Durgabai Deshmukh Biography In Hindi – Thebiohindi

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Durgabai Deshmukh Biography In Hindi में एक वीरांगना भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी बताने वाले है। 

उनका विवाह सिर्फ 8 साल की उम्र में एक जमीनदार से करवा दिया गया था ,उन्होंने भारतदेश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है सिर्फ उतनाही बल्कि कानून की पढ़ाई कर महिलाओं के लिए उन्होंने आवाज़ भी उठाई थी । आज durgabai deshmukh iron lady ,durgabai deshmukh books और durgabai deshmukh quotes की जानकारी देने वाले है।

भारत की एक महान वीरांगना और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख का  जन्म 15 जुलाई 1909 के दिन आन्ध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले के काकीनाडा नामक कस्बे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। आज हम durgabai deshmukh life story की सम्पूर्ण जानकारी बताने वाले है तो चलिए शुरू करते है।

Durgabai Deshmukh Biography In Hindi –

 नाम  दुर्गाबाई देशमुख ( durgabai deshmukh )
 जन्म   15 जुलाई 1909
 जन्म स्थर  आन्ध्र प्रदेश , राजमुंदरी ,काकीनाडा
 माता   श्रीमती कृष्णवेनम्मा
 पिता  श्री रामाराव
 जीवन साथी  सीडी देशमुख 
 शिक्षा  आंध्र विश्वविद्यालय \मद्रास विश्वविद्यालय
 प्रमुख के सनमान  पद्म विभूषण
 मृत्यु  9 मई 1981
 मृत्यु का कारण  एक गंभीर बीमारी के वजह

दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी –

माता पिता ने दुर्गाबाई देशमुख को बचपन से ही बड़े लाड़प्यार से पालनपोषण किया था , उनका परिवार एक मध्यवर्ग का परिवार था। मध्यवर्ग में जन्म लेने के कारण उनके जीवन में बहुत कठिन परिस्थितीयों में से गुजरना पड़ा था। उन्हें बचपन से ही पढाई में बहुत रुचि थी इन्ही कारन वह बालयकाल से ही बहुत होशियार और बुद्धिमान थे। 

दुर्गाबाई जहा रहती थी वहा उनके आसपास जो लोग रहते थे उनके पास से दुर्गाबाई हिंदी सिखने की महेनत करती थी ,थोड़े वक्त के बाद उन्होंने हिंदी सिख लिया था। दुर्गाबाई को सभी लोगो आयरन से नाम से पुकारा करते थे , वे अपने माता पिता के समाज के कार्यो को देखर वे बहुत निराश थे। उनके माता पिता ने छोटी उम्र में विवाह कर दी लेकिन दुर्गाबाई को तो एक मासूम और छोटी बची थी ,इस समय के दौरान उन्होंने अपने खलने कूदने की उम्र में उनकी शादी करदी थी। 

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दुर्गाबाई देशमुख का जीवन परिचय –

वह जब 15 साल की हुई तब उनको दिमाग में ख्याल आया की मेरे पिता ने मुझे इतनी कम उम्र में विवाह कर दिया था। कम उम्र में शादी कर ने बावजूद वे उन्होंने अपने दिमाग में एक ही सवाल आया की में अप विवाह के बंधन में से निकला चाती हु तभी उन्होंने 15 साल की उम्र में सोच लिया और उन्होंने विवाह तोड़ने का फेशला ले लिया और उन्होंने अपने परिवार को बोल दिया के में ये विवाह तोड़ना चाती हु|

इसके बाद दुर्गाबाई ने शादी तोड़ ने की काफी कोशिश की और उनके पति को बुलवा कर कह दिया की आप दूसरी शादी कर लेना में आपकी अच्छी पत्नी नहीं बन पाऊँगी और आपको सालो साल तक आपका साथ नहीं दे पाऊँगी तो में शादी तोडना चाती हु और एक सामाजिक जीवन जीना चाहती हु। 

दुर्गाबाई एक महान और प्रतिभाशाली लड़की थी और उनके माता पिता के अनुरोध कार्यो से दुर्गाबाई ने हमारे देश के महान व्यक्ति महत्मा गाँधी से प्रभावती होकर वे गांधीजी की बातो को सुनकर वे अपने जीवन में काफी सारा बदलाव आया और उन्होंने छोटी उम्र में ख्याल आया की अब में कुछ ऐसा काम करना चाहती हु के मेरे देश के सभी भी महिलाओ आगे बढ़ सके|

दुर्गाबाई देशमुख ने करदी पाठ शाला की स्थापना –

जब दुर्गाबाई 10 साल की थी तब उनके दिमाग में ख्याल आया की अपने देश की महिला ओ के लिए एक पाठ साला बनाउंगी और मेरे देश के सभी महिला पढ़ सके इसके बाद दुर्गाबाई ने अपने जीवन में ये सोच लिया और उन्होंने कर दिखया और उन्होंने कम यानि की 10 साल की आयु में ये काम कर दिया था। दुर्गाबाई कम आयु में महिलाओ के लिए पढ़ने लिख ने लिए एक महान विशाल पाठशाला बनाई और वे पाठ साला में बहुत ज्यादा महिलाओ को दाखिल किया था ,सभी को पढ़ना लिखना सिखाया था। 

दुर्गाबाई ने अपने जीवन 500 से भी ज्यादा महिलाओ को वाचन लेखन की तैयारी कर दिखाया था दुर्गाबाई ने अपनी छोटी उम्र में इतना बड़ा काम कर दिखया की उनकी जो पाठशाला को देख हमारे देश के महान पुरुष महात्मा गांधीजी को ये दुर्गाबाई का छोटी उम्र में वे काम देखर गांधीजी देखर चक ही रह गए थे। गांधीजी सोच ते ही की इतनी नन्ही सी छोटी उम्र में इतना बड़ा काम कर दिया गांधीजी ने अपने मनोमन में खुश रहगये और अपनी पत्नी कस्तूरबा और सी.ऍफ़.एँड्रूज के साथ मिलकर दुर्गाबाई ने जो पाठशाला बनाई थी वे पाठशाला का निरक्षण किया था । 

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दुर्गाबाई देशमुख की गांधीजी से मुलाकात –

इस पाठशाला की गांधीजी ने मुलाकत ली तब दुर्गाबाई की उम्र सिर्फ 12 साल थी तभी दुर्गाबाई ने जीवन में सोच लिया की ये महान पुरुष के साथ ही रहना चाती थी तबसे ही गांधीजी के साथ दुर्गाबाई का संपर्क हो गया। दुर्गाबाई गांधीजी के संपर्क में आने के बाद उस समय उनके जीवन की कहानी और ही मशहूर बन गई इस समय पुरे भारत देश में आंदोलन चल रहे थे तब गांधीजी पुरे भारत देश में घूमकर धूमकर पुरे भारत देश वासियो को वो समजाते रहे थे|

ई.स 2 अप्रैल 1921 महत्मा गांधीजी आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा में सभा का आयोजित किया था , उन्होंने जो मुख्य कार्योकम वहा के जो टाउनशिप था| वहा पे होने वाला था| इसके बाद दुर्गाबाई को पता चलता हे तब उन समय यहाँ के विद्यालय की वह 12 साल की एक विद्याथी नि थी। 

जब उन्हें पता चलता है की देववासी प्रथा की शिकार महिला ओर शिकार मुस्लिम महिलाओ को भी गांधीजी को मिलावएगी सब महिला को इस कुप्रथा से कैसे मुक्तिी मिले इस लिए उन्होंने गांधीजी को मिलवाय और गांधीजी ने इन महिलाओ को गांधीजी ने समझाया था। इस के बाद एक मुसीबत थी तब गांधीजी के साथ एक सभा का आयोजन कर ना था , दुर्गाबाई ने एक स्कूल के विशाल मैदान में गांधीजी की सभा का आयोजन किया था। 

दुर्गाबाई की सभा –

दुर्गाबाई की रची गयी सभा में गांधीजी केवल 5 या 6 मिनिट ही भाषण किया था ,इस सभा के दौरान दुर्गाबाई केवल इतने भाषण से ही बहुत प्रसन्न हुए थे। उनके स्कूल का मैदान रेलवेटेसन और टाउनशिप के बिच में था इस मैदान नज़दीक होने के कारण गांधीजी इस महिलाओ के बिच पहले आये थे इन सभा में एक हज़ार से भी अधिक महिलाये जुड़ चुकी थी तब  गांधीजी ने अपना भाषण शुरू किया था। 

उस वक्त गांधीजी ने आधे घंटे तक भाषण किया और वे सभी महिलाओ अपने गले पग हाथ में सब सोने के आभूषण पहने थे सभी गांधीजी को देदीये थे। सभा पूर्ण होने के पश्यात दुर्गाबाई गांधीजी को छोड़ने के लिए दरवाजे पर गयी ,तब गांधीजी ने दुर्गाबाई को कहा की दुर्गा आओ और मेरी गाड़ी में बैठो तब दुर्गाबाई गाड़ी में कस्तूरबा के पास बैठ गए थे। 

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दुर्गाबाई देशमुख का भाषण –

गांधीजी और दुर्गाबाई टाउनशिप में पहुंचे तब वहाँ के प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी कोंडा वेंकटाप्पैय्या ने गाँधीजी के हिन्दुस्तानी में दिए जा रहे भाषण वे दुर्गाबाई ने तेलुगु में अनुवाद किया वे भाषण तेलुगु में किया करते थे| इस दर्मियान गांधीजी ने दुर्गाबाई को उनका भाषण तेलुगु में अनुवाद करने के लिए कहते थे|

जब दुर्गाबाई ने गांधीजी के सामने ही विदेश कापड़ो की होली जलाई थी ,जब दुर्गाबाई के पास कीमती आभूषण थे , वे आभूषण दुर्गाबाई ने गांधीजी को दे दिया और वे अपने आप को सेविका का पालन किया तब गांधीजी इस छोटी सी बची का साहस देखर गांधीजी चकित ही रह जाते थे। 

इस दरमियान काकीनाड़ा में कांग्रेस का अधिवेशन था चल रहा था ,तब दुर्गाबाई छोटी उम्र में गेट के दरवाजे पे थी इस अधिवेशन में पडित जवाहरलाल नेहरू आये थे उस वक्त उन्होंने अंदर जाने की टिकिट ली नहीं थी तब दुर्गाबाई ने उन्हें रोक दिया और बिना टिकिट देखे अंदर जाने नहीं दिया तब इन नन्ही थी छोटी लड़की को देखर नेहरूजी देखते ही रह गए और उन्हें टिकिट लेकर ही अंदर जाना पड़ा था। दुर्गाबाई 20 साल की हो गई तब पुरे भारत देश में उनके भाषण धूम मचा रहे थे जब दुर्गाबाई भाषण करती थी तब उनके आवाज सुनकर सभी भारत वासियो के रौंगटे खड़े होजाते थे। 

दुर्गाबाई देशमुख के विवाह –

durgabai deshmukh केवल आठ साल की उम्र थी तब उनके पिताजी ने उन्ही का विवाह कर एक जमींदार दत्तक पुत्र सुब्बा राव से कर दिया दिया था , दुर्गाबाई के अनुसार, उनकी शादी उनके पिता के जीवन एक बहुत बड़ी ग़लती थी, जो उन्होंने उनकी बेटी की शादी बचपन में कर दी , इसके बाद अपने पिता और भाई के साथ से उन्होंने 15 साल की उम्र में इस शादी को ख़त्म कर दिया। 

दुर्गाबाई देशमुख ने कितने काम किये थे –

10 साल की उम्र में काकीनाद में महिलाओं के लिए हिंदी विद्यापीठ शुरू करदी थी , इसमें 500 से भी अधिक स्त्रीओ को हिंदी लिखना सिखाया था। उन्होंने गांधीजी के सामने ही विदेशी वस्त्रो की होली जलाई थी ,और अपने कीमती आभूषण उनको दान में दे दिए और खुद को एक स्वयं सेविका के रूप में समर्पित कर दिया था। महात्मा गांधी भी इस छोटी-सी लड़की के साहस को देखकर दंग रह गये थे ,इसके पश्यात दुर्गाबाई गांधीजी के आंदोलन में शुरू कर दिए थे।

Durgabai Deshmukh के आंदोलन –

भारत में नमक सत्याग्रह आंदोलन चल रहा था ,उस वक्त दुर्गाबाई को जेल में कैद कर लिया था ,उनको वेल्लोर की जेल में कैद कर लिया था , दुर्गाबाई ने जेल में देखा तो जेल में कही सारी महिलाओ को जेल में कैद करलिया गया था।जब दुर्गाबाई ने सभी महिलाओ को देखा तो इनमे कही सारि महिलाये ऐसी थी जिन्हे मालूम ही नहीं था की उन्हें किस जुर्म में कैद किया है ,सभी महिलाओ की जेल में बहुत बुरी हालत थी की बिना जुर्म में उन्हें कैद किया गया था|

इतना जुल्म देखर दुर्गाबाई के दिल पे बहुत बड़ी चोट लगी थी ,उनका दुःख उनसे देखा और सहा नहीं जाता था वह हमेशा उनके बारे में सोचती रहती थी। बाद में उन्होंने इन महिलाओ को जेल से आज़ाद कराने का फैसला कर लिया और कसम खाई की में इन महिलाओ को बिना जुर्म से जेल में नहीं रहने दूगी। दुर्गाबाई को नमक सत्याग्रह आंदोलन के वक्त ई.स 1930 से 1933 के बिच उनको तीन वक्त गिरफ्तार कर लिया था ,इसी वजह से उनका जो लास्ट कार्यकम उन्होंने मदुरै जेल में बिताया था। 

दुर्गाबाई को गिरफ्तार करके उनको जेल में खुनी केदियो के बिच कैद कर के रखा गया था ,उन्होंने अपने जीवन में जेल का अनुभव कई वक्त ले लिया था ,इसके पश्यात दुर्गाबाई कसम खाई की अब मेरा बचा हुआ जीवन मेरे देश के गरीबो दलितों और शोषितो के लिए सेवा करने के लिए व्यतीत कर दूंगी। 

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दुर्गाबाई जेल में से मुक्त हो करके क्या किया –

दुर्गाबाई जेल से आज़ाद होने के बाद अपना अधूरा अभ्यास पूर्ण क्या यानि की मैट्रिक से लेकर एम.ए की पढाई पूण करदी इसके पश्यात दुर्गाबाई को आगे पढाई करने का मन बनालिया था उन्हें स्त्री होने के कारण कही सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था दुर्गाबाई को मेट्रिक के बाद बी.ए की पढाई करनी थी उस वक्त उन्होंने ने राज कारण होने के कारन उन्हें समय कम मिला था तभी दुर्गाबाई ने काशी विद्यालय में विज्ञान में बी.ए की पढाई करना चाहती थी ,लेकिन मदन मोहन मालवीय इस विषय को केवल पुरुषों के लिए ही उपयुक्त समझते थे।

उन्होंने दुर्गाबाई को बी.एच.यू. में राजनीति विज्ञान से बी.ए. करने की अनुमति नहीं दी थी ,दुर्गाबाई भी हार माने वालो में से नहीं थी बाद में उन्होंने आंध्र विद्यालय में एडमिन होने का फैसला कर लिया था| वो एडमिन तो हो गए लेकिन कुलपति डॉ. सी.आर. रेड्डी एक लम्बी बहस के बाद दाखिले पर सहमत हुए थे।  दुर्गाबाई को नया बहाना बताया की आप इस विद्यालय में एडमिन तो हो गयी हो लेकिन हमारे यहाँ गर्ल्स हॉस्टल नहीं है। 

आंध्र विद्यालय में प्रवेश की तरकीब –

उन्होंने इस विद्यालय में पढाई करने के लिए दिमाग लगाया और सभी को बताया की जो भी इस आंध्र विद्यालय में पढाई करना चाहते है वो मुझे संपर्क करे इसके पश्यात उन्हें 10 लड़कियों ने सपर्क किया और वे 10 लड़कियों और दुर्गाबाई सभी साथ मिलाकर एक जगाह की खोज की और उन्होंने उनकी खुद की गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण किया था। 

दुर्गाबाई ने स्कूल मास्टर को मिलकर चुनौती की की हमारी गर्ल्स हॉस्टल को फोर्सो में दाखिल किया जाये इनके बाद ई.स 1939 में में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए बी.ए. (ऑनर्स) पास किया था। अपनी पढाई पूर्ण करने के बाद में उन्हें लंदन को पढाई के लिए टाटा स्कॉलरशिप मिल गई लेकिन जब द्वितीय विश्व युद्ध होने कारण उनकी लंदन में नहीं जा सकी इनके बाद वो मद्रास के लॉ कॉलेज में एडमिन हो गई और उन्होंने वकालत की डिग्री प्राप्त की एव एक वकील बन चुकी थी|

भारत देश आज़ाद होने के बाद दुर्गाबाई क्या बन गई –

भारत देश जब आज़ाद हो गया तब दुर्गाबाई को संविधान सभा में एक सदस्यों में प्रमुख थी इन सदस्यों में केवल दुर्गाबाई एक ही महिला थी , बाकी सभी पुरुष ही थे। संविधान सभा और बाद में आतंरिक सरकार में होने वाली बहसों में वे हिस्सा लेती थीं । खासकर वंचितों और महिलाओं के अधिकारों और बजटीय प्रावधानों के लिए ये मंत्रियों को परेशान करके रखती थीं। उन्हें सरदार पटेल का भी बहुत स्नेह प्राप्त हुआ था।

दुर्गाबाई देशमुख का दूसरा विवाह –

44 साल की उम्र में 1953 में भूतपूर्व वित्त मंत्री चिंतामणि देशमुख से दोबारा विवाह किया था विवाह के समय दरमियान दुर्गाबाई “योजना आयोग” की सदस्या बन चुकी थी। नारी शिक्षा की राष्ट्रीयता समिति के प्रथम अध्यक्षा के नाते स्त्री शिक्षा के लिए विशेष प्रावधानों, योजनाओं को व्यवस्था करने, बिछड़े वर्गों में स्त्रीओ और बच्चो के उचित काम को प्राथमिकता दिलाने के लिए durgabai deshmukh ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था। 

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दुर्गाबाई देशमुख ने क्या क्या बनवाया था  –

अपने पति के साथ मिलकर उन्होंने नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और काउंसिल ऑफ सोशल डेवलपमेंट एँड पॉपुलेशन काउंसिल ऑफ इंडिया की बनाने की कलपना की थी , भारत देश में लड़कियों और महिलाओ के लिए ई.स 1958 में में गठित ‘नेशनल काउंसिल फॉर वीमेंस एजुकेशन’ की पहली अध्यक्ष durgabai deshmukh को ही बनाया गया था। इसके बाद इन्होने दिल्ली स्थित संस्था ‘काउंसिल फॉर सोशल और डेवलपमेंट’ की स्थापना की थी|

उन्होंने ने संविधान सभा में हिंदी भाषा को राष्ट भाषा बनाने की दुर्गाबाई ने प्रस्ताव दिया था ,दुर्गाबाई ने प्रशिक्षित कार्यकारो को के संगठन कोशिश के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने की कोशिश की थी ,दुर्गाबाई ने ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन की स्थापना  है। इनके बाद दिल्ली में पिंक लाइन के साउथ कैम्पस मेट्रों स्टेशन भी की स्थापना की थी , इस स्टेशन का नाम भी durgabai deshmukh दिया गया है , इनके बाद दुर्गाबाई ने उसके समीप स्थित श्री वेंकटेश्वर कॉलेज की स्थापना भी उन्होंने करवाई थी।

दुर्गाबाई देशमुख की ई.स 1958 समिति –

भारत देश आज़ाद होने के बाद भारत की महिलाओ और लड़कियों की जनसख्या की समान थी ,इनके बाद लड़कियों को भी शिक्षा दी जाती रही जब ई.स 1957 को योजना आयोग शिक्षक की शिफारिश की गयी थी। कृति से संबंधित प्रश्न के विभिन्न पक्षों की जांच करने और जीवन व्यतीत करने मे सहायक है , एक उपयुक्त समिति का गठन किया जाए।

1957 में आयोजित राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में यह सुझाव आया कि महिलाओं की शिक्षा से जुड़े संपूर्ण प्रश्न की जांच करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाए इसके बाद ई.स 1958 में महिलाओ की शिक्षा दरमियान एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया था| इन संगठन का हक़दार दुर्गाबाई को बनाया गया था। 

मिडिल विद्यालय स्थान पर पर शिक्षा की सिफारिश की, परंतु स्कूल की स्थान पर पर लड़कियों के लिए ऐसे अलग विद्यालय स्थापित करने की ख्वाहिश की जहां पर लड़कियों के पढाई के लिए उपयुक्त तथा वहा उनके लिए अधिक विविध पाठ्यचर्या का प्रावधान हो सके। इसके फलस्वरूप नीति में तथा व्यवहार में बहुत सारे प्रावधान किए गए ताकि सभी भारत देश की महिला और लड़िकियो को शिक्षा के बाद महिलाओ को भी स्थान मिल सके। 

Durgabai Deshmukh Death –

9 मई 1981 के दिन durgabai deshmukh की मृत्यु हुई थी उस वक्त वह काफी समय तक बीमार ही बीमार रहती थी| इन बीमार की वजह से ही उनकी मृत्यु हो गयी थी। 

Durgabai Deshmukh Award

आन्ध्रप्रदेश के गावो में शिक्षा के प्रचार के कारन दुर्गाबाई को नेहरू साक्षरता पुरस्कार तथा भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण सहित अन्य अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया दुर्गाबाई के जन्म दिन पर हम सभी भारत वासियो इन्हे जन्म दिन पे याद करते है। 

Durgabai Deshmukh से लाजपत नगर में केसे पहोचे –

दिल्ली में मेट्रो ट्रेन की यात्रियोंको के लिए शुरू की जायेगी ,मजलिस पार्क के शिव विहार कॉरिडोर के लिए दूसरे प्लेटफ्रॉम देशमुख साउथ कैंपस-लाजपत नगर पर जाने के लिए मेट्रो ट्रेन सेवा यात्रियों के लिए शुरू हो जाएगी। अब धौला कुंआ से लाजपत नगरजाने के लिए एक घंटे नहीं केवल 16 मिनट में पूरा होगा। इसका उद्घाटन केंद्रीय आवास एवं विस्तार के मंत्री के हरदीप सिंह पुरी और मुख्यमंत्री केजरीवाल मेट्रो भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे।

उनकी लम्बाई 8.1 किमी है ,इस पर छह स्टेशन होंगे, जिनमें सर विश्वेश्वरैया मोती बाग, भीकाजीकामा प्लेस, सरोजिनी नगर, आईएनए, साउथ एक्सटेंशन और लाजपत नगर मेट्रो स्टेशन शामिल हैं। इस सेक्शन पर सर विश्वेश्वर्या मोती बाग स्टेशन ही एलेवेटेड (ऊपरी) स्टेशन है, जबकि बाकि पांच स्टेशन भूमिगत हैं।

लाजपत नगर से धौला कुंआ 16 मिनट में –

यात्रियों के लिए इस सेक्शन की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि यात्री अब महज 16 मिनट में धौला कुंआ से लाजपत नगर, 5 मिनट 7 सेकेंड में आईएनए से लाजपत नगर, 16 मिनट 13 सेकेंड में पहुंच सकेंगे खास से लाजपत नगर, आईएनए से राजौरी गार्डन 23 मिनट 38 सेकेंड में लाजपत नगर से राजौरी गार्डन 28 मिनट 45 सेकेंड में और लाजपत नगर से नेताजी सुभाष प्लेस 39 मिनट 46 सेकेंड में पहुंच सकेंगे।

Durgabai Deshmukh Video –

Durgabai Deshmukh Fact –

  • दुर्गाबाई को सभी लोगो आयरन से नाम से पुकारा करते थे। 
  • 10 साल की उम्र में काकीनाद में महिलाओं के लिए हिंदी विद्यापीठ शुरू करदी थी , इसमें 500 से भी अधिक स्त्रीओ को हिंदी लिखना सिखाया था।
  • दुर्गाबाई के पास कीमती आभूषण थे , वे आभूषण उन्होंने गांधीजी को दे दिया और वे अपने आप को सेविका का पालन किया तब गांधीजी इस छोटी सी बची का साहस देखर चकित ही रह जाते थे। 
  • जब दुर्गाबाई भाषण करती थी तब उनके आवाज को सुनकर सभी भारत वासियो के रौंगटे खड़े होजाते थे। 
  • आन्ध्रप्रदेश के गावो में शिक्षा के प्रचार के कारन दुर्गाबाई को नेहरू साक्षरता पुरस्कार तथा भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण सहित अन्य अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। 

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Durgabai Deshmukh Questions –

1 .दुर्गाबाई देशमुख जन्म कब और कहा हुवा था ?

भारत की एक महान वीरांगना और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख का  जन्म 15 जुलाई 1909 के दिन आन्ध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले के काकीनाडा नामक कस्बे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।

2 .दुर्गाबाई देशमुख के पिता का नाम क्या था ?

दुर्गाबाई देशमुख के पिताजी का नाम श्री रामाराव और माता का नाम श्रीमती कृष्णवेनम्मा था। 

3 .दुर्गाबाई देशमुख के पति का नाम क्या था ?

सीडी देशमुख दुर्गाबाई देशमुख के पति थे। 

4 .दुर्गाबाई देशमुख की मौत कब और कैसे हुई थी ?

उनकी मृत्यु ई.स 9 मई 1981 के दिन एक गंभीर बीमारी के वजह से हुई थी। 

5 .दुर्गाबाई देशमुख की की शादी कब हुई थी ?

दुर्गाबाई की पहली शादी उनके बचपन में करवादी गयी थी सिर्फ और सिर्फ 10 साल की उम्र में और बाद में उन्होंने शादी तोड़ दी थी उन्होंने अपनी दूसरी शादी 44 साल की उम्र में की थी। 

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Durgabai Deshmukh Biography In Hindi पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये  हमने durgabai deshmukh speech और durgabai deshmukh death से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। जय हिन्द ।

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