Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi | भीमराव आंबेडकर की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Dr Bhim rao Ambedkar Biography In Hindi बताएँगे। जिनका भारतीय संविधान में बहुत बड़ा योगदान रहा है। ऐसे भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय बताने वाले है। 

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्व में  ऐसे व्यक्तित्व है। जिनसे लोग सर्वाधिक प्रेरणा प्राप्त करते हैं। चाहे सामाजिक मसला हो, आर्थिक अथवा राजनैतिक लोग उन्हें उद्धरित कर अपनी बात को युक्ति-युक्त सिद्ध करते हैं। आज हम भी ambedkar family ,bhimrao ambedkar quotes और Dr bhimrao ambedkar jayanti की जानकारी बताने वाले है। दलित-शोषित और पीड़ित समाज के लोग तो उन्हें अपना उद्धारक और मसीहा मानते हैं। विहारों और अपने पूजा-स्थलों में बुद्ध के साथ उनकी मूर्ति रखकर पूजा करते हैं।

हमारे देश में और विदेेश में भी शासक दल के नेता अपने आदर्श पुरुषों की जनता के पैसे से मूर्तियां बना कर महत्वपूर्ण स्थानों में स्थापित करते हैं। उनके नाम पर सड़क और पुलों के नाम रखते हैं। पहले से रखे नामों को बदल तक डालते हैं। किंतु डॉ बाबासाहब अम्बेडकर की मूर्तियां, लोग अपने खर्च से, अपने पैसे से गांव-गांव और चौराहे-चौराहे पर स्थापित करते हैं। क्योकि भीमराव अम्बेडकर के राजनितिक विचार बहुत ही उच्च कक्षा के हुआ करते थे। तो chaliye डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की कहानी हिंदी में बताना शुरू करते है। 

Dr Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi –

 नाम  डॉ.भीमराव आंबेडकर (B. R. Ambedkar)
 जन्म  14 अप्रैल 1891
 जन्म स्थान  महू , इंदौर ( मध्य प्रदेश )
भीमराव अंबेडकर की माता का नाम  भीमबाई मुर्बकर
 पिता  रामजी मालोजी शकपाल
 विवाह  रमाबाई ( 1906 ) , सविता आंबेडकर ( 1948 )
 बच्चे

Yashwant Ambedkar

भीमराव अंबेडकर का जन्म  – Bhimrao Ambedkar Birth

भीमराव आंबेडकर की जीवनी (dr bhimrao ambedkar ki jivani in hindi) – आंबेडकर की माँ का नाम भीमबाई और bhimrao ambedkar father name रामजी मालोजी शकपाल था | भीमराव अम्बेडकर का परिवार कबीर पंथी था |उनके पिता सेना में सूबेदार थे और माता धार्मिक विचारो वाली गृहिणी थी। ये लोग महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में अंबावडे गांव के मराठी वतनी थे | माता -पिता और गांव के नाम परसे उनका नाम भीमराव आंबेडकर रखा गया | भीम बचपन से ही लड़ाकू और हठधर्मी प्रवृति वाला बालक था। मगर पथनेमे विलक्षण प्रतिभाके थे | छुआछूत प्रथा होने के कारन क्लास के बाहर रहकर भी पठना पड़ा था। सी.एस। भंडारी ने अपनी किताब ” प्रखर राट्रभक्त डॉ.भीमराव आंबेडकर ” में लिखा है। 

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भीमराव अम्बेडकर का परिवार – Bhimrao Ambedkar Family

Baba saheb ki jivani में आपको बतादे की बालक भीम बचपन से ही लड़ाकू था। हठी था , निर्भीक स्वभाव का था | लोकाचार के सारे नियम उसकी आपत्ति के लक्ष्य बिंदु था | चुनोतियो के सामने जुकना उसके स्वभाव मे नहीं था। भीमराव सूबेदार रामजी की 14 संतानें थे 3 पुत्र और 11 पुत्रियां। जिसमें 9 की मौत अल्पायु में हुई थी। शेष 5 में 3 पुत्र और 2 पुत्रियां थी। बड़े दो पुत्रों के नाम बालाराम और आनन्दराव थे। मंझली दो पुत्रियों के नाम मंजुला और तुलसी थे। उनकी चौदहवीं संतान हमारे नायक, बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर हैं। बालक भीमराव का जन्म 14 अप्रेल 1891 के सुबह तड़के महू छावनी, इन्दौर में हुआ था। ambedkar wife का नाम Savita Ambedkar (सविता अम्बेडकर)और Ramabai Ambedkar था। 

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का बचपन – 

डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी हिंदी में आपको बतादे आंबेडकर शैशव-काल में स्वभाव से बड़े चंचल और शरीर से बलिष्ठ थे। खेल-कूद में वे अपने साथ के बच्चों को पीट दिया करते थे जिससे बच्चों के अभिभावक इसकी शिकायत सूबेदार रामजी से अकसर किया करते थे | और खेल -कूद में माहिर थे। dr bhimrao ambedkar ka jeevan parichay hindi main बतादे की रामजीराव का विवाह सूबेदार मेजर मुरवाड़कर की पुत्री भीमाबाई से हुआ था। सूबेदार मुरवाड़कर मुरबाद जिला ठाना तत्कालीन बाम्बे स्टेट के निवासी थे।

भीमराव आंबेडकर के पिता रामजी सूबेदार –

रामजी सकपाल ब्रिटिश फौज में सन् 1866 की अवधि में सूबेदार मेजर लक्ष्मण मुरबाड़कर की कमान में भर्ती हुए थे। उन्हें सूबेदार के पद पर तरक्की मिली थी। वे एक सैनिक स्कूल में 14 साल तक मुख्य अध्यापक रहे थे। सूबेदार रामजीराव मराठी भाषा में पारंगत थे। वे अंग्रेजी भाषा पर भी अच्छी पकड़ रखते थे। गणित उनका दूसरा प्रिय विषय था। वे क्रिकेट और फुटबाोल के खिलाड़ी थे। सूबेदार रामजी सत्यशोधक समाज के प्रणेता ज्योतिबा फुले के प्रशंसक थे और वे सामाजिक सुधारों के कार्यों में एक कदम आगे बढ़कर हिस्सा लेते थे |

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय में सबको कह दे की अम्बेडकर की पत्नी भीमाबाई सुन्दर, चौड़े मस्तक, घुंघरवाले बाल, चमकती गोल आंखे और छोटी नाक वाली गौर-वर्ण कद-काठी की महिला थी। उसके पिता और उनके चाचा सभी आर्मी में सूबेदार मेजर थे। उनका परिवार भी कबीर-पंथी था| भीमाबाई यद्यपि बड़़े घर की लड़की थी किन्तु उन्होंने अपने स्वभाव और आदतों को बदल कर अपनी ससुराल के अनुरूप बना लिया था। 

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सत्यशोधक समाज – Biography of ambedkar in hindi

सत्यशोधक समाज की स्थापना 19वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाज सुधारक ज्योतिबा फुले ने की थी। फुले स्त्रियों और शूद्रों ( अछूत जाती ). को अनिवार्य शिक्षा देने के प्रबल पक्षधर थे। वही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पुणे में पहली बार अछूतों के लिए प्याऊ लगवाए, सन् 1848 में महिलाओं के लिए और सन् 1851 में अछूतों के लिए स्कूल खोलें। कोल्हापुर के शाहू महाराजा ज्योतिबा फुले को महाराष्ट्र का मार्थिन लूथर कहा करते थे। बाबासाहेब ने तीन महापुरुषों को अपना प्रेरणा-स्रोत बतलाया है- 1. बुद्ध, 2. कबीर और 3.ज्योतिबा फुले। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘ हु वेयर दी शुद्रास ‘ ज्योतिबा फुले को समर्पित की थी। 

कबीर-पंथी परिवार –

dr bhimrao ambedkar jeevan parichay में आपको कहदेते है, की उस समय अछूतों और विशेषकर महार समाज के लोग तीन प्रकार के भक्ति सम्प्रदायों में बटे थे। 1. कबीर-पंथी, 2.रामानंदी और 3. नाथ सम्प्रदायी। सूबेदार रामजी सन् 1896 में कबीर पंथ के अनुयायी बने थे। पहले वे रामानंदी थे। बाबा साहेब ने जाति-प्रथा को घुतकारा था और स्वाभाविक है। हिन्दुओं में अछूत समझे जाने वाली जाति के लोग साहेब को स्वीकारते। सूबेदार रामजी के घर में प्रति दिन भजन और सत्संग होती थी।

शिक्षा के दरवाजे बंद –

सन् 1894 के लगभग दापोली मुनिसिपिल शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव पास किया कि अछूत बच्चों को स्कूलों में भर्ती न किया जाएं। अछूत समाज के लोगों ने इसका विरोध कलेक्टर से किया। म्यूनिसिपल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के मद्दे-नजर सूबेदार रामजी को बच्चों को स्कूल भेजने की चिन्ता सताए जा रही थी। बालक भीम के साथ के बच्चें स्कूल जाने लगे थे। सूबेदार रामजी ने एक अंग्रेज सैनिक अफसर से इस बात की फरियाद की कि उन्होंने जीवन भर सरकार की सेवा की है। उनके बच्चों को कहीं दाखिला नहीं मिले तो बड़ा अन्याय होगा। उस अफसर के कहने पर भीम को केम्प स्कूल में प्रवेश मिल गया। भीम अपने बड़े भाई आनंदराव के साथ स्कूल जाने लगा।

दापोली से सतारा केम्प – Dr bhim rao biography in hindi

सूबेदार रामजी का परिवार बड़ा था। परिवार चलाने के लिए पेंशन, उन्हें पर्याप्त नहीं होती थी। वे अल्पकालीन किसी नौकरी की तलाश में थे। उन्होंने आर्मी में आवेदन किया और सतारा केम्प के पी. डब्ल्यू. डी. विभाग में उन्हें स्टोर-कीपर की नौकरी मिल गई। सन् 1896 में नौकरी के चलते सूबेदार रामजी परिवार सहित सतारा चले गए थे। 

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Bhim rao Ambedkar पहली कक्षा में भर्ती –

Dr bhimrao ambedkar jivani in hindi में बतादे की रामजी ने अपने पुत्र भीम का नाम सतारा के एक सरकारी स्कूल की कक्षा- 1 में भर्ती कराया था। यह हाई स्कूल दर्जे तक था। वर्तमान में इस स्कूल का नाम प्रतापसिंग हाई स्कूल है। यह तिथि भर्ती रजिस्टर में 07.11.1900 अंकित है। इस समय भीमराव की उम्र 9 वर्ष 8 माह थी। स्कूल में उनका नाम ‘भीवा रामजी अम्बावेडकर’ लिखा गया था |

दापोली – सतारा में शैशव काल –

भीम का शैशवकाल दापोली और सतारा में बीता था। सतारा में, जहां रामजी सूबेदार रहते थे, उनके पड़ोस में उन्हीं के जैसे 10-15 और पेंशनर भी रहते थे। भीम स्कूल से आते ही अपना बस्ता घर में फैंक देता और पड़ोस के बच्चों में खेलने चला जाता। स्कूल में जो कुछ पढ़ाया जाता, वह उसे ही पढ़ता था, बाकि सारा समय खेल-कूद में बिताया करता था।

सरकारी स्कूल में छुआछूत –

हिन्दू समाज की छुआछूत को भीमराव जन्म से ही झेल रहे थे। स्कूल में भी इस अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार का सामना भीमराव को लगभग प्रति दिन करना पड़ता था। महार जाति का होने से उसके सहपाठी छात्र और शिक्षक उससे दूरी बनाए रखते थे। उसे कक्षा में अलग बैठाया जाता था। वह और उसका बड़ा भाई आनन्दराव घर से टाट का टुकड़ा लाकर उस पर बैठकर पढ़ा करते थे। वह अन्य बच्चों के साथ खेल नहीं सकता थे । अगर उसे प्यास लगती तो घड़े के काफी दूर खड़े होकर देखना पड़ता था कि कोई आएं और उन्हें पानी पिलाएं। पानी का बर्तन- घड़े को छूने की उन्हें मनाई थी। संस्कृत शिक्षक तो अछूत बच्चों को पढ़ाता ही नहीं था।

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आम्बावडेकर से आंबेडकर – Bhim rao Ambedkar Biography

आम्बावडे (जिला रत्नागिरि) भीमराव का पैतृक गांव था। महाराष्ट्र में नाम के साथ गांव का नाम जोड़ने का चलन है। किन्तु यह ‘अम्बावेडकर’ उपनाम अधिक समय तक भीमराव के साथ नहीं रहा। एक शिक्षक (कृष्णा केशव अम्बेडकर) ने जो प्रतीत होता है, भीमराव को अधिक चाहता था और जिनका स्वयं का उपनाम अम्बेडकर था। भीमराव से कहा कि हाजिरी रजिस्टर में उसका नाम अम्बेडकर लिख रहे हैं। क्योंकि पुकारने में अम्बावेडकर कठिन लगता है। स्मरण रहे, सूबेदार रामजी अपना नाम रामजीराव मालोजी सकपाल लिखा करते थे। मालोजी उनके पिता का नाम और सकपाल उनका पुश्तैनी उपनाम था। प्रतीत होता है, दादा मालोजी अथवा पिता रामजीराव ने गांव से जुड़े उपनाम को अधिक तरजीह नहीं दी थी।

नाई द्वारा Bhim rao Ambedkar का बाल न काटना –

सुवर्ण हिन्दुओं द्वारा अछूतों पर थोपी गई सामाजिक पाबंदियों में नाई द्वारा उनके बाल न काटना भी था । ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्य ही यह काम बखूबी कर देते थे। एक दिन भीम जाकर नाई की दुकान के सामने खड़ा हो गया और कहा – “बाल कटाने है।” नाई के पूछने पर उसने अपना नाम और जाति बताया। जैसे ही नाई ने जाना कि वह महार है, उसने भीम को झिड़क कर भगा दिया। भीम रोता हुआ घर आया। बड़ी बहन तुलसी के पूछने पर उसने सारी बात बता दी। तुलसी ने उसे प्यार से शांत किया और कहा कि इसमें रोने की क्या बात है। आ, मैं तेरे बाल बना देती हूँ।

Bhim rao Ambedkar का बाह्य पुस्तकें पढ़ने का शौख –

भीम राव आंबेडकर बायोग्राफी में आपको बतादे की भीमराव स्कूल की पाठ्य पुस्तकें कम ही पढ़ता था। पाठ्य पुस्तकें तो वह सरसरी तौर पर देख लेता था। उसे दूसरी किताबें पढ़ने और संग्रह करने का बेहद शौक था। नई-नई पुस्तकें खरीदने के लिए वह अकसर पिता से जिद करता। रामजी भी पर्याप्त साधन न होते हुए भी बेटे की इच्छा पूरी करते थे। अक्सर वे अपनी दो विवाहित पुत्रियों से पैसा उधार लाते थे। वास्तव में, रामजी ने जान लिया था कि उसका बेटा साधारण बच्चा नहीं हैं।

वे उसमे बड़ा आदमी बनने की काबिलियत देख रहे थे। रामजी सूबेदार ने डबल चाल में केवल एक ही कमरा ले रखा था। उसमें पढ़ने के लिए जगह नहीं थी। भीमराव ने इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ने के लिए चर्बी रोड़ गार्डन में एक स्थान बना लिया था। स्कूल से छुट्टी होने पर वह उसी अड्डे पर बैठकर पुस्तकें पढ़ा करता था। 

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Bhim rao Ambedkar Biography Video –

Bhim rao Ambedkar Facts –

  • भीमराव अम्बेडक का संविधान आज से 71 साल पहले सरकार ने
  • 26 नवंबर 1949 को भारत देश ने अपनाया था।
  • बाबा भीमराव अम्बेडकर पुस्तकें “जाति का उच्छेद” बहुत प्रसिद्द पुस्तक है। 
  • भीमराव आंबेडकर हिस्ट्री देखे तो वह भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता,
  • अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।
  • बाबा साहब को भारत का संविधान तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे।
  • भीमराव अंबेडकर का पूरा नाम Bhimrao Ramji Ambedkar था। 
  • भीमराव अम्बेडकर पत्नी पहली का नाम सविता और दूसरी का रामबाई था। 
  • भारतरत्न डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की समाधि स्थली
  • और बौद्ध धर्म के लोगो का आस्था का केंद्र हैं।
  • डॉ भीमराव आंबेडकर जयंती 14 अप्रैल मनाई जाती है। 

Bhim Rao Ambedkar FAQ –

1 .bhimrao ambedkar ko kisane mara ?

भीमराव अम्बेडकर को मधुप्रमेह थी उस कारन उनकी मौत हुई थी ।  

2 .bhimrao ambedkar ko kisane padhaya tha ?

भीमराव अंबेडकर ने बीए, एमए, एम.एससी, पीएच.डी, बैरिस्टर

और डीएससी जैसी 32 डिग्रियां प्राप्त की हुई थी। 

3 .bhim rao ambedkar ke kitane bachche the ?

भीमराव अंबेडकर के बेटे का नाम यशवंत आम्बेडकर था। 

4 .bhimrao ambedkar ke kitane putr the ?

भीमराव अंबेडकर को एक पुत्र था। 

5 .bhimrao ambedkar ki mrtyu kab huee thee ?

भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी।

6 . Dr bhim rao ambedkar ka janm kab hua tha ? 

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 के दिन हुआ था। 

7 .bhimrao ambedkar ka janm kahaan hua tha ? 

भीमराव अंबेडकर का जन्म महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत

( वर्तमान आम्बेडकर नगर, मध्य प्रदेश, भारत) हुआ था। 

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Conclusion – 

 मेरा आर्टिकल Bhim rao Ambedkar Biography In Hindi

बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये  हमने dr ambedkar history और भीमराव अम्बेडकर के विचार,

bhimrao ambedkar in hindi और भीमराव आंबेडकर पर निबंध in hindi से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। 

तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द। 

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