नमस्कार दोस्तों Narayani Mata Story In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम भगवान शिव की पहली पत्नी सती का अवतार महासती नारायणी माता का जीवन परिचय बताने वाले है। आपको बतादे की नारायणी माता महादेव की पत्नी सती का अवतार और सैन समाज के कुलदेवी के रूप में प्रसिद्ध है। माता का मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के अलवर जिले की राजगढ़ तहसील की बरवा की डूंगरी पर स्थित और नारायणी माता का प्रसिद्ध मंदिर यहाँ के लोकतीर्थों में शामिल है।
नारायणी माता का मंदिर बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है। यह खूबसूरत मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में प्रतिहार शैली में करवाया गया था। प्राचीन मंदिर आज भी अपनी भव्य विरासत और श्रद्धा का केंद्र है। अपनी सुन्दर और सुंदर कलाकृति से राजस्थान के मुख्य पर्यटक स्थलों में शामिल है। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के किनारे पर स्थित अलवर शहर का एक बहु प्रतिष्ठित मंदिर है।
Narayani Mata Biography In Hindi नारायणी माता का जीवन परिचय

Narayani Mata Temple नारायणी माता का मंदिर
नारायणी माता मंदिर राजस्थान के अलवर शहर से 80 और अमनबाग से 14 कि.मी दूर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के किनारे पर स्थित प्रसिद्ध मंदिर है। वहा नारायणी माता भगवान भोले नाथ की पहली पत्नी सती का अवतार के रूप में है। नारायणी माता मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से अच्छी तरह से सजाया और डिजाइन किया गया है। मंदिर नजदीक छोटा सा गर्म पानी का झरना मंदिर को अधिक लोकप्रिय बनाता है।
नारायणी माता मंदिर भारत में सैन समाज का एकमात्र मंदिर और उसकी पवित्रता पुष्कर, रामदेवरा और माउंट आबू मंदिरों के समान है। मंदिर सैन समाज के लिए आस्था का केंद्र है। मंदिर में बनिया (अग्रवाल) को जाने की अनुमति नहीं है। मन्दिर का निर्माण 11वीं सदी में प्रतिहार शैली से करवाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में माता की मूर्ति देखने को मिलती है।
Narayani Mata Miracle नारायणी माताजी का चमत्कार
नारायणी धाम पर स्थित कुंड से अटूट जलधारा का रहस्य आज भी कोई नहीं जान सका है। यहाँ से पानी की धार लगातार बनी रहती है। यह धार की ना दिशा बदली है ना धार का स्थान बदला है। मंदिर का यह झरना नारायणी धाम के चमत्कारों के कारन भक्तो की आस्था का प्रतिक है। सैन समाज के साथ यहां कई पर्यटक माता के दरबार में आस्था से आते है। जानकारी के मुताबिक माता कर्मावती के सती होने की घटना विक्रम संवत 1017 से पहले हुई थी। और यह जलधारा की उत्पत्ति उस घटना के साथ जुड़ी है। यह जलधारा एक हजार साल से पुरानी है। भंयकर अकाल में भी पानी में कोई कमी नहीं आई है।

नारायणी माता का विवाह
माता नारायणी जी का विवाह युवावस्था में टहला अलवर (राजोरगढ़ ) के निवासी गणेश पुत्र कर्णेश से हुआ था। अपने पीहर से विदाई के पश्यात नारायणी माता चलते चलते ससुराल जा रही थी। दोनो जोड़ा पैदल ही सफर कर रहा था। गर्मियों का मौसम होने के कारन धूप तेज थी। उसके कारन नारायणी माता अपने पति के साथ आराम करने के लिए ठहरे थे। और रास्ते में बड़ा बरगद का पेड़ देख आराम करते थे।
Narayani Mata Husband Death Story नारायणीमाता के पति की मृत्यु
बरगद की गहरी छाया और थकन के कारन नारायणी माता और उनके पति आराम करते करते दोनो सो गए थे। क्योकि पैदल चलकर रास्ता तय करने के कारन दोनो थक चुके थे। सोते ही गहरी नींद में चले गए। नींद खुलने के बाद नारायणी माता को पता चला की उनके पति को एक साप ने दंश मार दिया है। और उनके पति की मृत्यु हो गई है। उस समय सूर्य अस्त होने लगा था। और मीणा जाति के लोग अपने अपने घरों के जानवरों को लेकर अपने घर जा रहे थे। नारायणी माता ने आवाज लगाई और अपने पति की चिता के लिए जंगल से लकड़ी इकट्ठी करने को कहा था।

Mata Narayani पति के साथ सती हुई और झरने की उत्पति
मीणा जाति के युवकों ने जंगल से लकड़ी इकट्ठी कर चिता बनाई और नारायणी माता अपने पति के शव को गोद में रखकर सती हो गई थी। उस समय भविष्यवाणी यानि आकाशवाणी हुई और नारायणी माता ने कहा कि हे ग्वालों तुमने मेरी मदद की है। उसके बदले में आपको कुछ दूंगी। वह सुनकर ग्वालों ने कहा कि मा जंगल में पीने के पानी की कमी है।
नारायणी माता ने कहा कि आज से कोई भी ग्वाला लकड़ी लेकर यहाँ से भागे और पीछे मुड़ कर मत देखना वहा जिस जगह तक भागते हुए जायेगा वह स्थान तक जलधारा शुरू हो जायेगा। एक ग्वाला 3 कि.मी तक भागकर जा सका उसके बाद वह जल की धारा वहीं पर रूक गई जो आज भी दिखाई देती है।
Narayani Mata Fair नारायणीमाता का मेला
1993 से पहले हर साल यहाँ प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल एकादशी को नारायणी माता का मेला लगता था। स्थानीय लोगों द्वारा एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता था। लेकिन स्वर्गीय श्री राजीव गांधी द्वारा प्रतिबंधित किया गया था। क्योकि सती प्रथा को बंद करने श्री राजीव गांधी ने 1993 से पहले हर साल मंदिर स्थल पर स्थानीय लोगों से आयोजन होने वाले मेले को प्रतिबंधित किया था।

नारायणी माता धाम के नजदीकी स्थल
- मूसी महारानी की छतरी अलवर
- भानगढ़ किला
- बाला किला अलवर
- सरिस्का नेशनल पार्क
- सिलीसेढ़ झील
- सिलिसर लेक पैलेस
- विनय विलास महल या सिटी पैलेस
- सरिस्का पैलेस अलवर
- केसरोली अलवर
- विजय मंदिर महल अलवर
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- पांडुपोल मंदिर अलवर
Biography of Narayani Mata In Hindi Video
Interesting Facts अज्ञात तथ्य
- नारायणी धाम राजस्थान के प्राकृतिक सौन्दर्य से पूर्ण अलवर ज़िले में है।
- अलवर जिले का नारायणी धाम अपने चमत्कारों की वजह से आस्था का केंद्र है।
- नारायणीमाता मंदिर का पुजारी मीणा जाति का होता है।
- मीणा और नाई जनजाति के मध्य देवी के मंदिर के चढ़ावे को लेकर विवाद रहता है।
- नारायणी धाम मंदिर के ठीक सामने संगमरमर का एक कुण्ड है।
- मन्दिर का निर्माण 11वीं सदी में प्रतिहार शैली से करवाया गया है।
- नारायणी धाम में जलधारा का महत्व गंगा नदी के सरीखा है।
- माता नारायणी मंदिर पर प्राकृतिक जल की धारा फूट रही है।
FAQ
Q .नारायणी माता का गांव कौन सा था?
सरिस्का वन क्षेत्र के पास जंगलों से घिरे वरवा की डूंगरी की तलहटी में नारायणी माता का मंदिर स्थित है।
Q .नारायणी देवी कौन है?
नारायणी देवी सेन समाज की कुलदेवी है।
Q .नारायणी माता का मंदिर किस शैली में बना है।
नारायणी माता का मंदिर प्रतिहार शैली में बना है।
Q .नारायणी माता के पति का नाम क्या है?
नारायणी माता भगवान शिव की पहली पत्नी सती का अवतार है।
Q .अलवर में कौन सी माता का मंदिर है?
अलवर में नारायणी माता का मंदिर स्थित है।
Conclusion
आपको मेरा Narayani Mata Biography In Hindi लेख बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने Narayani Mata Mandir, jeevan mata
और महासती नारायणी माता का संक्षिप्त जीवन से सम्बंधित जानकारी दी है।
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