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नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Mahakavi Kalidas Biography आपको बताने वाले है। भारत के महान कवी जिन्होंने अपने कार्यकाल से जीवनकाल में कई बेहतरीन सांस्कृतिक नाटक लिखे है।
आज के आर्टिकल में सब को how kalidas become intelligent ? mahakavi kalidas birth and death कब और कहा हुआ था ? Mahakavi Kalidas in sanskrit की भी जानकारी बताने वाले है। वह एक महान कवि हैं जिन्होंने कई अद्भुत कविताएं और नाटक लिख रखें हैं। महान कवि कालिदास द्वारा लिखी गई रचनाएँ भारत के अलावा दुनिया भर में भी काफी प्रसिद्ध हैं।
कालिदास, राजा विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक रत्न भी हुआ करते थे और इन्हें विक्रमादित्य के दरबार के मुख्य कवि का दर्जा हासिल था। ऐसा माना जाता है कि कालीदास मां काली के परम उपासक थे। अर्थात कालिदास जी के नाम का अर्थ है ‘काली की सेवा करने वाला’। कालिदास अपनी कृतियों के माध्यम से हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित कर लेते थे।
Mahakavi Kalidas Biography In Hindi –
नाम | कालिदास |
जन्म | पहली से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच |
जन्मस्थान | मालूम नहीं |
पत्नी | राजकुमारी विद्योत्तमा |
पेशा | संस्कृत कवि, नाटककार और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे |
उपाधि | महाकवि |
निधन | जन्म की तरह ही कालिदास की मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं है |
महाकवि कालिदास की जीवनी –
कालिदास ने अपने जीवन में कई सारी कविताएं और नाटकों को लिख रखा है। इनके द्वारा लिखे गए अधिकतर नाटक और कविताएं मुख्य रूप से वेदों, महाभारत और पुराणों पर आधारित होती थी। कालिसदास के जीवन के बारे में ज्यादा अधिक जानकारी मौजूद नहीं है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने अपने नाटकों और रचनाओं को चौथी-पांचवीं शताब्दी ई.पू के दौरान लिखा था।
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mahakavi kalidas के नाटक और रचनाएं –
- अभिज्ञान शाकुन्तलम्
- विक्रमोवशीर्यम्
- मालविकाग्निमित्रम्,
- उत्तर कालामृतम्,
- श्रुतबोधम्,
- श्रृंगार तिलकम्,
- श्रृंगार रसाशतम्,
- सेतुकाव्यम्,
- कर्पूरमंजरी,
- पुष्पबाण विलासम्,
- श्यामा दंडकम्,
- ज्योतिर्विद्याभरणम् आदि.
Mahakavi Kalidas का जीवन परिचय –
Mahakavi Kalidas ने अपनी दूरदर्शी सोच और कल्याणकारी विचारों को अपनी रचनाओं में उतारा। कालिदास एक महान कवि और नाटककार ही नहीं बल्कि वे संस्कृत भाषा के विद्दान भी थे। भारत के श्रेष्ठ कवियों में से एक थे। उन्होनें भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार मानकर सुंदर, सरल। और अलंकार युक्त भाषा में अपनी रचनाएं की और अपनी रचनाओं के माध्यम से भारत को एक नई दिशा देने की कोशिश की।
कालिदास जी साहित्य अभी तक हुए महान कवियों में अद्धितीय थे। उनके साहित्यिक ज्ञान का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। कालिदास का उपमाएं बेमिसाल हैं और उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं। मानो कि संगीत कालिदास जी के साहित्य के मुख्य अंग है। साथ ही उन्होनें साहित्य में रस का इस तरह सृजन किया है। जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।
श्रुंगार रस को उन्होनें अपनी कृतियों में इस तरह डाला है ,मानो कि पाठकों में भाव अपने आप जागृत हो जाएं। इसके साथ ही विलक्षण प्रतिभा से निखर महान कवि कालिदास जी के साहित्य की खास बात ये है कि उन्होनें साहित्यिक सौन्दर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है।
एक बार जिसको उनकी रचनाओं की आदत लग जाती बस वो उनकी लिखी गई्ं कृतियों में ही लीन हो जाता था। ठीक वैसे ही जैसे उनको कोई एक बार देख लेता था बस देखता ही रहता था क्योंकि वे अत्यंत मनमोहक थे इसके साथ ही वे राजा विक्रमादित्य के दरबार में 9 रत्नों में से एक थे।
कालिदास के माता पिता की जानकारी –
महान कवि कालिदास (Kalidas) का जन्म कब हुआ था और भारत के किस हिस्से में हुआ था इसके बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हमारे देश के इस महान कवि का जन्म प्रथम से तीसरी शताब्दी ई.स पूर्व के दौरान हुआ था। जबकि इनके जन्म स्थान को कई विद्वान ने उज्जैन माना है तो कई विद्वानों का कहना है कि इनका जन्म स्थान उत्तराखंड है। महान कवि कालिदास के माता पिता कौन थे और उनका क्या नाम था इसकी जानकारी भी उपलब्ध नहीं है।
इनकी पत्नी का नाम विद्योत्तमा बताया जाता है और कहा जाता है कि कालिदास की पत्नी एक राजकुमारी थी। जब कालिदास की शादी विद्योत्तमा से हुई थी तो विद्योत्तमा को इस बात का ज्ञान नहीं था ,कि कालिदास अनपढ़ हैं। लेकिन एक दिन जब विद्योत्तमा को कालिदास के अनपढ़ होने के बारे में पता चला तो उन्होंने कालिदास को घर से निकाल दिया और कालिदास को विद्वान बनने पर ही घर वापस आने को कहा। जिसके बाद कालिदास ने विद्या हासिल की और यह एक महान कवि और नाटककार बन गए।
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महाकवि कालिदास का जन्म –
महाकवि कालिदास के जन्म काल की तरह उनके जन्मस्थान के बारे में भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। उन्होनें अपने खण्डकाव्य मेघदूत में मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर का काफी वर्णन किया है इसलिए कई इतिहासकार मानते है महाकवि कालिदास उज्जैन के निवासी थे। कालिदास के जन्मस्थान के बारे में भी साहित्यकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ साहित्यकारों की माने तो कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था वहीं कविल्ठा गांव में भारत सरकार के द्धारा कालिदास की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है इसके साथ ही एक सभागार का निर्माण भी करवाया गया है।
कालिदास की प्रमुख रचनाएँ –
महान कवि कालिदास (Kalidas) ने कई सारी रचनाएँ लिखी हैं लेकिन इनकी जो सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ हैं वे महाकाव्य – रघुवंश और कुमारसंभव, खंडकाव्य – मेघदूत और ऋतुसंहार, नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्र और विक्रमोर्वशीय है।
ऐसा माना जाता है कि जो प्रथम नाटक कालिदास ने लिखा था वह मालविकाग्निमित्रम् था। मालविकाग्निमित्रम् में महान कवि कालिदास ने एक राजा अग्निमित्र की कहानी लिखी है इस कहानी के अनुसार राजा को अपनी नौकरानी मालविका से प्यार हो जाता है और जब यह बात रानी को पता चलती है, तो वोे मालविका को जेल में बंद करवा देती हैं। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर होता है और अंत में मालविका और राजा अग्निमित्र के प्यार को दुनिया अपना लेती हैं।
महान कवि Kalidas द्वारा जो दूसरा नाटक लिखा गया है उसका नाम अभिज्ञान शाकुन्तलम् है। अभिज्ञान शाकुन्तलम् एक प्रेम कहानी पर आधारित नाटक है इस नाटक में कालिदास (Kalidas) ने राजा दुष्यंत और शकुंतला नाम की एक लड़की की प्रेम कहानी का वर्णन किया है।
कालिदास द्वारा लिखी गई सभी रचनाओं में से यह नाटक सबसे प्रसिद्ध है इस नाटक का अनुवाद अंग्रेजी और जर्मन भाषा में भी किया गया है। कालिदास ने अपने जीवन का जो अंतिम नाटक लिखा था वो विक्रमोर्वशीयम् था। यह नाटक राजा पुरूरवा और अप्सरा उर्वशी पर आधारित था।
महाकवि कालिदास और राजकुमारी विद्योत्तमा का विवाह –
महान कवि और दार्शनिक Mahakavi Kalidasकी शादी संयोग से राजकुमारी विद्योत्मा से हुई जो कि बेहद गरीब परिवार से वास्ता रखतीं थी। ऐसा कहा जाता है कि राजकुमारी विद्योत्मा ने प्रतिज्ञा की थी की जो भी उन्हे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वे उसी के साथ शादी करेंगी जब विद्योत्मा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्दानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी और इसका बदला लेने के लिए छल से कुछ विद्धानों ने कालिदास से राजकुमारी विद्योत्मा का शास्त्रार्थ करवाया और उनका विवाह राजकुमारी विद्योत्मा से करवा दिया।
आपको बता दें कि शास्त्रार्थ का परीक्षण के लिए राजकुमारी विद्योत्मा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे। विद्योत्मा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्मा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो Kalidas को लगा कि वह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही हैं। इसलिए उसके जवाब में उन्होनें घूंसा दिखा दिया तब विद्योत्मा को लगा कि कालिदास कह रहे हैं कि पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक ही मन के द्धारा संचालित है। इससे प्रभावित होकर राजकुमारी विद्योत्मा ने कालिदास से शादी करने के लिए हामी भर दी और उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया था।
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विद्योत्मा की धित्कार के बाद कालिदास महान कवि बने –
कुछ दिनों बाद जब राजकुमारी विद्योत्मा को जब कालिदास की मंद बुद्धि का पता चला तो वे अत्यंत दुखी हुईं और कालिदास जी को धित्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापस नहीं आना।फिर क्या था पत्नी से अपमानित हुए कालिदास ने विद्या प्राप्त करने का संकल्प लिया और सच्चे पंडित बनने की ठानी और इस संकल्प के साथ वे घर से निकल प़ड़े।
और मां काली की सच्चे मन से उपासना करने लगे। जिसके बाद मां काली के आशीर्वाद से वे परम ज्ञानी और साहित्य के विद्धान बन गए। इसके बाद वे अपने घर लौटे, और अपनी पत्नी को आवाज दी, जिसके बाद विद्योत्मा दरवाजे पर सुनकर ही समझ गईं कि कोई विद्धान व्यक्ति आया है। इस तरह उन्हें अपनी पत्नी के धित्कारने के बाद परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे महान कवि बन गए।
कालिदास द्वारा शूरसेन जनपद का वर्णन –
महाकवि कालिदास चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के समकालीन माने जाते हैं। रघुवंश में कालिदास ने शूरसेन जनपद, मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन तथा यमुना का उल्लेख किया है। इंदुमती के स्वयंवर में विभिन्न प्रदेशों से आये हुए राजाओं के साथ उन्होंने शूरसेन राज्य के अधिपति सुषेण का भी वर्णन किया है मगध, अंसु, अवंती, अनूप, कलिंग और अयोध्या के बड़े राजाओं के बीच शूरसेन – नरेश की गणना की गई है।
Mahakavi Kalidas ने जिन विशेषणों का प्रयोग सुषेण के लिए किया है उन्हें देखने से ज्ञात होता है कि वह एक प्रतापी शासक था, जिसकी कीर्ति स्वर्ग के देवता भी गाते थे और जिसने अपने शुद्ध आचरण से माता-पिता दोनों के वंशों को प्रकाशित कर दिया था। इसके आगे सुषेण को विधिवत यज्ञ करने वाला, शांत प्रकृति का शासक बताया गया है, जिसके तेज़ से शत्रु लोग घबराते थे। यहाँ मथुरा और यमुना की चर्चा करते हुए कालिदास ने लिखा है।
यमुना-विहार –
जब राजा सुषेण अपनी प्रेयसियों के साथ मथुरा में यमुना-विहार करते थे तब यमुना-जल का कृष्णवर्ण गंगाकी उज्ज्वल लहरों-सा प्रतीत होता था। यहाँ मथुरा का उल्लेख करते समय संभवत: कालिदास को समय का ध्यान नहीं रहा। इंदुमती (जिसका विवाह अयोध्या-नरेश अज के साथ हुआ) के समय में मथुरा नगरी नहीं थी। वह तो अज की कई पीढ़ी बाद शत्रुघ्न के द्वारा बसाई गई। टीकाकार मल्लिनाथ के उक्त श्लोक की टीका करते समय ठीक ही इस संबंध में आपत्ति की है । कालिदास ने अन्यत्र शत्रुघ्न के द्वारा यमुना-तट पर भव्य मथुरा नगरी के निर्माण का कथन किया है । शत्रुघ्न के पुत्रों शूरसेन और सुबाहु का क्रमश मथुरा तथा विदिशा के अधिकारी होने का भी वर्णन रघुवंश में मिलता है।
वृन्दावन और गोवर्धन का वर्णन –
कालिदास द्वारा उल्लिखित शूरसेन के अधिपति सुषेण का नाम काल्पनिक प्रतीत होता है। पौराणिक सूचियों या शिलालेखों आदि में मथुरा के किसी सुषेण राजा का नाम नहीं मिलता। कालिदास ने उन्हें ‘नीप-वंश’ का कहा है। परंतु यह बात ठीक नहीं जँचती। नीप दक्षिण पंचाल के एक राजा का नाम था, जो मथुरा के यादव-राजा भीम सात्वत के समकालीन थे। उनके वंशज नीपवंशी कहलाये। कालिदास ने वृन्दावन और गोवर्धन का भी वर्णन किया है। वृन्दावन के वर्णन से ज्ञात होता है कि कालिदास के समय में इस वन का सौंदर्य बहुत प्रसिद्ध था और यहाँ अनेक प्रकार के फूल वाले लता-वृक्ष विद्यमान थे।
कालिदास ने वृन्दावन की उपमा कुबेर के चैत्ररथ नाम उद्यान से दी है। गोवर्धन की शोभा का वर्णन करते हुए महाकवि कहते है-‘हे इंदुमति, तुम गोवर्धन पर्वत के उन शिलातलों पर बैठा करना जो वर्षा के जल से धोये जाते हैं तथा जिनसे शिलाजीत जैसी सुगंधि निकलती रहती है। वहाँ तुम गोवर्धन की रमणीक कन्दराओं में, वर्षा ऋतु में मयूरों का नृत्य देखा करना।
Kalidas के उपर्युक्त वर्णनों से तत्कालीन शूरसेन जनपद की महत्त्वपूर्ण स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। आर्यावर्त के प्रसिद्ध राजवंशों के साथ उन्होंने शूरसेन के अधिपति का उल्लेख किया है। ‘सुषेण’ नाम काल्पनिक होते हुए भी कहा जा सकता है। कि शूरसेन-वंश की गौरवपूर्ण परंपरा ई. पाँचवी शती तक अक्षुण्ण थी। वृन्दावन, गोवर्धन तथा यमुना संबंधी वर्णनों से ब्रज की तत्कालीन सुषमा भी का अनुमान लगाया जा सकता है।
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महाकवि कालिदास नाटक – Mahakavi Kalidas
कवि Kalidas की गणना भारत के ही नहीं बल्कि संसार के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने नाट्य, महाकाव्य और गीतिकाव्य के क्षेत्र में अपनी अदभुत रचनाशक्ति का प्रदर्शन कर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई।
- महाकवि कालिदास के नाटक
- अभिज्ञान शाकुन्तलम् (नाटक)
महाकवि कालिदास जी का ये नाटक काफी मशहूर है ये नाटक महाभारत के आदिपर्व के शकुन्तला की व्याख्या पर आधारित है जिसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कथा का वर्णन है। इस नाटक के कुल 7 अंक है।आपको बता दें कि विक्रमादित्य के नवरत्न कालिदास का नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् लोगों के बीच मशहूर हो गया वहीं इस नाटक का अनुवाद जर्मन भाषा में भी किया गया है। महाकवि कालिदास जी के नाटक की जर्मन विद्धान भी बिना प्रशंसा किए नहीं रह सके यहां तक की इस नाटक को पढ़कर उन्होनें इस पर कविता भी लिख डाली।
विक्रमोर्वशीयम् –
महाकवि Kalidas का विक्रमोर्वशीयम नाटक एक रोमांचक और रहस्यों से भरा नाटक है। जिसमें कालिदास जी पूरुरवा और अप्सरा उर्वशी के प्रेम संबंधों का वर्णन किया है। इसमें स्वर्ग में वास करने वाले पूरुरवा को राजकुमारी अप्सरा से प्यार हो जाता है वहीं इंद्र की सभी में जब उर्वशी नाचने जाती है तो वे पुरुरवा के प्यार की वजह से उत्कृष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाती हैं। जिसकी वजह से इंद्र देव उसे श्राप देकर धरती पर भेज देते हैं लेकिन इस श्राप के मुताबिक अगर अप्सरा का प्रेमी उसके होने वाली संतान को देख ले, तो वे वापस स्वर्ग लौट सकती हैं। कवि का ये नाटक पाठकों को अंतिम क्षण तक बांधे रखता है और पाठकों में प्रेम भावना जागृत करता है इसलिए भारी संख्या में पाठक कवि की इस रचना से जुड़े हैं।
मालविकाग्रिमित्रम् –
महाकवि कालिदास का मालविकाग्रिमित्रम् नाटक राजा अग्रमित्र की प्रेम कहानी पर आधारित नाटक है। इस नाटक में साहित्य के विद्धान कवि कालिदास ने राजा अग्रिमित्र और एक नौकर की बेटी मालविका के प्रेम मिलन की व्याख्या की है। आपको बता दें कि मालविकामित्रम् नाटक में राजा अग्रिमित्र् को एक घर से निकाले गए नौकर की बेटी मालविका की तस्वीर से इतना प्यार हो जाता है कि वे उनको पाने की चाहत में कठिन से कठिन रास्तों को भी आसानी से पार कर लेते हैं।
काफी उतार-चढ़ाव और संघर्ष के बाद आखिरकार इस नाटक में राजा अग्रिमित्र और मालविका का किसी तरह मिलन हो जाता है। महाकवि Kalidas का ये नाटक पाठकों के मन में एक अलखग जगाई है यही वजह है कि उनके इस नाटक को बहुत ख्याति मिली है।
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कालिदास का साहित्य – Mahakavi Kalidas
Mahakavi Kalidas संस्कृत साहित्य और भारतीय प्रतिभा के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। कालिदास के जीवनवृत्त के विषय में अनेक मत प्रचलित हैं। कुछ लोग उन्हें बंगाली मानते हैं। कुछ का कहना है, वे कश्मीरी थे। कुछ उन्हें उत्तर प्रदेश का भी बताते हैं। परंतु बहुसंख्यक विद्वानों की धारणा है कि वे मालवा के निवासी और उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य के नव-रत्नों में से एक थे।
विक्रमादित्य का समय ईसा से 57 वर्ष पहले माना जाता है। जो विक्रमी संवत का आरंभ भी है। इस वर्ष विक्रमादित्य ने भारत पर आक्रमण करने वाले शकों को पराजित किया था। कालिदास के संबंध में यह किंवदंती भी प्रचलित है कि वे पहले निपट मूर्ख थे। कुछ धूर्त पंडितों ने षड्यंत्र करके उनका विवाह विद्योत्तमा नाम की परम विदुषी से करा दिया।
पता लगने पर विद्योत्तमा ने कालिदास को घर से निकाल दिया। इस पर दुखी कालिदास ने भगवती की आराधना की और समस्त विद्याओं का ज्ञान अर्जित कर लिया। इन्हें भी देखें: कालिदास के काव्य में प्रकृति चित्रण, कालिदास के चरित्र-चित्रण, कालिदास की अलंकार-योजना, कालिदास का छन्द विधान, कालिदास की रस संयोजना, कालिदास का सौन्दर्य और प्रेम एवं कालिदास लोकाचार और लोकतत्त्व।
आधुनिक काल में कालिदास का महत्व –
Mahakavi Kalidas के नाटकों का अनुवाद देश विदेश की अनेक भाषाओं में हुआ है। इसके अलावा अनेक अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में उनके नाटकों का अनुवाद हुआ है। दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री ने कालिदास के नाटकों पर अनेक फिल्में बनाई है और उसे लोकप्रिय बनाया है। कन्नड़ भाषा में कालिदास के जीवन पर “कविरत्न कालिदास” फिल्म बनी जो काफी लोकप्रिय रही। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध निर्देशक वी शांताराम ने शकुंतला के जीवन पर फिल्म बनाई थी। यह फिल्म बहुत प्रसिद्ध है।
हिंदी लेखक मोहन राकेश ने कालिदास के जीवन पर एक नाटक “आषाढ़ का एक दिन” लिखा जो कालिदास के संघर्षशील जीवन की घटनाओं को दिखाता हैलेखक सुरेंद्र वर्मा ने 1976 में एक नाटक लिखा था जिसमें यह बताया गया था कि पार्वती के श्राप के कारण कालिदास कुमारसंभवम को पूरा नहीं कर पाए। इस ग्रंथ में कालिदास ने भगवान शिव और पार्वती के गृहस्थ जीवन को अश्लील वर्णन प्रस्तुत किया था जो कि बहुत विवादित रहा था।
Mahakavi Kalidas Video Hindi Me –
महाकवि कालिदास के रोचक तथ्य –
- कालिदस से क्रुद्ध होकर देवी पार्वती ने कालिदास को श्राप दिया था। इस विवादित नाटक के कारण कालिदास को चंद्रगुप्त की अदालत में पेश होना पड़ा था।
- जहां पर अनेक पंडितों और नैतिकतावादियो ने उन पर अश्लीलता फैलाने, और देवी देवताओं की मर्यादा से खिलवाड़ करने के आरोप लगाए।
- कालिदास की तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवियों में होती है। संस्कृति साहित्य में अभी तक कालिदास जैसा कोई दूसरा कवि पैदा ही नहीं हुआ।
- कालिदास के नाटक `मालविकाग्निमित्र‘ से ज्ञात होता है कि सिंधु नदी के तट पर अग्निमित्र के लड़के वसुमित्र की मुठभेड़ यवनों से हुई और भीषण संग्राम के बाद यवनों की पराजय हुई।
- यवनों के इस आक्रमण का नेता सम्भवत: मिनेंडर था। इस राजा का नाम प्राचीन बौद्ध साहित्य में ‘मिलिंद’ मिलता है।
Mahakavi Kalidas Questions –
1 .Mahakavi Kalidas कौन था ?
महा कवी कालिदास है उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे लेख लिखे है।
2 .कौन हैं महाकवि कालिदास ?
वह भारतीय संस्कृति के एक महान लेखक है।
3 .कालीदास किस लिए प्रसिद्ध है ?
वह अपनी कलाकृतियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
4 .कालिदास के जन्म की तारीख क्या है ?
उसकी को माहिती उपलब्ध नहीं है।
5 .कालिदास का सबसे प्रसिद्ध नाटक कौन सा है ?
उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक शाकुन्तलम् है।
6 .कालीदास को किसने मारा ?
नाटक शकुंतला को दर्शकों के लिए पढ़ रहे थे, तो उन्हें भीड़ में एक हत्यारे ने चाकू मार दिया।
7 .कर्नाटक का कालिदास कौन है ?
नाटककार मानल जाला को कर्नाटक का कालिदास कहते है।
8 .कालिदास को भारतीय शेक्सपियर क्यों कहा जाता है ?
क्योकि कालिदास ने संस्कृत में नाटकों, कविताओं, महाकाव्यों आदि की अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ लिखी थीं।
9 .Mahakavi Kalidas की पत्नी का नाम क्या है ?
उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी विद्योत्तमा था।
10 .कालीदास को किसने मारा ?
वह नाटक शकुंतला को एकत्रित दर्शकों के लिए पढ़ रहे थे, उस भीड़ में एक हत्यारे ने चाकू मार दिया।
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Conclusion –
दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Mahakavi Kalidas Biography पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये हमने mahakavi kalidas poet से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। जय हिन्द ।
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