Ravindra Nath Tagore Biography In Hindi - Thebiohindi

Rabindranath Tagore Biography In Hindi – रविंद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Rabindranath Tagore Biography In Hindi,में भारत के कवियों के कवि रविन्द्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय इन हिंदी बताने वाले है। 

रविंद्र नाथ टैगोर भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक है। उन्हें उनके पाठकों के दिमाग और दिलों पर अविस्मरणीय प्रभाव डालने के लिए गुरुदेव के नाम से भी जानेजाते थे। आज rabindranath tagore book ,rabindranath tagore poems और rabindranath tagore quotes की बाते बताने जारहे है। रबिन्द्र नाथ टैगोर जी बंगाल की सांस्कृतिक दृष्टि में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे ऐसे भारतीय यहाँ तक कि गैर यूरोपीय व्यक्ति थे। 

साहित्य में पहला rabindranath tagore nobel prize जीता था।  वे न सिर्फ एक कवि या लेखक थे।  बल्कि वे साहित्य के युग का केंद्र थे। जिन्हें भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जाना जाता था। ये अपनी कविताओं के साथ – साथ राष्ट्रगान रचियता के रूप में भी जाने जाते हैं। हमने इस लेख के माध्यम से इनके ध्वारा किये गये कार्य, उपलब्धियां और इनके जीवन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी कोशिश करने वाले है। तो चलिए आपको  है। रविन्द्र नाथ टैगोर के विचार पर निबंध लिए। 

Rabindranath Tagore Biography In Hindi –

 नाम 

 रविन्द्र नाथ टैगोर

 अन्य नाम

 रवि ,गुरुदेव ,कवियो के कवि

 जन्म

 7 मई,1861

 जन्म स्थान

 कलकत्ता ,बंगाल रेजीडेंसी ,ब्रिटिश भारत

 पिता

 देवेन्द्र नाथ टैगोर

rabindranath tagore modher name 

 शारदा देवी

rabindranath tagore wife

 मृणालिनी देवी

 भाई

 ( 1 ) द्विजेन्द्र नाथ ,
 ( 2 ) ज्योतिरिन्द्र नाथ ,
 ( 3 ) सत्येन्द्र नाथ

 बहन

 स्वर्णाकुमारी

 बेटियोंके नाम

 ( 1 ) रेणुका टैगोर ,
 ( 2 ) मीरा टैगोर ,
 ( 3 ) शमिन्द्र नाथ टैगोर ,और माधुरीलाता

 

 धर्म

 हिन्दू

 मृत्यु

 7 अगस्त,1941

 मृत्यु स्थान

 कलकत्ता ,बंगाल रेजीडेंसी ,ब्रिटिश भारत

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म –

रविन्द्र नाथ का जन्म (rabindranath tagore was born in ) भारत के कलकत्ता शहर में जोरासंको हवेली में एक बंगाली परिवार में हुआ. यह हवेली rabindranath tagore family  के पैतृक घर थी. ये अपने माता – पिता की आखिरी संतान थे. ये कुल 13 भाई बहन थे. उनके पिता एक महान हिन्दू दार्शनिक और ‘ब्रह्मो समाज’ के धार्मिक आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे. इन्हें बचपन में रवि नाम से जाना जाता था. इनकी उम्र बहुत कम थी जब इनका अपनी माँ से साथ छूट गया.

पिता भी ज्यादातर समय घर से दूर रहते थे. इसलिए इन्हें घर की आया एवं घर के नौकरों ध्वारा पाला – पोसा गया था. सन 1883 में उन्होंने 10 साल की उम्र की  मृणालिनी देवी के साथ विवाह किया. इनके कुल 5 बच्चे हुए. सन 1902 में उनकी पत्नी की मृत्यु हुई. और अपनी माँ के निधन के बाद टैगोर जी की 2 बेटियों रेणुका और समिन्द्रनाथ का भी निधन हो गया.

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रविंद्र नाथ टैगोर की कविता, उपन्यास ,कहानी संग्रह –

रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक थे। रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्‍यक्ति थे, जिन्‍हें नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था। वे अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। बचपन में उन्‍हें प्‍यार से ‘रवि ‘ बुलाया जाता था। आठ वर्ष की उम्र में पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्‍होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था।

 उन्‍होंने एक हजार कविताएं, आठ उपन्‍यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्‍न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे। उन्‍होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की। उनके लिखे दो गीत आज भारत और बांग्‍लादेश के राष्‍ट्रगान है।   51 वर्षों तक उनकी सारी उप‍लब्धियां और सफलताएं केवल कोलकत्ता और उसके आसपास के क्षेत्र तक ही सीमित रही।

51 वर्ष की उम्र में वे अपने बेटे के साथ इंग्‍लैंड जा रहे थे। समुद्री मार्ग से भारत से इंग्‍लैंड जाते समय उन्‍होंने अपने कविता संग्रह गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद करना प्रारंभ किया। गीतांजलि का अनुवाद करने के पीछे उनका कोई उद्देश्‍य नहीं था। केवल समय काटने के लिए कुछ करने की गरज से उन्‍होंने गीतांजलि का अनुवाद करना प्रारंभ किया। उन्‍होंने एक नोटबुक में अपने हाथ से गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद किया।

गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक साल बाद 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। टैगोर केवल भारत के ही नहीं समूचे विश्‍व के साहित्‍य, कला और संगीत के एक महान प्रकाश स्‍तंभ हैं। 

रविंद्र नाथ टैगोर का प्रारम्भिक जीवन – 

वह कम उम्र में बंगाल पुनर्जागरण का हिस्सा बने, जहाँ उनके परिवार की काफी सक्रिय भागीदारी रहती थी. टैगोर जी का पूरा परिवार एक उत्साही कला प्रेमी था.  पूरे भारत में बंगाली संस्कृति और साहित्य पर उनके प्रभावशाली प्रभाव के लिए जाने जाते थे. उन्होंने क्षेत्रीय लोक एवं पश्चिमी दोनों ही भाषाओँ में थिएटर, संगीत, और साहित्य की शुरुआत कर दुनिया को अपने आप से रूबरू कराना शुरू किया.

 11 वर्ष से अपने पिता के साथ पूरे भारत का दौरा किया करते थे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई विषयों में ज्ञान अर्जित किया. एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत कवि कालिदास जैसे प्रसिद्ध लेखकों के कार्यों को पढ़ा और जाना. जब वे इस यात्रा से वापस लौटे तब उन्होंने  1877 में मैथिलि शैली में एक बहुत लंबी कविता का निर्माण किया. उन्हें कवि कालिदास के अलावा अपने भाई बहनों से भी प्रेरणा मिली, उनके बड़े भाई ध्विजेन्द्र नाथ एक कवि एवं दार्शनिक थे.

उनके दुसरे भाई सत्येन्द्र नाथ जी भी एक सम्मानजनक स्थिति में थे. उनकी बहन स्वर्नाकुमारी एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं. उन्होंने अपने बड़े भाई एवं बहनों से जिम्नास्टिक, मार्शल आर्ट्स, कला, शरीर रचना, साहित्य, इतिहास और गणित के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया था. यात्रा में अमृतसर में से उन्होंने सिख धर्म के बारे में जानने के लिए मार्ग प्रशस्त किया,  उस अनुभव ने 6 कविताओं और धर्म पर कई लेखों को लिखने में मदद की |

रविंद्र नाथ टैगोर की शिक्षा – 

Ravindra Nath Tagore – हालाँकि टैगोर जी की अधिकांश शुरूआती शिक्षा घर पर ही पूरी हुई थी. किन्तु इनकी पारंपरिक शिक्षा एक इंग्लैंड के सार्वजनिक स्कूल ब्राइटन, ईस्ट ससेक्स से पूरी हुई. दरअसल उनके पिता चाहते थे कि रबिन्द्र नाथ जी बैरिस्टर बने, इसलिए उन्होंने उन्हें सन 1878 में इंग्लैंड भेजा. इंग्लैंड में उनके प्रवास के दौरान उन्हें समर्थन देने के लिए उनके साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य जैसे उनके भतीजे, भतीजी और भाभी भी शामिल हो गये.

इसके बाद में उन्होंने लंडन यूनिवर्सिटी के कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ वे कानून की पढ़ाई के लिये गए थे. किन्तु वे बिना डिग्री लिए इसे बीच में ही छोड़ दिए. शेक्सपियर के कई कामों को अपने ही तरीके से सीखने की कोशिश करने लगे. वहां से वे अंग्रेजी, इरिश और स्कॉटिश साहित्य और संगीत के सार को सीखने के बाद भारत वापस लौट आये |

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रविंद्र नाथ टैगोर का शुरुआती करियर –

इनके करियर की बात की जाये तो इन्होने बहुत कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था. सन 1882 में उन्होंने अपनी सबसे चर्चित कविताओं में से एक ‘निर्जहर स्वप्नाभांगा’ लिखी थी. उनकी एक भाभी कादंबरी उनके करीबी दोस्त और विश्वासी थी. जिन्होंने सन 1884 में आत्महत्या कर ली थी. इस घटना से उन्हें गहरा आघात पहुंचा, उन्होंने स्कूल में कक्षाएं छोड़ी और अपना अधिकांश समय गंगा में तैराकी करने और पहाड़ों के माध्यम से ट्रैकिंग करने में बिताया.

सन 1890 में, शेलैदाहा में अपनी पैतृक संपत्ति की यात्रा के दौरान उनकी कविताओं का संग्रह ‘मणसी’ जारी किया गया था. सन 1891 और 1895 के बीच की अवधि फलदायी साबित हुई, जिसके दौरान उन्होंने लघु कथाओं ‘गल्पगुच्छा’ के तीन खंडो का संग्रह किया |

शांति निकेतन की स्थापना –

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के पिता ने भूमि का एक बड़ा हिस्सा ख़रीदा था. अपने पिता की उस संपत्ति में एक प्रयोगात्मक स्कूल की स्थापना के विचार के साथ, उन्होंने सन 1901 में शान्ति निकेतन की नींव रखी और वहां एक आ श्रम की स्थापना की. यहाँ पर एक प्रार्थना कक्ष था जहाँ का फर्श संगमरमर के पत्थरों का बना था. इसे ‘दा मंदिर’ नाम दिया गया था. वहां पेड़ के नीचे कक्षाएं आयोजित की जाती थी |

वहां पारंपरिक रूप से गुरु – शिष्य के तरीके का पालन करते हुए शिक्षा प्रदान की जाती थी. टैगोर जी ने वहां आशा व्यक्त की आधुनिक विधि की तुलना में शिक्षण के लिए प्राचीन विधि में परिवर्तन फायदेमंद साबित हो सकता है. जब वे शांतिनिकेतन में रह रहे थे उस समय उन्होंने सन 1901 में ‘नवोदय ’ और सन 1906 में ‘खेया’ का प्रकाशन किया था. दुर्भाग्यवश, उसी दौरान उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे मृत्यु को प्राप्त हो गये, जिससे वे बहुत दुखी हुए.

किन्तु उस समय उनके ध्वारा किये गये कार्य बंगाली के साथ – साथ विदेशी पाठकों के बीच अधिक से अधिक लोकप्रिय होने लगे थे. सन 1912 में वे इंग्लैंड गए, वहां उन्होंने उनके ध्वारा किये गये रचनाओं को विलियम बटलर योर्ट्स, एज्रा पौण्ड, रोबर्ट ब्रिजेस, एर्नेस्ट राईस और थॉमस स्टर्ज मूर के साथ ही उस युग के प्रमुख लेखकों के समक्ष पेश किया. मई 1916 से अप्रैल 1917 तक वे जापान एवं अमेरिका में रहे जहाँ उन्होंने ‘राष्ट्रवाद’ और व्यक्तित्व पर व्याख्यान दिया|

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दुनिया की यात्रा – Rabindranath Tagore Biography

रविन्द्र नाथ टैगोर जी ‘एक दुनिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे, इसलिए उन्होंने अपनी विचारधाराओं को फ़ैलाने के प्रयास में विश्व दौरे की शुरुआत की. सन 1920 से 1930 के दशक में उन्होंने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर यात्रा की. उस दौरान उन्होंने लेटिन अमेरिका, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया का दौरा किया. जहाँ उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से कई प्रसिद्ध कवियों का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान जैसे देशों में लेक्चर दिए.

इसके तुरंत बाद टैगोर ने मेक्सिको, सिंगापुर और रोम जैसे स्थानों का दौरा किया, जहाँ उन्होंने आइंस्टीन और मुस्सोलीनी जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेताओं और महत्वपूर्ण व्यक्तियो से खुद मुलाकात की. सन 1927 में, उन्होंने दक्षिणपूर्व एशियाई दौरे की शुरुआत की और कई लोगों को अपने ज्ञान और साहित्यिक कार्यों से प्रेरित किया. इन्होने इस अवसर का उपयोग कर कई विश्व के नेताओं से भारतीयों और अंग्रेजों के बीच के मुद्दों पर चर्चा करने का भी प्रयास किया.

टैगोर का प्रारंभिक उद्देश्य साम्राज्यवाद को खत्म करना था, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यह महसूस किया कि साम्राज्यवाद उनकी विचारधारा से अधिक शक्तिशाली है. और इसलिए इसके प्रति उनमें और अधिक नफरत विकसित हुई. इसके अंत तक उन्होंने 5 महाध्वीप में फैले 30 से भी अधिक देशों का दौरा किया था |

रविंद्र नाथ टैगोर के जीवन पर चार महिलाओ प्रभाव –

 कादम्बरी देवी –

कादम्बरी देवी रिश्ते में रवींद्रनाथ टैगोर की भाभी थीं, दरअसल गुरुदेव की मां बहुत कम उम्र में गुजर गईं थी, 7 साल के रवींद्रनाथ को दोस्ती 12 साल की कादंबरी देवी , जो कि उनके बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ की पत्नी और परिवार की बालिका वधू थीं, से हो गई थी, हालांकि बड़े होने पर इस रिश्ते को संदेह की नजरों से देखा जाने लगा तो रवींद्र के पिता देवेंद्र बाबू ने रवींद्रनाथ की शादी करवाने का फैसला लिया, 1884 में 22 साल के रवींद्र की शादी 10 साल की मृणालिनी से करवा दी गई,इसके 4 महीने बाद 19 अप्रैल, 1884 को कादंबरी ने जहर पी लिया, 21 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। कादंबरी की मौत के बाद रवींद्रनाथ ने एक कविता की किताब लिखी जिसका नाम था ‘भांगा हृदय’ 

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 अन्नपूर्णा तुरखुद –

अन्नपूर्णा तुरखुद 1878 में 17 साल के रवींद्रनाथ को इंग्लैंड जाना था, उससे पहले उनके भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ने उनको बॉम्बे के डॉ. आत्माराम पांडुरंग तुरखुर्द के घर पर दो महीने के लिए भेजा गया, अंग्रेजी पढ़ने के लिए, जहां डॉक्टर की 18 साल की बेटी अन्नपूर्णा थीं, जो कि रवींद्रनाथ से काफी प्रभावित हो गई थीं, कहा जाता है कि उन्हें एकतरफा प्रेम हो गया था लेकिन ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया दत्ता और रॉबिन्सन की लिखी किताब ‘मैरिएड माइंडेड मैन’ में इस बात का जिक्र है।

 मृणालिनी देवी –

एक समर्पित पत्नी और मां की तरह वो टैगोर के साथ अपनी पूरी जिंदगी चलती रहीं, जिस वक्त उनकी शादी हुई थी उस वक्त उनकी उम्र दस साल थी, उनके पांच बच्चे हुए, 29 साल की उम्र में 1891 में वो बीमारी के कारण चल बसीं, रवींद्रनाथ ने बाद में मृणालिनी को समर्पित करते हुए उन्होंने ‘समर्पण’ लिखी थी।मृणालिनी ने बांग्ला, संस्कृत और अंग्रेजी की पढ़ाई की. रामायण का अनुवाद किया था।

 विक्टोरिया ओकाम्पो – Rabindranath Tagore Biography

63 साल के रवींद्रनाथ टैगोर की दोस्ती अर्जेंटीना में 34 साल की महिला विक्टोरिया ओकॉम्पो से हुई, जिन्होंने कविराज रवींद्रनाथ टैगोर को कुशल पेंटर बना दिया, अपने संगीत में गुरुदेव ने अपनी इस विदेशिनी (जिसे वो विजया कहते थे) को एक खास जगह दी है. उन्होंने ही उनके लिए लिखा था ‘आमी सूनेची आमी चीनी गो चीनी तोमारे ओ गो विदेशिनी, तूमी थाको सिंधु पारे ओगो विदेशिनी।’ ( हां, मैंने सुना है मैं पहचानता हूं तुम्हें ओ विदेशिनी, तुम नदी के पार रहती हो न विदेशिनी)

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संगीत कार के रूप में – Rabindranath Tagore Biography

टैगोर जी की अधिकांश कवितायेँ, कहानियां, गीत और उपन्यास बाल विवाह और दहेज जैसे उस समय के दौरान चल रही सामाजिक बुराइयों के बारे में होते थे. लेकिन उनके ध्वारा लिखे गए गीत भी काफी प्रचलित थे। उनके गीतों को ‘रविन्द्र गीत’ कहा जाता था | सभी को यह ज्ञात होगा कि हमारे देश के राष्ट्रीय गान –‘जन गण मन’ की रचना इन्हीं के ध्वारा की गई है. इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेशी राष्ट्रीय गीत –‘आमर सोनार बांग्ला’ की भी रचना की थी. जो कि बंगाल विभाजन के समय बहुत प्रसिद्ध था।

रविंद्र नाथ टैगोर कलाकार के रूप में –

इन्होने 60 साल की उम्र में ड्राइंग एवं पेंटिंग करना शुरू किया. उनकी पेंटिंग्स पूरे यूरोप में आयोजित प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई थी. टैगोर जी की सौन्दर्यशास्त्र, कलर स्कीम और शैली में कुछ विशिष्टताएँ थी। जो इसे अन्य कलाकारों से अलग करती थीं. वे उत्तरी न्यू आयरलैंड से सम्बंधित मलंगन लोगों की शिल्पकला से भी प्रभावित थे. वह कनाडा के पश्चिमी तट से हैडा नक्काशी और मैक्स पेचस्टीन के वुडकट्स से भी काफी प्रभावित थे. नई दिल्ली में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में टैगोर जी की 102 कला कृतियाँ हैं |

Rabindranath Tagore Awards –

  • सन 1940 में, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें शांतिनिकेतन में आयोजित एक विशेष समारोह में डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया था। 
  • अंग्रेजी बोलने वाले राष्ट्रों में उनकी सबसे अधिक लोकप्रियता उनके ध्वारा की गई रचना ‘गीतांजलि गीत की पेशकश’ से बढ़ी उन्होंने दुनिया में काफी ख्याति प्राप्त की थी। 
  •  साहित्य में प्रतिष्ठित रविन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार जैसा सम्मान दिया गया। उस समय वे नॉन यूरोपीय और एशिया के पहले नॉबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेता बने थे। 
  •  1915 में उन्हें ब्रिटिश क्राउन ध्वारा नाइटहुड भी दिया गया था। लेकिन जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने 30 मई 1919 को अपने नाईटहुड को छोड़ दिया था। 
  •  उनके लिए नाईटहुड का कोई मतलब नहीं था, जब अंग्रेजों ने अपने साथी भारतीयों को मनुष्यों के रूप में मानना भी जरुरी नहीं समझा था। 

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Rabindranath Tagore Achievements

उम्र

80 साल

राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा कवि।,गीत एवं संगीतकार ,लेखक ,नाटककार ,निबंधक और चित्रकार
प्रसिद्धी भारतीय राष्ट्रगान के लेखक ,साहित्य में नोबल पुरस्कार विजेता 
राजनितिक विचारधारा विपक्षी साम्राज्यवाद और समर्थित भारतीय
जाती बंगाली
प्रसिद्ध पुस्तक गीतांजलि

Rabindranath Tagore Death –

रविन्द्र नाथ टैगोर के जीवन के अंतिम चार वर्ष बीमारियों के चलते दर्द से गुजरे. जिसके कारण सन 1937 में वे कोमा में चले गये. वे 3 साल तक कोमा में ही रहे थे। इस पीड़ा की विस्तृत अवधि के बाद 7 अगस्त, 1941 को उनका अवसान हो गया. उनकी मृत्यु जोरसंको हवेली में हुई जहाँ उन्हें लाया गया था. 

Rabindranath Tagore Biography Video –

Rabindranath Tagore Biography Facts –

  • रविन्द्र नाथ टैगोर के शिक्षा पर विचार ऐसे थे व्यक्ति की आर्थिक मानसिक, भावात्मक, राजनैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जरूरतों को पूर्ण करती है। 
  • कविवर रवींद्रनाथ टैगोर की कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है।
  • रवींद्रनाथ टैगोर का शिक्षा में योगदान और उद्देश्य यह था की व्यक्तियों में अन्तर्राष्ट्रीय बन्धुत्व की भावना का विकास हो सके।
  • 2,230 गीतों की रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ मौजूद है। 
  • रविन्द्र नाथ टैगोर के विचार ऐसे थे की दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं।

इसके बारेमेभी जानिए :-

Rabindranath Tagore Biography Questions –

1 .ravindr naath taigor kee mrtyu kab huee thee ? 

रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु 7 August 1941 के दिन हुई थी। 

2 .ravindr naath taigor ko nobel puraskaar kab mila ?

रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार ‘गीतांजलि’ के लिए 1913 में मिला था। 

3 .ravindr naath taigor ka janm kahaan hua tha ?

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म Kolkata में हुआ था। 

4 .ravindr naath taigor ka janm kab hua tha ?

 रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 May 1861 के दिन हुआ था। 

5 .ravindr naath taigor ka nidhan kab hua tha ?

रविंद्र नाथ टैगोर का निधन 7 August 1941 के दिन हुआ था। 

Conclusion –

 मेरा यह आर्टिकल Rabindranath Tagore Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये हमने रवींद्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन और rabindranath tagore or thakur से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Tana - RiRi Biography In Hindi - ताना - रीरी की जीवनी

Tana RiRi Biography In Hindi – ताना रीरी का जीवन परिचय

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम tana riri biography in hindi बताएँगे। संगीत महासम्राग्नी ताना रीरी की जीवनी बताने वाले है। 

1580 के आसपास ताना रीरी का माना जाता है। हम tana riri history आपको बताएँगे। आज हम tanariri vadnagar , tana riri garden और tanariri samadhi place की जानकारी बताने वाले है। स्थान गुजरात में महेसाणा जिले के वडनगर शहर में उपस्थित है। आज हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के गांव वडनगर के एक Tample Tanariri history in Gujarat से वाकिफ कराने जारहे है।  

tana and riri मंदिर शहर से करीबन 1 किलोमीटर की दुरी पर है। उनका मंदिर का जिणोद्वार और हालही मे बहोत बड़ा गार्डन बनाया गया है। तानारिरि समाधी के स्थान पर हर साल tanariri mahotsav मनाया जाता है। जिन्हे national festival का दर्जा दिया गया है। उनके मंदिर के आसपास तीन तालाब मौजूद होने के कारन उनका नजारा बहुत ही लाजवाब दिखाई देता है। 

Tana RiRi Biography In Hindi – 

नाम  ताना और रीरी 
माता  Sharmishtha
राग  मल्हार राग 
उपलब्धि  सांगित साम्राग्नि बेलड़ी 
जन्म  1580
जाती (cast) नागर ब्राह्मण 
शास्त्रों में उल्लेख  महाकवि नरसिह मेहेता की नाती 
राष्ट्रीयता  भारतीय 

ताना – रीरी का जीवन परिचय –

वडनगर मे महान गायिका ताना-रीरी का जन्म हुआ था | जब तानसेन ने अकबर दरबार में राग दीपक गाया था। तो उनका शरीर पूरी तरह से जुलस गया था। तब इन दोनों बहनो के गाए राग मल्हार के बाद उनका ताप कम हुआ था। ताना अवं रीरी बैजू की पुत्रिया थी | वो दोनों बहने थी उन दोनों की गाथा आज भी गाई जाती है। ताना – रीरी वे दोनों संगीत में निपूर्ण थी। उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था | ताना -रीरी ” मल्हार राग ” के सुर छेड़ती थी। संगीत के ग्रंथों में परस्पर विरोधाभास नें आज संगीत के छात्रों के सम्मुख बड़ा ही भ्रमात्मक स्थिति उत्पन्न कर दिया है।

ग्रंथों में इतने मतभेद हैं की समझ में नहीं आता की सच किसे माना जाए.संगीत के छात्रों में शास्त्र के प्रति अरुचि होने की प्रमुख वजह एक ये भी है। जो भी थोड़ा बहुत रूचि लेतें हैं। वो इस मतभेद और विरोधाभास के आगे हाथ खड़ा कर अपना सारा ध्यान रियाज पर केन्द्रित कर देतें हैं। गुरुमुखी विद्या और प्रारम्भ में शास्त्रों के प्रति उदासीनता होने के कारण उत्पन्न इस मतभेत से संगीत की विभिन्न विधाएं आज भी प्रभावित हैं।

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ताना – रीरी का व्यक्तित्व – 

एक छोटा उदहारण लें ,ख्याल गायन की सबसे मजबूत कड़ी ‘तराना’ है। जो साधरणतया मध्य और द्रुत लय में गाया जाता है। जिसमें ‘नोम ,तोम ,ओडनी ,तादि,तनना, आदी शब्द प्रयोग किये जाते हैं।कुछ लोग इसकी उत्पत्ति कर्नाटक संगीत के तिल्लाना से मानतें हैं। तो कुछ का मानना है। की तानसेन ने अपनी पुत्री के नाम पर इसकी रचना की.संगीत के सबसे मूर्धन्य विद्वानों में से एक ठाकुर जयदेव सिंह की मानें तो इसके अविष्कारक अमीर खुसरो हैं। 

अब स्वाभाविक समस्या है। की सच किसे मानें ? हमारा भी दिमाग चकराया ,फिर इन तमाम विषयों पर कई लोगों को पढ़ा,उन्हें नोटिस किया,लगा की आज औपचारिक शोध के दौर में कुछ लोग बेहतर कार्य कर रहें हैं। नित नये खोज और जानकारियाँ एकत्र कर संगीत के भंडार को समृद्ध कर रहें हैं.उन्हीं में से एक नाम है,डा हरी निवास द्विवेदी जी का जिनकी किताब ‘तानसेन जीवनी कृतित्व एवं व्यक्तित्व’ ने मुझे प्रभावित किया। 

पढने के बाद कई अनछुए और अनसुलझे पहलू उजागर हुए..तानसेन के बारे में कई भ्रम दूर हुए तो कई जगह बेवजह महिमामंडन और भ्रांतियां दूर हुईं। इसी किताब में वर्णित एक मार्मिक घटना ने तराना की उत्पति के सम्बन्ध में फैले मतभेद को कुछ हद तक जरुर कम किया है।

दिल्ही सल्तनज का बुलावा –

1580 के आस पास की है। जब दिल्ही सल्तानज पर सम्राट अकबर का सम्राज्य शाशन विस्तार जारी था। अपने पराक्रम से सम्राट ने अनेक राज्य जीते थे। 1587 में जब गुजरात विजय अभियान की शुरुवात हुई थी। उस अभियान में तानसेन भी अकबर के साथ थे। एक दिन शाही सेना अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे पड़ाव डाले हुई थी| तब बादशाह की संगीत प्रेम से प्रभावित एक स्थानीय संगीतकार नें बैजू की दो पुत्रियों के अदभुत गायन और कला निपुणता की खबर पहुँचाई। 

ये सुनकर अकबर से रहा न गया उसने बुलावा भेजा और गायन के लिए आमंत्रित किया था। बैजू की मृत्यु के बाद उत्पन्न विषाद और विपन्नता की स्थिति से गुजर रहीं उनकी दो पुत्रीयों ने भारी मन से आमंत्रण स्वीकार किया था। कहतें हैं उस अदभूत गायन को सुनकर अकबर क्या तानसेन भी रोने लगे थे | भारत वर्ष के संगीतकारों के बीच ये खबर पहुंच गई ,सब जानने के लिए उत्साहित की आखिर वो कौन है,जिसने तानसेन को रुला दिया था। 

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Vadnagar History –

वडनगर 2500 सालो से जीवित शहर रहा है | आपको भी वड़नगर के समृद्ध इतिहास के बारे में हम बताएँगे | वडनगर अत्यदिक प्राचीन शहर है | पूरातत्ववेत्ता ओके मुताबिक यह शहर में हजारो साल पहले खेती होती थी। खुदाई के दौरान यहाँ से मिट्टी के बर्तन , गहने , और तरह -तरह के हथियार मिलते रहते है |वडनगर का जिक्र पुराणों में भी कई बार आया है। 7 वी शताब्दी में भारत आये चीनी यात्री ह्यु -एन -त्सांग के यात्रा विवरण में भी वडनगर का भी उल्लेख मिलता है।

इतिहास में वडनगर के कई नाम मिलते है | इनमेसे 1 स्नेहपुर , 2 विमलपुर ,3 आनंदपुर ,4 आनर्तपुर, 5 जेरियो टिम्बो आदि नामोंसे जाना जाता था | ऐसा कहा जाता है की प्राचीन समय में वडनगर गुजरात की राजधानी थी। यह प्राचीन शहर में हालीमे 1 अर्जुनबारी 2 नादिओल 3 घोसकोल 4 पिठोरी 5 अमरथोल 6 बी – एन, इन 6 प्राचीन गेटो से घिरा है | इनमे सबसे प्राचीन गेट अमरथोल है | कपिला नदी भी वडनगर से होकर गुजरती थी |

तानसेन ने गाया दीपक राग –

एक दिन अकबर ने तानसेन को दीपावली के दिन पुरे महल में ” दीपग राग ” छेड़ कर दीपक जलाने को कहा | तानसेन ने दीपक राग छेड कर पुरे महल में दीपक तो जला दिया लेकिन उनके शरीर में मानो आग जल रही हो। यह आग दीपक राग कोई छेड़े और बारिश आये तब तानसेन के शरीर की आग शांत हो सकती है | वो ठूँठता – ठूँठता गुजरात में आ पहुँचता है | और ताना -रीरी को खोजते हुवे आनंदपुर ( वडनगर ) में आ पहुँचता है | और ताना -रीरी से विनती करता है। 

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ताना रीरी का मल्हार राग – Tana Riri Malhar Rag

ताना -रीरी शर्मिठा तालाब के किनारे वो दोनों मल्हार राग  छेड़ती है.और बारिश बरसने लगती है और तानसेन के शरीर में लगी आग शांत हो जाती है | और तानसेन उन दोनों का आभार मानके वह चला जाता है। कहतें हैं इससे अकबर बड़ा प्रभावित हुआ और तानसेन को आदेश दिया की इनको फतेहपुर सीकरी के दरबार में लाया जाय | तानसेन को ज्ञात हुआ की ये तो राजा मानसिंह तोमर संगीतशाला के वरिष्ठ आचार्य बैजू की पुत्रियाँ हैं

जिनका नाम बैजू ने बड़े प्रेम से “ताना – रीरी” रखा था | तानसेन न चाहते हुए भी शाही फरमान को मानने के लिए विवश थे| अकबर ने तानसेन सैनिको के साथ फतेहपुर सिकरी के दरबार मे स्थान लेने के लिए आमंत्रण भेजा वो दोनों बहने ना चाहते हुवे भी अकबर के आमंत्रण को स्वीकार किया | इस प्रस्ताव को भारी विपत्ति समझ बैजू की दोनों पुत्रियों ने तानसेन से अकबर को ये खबर भिजवाया की ,वो दो दिन बाद आ जायेंगी। ठीक दो दिन बाद बादशाह द्वारा सुसज्जीत पालकियां भेजी गयी। 

ताना रीरी का आत्मसमर्पण – Tana RiRi Death

फतेहपुर सीकरी आकर पर्दा उठाया गया तो ताना – रीरी के शव प्राप्त हुए | इसके बाद तो कहतें हैं की बादशाह को इतना दुःख हुआ जितना जीवन में कभी न हुआ था | उसने पश्चाताप करने के लीये अनेक जियारतें और तीर्थयात्राएँ की। इस घटना के बाद तानसेन को सामान्य होने में वक्त लगा था | इसी घटना से व्याकुल होकर ताना – रीरी की याद में ‘तराना’ गायन प्रारम्भ किया ।आज भी कभी-कभी मैं ख्याल सुनतें वक्त तराना के समय असहज हो जाता हूँ। आँखे नम होकर उन दो महान वीरांगनाओं को याद करने लगती हैं।  इतिहास की किताबे इन दो वीरांगनाओके बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे। 

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Tana RiRi Information Video –

Tana RiRi Facts –

  • ताना रीरी समाधि आज भी वडनगर शहर से एक किलोमीटर की दूर उपस्थित है। 
  • tana riri mahotsav 2020 awards अनुराधा पौडवाल और वर्षा बेन त्रिवेदी को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया था। 
  • tana riri awards के रूप में विजय रुपाणी ने दो व्यक्तिओ को 2.50 लाख रुपए और शॉल,ताम्रपत्र दे करके सम्मानित किया था। 
  • ताना रीरी मल्हार राग का अलाप करते थे तब बारिश की शुरूआत हुआ करती थी। 
  • vadnagar tanariri garden में प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला महोत्सव है। 

Tana RiRi Questions –

1 .tanariri award started year kaun sa hai ?

ताना रीरी अवार्ड्स की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने 2003 की साल में की थी। 

2 .tanariri story kya hai ?

ताना रीरी एक समय की संगीत में निपुण दो बालिकाएं थी जिनके गाने से बारिश हुआ करती थी। 

3 .tanariri samadhi place kaha hai ?

ताना रीरी समाधी गुजरात के वडनगर शहर में है। 

4 .tanariri award winner list bataaye ?

अब तक ताना रीरी अवार्ड अनुराधा पौडवाल और वर्षा बेन त्रिवेदी को मिला है। 

5 .tanariri mahotsav start from which year ?

तानिरि महोत्सव की शुरूआत 2003 की साल में हुई थी।

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Conclusion –

मेरा आर्टिकल tana riri biography in hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने tanariri mahotsav start from which year और Tanariri festival History से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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