Dr. Vikram Sarabhai Biography In Hindi – विक्रम साराभाई की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Dr. Vikram Sarabhai Biography In Hind बताएँगे। भारत के महान वैज्ञानिको में से एक विक्रम साराभाई की जीवनी हिंदी में बताने वाले है। 

12 अगस्त 1919 के दिन विक्रम साराभाई का जन्म अहमदाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम अम्बालाल साराभाई और माता का नाम सरला बेन साराभाई था। गुजरात कॉलेज से इंटरमीडिएट तक विज्ञानं की शिक्षा पूरी करके 1937 में इंग्लैंड चले गए वहा उन्हों ने केम्ब्रिज विध्यालय में अभ्यास किया था। आज हम vikram sarabhai invention in hindi , vikram sarabhai space centre is located at और vikram sarabhai ka vigyan mein yogdan की जानकारी बताने वाले है। 

विक्रम साराभाई की जानकारी दे तो उन्होंने पीआरएल में पहला कदम रखा था। 1966-1971 तक पीआरएल में अपनी सेवाएं प्रदान की थी। परमाणु ऊर्जा का उन्होंने अभ्यास किया था। अहमदाबाद के उद्योगपतियों से मिलकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का निर्माण किया था। विक्रम साराभाई का योगदान बहुत बड़ा है। जिससे भारत को बहुत कुछ हासिल हुआ है। 

Dr. Vikram Sarabhai Biography In Hindi – 

नाम (Name) विक्रम अंबालाल साराभाई
जन्म स्थान (Birth Place) अहमदाबाद, गुजरात
जन्म दिनांक (Date of Birth) 12 अगस्त 1919
माता का नाम (Mother Name) सरला साराभाई
पिता का नाम (Father Name) अंबालाल साराभाई
धर्म (Religion) जैन
पेशा (Profession) वैज्ञानिक
मृत्यु (Death) 30 दिसंबर 1971

Vikram Sarabhai Ka Jeevan Parichay In Hindi –

1940 में उन्होंने प्राकृतिक विज्ञानं में ट्राइपोज डिग्री प्राप्त की | दूसरा विश्वयुद्ध शुरू होने पर वह भारत लौट आये और बंगलौर स्थित भारतीय विज्ञानं संस्था में काम करने लगे जहा सी.वी. रामन के निरिक्षण में ब्रम्हांडीय विकिरणों पर अनुसन्धान करने लगे। डॉ. विक्रम साराभाई ने जानी-मानी क्लॉसिकल डांसर मृणालिनी से 1942 में विवाह किया। मृणालिनी के साथ मिलकर उन्होंने दर्पण एकेडमी फ़ॉर पर्फार्मिंग आर्ट्स अहमदाबाद की स्थापना की।

उनकी पुत्री मल्लिका साराभाई एक्टिविस्ट और कलाकार हैं और बेटे कार्तिकेय साराभाई पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय हैं।डॉ. साराभाई ने भारत के लिए जितना कुछ किया, उसकी यह एक छोटी सी सूची है। उन्ही के पुरखों की जमीन पर इसरो, पीआरएल और आईआईएम-ए सहित नामी गिरामी संस्थान बने हुए हैं। यह भी देखने वाली बात है कि उन्हें देश के लोगों ने क्या दिया है।

इसके बारेमे भी पढ़िए :-  रज़िया सुल्तान की जीवनी

जवाहरलाल नेहरू और डॉ. विक्रम साराभाई –

उस समय पर्यावरण, मानवाधिकार के लिए काम करने वाले एक्टिविस्टों को टुकड़े-टुकड़े गैंग का नाम दिया जा चुका है। जिसके लिए डॉ. साराभाई के बेटे और बेटी समर्पित हैं। स्वतंत्रता मिलने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. होमी जहांगीर भाभा की तिकड़ी ने महज 2 दशक में भारत में विज्ञानवाद की ठोस नींव रख दी थी।

1938 में ही नेहरू ने कहा था, “अत्याधुनिक तकनीकी उपलब्धियों पर आधारित अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत जगह बना रही है। अगर तकनीक बड़ी मशीन की मांग करती है, जैसा कि इस समय बड़े पैमाने पर हो रहा है, बड़ी मशीन को उसके सभी प्रभावों के साथ निश्चित रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए।

डॉ विक्रमडॉ विक्रम साराभाई का आरंभिक जीवन –

ऐसी स्थितियों में, जब पैसे के पीछे न भागने वालों, बहुत ज्यादा धन संग्रह न करने वालों, रिश्वत न लेने वालों को मूर्ख या ललचाई लोमड़ी की संज्ञा दी जाने लगी है तो डॉ. साराभाई जैसे व्यक्तित्व याद आते हैं। विक्रम अंबालाल साराभाई शिक्षा से उन्होंने न सिर्फ अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम कर दी, बल्कि अपनी पैतृक संपत्ति भी देश को समर्पित कर दी।

यह अलग बात है कि आज के दौर में इस तरह के लोगों को अपने बच्चों के लिए कुछ न कर पाने वाला, पैतृक संपत्ति बर्बाद कर देने वाला और बेवकूफ और मूर्ख कहकर खारिज किया जाने लगा है। आधुनिक युग में किसी भी देश के विकास में वैज्ञानिको का योगदान अहम है। हमारे देश में भी अनेक वैज्ञानिक हुए है। जिन्होंने अपने कार्यों से देश को नयी ऊंचाईयों तक पहुंचाया।

ऐसे ही एक वैज्ञानिक हुए है। डा. विक्रम अंबालाल साराभाई जिन्हें हम डा. विक्रम साराभाई के नाम से भी जानते हैं। डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को दिशा प्रदान की।

इसके बारेमे भी पढ़िए :- भीमराव आंबेडकर की जीवनी

डॉ विक्रम साराभाई के कार्य और खोज – 

उन्होंने अपना पहला अनुसंधान लेख ”टाइम डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ कास्मिक रेज़” भारतीय विज्ञान अकादमी की पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। वर्ष 1940-1945 की अवधि के दौरान कॉस्मिक रेज़ पर साराभाई के अनुसंधान कार्य में बंगलौर और कश्मीर-हिमालय में उच्च स्तरीय केन्द्र के गेइजर-मूलर गणकों पर कॉस्मिक रेज़ के समय-रूपांतरणों का अध्ययन शामिल था।  द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर वे कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपनी डाक्ट्रेट पूरी करने के लिए वापिस से कैम्ब्रिज चले गए।

1947 में उष्णकटीबंधीय अक्षांक्ष (ट्रॉपीकल लैटीच्यूड्स) में कॉस्मिक रे पर अपने शोध कार्य के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डाक्ट्ररेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके बाद वे भारत लौट आए और यहां आ कर उन्होंने कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान पर अपना अनुसंधान कार्य जारी रखा। भारत में उन्होंने अंतर-भूमंडलीय अंतरिक्ष, सौर-भूमध्यरेखीय संबंध और भू-चुम्बकत्व पर अध्ययन किया। vikram sarabhai ki khoj के 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे है। 

Vikram Sarabhai Ki Uplabdhi –

डॉ विक्रम साराभाई की महान उपलब्धियो मे एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की स्थापना थी | “ऐसे कुछ लोग हैं जो विकासशील राष्ट्रों में अंतरिक्ष गतिविधियों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं। हमारे सामने उद्देश्य की कोई अस्पष्टता नहीं है। हम चंद्रमा या ग्रहों की गवेषणा या मानव सहित अंतरिक्ष-उड़ानों में आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों के साथ प्रतिस्पर्धा की कोई कल्पना नहीं कर रहें हैं।”

“लेकिन हमें आच्छर्य हैं कि अगर हमें राष्ट्रीय स्तर पर, और राष्ट्रों के समुदाय में कोई सार्थक भूमिका निभाते है, तो हमें मानव समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों को लागू करने में किसी से पीछे नहीं रहने चाहिए। आरंभ में भारतीय अंतरिक्ष अभियानों पर कई सवाल उठ रहे थे। लेकिन भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों की अहमियत को देखते हुए अनेक वैज्ञानिकों ने इन कार्यक्रमों के महत्व को समझा और साराभाई का साथ किया।

भारतीय परमाणु विज्ञान कार्यक्रम के जनक के रूप में जाने जाने वाले डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने भारत में प्रथम राकेट प्रमोचन केंद्र की स्थापना में डॉ.साराभाई का पूर्ण समर्थन किया था। अंतरिक्ष संबंधी प्रक्षेपण के लिए थुम्बा में एक केंद्र की स्थापना की गयी। यह केंद्र मुख्य भूमध्यरेखा से उसकी निकटता की दृष्टि से, अरब महासागर के तट पर, तिरुवनंतपुरम के निकट स्थापित किया गया।

रूस द्वारा प्रथम अंतरिक्ष अभियान स्पुतनिक के प्रमोचन के बाद उन्होंने भारत सरकार को भी अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व से परिचित कराया। उनके प्रयासों से भारत ने भी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को आरंभ किया।

Dr. Vikram Sarabhai Institute –

वह एक संस्थान निर्माता थे | उन्होंने विविध क्षेत्रों में अनेक संस्थाओं की स्थापना की। विक्रम साराभाई का इतिहास देखे तो अनेक संस्थानों की स्थापना में सहयोग किया। असल में देश में विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने हर संभव मदद की थी। अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस संस्थान के लिए जब धन की आवश्यकता थी

vikram sarabhai family और मित्रों द्वारा नियंत्रित धर्मार्थ न्यासों को अपने निवास के पास ही इस अनुसंधान संस्थान को धन देने के लिए राज़ी किया था। उस समय वह भारत लौटे ही थे। यह बात आजादी के बाद की ही है। इस प्रकार 11 नवंबर, 1947 को अहमदाबाद में विक्रम साराभाई ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की नीवं रखी। तब उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी।

साराभाई ही संस्थानों के निर्माता और संवर्धक थे। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला इस दिशा में उनका पहला क़दम था। विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में कार्य किया। डॉ. विक्रम साराभाई परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने अहमदाबाद में स्थित अन्य उद्योगपतियों के साथ मिल कर भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

इसके बारेमे भी पढ़िए :-

Dr. Vikram Sarabhai Biodata Award and Honors

डॉ.साराभाई भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाने जाते थे; वे एक महान संस्था बिल्डर थे और विविध क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संस्थानों को स्थापित या स्थापित करने के लिए मदद की। उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीः1947 में कैम्ब्रिज से स्वतंत्र भारत में लौटने के बाद, उन्होंने अहमदाबाद में अपने घर के पास परिवार और दोस्तों के द्वारा नियंत्रित चैरिटेबल ट्रस्ट को एक शोध संस्था को दान करने के लिए राजी किया ।

इस प्रकार, विक्रम साराभाई ने, 11 नवंबर, 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना की । उस समय वे केवल 28 वर्ष के थे। साराभाई निर्माता और संस्थाओं के जनक थे और पीआरएल इस दिशा में पहला कदम था। विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक पीआरएल में कार्य किया। वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी थे। अन्य अहमदाबाद के उद्योगपतियों के साथ मिलकर उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।

डॉ. साराभाई द्वारा स्थापित जाने माने कुछ संस्थान  –

well known institutes established by Dr. Sarabhai

  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद
  • भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद
  • कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद
  • कला प्रदर्शन के लिए दर्पण अकादमी, अहमदाबाद ( अपनी पत्नी के साथ )
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
  • अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद (साराभाई द्वारा स्थापित छह संस्थानों/ केन्द्रों के विलय के बाद यह संस्था अस्तित्व में आई)
  • फास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कलपक्कम
  • भारतीय इलेक्ट्रॉनकी निगम लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद
  • भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड (यूसीआईएल), जादुगुडा, बिहार

डॉ विक्रम साराभाई की मृत्यु  – Dr. Vikram Sarabhai Death

भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक इस महान वैज्ञानिक की 30 दिसंबर 1971 को मृत्यु हो गई, किन्तु उनके बताए रास्तों पर चलते हुए भारतीय वैज्ञानिक 1975 ई. में स्वदेश में निर्मित प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ को अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहे थे। अंतरिक्ष उपग्रहों के कारण ही ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन प्रसारण द्वारा शिक्षा, कृषि एवं ग्रामीण विकास में मदद मिल रही है तथा मौसम पूर्वानुमान से देश के गरीब किसानों को लाभ हो रहा है |

डॉ. साराभाई के व्यक्तित्व का सर्वाधिक उल्लेखनीय पहलू उनकी रुचि की सीमा और विस्तार तथा ऐसे तौर-तरीके थे, जिनके बल पर वे अपने विचारों को संस्थाओं में परिवर्तित करने में कामयाब हुए। उन्हें सृजनशील वैज्ञानिक के अतिरिक्त यदि सफल और दूरदर्शी उद्योगपति, उच्च कोटि का प्रवर्तक, महान संस्था निर्माता, शिक्षाविद, कला मर्मज्ञ, अग्रणी प्रबंध आचार्य जैसे विशेषणों से सुशोभित किया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी |

आज सशरीर हमारे बीच भले ही न हों, परंतु वस्त्र उद्योग, औषधि निर्माण, परमाणु ऊर्जा, भौतिक विज्ञान इत्यादि के क्षेत्र में उनके योगदान को भारत कभी नहीं भुला सकता | डॉ. साराभाई का जीवन विश्व भर के युवा-वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का अनमोल स्रोत है। 

इसके बारेमे भी पढ़िए :- 

Dr. Vikram Sarabhai Biography Video –

Dr. Vikram Sarabhai Facts –

  • dr vikram sarabhai invention प्रथम भारतीय उपग्रह, आर्यभट्ट,को अंतरिक्ष में स्थापित किया था। 
  • भारत के महान वैज्ञानिक vikram sarabhai ki punyatithi 30 दिसंबर को मनाई जाती है।
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र मुख्यालय Thiruvananthapuram में उपस्थित है। 
  • डॉ विक्रम साराभाई की पत्नी का नाम मृणालिनी और वह प्रसिद्ध क्लासिकल डांसर थे। 
  • vikram sarabhai contribution की बात करे तो कई संस्थानों को स्थापित या स्थापित करने के लिए मदद करके भारत को अमूल्य भेट की है। 
  • vikram sarabhai daughter का नाम मल्लिका साराभाई था। 

Dr. Vikram Sarabhai Questions –

1 .vikram sarabhai kaun the ?

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और महान Scientist जिन्होंने विविध क्षेत्रों में  कई संस्थानों को स्थापित किया था। 

2 .vikram sarabhai antariksh kendr kahan hai?

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र Veli – Perumathura Rd, Kochuveli, Thiruvananthapuram, Kerala में उपस्थित है। 

3 .vikram sarabhai kee mrtyu kaise huee ?

विक्रम साराभाई की मृत्यु एक रहस्यमय परिस्थिति में हुआ। 

4 .vikram sarabhai ki mrtyu kab hui ?

विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 December 1971 के दिन हुई थी। 

5 .vikram sarabhai ka janm kab hua tha ?

12 अगस्त 1919 के दिन गुजरात के अमदावाद शहर में विक्रम साराभाई का जन्म हुआ था। 

6 .who is said to be the father of indian space programme ?

Scientist Vikram Sarabhai को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।

इसके बारेमे भी पढ़िए :- सुभाष चंद्र बोस की जीवनी

Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल राकेश शर्मा बायोग्राफी बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने vikram sarabhai childhood और vikram sarabhai speech से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Leave a Comment