Shah Jahan Biography In Hindi - Thebiohindi

Shah Jahan Biography In Hindi – शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Shah Jahan Biography In Hindi में मुग़ल सम्राट अकबर के पोते शाहजहाँ की जीवनी से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराने वाले है। 

हमारे पोस्ट में आपको पत्नी ,बच्चे और शाहजहाँ के द्वारा किये गए कुछ अच्छे और कुछ बुरे कार्यों के बारे में जानेंगे। एव shah jahan mosque,shah jahan parents और shah jahan and mumtaz ,के लिए शाहजहाँ का इतिहास में इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। इसलिए सही तथ्यों को जानना बेहद ज़रुरी हो जाता है। शाहजहाँ का शासन काल 1628 से 1658  तक रहा  था। उसके तीस वर्ष के शासन में भारत की समृद्धि में काफी बढ़ोतरी हुई थी। 

मुगल वंश के पांचवें और लोकप्रिय शहंशाह शाहजहां को लोग दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल के निर्माण के लिए आज भी याद करते हैं। ताजमहल शाहजहां और उनकी प्रिय बेगम मुमताज महल की प्यार की निशानी है। shah jahan wife के लिए एक आलीशान महल बनवाया था। जिन्हे shah jahan taj mahal का नाम दिया है। तो चलिए आपको उनकी सभी माहिती से वाकिफ करवाने जारहे है। 

Shah Jahan Biography In Hindi –

 जन्म  5 जनवरी 1592
 बचपन का नाम  खुर्रम
 shah jahan father  जहाँगीर
 पत्नी  मुमताज
 मृत्यु  31 जनवरी 1666

शाहजहाँ का जीवन परिचय –

मुगल बादशाह शाहजहां कला, वास्तुकला के गूढ़ प्रेमी थे। उन्होंने अपने शासन काल में मुगल कालीन कला और संस्कृति को जमकर बढ़ावा दिया था, इसलिए शाहजहां के युग को स्थापत्यकला का स्वर्णिम युग एवं भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल के रुप में भी जानते हैं। शाहजहाँ एक बहादुर, न्यायप्रिय एवं दूरगामी सोच रखने वाले मुगल शहंशाह थे। जो प्रसिद्ध मुगल बादशाह जहांगीर और मुगल सम्राट अकबर के पोते थे।

जहांगीर की मौत के बाद बेहद कम उम्र में ही शाहजहां ने मुगल सम्राज्य का राजपाठ संभाल लिया था। शाहजहां ने अपने शासनकाल में कुशल रणनीति के चलते मुगल सम्राज्य का जमकर विस्तार किया था। महज 22 साल के शासनकाल में शाहजहां ने काफी कुछ हासिल कर लिया था, आइए जानते हैं पांचवे मुगल बादशाह शाहजहां के जीवन के बारे में कुछ खास बातें बताते है। 

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शाहजहाँ कौन था – Who was shah jahan

बादशाह शाहजहाँ, अकबर का पोता और जहाँगीर का बेटा था जिसने ठीक वैसे ही गद्दी हासिल की जैसे उसके पिता जहाँगीर ने हासिल की थी यानी की छल-कपट से। शाहजहाँ भोग-विलासी होने के साथ न्याय पसंदी राजा था | लेकिन उसकी छवि एक आशिक के तौर पर बन गई थी, तो आइये जानते हैं। shah jahan के जन्म और उसके बचपन के बारे में। शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ था।

ऐसा कहा जाता है की जहाँगीर और जगत गोसाई “जोधाबाई” से हुई संतान शाहजहाँ को अकबर ने गोद ले लिया था और उसे एक महान योद्धा बनाने में अकबर ने बड़ा योगदान दिया था। शाहजहाँ का जीवन बहुत ही ऊपर नीचे वाला रहा।

शाहजहाँ का बचपन – shah jahan childhood

शाहजहाँ का बचपन का नाम खुर्रम था जिसका हिन्दी अर्थ होता है “ दुनिया का राजा ” और खुशमिज़ाज़ । खुर्रम यह जहाँगीर की दूसरी संतान था, अकबर के निकट रहने से शाहजहाँ के अन्दर भी तीक्ष्ण बुद्धि और कला के प्रति आकर्षण जागृत हुआ। शाहजहां के उसके पिता जहांगीर से अच्छे संबंध नहीं थे।

क्योंकि जहांगीर अपनी दूसरी बेगम नूरजहां की बात अधिक मानता था। उसी को तवज्जो भी देता था नूरजहाँ यह बिलकुल भी नहीं चाहती थी की शाहजहाँ राजा बने और उसे रोकने के लिए अक्सर षडयंत्र रचा करती थी। जिसके चलते शाहजहां और जहांगीर में ज्यादा नहीं बनती थी।

मुग़ल सिंहासन का उत्तराधिकारी और शाहजहाँ का शासनकाल –

24 फरवरी दिन गुरूवार ई.सन 1628 में शाहजहां अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-साहिब का खिताब प्राप्तकर गद्दी पर बैठा और अपने सबसे बेहतरीन शासनकाल की शुरुआत की। और शाहजहाँ को 8000 जात एवं 5000 सवार का खिताब प्राप्त हुआ। शाहजहां का बेहद पसंदीदा माने जानेवाले आसफ खान को वजीर का स्थान प्रदान किया। इसने अपने महावत को खानखाना की उपाधि दी ऐसा माना जाता है की ये दोंनो शाहजहाँ का सुरक्षा कवच बन कर साथ रहते थे।

shah jahan की सौतली मां नूरजहां बिल्कुल नहीं चाहती थी कि शाहजहां मुगल सिंहासन पर विराजित हो, वहीं शाहजहां ने भी नूरजहां की साजिश को समझते हुए 1622 ईसवी में आक्रमण कर दिया, हालांकि इसमें वह कामयाब नहीं हो सका। 1627 ईसवी में मुगल सम्राट जहांगीर की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी चतुर विद्या का इस्तेमाल करते हुए अपने ससुर आसफ खां को निर्देश दिया कि मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी बनने के सभी प्रवल दावेदारों को खत्म कर दे। 

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शाहजहाँ को मिला मुगल सिंहासन –

आसफ खां ने चालाकी से दाबर बख्श, होशंकर, गुरुसस्प, शहरयार की हत्या कर दी और इस तरह शाहजहां को मुगल सिंहासन पर बिठाया गया। बेहद कम उम्र में भी शाहजहां को मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के रुप में चुन लिया गया। साल 1628 ईसवी में शाहजहां का राज्याभिषेक आगरा में किया गया और उन्हें ”अबुल-मुजफ्फर शहाबुद्दीन, मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि से सम्मानित किया गया।

मुगल सिंहासन संभालने के बाद मुगल शहंशाह शाहजहां ने अपने दरबार में सबसे भरोसमंद आसफ खां को 7 हजार सवार, 7 हजार जात एवं राज्य के वजीर का पद दिया था। शाहजहाँ ने अपनी बुद्दिमत्ता और कुशल रणनीतियों के चलते साल 1628 से 1658 तक करीब 30 साल शासन किया। उनके शासनकाल को मुगल शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल कहा गया है।

शाहजहाँ के समय में सांस्कृतिक साहित्य की उन्नति – 

shah jahan मुगलकालीन साहित्य अवं संस्कृति के विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । इनके शासन काल में भवन निर्माण कला, चित्रकला, संगीत, साहित्य आदि का खुब विकास हुआ । शाहजहां के दरबार में कवियों, लेखकों, दर्शनिकों, शिल्पज्ञों, कलाकारों, चित्रकारों, संगीतज्ञों आदि के रूप में विद्यमान रहते थे । वास्तुकला और चित्रकला की समृद्धि के कारण उसका शासन चित्रकाल तक स्वर्णयुग के रूप में स्मरणीय रहेगा । शाहजहां के दरबार की शान शौकत तथा उसके द्वारा निर्मित भव्य भवन और राजप्रसाद उसके शासन काल को अत्यन्त ही गौरवपूर्ण और ऐश्वर्यशाली बना दिया है । 

शाहजहाँ द्वारा निर्मित दिल्ली का लालकिला तथा उसके दीवान ए आम दिल्ली की जामा मस्जिद आगरा दुर्ग की मोती मस्जिद और ताजमहल लाहौर और अजमेर के अलंकृत राजप्रासाद है । साहित्य इस काल में ‘‘पाठशाहानामा’’ इनायत खां के शाहजहांनामा अमीन आजबीनी के एक अन्य पादशाहनाम और मुहम्मद साहिल ने आल्मे साहिल आदि ग्रंथों का लेखन किया । सफीनत ए औलिया और सकीनत उल औलिया ग्रंथों का लेखन किया ।

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शाहजहाँ स्थापत्य और वास्तुकला के शोखिन थे –

शाहजहां, शुरु से ही एक शौकीन, साहसी और अत्यंत तेज बुद्धि के बादशाह होने के साथ-साथ कला, वास्तुकला, और स्थापत्य कला के गूढ़ प्रेमी भी थे, उन्होंने अपने शासन काल में मुगलकालीन कला और संस्कृति को खूब बढ़ावा दिया। कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया है कि जो कि आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज हैं एवं हिन्दू-मुस्लिम परंपराओं को बेहद शानदार ढंग से परिभाषित करती हैं। वहीं उन्हीं में से एक ताजमहल भी है। 

जो अपनी भव्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व की वजह से दुनिया के 7 आश्चर्यों में गिनी जाती है। शाहजहां के शासनकाल में बनी ज्यादातर संरचनाओं और वास्तुशिल्प का निर्माण सफेद संगममर पत्थरों से किया गया है। इसलिए शाहजहां के शासनकाल को ‘संगमरमर शासनकाल’ के रुप में भी जाना जाता है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि शाहजहां के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य की समृद्धि, शानोशौक़त और प्रसिद्धि सातवें आसमान पर थी। 

शाहजहाँ शाहजहां के दरबार में देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित लोग आते थे और उनके वैभव-विलास को देखकर आश्चर्य करते थे और उनके शाही दरबार की सराहना भी करते थे। शाहजहां ने मुगल सम्राज्य की नींव और अधिक मजबूत करने में अपनी मुख्य भूमिका अदा की थी। शाहजहां के राज में शांतिपूर्ण माहौल थ, राजकोष पर्याप्त था जिसमें गरीबी और लाचारी की कोई जगह नहीं थी, लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सदभाव और सम्मान था।

कुशल प्रशासक –

 शाहजहां ने अपनी प्रजा के सामने एक कुशल प्रशासक के रुप में अपनी छवि बना ली थी। अपनी कूटनीति और बुद्दिमत्ता के चलते शाहजहां ने फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, इंग्लैंड और पेरिस जैसे देशों से भी मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित कर लिए थे। जिससे उनके शासनकाल में व्यापार आदि को भी बढ़ावा मिला था और राज्य का काफी विकास हुआ था। वहीं साल 1639 में शाहजहां ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट कर लिया, उनकी नई राजधानी को शाहजहांबाद नाम दिया।

इस दौरान उन्होंने दिल्ली में लाल किला, जामा-मस्जिद समेत कई मशहूर ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया। फिर साल 1648 को मुगल शासकों के मशहूर मयूर सिंहासन को आगरा से लाल किले में शिफ्ट कर दिया। इसके अलावा शाहजहां ने अपने शासनकाल में बाग-बगीचों को भी विकसित किया था।

शाहजहाँ के काल में विद्रोह – 

  •  बादशाह शाहजहाँ के शासनकाल में पहला विद्रोह 1628ई. में बुंदेला नायक जुझार सिंह का था।
  •  शाहजहाँ के शासनकाल का दूसरा विद्रोह उसके एक योग्य एवं सम्मानित अफगान खाने – जहाँ लोदी ने किया था।
  •  मुगल बादशाहों ने पुर्तगालियों की उद्दण्डता के कारण शाहजहाँ ने 1632ई. में उसके व्यापारिक केन्द्र हुगली को घेर लिया और उस पर अधिकार कर लिय।
  •  1628ई. में एक छोटी सी घटना के कारण सिक्खों और शाहजहाँ के बीच वैमनस्य उत्पन्न हो गया। 
  •  शाहजहाँ का एक बाज उङकर गुरू हरगोविंद के खेंमें चला गया औ र जिसे गुरू ने देने से इन्कार कर दिया था
  •  मुगलों और सिक्खों के बीच दूसरा झगङा गुरू द्वारा श्री गोविन्दपुर नामक एक नगर बसाने को लेकर शुरू हुआ।जिसे मुगलों के मना करने पर भी गुरूजी ने नहीं बंद किया था।
  •  शाहजहाँ के शासन काल के चौथे एवं पाँचवें वर्ष दक्कन और गुजरात में एक भीषम दुर्भिक्ष पङा था जिसकी वजह से दक्कन और गुजरात वीरान हो गया। 

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ताजमहल और मुमताज – 

ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम मुमताज महल की मज़ार है। मुमताज के गुज़र जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था। कहा जाता है कि मुमताज़ महल ने मरते वक्त मकबरा बनाए जाने की ख्वाहिश जताई थी। जसके बाद शाहजहां ने ताजमहन बनावाया। ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनवाया गया है। इसके चार कोनों में चार मीनारे हैं। शाहजहां ने इस अद्भूत चीज़ को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे।

माना जाता है कि ताजमहल बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था। इसी तरह बुखारा शहर से कारीगर को बुलवाया गया था, वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था।  वहीं गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया था। 

इस तरह अलग-अलग जगह से आए करीगरों ने ताजमहल बनाया था। ई. 1630 में शुरू हुआ ताजमहल के बनने के काम करीब 22 साल तक चला। इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूरों ने योगदान दिया। यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर ‘ताजमहल’ आज ना केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं।

शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी -shah jahan and Mumtaz’s love story

 मुमताज और मुगल बादशाह शाहजहां की 14 वीं पत्नी थीं। कहते हैं उसने अपनी बेगम मुमताज की याद में ही ताज महल का निर्माण कराया। 17 जून 1631 को अपनी 14 वीं संतान गौहारा बेगम को जन्म देने के दौरान लेवर पेन से मुमताज की मौत हो गई थी। बतादें कि मुमताज को प्रेग्नेंसी के आखिरी समय में आगरा से बुरहानपुर (म.प्र) लगभग 787 KM जाना पड़ा था, जिससे लंबी यात्रा से मुमताज को थकान हुई और पेन (दर्द) के कारण उनकी मौत हो गई थी। मुमताज शाहजहां की 14 वी पत्नी थीं जिनसे शाहजहां को 13 बच्चे थे। उनकी मौत मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की जैनाबाद में हुई थी।

 इतिहासकारों के अनुसार साउथ इंडिया में लोधियों ने जब 1631 में विद्रोह का झंडा उठाया था तब शाहजहां अपनी प्रेग्नेंट पत्नी मुमताज को लेकर आ गए थे। – मुमताज की फुल टाइम प्रेग्नेंसी के बावजूद शाहजहां उसे आगरा से 787 किलोमीटर दूर धौलपुर, ग्‍वालियर, सिरोंज, हंडिया होते हुए बुरहानपुर लाए थे जिससे अधिक दर्द के कारण उनकी मौत हो गई थी।  मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने कसम खाई थी कि वो ऐसी इमारत बनवाएंगे, जिसके बराबर की दुनिया में कोई दूसरी इमारत नहीं होगी, इसके बाद ताजमहल का निर्माण कराया गया।

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शाहजहाँ का शासनकाल का अंत और अवसान – 

ऐसा माना जाता है कि मुमताज की मौत के बाद 2 साल तक शाहजहाँ शोक में डूब गया था और अपने सारे शौक त्याग दिए थे, न तो वह शाही लिबास पहनता था और न ही शाही जलसे में वे शामिल होता था। शाहजहाँ के कुल चौदह संताने थी जिसमे से सिर्फ सात ही जीवित बची थी जिसमे 4 लड़के थे चार लड़कों के नाम दारा शिकोह, शाह शुजा,ओरंगजेब, मुराद बख्श था इन सभी के आपस में बिलकुल भी नहीं बनती थी। 

शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद उसके चारों बेटों में 1657 ई में गद्दी के लिए झगडा शुरू हो गया। शाहजहाँ चाहता था की दारा शिकोह गद्दी संभाले क्योंकि वह ज्यादा समझदार और पराक्रमी था। shah jahan- उसने भगवद गीता और योगवशिष्ठ उपनिषद् और रामायण का अनुवाद फारसी में करवाया था। लेकिन उसके पुत्र औरंगजेब ने छल से शाहजहाँ की गद्दी पे अधिकार कर लिया। 

18 जून को 1658 को शाहजहाँ को बंदी बना लिया 8 साल तक औरंगजेब ने शाहजहाँ को क़ैद में रखा जिसके कारण शाहजहाँ बीमार रहने लगा और 31 जनवरी 1666 को उसकी मृत्यु हो गई। इसी के साथ उसके राज़ का अंत आया और उसके बेटे औरंगजेब ने शाहजहाँ से अभी अधिक क्रूरता दिखाई। आशा करते हैं आपको शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी से पूरी जानकारी मिली होगी।

Shah Jahan Biography Video –

शाहजहाँ के रोचक तथ्य –

  • ताजमहल या ममी महल’ बुक के लेखक अफसर अहमद ने इन सब बातों को अपनी किताब में लिखा है।मुमताज और शाहजहां की मिसालें आज प्रेम की इमारत के रूप में दी जाती है। 
  •  मुमताज और शाहजहां दोनों की मुलाकात एक बाजार में हुई थी और उसके बाद दोनों की सगाई हुई थी।
  •   सगाई होने के 5 साल बाद 10 मई 1612 को दोनों की शादी (निकाह) हुई थी।
  •  मुमताज ने मरने से पहले भी शाहजहां को अपने पास मिलने बुलाया था लेकिन शाहजहां वहां नहीं पहुंच पाए थे।
  • प्रेग्नेंसी के समय बच्ची को जन्म देने के बाद मुमताज ने अपनी बेटी जहां आरा को पिता के पास बुलाने भेजा था।
  •  शाहजहां कमरे में पहुंचे, तो वहां उसने मुमताज को हकीमों से घिरा हुआ पाया तो उन्हें अंदाजा हो गया था कि मुमताज ज्यादा देर तक जिंदा नहीं बचेगी।
  •  शाहजहाँ के पहुंचने के बाद सभी लोग लोग उस कमरे से बाहर चले गए थे। शाहजहां की आवाज सुनने के बाद मुमताज ने आंखे खोलीं और मुमताज की आंखों में आंसू आ गए थे।
  •  उसे रोता हुआ देखकर शाहजहां मुमताज के सिर के पास जाकर बैठ गए थे और कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई थी।

Shah Jahan Questions –

1 .shah jahan daughter kitani thi ?

शाहजहाँ को 8 बेटिया थी। 

2 .shaahajahaan naama kisane likha tha ?

शाहजहाँ नामा इनायत खां ने लिखा था। 

3 .shaahajahaan ka makabara kahaan hai ?

शाहजहाँ का मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। 

4 .shaah jahaan bachche kitane the ?

शाह जहाँ के 15 बच्चे थे। 

5 .shaahajahaan ke pita ka naam kya tha ?

शाहजहां के पिता का नाम Jahangir था। 

6 .mumataaj mahal ka asalee naam kya tha ?

मुमताज महल का असली नाम Arjumand Banu Begum था। 

7 .shaahajahaan ka janm kab hua tha ?

शाहजहां का जन्म 5 January 1592 के दिन हुआ था। 

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Conclusion –

आपको मेरा  आर्टिकल Shah Jahan Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने shah jahan son और shah jahan tomb से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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