नमस्कार दोस्तों Hadi Rani Biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम हाड़ी रानी का इतिहास और कहानी के साथ साथ हाड़ी रानी का जीवन परिचय की जानकारी बताने वाले है। वह हमारे भारत की ऐसी वीरांगना थी। जिन्होंने अपने विवाह के 7 दिन बाद ही अपने पति के साथ सती हुई थी। आपको बतादे की यह एक सत्य घटना है। हाड़ी रानी ने अपने पति के लिए उनके विवाह के सात दिन बाद अपने हाथो से खुद शीश काटकर अपने पति के लिए निशानी के लिए रणभूमि में भेजवा दिया था।
क्योंकी उनके पति उनके रूप और यौवन के ख्यालो में अपना कर्त्वय पूरी निष्ठा से कर पाए। उसके विवाह हुए सिर्फ एक हफ्ता हुआ था। और उनके पति रावत रतन सिंह को युद्ध भूमि में युद्ध लड़ने के लिए जाना पड़ा था। वर्तमान समय में भी राजस्थान में ऐसी वीरांगना के कई इतिहास हमें देखने को मिलते है। लेकिन यह कुछ अलग ही है। रावत रतन सिंह अपनी पत्नी को प्यार करते थे। उसके कारन वह उसके बिना नहीं रह सकते थे। हाड़ी राणी ने अपना शीश मातृभूमि के लिए दे बलिदान दे दिया था।
Hadi Rani Biography In Hindi
नाम |
हाड़ी रानी |
मूल नाम |
सलेह कंवर |
पिता |
शत्रुशाल हाडा |
पति |
सरदार राव रतन सिंह चूडावत |
वंश |
हाडा वंश |
Hadi Rani का जन्म
हाड़ी रानी का जन्म हिन्दुओ के पवित्र त्यौहार वसंत पचमी के दिन हुआ था। आपको बतादे की हाड़ी रानी बूंदी के हाडा शासक की बेटी थी। और उनका विवाह उदयपुर (मेवाड़) के सलुंबर ठिकाने के सरदार से हुआ था। हाड़ी रानी का महल सलुम्बर राजस्थान में वर्तमान समय में भी मौजूद है। हाड़ी रानी का मूल नाम सलेह कंवर हुआ करता था। रावत रतन सिंह चूडावत से विवाह करने के बाद उन्हें हाडी रानी से नाम से जाना जाने लगा था।
इसे भी पढ़े :- फ़िरोज़ खान (अभिनेता) जीवनी
हाड़ी रानी का विवाह
हाड़ी रानी का विवाह राजा रावत रतन सिंह चूडावत के साथ हुआ था। महारानी के विवाह हो जाने के बाद एक ही हफ्ता हुआ था। यानि हाड़ी रानी का विवाह की मेहदी भी नहीं छूटी थी। और उसके पति को युद्ध में जाने का फरमान आया था। उस फरमान ने दिल्ही के बादशाह औरंगजेब की सेना को रोकने का आदेश था। सरदार चूडावत ने युद्ध के लिए सैनिको को तैयार होने का आदेश दे दिया था। रावत रतन सिंह चूडावत का विवाह हुए थोड़ा भी समय नहीं हुवा था। उसके कारन रतन सिंह पत्नी से दूर नहीं रहना चाहते थे।
वैसे तो रतन सिंह चूडावत ने युद्ध में जाने की तैयारी कर दी थी। मगर उनका मन युद्ध में जाने से रोक रहा था। तो दूसरी तरफ औरंगजेब की सेना पूरी तैयार होकर आक्रमण की फ़िराक में आगे बढ़ रही थी। रावत रतन सिंह ने मन को बदल लिया एव युद्ध की तैयार करली थी। रावत रतन सिंह अपने मनोबल को ढुकराते पत्नी हाड़ी रानी के पास पहुंच गए और युद्ध लड़ने जाने पत्नी की विदाय ली थी।
Hadi Rani के पति का युद्ध
अपने पति को विदाय देते हुए हाडी रानी को मन में बहुत दुःख हुआ मगर हाड़ी रानी भी कमजोर नहीं थी। और उन्होने अपने पति देव को युद्ध में जाने का आदेश दिया था। मगर रतन सिंह को हाड़ी की चिंता हो रही थी। और मनो मन हो रहा था की मुझे युद्ध में कुछ हो गया तो उनकी रानी का क्या होगा। दूसरी तरफ हाड़ी रानी एक राजपूतानी की स्त्री होने के कर्तव्य निभाते हुए पति को युद्ध में लड़ने को जाने को कह दिया और हौसला भी दिया की तुम अपनी विजय पर ध्यांन रखा करो और मेरी चिंता मत कर तुम विजय होकर वापस आओ।
रतन सिंह का हाड़ी रानी से लगाव
युद्ध में रतन सिंह एक राजा होने के कारण जिम्मेदारी निभाने के लिए युद्ध करने युद्ध भूमि में निकल तो पड़े मगर उसका पत्नी प्रेम विजय से दूर ले जा रहा था। सरदार भी उस बात से चिता थे। की रानी के लिए में कुछ सुख नहीं दे पाया तो रानी मुझे भूल तो नहीं जाएंगी। राजा को चिंता होने ने लगी और राजा ने रानी के लिए एक पत्र लिखा था। उस पत्र में लिखा था। की आप मुझे भूल तो नहीं जाएंगे। और राजा ने रानी के पास एक अनमोल चीज मागि थी। राजा ने रानी के पास ऐसी भेट मागि की वो देख कर राजा का मन ठंडा हो जाए।
इसे भी पढ़े :- नेहा मेहता की जीवनी
Hadi Rani ने मातृभूमि के लिए दी कुर्बानी
राजा ने पत्र भेजा और उस पत्र को पढ़कर रानी बहुत चिंता में पड़ गई और मन में विचार ते हुए सोचा की मेरे पति उस तरह मेरे बारे में सोचते रहे तो और दुश्मनो से कैसे लड़ सकेंगे। उसके बाद रानी हाडी ने फैसला कर लिया की मातृभूमि के लिए कुर्बानी देनी ही चाहिए। उसके बाद उन्होंने राजा के मोहभंग करने के लिए अपने जान की भी परवा किए बिना ही रानी हाड़ी ने अपने हाथो से खुद शीश काटकर संदेश वाहक से भेज दिया था। रानी ने अपना शीस काटकर अपनी मातृभूमि की रक्षा की थी।
रावत रतन सिंह को मिला शीश
राजा रतन सिंह ने देखा तो उनकी पत्नी का शीश कटा हुवा देखा और उसकी आँखे फटी ही देखती रह गई थी। और उस तरह राजा का मन मोहभंग हो गया और राजा की जो सबसे प्रिय चीज सिने से लगा ली। राजा ने अपनी प्रिय चीज खो देने के बाद दुश्मनो पर पूरी ताकत से टूट पड़े और औरंगजेब की पूरी सेना को तहस नहस कर दिया था। उस जीत का श्रेय और शौर्य राजा को नहीं बल्कि को वीरागंना रानी के बलिदान को जाता है।
हाड़ी रानी की मृत्यु
महारानी वीरांगना हाड़ी रानी की मृत्यु का कारण सिर्फ अपनी मातृ भूमि की रक्षा करने के लिए एक बलिदान था। हाड़ी रानी ने अपने पति को रण भूमि में हारते हुए बचने और अपनी प्रजा की रक्षा करने के लिए मौत को गले लगा लिया था। युद्ध भूमि पति को उसकी पसंदीदा और यादगार चीज देते हुए उन्होंने अपना खुद का शीश काट करके देदिया क्योकि उसके पति रण भूमि में बहुत अच्छे और वीरता से युद्ध करके विजय हो सके और पत्नी की भी याद उन्हें है सताया करे। उन्होंने अपने पति को मोह माया से निकलकर युद्ध मैदान में अपनी मातृभूमि के कर्तव्य को समझाया था।
इसे भी पढ़े :- राजीव गांधी की जीवनी
हाड़ी रानी कविता
लेखक मन्ना के डे ने ई.स 1965 में रानी हाड़ी और उसके पति राजा रावत रतन सिंह चूडावत पर कविता गाई थी। उसका कविता का एक वीडयो भी था। उसमे मेवाड़ के सलुम्बर ठिकाने की वीरांगना रानी ने युद्ध में जाते पति के निशानी मांगे ने पर अपना शीश काटकर रण भूमि में भेज दिया था। उस फिल्म में हाडीरानी पर गाई कविता की उपर्युक्त पंक्तिया निचे दी है।
थी शुभ सुहाग की रात मधुर
मधु छलक रहा था कण कण में।
सपने जगते थे नैनों में
अरमान मचलते थे मन में।
फिर एड़ लगाई घोड़े पर
धरती बोली जय हो जय हो।
हाड़ी रानी तेरी जय हो
ओ भारत माँ तेरी जय हो।
Hadi Rani History in Hindi Video
Interesting Facts
- हाड़ी रानी सलुम्बर के सरदार राव रतन सिंह चूङावत की पत्नी थी।
- हाड़ी रानी ने अपने पति को मोह के बंधनों से आजाद कर देते अपना सर भेजा था।
- शादी को महज एक सप्ताह बाद उन्होंने पति को युद्ध में भेज था।
- हाड़ी रानी एक वीरागंना थी। अपने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने सिर ही काटकर पेश कर दिया था।
- मेवाड़ की वीरांगना हाड़ी रानी ने ऐसा बलिदान दिया जो आज तक किसी ने नहीं दिया है।
- हाड़ी रानी ने पति का मोह भंग करने और जीत दिलाने अंतिम निशानी के रूप में खुद का सिर भेज था।
इसे भी पढ़े :- राम्या कृष्णन की जीवनी
FAQ
Q .हाड़ी रानी का जन्म कब हुआ?
बसंत पंचमी के दिन हाड़ी रानी का जन्म हुआ था।
Q .हाड़ी रानी की बावड़ी कहां स्थित है?
अटूट प्रेम की निशानी टोडारायसिंह कस्बे में हाडी रानी कुण्ड मौजूद है।
Q .हाड़ी रानी का दूसरा नाम क्या था?
सलेह कंवर
Q .हाड़ी रानी का महल कहां स्थित है?
हाड़ी रानी का महल नागौर, राजस्थान के सबसे सुंदर और सुसज्जित महलों में से एक है।
Q .हाड़ी रानी का क्या इतिहास है?
हाड़ी रानी ने खुद का बलिदान दे दिया था।
Q .हाड़ी रानी के पिता का नाम क्या था?
बूंदी के हाडा शासक संग्राम सिंह
Q .हाड़ी रानी का विवाह किस के साथ हुआ था ?
रावत रतन सिंह चूडावत
Q .हाड़ी रानी कौन थी?
बूंदी के हाडा शासक संग्राम सिंह की पुत्री और रावत रतन सिंह चूडावत की पत्नी थी।
Q .हाड़ी रानी ने अपने पति को युद्ध में जित दिलाने के लिए क्या किया था?
खुद का शीश काटकर राजा को भेज दिया था।
इसे भी पढ़े :- के॰ चंद्रशेखर राव की जीवनी
Conclusion
आपको मेरा Hadi Rani Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने Hadi Rani story in hindi, Hadi Rani birth date
और Hadi Rani kavita से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
! साइट पर आने के लिए आपका धन्यवाद !
अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें !
Note
आपके पास Hadi Rani ki kahani की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो । तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद
Google Search
Hadi Rani udaipur, Hadi Rani name, Hadi Rani husband, Hadi Rani death date, Hadi Rani book, Hadi Rani ka naam, हाड़ी रानी कहां की थी, हाड़ी रानी कविता, हाड़ी रानी का बलिदान, हाड़ी रानी का वास्तविक नाम, मरानी कर्णावती का जौहर, हाड़ी रानी कर्मावती, हाड़ी रानी का जन्म कब हुआ,म हाड़ी रानी की बावड़ी कहां स्थित है, सिर काट दे दियो क्षत्राणी कविता किसने लिखी
इसके बारेमे भी पढ़िए :- फैशन डिजाइनर नंदिता महतानी का जीवन परिचय