन, रेखा अपने बयान से नहीं हटीं, उन्होने यही कहा कि, “अमिताभ को कौन नहीं चाहता ये बताओ|

जब रेखा के बारे मे पता चला जाया बच्चन को –

उनकी पत्नी jaya bachchan जब रेखा जया के यहां पहुंची तो उन्होंने रेखा को अच्छा खाना खिलाया, घर की डेकोरेशन की बात की और अमिताभ का नाम भी बीच में नहीं आया। लेकिन रेखा जब वापस जा रही थीं। तब जया ने उनसे सिर्फ एक बात कही जो रेखा को सन्न कर गई। जया ने रेखा से कहा, ”मैं अमित को कभी नहीं छोडूंगी” और रेखा समझ गईं कि वे अमित की कभी नहीं हो पाएंगी।

रेखा ने 1990 में अपनी शादी के फैसले से सबको दंग कर दिया था। उन्होंने दिल्ली के व्यापारी मुकेश अग्रवाल से शादी की शादी के एक साल बाद ही उनके पति ने खुदखुशी कर ली और रेखा फिर अकेली रह गईं। 2008 में एक बार फिर रेखा ने सबको हैरान कर दिया जब वे एक अवार्ड समारेह में सिंदूर लगा कर पहुंच गई थीं।

2009 के समारोह में अमिताभ भी पहुंचे थे लेकिन वे रेखा से नजरे चुराते भी दिखे थे। रेखा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जैसे पूरा देश अमिताभ से प्यार करता है वैसे ही वे भी करती हैं। फिलहाल, इन दो बड़े सितारों की अधूरी प्रेम कहानी भले ही पूरी न हो पाई हो औऱ दोनों अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए हों लेकिन रेखा के मन में अभी भी शायद कहीं न कहीं अमिताभ ही बसते हैं।

वहीं अमिताभ जया बच्चन और अपने पूरे परिवार के साथ बहुत खुश हैं। और अमिताभ बच्चन की शादी जया बच्चन से हुई जिनसे उन्हें दो बच्चे हैं। अभिषेक बच्चन उनके सुपुत्र हैं और श्वेता नंदा उनकी सुपुत्री हैं। amitabh bachchan height 1.88 M है। 

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अमिताभ बच्चन फ़िल्में – (Amitabh Bachchan Film list)

  • 1969 – Saat Hindustani
  • Bhuvan
  • 1970 – Bombay 
  • 1971 – Anand
  • Pyar Ki Kahani
  • Parwana
  • Reshma Aur Shera
  • Guddi
  • Piya Ka Ghar
  • Sanjog
  • 1972 – Bombay to Goa
  • Bawarchi
  • Bansi Birju
  • Ek Nazar
  • Raaste Kaa Patthar
  • Garam Masala
  • Jaban
  • 1973 – Zanjeer
  • Bandhe Hath
  • Gehri Chaal
  • Namak Haraam
  • Abhimaan
  • Saudagar
  • Bada Kabutar
  • 1974 – Dost
  • Kasauti
  • Benaam
  • Roti Kapda Aur Makaan
  • Kunwara Baap
  • Majboor
  • 1975 – Deewaar
  • Zameer
  • Sholay
  • Faraar
  • Chhoti Si Baat
  • Chupke Chupke
  • Mili
  • 1976 – Do Anjaane
  • Kabhi Kabhie
  • Hera Pheri
  • Adalat
  • Balika Badhu
  • 1977 – Charandas
  • Amar Akbar Anthony
  • Immaan Dharam
  • Khoon Pasina
  • Shatranj Ke Khilari
  • Parvarish
  • Chala Murari Hero Banne
  • Alaap
  • 1978 – Ganga Ki Saugandh
  • Kasme Vaade
  • Besharam
  • Trishul
  • Don
  • Muqaddar Ka Sikandar
  • 1979 – The Great Gambler
  • Gol Maal
  • Ahsaas
  • Jurmana
  • Manzil
  • Mr. Natwarlal
  • Kaala Patthar
  • Suhaag
  • Cinema
  • 1980 – Do Aur Do Paanch
  • Dostana
  • Ram Balram
  • Shaan
  • 1981 – Commander
  • Yaarana
  • Barsaat Ki Ek Raat
  • Anusandhan
  • Naseeb
  • Chashme Buddoor
  • Lawaaris
  • 1981 – Silsila
  • Kaalia
  • Vilayati Babu
  • 1982 – Satte Pe Satta
  • Bemisal
  • Desh Premee
  • Namak Halaal
  • Khud-Daar
  • Shakti
  • 1983 – Nastik
  • Andha Kanoon
  • Mahaan
  • Pukar
  • Coolie
  • 1984 -Inquilaab
  • Khabardar
  • Kanoon Kya Karega
  • Paan Khaye Saiyan Hamaar
  • Pet Pyaar Aur Paap
  • Sharaabi
  • 1985 – Geraftaar
  • Ghulami
  • Mard
  • 1986 – Aakhree Raasta
  • 1987 – Jalwa
  • Kaun Jeeta Kaun Haara
  • 1988 – Shahenshah
  • Hero Hiralal
  • Gangaa Jamunaa Saraswati
  • Soorma Bhopali
  • 1989 – Toofan
  • Batwara
  • Jaadugar Goga
  • Main Azaad Hoon
  • 1990 – Agneepath
  • Kroadh
  • Aaj Ka Arjun
  • 1991 – Hum
  • Ajooba
  • Indrajeet
  • Akayla
  • 1992 – Khuda Gawah
  • Zulm Ki Hukumat
  • 1993 – Professor Ki Padosan
  • 1994 – Insaniyat
  • Akka
  • 1996 – Ghatak: Lethal
  • Tere Mere Sapne
  • 1997 – Mrityudata
  • 1998 – Major Saab
  • Bade Miyan Chote Miyan
  • Hero Hindustani
  • 1999 – Lal Baadshah
  • Sooryavansham
  • Biwi No.1
  • Hindustan Ki Kasam
  • Kohram
  • Hello Brother
  • 2000 – Mohabbatein
  • 2001 – Ek Rishtaa: The Bond of Love
  • Lagaan
  • Aks
  • Kabhi Khushi Kabhie Gham
  • 2002 – Aankhen
  • Hum Kisise Kum Nahin
  • Agni Varsha
  • Kaante
  • 2003 – Khushi
  • Armaan
  • Mumbai Se Aaya Mera Dost
  • Boom
  • Baghban
  • Fun2shh…
  • 2004 – Khakee
  • Aetbaar
  • Rudraksh
  • Insaaf
  • Dev
  • Lakshya
  • Deewaar
  • Kyun! Ho Gaya Na…
  • Hum Kaun Hai?
  • Veer-Zaara
  • Ab Tumhare Hawale Watan Saathiyo
  • 2005 – Black
  • Waqt
  • Bunty Aur Babli
  • Parineeta
  • Paheli
  • Sarkar
  • Viruddh
  • Ramji Londonwaley
  • Dil Jo Bhi Kahey…
  • Amrithadhare
  • Ek Ajnabee
  • 2006 – Family
  • Darna Zaroori Hai
  • Kabhi Alvida Naa Kehna
  • Ganga
  • Baabul
  • 2007 – Eklavya
  • Nishabd
  • Ek Krantiveer: Vasudev Balwant Phadke
  • Cheeni Kum
  • Shootout at Lokhandwala
  • Swami
  • Jhoom Barabar Jhoom
  • Aag
  • The Last Lear
  • Om Shanti Om
  • 2008 – Jodhaa Akbar
  • Yaar Meri Zindagi
  • Bhoothnath
  • Sarkar Raj
  • God Tussi Great Ho
  • 2009 – Delhi-6
  • Zor Lagaa Ke…Haiya!
  • Aladin
  • Paa
  • 2010 – Rann
  • Teen Patti
  • Kandahar
  • 2011 – Bbuddah… Hoga Terra Baap
  • Aarakshan
  • Ra.One
  • 2012 – Kahaani
  • Mr. Bhatti on Chutti
  • Department
  • Bol Bachchan
  • English Vinglish
  • 2013 – The Great Gatsby
  • Bombay Talkies
  • Satyagraha
  • Boss
  • Krrish 3
  • Mahabharat
  • 2014 – Bhoothnath Returns
  • Manam
  • Kochadaiiyaan
  • 2015 – Shamitabh
  • Hey Bro
  • Piku
  • 2016 – Wazir
  • Ki & Ka
  • Te3n
  • Pink
  • 2017 – The Ghazi Attack
  • Begum Jaan
  • Sarkar 3
  • Firangi
  • 2018 – Pad Man
  • 102 Not Out
  • Helicopter Eela
  • Thugs of Hindostan
  • 2019 – Manikarnika: The Queen of Jhansi
  • Badla
  • Sye Raa Narasimha Reddy
  • 2020 – AB Aani CD
  • Ghoomketu
  • Gulabo Sitabo
  • 2021 – Chehre
  • Brahmāstra
  • Butterfly
  • Jhund
  • 2022 – Mayday dagger

Amitabh Bachchan Social Media Profile –

Facebook – https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/

Email Id – Not Available

WhatsApp Number – Not Available

Official Website – Not Available

Twitter – https://twitter.com/SrBachchan

Amitabh Bachchan Instagram –

Amitabh Bachchan Life Style Video –

Amitabh Bachchan Interesting facts –

  • विदेश प्रवास से बच्चन परिवार के दिन तो बदलने ही थे। एक दिन जवाहरलाल नेहरू ने कवि बच्चन को अपने घर चाय पर आमंत्रित किया और उनके समक्ष विदेश मंत्रालय में अधिकारी बनने का प्रस्ताव रखा। वे उनसे हिन्दी का प्रचार-प्रसार बढ़ाने का काम करवाना चाहते थे। नेहरूजी जानते थे कि बच्चनजी विद्यापीठ के पाँच सौ रुपए के वेतन से दुःखी थे ।
  • अमिताभ को रॉबिनहुड नाम के छात्रावास (ग्रीन हाउस) में ही रहने को जगह मिली। इस संयोग की वजह से अमिताभ का बाल मन खुशी से झूम उठा और धीमे-धीमे वे नई जगह से प्रेम करने लगे। यहाँ होस्टल में अपना काम आप ही करना पड़ता था। यानी दोनों भाइयों को स्वावलंबी बनना पड़ा। सुबह 7 से रात 10 बजे तक का पूरा रूटिन निर्धारित था। अर्थात अनुशासनबद्ध जीवन।
  • नैनीताल जाने से पहले मुन्ना और बंटी मम्मी के साथ दिल्ली के बाजारों में भटके और खूब खरीदी की। यहाँ चाट, वहाँ आइसक्रीम। लेकिन एक नई जिंदगी शुरू। पहले वे रेल द्वारा दिल्ली से काठगोदाम गए।
  • चार दिन बाद नेहरूजी ने बच्चन परिवार को चाय के लिए आमंत्रित किया। उनके सरकारी आवास तीन मूर्ति भवन की भव्यता को अमित ने अपने फ्लैट से ही देख लिया था। आनंद भवन से ज्यादा विशाल भव्य राजबाड़े जैसी जगह। यहाँ राजीव से अमित की फिर भेंट हुई। अमित को मालूम था कि राजीव और संजय कुछ ही दिनों बाद दून स्कूल में पढ़ने चले जाएँगे
  • आकाशवाणी के प्रोड्यूसर के रूप में डॉ. बच्चन ने इलाहाबाद में काम शुरू कर दिया। 1955 के दिसंबर में वे इलाहाबाद से इंदौर आए थे। होलकर कॉलेज के हिन्दी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन ने उन्हें कवि सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए बुलाया था। तब इंदौर में तेजी बच्चन का ट्रंककॉल आया था और उन्होंने बताया था कि ‘विदेश मंत्रालय का नियुक्ति पत्र आ गया है।

इसे भी पढ़े :- अमरीश पुरी की जीवनी

Amitabh Bachchan Questions –

1 .अमिताभ बच्चन के कितने लड़के हैं?

अमिताभ बच्चन के कुल 2 बच्चे है। एक बेटा और एक बेटी है, बेटे का नाम अभिषेक बच्चन है और बेटी का नाम श्वेता बच्चन है।

2 .अमिताभ बच्चन फैमिली नाम?

अमिताभ बच्चन को पहले अपनी फेमिली में श्रीवास्तव नाम से जाना करते है।

3 .मैं अमिताभ से कैसे संपर्क कर सकता हूं?

हमारे दिए गए संपर्क सूत्र और सोसियल मिडिया के प्रोफ़ाइल से आप अमिताभ बच्चन का संपर्क कर सकते है। 

4 .क्या अमिताभ बच्चन ठीक हैं?

हा अमिताभ बच्चन की तबियत वर्तमान समय में बहुत अच्छी है। 

5 .अमिताभ बच्चन की सैलरी क्या है?

अमिताभ बच्चन सैलरी की बात करे तो उनकी एक महीने की इनकम 35 Crore भारतीय रुपये है और वर्ष 350 Crore है।

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Amitabh Bachchan Biography In Hindi  आपको बहुत अच्छी तरह से पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने amitabh bachchan daughter और amitabh bachchan brother से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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