नमस्कार आप सभी का स्वागत है। आज हम लेख में Guru Gobind singh Biography के बारे में बताने वाले है। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म कब और किस साल में हुवा था और किस शहर में हुआ था। और उनके माता पिता का नाम क्या हैं।
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह (गुरु गोबिन्द सिंह) का जन्मपौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 और मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 को हुई थी। अपने पिता जी के मौत के बाद 11 नवम्बर सन 1675 को वह 10 वे गुरू बने थे। धर्म गुरु के साथ साथ वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त और आध्यात्मिक नेता हुआ करते थे। गुरु गोबिंद सिंह ने कितने युद्ध किये थे,और उन्होंने युद्ध किये इस युद्धों का नाम काया है। उनका विवाह किसके के साथ हुवा था,उनकी पत्निया कितनी थी उनकी पत्निया का नाम क्या था।
गुरु गोबिन्द सिंह बच्चे कितने थे ? बच्चो का नाम क्या है। उनके परिवार के लोगो को कैसे मारा था क्यों मारा था। वो सब बताने वाले है। गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु कैसे हुई थी और उन्होंने किस किस की स्थापना की थी। गुरु गोविंद सिंह के युद्ध लड़ने के लिए कैसे नियम बनाये थे। तो चलो हम बताने वाले है Guru Gobind Singh information के बारे में बतायेगे।
Guru Gobind singh Biography in Hindi –
नाम | गुरु गोविंद सिंह (गुरु गोविन्द सिंह) |
जन्म | 22 दिसंबर 1666 |
प्रसिद्धी | सिखो के दसवें गुरु |
पिता | गुरु तेग बहादुर |
माता | गुजरी |
पत्नी | जीतो |
पुत्रो | अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह |
मृत्यु | 7 अक्टूबर 1708 |
गुरु गोविन्द सिंह की जीवनी –
दोस्तों आज हम guru gobind singh history के बारे में उनकी माता और पिता का नाम क्या है। उन्होंने किसके साथ विवाह किया है उनकी पत्नी का नाम क्या है। उन्होंने कितने युद्धों लड़े थे। उन्होंने युद्धों लड़े इन युद्धों का नाम क्या है। उनकी मृत्यु कैसे हुयी थी। उनके परिवार केसा था। उनकी परिवार वालो की हत्या किस जुर्म में की गयी थी। उन्होंने युद्ध लड़ने के लिए कैसे कैसे नियम बनाये थे। तो आज हम Guru Gobind singh Biography के बारे में बतायेगे।

इसे भी पढ़े – आमिर खान की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म और शिक्षा –
Guru Gobind singh Biography में आज बताने वाले है उनका जन्म 22 दिसम्बर 1666, को पटना साहिब, बिहार में हुवा था। गुरु गोबिंद सिंह सीखो के दसवे गुरु थे। गोबिंद सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एक मात्र पुत्र थे। उनके जन्म समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश देने के लिए गए थे। उनका जन्म का नाम गोविंद राय रखा था। उनके जन्म होने के बाद वे चार साल तक पटना में रहे। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म जिस घर में हुवा इस घर को आज “तख़्त श्री पटना हरिमंदर साहिब”कहते है। 1670 में उनका पूरा परिवार पंजाब में वापस लोट आया । 1672 में वे चक्क ननकी चले गये थे। और वहा जाकर उन्होंने उनकी शिक्षा ली थी।
चक्क ननकी शहर की स्थापना गोबिंद सिंह के पिता तेग बहादुर जी ने किया था। जिसे आज आंनदपुर नाम से जाना जाता है। आज उनके स्थान को बिलासपुरके शसक से ख़रीदा था। अपनी मृत्यु से पहले ही तेग बहादुर ने गुरु गोबिंद जी को अपना पूरा अधिकार उनके नाम कर दिया था। इसके बाद29, मार्च 1676 में गोबिंद सिंह 10 वें सिख गुरु बन गए थे। और उन्होंने यमुना नदी के तट पर रहकर उन्होंने मार्शल आर्ट्स, शिकार, साहित्य और भाषाएँ जैसे संस्कृत, फारसी, मुग़ल, पंजाबी, तथा ब्रज भाषा अनेक भाषा और विद्याए सिख ली थी। इसके बाद उन्होंने सन 1684 क महाकाव्य कविता भी लिखा जिसका नाम है। “वर श्री भगौती जी की”यह काव्य हिन्दू माता भगवती/दुर्गा/चंडी और राक्षसों के बिच संघर्ष को दर्शाता है।
गुरु गोबिंद सिंह का परिवार –
सीखो के गुरु गोबिंद सिंह के पिता का नाम गुरु तेग बहादुर है और उनके माता गुजरी था जब गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुवा तब उनके पिताजी असम में धर्म उपदेश देने के लिए गए हुए थे। उनका जन्म हुवा तब तक वो चार साल तक पटना में रहे थे। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह का परिवार साल 1970 में पटना छोड़कर पंजाब में रहने के लिए आये थे।

इसे भी पढ़े –रतन टाटा की जीवनी
Guru Gobind singh का विवाह –
गुरु गोबिंद सिंह ने तीन बार विवाह किया था। उनका पहला 21जून, 1677 10 साल की आयु में विवाह आंनदपुर के पास मौजूद बसंतगढ़ में रहने वाली कन्या जीतो के साथ विवाह किया था।इनको विवाह करने के कुछ साल बाद उनकी पत्नी को तीन संतान पैदा हुए थे। guru gobind singh son के नाम जोरावर सिंह, फतेह सिंह और जुझार सिंह उनके तीन बच्चे थे। इसके बाद गुरु गोबिंद ने दूसरा विवाह 4अप्रैल, 1684 में 17 साल की आयु किया जिनमे उनकी दूसरी पत्नी का नाम माता सुंदरी था।
जहा उन्हें एक पुत्र का जन्म हुवा था। जिसका नाम अजित सिंह रखा था। और इसी तरह दूसरा विवाह भी कर लिया था। दूसरा विवाह करने के बाद guru govind singh ने तीसरा विवाह 15अप्रैल, 1700 में 37 साल की उम्र मेंकिया जिनमे तीसरी wife of guru gobind singh ji माता साहिब था। लेकिन उनकी तीसरी पत्नी को कोई भी संतान प्राप्त नहीं हुए थे।

इसे भी पढ़े – राकेश टिकैत की जीवनी
खालसा की स्थापना –
गुरु गोबिंद सिंह नतृत्व सिख समुदाय के इतिहास के लिए कुछ नया लेकर आये उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के दिन खालसा जो की सिख धर्म के विधिवत् दीक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक रूप है उसका निर्माण किया। सिख समाज की एक सभा हुयी थी। इस सभा में काफी लोगो के बिच उन्होंने सबके सामने सभी लोगो से कहा की कौन अपना सिर का बलिदान देना चाहता है। तब इस समय एक स्वयंम सेवक इस बात को मानने के लिए राजी होगया तब गुरु गोबिंद सिंह इस सेवक को तम्बू में ले गए और थोड़ी देर के बाद वो बहार ये तो तभी उनकी तलवार पे खून लगा हुवाब था।
इसके बाद वो सभा में फिर से दोबारा उन्होंने सवाल किया तब एक और सख्स राजी हो गया उनका प्रश्न का जवाब देने के लिए तब उनको भी तम्बू में ले गए लेकिन जब वो तम्बू से बहार आये तो सभी सेवक जिन्दा लेकर गुरु बहार आये तब उन्होंने उन्हें पंज प्यारे या पहले खालसा का नाम दिया। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने एक लोहे का कटोरा लाये और इस कटोरे में चीनी और पानी मिलाकर दुधारी तलवार से घोल कर अमृत का नाम दिया पहले उन्होंने पांच खालसा बनाये इसके बाद जब छठा खालसा बनाया और इस का नाम गुरु गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह रख दिया उन्होंने शब्द के पांच महत्त्व खालसा के लिए समजाये और उन्होंने कहा केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्चेरा।

इसे भी पढ़े –एलन मस्त की जीवनी हिंदी
खालसा युद्ध के लिए Guru Gobind singh के नियम –
- वे कभी भी तंबाकू नहीं उपयोग कर सकते।
- बलि दिया हुआ मांस नहीं खा सकते।
- किसी भी मुस्लिम के साथ किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नहीं बना सकते।
- उन लोगों से कभी भी बात ना करें जो उनके उत्तराधिकारी के प्रतिद्वंद्वी हैं।

Guru Gobind singh के युद्ध –
- भंगानी का युद्ध – 1688
- नादौन का युद्ध – 1691
- गुलेर का युद्ध – 1696
- आनंदपुर का पहला युद्ध – 1700
- अनंस्पुर साहिब का युद्ध – 1701
- निर्मोहगढ़ का युद्ध – 1702
- बसोली का युद्ध – 1702
- आनंदपुर का युद्ध – 1704
- सरसा का युद्ध – 1704
- चमकौर का युद्ध – 1704
- मुक्तसर का युद्ध – 1705
जफरनामा पत्र –
जब गुरु गोबिंद सिंह जब उनको देखा कि मुग़ल सेना ने गलत तरीके से युद्ध किया और बुरी तरह से मारा डाला था। हथियार डाल देने के बजाये गुरु गोबिंद सिंग ने औरन्ज़ेब को को एक जित पत्र “ज़फरनामा” भेजा उसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने मुक्तसर पंजाब में फिर सेस्थापित्त किया अदि ग्रन्थ के नए अध्यापक बनाने के लिए अपने आपको समर्पित किया था। जिनको पाचवे गुरु अर्जुन द्वारा संकलित किया है। गुरु गोबिंद सिंह ने एक लेखन का सग्रह बनाया है जिन्होंने उनका नाम दिया दसम ग्रन्थ और उनका खुद का आत्मकथा का नाम बचरित रखा था।

इसे भी पढ़े – अमित शाह की जीवनी
गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु –
guru gobind singh death 7 अक्टूबर, 1708 में हुई थी। तब गुरु गोबिंद सिंह की आयु 42 साल थी। कहा जाता है की उनके दिल पे गहरी चोट लगने से उनकी मृत्यु हुयी थी। और गुरु गोबिंद सिंह की अंतिम सास हजूर साहिब नांदेड़ में थी। और इस जगह पर उनका शरीर का त्याग कर दिया था।
गुरु गोबिंद सिंह का वीडियो –
Guru Gobind singh FAQ –
1. गुरु गोविंद सिंह जी के कितने पुत्रों ने बलिदान दिया था?