Neil Armstrong Biography In Hindi – नील आर्मस्ट्रांग की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज Neil Armstrong Biography In Hindi, में अमेरिकी खगोलयात्री निल आर्मस्ट्रोंग का जीवन परिचय बताने वाले है। 

चंद्रमा पर सबसे पहले कदम रखने वाले व्यक्ति थे। वे एक एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, परीक्षण पायलट, और प्रोफ़ेसर भी थे। आज हम neil armstrong quote ,neil armstrong death reason  और neil armstrong and edwin aldrin के बारेमे बात करेंगे। खगोलयात्री बनने से पूर्व वे नौसेना में थे। नौसेना में रहते हुए उन्होंने कोरिया युद्ध में भी हिस्सा लिया।

नौसेना के बाद उन्होंने पुरुडु विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली और तत्पश्चात् एक ड्राइडेन फ्लाईट रिसर्च सेंटर से जुड़े थे। एक परीक्षण पायलट के रूप में ९०० से अधिक उड़ानें भरीं। यहाँ सेवायें देने के बाद उन्होंने दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि हासिल की हुई थी। नील आर्मस्ट्रांग के बारेमे बताये तो चाँद पर जाने वाले लोगों के नाम में उसका नाम पहला है। 

Neil Armstrong Biography In Hindi –

नाम  नील आर्मस्ट्रांग
 जन्म  5 अगस्त, 1930
 जन्म स्थान   वापाकोनेता, ओहियो, अमेरिका
 नागरिकता  अमेरिकी
 मृत्यु   25 अगस्त, 2012
 मृत्यु स्थान  सिनसिनाटी, ओहियो, अमेरिका
 कर्म-क्षेत्र   अंतरिक्ष यात्री, अध्यापक प्रसिद्धि चाँद पर क़दम   रखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति

निल आर्मस्ट्रोंग का जन्म और प्रारंभिक जीवन –

Neil Armstrong Biography – नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त, 1930 को वेपकॉनेटा, ओहायो में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टीफेन आर्मस्ट्रांग था और माँ का वायला लुई एंजेल था। उनके माता पिता की दो अन्य संतानें जून और डीन, नील से उम्र में छोटे थे। पिता स्टीफेन ओहायो सरकार के लिये काम करने वाले एक ऑडिटर थे और उनका परिवार इस कारण ओहायो के कई कस्बों में भ्रमण करता रहा। 

neil armstrong childhood में वह तक़रीबन २० कस्बों में स्थानंतरित हुए। इसी दौरान नील की रूचि हवाई उड़ानों में जगी। नील जब पाँच बरस के थे। उनके पिता उन्हें लेकर २० जून १९३६ को ओहायो के वारेन नामक स्थान पर एक फोर्ड ट्राईमोटर हवाई जहाज में सवार हुए और नील को पहली हवाई उड़ान का अनुभव हुआ।

1947 में 17 साल की आयु में आर्मस्ट्रांग ने एयरोनॉटिकल इंजिनियर की पढाई पुर्दुर यूनिवर्सिटी से ग्रहण करना शुरू की। कॉलेज जाने वाले वे उनके परिवार के दुसरे इंसान थे। पढने के लिए उन्होंने मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) को भी अपना लिया था। आर्मस्ट्रांग का मानना था की हम कही भी पढ़कर अच्छे से अच्छी शिक्षा हासिल कर सकते है।

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पहला जेट विमान उड़ाया –

किशोरावस्था में ही उन्होंने बहोत से ईगल स्काउट अवार्ड अर्जित किये और साथ ही उन्हें सिल्वर बफैलो अवार्ड भी मिला था। नील गणित और विज्ञान में काफी तेज थे खगोल विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान में उनकी ख़ास दिलचस्पी थी | सोलह साल की उम्र में उन्होंने अपना छात्र पायलट लाइसेंस हासिल कर लिया था। सन 1951 में एक बार युद्ध के दौरान वे उत्तर कोरिया के उपर उड़ रहे थे। 

अपने F9F पेंथर जेट विमान में उड़ते हुए उन्होंने देखा कि उत्तरी कोरियाई सैनिक अपने भोर के रोजमर्रा के काम में लगे हुए है। वे चाहते तो उन्हें अपनी मशीन गन से उड़ा सकते थे , लेकिन उन्होंने ट्रिगर से उंगली हठा ली और आगे निकल गये | वे ऐसे निहत्थे लोगो पर कैसे हमला कर सकते थे ,जो अपना बचाव भी नही कर सकते थे। 

निल आर्मस्ट्रोंग चन्द्रमा की यात्रा –

Neil Armstrong Biography – अपोलो 11 के लॉन्च के दौरान आर्मस्ट्रांग की हृदयगति 110 स्पंदन प्रति मिनट तक पहुँच गयी थी। आर्मस्ट्रांग को इसका प्रथम चरण सबसे अधिक शोर भरा प्रतीत हुआ, उनके पिछले जेमिनी 8 टाइटन I लॉन्च से काफ़ी ज्यादा। अपोलो का कमांड मॉड्यूल अवश्य ही जेमिनी की तुलना में अधिक स्थान वाला था। 10.56 PM को आर्मस्ट्रांग चन्द्रमा मोड्यूल से बाहर निकले थे। उन्होंने कहा था, “इंसान का यह छोटा सा कदम, मानवी जाती के लिए एक बहुत बड़ी छलांग है।” उन्होंने ही चद्रमा पर अपना पहला कदम रखा था। 

तक़रीबन 2.30 घंटे तक नील और एल्ड्रिन ने चन्द्रमा के कुछ सैंपल (Sample) जमा किया और उनपर प्रयोग भी किया। उन्होंने बहुत से फोटो भी निकाले जिनमे उनके खुद के पदचिन्हों का फोटो भी शामिल है। धरती पर वापिस लौटने के बाद तीनो अंतरीक्ष यात्रियों की काफी तारीफ की गयी थी और उनका स्वागत भी किया गया था। उनके सम्मान में न्यू यॉर्क शहर में एक परेड भी रखी गयी थी। अपने अतुलनीय कार्यो के लिए आर्मस्ट्रांग को बहुत से प्रशंसनीय अवार्ड मिले है जिसमे कांग्रेशनल स्पेस मेडल भी शामिल है।

आर्मस्ट्रांग अक्सर सार्वजनिक तौर पर बयान देने से बचते हैं। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित योजना को राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने की आलोचना की है। उन्होंने ओबामा को भेज एक पत्र पर अंतरिक्ष यान अपोलो के अंतरिक्ष यात्री यूजीन कारनेन और जीम लॉवेल के साथ हस्ताक्षर किया है।

अंतरिक्ष यात्री  –

 नौसेना में काम करने के बाद 1955 में उन्होंने नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स में कार्य आरंभ किया।  कमेटी का नाम बाद में नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) पड़ा। यहाँ वे इंजीनियर, टेस्ट पायलट, अंतरिक्ष यात्री और प्रशासक के रूप में कार्य करते रहे। उन्होंने तरह-तरह के हवाई-जहाज उड़ाए, जिनमें 4000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़नेवाले एक्स-15 से लेकर जेट, रॉकेट, हेलीकॉप्टर और ग्लाइडर शामिल रहे। 

चंद्र अभियान से लौटकर वर्ष 1971 तक आर्मस्ट्राँग नासा की एयरोनॉटिक्स यूनिट में बतौर डिप्युटी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जुड़े रहे।  सिनसिनाती यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बनाए गए और आठ साल वहाँ रहे। सन् 1982 में वे कंप्यूटिंग टेक्नॉलोजीज फॉर एविएशन इंसर्सन में चेयर मैन बने और सन् 1992 तक इस पद पर थे।

 28 जनवरी, 1986 को ‘चैलेंजर’ अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसके सभी यात्री मारे गए।  दुर्घटना की जाँच के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक आयोग का गठन किया। नील आर्मस्ट्राँग को इस आयोग का वाइस चेयरमैन बनाया गया। उस कठिन दौर में उन्होंने सघन जाँच के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी। 

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निल आर्मस्ट्रोंग की चन्द्रमा पर लेंडिंग – Neil Armstrong Biography

Neil Armstrong Biography – 1969 में आर्मस्ट्रांग को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। माइकल कॉलिंस और एडविन इ. बज्ज एल्ड्रिन के साथ वे नासा के पहले चन्द्र मिशन का हिस्सा बने हुए थे। 16 जुलाई 1969 को उनकी तिकड़ी अंतरिक्ष पहुची। मिशन कमांडर आर्मस्ट्रांग ने 20 जुलाई 1969 को चन्द्रमा की सतह पर लैंडिंग की थी। लेकिन उनके सहकर्मी कॉलिंस कमांड मोड्यूल में ही बैठे थे।

10.56 PM को आर्मस्ट्रांग चन्द्रमा मोड्यूल से बाहर निकले थे। उन्होंने कहा था, “इंसान का यह छोटा सा कदम, मानवी जाती के लिए एक बहुत बड़ी छलांग है। उन्होंने ही चद्रमा पर अपना पहला कदम रखा था। तक़रीबन 2.30 घंटे तक नील और एल्ड्रिन ने चन्द्रमा के कुछ सैंपल (Sample) जमा किया और उनपर प्रयोग भी किया। उन्होंने बहुत से फोटो भी निकाले जिनमे उनके खुद के पदचिन्हों का फोटो भी शामिल है।

24 जुलाई 1969 को अपोलो 11 से वे वापिस आये थे और हवाई के पेसिफिक वेस्ट ओसियन पर उन्होंने लैंडिंग की थी। इसके बाद तीन हफ्तों तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को संगरोध पर भेजा गया था। धरती पर वापिस लौटने के बाद तीनो अंतरीक्ष यात्रियों की काफी तारीफ की गयी थी और उनका स्वागत भी किया गया था। उनके सम्मान में न्यू यॉर्क शहर में एक परेड भी रखी गयी थी।

अपने अतुलनीय कार्यो के लिए आर्मस्ट्रांग को बहुत से प्रशंसनीय अवार्ड मिले है जिसमे कांग्रेशनल स्पेस मेडल भी शामिल है।

निल आर्मस्ट्रोंग की वापिसी की यात्रा –

Neil Armstrong Biography – आल्ड्रीन इगल मे पहले वापिस आये। उन दोनो ने मिलकर कीसी तरह 22 किग्रा नमुनो के बाक्स और फिल्मो को यान मे एक पूली की सहायता से चढाया। आर्मस्ट्रांग उसके बाद यान मे सवार हुये।चन्द्रयान के जिवन रक्षक वातावरण मे आने के बाद उन्होने अपने जुते और बैकपैक सूट उतारे। उसके बाद वे सोने चले गये।

सात घंटो की निंद के बाद होस्टन केन्द्र ने उन्हे जगाया और वापिसी की यात्रा की तैयारी के लिये कहा। उसके ढाई घंटो के बाद शाम के 5. 54 बजे उन्होने इगल के आरोह इंजन को दागा। चन्द्रमा की कक्षा मे नियंत्रण यान कोलंबिया मे उनका साथी कालींस उनका इंतजार कर रहा था।चन्द्रमा की सतह पर के ढाई घंटो के बाद वे चन्द्रमा की सतह पर ढेर सारे उपकरण , अमरीकी ध्वज और सीढीयो पर एक प्लेट छोडकर आये।

24 जुलाई को अपोलो ११ पृथ्वी पर लौट आया। यान प्रशांत महासागर मे गीरा, उसे यु एस एस हार्नेट से उठाया गया। उनके स्वागत के लिये राष्ट्रपति निक्सन स्वयं जहाज मे मौजुद थे। यात्रीयो को कुछ दिनो तक अलग रखा गया। यह चन्द्रमा की धूल मे किसी अज्ञात आशंकित परजिवी की मौजुदगी के पृथ्वी के वातावरण मे फैलने से बचाव के लिये किया गया।

बाद मे ये आशंका निर्मूल साबीत हुयी।13 अगस्त 1969 अंतरिक्ष यात्री बाहर आये। उसी शाम को इन यात्रीयो के सम्मान के लिये लास एन्जिल्स मे एक भोज दिया गया। जिसमे अमरीकी कांग्रेस के सदस्य, 44 गवर्नर,मुख्य न्यायाधीस और 83 देशो के राजदूत आये। यात्रीयो को अमरीकी सर्वोच्च सम्मान “प्रेसेडेसीयल मेडल ओफ़ फ्रीडम” दिया गया। 16 सीतंबर 1969 को तीनो यात्रीयो ने अमरीकी कांग्रेस को संबोधीत किया।

निल आर्मस्ट्रोंग से इंदिरा गाँधी की मुलाकात –

दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को संसद भवन कार्यालय स्थित इंदिरा गांधी के कक्ष में ले जाने वाले नटवर ने याद किया कि उस समय तत्कालीन अमेरिकी राजदूत भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया, जब फोटाग्राफर दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की इंदिरा गांधी के साथ तस्वीरें खींचकर बाहर चले गए तो वहां अजीब-सी खामोशी छा गई ।

इंदिरा द्वारा बातचीत का संकेत दिए जाने पर नटवर ने कहा , मिस्टर आर्मस्ट्रांग, आपकी यह जानने में दिलचस्पी होगी कि प्रधानमंत्री सुबह 4.30 बजे तक जागती रही थी। वह चंद्रमा पर आपके उतरने के क्षण से चूकना नहीं चाहती थीं। नटवर ने याद किया कि इस पर आर्मस्ट्रांग ने कहा,  प्रधानमंत्री, आपको हुई असुविधा के लिए  खेद व्यक्त करता हूं।

अगली बार, मैं सुनिश्चित करूंगा कि जब हम चंद्रमा पर उतरें तो आपको इतना न जागना पड़े। मानवजाति के इतिहास में 20 जुलाई, 1969 का वह दिन हमेशा ऐतिहासिक घटना बना रहेगा, जब आर्मस्ट्रांग के नेतृत्व में अपोलो-11 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर पहली बार उतरा था। 

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चन्द्रमा पर कदम रखने से पहले निल आर्मस्ट्रोंग ने लड़ा युद्ध –

20 जुलाई, 1969 का दिन मानव इतिहास के लिए खास माना जाता है। इंसान ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था। नील आर्मस्ट्रांग वे पहले आदमी थे। जिन्हें चन्द्रमा पर सबसे पहले कदम रखने का गौरव प्राप्त हुआ था। इस बात से तो लगभग सभी वाकिफ होंगें, लेकिन क्या आप जानते हैं चंद्रमा पर पहुंचने से पहले नील आर्मस्ट्रांग ने एक युद्ध में भी हिस्सा लिया था ? जी हां, नील आर्मस्ट्रांग खगोलयात्री (ऍस्ट्रोनॉट) बनने से पहले नौसेना में थे।

 उन्होंने कोरिया युद्ध में हिस्सा लिया था। जानिए नील आर्मस्ट्रांग के बारे में ऐसी ही कुछ रोचक बातें है। नील एल्डन आर्मस्ट्रांग एक अमेरिकी खगोलयात्री और चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति थे। इसके अलावा वे एक एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, परीक्षण पायलट, और प्रोफ़ेसर भी थे। नौसेना के बाद उन्होंने पुरुडु विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली और उसके बाद एक ड्राइडेन फ्लाईट रिसर्च सेंटर से जुड़े और एक परीक्षण पायलट के रूप में 900 से अधिक उड़ानें भरीं थी। 

 आर्मस्ट्रांग को मुख्यतः अपोलो अभियान के खगोलयात्री के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। इससे पहले वे जेमिनी अभियान के दौरान भी अंतरिक्ष यात्रा कर चुके थे। अपोलो 11, वह अभियान था जिसमें जुलाई 1969 में पहली बार चंद्रमा पर मानव सहित कोई यान उतरा और आर्मस्ट्रांग इसके कमांडर थे। उनके अलावा इसमें बज़ एल्ड्रिन, जो चाँद पर उतरने वाले दूसरे व्यक्ति बने, और माइकल कॉलिंस जो चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाते मुख्य यान में ही बैठे रहे, शामिल थे।

Neil Armstrong Family –

पिता स्टीफेन ओहायो सरकार के लिये काम करने वाले एक ऑडिटर थे और उनका परिवार इस कारण ओहायो के कई कस्बों में भ्रमण करता रहा। नील के जन्म के बाद वे लगभग 20 कस्बों में स्थानंतरित हुए। इसी दौरान नील की रूचि हवाई उड़ानों में जगी। नील ने अपने 16वें जन्मदिन पर स्टूडेंट फ्लाईट सर्टिफिकेट हासिल किया और उसी वर्ष अगस्त में ही अपनी एकल उड़ान भरी, यह तब जब अभी उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।

वर्ष 1947 में नील ने सत्रह वर्ष की आयु में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने यह शिक्षा पुरडु यूनिवर्सिटी में ली। वे किसी कॉलेज स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने परिवार के दूसरे सदस्य थे। आर्मस्ट्रांग को 26 जनवरी 1949 को नौसेना से बुलावा मिला और उन्होंने पेंसाकोला नेवी एयर स्टेशन में अठारह महीने की ट्रेनिंग ली। 20 वर्ष की उम्र पूरी करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें नेवल एविएटर (नौसेना पाइलट) का दर्जा मिल गया।

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Neil Armstrong की कमांड पायलट सफर –

एक नौसेना उड़ानकर्ता के रूप में उनकी पहली तैनाती फ्लीट एयरक्राफ्ट सर्विस स्क्वार्डन 7 में सान डियागो में हुई। युद्ध के दौरान उड़ान का पहला मौका उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान मिला जब 29 अगस्त 1951 को उन्होंने इसमें उड़ान भरी। यह एक तस्वीर लेने के लिए उड़ान भरी थी। पांच दिन बाद, 3 सितंबर को उन्होंने पहली सशस्त्र उड़ान भरी।

आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में 78 मिशनों के दौरान उड़ान भरी और 121 घंटे हवा में गुजारे। इस युद्ध के दौरान उन्हें पहले 20 मिशनों के लिये ‘एयर मेडल’, अगली 20 के लिये ‘गोल्ड स्टार’ और कोरियन सर्विस मेडल मिला। आर्मस्ट्रांग ने 22 की उम्र में नौसेना छोड़ी और संयुक्त राज्य नौसेना रिजर्व में 23 अगस्त 1952 को लेफ्टिनेंट (जूनियर ग्रेड) बने और अक्टूबर 1960 में यहां से सेवानिवृत्त हुए।

1958 में आर्मस्ट्रांग को अमेरिकी एयर फ़ोर्स द्वारा मैन इन स्पेस सूनसेट प्रोग्राम के लिये चुना गया। इसके बाद उन्हें 1960 के नवंबर में ऍक्स-20 डाइना-सो’र के टेस्ट पायलट के रूप में और बाद में 1962 में उन सात पायलटों में चुना गया जिनके अंतरिक्ष यात्रा की संभावना थी जब इस यान की डिजाइन पूर्ण हो जाये। Neil Armstrong Biography –जेमिनी 8 यान के लिये चालक दल की घोषणा 20 सितम्बर 1965 को हुई और नील आर्मस्ट्रांग को इसका कमांड पायलट और डेविड स्कोट को पायलट बनाया गया।

मानव रहित यान –

यह मिशन 16 मार्च 1966 को लॉन्च किया गया। यह अपने समय का सबसे जटिल मिशन था, जिसमें एक मानव रहित यान एजेना पहले छोड़ा जाना था और टाइटन II, जिसमें आर्मस्ट्रांग और स्कॉट सवार थे, से इसे अंतरिक्ष में जोड़ा जाना था। जब आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन लूनर मॉड्यूल में वापस लौटे, दरवाजा बंद और सील किया गया। कमांड मॉड्यूल कोलंबिया तक

Neil Armstrong Biography – पहुँचने के लिये ऊपर उठने की तैयारी के दौरान उन्होंने पाया कि उनके ईंजन कको चालू करने का स्विच ही टूट चुका है। पेन के एक हिस्से के द्वारा उन्होंने सर्किट ब्रेकर को ठेल कर लॉन्च शृंखला शुरू की। इसके बाद लूनर मॉड्यूल ने अपनी उड़ान भरी और कोलंबिया के साथ जुड़ा। तीनों अंतरिक्ष यात्री वापस पृथ्वी पर आये और प्रशांत महासागर में गिरे जहाँ से उन्हें यूएसएस हौर्नेट नामक जलपोत द्वारा उठाया गया।

हृदय की बीमारी –

हृदय की बीमारी के चलते आर्मस्ट्रांग 7 अगस्त 2012 को बाईपास सर्जरी से गुजरे, रिपोर्ट के मुताबिक़ वे तेजी से ठीक हो रहे थे, लेकिन फिर अचानक कुछ जटिलतायें उत्पन्न हुईं और 25 अगस्त 2012 को सिनसिनाती, ओहायो में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, व्हाईट हाउस द्वारा जारी एक सन्देश में उन्हें अपने समय के ही नहीं अपितु सार्वकालिक महान अमेरिकी नायकों में से एक बताया गया।

आर्मस्ट्रांग को कई पुरस्कार और सम्मान मिले जिनमें प्रेसिडेंसियल मेडल ऑफ फ्रीडम, कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर और कॉंग्रेसनल गोल्ड मेडल शामिल हैं। चंद्रमा पर एक क्रेटर और सौरमंडल के एक छुद्र ग्रह (एस्टेरौइड) का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। पूरे संयुक्त राज्य में उनके नाम पर दर्जनों स्कूल और हाईस्कूल हैं और विश्व के अन्य देशों मे भी उनके नाम पर स्कूल, सड़कें और पुल इत्यादि के नाम रखे गये हैं।

Neil Armstrong Facts –

  • नील आर्मस्ट्रांग का झूठयह यह था की नासा ने बताया कि चाँद पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरो के निशान है।  
  • चाँद पर जाने वाला पहला व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग था। 
  • चाँद पर जाने वाला दूसरा व्यक्ति बज़ एल्ड्रिन चाँद पर उतरने वाले दूसरे व्यक्ति थे। 
  • नील आर्मस्ट्रांग को सैकड़ो पुरुस्कार और सम्मान मिले ,लेकिन अन्तरिक्ष जितनी ऊँची उपलब्धी के सामने सब  छोटे है। 
  • सोलह साल की उम्र में नील आर्मस्ट्रांग ने स्टूडेंट फ्लाईट सर्टिफिकेट लिया और अपनी उड़ान भरी तब उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।

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नील आर्मस्ट्रांग मौत – Neil Armstrong Death

Neil Armstrong Biography – नील का जीवन एक संयमी जीवन था | उन्होंने नेवी फाइटर पायलट , टेस्ट पायलट और अन्तरिक्ष यात्री के रूप में गर्वपूर्वक देश की सेवा की | उन्हें सैकड़ो पुरुस्कार और सम्मान मिले ,लेकिन अन्तरिक्ष जितनी ऊँची उपलब्धी के सामने सब गौण पड़ गये | neil armstrong age 82 में neil armstrong death date  25 अगस्त 2012 के दिन दिल का दौरा पड़ने से इस महानतम अन्तरिक्ष यात्री Neil Armstrong का निधन हो गया था। 

Neil Armstrong Biography Video –

नील आर्मस्ट्रांग प्रश्न –

1 .नील आर्मस्ट्रांग कौन था ?

अमेरिकी खगोलयात्री और चंद्रमा पर जाने वाले पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थे। 

2 .नील आर्मस्ट्रांग कौन है ?

वह अंतरिक्ष यात्री, अध्यापक और पायलट थे।  

3 .चाँद पर जाने वाले पहले भारतीय का नाम ?

 राकेश शर्मा चाँद पर जाने वाले पहले भारतीय थे। 

4 .नील आर्मस्ट्रांग की मृत्यु कब हुई ?

25 August 2012 के दिन नील आर्मस्ट्रांग की मौत हुई थी। 

5 .चाँद पर जाने वाला dusra भारतीय कौन था ?

कल्पना चावला दूसरा भारतीय है जो चाँद पर गए है। 

6 .भारत में सबसे पहले चंद्रमा पर कौन गया था ?

राकेश शर्मा भारत में सबसे पहले चंद्रमा पर गए थे। 

7 .चाँद पर जाने वाली पहली भारतीय महिला कौन थी ?

कल्पना चावला चाँद पर जाने वाली पहली भारतीय महिला है। 

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Conclusion –

आपको मेरा यह आर्टिकल Neil Armstrong Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये kunwar singh last words और neil armstrong moon landing से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है।  तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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