Veer Amar Singh Rathore Biography In Hindi - वीर अमरसिंह राठौड़ की जीवनी

Veer Amar Singh Rathore Biography In Hindi – वीर अमरसिंह राठौड़ की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम , Veer Amar Singh Rathore Biography In Hindi में मुगल शासक शाहजहाँ को उसके दरबार में जाकर चुनौती देने वाले वीर अमरसिंह राठौड़ का जीवन परिचय बताने वाले है। 

राजस्थान की धरती पे अनेक सारे राजा महाराजा हुए जैसे की प्रथ्वीराज, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप जैसे अनेक राजा हुए। इन राजा महाराजाओ के आज भी राजस्थान की धरती पे नाम गूँजता है। आज हम amar singh rathore wife name ,amar singh rathore father name और veer amar singh rathore movie की जानकारी देने वाले है। अमरसिंह राठोड राजस्थान के एक सपूत है। जिन्होंने मुग़ल शासक शाहजहाँ के दरबार में जाकर चुनौती दी थी। अमरसिंह राठौड को शौर्य , स्वाभिमान एवं त्याग का प्रतीक माना जाता हैं।

अमरसिंह राठौड जोधपुर के राजा गजसिंह के सबसे बड़े पुत्र थे । अमरसिंह राठौड़ की शिक्षा उत्तराधिकारी राजकुमार के रूप में हुई थी। वे कुशाग्र बुद्धि, चंचल स्वाभाव एवं स्वाभिमान से परिपूर्ण थे। इन्ही कारन चारो और तरफ उनकी कीर्ति फ़ैल गई उसको महाराजा गजसिह का भाविक उत्तराधिकारी माने जाते थे। लेकिन अमरसिंह राठौड़ के पिता की उपपत्नी अनारा के षड्यंत्र करने के कारण उन्हें राजगद्दी नहीं मिली थी। और उनके कनिष्ठ पुत्र जसवन्तसिंह को मारवाड़ के शासक बना दिया गया था। तो चलिए नागौर के अमर सिंह राठौड़ का इतिहास बताना शुरू करते है। 

Veer Amar Singh Rathore Biography In Hindi –

नाम  अमरसिंह राठौड़
जन्म 11 दिसम्बर 1613
जन्म स्थान मारवाड़ ,राजस्थान 
पिता  गजसिह राठौड़
भाई जसवन्तसिंह राठौड़
पत्नी बल्लू चंपावत
वंश राजपूत राठौड़ 
जागीरदारी नागौर
मृत्यु 25 जुलाई 1644
राष्ट्रीयता भारतीय 

अमरसिंह राठौड़ का शरुआती जीवन –

जोधपुर के राजा गजसिह के बड़े पुत्र अमरसिंह राठौड़ थे। उनका जन्म 11 दिसम्बर 1613 के दिन हुआ था। उद्दंड  और पराक्रमी स्वभाव के कारण उनके पिता गजसिह नाराज रहते थे। इसके कारण वे 1933 में मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के सेवा में चले गए इसके पश्यात मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने उसे ढाई हज़ार जात व डेढ़ हज़ार घोड़े सवार के साथियो के साथ ख़िताब दिया था ।

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अमरसिंह राठौड़ युद्ध –

इसके बाद अमरसिंह राठौड़ ई.स 1935 में नागौर बहुत और अलाय के परगने जागीर में मिले थे उसके बाद ई.स 1640 -41  में पंजाब राज्य के विद्रोह का दमन करने हेतु  मुग़ल सम्राट ने उनका मनसब बढाकर चार हज़ार जात और तीन हज़ार घोड़े सवार कर दिया था। कुछ दिनों के बाद ई.स 1642 में जाखनियाँ गांव को लेकर बीकानेर के राजा कर्णसिंह और अमरसिंह राठोड के बिच एक युद्ध हुआ था। 

वह मतीरे के राड के नाम से प्रसिद्ध थे , इस लड़ाई में अमरसिंह ने अपनी ताकत अजमाते हुए  युद्ध  को अपनी और करदेने के जित लिया था। और दूसरे वक्त युद्ध में नागौर के बीकानेर से हार सहन करनी पड़ी थी। इसकी वजह से अमरसिंह को मुग़ल दरबार में बहुत बड़ा सन्मान मिला था। वह देखकर वहा के आसपास के सरदार अमरसिंह को निचे दिखाने की साजित करते रहते थे। 

अमरसिंह और शाहजहाँ का विवाद –

केसरीसिंह जोधा को बादशाह कीआज्ञा के कारण अटक पार जाना था। लेकिन इस आदेश पालने में हिचकिचाहट बताई तो तब उनका मनसब लेलिया था। यह संदेश अमरसिंह को मिला तब अमरसिंह केसरीसिंह को मिलने तुरत गए और बादशाह की नाराजगी की बिना परवाह किए उन्होंने 30 हज़ार का पट्टातथा नागौर सुरक्षा का उत्तरदायित्व उनको सौपा था। ऐसे ही अमरसिंह ने जोधा की सन्मान की रक्षा करके दिखाई थी।

इस प्रकार अमरसिंह राठौड़ ने खुद के स्वभिमान पे भी कभी आच आने नहीं दी थी। कतिपय घटनाओं के कारण अमरसिंह ने मुग़ल कोष में जमा कराए जाने वाले कर को देने से स्पष्टरूप से माना कर दिया था । कही राज्यों की और से बार बार मांग ने पर भी उन्होंने अपने निश्चय में कोई परिवर्तन नहीं किया था। और बादशाह की भी परवाह नहीं की थी। 

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अमरसिंह के प्रति कान भंभेरणी –

अमरसिंह के विरोधी मनसबदारो को उसके विरुद्ध बादशाह के कान भरने का अच्छा अवसर मिला था। इस कान भरने में सुलावत खान भी शामिल था। इसका असर बादशाह पर भी पड़ा। उन्होंने एक दिन अमरसिंह को एक कटु वचन सुनाए तभी अमरसिंह का स्वाभिमान जाग उठा और क्रोध से उसके नेत्र लाल हो गए।  उन्होंने मुगल कोष में जमा कराएं जाने वाले कर को देने से स्पष्ट इनकार कर दिया था।

शाहजहाँ के राज्य की ओर से बार बार मांग होने पर भी उन्होंने कोई परिवर्तन या कोई जवाब नहीं दिया था। इसका फायदा अमरसिंह के  विरोधी ने उठाया और मनसबदारों  ने  विरुद्ध बादशाह के कान भरने का  सबसे बेहतरीन अवसर प्राप्त हुआ और उसमे सुलावत खान भी मिला हुआ था। उसका असर सीधा बादशाह पर पड़ा था और अमरसिंह एव बादशाह शाहजहाँ के बिच विखवाद उत्पन हुआ था। 

भारतीय संस्कृति में स्मरण –

वीर अमर सिंह राठौड़ भारतीय संस्कृति में इच्छा ,स्वतंत्रता और असाधारण शक्ति के मुख्य प्रतीक कहा करते है। वह कोई भी ना लालच  ना डर वह अपने फैसले  पर सबसे अडग रहने में सक्षम थे। उन्होंने वह एक स्वतंत्र इन्सान के रूप में वीरगति को प्राप्त  करलिया था। उनकी पत्नी बल्लू जी चंपावत की शौर्य और बहादुरी की गाथा आज भी राजस्थान राज्य के लोकगीतों और अमर सिंह राठौर की रागनी आगरा के विस्तरो मे और उनके आसपास गूंजती हुई सुनाई देती है। 

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Weer Amar Singh Rathore Movie 1970

अमर सिंह का इतिहास और अमरसिंह राठौड़ की जीवनी पर एक हिंदी फिल्म भी फिल्माई गयी है। जिन्हे वर्ष 1 9 70 की साल में  ‘वीर अमर सिंह राठौड़’ नाम देके बनाई थी इस मूवी को राधाकांत ने निर्देशित की हुई है और फिल्म ब्लैक एंड व्हाईट है उसमे मुख्य किरदार में ज़ब्बा रहमान, देव कुमार और कुमकुम है।

उसके थोड़े वक्त के बाद में गुजराती फिल्म इस्डस्ट्रीज़ से भी एक फिल्म बनाई गयी थी जिसमे उपेंद्र त्रिवेदी जो गुजरती के सुपरस्टार कहेजाते है उन्होंने हीरो यानि अभिनेता की भूमिका निभाई थी। आगरा शहर के किले का एक दरवाजा ‘अमर सिंह गेट’ के नाम से आज भी जनजाता है वह एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है जो आकर्षण  केंद्र है।

Amar Singh Rathore Death –

जब बादशाह शाहजहाँ से अमरसिह की कान भरने की साजिस की गयी सलावत खां ने अमरसिह को अपशब्द  सुनाये थे। उसे बंध करने का प्रयास किया लेकिन वह अमरसिंह के हाथों से ही वीरगति को प्राप्त होया। उनसे भयग्रस्त बादशाह शाहजहाँ ने अपनी जान तो बचा पाया था बाद में मुगल दरबार में अमरसिंह अकेले होने के कारन मुगल मनसबदार ने धोखे से उनका क़त्ल कर दिया था।

इस से बादशाह ने भले अमरसिह से पिछा छुड़ा दिया अमर सिंह राठौड़ का खेल ख़त्म किया लेकिन इस घटना से आदर्शों के प्रति अमरसिह का समपर्ण इतिहास के पन्नो पे आज भी लोगो को बहुत प्रेरणा देता हैं। उस महान व्यक्ति के त्याग और स्वाभिमान से मोटिवेशन लेके कई प्रेरणादायक काव्यों का सर्जन हुआ है। 

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Amar Singh Rathore History In Hindi –

Amar Singh Rathore Facts –

  • वीर अमरसिंह राठौड़ ने भरे दरबार में मुगल सम्राट शाहजहाँ सेना नायक सलावत खां को मार था।
  • अपने पिता की उपपत्नी अनारा के षड्यंत्र करने के कारण अमरसिंह राठौड़ को राजगद्दी नहीं मिली थी। 
  • अमरसिंह राठौड जोधपुर के राजा गजसिंह के सबसे बड़े पुत्र थे ।
  • प्रसिद्ध बहादुरी और युद्ध क्षमता के परिणामस्वरूप अमर सिंह को सम्राट द्वारा शाही सम्मान और व्यक्तिगत पहचान मिली और नागौर का सुबेदार बनाया गया था।
  • अमर सिंह के शव को लेने के लिए दुर्ग के बाहर 500 राजपूत विरो की सेना आई थी। 

Amar Singh Rathore Questions –

अमर सिंह का फाटक कहां पर स्थित है ?
अपने पिताजी के राज्य को अपने भाई को सौप के अमर सिंह मुगल बादशाह शाहजहा के पास चला गया था इसी लिए अमर सिंह फाटक दिल्ली के लाल किले में स्थित है।
अमर सिंह राठौर की मृत्यु कैसे हुई ?
अर्जुन गौड़ और उनके लोगो ने तलवारों से हमला किया था उसमे अमरसिह की हत्या करदी गयी थी। 
अमर सिंह गेट कहाँ स्थित है ?
आगरा किला (लाल किला) में अमर सिंह गेट जो उत्तर प्रदेश राज्य में उपस्थित है। 
अमर सिंह राठौर का जन्म कब हुआ था ?
11 दिसम्बर 1613 के दिन अमर सिंह राठौर का जन्म हुआ था। 
अमर सिंह राठौर के पिता का नाम क्या है। 
राजा गजसिह वीर अमरसिह के पिता थे। 
अमर सिंह राठौर के भाई का नाम क्या था ?
जसवंत सिंह वीर अमर सिंह के भाई थे। 
अमर सिंह राठौर की मृत्यु कब हुई थी। 
25 जुलाई 1644 के दिन अमर सिंह राठौर वीरगति को प्राप्त हुए थे। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Veer Amar Singh Rathore Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज और पसंद भी आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने amar singh rathore ka itihas और अमर सिंह राठौर राजपूत से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। जय हिन्द ।

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