Samrat Ashok Biography In Hindi – सम्राट अशोक की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Samrat Ashok Biography In Hindi में भारत के सबसे महान और ताकतवर महाराजा सम्राट अशोक का जीवन परिचय बताने वाले है। 

ashoka samrat प्राचीन भारत में मौर्य राजवंश का चक्रवर्ती राजा था । उसका पूरा नाम अशोक बिंदुसार मौर्य था और उसके निडर और दृढ़ता के लिए वह अशोक महान के नाम से पुकारा जाते थे। अशोक अपने राजवंश के तीसरे राज करने वाले महान राजा थे जिन्होंने पुरे भारत के सभी महाद्वीपों पर राज किया था । आज हम king ashoka story में सबको ashoka wife ,chakravartin ashoka samrat cast और ashoka ancestors की जानकारी बताने वाले है। 

विश्व के कई देशों में भगवान बुद्ध के विचारों को लोगों तक पहुँचाने और बौद्ध धर्म का जोर शोर से प्रचार करने के कारण उसका नाम पुरे विश्व भर में प्रसिद्द है। अशोक बिंदुसार का पुत्र था , बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश में बिन्दुसार की 16 पत्नियों एवं 101 पुत्रों का जिक्र है। अशोक की माता का नाम शुभदाग्री था। बिंदुसार ने अपने सभी पुत्रों को बेहतरीन शिक्षा देने की व्यवस्था की थी। लेकिन उन सबमें अशोक सबसे श्रेष्ठ और बुद्धिमान था। सम्राट अशोक की माता का नाम रानी पद्मावती, तिश्यारक्षा, महारानी देवी और करुवकी था ,यानि चक्रवर्ती सम्राट अशोक की चार पत्नीया थी। 

 नाम

  अशोक बिंदुसार मौर्य

 जन्म

 304 ईसा पूर्व (संभावित), पाटलिपुत्र (पटना)

 पिता

 राजा बिंदुसार

 माता 

 महारानी धर्मा, शुभद्रांगी

 पत्नी

 रानी पद्मावती, तिश्यारक्षा, महारानी देवी, करुवकी

 बच्चे

 कुणाल, महिंदा, संघमित्रा, जालुक, चारुमति, तिवाला

 वंश

 मौर्य वंश

 मृत्यु

 232 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, पटना

Samrat Ashok Biography In Hindi – 

प्रशासनिक शिक्षा के लिये बिंदुसार ने अशोक को उज्जैन का सुबेदार नियुक्त किया था। अशोक बचपन से अत्यन्त मेघावी था। अशोक की गणना विश्व के महानतम् शासकों में की जाती है। Samrat Ashok का जन्म 304 इसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था, जो कि आज के दिन पटना है। अशोक मौर्य सम्राट मौर्या राजवंश के दुसरे राजा बिन्दुसार तथा रानी धर्मा का पुत्र था। लंका की परम्परा के अनुसार बिंदुसार की 16 पटरानियाँ और 101 पुत्र थे। पुत्रों में केवल तीन के नाम ही उल्लेख हैं, वे हैं सुसीम जो सबसे बड़ा अशोक और तिष्य थे।

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सम्राट अशोक का बचपन –

राजवंश परिवार में पैदा हुए सम्राट अशोक बचपन से ही बेहद प्रतिभावान और तीव्र बुद्धि के बालक थे। शुरु से ही उनके अंदर युद्ध और सैन्य कौशल के गुण दिखाई देने लगे थे, उनके इस गुण को निखारने के लिए उन्हें शाही प्रशिक्षण भी दिया गया था। इसके साथ ही सम्राट अशोक तीरंदाजी में ही शुरु से ही कुशल थे, इसलिए वे एक उच्च श्रेणी के शिकारी भी कहलाते थे। भारतीय इतिहास के इस महान योद्धा के अंदर लकड़ी की एक छड़ी से ही एक शेर को मारने की अद्भुत क्षमता थी।  सम्राट अशोक एक जिंदादिल शिकारी और साहसी योद्धा भी थे।

उनके इसी गुणों के कारण उन्हें उस समय मौर्य साम्राज्य के अवन्ती में हो रहे दंगो को रोकने के लिये भेजा गया था। सम्राट अशोक की विलक्षण प्रतिभा की वजह से ही वे बेहद कम उम्र में ही अपने पिता के राजकाज को संभालने लगे थे। वे अपनी प्रजा का भी बेहद ख्याल रखते थे। इसी वजह से वे अपने प्रजा के चहेते शासक भी थे। वहीं Samrat Ashok की विलक्षण प्रतिभा और अच्छे सैन्य गुणों की वजह से उनके पिता बिन्दुसार भी उनसे बेहद प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने सम्राट अशोक को बेहद कम उम्र में ही मौर्य वंश की राजगद्दी सौंप दी थी।

सम्राट अशोक बड़े होकर सम्राट कैसे बने –

जब अशोक के बडे़ भाई सुशीम अवन्ती की राजधानी उज्जैन के प्रांतपाल थे, उसी दौरान अवन्ती में हो रहे विद्रोह में भारतीय और यूनानी मूल के लोगों के बीच दंगा भड़क उठा, जिसको देखते हुए राजा बिन्दुसार ने अपने पुत्र अशोक को इस विद्रोह को दबाने के लिए भेजा, जिसके बाद Samrat Ashok ने अपनी कुशल रणनीति अपनाते हुए इस विद्रोह को शांत किया। जिससे प्रभावित होकर राजा बिन्दुसार ने Samrat Ashok को मौर्य वंश का शासक नियुक्त कर दिया गया। अवन्ती में हो रहे विद्रोह को दबाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद सम्राट अशोक को अवंती प्रांत के वायसराय के रुप में भी नियुक्त किया गया था।

वहीं इस दौरान उनकी छवि एक कुशल राजनीतिज्ञ योद्धा के रुप में भी बन गई थी। इसके बाद करीब 272 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के पिता बिंदुसार की मौत हो गई।वहीं इसके बाद सम्राट अशोक के राजा बनाए जाने को लेकर सम्राट अशोक और उनके सौतेले भाईयों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इसी दौरान सम्राट अशोक की शादी विदिशा की बेहद सुंदर राजकुमारी शाक्या कुमारी से हुई। शादी के बाद दोनों को महेन्द्र और संघमित्रा नाम की संतानें भी प्राप्त हुई। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक 268 ईसा पूर्व के दौरान मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने अपने मौर्य सम्राज्य का विस्तार करने के लिए करीब 8 सालों तक युद्ध लड़ा था ।

इस दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत के सभी उपमहाद्धीपों तक मौर्य सम्राज्य का विस्तार किया, बल्कि भारत और ईरान की सीमा के साथ-साथ अफगानिस्तान के हिन्दूकश में भी मौर्य सम्राज्य का सिक्का चलवाया। इसके अलावा महान अशोक ने दक्षिण के मैसूर, कर्नाटक और कृष्ण गोदावरी की घाटी में भी कब्जा किया। उनके सम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (मगध, आज का बिहार) और साथ ही उपराजधानी तक्षशिला और उज्जैन भी थी।इस तरह सम्राट अशोक का शासन धीरे-धीरे बढ़ता ही चला गया और उनका सम्राज्य उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय सम्राज्य बना। हालांकि, सम्राट अशोक मौर्य सम्राज्य का विस्तार तमिलनाडू, श्रीलंका और केरल में करने में ना कामयाब हुआ।

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अशोका और कलिंगा घमासान युध्द कैसे भारी पड़ा –

तक़रीबन 261 ईसापूर्व में भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर योद्धा सम्राट अशोक ने अपने मौर्य सम्राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग (वर्तमान ओडिशा) राज्य पर आक्रमण कर दिया और इसके खिलाफ एक विध्वंशकारी युद्ध की घोषणा की थी। इस भीषण युद्ध में करीब 1 लाख लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या सैनिकों की थी। इसके साथ ही इस युद्ध में करीब डेढ़ लाख लोग बुरी तरह घायल हो गए। इस तरह सम्राट अशोक कलिंग पर अपना कब्जा जमाने वाले मौर्य वंश के सबसे पहले शासक तो बन गए, लेकिन इस युध्द में हुए भारी रक्तपात ने उन्हें हिलाकर रख दिया था।

सम्राट अशोक को बोद्ध धर्म क्यों अपना ना पड़ा –

कलिंग युद्ध के विध्वंशकारी युद्ध में कई सैनिक, महिलाएं और मासूमों बच्चों की मौत एवं रोते-बिलखते घर परिवार देख सम्राट अशोक का ह्रद्य परिवर्तन हो गया। इसके बाद सम्राट अशोक ने सोचा कि यह सब लालच का दुष्परिणाम है साथ ही उन्होंने अपने जीवन में फिर कभी युध्द नहीं लड़ने का संकल्प लिया। 263 ईसा पूर्व में मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक ने धर्म परिवर्तन का मन बना लिया था। उन्होंने बौध्द धर्म अपना लिया एवं ईमानदारी, सच्चाई एवं शांति के पथ पर चलने की सीख ली और वे अहिंसा के पुजारी हो गये थे। 

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बौद्ध धर्म अपना ने के बाद सम्राट अशोक एक महान शासक एक धर्मपरायण योद्धा के रुप में आए –

बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सम्राट अशोक एक महान शासक एवं एक धर्मपरायण योद्धा के रुप में सामने आए। इसके बाद उन्होंने अपने मौर्य सम्राज्य के सभी लोगों को अहिंसा का मार्ग अपनाने और भलाई कामों को करने की सलाह दी और उन्होंने खुद भी कई लोकहित के काम किए साथ ही उन्हें शिकार और पशु हत्या करना पूरी तरह छोड़ दिया। ब्राह्मणों को खुलकर दान किया एवं कई गरीबों एवं असहाय की सेवा की। इसके साथ ही जरूरतमंदों के इलाज के लिए अस्पताल खोला, एवं सड़कों का निर्माण करवाया यही नहीं सम्राट अशोक ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर 20 हजार से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों की नींव रखी थी ।

ह्रद्यय परिवर्तन के बाद सम्राट अशोक ने सबसे पहले पूरे एशिया में बौध्द धर्म का जोरो-शोरों से प्रचार किया। इसके लिए उन्होंने कई धर्म ग्रंथों का सहारा लिया। इस दौरान Samrat Ashok ने दक्षिण एशिया एवं मध्य एशिया में भगवान बुद्ध के अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए करीब 84 हजार स्तूपों का निर्माण भी कराया। जिनमें वाराणसी के पास स्थित सारनाथ एवं मध्यप्रदेश का सांची स्तूप काफी मशहूर हैं, जिसमें आज भी भगवान बुद्ध के अवशेषों को देखा जा सकता है।

अशोका के अनुसार बुद्ध धर्म सामाजिक और राजनैतिक एकता वाला धर्म था। बुद्ध का प्रचार करने हेतु उन्होंने अपने राज्य में जगह-जगह पर भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमाएं स्थापित की। और बुद्ध धर्म का विकास करते चले गये। बौध्द धर्म को अशोक ने ही विश्व धर्म के रूप में मान्यता दिलाई। बौध्द धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा तक को भिक्षु-भिक्षुणी के रूप में अशोक ने भारत के बाहर, नेपाल, अफगानिस्तान, मिस्त्र, सीरिया, यूनान, श्रीलंका आदि में भेजा।

वहीं बौद्ध धर्म के प्रचारक के रुप में सबसे ज्यादा सफलता उनके बेटे महेन्द्र को मिली, महेन्द्र ने श्री लंका के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म के उपदेशों के बारे में बताया, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना राजधर्म बना दिया। सार्वजानिक कल्याण के लिये उन्होंने जो कार्य किये वे तो इतिहास में अमर ही हो गये हैं। नैतिकता, उदारता एवं भाईचारे का संदेश देने वाले अशोक ने कई अनुपम भवनों तथा देश के कोने-कोने में स्तंभों एवं शिलालेखों का निर्माण भी कराया जिन पर बौध्द धर्म के संदेश अंकित थे।

सम्राट अशोक का अशोक चक्र –

भारत का राष्ट्रीय चिह्न ‘अशोक चक्र’ तथा शेरों की ‘त्रिमूर्ति’ भी अशोक महान की ही देंन है। ये कृतियां अशोक निर्मित स्तंभों और स्तूपों पर अंकित हैं। Samrat Ashok का अशोक चक्र जिसे धर्म चक्र भी कहा जाता है, आज वह हमें भारतीय गणराज्य के तिरंगे के बीच में दिखाई देता है। ‘त्रिमूर्ति’ सारनाथ (वाराणसी) के बौध्द स्तूप के स्तंभों पर निर्मित शिलामूर्तियों की प्रतिकृति है।

सम्राट अशोक का व्यक्तिगत जीवन –

अपने भाइयों की शत्रुता से जब सम्राट अशोक दूर रहे तब उन्हें रानी कौर्वकी से प्रेम हुआ और आखिर में उन्होंने विवाह भी किया। जब उज्जैन में वह अपने जख्मों को इलाज करा रहे थेतो उनकी मुलाकात, विदिशा की “विदिशा महादेवी साक्या कुमारी” से हुई, जिनसे नें विवाह किया। बाद में उनके दो बच्चे भी हुए महेंद्र और बेटी संघमित्रा जिन्होंने बाद में अशोक को बौद्ध धर्म का प्रचार करने में बहुत मदद किया सीलोन में जो की आज के दिन श्रीलंका के नाम से जाना जाता है। उनकी मृत्यु 232 इसा पूर्व में 72 वर्ष कि उम्र में एक शांति और कृपालु राजा के रूप में हुई।

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सम्राट अशोक की मृत्यु –

Samrat Ashok ने करीब 40 सालों तक मौर्य वंश का शासन संभाला। करीब 232 ईसापूर्ऩ के आसपास उनकी मौत हो गई। ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य वंश का सम्राज्य करीब 50 सालों तक चला। विश्व इतिहास में अशोक महान एक अतुलनीय चरित्र है। उनके जैसा ऐतिहासिक पात्र अन्यत्र दुर्लभ है। भारतीय इतिहास के प्रकाशवान तारे के रूप में वह सदैव जगमगाता रहेंगे।

Samrat Ashok History Video –

https://www.youtube.com/watch?v=shJRnt-ZT_A

Samrat Ashok Facts –

  • सम्राट अशोक के पिता बिन्दुसार की 16 पत्नियों एवं 101 पुत्रो थे बिंदुसार ने अपने सभी पुत्रों को बेहतरीन शिक्षा देने की व्यवस्था की थी। लेकिन उन सबमें अशोक सबसे श्रेष्ठ और बुद्धिमान थे ।
  • विलक्षण प्रतिभा और अच्छे सैन्य गुणों के कारन उनके पिता बिन्दुसार उनसे बेहद प्रभावित थे, इसलिए सम्राट अशोक को बेहद कम उम्र में ही मौर्य वंश की राजगद्दी सौंप दी थी।
  • सम्राट अशोक का सम्राज्य उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय सम्राज्य बना , हालांकि, सम्राट अशोक मौर्य सम्राज्य का विस्तार तमिलनाडू, श्रीलंका और केरल में करने में ना कामयाब हुआ था ।
  • राजवंश परिवार में पैदा हुए सम्राट अशोक बचपन से ही बेहद प्रतिभावान और तीव्र बुद्धि के बालक थे , शुरु से ही उनके अंदर युद्ध और सैन्य कौशल के गुण दिखाई देने लगे थे। 

Samrat Ashok Questions –

1 .अशोक की कितनी पत्नियां थी ?

चक्रवर्ती सम्राट अशोक की पांच पत्नियां थीं।

2 .अशोक का उत्तराधिकारी कौन था ?

अशोक का उत्तराधिकारी राजकुमार कुणाल थे जिन्होंने भारत-नेपाल सीमा पर मिथिला में अपना शाशन जमाया था। 

3 .अशोक की मृत्यु कब हुई ?

232 ईसा में अशोक की मौत हुई थी। 

4 .सम्राट अशोक के कितने भाई थे ?

महाराज बिन्दुसार की 16 पत्निया और 101 पुत्र थे यानि सम्राट अशोक के सौ भाई थे। 

5 .सम्राट अशोक का जन्म कब हुआ था ?

सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा-पूर्व  में हुआ था। 

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निष्कर्ष – 

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Samrat Ashok Biography In Hindi आपको बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा और पसंद भी आया होगा । इस लेख के जरिये  हमने ashoka religion और how did ashoka die से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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