Vijay Singh Pathik Biography in Hindi – विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Vijay Singh Pathik Biography in Hindi में भारत देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीर क्रांतिकारियों में से एक विजय सिंह पथिक के बारे में जानकारी बताने वाले है। 

उनके ऊपर अपने पुरे परिवार की और माँ की क्रान्तिकारी और देशभक्ति में परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा था। विजय सिंह पथिक अपनी पूरी जिंदगी क्रांतिकारी आंदोलन में समर्पित कर दी थी। आज हम vijay singh pathik ka mool naam kya tha ? , pathik surname और vijay singh pathik in hindi की सम्पूर्ण माहिती से ज्ञात करने वाले है। वह युवावस्था में ही अमर क्रान्तिकारियों जैसे की रासबिहारी बोस और शचीन्द्रनाथ सान्याल वगेरे लोगो के संपर्क में आये थे। 

विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम ‘भूपसिंह’ था, किंतु ‘लाहौर षड़यंत्र’ के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर विजय सिंह पथिक रख लिया और फिर अपने जीवन के अंत समय तक वे इसी नाम से जाने जाते रहे। महात्मा गाँधी के ‘सत्याग्रह आन्दोलन’ से बहुत पहले ही पथिक जी ने ‘बिजोलिया किसान आन्दोलन’ के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया था।  तो चलिए इस महान व्यक्ति के जीवन परिचय को विस्तार से दिखते है। 

Vijay Singh Pathik Biography in Hindi – 

नाम

  विजय सिंह पथिक

अन्य नाम

  भूपसिंह गुर्जर

 

जन्म

  27 फ़रवरी, 1882

जन्म भूमि

  गुलावठी कलाँ, ज़िला बुलंदशहर, उत्तर            प्रदेश

मृत्यु

  28 मई, 1954

मृत्यु स्थान

  मथुरा, उत्तर प्रदेश

अभिभावक

  हमीर सिंह और कमल कुमारी

पत्नी

  जानकी देवी

नागरिकता

  भारतीय

प्रसिद्धि

  स्वतंत्रता सेनानी

धर्म

  हिन्दू

आंदोलन

  बिजोलिया किसान आन्दोलन

विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फ़रवरी, 1882 को हुवा था उनके पिता का नाम हमीर सिह था और माता का नाम कमल कुमारी था वो अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश में स्तिथ बुलंदशहर ज़िले के गुलावठी कलाँ ग्राम में रहते थे। उनके दादा का नाम नाम इन्द्र सिंह था और वो गुर्जर परिवार से सम्बंधित थे।

vijay singh pathik के पिता हमीर सिंह गुर्जर को भी क्रान्ति में भाग लेने के आरोप में ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार किया था। विजय सिंह पथिक पर उनकी माँ कमल कुमारी और परिवार की क्रान्तिकारी व देशभक्ति से परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा था। और तो और उनके दादा जी बुलन्दशहर में मालागढ़ रियासत के दीवान थे।

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विजय सिंह पथिक का विवाह – 

विजय सिंह पथिक का विवाह करीबन 48 वर्ष की उम्र में हुवा था। vijay singh pathik ने एक विधवा स्त्री जानकी देवी के साथ विवाह किया था और वो अध्यापिका भी थी । उन्होंने अपना गृहस्त जीवन शुरू किया था की करीब एक महीने बाद अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों की वजह से उनको गिरफ़्तार कर लिए गया था। उनकी पत्नी जानकी देवी ने अपना घर बार चलने के लिए अपने घर पर ही ट्यूशन क्लास चालू कर दिया और अपना घर चलाया था पथिक जी को इस बात का मरते दम तक अफ़सोस रहा था कि वे ‘राजस्थान सेवा आश्रम’ को अधिक दिनों तक चला नहीं सके और अपने मिशन को अधूरा छोड़ कर चले गये।

विजयसिंह पथिक का नाम परिवर्तन – 

विजयसिंह पथिक ने अपनी युवावस्था में उनकी मुलाकात रासबिहारी बोस और शचीन्द्रनाथ सान्याल जैसे महान देशभक्त क्रान्तिकारियों से हुए थी। पहले उनका मूल नाम भूपसिंह था लेकिन हालात ऐसे थे की उनको अपना नाम बदलना पड़ा था क्यों की जब 1915 के ‘लाहौर षड्यन्त्र’ बाद ही उन्होंने अपना नाम बदल कर विजयसिंह पथिक रखा था।

इसके बाद वे अपनी मृत्यु पर्यन्त तक इसी नाम से जाने गए। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के ‘सत्याग्रह आन्दोलन’ से बहुत पहले ही उन्होंने ‘बिजोलिया किसान आन्दोलन’ के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का काम किया था।

बिजोलिया किसान आंदोलन – (Bijoliya Kisan Andolan)

विजयसिंह पथिक अपने साथियो के साथ 1920 में नागपुर अधिवेशन’ में शामिल हुए थे और बिजोलिया के किसानों की भूरी हालत देखकर और देशी राजाओ की निरंकुशता को दिखाती हुए एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। महात्मा गांधीजी विजयसिंह पथिक की बिजोलिया किसान आंदोलन से बहुत ही प्रसन हुए थे ,लेकिन उनका देशी राजाओं और सामन्तों के प्रति रुख नरम ही बना रहा था।

महात्मा गांधीजी और कांग्रेस सामन्तवाद साम्राज्यवाद का ही एक स्तम्भ है यह समझने में असफल रहे थे। उन्होंने साम्राज्यवाद के विनाश के लिए साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष के साथ-साथ सामन्तवाद विरोधी संघर्ष आवश्यक है। महात्मा गांधीजी ने अहमदाबाद के अधिवेशन’ में बिजोलिया के किसानों छोड़ देने की सलाह दीठि। विजयसिंह पथिक ने इसे अपनाने से इनकार कर दिया। सन 1921 के आते-आते विजयसिंह पथिक ने ‘राजस्थान सेवा संघ’ के माध्यम से बेगू, पारसोली, भिन्डर, बासी और उदयपुर में शक्तिशाली आंदोलन किए थे ।

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राजस्थान स्वतंत्रता संग्राम में विजय सिंह पथिक की क्या भूमिका रही थी –

राजस्थान स्वतंत्रता संग्राम में विजय सिंह पथिक की भूमिका की बात करे तो ऐसे में उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपना नाम भूप सिंह से बदलकर विजय सिंह ‘पथिक’ रख लिया, ताकि अंग्रेजी सरकार को धोखा दे सकें। उन्होंने अपने नाम के साथ-साथ अपनी वेश-भूषा को भी बदला और राजस्थान में मेवाड़ियों की तरह रहने लगे। यहाँ पर उन्होंने ‘वीर भारत सभा’ नाम के एक गुप्त संगठन की स्थापना में अपना योगदान दिया।

विजयसिंह पथिक और किसानों की विजय –

बिजोलिया किसान आंदोलन अलग अलग क्षेत के किसानो के एक प्रेरणा स्रोत बन चूका था। सारे राजस्थान के किसानो का मानना था की बिजोलिया किसान आंदोलन लहर चल पड़ी थी। उसीकी वजह से ब्रिटिश सरकार गभरा गई थी इस आन्दोलन में उसे ‘बोल्शेविक आन्दोलन’ की प्रतिछाया दिखाई देने लगी थी। दूसरी ओर कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन शुरू करने से भी सरकार को स्थिति और बिगड़ने की भी आशंका होने लगी।

अंतत: सरकार ने राजस्थान के ए. जी. जी. हालैण्ड को ‘बिजोलिया किसान पंचायत बोर्ड’ और ‘राजस्थान सेवा संघ’ से बातचीत करने के लिए नियुक्त किया। शीघ्र ही दोनो पक्षों में समझौता हो गया। किसानों की अनेक माँगें मान ली गईं। चौरासी में से पैंतीस लागतें माफ कर दी गईं जुल्मी कारिन्दे बर्खास्त कर दिए गए।

विजयसिंह पथिक की क्रान्तिकारियों की योजना –

भारत देश की राजधानी कलकत्ता थी और इस राजधानी को कलकत्ता से हटाकर दिल्ली लाने का फैसला ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1912 लिया था। इस प्रोग्राम में दिल्ली के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए एक शानदार जुलूस का आयोजन किया और तो और

इस शानदार जुलूस के मोके पर अन्य क्रान्तिकारियों बम फेंक कर लॉर्ड हार्डिंग को मारने की कोशिश की थी लेकिंन वो बच गया था।साल 1915 में रासबिहारी बोस के नेतृत्व में लाहौर में क्रान्तिकारियों ने फैसला लियाकि 21 फ़रवरी को देश के अलग अलग जगह पर ‘1857 की क्रान्ति’ की तर्ज पर सशस्त्र विद्रोह किया जाएगा। ‘भारतीय इतिहास’ इस आंदोलन को ‘गदर आन्दोलन’ कहा जायेगा ।

योजना यह बनाई गई थी कि एक तरफ तो भारतीय ब्रिटिश सेना को विद्रोह के लिए उकसाया जाए और दूसरी तरफ देशी राजाओं की सेनाओं का विद्रोह में सहयोग प्राप्त किया जाए। राजस्थान में इस क्रान्ति को संचालित करने का दायित्व vijay singh pathik को सौंपा गया।

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विजयसिंह पथिक की गिरफ़्तारी – 

 पथिकजी फ़िरोजपुर षड़यंत्र के केस के चकर में तड़ीपार गुम रहे थे और वो गोपाल सिंह के साथ रहने लगे थे। विजयसिंह पथिक और गोपाल सिंह ने मिलकर करीबन 2000 युवको की टीम तैयार की और तो और उन्होंने मिलकर 30,000 से भी ज्यादा बन्दूकें एकत्र कीं थी दुर्भाग्य से अंग्रेज़ी सरकार पर क्रान्तिकारियों की देशव्यापी योजना का राज खुल गया था देश भर में क्रान्तिकारियों को समय से पहले ही पकड़ लिया गया था ।

विजयसिंह पथिक और गोपाल सिंह ने सैनिकों को अलग अलग कर दिया और बचेहुए गोला बारूद जमीन में गॉड दिये । चंद दिनों के बाद अजमेर के अंग्रेज़ कमिश्नर ने विजयसिंह पथिक और गोपाल सिंह गिरफ्तार करने के लिए पाँच सौ सैनिकों को भेजा था और उन दोनों को खरवा के जंगलों से गिरफ्तार कर लिया। विजयसिंह पथिक और गोपाल सिंह दोनों को टाडगढ़ के क़िले में नजर कैद रखा गया था।

और तो और उस टाइम पे ही लाहौर के षड़यंत्र केस में विजयसिंह पथिक का नाम बहार आया और उसकी वजह से उनको लाहौर ले जाने का आदेश मिला था। किसीके जरिये जरिये विजयसिंह पथिक को वो खबर मिली और वो टाडगढ़ के क़िले से भाग निकले थे । गिरफ्तारी से बचने के लिए पथिक जी ने अपना वेश राजस्थानी राजपूतों जैसा बना लिया और चित्तौड़गढ़ में रहने लगे।

विजयसिंह पथिक कवि लेखक और पत्रकार – 

भारत के महान क्रांतिकारी विजयसिंह पथिक क्रांतिकारी होने के साथ साथ एक कवि, और सबसे श्रेष्ठ लेखक और महान पत्रकार भी थे। जयसिंह पथिक ने राजस्थान संदेश और नव संदेश के नाम से हिंदी में अखबार छापना शुरू कर दिया था तरुण राजस्थान नाम के एक हिन्दी साप्ताहिक में वे “राष्ट्रीय पथिक” के नाम से अपने विचार भी व्यक्त किया करते थे। पूरे राजस्थान में वे राष्ट्रीय पथिक के नाम से अधिक लोकप्रिय हुए ।

विजयसिंह पथिक के पुस्तक – 

  •  अजय मेरु (उपन्यास), 
  •  पथिक प्रमोद (कहानी संग्रह),
  •  पथिकजी के जेल के पत्र एवं
  •  पथिक की कविताओं का संग्रह
  • pathik poem in hindi 

महात्मा गांधीजी का विजयसिंह पथिक के बारे में मान ना था की “और अन्य व्यक्ति मात्र बाते ही करते रहते हैं लेकिन विजयसिंह पथिक एक सिपाही जैसी अपनी भूमिका निभाता है ।”

उनके काम को देखकर ही उन्हें राजपूताना व मध्य भारत की प्रांतीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। भारत सरकार ने विजय सिंह पथिक की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया। उनकी लिखी हुई कविता की ये पंक्तियाँ बहुत लोकप्रिय हुई थीं।

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विजय सिंह पथिक की मुत्यु – (Vijay Singh Pathik Death)

विजय सिंह पथिक की मुत्यु 28 मई, 1954 को हुए थी और इनकी मुत्यु मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुए थी। विजय सिंह पथिक जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी के लिए रहनेकी और खाने समस्या बानी रही थी।वो मात्र और मात्र मथुरा इस लिए आये थे क्योकि यहाँ पर अजमेर से भी सस्ती खाने पीने की चीजे मिलती है मथुरा के जनरलगंज इलाके में एक मकान अथक परिश्रम से खड़ा किया था,

तब कहीं रहने की समस्या सुलझ सकी। इस मकान की चिनाई अर्थाभाव के कारण पथिक जी ने अपने हाथों से की थी। उनकी पत्नी जानकी देवी ने अपने क्रांतिकारी पति की स्मृति-रक्षा के लिये जनरलगंज में विजय सिंह पथिक पुस्तकालय की स्थापना की थी, लेकिन धीरे-धीरे यह पुस्तकालय बन्द हो गया। अंधेरे में उजियारा करने वाले पथिक जी मथुरा में जितने वक्त रहे, गुमनामी में रहे।

विजय सिंह पथिक की देशभक्ति निःस्वार्थ और सच्ची थी। और तो और विजय सिंह पथिक के पास अंत समय में सम्पति के नाम पर कुछ नहीं बचा था जबकि तत्कालीन सरकार के कई मंत्री उनके राजनैतिक शिष्य थे। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माधुर ने पथिक जी का वर्णन     “राजस्थान की जागृति के अग्रदूत महान् क्रान्तिकारी” के रूप में किया है। विजय सिंह पथिक के नेतृत्व में संचालित ‘बिजोलिया किसान आन्दोलन’ को इतिहासकार देश का पहला ‘किसान सत्याग्रह’ मानते हैं।

Vijay Singh Pathik Life Style Video – 

Vijay Singh Pathik Interesting Facts –

  • उनका मूल नाम भूपसिंह था। लेकिन लाहौर षड़यंत्र के बाद विजय सिंह पथिक रख लिया। 
  • विजय सिंह पथिक की मुत्यु 28 मई, 1954 को हुए थी 
  • विजयसिंह पथिक क्रांतिकारी होने के साथ एक कवि, और सबसे श्रेष्ठ लेखक और महान पत्रकार भी थे।
  • पथिक ने राजस्थान संदेश और नव संदेश के नाम से हिंदी में अखबार छापना शुरूकिया  था। 
  • महात्मा गांधीजी विजयसिंह पथिक की बिजोलिया किसान आंदोलन से बहुत ही प्रसन हुए थे। 
  • उनका देशी राजाओं और सामन्तों के प्रति रुख नरम ही बना रहा था।
  • विजय सिंह पथिक का विवाह करीबन 48 वर्ष की उम्र में हुवा था।
  • vijay singh pathik ने एक विधवा स्त्री जानकी देवी के साथ विवाह किया था। 
  • विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फ़रवरी, 1882 को हुवा था।
  • उनके पिता का नाम हमीर सिह था और माता का नाम कमल कुमारी था।
  • अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश में स्तिथ गुलावठी कलाँ ग्राम में रहते थे। 

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Vijay Singh Pathik Questions –

1 .vijay sinh pathik ka vaastavik naam kya tha ? 

विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम भूपसिंह गुर्जर था

2 .vijay sinh pathik ka janm kab hua tha ?

विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फ़रवरी, 1882 को हुआ था। 

3 .vijay sinh pathik kee patnee ka kya naam tha ?

विजय सिंह पथिक की पत्नी का नाम जानकी देवी था

4 .bijoliya kisaan aandolan kab praarambh hua tha ?

बिजोलिया किसान आंदोलन मेवाड़ राज्य के किसानों द्वारा 1897 ई शुरू किया गया था।

5 .vijayasinh pathik kaun tha ?

विजयसिंह पथिक एक स्वतन्त्र सेनानी थे। 

5 .bijoliya kisaan aandolan ke janak kaun the ?

 बिजोलिया किसान आंदोलन के जनक साधु सीतारम दास थे। द्वितीय चरण का नेतृत्व विजय सिह पथिक ने किया गया।

6 .राजस्थान में किसान आंदोलन के क्या कारण थे ?

 1922 में 25% से 50% भूमि लगान वसूल करने के कारण किसानों ने दोलन प्रारंभ कर दिया  था। 

7 .राजस्थान में किसान आंदोलन के जनक कौन थे ?

किसान आंदोलन के जनक विजयसिंह पथिक थे। 

8 .राजस्थान केसरी के संपादक कौन थे ?

राजस्थान केसरी के संपादक विजयसिंह पथिक थे।

9 .राजस्थान सेवा संघ की स्थापना कब व कहाँ हुई थी ?

उन्होंने 1919 में वर्धा में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की थी ।

10 .विजय सिंह पथिक ने कौन सा समाचार पत्र निकाला था ?

पथिक जी ने राजस्थान केसरी नामक समाचार पत्र निकाला था। 

11 .विजय सिंह पथिक मुत्यु कब हुए थी ?

विजय सिंह पथिक की मुत्यु 28 मई, 1954 को हुए थी

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Vijay Singh Pathik Biography in Hindi बहुत अच्छी लगा होगा। इस लेख के जरिये vijay singh pathik real name और vijay singh pathik books से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द। 

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