Biography of Khudiram bose In Hindi - Thebiohindi

Khudiram bose Biography In Hindi – खुदीराम बोस बायोग्राफी इन हिंदी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Khudiram bose Biography In Hindi,में भारत के स्वातन्त्र संग्राम के बहुत अच्छे क्रांतिवीर खुदीराम बोस का जीवन परिचय देने वाले है। 

क्रांतिकारियों की सूची में एक नाम खुदीराम बोस का है। खुदीराम बोस एक भारतीय युवा क्रन्तिकारी थे। उनकी  शहादत ने सम्पूर्ण देश में क्रांति की लहर पैदा थी। आज हम khudiram bose and prafulla chaki,khudiram bose revolutionary और khudiram bose birth place की माहिती बताने वाले है। देश की आजादी के लिए उन्हें फांसी हासिल दी गयी थी। तब khudiram bose age 19 साल की थी । 

इस वीर पुरुष की शहादत से सम्पूर्ण देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी। इनके वीरता को अमर करने के लिए गीत लिखे गए और इनका बलिदान लोकगीतों के रूप में मुखरित हुआ। khudiram bose punyatithi 11 अगस्त है। शहीदों के बलिदान को याद न रखने वाली कौम नष्ट हो जाती है। देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए लाखों क्रांतिकारियों ने शहादत दी, अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। 

Khudiram bose Biography In Hindi –

 नाम

 खुदीराम राम बोस

khudiram bose birthday

 3 सितम्बर 1889

 पिता

 त्रैलोक्य नाथ

 माता

 लक्ष्मीप्रिय देवी

 मुत्यु ( फाँसी )

 11 अगस्त सन 1908

खुदीराम बोस का जन्म और प्रारंभिक जीवन –

खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 ई. को बंगाल में मिदनापुर ज़िले के हबीबपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम त्रैलोक्य नाथ बोस और माता का नाम लक्ष्मीप्रिय देवी था। बालक खुदीराम के सिर से माता-पिता का साया बहुत जल्दी ही उतर गया था इसलिए उनका लालन-पालन उनकी बड़ी बहन ने किया। उनके मन में देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल थी कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था।

1902 और 1903 के दौरान अरविंदो घोष और भगिनी निवेदिता ने मेदिनीपुर में कई जन सभाएं की और क्रांतिकारी समूहों के साथ भी गोपनीय बैठ कें आयोजित की। खुदीराम भी अपने शहर के उस युवा वर्ग में शामिल थे। जो अंग्रेजी हुकुमत को उखाड़ फेंकने के लिए आन्दोलन में शामिल होना चाहता था। खुदीराम अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ होने वाले जलसे-जलूसों में शामिल होते के नारे लगाते थे। उनके मन में देश प्रेम इतना कूट-कूट कर भरा था। उन्होंने नौवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और देश की आजादी में मर-मिटने के लिए जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़े।

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महान क्रांतिवीर खुदीराम बोस – Khudiram bose Biography

‘आओ झुक कर सलाम करें उनको, जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है, खुशनसीब होता है वो खून जो देश के काम आता है’। ये पंक्तियाँ अक्सर उन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए गुनगुनायी जाती रही हैं। जिन्होंने खुद को देश के लिए कुर्बान कर दिया। जंग-ए-आजादी की लड़ाई में कूदने वाले आजादी के मतवालों ने देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने में जो भूमिका निभाई है उसे भुलाया नहीं जा सकता।

देश की आन-बान और शान के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण की बाजी लगाने वाले अमर शहीदों की कुर्बानियों के कारण ही हम आजादी की सांस ले रहे हैं। कितने सपूतों ने हंसते हंसते मौत को गले लगा लिया। इतिहास के पन्नों में भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले देशभक्त क्रांतिकारियों के बलिदान की शौर्यगाथाएं भरी पड़ी हैं।

ऐसा ही एक नाम है खुदीराम बोस, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में महज 18 साल की छोटी-सी उम्र में फांसी का फंदा चूम लिया था। देश की आजादी के लिए 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर चढ़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की 11 अगस्त को पुण्यतिथि है। भारत के स्वातंत्र्य संग्राम के इतिहास में खुदीराम बोस का नाम अमिट है।

देश की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहूति देने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस में वतन के लिए मर मिटने का जज्बा कुछ ऐसा था जो भावी पीढ़ी को सदैव देशहित के लिए त्याग, सेवा और कुर्बानी की प्रेरणा देता रहेगा।

खुदीराम बोस का नाम कैसे पड़ा –

उस समय में देश में नवजात शिशु मृत्युदर काफी काफी अधिक थी. यही वजह थी कि उस समय लोग बच्चे के जीवन की कामना में कई तरह के टोटके अपनाया करते थे। उन दिनों के रिवाज के हिसाब से नवजात शिशु का जन्म होने के बाद उसकी सलामती के लिए कोई उसे खरीद लेता था। कहा जाता है। लक्ष्मीप्रिया देवी और त्रैल्योकनाथ बसु के घर जब पुत्र का जन्म हुआ तो उनकी बड़ी बेटी ने तीन मुट्ठी खुदी (चावल) देकर उसे खरीद लिया , जिसके कारण उस बालक का नाम खुदीराम पड़ा था। 

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खुदीराम बोस का लालन -पालन उनकी बहनने किया था – 

आजादी के परवाने खुदीराम बोस उनके पिता त्रैलोक्य नाथ और माता लक्ष्मीप्रिय देवि का खुदीराम के सिर से माता-पिता का साया बहुत जल्दी ही उतर गया था। इसलिए उनका लालन-पालन उनकी बड़ी बहन ने किया। 9वीं की पढ़ाई के बाद बोस पूरी तरह क्रांतिकारी बन गए थे।

खुदीराम बोस का क्रान्तिकारी जीवन –

Biography of Khudiram bose – बीसवीं शदी के प्रारंभ में स्वाधीनता आन्दोलन की प्रगति को देख अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन की चाल चली जिसका घोर विरोध हुआ। इसी दौरान सन् 1905 ई. में बंगाल विभाजन के बाद खुदीराम बोस स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने अपना क्रांतिकारी जीवन सत्येन बोस के नेतृत्व में शुरू किया था। मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने पुलिस स्टेशनों के पास बम रखा और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया।

वह रिवोल्यूशनरी पार्टी में शामिल हो गए और खुदीराम बोस का नारा ‘वंदेमातरम’ के पर्चे वितरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 1906 में पुलिस ने बोस को दो बार पकड़ा – 28 फरवरी, सन 1906 को सोनार बंगला नामक एक इश्तहार बांटते हुए बोस पकडे गए पर पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहे। इस मामले में उनपर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। और उन पर अभियोग चलाया परन्तु गवाही न मिलने से खुदीराम निर्दोष छूट गये।

दूसरी बार पुलिस ने उन्हें 16 मई को गिरफ्तार किया पर कम आयु होने के कारण उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।6 दिसंबर 1907 को खुदीराम बोस ने नारायणगढ़ नामक रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परन्तु गवर्नर साफ़-साफ़ बच निकला। वर्ष 1908 में उन्होंने वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर नामक दो अंग्रेज अधिकारियों पर बम से हमला किया लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया और वे बच गए।

खुदीराम बोस बंग-भंग आंदोलन – Khudiram bose Biography

खुदीराम बोस सक्रिय रूप से वर्ष 1905 में हुए बंगाल विभाजन (बंग-भंग) के बाद स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे, तब खुदीराम की आयु मात्र 16 वर्ष थी थी। स्वतंत्रता सेनानी सत्येन बोस के नेतृत्व में खुदीराम बोस ने अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया था। हालांकि, अपने स्कूली दिनों से ही वे राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने लगे थे। 

वे जलसे-जुलूसों में शामिल होकर ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ नारे लगाते थे. देश की आजादी के लिए उनके मन में ऐसा जुनून हुआ कि नौवीं कक्षा के बाद ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और जंग-ए-आजादी में कूद पड़े. बाद में वह रेवोल्यूशन पार्टी के सदस्य बने थे। 

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खुदीराम बोस द्वारा किंग्सफोर्ड हत्या की योजना –

 बंगाल विभाजन के विरोध में लाखों लोग सडकों पर उतरे और उनमें से अनेकों भारतीयों को उस समय कलकत्ता के मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड ने क्रूर दण्ड दिया। वह क्रान्तिकारियों को ख़ास तौर पर बहुत दण्डित करता था। अंग्रेजी हुकुमत ने किंग्जफोर्ड के कार्य से खुश होकर उसकी पदोन्नति कर दी और मुजफ्फरपुर जिले में सत्र न्यायाधीश बना दिया।

क्रांतिकारियों ने किंग्जफोर्ड को मारने का निश्चय किया और इस कार्य के लिए चयन हुआ खुदीराम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी का। मुजफ्फरपुर पहुँचने के बाद इन दोनों ने किंग्जफोर्ड के बँगले और कार्यालय की निगरानी की।30 अप्रैल 1908 को चाकी और बोस बाहर निकले और किंग्जफोर्ड के बँगले के बाहर खड़े होकर उसका इंतज़ार करने लगे।

खुदीराम ने अँधेरे में ही आगे वाली बग्गी पर बम फेंका पर उस बग्गी में किंग्स्फोर्ड नहीं बल्कि दो यूरोपियन महिलायें थीं जिनकी मौत हो गयी। अफरा-तफरी के बीच दोनों वहां से नंगे पाँव भागे। भाग-भाग कर थक गए खुदीराम वैनी रेलवे स्टेशन पहुंचे और वहां एक चाय वाले से पानी माँगा पर वहां मौजूद पुलिस वालों को उन पर शक हो गया और बहुत मशक्कत के बाद दोनों ने खुदीराम को गिरफ्तार कर लिया। 

खुदीराम और प्रफुल्ल चाकी –

1 मई को उन्हें स्टेशन से मुजफ्फरपुर लाया गया। उधर प्रफ्फुल चाकी भी भाग-भाग कर भूख -प्यास से तड़प रहे थे। 1 मई को ही त्रिगुनाचरण नामक ब्रिटिश सरकार में कार्यरत एक आदमी ने उनकी मदद की और रात को ट्रेन में बैठाया था। पर रेल यात्रा के दौरान ब्रिटिश पुलिस में कार्यरत एक सब-इंस्पेक्टर को शक हो गया और उसने मुजफ्फरपुर पुलिस को इस बात की जानकारी दे दी।

जब चाकी हावड़ा के लिए ट्रेन बदलने के लिए मोकामाघाट स्टेशन पर उतरे तब पुलिस पहले से ही वहां मौजूद थी। अंग्रेजों के हाथों मरने के बजाए चाकी ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गए।

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खुदीराम ध्वारा भूलवश किसी और की हत्या कैसे हुई थी –

Biography of Khudiram bose – 30 अप्रैल, 1908 की शाम किंग्सफर्ड और उसकी पत्नी क्लब में पहुंचे. रात के साढ़े आठ बजे मिसेज कैनेडी और उसकी बेटी अपनी बग्घी में बैठकर क्लब से घर की तरफ आ रहे थे। कहा जाता है कि उनकी बग्घी का रंग लाल था और वह बिल्कुल किंग्सफर्ड की बग्घी से मिलती-जुलती थी. खुदीराम बोस तथा उनके साथी प्रफुल्ल चंद चाकी ने उसे किंग्सफर्ड की बग्घी समझकर उसपर बम फेंका था। 

जिससे उसमें सवार मां-बेटी की मौत हो गयी। वे दोनों यह सोचकर भाग निकले कि किंग्सफर्ड मारा गया है। दोनों भागने के बाद एक रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे। लेकिन बोस पर पुलिस को शक हो गया और पूसा रोड रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया गया. अपने को घिरा देख प्रफुल्ल चंद ने खुद को गोली मार ली, पर खुदीराम पकड़े गये थे। 

खुदीराम बोस की गिरफ़्तारी और फांसी की सजा –

Biography of Khudiram bose  – खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया और फिर फांसी की सजा सुनाई गयी। 11 अगस्त सन 1908 को उन्हें फाँसी दे दी गयी। उस समय उनकी उम्र मात्र 18 साल और कुछ महीने थी। खुदीराम बोस इतने निडर थे कि हाथ में गीता लेकर ख़ुशी-ख़ुशी फांसी चढ़ गए। उनकी निडरता, वीरता और शहादत ने उनको इतना लोकप्रिय कर दिया

बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे और बंगाल के राष्ट्रवादियों और क्रांतिकारियों के लिये वह और अनुकरणीय हो गए। उनकी फांसी के बाद विध्यार्थीयो तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया और कई दिन तक स्कूल-कालेज बन्द रहे। इन दिनों नौजवानों में एक ऐसी धोती का प्रचलन हो चला था जिसकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था।

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Khudiram bose Biography Video –

Khudiram bose Biography Facts –

  • खुदीराम बोस स्कूल के दिनों से ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नारे लगाते थे। उन्होंने नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और पूरी तरह स्वाधीनता आंदोलन में उतर गए।
  • खुदीराम बोस जयंती 3 दिसंबर,1889 के दिन है।
  • स्वतंत्र सेनानी खुदीराम बोस बलिदान दिवस11 अगस्त 1908 है। 
  • खुदीराम बोस की जीवनी आपको बतादे की 18 साल 8 महीने और 8 दिन की उम्र में 11 अगस्त 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर में फांसी दे दी गयी थी। 

Khudiram bose Biography Questions –

1 .khudiram bose death reason kya tha ?

एक कार में खुदीराम बोस ने किया बम धमाका उनके फांसी का कारन बना था। 

2 .khudiram bose and subhash chandra bose relation kya hae ?

खुदीराम बोस क्रांतिकारी सत्येन्द्रनाथ बोस का नेतृत्व स्वीकार करके स्वतंत्रता संघर्ष में कूद पड़े थे। 

3 .khudiram bose kaun the ?

3 दिसंबर, 1889 को बंगाल में मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में जन्मे खुदीराम बोस एक क्रन्तिकारी थे। 

4 .khudiram bose ka janm kahan hua tha ?

खुदीराम बोस का जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था। 

5 .khudeeraam bos ko phaansee kab huee ?

11 August 1908 के दिन 18 साल कीउम्र में खुदीराम बोस को फासी दी गयी थी। 

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Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल खुदीराम बोस बायोग्राफी इन हिंदी बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने khudiram bose quotes और khudiram bose fasi से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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