Kasturba Biography In Hindi In Hindi Me Janakari - Thebiohindi

Kasturba Biography In Hindi – कस्तूरबा गांधी की जीवनी

हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज Kasturba Biography In Hindi में,महात्मा गांधीजी के धर्म पत्नी यानि  कस्तूरबा गाँधी का जीवन परिचय देने वाले है। 

कस्तूरबा गांधी को सब गांधीजी की पत्नी के रुप में जानते हैं। दरअसल वह गांधी जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी उपलब्धियों के आगे कस्तूरबा गांधी के सभी प्रयास ढक गए। आज हम ,kasturba gandhi information में जिस व्यक्ति के नाम से, kasturba gandhi poshan sahay yojna ,kasturba gandhi kanya vidyalaya और kasturba gandhi road rajkot नाम दिया गया उस महा मानव कस्तूरबा गांधी के जन्म से मौत तक की सभी बाते बताने वाले है। 

कस्तूरबा गांधी देश के प्रति निष्ठावान और समर्पित रहने वाले व्यक्तित्व की एक प्रभावशाली महिला थीं। वह अपनी निर्भीकता के लिए पहचानी जाती हैं। कस्तूरबा गांधी पर कविता भी लिखी गयी है उसका भी जिक्र हम करने वाले है। कस्तूरबा गांधी की माता का नाम व्रजकुंवरबा कपाड़िया था। तो चलिए कस्तूरबा गांधी के बारे में जानकारी बताना शुरू करते है। 

Kasturba Biography In Hindi –

 नाम

  कस्तूरबा गाँधी

 जन्म

  11 अप्रैल सन् 1869,

 जन्म स्थान

 पोरबंदर, ( काठियावाड़ )

 पिता

 गोकुलदास कपाडि़या, 

 पति

  महात्मा गाँधी

kasturba gandhi son

 हरिलाल, manilal gandhi , रामदास, देवदास

 आंदोलन

 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

 मृत्यु 

 22 फ़रवरी सन् 1944,

 मृत्यु स्थान

 आगा ख़ाँ महल, ( पूना )

कस्तूरबा का जीवन परिचय – Kasturba Biography

कस्तूरबा गांधी ने न सिर्फ एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति गांधी जी के सभी अहिंसक प्रयासों में बखूबी साथ दिया, बल्कि उन्होंने देश की आजादी के लिए एक वीरांगना की तरह लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान उन्हें कई बार जेल की कड़ी सजा भी भुगतनी पड़ी। कस्तूरबा गांधी, आजादी के आंदोलन के दौरान महिलाओं की रोल मॉडल साबित हुईं।

आइए जानते हैं कस्तूरबा गांधी जी के प्रेरणात्मक जीवन के बारे में-स्तूरबा कस्तूरबा गांधी जी को वैसे तो सभी गांधी जी की पत्नी के रुप में जानते हैं। दरअसल, गांधी जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी उपलब्धियों के आगे कस्तूरबा गांधी के सभी प्रयास ढक गए, लेकिन कस्तूरबा गांधी देश के प्रति निष्ठावान और समर्पित रहने वाले व्यक्तित्व की एक प्रभावशाली महिला थीं, जो कि अपनी निर्भीकता के लिए पहचानी जाती हैं।

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कस्तूरबा का जन्म – Kasturba Gandhi Born 

कई लोग अक्सर पूछते है की कस्तूरबा गांधी का जन्म कब हुआ था तो उन्हें बतादे की 11 अप्रैल 1869 के दिन पोरबंदर में उनका जन्म हुआ था। गाँधीजी से कस्तूरबा 6 मास बड़ी थीं। kasturba gandhi father name गोकुलदास मकनजी था । कस्तूरबा गोकुलदासजी की तीसरी संतान थीं। 

कस्तूरबा की शादी – Kasturba Marriage

जब वे महज 13 साल की थी, उस दौरान उनके पिता ने प्रचलित बाल विवाह प्रथा के तहत उनका विवाह अपने सबसे अच्छे दोस्त कर्मचंद गांधी के बेटे और आजादी के महानायक कहलाने वाले महात्मा गांधी जी से साल 1882 में कर दिया था कस्तूरबा की शादी तो हो गई थी, लेकिन पढ़ाई-लिखाई के  अनपढ़ थीं, उन्हें ठीक तरह से अक्षरों का ज्ञान तक नहीं था। दरअसल उस वक्त लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था।

महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी विवाह दिनांक May 1883 है। शादी के वक़्त दोनों की उम्र काफी कम थी और वे दोनों ही काफी कम पढ़े लिखे थे। शादी के वक़्त कस्तूरबा गांधी अनपढ़ थीं और उन्हे ठीक से अक्षरों का ज्ञान भी नहीं था कस्तूरबा गांधी को साक्षर बनाने का जिम्मा खुद महात्मा गांधी ने लिया और उन्होने कस्तूरबा गांधी को आधारभूत शिक्षा, जैसे लिखना और पढ़ना सिखाया। हालांकि कस्तूरबा घरेलू जिम्मेदारियों के कारण ज्यादा नहीं पढ़ पाईं।

कस्तूरबा शादी के बाद – Kasturba Biography

कस्तूरबा और महात्मा गांधी जी के पहले बेटे, हरिलाल का जन्म 1888 में हुआ था। यह वही वर्ष था जब महात्मा गांधी लंदन में वकालत की पढ़ाई करने गए थे। वकालत करके लौटने के बाद गांधी जी को 1892 में पुत्रप्राप्ति हुई, जिनका नाम मणिलाल रखा गया। 1897 में गांधी दम्पति के तीसरे बेटे रामदास का जन्म हुआ। तीन बेटों के जन्म के बाद कस्तूरबा एक माँ के पात्र में थीं और घरेलू कार्यकाजों में पूरी तरह से रम गईं थीं। वहीं दूसरी ओर गांधी जी के दौर की यह शुरुआत ही थी।

1888 में गांधी जी के पहले बेटे के जन्म के कारण कस्तूरबा उनके साथ लंदन तो नहीं जा पाईं थीं। पर जब 1897 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका जाकर वकालत का अभ्यास करने का निर्णय लिया, तब कस्तूरबा ने उनका परस्पर साथ दिया। गौरतलब है कि गांधी दम्पति को उनके चौथे पुत्र की प्राप्ति 1900 में हुई, जिनका नाम देवदास रखा गया।

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कस्तूरबा का गृहस्थी जीवन और बच्चे – Kasturba Gandhi Children

शादी के करीब 6 साल बाद साल 1888 में कस्तूरबा गांधी ने अपने सबसे बड़े बेटे हरिलाल को जन्म दिया। हालांकि इस दौरान गांधी जी अपनी लॉ पढ़ाई के लिए लंदन गए हुए थे, जिसके चलते कस्तूरबा गांधी ने अकेले ही अपने बेटे की परिवरिश की। इसके बाद जब गांधी जी वापस अपनी भारत लौटे तब 1892 में उन्हें मणिलाल नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। फिर इसके बाद महात्मा गांधी जी को अपनी वकालत की प्रैक्टिस के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा,

लेकिन इस बार वे अपने साथ कस्तूरबा गांधी जी को भी ले गए। इस दौरान कस्तूरबा गांधी ने एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति का हर कदम पर साथ दिया। फिर इसके 5 साल बाद 1897 में कस्तूरबा ने अपने तीसरे बेटे रामदास को जन्म दिया और सन् 1900 में कस्तूरबा ने अपनी चौथी संतान देवदास को जन्म दिया।

आजादी की लड़ाई में कस्तूरबा गांधी की भूमिका-

कस्तूरबा गांधी जी ने भी भारत की आजादी का सपना देखा था और इसी के चलते उन्होंने तमाम घरेलू जिम्मेंदारियों के बाबजूद भी महात्मा गांधी जी द्धारा पराधीनता की बेड़ियों से स्वाधीनता पाने के लिए चलाए गए आंदोलनों में अपनी बढ़चढ़ भूमिका निभाई। वहीं स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान जब-जब गांधी जी जेल गए कस्तूरबा गांधी ने अपने महान और नेतृत्व गुणों का परिचय दिया और लोगों को प्रोत्साहित कर उनके अंदर आजादी पाने की अलख जगाने का काम किया।

 गांधी जी के अहिंसक आंदोलन के दौरान उनके साथ जाती थीं और लोगों को सफाई, शिक्षा और अनुशासन आदि के महत्व को समझाती थी। उस दौरान जब महिलाओं को सिर्फ घर की चार दीवारों में ही कैद कर रखा जाता था, उस दौर में कस्तूरबा गांधी महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करती थी।

यही नहीं स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ‘बा’ को भी इस दौरान कई बार क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी, लेकिन वे कभी भी पीछे नहीं हटी और वीरांगनाओं की तरह देश की आजादी के खातिर लड़ती रहीं।

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कस्तूरबा और गांधीजी का रिस्ता – Kasturba Biography

आपको जानकर हैरानी होगी कि शादी के बाद गांधीजी एकदम पति वाली भूमिका में आ गए थे और बा पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए थे। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में अपने जीवन के तमाम तरह के प्रयोगों के बारे में लिखा है।  जिसमे देसी उपचारों से लेकर ब्रह्मचर्य तक के उनके प्रयोग शामिल हैं। इसी किताब में गांधीजी ने अपने बाल विवाह के बारे में भी कई दिलचस्प कहानियां लिखी हैं। 

 उनकी कस्तूरबा से पहले भी 2 लड़कियों से सगाई हो चुकी थी, वो भी केवल 7 साल की उम्र तक, लेकिन दोनों ही लड़कियों की कम उम्र में ही मौत हो गयी। शायद गांधीजी की किस्मत में कस्तूरबा ही लिखी थीं। Kasturba Biography – गांधीजी पत्नी के लिए कस्तूरबाई लिखा करते थे, जब वो घर में आईं, तो दोनों ही एक दूसरे से काफी शरमाते और डरते थे। धीरे धीरे दोनों बालक आपस में घुल मिल गए। 

लेकिन गांधीजी को अचानक ये लगने लगा था कि अगर वो एक स्त्रीवाद में यकीन करते हैं तो उनकी पत्नी को भी एक एकपति व्रत का पालन करना चाहिए। इसलिए गांधीजी ने अब पत्नी पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध थोपने की कोशिश की, जैसे कहीं भी बिना अनुमति के न जाये, वो कहाँ जा रही है ये उनको पता ही होना चाहिए ।

कस्तूरबा और गांधीजी बिच झगड़ा – Kasturba Biography

 उनके सारे प्रतिबंध मानने के लिए उनकी पत्नी कोई वयस्क तो थीं नहीं जो उस वक़्त प्रचलित पति परमेश्वर वाली अवधारणा मानतीं। वो तो इसे कैद मानतीं और गांधीजी की कई बातों को नकार देतीं, दोनों में इससे झगड़ा भी होता।  हालाँकि ये सारी बातें गांधीजी ने खुद बताई हैं कि वो कैसे थे। साथ ही उन्होंने ये भी लिखा है कि कोई ये न सोचें कि ऐसी घटनाओं से हमारे रिश्ते ख़राब हो जाते थे। वो तो उस उम्र की सहज सोच और भावनाएं थीं।

कस्तूरबा निरक्षर थीं और विवाह के वक़्त वो खुद हाई स्कूल में पढ़ रहे थे। उनकी दिली ख्वाहिश थी की वो अपनी पत्नी को पढ़ाएं लेकिन दिन में वो पढाई करवा नहीं सकते थे। क्योंकि घरवालों के सामने काठियावाड में पत्नी से बात तक करना मुश्किल था और रात में वो पत्नी से प्रेम वार्ता में ही व्यस्त हो जाते थे।

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राजनैतिक दौर और आंदोलन में कस्तूरबा की भूमिका –

कस्तूरबा गांधी भले ही घरेलू संसार में अत्यधिक समय तक रहीं हों, लेकिन वे गांधी जी के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थीं और उनका कंधे से कंधा मिलाकर साथ देतीं थीं। गौरतलब है कि गांधी जी जहां अपनी राजनीतिक व्यस्तता के कारण अपने पुत्रों को समय नहीं दे पा रहे थे, वहीं कस्तूरबा ने डोर के दोनों ही सिरों को बड़ी बारीकी से पकड़ा हुआ था।

कस्तूरबा गांधी एक अच्छी कार्यकर्ता होने के साथ साथ एक अच्छी माँ बनने के लिए भी एड़ी चोटी लगाकर प्रयत्न कर रहीं थीं। दक्षिण अफ्रीका से ही महात्मा गांधी ने अपने आंदोलन का आधार बनाया था, और यहाँ पर कस्तूरबा ने उनका बखूबी साथ दिया था। कस्तूरबा गांधी अन्य सभी कार्यकर्ताओं की तरह ही अनशन और भूख हड़ताल करके सरकार की नाक में दम कर देतीं थीं।

गौरतलब है कि सन 1913 में पहली बार उन्हे भारतीय मजदूरों की दक्षिण अफ्रीका में स्थिति के बारे में सवाल खड़े करने पर जेल में डाल दिया गया था। तीन महीने की मिली इस सजा के दौरान इस बात का बारीकी से ध्यान रखा गया था कि यह सजा कड़ी हो और कस्तूरबा दुबारा आवाज उठाने की हिम्मत न करें, लेकिन कस्तूरबा को डराने की कोशिश पूर्णतः नाकाम रही।

कस्तूरबा गांधीजी को अपना आदर्श मानती थी –

  • कस्तूरबा गांधी जी अपने पति महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानती थी और वे उनसे इतना अधिक प्रभावित थीं कि बाद में उन्होंने भी अपने जीवन को गांधी जी की तरह बिल्कुल साधारण बना लिया था।
  •  गांधी जी पहले कोई भी काम खुद करते थे, इसके बाद वे किसी और से करने के लिए कहते थे। वहीं उनके इस स्वभाव से कस्तूरबा गांधी जी काफी प्रसन्न रहती थीं और उनसे सीखती थी।
  •  कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी जी से जुड़ा हुआ एक काफी चर्चित प्रसंग भी है। दरअसल, जब कस्तूरबा बीमार रहने लगीं थी, तब गांधी जी ने उनसे नमक छोड़ने के लिए कहा।
  •  कस्तूरबा ने पहले तो नमक के बिना खाना बेस्वाद लगने का तर्क दिया, लेकिन जब गांधी जी को उन्होंने खुद नमक छोड़ते हुए देखा तो वे काफी प्रभावित हुईं।
  • उन्होंने नमक छोड़ दिया एवं अपना जीवन भी गांधी जी तरह जीना शुरु दिया। वे उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मानती थीं।

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” बा ” की कार्यक्षमता और कर्मठता के बापू भी दीवाने थे –

Kasturba Biography – जब कस्तूरबा गांधी अपने पति गांधी जी के साथ दक्षिण अफ्रीका में साथ रह रहीं थी, उस दौरान गांधी जी ने कस्तूरबा गांधी के अंदर छिपी सामाजिक, राजनैतिक क्षमता का अंदाजा लगाया और तभी उन्हें उनकी देशभक्ति का एहसास हुआ। वहीं जिस तरह कस्तूरबा गांधी अपने घर का कामकाज करने में निपुण थीं और एक आदर्श मां की तरह बच्चों का पालन -पोषण करती थीं।

 गांधी जी के सभी का्मों में हाथ बंटाती थी और स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक वीरांगना की तरह लड़ती थी, साथ ही गांधी जी के आश्रमों की भी देखभाल करती थी और सत्याग्राहियों की सेवा भी पूरे मनोभाव से करती थीं। इसी वजह से उन्हें लोग ‘बा’ कहकर भी पुकाते थे। गांधी जी ने कस्तूबा जी की कर्मठता से अत्याधिक प्रभावित हुए और फिर उन्होंने आजादी की लड़ाई में कस्तूरबा गांधी को महिलाओं की रोल मॉडल के तौर पर पेश किया। 

 वे आजादी की लड़ाई में महिलाओं के जोड़ने का महत्व जानते थे। वहीं कस्तूरबा गांधी जी ने भी उस दौरान आजादी की लड़ाई में उनके अंदर जोश भरने का काम किया। महिलाओं को उनके महत्व को बताया। कस्तूरबा गांधी ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता आंदोलन को नया आयाम प्रदान किया।

कस्तूरबा गांधी की मृत्यु – Kasturba Gandhi Death 

Kasturba Biography – कस्तूरबा गांधी अपने जीवन के आखिरी दिनों में काफी बीमार रहने लगीं थी। 1942 में गांधी जी के ”भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान जब गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया था। उस दौरान कस्तूरबा गांधी ने मुंबई के शिवाजी पार्क में खुद भाषण देने का फैसला लिया। दरअसल पहले वहां गांधी जी भाषण देने वाले थे। लेकिन कस्तूरबा गांधी जी के पार्क में पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 

उस दौरान वे बीमार थी और इसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। साल 1944 में उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी पड़ा और फिर फरवरी, 1944 में बा इस दुनिया को अलविदा कहकर हमेशा के लिए चलीं गईं। मरते वक्त kasturba gandhi age 74 वर्ष थी। कस्तूरबा गांधी ने उस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं, जिस दौरान महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं थी।

कस्तूरबा गांधी जी का अपना एक अलग दृष्टिकोण था, उन्हें आज़ादी का मोल, पता था। उन्होंने हर क़दम पर अपने पति मोहनदास करमचंद गाँधी का साथ निभाया था। वहीं ‘बा’ जैसा आत्मबलिदान वाला व्यक्तित्व अगर गांधी जी के साथ नहीं होता तो शायद गांधी जी के सारे अहिंसक प्रयास इतने कारगर नहीं होते। 

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Kasturba Gandhi Histori in Hindi Video –

Kasturba Gandhi Facts – 

  • कम उम्र में शादी होने के बाद भी कस्तूरबा अपनी जवाबदारियो से नहीं भागी। अपने कर्तव्यो का पालन करती रही, और अपने समाज की सेवा  की कस्तूरबा महिलाओ की प्रेरणास्त्रोत है।
  • स्वतंत्रता के दिनों में महिलाओ को महत्त्व नहीं दिया जाता था।  उस वक्त महात्मा गांधीजी ने कस्तूरबा को समाजसेवा करने से नहीं रोका था। 
  • कस्तूरबा गांधी जी के त्याग, बलिदान और समर्पिण को हमेशा याद किया जाता रहेगा। क्योकि कस्तूरबा वह महिला थी जिसने जीवन भर अपने पति का साथ दिया था। 
  • शादी के करीब 6 साल बाद साल 1888 में कस्तूरबा गांधी ने अपने सबसे बड़े बेटे हरिलाल को जन्म दिया।

Kasturba Gandhi Questions – Kasturba Biography

1 .mahaatma gaandhee aur kastooraba gaandhee vivaah bandhan mein kis varsh bandhe the ?

महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी का विवाह May 1883 में हुआ था। 

2 .kastooraba gaandhee kee mrtyu kis jel mein huee ?

74 वर्ष की आयु में पूना के कारागार में कस्तूरबा गांधी की मृत्यु हुई थी। 

3 .kastooraba gaandhee kee mrtyu kab huee ?

1944 की साल में  कस्तूरबा गांधी की मृत्यु जेल में हुई थी। 

4 .kastooraba gaandhee ka shiksha mein yogadaan ?

कस्तूरबा गांधी शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

5 .kastooraba gaandhee ke maata pita ka naam ?

कस्तूरबा के पिता गोकुलदास मकंन जी और उनकी माता का नाम ब्रजकुंवर कपाडिया था।

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Conclusion –

आपको मेरा यह आर्टिकल Kasturba Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज और पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने kasturba gandhi mother name और kasturba gandhi cause of death से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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