Razia Sultan Biography In Hindi – रज़िया सुल्तान की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Razia Sultan Biography In Hindi बताएँगे। पर्दा प्रथा त्यााग कर करने वाली रजिया सुल्तान का जीवन परिचय बताने वाले है। 

रजिया बेग़म का शाही नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ” था। इतिहास में जिसे “रज़िया बेग़म ” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है। दिल्ली सल्तनत की सुल्तान तुर्की शासकों द्वारा प्रयुक्त एक उपाधि थी। आज हम razia sultan history , razia sultan husband और razia sultan love story की माहिती बताने वाले है। उसने सन. 1236 से सन. 1240 . तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। रजिया पर्दा प्रथा त्यााग कर पुरूषों की तरह खुले मुंह राजदरबार में जाती थी। razia sultan was the daughter of इल्तुतमिश  ।

तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके। रज़िया सुल्ताना मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास कि पहली महिला शासक थीं। रजिया सुल्तान इतिहास देखे तो उन्होंने शाशन से भारत का एक नया इतिहास रचा है। रजिया सुल्तान का मकबरा तुर्कमान गेट चांदनी चौक, दिल्ली में उपास्थित है तो चलिए razia sultan full story बताते है। 

Razia Sultan Biography In Hindi –

 जन्म   सन. 1205
 पिता   शम्स -उद -दिन -इल्तुतमिश
 माता   क़ुतुब बेग़म
 पूर्ववर्ती   रुकुनुद्दीन फिरोजशाह
 उत्तरवर्ती   मुईजुद्दीन बहरामशाह
 घराना   गुलामवंश
 धर्म   इस्लाम
 राज्याभिषेक   10 नवम्बर,1236
 शासनकाल   1236 -1240
 निधन   14 अक्टूबर ,1240 कैथल ( हरियाणा )
 समाधी   मोहल्ला बुलबुली खान , तुर्कमान गेट चांदनी चौक ,दिल्ली ,कैथल ( हरियाणा )

रज़िया सुल्तान की जीवनी –

भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान का इतिहास देखे तो उसका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है | क्योकि उसे भारत की प्रथम महिला शासक होने का गर्व है | दिल्ली सल्तनत के दौरे में जब बेगमो को सिर्फ महलो के अंदर आराम के लिए रखा जाता था। वही रजिया सुल्ताना से महल से बाहर निकलकर शासन की भागदौड़ संभाली थी।  रजिया सुल्ताना ने अस्र- शस्त्र का ज्ञान भी लिया था | जिसकी बदोलत उसे दिल्ली सल्तनत की पहेली महिला शासक बनने का गौरव मिला था। उसने दूसरे सुल्तान की पत्नियों की तरह खुद को “सुल्ताना ” कहलवाने की बजाय सुल्तान कहलवाया था | क्योकि वो किसी पुरुषसे कम नहीं समजती थी। 

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जाबांज महिला शासक –

रजिया बेगम ने सबसे पहले अपने करिश्माई व्यक्तित्व का प्रदर्शन दिल्ली की प्रजा को अपने सुल्तान पद पर स्थापित होने के लिए समर्थन प्राप्त करने के लिए किया. उसने दिल्ली की प्रजा से न्याय मांग पर रुकनुदीन फिरोज के विरुध विद्रोह का माहौल पैदा कर दिया था। वह कूटनीति में चतुर थी अत: अपनी चतुराई का प्रदर्शन करते हुए उसने तुर्क ए चहलगानी की महत्वकांक्षा और एकाधिकार को तोड़ने का प्रयास किया था। इसके अलावा विद्रोही अमीरों में आपस में फूट पैदा करवा दी और उन्हें राजधानी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। 

दिल्ली में सुल्तान के पद पर आसीन हुई | रजिया बेगमने ने शासन पर 3 साल 6 महीने तथा 6 दिन राज किया. रज़िया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया तथा पुरुषो की तरह खुले मुंह ही राजदरबार में जाती थी। रज़िया के शासन का बहुत जल्द अंत हो गया लेकिन उसने सफलता पूर्वक शासन चलाया, रज़िया में शासक के सभी गुण मौजूद थे लेकिन उसका स्त्री होना इन गुणों पर भारी था. अत: उसके शासन का पतन उसकी व्यक्तिगत असफलता नहीं थी। 

रजिया सुल्ताना के कार्य – Razia Sultana Works

अपने शाषनकाल में रजिया ने अपने पुरे राज्य में कानून की व्यवस्था को उचित ढंग से करवाया . उसने व्यापार को बढ़ाने के लिए इमारतो के निर्माण करवाए .सडके बनवाई और कुवे खुदवाए। उसने अपने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई विध्यालयो , संस्थानों , खोज संस्थानों और राजकीय पुस्तकालयों का निर्माण करवाया था। उसने सभी संस्थानों में मुस्लिम शिक्षा के साथ साथ हिन्दू शिक्षा का भी समन्वय करवाया . उसने कला और संस्कृति को बढ़ाने के लिए कवियों ,कलाकारों और संगीतकारो को भी प्रोत्साहित किया था। 

प्रथम महिला सुल्तान थी जिसने दिल्ली की गद्दी पर शासन किया। वह बहुत ही साहसी थी और उन्होंने एक महिला हो कर भी बहुत ही साहस के साथ कई युद्ध लड़ाईया लड़ी किया और जित भी हासिल की थी। रजिया बेगम एक बहुत अच्छी शासक भी थी और जिसने अपने राज्य के लोगों के विषय में अच्छा सोचा। परन्तु दुर्भाग्यवश कुछ दुश्मनों की षडयंत्र की वजह से उनका शासन ज्यादा सालो तक नहीं चला। 

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तुर्की शाही लोगों द्वारा साजिश – 

razia-sultan के इस सफलता से तुर्की के शाही लोग चिढने लगे और एक महिला सुल्तान की ताकत देखकर जलने लगे। उन्होंने विद्रोह करने के लिए एक साजिश की थी। इस साजिश का मुखिया था मलिक इख्तियार-उद-दीन ऐतिजिन जो बदौन के एक कार्यालय में गवर्नर के रूप में उभरा था। अपनी योजना के अनुसार मलिक इख्तियार-उद-दीन, भटिंडा का गवर्नर अल्तुनिया और उनके बचपन के मित्र ने सबसे पहले विद्रोह छेड़ा था। 

रज़िया सुल्तान ने उनका बहुत ही बहादूरी से सामना किया परन्तु वह उनसे हार गयी और अल्तुनिया ने रज़िया को कैद कर लिया। रजिया के कैद होने के बाद, उसके भाई, मुइजुद्दीन बहराम शाह, ने सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया

रजिया सुल्तान  के साथ सरदारो कि मनमानी – 

Razia Sultan – इल्तुतमिश के इस फ़ैसले से उसके दरबार के सरदार अप्रसन्न थे। वे एक स्त्री के समक्ष नतमस्तक होना अपने अंहकार के विरुद्ध समझते थे। उन लोगों ने मृतक सुल्तान की इच्छाओं का उल्लघंन करके उसके सबसे बड़े पुत्र रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह को, जो अपने पिता के जीवन काल में बदायूँ तथा कुछ वर्ष बाद लाहौर का शासक रह चुका था, सिंहासन पर बैठा दिया।

यह चुनाव दुर्भाग्यपूर्ण था। रुकुनुद्दीन शासन के बिल्कुल अयोग्य था। वह नीच रुचि का था। वह राजकार्य की उपेक्षा करता था तथा राज्य के धन का अपव्यय करता था। उनकी माँ शाह तुर्ख़ान के, जो एक निम्न उदभव की महत्त्वाकांक्षापूर्ण महिला थी, कार्यों से बातें बिगड़ती ही जा रही थीं। उसने सारी शक्ति को अपने अधिकार में कर लिया, जबकि उसका पुत्र रुकनुद्दीन भोग-विलास में ही डूबा रहता था।

सारे राज्य में गड़बड़ी फैल गई। बदायूँ, मुल्तान, हाँसी, लाहौर, अवध एवं बंगाल में केन्द्रीय सरकार के अधिकार का तिरस्कार होने लगा। दिल्ली के सरदारों ने, जो राजमाता के अनावश्यक प्रभाव के कारण असंतोष से उबल रहे थे। उसे बन्दी बना लिया तथा रज़िया को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा दिया। रुकनुद्दीन फ़िरोज़ को, जिसने लोखरी में शरण ली थी, क़ारावास में डाल दिया गया। जहाँ सन.9 नवम्बर 1266 को उसके जीवन का अन्त हो गया।

अमीरो से संघर्ष –

अपनीस्थिति मज़बूत करने के लिए रज़िया को न केवल अपने सगे भाइयों, बल्कि शक्तिशाली तुर्की सरदारों का भी मुक़ाबला करना पड़ा और वह केवल तीन वर्षों तक ही शासन कर सकी थी। उसके शासन की अवधि बहुत कम थी। लेकिन उसके कई महत्त्वपूर्ण पहलू थे। रज़िया के शासन के साथ ही सम्राट और तुर्की सरदारों, जिन्हें चहलग़ानी (चालीस) कहा जाता है, के बीच संघर्ष प्रारम्भ हो गया।

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Malik Altunia And Razia Sultan Love Story – 

दिल्ली पर शासन करने वाली रजिया सुल्तान और उसके आशिक मल्लिक अल्तुनिया (जलालुद्दीन याकूत) की प्रेम कहानी इतिहास में दर्ज है। रजिया सुल्तान की प्रेम कहानी के चलते इस मजार पर हर धर्म के लोग एक साथ सजदा करते हैं। कहा जाता है कि अगर किसी की शादी न हो रही हो या किसी को उसका प्यार न मिल रहा हो तो अगर वह पूरी शिद्दत से यहां माथा टेके तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है।

razia-sultan में बेहतर शासक बनने के सारे गुण थे। वह पुरुषों की तरह कपड़े पहनती थीं। और खुले दरबार में बैठती थीं। याकूत रजिया सुल्तान को घोड़ेसवारी कराता था। इसी काम में दोनों में नजदीकियां बढ़ीं थी ।

रजिया सुल्तान के असफलता के कारण –

  • रजिया सुल्तान का मुक्त आचरण –
  • पारिवारिक तनाव 
  • आवश्यकता से अधिक निरंकुशता –
  • रजिया सुल्तान का स्त्री होना –
  • उनकी प्रेम कहानी –
  • जन-सहयोग का प्राप्त न होना –
  • सरदारों का विश्वासघात –

रजिया सुल्ताना की मृत्यु – Razia Sultan Death

अल्तुनिया, रज़िया सुल्तान का बचपन का दोस्त था। यह कहा जाता है की अल्तुनिया ने रज़िया सुल्तान को कैद करके तो रखा था पर उन्हें सभी शाही सुविधाएँ दी थी। यह भी कहा जाता है दोनों के बिच बाद में प्यार हो गया और उन्होंने विवाह कर लिया। रज़िया ने दोबारा अल्तुनिया के साथ मिल कर अपने राज्य पर अधिकार करने की कोशिश कि परन्तु वो हार गए और दिल्ली से उन्हें भागना पडा। वहां से भागते समय कुछ लोगों ने उन्हें लूट लिया और 14 अक्टूबर 1240, दिल्ली में रज़िया को मार डाला गया।

कब्र पर विवाद –

 दिल्ली के तख्त पर राज करने वाली एकमात्र महिला शासक रजिया सुल्तान ,उसके प्रेमी याकूत की कब्र का दावा तीन अलग अलग जगह पर किया जाता है। रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एक मत नहीं है। रजिया सुल्ताना की मजार पर दिल्ली, कैथल एवं टोंक अपना अपना दावा जताते आए हैं। लेकिन वास्तविक मजार पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। वैसे रजिया की मजार के दावों में अब तक ये तीन दावे ही सबसे ज्यादा मजबूत हैं। इन सभी स्थानों पर स्थित मजारों पर अरबी फारसी में रजिया सुल्तान लिखे होने के संकेत तो मिले हैं। 

लेकिन ठोस प्रमाण नहीं मिल सके हैं। राजस्थान के टोंक में रजिया सुल्तान और उसके इथियोपियाई दास याकूत की मजार के कुछ ठोस प्रमाण मिले हैं। यहाँ पुराने कबिस्तान के पास एक विशाल मजार मिली है जिसपर फारसी में ’सल्तने हिंद रजियाह’ उकेरा गया है। पास ही में एक छोटी मजार भी है जो याकूत की मजार हो सकती है। अपनी भव्यता और विशालता के आकार पर इसे सुल्ताना की मजार करार दिया गया है।

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इतिहासकारो का मत –

स्थानीय इतिहासकार का कहना है।  कि बहराम से जंग और रजिया की मौत के बीच एक माह का फासला था। इतिहासकार इस एक माह को चूक वश उल्लेखित नहीं कर पाए और जंग के तुरंत बाद उसकी मौत मान ली गई। जबकि ऐसा नहीं था। जंग में हार को सामने देख याकूत रजिया को लेकर राजपूताना की तरफ निकल गया। वह रजिया की जान बचाना चाहता था। लेकिन आखिरकार उसे टोंक में घेर लिया गया और यहीं उसकी मौत हो गई।

Razia Sultan History In Hindi Video –

Razia Sultan Facts –

  • रजिया सुल्तान के पिता का नाम इल्तुतमिश था।  
  • रानी रजिया सुल्तान का पति Malik Altunia था। 
  • रजिया सुल्तान मृत्यु कैथल ( हरियाणा ) में डाकुओं ने उनका क़त्ल कर दीया था। 
  • रजिया सुल्तान की उपलब्धिया की बात करे तो दिल्ली के सिंहासन पर हस्तक्षेप
  • और नियंत्रण करने वाली पहली मुस्लिम महिला थी। 

Razia Sultan Questions –

1 .रजिया सुल्तान किसकी बेटी थी ?

रजिया सुल्तान मुग़ल शाशक इल्तुतमिश की बेटी थी। 

2 तुर्की सरदारों ने रजिया सुल्तान का विरोध क्यों किया था?

रजिया सुल्तान पुरुषों के समान वस्त्र पहनकर दरबार में बैठती एव युद्धों का नेतृत्व करती थी।

तुर्की सरदारों ने इसीलिए उनका विरोध किया। 

3 .रजिया सुल्तान का मकबरा कहां है ?

रजिया सुल्तान का मकबरा हरियाणा के कैथल में है 

4 .रजिया सुल्तान किस वंश (कास्ट) की थी ?

रजिया सुल्तान गुलाम वंश की शाशक थी।

5 .रज़िया सुल्तान किसकी पत्नी थी?

रजिया सुल्तान मल्लिक अल्तुनिया की पत्नी थी। 

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Conclusion –

 मेरा आर्टिकल Razia Sultan Biography In Hindi अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने razia sultan achievements और रजिया सुल्तान के पतन के कारण से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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