Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi – बाल गंगाधर तिलक की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे आर्टिकल में आपका स्वागत है आज हम Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जनक बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय देने वाले है। 

वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एव एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रीय नेता के साथ-साथ भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञानं जैसे विषयों के विद्वान भी थे। आज हम Bal Gangadhar Tilak slogan,बाल गंगाधर तिलक के विचार और bal gangadhar tilak quotes की जानकारी बताने वाले है। बाल गंगाधर तिलक ‘लोकमान्य’ के नाम से भी जाने जाते थे।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके नारे ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूँगा’ ने लाखों भारतियों को प्रेरित किया था बाल गंगाधर तिलक के राजनीतिक विचारबाल बहुत ही अच्छे हुआ करते थे इन्ही कारन ही बाल गंगाधर तिलक के नारे ने इतना सारा मैजिक चलाया था उन्होंने अपने भाषणों में कई लोगो को आजदी की लड़त के लिए तैयार किया था। तो चलिए इस महामानव जैसे बाल गंगाधर तिलक की जीवनी बताना शुरू करते है। 

Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi –

 जन्मतिथि  23 जुलाई, 1856
 नाम  बाल गंगाधर तिलक
 अन्य नाम  केशव गंगाधर तिलक, लोकमान्य तिलक
 जन्म स्थान  रत्नागिरी, महाराष्ट्र
 राशि  कर्क
 पिता  गंगाधर तिलक
 माता   पार्वती बाई
 पत्नी   तापी बाई (सत्यभामा बाई)
 बच्चों के नाम  रमा बाई वैद्य, पार्वती बाई केलकर, विश्वनाथ बलवंत   तिलक, रामभाऊ बलवंत तिलक, श्रीधर बलवंत तिलक   और  रमाबाई साणे
 राष्ट्रीयता  भारतीय
 पेशा  लेखक, राजनेता, स्वतंत्रता सैनानी, समाज सुधारक, शिक्षक, वकील
 धर्म  हिन्दू
 जाति  मराठा
 प्रसिद्धी  भारतीय शिक्षक
 संस्थापक / सह – संस्थापक  डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी, आल इंडिया होम रूल लीग,  मराठा, केसरी
 राजनीतिक पार्टी  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 आंदोलन  भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
 राजनीतिक विचारधारा  राष्ट्रवाद एवं अतिवाद
 मृत्यु  1 अगस्त, 1920
 मृत्यु स्थान  मुंबई, महाराष्ट्र
 मृत्यु के समय उम्र  64 वर्ष
 शहीद स्मारक  तिलक वाडा, रत्नागिरी, महाराष्ट्र 

बाल गंगाधर तिलक का जन्म  परिचय –

Bal Gangadhar Tilak – का जन्म २३ जुलाई १८५६ को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक चित्पवन ब्राह्मण कुल में हुआ था| उनके पिता गंगाधर रामचन्द्र तिलक संस्कृत के विद्वान और एक प्रख्यात शिक्षक थे। तिलक एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे और गणित विषय से उनको खास लगाव था| बचपन से ही वे अन्याय के घोर विरोधी थे और अपनी बात बिना हिचक के साफ़-साफ कह जाते थेआधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले पहली पीढ़ी के भारतीय युवाओं में से एक तिलक भी थे

जब बालक तिलक महज १० साल के थे तब उनके पिता का स्थानांतरण रत्नागिरी से पुणे हो गया| इस तबादले से उनके जीवन में भी बहुत परिवर्तन आया| उनका दाखिला पुणे के एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल में हुआ उन्हें उस समय के कुछ जाने-माने शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त हुई| पुणे आने के तुरंत बाद उनके माँ का देहांत हो गया और जब तिलक १६ साल के थे तब उनके पिता भी चल बसे| तिलक जब मैट्रिकुलेशन में पढ़ रहे थे उसी समय उनका विवाह एक १० वर्षीय कन्या सत्यभामा से करा दिया गया

 मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने डेक्कन कॉलेज में दाखिला लिया| सन १८७७ में बाल गंगाधर तिलक ने बी. ए. की परीक्षा गणित विषय में प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण किया। आगे जा कर उन्होंने अपनी पढाई जारी रखते हुए एल. एल. बी. डिग्री भी प्राप्त किया भारत के इतिहास के पन्नों को पलटा जाये, तो कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये. उन्हीं में से एक हैं बाल गंगाधर तिलक, जिनका नाम लेने में आज भी बहुत गर्व होता है

आधुनिक भारत के एक प्रमुख वास्तुकार थे. वे भारत के लिए स्वराज / स्वयं के नियम के प्रमुख समर्थक थे. उनका कथन था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार हैं, और मैं इसे पा कर रहूँगा’ इन्होंने भारत के संघर्ष के दौरान एक क्रांतिकारी के रूप में कार्य किया. उन्हें उनके समर्थकों ने सम्मानित करने के लिए ‘लोकमान्य’ का ख़िताब दिया. वे एक महान विद्वान व्यक्ति थे, जिनका मानना था कि आजादी एक राष्ट्र के कल्याण के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। 

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Bal Gangadhar Tilak Education And Career – 

तिलक जी एक बुद्धिमान छात्र थे, वे बचपन से ही वे स्वाभाव में सच्चे और सीधे इंसान थे. उनका दृष्टिकोण हमेशा से ही अन्याय के खिलाफ होता था, उनकी इसके प्रति बचपन से ही स्वतंत्र राय थी।  सन 1877 में संस्कृत और गणित में इन्होने पुणे के डेक्कन कॉलेज से स्नातक (बी ए) की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद उन्होंने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी का अध्ययन किया और सन 1879 में उन्होंने अपनी कानून की डिग्री प्राप्त की

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में अंग्रेजी और गणित पढ़ाना शुरू किया. किन्तु स्कूल के अधिकारियों के साथ उनकी सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने सन 1880 में स्कूल में पढ़ाना छोड़ दिया ,राष्ट्रवाद पर जोर देने लगे. वे उन युवा पीढ़ियों में से एक थे, जोकि आधुनिक कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारतीयों की पहली पीढ़ी थी। 

राजनीतिक करियर – Bal Gangadhar Tilak

ब्रिटिश सरकार की नीतियों के विरोध चलते एक समय उन्हें मुकदमे और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करके काफी समय तक काम किया, लेकिन बाद में पार्टी नरमपंथी रवैये को देखते हुए वो अलग हो गए। इसके बाद पार्टी के दो हिस्से हो गए, और बाल गंगाधर तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल, अलग हिस्से में शामिल हो गए। 1908 में तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया।

जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और 1916 में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की। इसके अलावा ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना करने और भारतीयों को पूर्ण स्वराज देने की मांग के चलते उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा इनके और पार्टी के दृष्टिकोण में इस अंतर के कारण तिलक जी को एवं उनके समर्थकों को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के चरमपंथी (एक्सट्रीमिस्ट) विंग के रूप में जाना जाने लगा। 

हालाँकि तिलक जी के द्वारा किये गये प्रयासों का उन्हें अरबिंदो घोष, वीओ चिदंबरम पिल्लई और मुहम्मद अली जिन्ना सहित कई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं से समर्थन प्राप्त हुआ। इसके अलावा बंगाल के राष्ट्रवादी बिपिन चन्द्र पाल और पंजाब के लाला लाजपत राय द्वारा उन्हें विशेष समर्थन प्राप्त था, जिसके चलते उन्हें ‘लाल – बाल – पाल’ के रूप में लोग जानने लगे. सन 1907 के राष्ट्रीय सत्र में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के दोनों वर्गों (कट्टरपंथी एवं मध्यम) के बीच भारी विवाद हुआ. इस विवाद का परिणाम यह निकला कि कांग्रेस को 2 भागों में विभाजित होना पड़ा.

Bal Gangadhar Tilak राजद्रोह का आरोप – 

लोकमान्य तिलक ने अपने पत्र केसरी में “देश का दुर्भाग्य” नामक शीर्षक से लेख लिखा जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया। उनको भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के अन्तर्गत राजद्रोह के अभियोग में 27 जुलाई 1897 को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 6 वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत माण्डले (बर्मा) जेल में बन्द कर दिया गया

भारतीय दंड संहिता में धारा 124-ए ब्रिटिश सरकार ने 1870 में जोड़ा था जिसके अंतर्गत “भारत में विधि द्वारा स्थापित ब्रिटिश सरकार के प्रति विरोध की भावना भड़काने वाले व्यक्ति को 3 साल की कैद से लेकर आजीवन देश निकाला तक की सजा दिए जाने का प्रावधान था।”

1898 में ब्रिटिश सरकार ने धारा 124-ए में संशोधन किया और दंड संहिता में नई धारा 153-ए जोड़ी जिसके अंतर्गत “अगर कोई व्यक्ति सरकार की मानहानि करता है यह विभिन्न वर्गों में नफरत फैलाता है या अंग्रेजों के विरुद्ध घृणा का प्रचार करता है तो यह भी अपराध होगा

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Bal Gangadhar Tilak का कारावास –

एक बार तिलक जी के साथी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस ने मिलकर डगलस किंग्सफोर्ड के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट की हत्या करने की साजिश रची. किन्तु इसमें मजिस्ट्रेट को कुछ नहीं हुआ और उनके स्थान पर दो महिलाएं मारी गई। इस वारदात के बाद वे दोनों पकड़े गये, पकड़े जाने पर प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मार ली, किन्तु इसमें बोस को फांसी की सजा सुना दी गई।

तिलक जी ने अपने समाचार पत्र ‘केसरी’ के माध्यम से क्रांतिकारियों का बचाव किया , तुरंत स्वराज / स्व-शासन की मांग की. जिससे सरकार ने उन पर राजद्रोह का चार्ज लगाया. और अंत में एक विशेष जूरी ने उसे 7:2 बहुमत से दोषी ठहराया. उन पर 1000 रूपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें मंडले, बर्मा (वर्तमान में म्यांमार) में सेवा के लिए सन 1908 से 1914 तक 6 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 

आल इण्डिया होम रूल लीग –

Bal Gangadhar Tilak – ने एनी बेसेंट जी की मदद से होम रुल लीग की स्थापना की |होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धी मिली, जिस कारण उन्हें “लोकमान्य” की उपाधि मिली थी। अप्रैल 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की थी। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था। । यह कोई सत्याग्रह आन्दोलन जैसा नहीं था

 इसमें चार या पांच लोगों की टुकड़ियां बनाई जाती थी जो पूरे भारत में बड़े-बड़े राजनेताओं और वकीलों से मिलकर होम रूल लीग का मतलब समझाया करते थे। एनी बेसेंट जी जो कि आयरलैंड से भारत आई हुई थीं। उन्होंने वहां पर होमरूल लीग जैसा प्रयोग देखा था, उसी तरह का प्रयोग उन्होंने भारत में करने का सोचा था। 

Bal Gangadhar Tilak और महिलाओं की शिक्षा –

तिलक ने महिला शिक्षा का पूरी क्षमता के साथ विरोध किया. परिमाला वी. राव ने अपने शोधपत्र में मुख्य रूप से तिलक के अखबार मराठा के हवाले से बताया है।  विष्णुशास्त्री चिपलूणकर और तिलक के नेतृत्व में कांग्रेस के कट्टरवादी धड़े ने 1881 से 1920 के बीच किस तरह बालिका विद्यालयों की स्थापना और हर समुदाय के लिए शिक्षा देने के प्रयासों का विरोध किया

 इस धड़े के विरोध के कारण महाराष्ट् में 11 में से 9 नगरपालिकाओं में हर किसी के लिए शिक्षा देने के प्रस्ताव को हार का सामना करना पड़ा. इस धड़े ने राष्ट्रवादी शिक्षा की वकालत की, जिसमें धर्मशास्त्रों का अध्ययन और हुनर सिखाने पर जोर था। बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में कट्टरवादी धड़े का तर्क था कि पेशवा के शासन के दौरान महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी थी. तिलक के ये विचार उनके अखबार मराठा के 15 मार्च 1885 के अंक में छपे हैं

महिला शिक्षा के विरोध में तिलक का तर्क था कि महिलाएं कमजोर होती हैं और संतति को आगे बढ़ाना उनका काम है, इसलिए उनको शिक्षित करने से उनको पीड़ा होगी क्योंकि आधुनिक शिक्षा को समझना उनकी शक्ति से बाहर है. उनकी ये बात मराठा अखबार के 31 अगस्त 1884 के अंक में छपी थी। 

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समाज सुधारत बाल गंगाधर तिलक –

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जनक, समाज सुधारक, राष्ट्रीय नेता, भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान के विद्वान बाल गंगाधर तिलक की आज जयंती है। 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी. ये आधुनिक कॉलेज शिक्षा पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी में थे ,बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। 

आधुनिक भारत के प्रधान आर्किटेक्ट में से एक थे. उनके अनुयायियों ने उन्हें ‘लोकमान्य’ की उपाधि दी जिसका अर्थ है लोगों द्वारा प्रतिष्ठित माना जाना। उन्होंने कहा था, स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा. आजादी के परवानों के लिए ये महज कुछ शब्द भर नहीं थे बल्कि एक जोश, एक जुनून था जिसके जरिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां देकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाई थी। 

किताबें –

बाल गंगाधर तिलक जी ने भारतीय संस्कृति, इतिहास और हिन्दू धर्म पर कई किताबें लिखीं. इन्होने सन 1893 में ‘वेदों के ओरियन एवं शोध’ के बारे में लिखा. इसके अलावा इन्होने सन 1903 में ‘आर्कटिक होम इन द वेदास’ और सन 1915 में ‘श्रीमद् भगवत गीता रहस्य’ जैसी किताबों का प्रकाशन किया। 

Bal Gangadhar Tilak के विचार गैर-ब्राह्मणों के बारे में –

तिलक वर्ण व्यवस्था में दृढ विश्वास रखते था. इसका मानना था कि ब्राह्मण जाति शुद्ध है तथा जाति व्यवस्था का बने रहना देश और समाज के लाभ में है. इसने कहा था कि जाति का ह्रास होने का अर्थ राष्ट्रीयता का ह्रास होना है. इसका मानना था कि जाति हिन्दू समाज का आधार है और जाति के नष्ट होने का अर्थ हिन्दू समाज का नष्ट होना है। जब तिलक यह विचार दे रहा थे, उससे पहले महाराष्ट्र में ही ज्योतिबा फुले ने जाति के आधार असमानता का विरोध किया था।

जब ज्योतिबा फुले ने अनिवार्य शिक्षा का कार्यक्रम चलाया तो इसका तिलक ने विरोध किया था। तिलक का मानना था कि प्रत्येक बच्चे को इतिहास, भूगोल, गणित पढ़ाये जाने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उनके जीवन में इनका इस्तेमाल नहीं है. तिलक का कहना था कि कुनबी जाति के बच्चों को इतिहास, भूगोल या गणित की शिक्षा देने से उनका नुकसान होगा क्योंकि वे अपना जातीय हुनर भूल जाएंगे। 

उसने कहा कि कुनबी जाति के बच्चों को अपना परम्परागत किसान का पेशा करना चाहिए, और शिक्षा से दूर रहना चाहिए. जिस समय तिलक यह विचार दे रहा था, उसी समय ब्रिटिश सरकार स्कूल खोल रही थी, और उसमें सभी जाति के बच्चों को पढ़ने का अधिकार दे रही थी। तिलक ने इसे ब्रिटिश सरकार की गंभीर गलती बताया. सार्वजिनक स्कूल में महार और मांग जाति के बच्चों को प्रवेश देने पर तिलक ने ब्रिटिश सरकार को चेतावनी दी कि महार-मांग बच्चों के ब्राह्मणो बच्चों के साथ बैठने से हिन्दू धर्म सुरक्षित नहीं रह पायेगा। 

Bal Gangadhar Tilak के विचार और विवाह की आयु –

उस समय लड़कियों की शादी बहुत छोटी उम्र में कर दी जाती थी, जिससे उन्हें असहनीय यातना से गुजरना पड़ता था. पेशवा राज में ब्राह्मण परिवारों के लिए ये अनिवार्य था कि वे अपनी बच्चियों की शादी 9 साल से कम उम्र में ही कर दें। एक चर्चित मामले में, बच्ची फूलमणि की शादी 11 वर्ष की उम्र में कर दी गयी थी, उसके 35 वर्षीय पति ने उसके साथ जबरदस्ती सेक्स किया, जिससे उसकी मौत हो गयी। 

ऐसी अनेक घटनाएं थीं जिनमे छोटी बच्चियों के साथ सेक्स करने से वे अपाहिज तक हो गयीं। समाज सुधारको की ओर से ऐसी मांग थी कि शादी और सहमति से सेक्स की उम्र को बढ़ाया जाए. इसलिए ब्रिटिश सरकार ने एक कानून Age of Consent Act 1891 बनाया जिसके अनुसार 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ, चाहे वह विवाहित है। या अविवाहित, सेक्स करना बलात्कार की श्रेणी में आएगा।

कांग्रेस के सुधारवादी लोग भी इस बिल के पक्ष में थे, किन्तु तिलक ने इस मामले में ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप का विरोध किया। उन्होंने कहा – ‘हो सकता है कि इस सरकार का ये कानून सही हो और उपयोगी हो, फिर भी हम नहीं चाहते हैं कि सरकार हमारी सामाजिक परंपराओं और जीवन शैली में हस्तक्षेप करे। 

Bal Gangadhar Tilak Death –

तिलक जी जलियांवाला बाग हत्याकांड की क्रूर घटना से इतने निराश हुए कि उनका स्वास्थ्य धीरे – धीरे कमजोर होता गया. अपनी बीमारी के बावजूद भी तिलक जी भारतीयों को यही कहते रहे कि जो हुआ। इससे आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. वे आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए उत्साहित थे, लेकिन उनके स्वास्थ्य ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. तिलक जी को मधुमेह की बीमारी थी, 

उस समय वे बहुत कमजोर हो गये थे. जुलाई सन 1920 के मध्य में उनकी हालत ख़राब होती चली गई और 1 अगस्त 1920 को उनका निधन हो गया. यह खबर से लोगों को बहुत दुःख हुआ बॉम्बे में अपने प्रिय नेता की आखिरी झलक देखने के लिए 2 लाख से ज्यादा लोग इकठ्ठे हुए. जब उनकी मृत्यु हुई तब उनकी उम्र 64 वर्ष की थी

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अनमोल वचन – 

आजादी में प्रगति होती है, स्व सरकार के बिना न तो औद्द्योगिक प्रगति संभव हैं, और न ही शैक्षिक योजना देश के लिए उपयोगी है। धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं है. सन्यास लेना जीवन छोड़ना नहीं होता है. असली भावना केवल परिवार के लिए नहीं बल्कि देश के लिए मिलकर काम करने में है। इसलिए हमें पहले मानवता की सेवा की ओर कदम बढ़ाना चाहिए। 

और उसके बाद भगवान की सेवा की ओर अगर भगवान को अस्पृश्यता के साथ रखा जाता है, तो उसे मैं भगवान नहीं कहूँगा। जीवन पूरी तरह से एक ताश के खेल के समान है. सही ताश को चुनना हमारे हाथ में नहीं होता है. लेकिन उसे अच्छी तरह से खेलना हमारी सफलता सुनिश्चित करता है। सफल होने के लिए आपको परिवार और दोस्तों की आवश्यकता है। 

लेकिन बहुत सफल होने के लिए आपको दुश्मनों और प्रतिस्पर्धियों की आवश्यकता है। समस्या, संसाधनों या क्षमता की कमी के कारण नहीं होती, बल्कि इच्छा की कमी के कारण होती है। हमारा देश एक पेड़ की तरह हैं जिसमें मूल जड़ स्वराज्य है और उसकी शाखाएं स्वदेशी एवं बॉयकॉट हैं। 

Bal Gangadhar Tilak History Video –

बाल गंगाधर तिलक रोचक तथ्य –

  • तिलक जी ने जमशेद जी टाटा के साथ मिलकर सन 1900 में को – ओप स्टोर कंपनी लिमिटेड को स्वदेशी वस्तुओं का ग्राहक बनने के लिए प्रोत्साहित किया, और उस स्टोर को अब बॉम्बे स्टोर के नाम से जाना जाता है। 
  • तिलक जी की वेशभूषा की बात की जाए, तो तिलक जी अक्सर धोती और कुर्ता पहना करते थे। साथ ही उनके सर पर लाल रंग की पगड़ी हुआ करती थी. ऐसा कहा जा सकता है कि वे मराठी संस्कृति की पोशाक पहनते थे। 
  • गणेश चतुर्थी का त्यौहार लोग अपने घर पर ही मनाते थे, किन्तु तिलक जी ने सन 1893 से लोगों को इस त्यौहार को सर्वजनिक एकता के साथ मनाने एवं इसे सार्वजनिक त्यौहार में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया था। 
  • तिलक जी अपने बलिदान और त्याग की उच्चतम भावना के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने ‘भारत माता’ के लिए धन, आराम, परिवार, ख़ुशी और स्वास्थ्य का त्याग किया था। 

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बाल गंगाधर तिलक के प्रश्न –

1 .बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु कब हुई ?

1 August 1920 लोकमान्य तिलक का जन्म हुआ था। 

2 .बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु कैसे हुई ?

उन्हें मधुमेह की बीमारी थी, इन्ही कारन बहुत कमजोर पड गये वीर स्वतंत्रता सेनानी का निधन 1 अगस्त साल 1920 के दिन मुंबई शहर में हुआ थे ।

3 .बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि किसने दी ?

होम रूल आन्दोलन के बाद बाल गंगाधर तिलक को बहुत प्रसिद्धी मिली थी उस कारन उन्हें लोकमान्य नाम दिया गया था। 

4 .बाल गंगाधर तिलक का उपनाम क्या था ?

होम रूल आन्दोलन के बाद बाल गंगाधर तिलक का उपनाम लोकमान्य तिलक हो गया था। 

5 .बाल गंगाधर तिलक का जन्म कहाँ हुआ था ? 

23 जुलाई 1856 के दिन चिखाली में बाल गंगाधर तिलक का जन्म  हुआ था। 

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Bal Gangadhar Tilak Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये  हमने बाल गंगाधर तिलक का भाषण और bal gangadhar tilak nationalism से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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