Ram Singh Kuka Biography In Hindi – राम सिंह कुफ़ा की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Ram Singh Kuka Biography In Hindi में नामधारी संप्रदाय के संस्थापक रामसिह कूफ़ा का जीवन परिचय बताने वाले है। 

रामसिह कूफ़ा को महान समाज सुधारक के साथ साथ धर्म गुरु और स्वाधीनता सेनानी भी कहा जाता है , लोग उन्हें सतगुरु राम सिंह भी कहते है। आज समाज सुधारक sri satguru ram singh kuka ने जो आजादी आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई है उसकी सभी बाते बताई जायेगे। kuka movement किस तरह काम किया करता था और satguru ram singh ji return हुए वह भी बात करने वाले है। 

उनका जन्म पंजाब  के भैनी गाँव में हुआ था , पिताजी का नाम सरदार जस्सा सिंह है और उनके गुरूजी का नाम बालक सिंह था। guru ram singh ने समाज में चल रहे व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध तो संघर्ष किया था , , साथ ही वे विदेशी शासकों के विरुद्ध भी एक कारगर संग्राम के सूत्रधार बने थे , उनकी विचारधारा से अंग्रेज़ इतना परेशान हुए कि उन्हें बंदी बनाकर रंगून, बर्मा भेज दिया गया। 

Ram Singh Kuka Biography In Hindi –

  नाम

  सतगुरु राम सिंह

  जन्म

  3 फ़रवरी, 1816

  जन्म स्थान 

  भैनी गाँव, पंजाब

  पिता

  सरदार जस्सा सिंह

  गुरु

  बालक सिंह

  राष्ट्रीयता

  भारतीय

  मृत्यु

  18 जनवरी 1872 (ढाका, बांग्लादेश)

राम सिंह कुफ़ा की जीवनी –

ram singh kuka का जन्म 3 फ़रवरी, 1816 को भैनी (पंजाब) में हुवा था और एक प्रतिष्ठित, छोटे से किसान परिवार में हुआ था। प्रारंभिक जीवन से ही baba ram singh कूफ़ा अपने परिवार को खेती काम में मदद करते थे। लेकिन आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने के कारण वे प्रवचन आदि भी दिया करते थे।

sant baba ram singh ji ने युवावस्था में सादगी पसंद और बालक सिंह से उन्होंने महान् सिक्ख गुरुओं तथा खालसा नायकों के बारे में जानकारी हासिल की।अपनी मृत्यु से पहले ही बालक सिंह ने राम सिंह को नामधारियों का नेतृत्व सौंप दिया। नामधारी आंदोलन के संस्थापक बालकसिंह थे और रामसिंह उनके शिष्य बन थे।

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सिक्खों का संगठन – 

20 साल की उम्र में राम सिंह सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह की सेना में शामिल हुए। रणजीत सिंह की मृत्यु के कारन उनकी सारी सेना बिखर गई ।ब्रिटिश ताकत और सिक्खों की कमज़ोरी से चिंतित guru ram singh ने सिंक्खों में फिर से आत्म-सम्मान जगाने का निश्चय कियारामसिंह ने सभी को संगठित करने के लिए कई सारे उपाय किए।सबसे पहले रामसिंह ने नामधारियों में एक नए रिवाजों की शुरुआत की और फिर उन्हें उन्मत मंत्रोच्चार के बाद चीख की ध्वनि उत्पन्न करने के कारण ‘कूका कहा जाने लगा।

उनका संप्रदाय, अन्य सिक्ख संप्रादायों के मुकाबले अधिक शुद्धतावादी और कट्टर था। नामधारी हाथों से बुने सफ़ेद रंग के कपडे पहनते थे। वे लोग एक बहुत ही ख़ास तरीके से पगड़ी बाँधते थे। वे अपने पास डंडा और ऊन की जप माला रखते थे। विशेष अभिवादनों व गुप्त संकेतों का इस्तेमाल वे किया करते थे। उनके गुरुद्धारे भी अत्यंत सादगीपूर्ण होते थे।

स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह कुका – 

ram singh कूफ़ा एक ईमानदार और बहादुर सैनिक थे और तो और वो एक धार्मिक नेता भी थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत ही महत्व पूर्ण योगदान दिया था। राम सिंह कुका ने कूका विद्रोह की शुरुआत की थी उन्होंने पंजाब में अंग्रेजो के खिलाफ जो असहकार आन्दोलन किया था वह बहुत ही प्रभावी आन्दोलन साबित हुआ था। sri satguru ram singh ji ने अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई थी और बाद में उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ बड़े पैमाने पर असहकार आन्दोलन भी किया था।

उनके नेतृत्व में हुए असहकार आन्दोलन में लोगो ने अंग्रेजो की शिक्षा, कारखानों में बने कपडे और कई सारी महत्वपूर्ण चीजो का बहिष्कार किया था। समय के साथ साथ कुका आंदोलन और भी घातक बनता गया। कूका आंदोलन से अंग्रेज बहुत ही हैरान गए थे इसी लिए अंग्रेजो ने कुका आंदोलन के अनेक सारे क्रांतिकारियों मार दिया था और तो और राम सिंह को रंगून भेज दिया। बाद में उन्हें आजीवन कारावास के लिए अंदमान के जेल में भेज दिया गया।

नामधारी शिख धर्म की स्थापना – 

नामधारी शिख धर्म की स्थापना के पीछे baba ram singh कूका का बहुत ही महत्व पूर्ण योगदान रहा है। सतगुरु राम सिंह ने 12 अप्रैल 1857 को उसकी स्थापना की थी उन्होंने अपने पाच अनुयायी को अमृत संचार की दीक्षा दी उस दिन राम सिंह ने भैनी साहिब में कुछ किसान और कारीगरों के सामने एक त्रिकोणीय झंडे को फहराया।

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भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में राम सिंह कूका का योगदान – 

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में राम सिंह कुका का योगदान की बात करे तो ram singh कुका सिख धर्म के दार्शनिक और समाज सुधारक थे। और तो और राम सिंह कुका अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध करने के लिए हथियारों का भी प्रयोग किया था । और guru ram singh कुका पहले भारतीय थे जिन्होंने अंग्रेजो के सभी चीजो का बहिष्कार किया था।राम सिंह कुका अंग्रेजो को अपने देश से निकला ने के लिए रूस से मदद भी मांगी थी।

लेकिन रूस उनको मदद करने से इंकार कर दिया था क्योकि रूस लेकिन ग्रेट ब्रिटन के साथ में युद्ध करने का खतरा नहीं लेना चाहते थे sant baba ram singh ji ने जिंदगी के आखिरी दिन कारावास में बिताये। उन्हें कैद से छुटकारा मिलने पर उन्हें रंगून में भेजा गया जहापर उन्हें 14 साल तक कैदी बनकर रहना पड़ा।

सामाजिक सुधारणा –

sri satguru ram singh ji ने विवाह के एक बहुत ही आसान और सरल तरीके की शुरुवात की थी। उस विवाह को आनंद कारज कहा जाता था। आनंद कारज मार्ग से विवाह करने से वेद और ब्राह्मण द्वारा बताये गए विवाह से छुटकारा मिल गया था। इस तरह के विवाह से आम लोगो का शादी करने का बोझ काफी हद तक ख़तम हो गया था। सतगुरु के मुताबिक विवाह गुरुद्वारा में सतगुरु और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब ग्रंथ के सामने किये जाते थे। इस तरह के विवाह में दहेज़ पर बंदी लगायी गयी थी।

विवाह के बाद सभी को लंगर में भोजन दिया जाता था। इस तरह के विवाह की वजह से गरीब किसान अपने लडकियों का विवाह बिना किसी चिंता से कर सकते थे। उन्होंने पंजाब में भ्रूणहत्या और लडकियों को मारने पर पाबन्दी लगाई थी। राम सिंह कुका ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में जो योगदान दिया है वह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ जो कुका आन्दोलन किया था वह सबसे प्रभावशाली आन्दोलन साबित हुआ था। इस आन्दोलन में उन्होंने अंग्रेजो की परेशानियों को और भी बढ़ा दिया था।

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रामसिह कूफ़ा का मृत्यु – (Ram Singh Kufa Death)

रामसिह कूफ़ा का मृत्यु 18 जनवरी 1872 (ढाका, बांग्लादेश) में हुवा था। बाबा राम सिंह कुका अपने संप्रदाय में वक्त के साथ अपनी गति तेज करदी थी और ब्रिटिश शासन के अधिकारीओ ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को बेरहमी से मारपिट का उग्र विरोध किया था। baba ram singh को कैदी बनाकर रंगून जेल भेज दिया था एवं उस समय के बाद बाबा रामसिंह कूफ़ा को उम्रभर कारावास की जेल हुई इसमें अंडमान जेल रखा गया था ।

29 नवम्बर 1885 के दिन राम सिंह कुका का देहांत हो चूका था। ram singh kuka की मौत का उसके अनुयायियों के दिमाग पर इतना ख़राब प्रभाव पड़ गया था कि sant baba ram singh ji के देहांत के पश्यात भी अनुयायिई विश्वास नहीं कर पाए कि उनकी मौत हो चुकी हैं। उन सभी को लग रहा था कि इंसानो का दिशा निर्देशन करने के लिए बाबा वापस लौट कर वापस आएंगे।

बाबा राम सिंह के देहांत के पश्यात सविनय अवज्ञा और असहयोग की रीत को उनके पश्यात मोहनदास करमचंद गांधी[महांत्मा ] द्वारा अपना लिया गया था। जो की बाद में आजाद भारत के स्वप्न को सिद्ध करने की चाह को अमर करने की बुलंद करने के ख्वाब को अमर कर दिया।

Ram singh Kufa Life Style Video –

Ram singh Kufa Interesting Facts –

  • सतगुरु राम सिंह बहुत बड़े और महान सुधारक थे।
  • अपने जीवन में स्त्रियों और पुरुषों को सामान हक़ दिलाने के लिए प्रचार किया और उसमे सफल भी रहे थे।
  • 19वीं सदी में के ख़राब रिवाजो के प्रति जाग्रत्ता दिलाई थी। जैसी की लड़कीओ को पढाई से वंचित रखना जन्म होते ही मार देना।
  • राम सिंह 3 जून 1863 को गाँव खोटे जिला फिरोजपुर में 6 अंतर्जातीय विवाह करवा कर समाज में नई क्रांति लाई गई। 
  • रामसिह का मृत्यु 18 जनवरी 1872 (ढाका, बांग्लादेश) में हुवा था।
  • बाबा राम सिंह कुका अपने संप्रदाय में वक्त के साथ अपनी गति तेज करदी थी। 
  • नामधारी शिख धर्म की स्थापना सतगुरु राम सिंह ने 12 अप्रैल 1857 के दिन की हुई है। 
  •   नामधारी स्थापना के पीछे बाबा राम सिंघ  कूका का बहुत ही महत्व पूर्ण योगदान रहा है।
  • रामसिह कूफ़ा को महान समाज सुधारक के साथ साथ धर्म गुरु और स्वाधीनता सेनानी भी कहा जाता है। 

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Ram Singh Kufa Questions –

1 .राम सिंह कूफ़ा कोन थे ?

राम सिंह कुका नाम धारी संप्रदाय के संस्थापक,समाज सुधारक,धर्म गुरु और स्वाधीनता सेनानी थे। 

2 .राम सिंह कूफ़ा का जन्म कब हुआ था ?

राम सिंह का जन्म किसान परिवार में 3 फ़रवरी 1816 को पंजाब के भैनी में हुवा था। 

3 .सतगुरु राम सिंह के पिताजी का नाम क्या था ?

राम सिंह के पिताजी का नाम सरदार जस्सा सिंह है। 

4 .नामधारी संप्रदाय की स्थापना किसने करवाई थी?

नामधारी संप्रदाय की स्थापना सीखो के सतगुरु राम सिंह कूफ़ा ने करवाई थी। 

5 .रामसिह कूफ़ा का मृत्यु कब हुआ था ?

18 जनवरी 1872 के दिन रामसिह कूफ़ा का मृत्यु बांग्लादेश ढाका में हुआ था।

6 .अंतर्जातीय विवाह की शुरुआत करने वाले महान व्यक्ति कोन थे ?

सतगुरु राम सिंह कूफ़ा अंतर्जातीय विवाह की शुरुआत करने वाले महान व्यक्ति थे। 

7 .सतगुरु राम सिंह ने क्या किया है ?

राम सिंह ने अपने जीवन में लोगो की सेवाएं की। ब्रिटिश शासन के अधिकारीओ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को बेरहमी से मारपिट का विरोध किया था।

8 .रामसिह कूफ़ा के गुरु कोन थे ?

बालक सिंह रामसिह कूफ़ा के गुरु थे। 

9 .क्या राम सिंह कुका स्वतंत्रता सेनानी थे ?

हा राम सिंह कुका स्वतंत्रता सेनानी थे। 

10 .क्या सतगुरु राम सिंह समाज सुधारक थे ?

हा राम सिंह कुका समाज सुधारक थे। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Ram Singh Kuka Biography In Hindi बहुत अछि तरह से पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने bhai ram singh kuka और kuka movement in hindi से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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