Babar Biography In Hindi – बाबर का जीवन परिचय हिंदी

हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज के हमारे आर्टिकल , Babar Biography In Hindi में हम अपनी क्रूरता बहुत प्रचलित हुए बाबर का जीवन परिचय देने वाले है। 

उसने भारत के तत्कालीन सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी। वह इतना क्रूर थाकि हजारों लोगों की हत्या करवा दी थी। इस पोस्ट में babar history में आपको babar father name ,babar family और babar son की माहिती बताने वाले है। बाबर का पूरा नाम “ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर” था।

बाबर के पिता की मौत के बाद उसने सिर्फ 11 साल में ही शासन करना शुरू कर दिया था। कम उम्र में ही उसने बहुत से युद्ध लड़े थे। जिस कारण उसने युद्ध कौशल में महारत हासिल कर ली थी। वैसे तो बाबर का इतिहास देखा जाये तो बाबर के वंशज कई सालो से शाशन करते थे। लेकिन उन्होंने मुग़ल साम्राज्य को बहुत विस्तार करके मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी। तो चलिए मुगल साम्राज्य का इतिहास बताते है। 

Babar Biography In Hindi –

 नाम  जहीर उद -दिन मुहमद बाबर
 जन्म  23 फरवरी 1483
 जन्म स्थान  उज़्बेकिस्तान
 पिता  उमर शेख मिर्जा
 माता  कुतलुग निगार खानम
 पत्निया  11
 बच्चे  20
 मृत्यु   26 दिसम्बर 1530

बाबर का जन्म – Babar Biography

23 फरवरी 1483 को फरगना घाटी, उज़्बेकिस्तान में हुआ था। उसके पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था जो फरगना घाटी के शासक थे। बाबर की माता का नाम कुतलुग निगार खानम था। बाबर अपने पिता की तरफ से तैमूर का वंशज था और अपनी मां की तरफ से चंगेज खान का वंशज था। युद्ध कौशल और कुशल प्रशासन उसके खून में था। मुग़ल बाबर की मातृभाषा चगताई भाषा थी लेकिन वहां पर फारसी भाषा अधिक बोली जाती थी।

बाबर फारसी भाषा में प्रवीण था। उसने बाबरनामा ग्रंथ चगताई भाषा में लिखा है। Babar Biographyकहते हैं कि बाबर के पिता उमर शेख को शराब पीने का बड़ा शौक था। वह बाबर को भी चखने के लिए देता था। बाबर की नसों में तुर्कों के साथ मंगोलों का भी रक्त था। बादशाह बाबर ने काबुल पर अधिकार कर स्वयं को मुगल प्रसिद्ध किया था। बाबर ने छल कपट से काबूल पर कब्जा किया था।

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बाबर की शारीरिक क्षमता –

Babar Biography – कहा जाता है कि बाबर शरीर से बहुत शक्तिशाली था। वह व्यायाम करना पसंद करता था। व्यायाम करने के लिए वह दोनों कंधों पर दो लोगों को लादकर दौड़ लगाता था। अपने रास्ते में आने वाली नदियों को तैर कर पार करता था। बाबर ने गंगा नदी को दो बार तैर कर पार किया था।

बाबर की पत्निया – Babar Biography

कहा जाता है कि बाबर की कुल 11 पत्नियां थी जिससे उसको कुल 20 बच्चे हुए थे। आयशा सुल्तान बेगम, जैनाब सुल्तान बेगम, मौसम सुल्तान बेगम, महम बेगम, गुलरूख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफजई और गुलनार अघाचा उसकी बेगम थी। बाबर ने अपने बड़े बेटे हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

बाबर की मुख्य प्रजा – Babar Biography

Babar Biography – फारसी में मंगोल जाति को मुगल कहकर पुकारा जाता था। बाबर की प्रजा में मुख्यतः फारसी और तुर्क लोग शामिल थे। उसकी सेना में फारसी। तुर्क, मध्य एशियाई कबीले के अलावा पश्तो और बर्लाव जाति के लोग शामिल थे।

बाबर का भारत में आगमन – Babar Biography

मुगल सम्राट बाबर मध्य एशिया पर राज करना चाहता था। उसकी नजर भारत पर पड़ी। उन दिनों भारत की राजनीतिक दशा खराब थी। यहां के राजा एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त थे। यह स्तिथि बाबर को फायदेमंद लगी। उस समय दिल्ली का शासक इब्राहिम लोदी था जो बहुत सी लड़ाइयां हार रहा था। उसके हाथ से शासन धीरे-धीरे निकलता जा रहा था। उत्तरी भारत में क्षेत्रों पर अफगान और राजपूत राज कर रहे थे।

इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खान इब्राहिम लोधी के काम से संतुस्ट नहीं थे। वे खुद दिल्ली के सल्तनत पर कब्जा करना चाहते थे। उनको बाबर के बारे में जानकारी थी। तब आलम खान और दौलत खान ने बाबर को भारत आने का न्योता भेजा। बाबर को यह फायदे की बात लगी और अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए वह दिल्ली आ गया।

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भारत पर बाबर का पहला आक्रमण –

Babar Biography – बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण सन 1519 में बाजौर पर किया था और भेरा के किले को जीता था। बाबरनामा में इस घटना का उल्लेख मिलता है। इस युद्ध में बाबर ने पहली बार बारूद और तोपखाने का इस्तेमाल भी किया था।

पानीपत का प्रथम युद्ध -बाबर इब्राहिम लोदी –

पानीपत की पहली लड़ाई में मुगलों का उदय हुआ, जिसमे भारतीय इतिहास में सबसे ताकतवर शक्तियों का इस्तेमाल हुआ। इतिहास के अनुसार यह सबसे पुराना भारतीय युद्ध था, जिसमे गनपाउडर आग्नेयास्त्रों और क्षेत्रीय सेना का उपयोग किया गया था। लड़ाई दो बड़ी-शक्तियों, बाबर, तत्कालीन काबुल के शासक और दिल्ली सल्तनत के राजा इब्राहिम लोधी के बीच हुई थी। यह पानीपत (वर्तमान दिन हरियाणा) के पास लड़ा गया था।

यद्यपि बाबर के पास 8,000 सैनिकों की लड़ाकू सेना थी और लोदी के पास लगभग 40000 सैनिक के साथ 400 युद्ध हाथी थे। फिर भी मुख्य तत्व है कि बाबर के लिए युद्ध क्षेत्र में तोप का उपयोग उसके लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। सैनिको से लड़ने और पराजित करने के अलावा, हाथियों को डराने के लिए तोपें एक शक्तिशाली और उनके बीच तबाही का कारण था।

बाबर की विजयी हुई और उसने मुगल साम्राज्य की स्थापना की, जबकि इब्राहिम लोदी युद्ध में मारे गए। मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह भी चाहते थे कि बाबर इब्राहिम लोदी से युद्ध करें क्योंकि इब्राहिम लोदी उनका शत्रु था। राणा सांगा ने भी बाबर को भारत आकर इब्राहिम लोदी से युद्ध करने का निमंत्रण दिया था। बाबर को इस युद्ध में जीत मिली थी। खुद को हारता देख कर इब्राहिम लोदी ने स्वयं मौत को गले लगा लिया था।

भारत में बाबर का रह जाना –

हिन्दुस्तानी राजाओ को लगता था कि बाबर “पानीपत का पहला युद्ध” जीतकर वापस चला जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। भारत बाबर भारत में ही रह गया। और आज भी उनके वंशज भारत में रहा करते है। 

खानवा की लड़ाई बाबर और राणा संग्रामसिंह –

मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह को लगता था कि बाबर “पानीपत का प्रथम युद्ध” जीतकर वापस चला जाएगा, पर बाबर ने भारत में रहने का मन बना लिया और राणा संग्राम सिंह को युद्ध के लिए चुनौती दे दी। इसके परिणाम स्वरूप खंडवा की लड़ाई हुई।

यह लड़ाई 17 मार्च 1527 ई० को खनवा स्थान पर लड़ा गया। इस युद्ध में राजपूत वीरता से लड़े, पर बाबर के पास बारूद और तोपखाने थे जिसका सामना राजपूत नहीं कर पाए और इस युद्ध में वे हार गये। मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह ने खुद को हारता देखकर आत्महत्या कर ली।

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घागरा की लड़ाई –

बाबर मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह को हरा चुका था, पर इसके बावजूद उसके लिए कई चुनौतियां मौजूद थी। बिहार और बंगाल में अफगानी शासक राज कर रहे थे, जो बाबर को भारत से बाहर भगाना चाहते थे। मई 1529 को बाबर और अफगान शासको में युद्ध हुआ। यह युद्ध घागरा स्थान पर लड़ा गया। बाबर को इस युद्ध में जीत मिली। इस युद्ध के बाद बाबर और उसकी सेना ने भारत के राज्यों को लूटना शुरू किया।

बाबरी मज्जिद –

ऐसा माना जाता है कि बाबर ने अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में राम मंदिर को ध्वस्त करके वहां पर babari masjid का निर्माण करवाया था। 6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ और कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। जो वर्तमन समय के माननीय मुख्य प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण करवा रहे है। 

बाबर की हिन्दुओ पर क्रूरता –

भारत में जीतने के बाद बाबर का साम्राज्य स्थापित हो गया। बाबर की सेना भारत में जमकर लूटपाट करने लगी। उसकी क्रूरता के बहुत से उदाहरण देते हैं। बाबर अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर नरसंहार भी करता था। लोगों की हत्या करने में उसे किसी प्रकार का संकोच या ग्लानि नहीं होती थी।

इसके प्रमाण इतिहास में मिलते हैं। बाबर बहुत अधिक धार्मिक प्रवृत्ति वाला नहीं था, इसलिए उसने यहां के हिन्दुओ का जबरन इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने की कोशिश नही की। वह स्वभाव से अइयाश किस्म का शासक था। उसने आगरा (उत्तर प्रदेश) में एक सुंदर सा बगीचा बनवाया था।

भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना –

भारत में बाबर के आगमन के बाद ही मुगल साम्राज्य की स्थापना हो गई थी। बाबर ने पंजाब, दिल्ली और बिहार राज्यों को जीता था। मरने से पहले उसने बाबरनामा नामक किताब लिखी थी जिसमें उसने सभी बातों का उल्लेख किया है।

बाबर का अवसान –

बादशाह बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर 1530 को आग्रा में हुई थी। उस समय आगरा मुगल साम्राज्य में हिस्सा था। मरने से पहले बाबर ने हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

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बाबर की कुछ दिलचस्प बाते –

  • 1930-40 में बाबर ने राज करने वाले एक मराठी हाकिम का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने अपनी भाषा में उर्दू और फ़ारसी शब्दों से पाक करने के लिए एक फ़रमान जारी किया था। 
  • एक सलाहकार ने कहा कि हुज़ूर ‘फ़रमान’ समेत आपके फ़रमान में इस्तेमाल किए गए 40 प्रतिशद शब्द फ़ारसी और उर्दू के हैं। 
  • प्रोफ़ेसर मुखिया के अनुसार तुर्क भाषा में कविता लिखने वाली दो बड़ी हस्तियां गुज़रीं, उनमें से एक बाबर थे। 
  • बाबर की कठोरता की मिसालें मिलती हैं, लेकिन उनकी मृदुलता के भी कई उदाहरण हैं।  एक बार वे जंग की तैयारी में लगे थे कि किसी ने उन्हें ख़रबूज़ पेश किया।  बाबर ख़ुशी के मारे रो पड़े। सालों से उन्होंने ख़रबूज़े की शकल नहीं देखी थी। 
  • बाबर 12 वर्ष की उम्र में राजा बने, लेकिन 47 साल की उम्र में मरते दम तक वे युद्ध में जुटे रहे। इसके बावजूद बाबर ने पारिवारिक ज़िम्मेदारियां निभाईं।
  • उनकी ज़िन्दगी पर माँ और नानी का गहरा असर था जिन्हें वे बेइंतहा प्यार करते थे। वह अपनी बड़ी बहन के लिए एक आदर्श भाई थे। 
  • मुग़ल बादशाह हुमांयूं बाबर के सबसे बड़े बेटे थे। उनके लिए बाबर एक समर्पित पिता थे। हुमांयूं एक बार बहुत बीमार पड़ गए।  बाबर ने बीमार हुमांयू के जिस्म के तीन गर्दिश किए और ख़ुदा से दुआ मांगी कि उनके बेटे को स्वस्थ कर दे। 

बाबर की आत्मकथा ( बाबर नामा ) –

बाबरनामा बाबर की आत्मकथा है। बाबर ने इसे तुर्की भाषा में लिखा था। ऐतिहासिक रूप से इस किताब को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। बाबरनामा की विशेषता यह है। बाबर ने अपनी आत्मकथा में अपने चरित्र को इस तरह से पेश किया है कि एक बार तो लगता है कि जो बाते उसके बारे में बताई जाती है क्या वह वाकई सच हैं। इस किताब में उसने अपने आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा के बारे में भी लिखा है।

पानीपत और खानवा के युद्ध में अपनाई गई तुलुग्मा युद्ध प्रणाली की भी इसमें जानकारी है। बाबर ने लिखा है कि हिंदुस्तानियों ने खुलकर उससे दुश्मनी निभाई। जहां भी उसकी सेना गई हिंदुस्तानियों ने अपने घरो को जला दिया और कुओं में जहर डाल दिया। इस किताब की मूल प्रति में सुंदर चित्रों के द्वारा भारत के बारे में समझाया गया है। इसमें कुल 378 पेज हैं और इनमें से 122 पर 144 चित्र हैं।

babar hindi अनुवाद बाबरनामा के नाम से साहित्य अकादमी ने 1974 में प्रकाशित किया था। अनुवादक युगजीत नवलपुरी हैं। अंग्रेजी संस्मरण की भूमिका में एफजी टैलबोट ने लिखा है। बाबर ने अपनी किताब में हिंदुस्तान के बारे में हर वह चीज के बारे में लिखा है जो उसने देखी। इसी तरह उसने भारत के मंदिरों, देवताओं, पवित्र धार्मिक स्थानों का वर्णन नहीं किया है।

बाबर के कुछ किस्से – Babar Biography

  • बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक ए बाबरी’ में लिखा कि उसका पहला शिक्षक शेख मजीद बेग एक बड़ा अय्याश था इसलिए बहुत गुलाम रखता था।
  • दूसरे शिक्षक कुलीबेग के बारे में लिखा कि वह न नमाज पढ़ता था, न रोजा रखता था, वह बहुत कठोर भी था। तीसरे शिक्षक पीर अली दोस्तगाई के बारे में उसने लिखा कि वह बेहद हंसोड़- ठिठोलिया और बेदकारी में माहिर था।
  • बाबर ने आशिकी पर शेर लिखे थे, परन्तु जब बाबर ने बाद में उसे एक बार आगरा की गली में देखा तो उसने स्वयं बाबरनामा में लिखा, वह लड़का मिल गया जो हमारी सोहब्बत में रह चुका था। हम उससे आंखें नहीं मिला पाए, क्योंकि अब हम बादशाह हो चुके थे।
  • बाबर की कट्टर और क्रूर था। उसने अपने पहले आक्रमण में ही बाजौर के सीधे-सादे 3000 से भी अधिक निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। यहां तक कहा जाता है 
  • उसने इस युद्ध के दौरान एक पुश्ते पर आदमियों के सिरों को काटकर उसका स्तंभ बनवा दिया था। यह नरसंहार उसने ‘भेरा’ पर आक्रमण करके भी किए थे।
  • बाबर द्वारा किए गया तीसरा, चौथा व पांचवां आक्रमण- सैयदपुर, लाहौर तथा पानीपत पर किया था जिसमें उसने किसी के बारे में नहीं सोचा। उसके रास्ते में बूढ़े, बच्चे और औरतें, जो कोई भी आया वह उन्हें काटता रहा।

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बाबर के कारनामे –

  • वह अपने साथ ज्यादा से ज्यादा धन लूट कर ले जाना चाहता था। कहते हैं कि गुरुनानक जी ने बाबर के इन वीभत्स अत्याचारों को अपनी आंखों से देखा था। उन्होंने इन आक्रमणों को पाप की बारात और बाबर को यमराज की संज्ञा दी थी।
  • बाबर का टकराव इब्राहिम लोदी सहित कई शासकों के साथ हुआ, लेकिन किसी ने उसे ज्यादा परेशान नहीं किया। जब वह मेवाड़ के राणा सांगा के साथ युद्ध करने पहुंचा तो उन्होंने उसको उसका छठी का दूध याद दिला दिया था।
  • मुग़ल बाबर ने चगताई तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा ‘तुजुक ए बाबरी’ लिखी इसे इतिहास में बाबरनामा भी कहा जाता है। बाबर का टकराव दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी से हुआ।
  • बाबर के जीवन का सबसे बड़ा टकराव मेवाड़ के राणा सांगा के साथ था। बाबरनामा में इसका विस्तृत वर्णन है। संघर्ष में 1927 ई. में खन्वाह के युद्ध में, अन्त में उसे सफलता मिली।
  • कहते हैं कि बाबर ने मुसलमानों की हमदर्दी पाने के लिए हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया। उसके एक अधिकारी ने संभल में एक मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • सदर शेख जैना ने चन्देरी के अनेक मंदिरों को नष्ट किया। यही नहीं ग्वालियर के निकट उरवा में अनेक जैन मंदिरों को भी नष्ट किया था। बाबर की आज्ञा से मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई।

Babar Biography Video –

Babar Biography Facts –

  • हरबंस मुखिया कहते हैं कि यह आम ग़लतफ़हमी है कि अयोध्या की विवादास्पद बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई थी. उनके मुताबिक़, बाबरी मस्जिद का ज़िक्र उसके ज़िंदा रहने तक या उसके मरने के कई सौ साल तक नहीं मिलता.
  •  बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में जीत की ख़ुशी में पानीपत में ही एक मस्जिद बनवाई थी, जो आज भी वहीँ खड़ी है.
  •  दुनिया के पहले शासक बाबर  थे, जिन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी. बाबरनामा उनके जीवन की नाकामियों और कामयाबियों से भरी पड़ी है.
  • हरबंस मुखिया के अनुसार बाबर की सोच थी कि कभी हार मत मानो. उन्हें समरक़ंद (उज़्बेकिस्तान) हासिल करने का जुनून सवार था. उन्होंने समरक़ंद पर तीन बार क़ब्ज़ा किया था। 
  • लेकिन तीनों बार उन्हें शहर से हाथ धोना पड़ा. अगर वे समरक़ंद का राजा बने रहते तो शायद काबुल और भारत पर राज करने की कभी नहीं सोचते। 
  • भारत में भले बाबर को वो सम्मान नहीं मिला, जो उनके पोते अकबर को मिला था, लेकिन उज़्बेकिस्तान में बाबर को वही दर्जा हासिल है ,
  • उनकी किताब के कई शब्द भारत में आम तौर से प्रचलित हैं. ‘मैदान’ शब्द का भारत में पहली बार इस्तेमाल बाबरनामा में देखने को मिला. प्रोफ़ेसर हरबंस मुखिया कहते हैं कि आज भी भारत में बोली जाने वाली भाषाओँ में तुर्की और फ़ारसी शदों का प्रयोग आम है। 

बाबर के प्रश्न – 

1 .बाबरी मस्जिद किसने गिराई थी ?

 6 दिसम्बर 1992 को कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद गिराई थी। 

2 .बाबर की मृत्यु कैसे हुई ?

26 दिसम्‍बर 1530 के दिन अपने बेटे हुमायूं को ठीक करते बाबर की मृत्यु हुई थी। 

3 .बाबर के कितने बच्चे थे ?

18 बच्चे बाबर के थे। 

4 .बाबर के कितने बेटे थे ?

6 बेटे बाबर के थे। 

5 .बाबर ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया ?

क्रूर बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया था। 

6 .बाबर के पिता का नाम ?

उम्र शेख मिर्ज़ा बाबर के पिता थे। 

7 .बाबर भारत में कब आया था ?

17 वीं शताब्दी के आखिर में बाबर भारत में आया था। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल, Babar Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज और पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने मुगल राजाओं के नाम और achievements of babur से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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