Rani Durgavati Biography In Hindi - रानी दुर्गावती की जीवनी हिंदी

Rani Durgavati Biography In Hindi | रानी दुर्गावती की जीवनी

आज के हमारे आर्टिकल में आपका स्वागत है आज हम Rani Durgavati Biography In Hindi में भारत देश की एक वीरांगना जिन्होंने अपने राज्य को बचाने के लिए युद्ध किया ऐसी महारानी दुर्गावती का इतिहास बताने वाले है। 

भारत देश की भूमि वीर पुरुषों के साथ वीरांगनाओ को भी जन्म दे चुकी है उसका रानी दुर्गावती का किला साक्षी है ,रानी दुर्गावती की माता का नाम महोबा था और रानी दुर्गावती के पिता का नाम कीर्तिसिंह चंदेल था। रानी दुर्गावती की जीवन शैली सरल थी लेकिन बहुत ही रोचक और अद्भुत थी। उन्होंने अपने जीवन में एक नियम बनाया था की दुश्मन के सामने शीश झुकाने से मरजाना बेहतर है।

वह एक ऐसी रानी थी जिन्होंने अपने राज्य को हमला खोरो से बचाने के लिए कही सारे मुगलो के सामने युद्ध किया हुआ है। और अपने साहस और बहादुरी से जंग में जित के दिखाया था। आज Rani durgavati in hindi में आपको Rani durgavati jayanti , Rani durgavati sister और Rani durgavati ka jivan parichay से ज्ञात करवाने वाले है। वह एक महान शक्तिशाली रानी है जो आज भी इतिहास के पन्नो में उनका नाम गरजता है। तो चलिए रानी दुर्गावती तस्वीरें के साथ Rani durgavati ka itihas बताना शुरू करते है। 

Rani Durgavati Biography In Hindi –

 नाम 

 रानी दुर्गावती 

 जन्म

 5 अक्टूबर सन 1524

 जन्म स्थान

 महोबा

 पिता

 किरत राय ,( कीर्तिसिंह चंदेल )

 माता

 महोबा

 मृत्यु 

 24 जून, 1564

रानी दुर्गावती की जीवनी –

Rani durgawati history in hindi
Rani durgawati history in hindi

महारानी दुर्गावती कौन थी ? Rani durgavathi एक ऐसी रानी है।

जो उनके पति के मृत्यु के बाद भी गोंडवाना राज्य की जिम्मेदारी अपने पे लेली।

15 साल तक गोंडवाना राज्य पे पति के मृत्यु बाद भी राज किया था।

रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को महोबा में हुआ था।

Rani durgawati के पिता महोबा के राजा थे।

रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, विनम्र, योग्य एवं साहसी लड़की थी।

महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं।

रानी दुर्गावती के पति का नाम दलपत शाह था। 

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रानी दुर्गावती का जन्म –

बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण

Maharani durgawati का नाम दुर्गावती रखा गया।

Rani durgavati नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, वीरता और सुन्दरता के कारण

इनकी प्रसिद्धि चारो ओर फैल गयी। दुर्गावती के मायके और ससुराल पक्ष की जाति भिन्न थी।

लेकिन फिर भी दुर्गावती की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर गोण्डवाना

साम्राज्य के राजा संग्राम शाह मडावी ने अपने पुत्र दलपत शाह

मडावी से विवाह करके, उसे अपनी पुत्रवधू बनाया था।

रानी दुर्गावती का शासनकाल –

महारानी दुर्गावती का राज्य की राजधानी सिंगोरगढ़ थी। वर्तमान समय में जबलपुर-दमोह मार्ग पर स्थित गांव सिंग्रामपुर में रानी दुर्गावती की प्रतिमा से 6 किलोमीटर दूर स्थित सिंगोरगढ़ का किला स्थित है। सिंगोरगढ़ के अलावा मदन महल का किला और नरसिंहपुर का चौरागढ़ का किला रानी दुर्गावती के राज्य के प्रमुख किलो में से एक थे। रानी का राज्य वर्तमान के जबलपुर, नरसिंहपुर , दमोह, मंडला, होशंगाबाद, छिंदवाडा और छत्तीसगढ़ के कुछ प्रदेश तक फैला था। 

रानी के शासन का मुख्य केंद्र वर्तमान जबलपुर और उसके आस-पास का क्षेत्र था| rani durgawati के दो मुख्य सलाहकारों और सेनापतियों आधार सिंह कायस्थ और मानसिंह ठाकुर की मदद से राज्य को सफलता पूर्वक चला रहीं थीं। रानी दुर्गावती ने ई.स 1550 से 1564 ईसवी तक सफलतापूर्वक शासन किया। रानी दुर्गावती के शासन काल में प्रजा बहुत सुखी थी और उनका राज्य भी लगातार प्रगति कर रहा था। रानी दुर्गावती के शासन काल में उनके राज्य की ख्याति दूर-दूर तक फ़ैल गई | रानी दुर्गावंती के शासन काल में उनका राज्य दूर -दूर तक प्रशिद्ध था। 

rani durgawati ने अपने शासन काल में कई मंदिर, इमारते और तालाब बनवाये ,इनमें सबसे प्रमुख हैं जबलपुर का रानी ताल जो रानी दुर्गावती ने अपने नाम पर बनवाया , उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरिताल और दीवान आधार सिंह के नाम पर आधार ताल बनवाया। रानी दुर्गावती ने अपने शासन काल में जात-पात से दूर रहकर सभी को समान अधिकार दिए उनके शासन काल में गोंड , राजपूत और कई मुस्लिम सेनापति भी मुख्य पदों पर आसीन थे। 

Rani Durgavati सुन्दर, बहादुर और योग्य शासिका –

रानी दुर्गावती ने अपने शासन काल में ग्नातीप्रथा को दूर रहकर सभी लोगो को समान हक्क दिए और उनके शासनकाल में गोंड , राजपूत और अनेक मुसलमान सेनापति भी प्रमुख स्थान पर शामिल थे रानी दुर्गावती ने वल्लभ सम्प्रदाय के स्वामी विट्ठलनाथ का स्वागत किया रानी दुर्गावती को उनकी कई विशेषताओं के कारण जाना जाता है वे बहुत सुन्दर होने के सांथ-सांथ बहादुर और योग्य शासिका भी मानी जाती है।  रानी दुर्गावती दुनिया को यह बताया की दुश्मन की आगे शीश झुकाकर अपमान जनक जीवन जीने से अच्छा मृत्यु अपनाना चाहिए।

Singorgarh Fort सिंगौरगढ़ का किला
Singorgarh Fort सिंगौरगढ़ का किला

रानी दुर्गावती का किला – Rani Durgawati Fort

rani durgawati का किला मध्य प्रदेश के इतिहास में गोंडवाना साम्राज्य का एक अलग ही महत्व है और उसकी वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता के किस्से नारी शक्ति के अद्वितीय प्रतिमान हैं। दमोह जिले के सिंग्रामपुर के सिंगौरगढ़ में रानी दुर्गावती की कहानी आज भी उनकी वीरता की कहानियां सुनाता नजर आता है। दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं।

वर्तमान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर किले में सन् 1524 में दुर्गाष्टमी के दिन उनका जन्म हुआ था इसलिए नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण उनकी प्रसिद्धि चहुंओर फैल गई थी। अपने राज्य के प्रति रानी का समर्पण कुछ ऐसा था कि मुगलों से लड़ते- लड़ते रानी ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। दमोह-जबलपुर हाइवे पर सिंग्रामपुर गांव में रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल से छह किमी की दूरी पर रानी दुर्गावती का सिंगौरगढ़ का किला है।

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रानी दुर्गावती संग्रहालय –

रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर में स्थित है। मध्य प्रदेश के प्रख्यात संग्रहालयों में से यह एक है। यह प्रख्यात संग्रहालय महान गोंड रानी दुर्गावती की याद मे रानी दुर्गावती को समर्पित है। इस संग्रहालय में कई मूर्तियां, शिलालेख और ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक महत्व की अन्य कलाकृतियों का एक विशाल संग्रह संरक्षित है। जबलपुर का ‘रानी दुर्गावती संग्रहालय’ यहां की प्रसिद्ध वीरांगना रानी दुर्गावती की शहादत और आत्म बलिदान के प्रतीक के रूप में गिना जाता है। rani durgawati की स्मृति में यह स्मारक वर्ष 1964 में निर्मित किया गया था।

इस संग्रहालय के अंदर स्त्री शक्ति का प्रतीक मानी जाने वाली देवी दुर्गा की एक बलुआ पत्थर से बनी हुई प्रतिकृति है ,जो रानी दुर्गावती एवं उनके साहसिक कर्मों के प्रदर्शन के साथ उनकी वीरता और गौरव को दर्शाती है। संग्रहालय में महात्मा गाँधी से संबंधित अनेक कलाकृतियों और तस्वीरें भी मौजूद हैं। जबलपुर की ‘रानी दुर्गावती संग्रहालय’ में प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष, अभिलेख और सिक्के(मुद्रा ) यह सब देखकर हर कोई आष्चर्य रह जाता है। संग्रहालय में और भी अनेक दिलचस्प शिलालेखभी मौजूद हैं।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर –

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की स्थापना 12 जून 1956 को जबलपुर में हुई थी| ई.स 1956 को जबलपुर राज्य के जिले के अधिकार वाले विस्तार पर हुई थी। यह rani durgavati university ई.स1961 में सरस्वती विहार, पचपेड़ी, जबलपुर में अपने वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित हो गया। 7 जून 1983 को विश्वविद्यालय का नाम बदलकर, गढ़ मंडला की प्रसिद्ध शूरवीर गोंड रानी के सम्मान में Rani Durgavati Vishwavidyalaya रखा गया। इसका पुनः निर्माण1973 विश्वविद्यालय को इसके अधिकार क्षेत्र में जबलपुर, मंडला, सिवनी, बालाघाट और नरसिंहपुर, कटनी, डिंडोरी, छिंदवाड़ा आदि भी शामिल कर दिया गया।

Rani durgavati photo
Rani durgavati photo

Rani Durgavati और बाज बहादुर की लड़ाई –

शेर शाह सूरी के कालिंजर के दुर्ग में मरने के बाद मालवा पर सुजात खान का अधिकार हो गया |

सुजात खान का बेटा बाजबहादुर ने शासन सफलतापूर्वक आगे तक निभाया| 

गोंडवाना राज्य की सीमा मालवा विस्तार के नदजीक थीं।

और रानी के राज्य की प्रशिद्धि दूर-दूर तक फ़ैल चुकी थी|

मालवा के शासक बाजबहादुर ने रानी को महिला समझकर कमजोरमानलिया

और गोंडवाना पर आक्रमण करने की योजना बनाई |

बाजबहादुर इतिहास में रानी रूपमती के प्रेम के लिये जाना जाता है |

ई.स 1556 में बाजबहादुर ने रानी दुर्गावती पर आक्रमण कर दिया |

रानी की सेना बड़ी बहादुरी के सांथ लड़ी और बाजबहादुर को युद्ध में

हारना पड़ा और रानी दुर्गावती की सेना की विजय हुई |

युद्ध में बाजबहादुर की सेना को बहुत नुकसान हुआ।

इस विजय के बाद रानी का नाम और प्रसिद्धी अधिक बढ़ गई। 

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रानी दुर्गावती और अकबर –

अकबर ने ई.स1562 में मालवा पर हमला कर के सुल्तान बाजबहादुर को हरा कर मालवा पर अधिकार कर लिया | अब मुग़ल साम्राज्य की सीमा रानी दुर्गावती के राज्य की सीमाओं को छूने लगी थीं ,वहीँ दूसरी तरफ अकबर के आदेश पर उसके सेनापति अब्दुल माजिद खान ने रीवा राज्य पर भी अधिकार स्थापित कर लिया | अकबर अपने साम्राज्य को और अधिक बढ़ाना चाहता था |

इसी कारण वह गोंडवाना साम्राज्य को हड़पने की योजना बनाने लगा| उसने रानी दुर्गावती को सन्देश भिजवाया कि वह अपने प्रिय सफ़ेद हांथी सरमन और सूबेदार आधा सिंह को मुग़ल दरवार में भेजा ,रानी अकबर के मंसूबों से भली भांति परिचित थी उसने अकबर की बात मानने से सख्त इंकार कर दिया और अपनी सेना को युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया। 

इधर अकबर ने अपने सेनापति आसफ खान को गोंडवाना पर हमला करने का आदेश दे दिया| आसफ खान एक विशाल सेना लेकर रानी पर आक्रमण करने के लिये आगे बढ़ा ,रानी दुर्गावारी जानती थीं की उनकी सेना अकबर की सेना के आगे बहुत छोटी है | युद्ध में एक और जहाँ मुगलों की विशाल सेना आधुनिक शस्त्रों से सज्ज सेना थी वहीँ रानी दुर्गावती की सेना छोटी और पुराने हथियार से तैयार थी | उन्होंने अपनी सेना को नरई नाला घाटी की तरफ कूच करने का आदेश दिया | रानी दुर्गावती के लिये नरई युद्ध हेतु।

Rani durgavati history in hindi
Rani durgavati history in hindi

रानी दुर्गावती की मृत्यु –

अकबर की सेना ने तीन बार हमला किया लेकिन रानी दुर्गावती ने उन्हें भगा दिया। वहीं एक महिला शासक से इतनी बार परास्त होने के बाद असफखां क्रोध से भर गया। ई.स1564 में एक बार फिर से रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला कर दिया और छल-कपट के साथ सिंगारगढ़ को चारों तरफ से घेर लिया और असफखान ने इस लड़ाई में विजय प्राप्त करने के लिए बड़ी तोपों को शामिल किया था।

रानी दुर्गावती भी पूरी तैयारी के साथ युद्ध स्थान पर अपने सरमन हाथी पर सवार होकर पहुंची और वीरता के साथ युद्ध लड़ी । युद्ध में उनके वीर पुत्र वीर नारायणसिंह शामिल थे। युद्ध के वक्त बुरी तरह घायल हो गए थे। रानी दुर्गावती यह देखकर डरी नहीं | रानी दुर्गावती अपने कुछ सैनिकों के साथ वीरता के साथ लड़ी । युद्ध करते समय रानी और अधिक लोग घायल हो गए | रानी दुर्गावती की आंख पर तीर लग गया था । सैनिकों ने उन्हें युद्धभूमि छोड़कर जाने को कहा |

लेकिन रानी दुर्गावती ने एक शूरवीर की तरह बीच में से युद्ध छोड़ने के लिए मना कर दिया और फिर उन्हे जब लगने लगा कि वे पूरी तरह से होश खोने लगी हैं तो उन्होंने दुश्मनों के हाथों से मरने से बेहतर स्वयं को ही समाप्त करना उचित समझा। रानी दुर्गावती की मृत्यु कैसे हुई ? रानी दुर्गावती ने तलवार अपने आप ही सीने में घोंप दी रानी दुर्गावती 24 जून ई.स 1564 में वीरगति को प्राप्त हुईं।

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रानी दुर्गावती की समाधि –

जबलपुर के पास जहां रानी दुर्गावतीने युद्ध किया था।

वह स्थान का नाम मदन महल किला है, यह वह स्थल है।

जहां पर रानी वीरगति हुई थी वहा रानी दुर्गावती की समाधि बनी हुई है।

Rani Durgavati Biography Video –

Rani Durgavati के रोचक तथ्य –

  • दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया।
  • दुर्गावती की समाधि पर आज भी गोंड जाति के लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 
  • महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं।
  • रानी दुर्गावती की मौत मुगल सेना से युद्ध के दौरान तीर लगने से हुई थी
  • गौंडवाना साम्राज्य की राजधानी सिंगौरगढ़ के शासक व वीरागना रानी
  • दुर्गावती के पति दलपत शाह की समाधि स्थल को पांच सौ वर्ष बाद
  • सिंग्रामपुर के राजाबर्रा में खोज निकाली गई है। 

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Rani Durgavati FAQ –

1 .रानी दुर्गावती शहादत दिवस कौन सा था ?

रानी दुर्गावती की मृत्यु कब हुई 24 जून ई.स 1564 के दिन वीरगति को प्राप्त हुईं थी। 

2 .रानी दुर्गावती कहां की शासिका थी ?

रानी दुर्गावती गोंडवाना साम्राज्य की महारानी थी। 

3 .रानी दुर्गावती की समाधि कहां है ? 

मदन महल किला जबलपुर में रानी दुर्गावती की समाधि है। 

4 .रानी दुर्गावती किस राज्य की महारानी थी ?

रानी दुर्गावती गोंडवाना साम्राज्य की महारानी थी।

5 .रानी दुर्गावती कौन थी ?

रानी दुर्गावती दलपतशाह की पत्नी थी।

दुर्ग के पास जो धरती दूर तक फैली दृष्टिगोचर होती है।

उसे कभी गोंडवाना प्रदेश या गोंडवाना राज्य कहा जाता था।

Rani Durgavati Biography In Hindi
Rani Durgavati Biography In Hindi

Conclusion –

आपको मेरा Rani Durgavati Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Mandla ki rani durgavati उनका महल

और Rani durgavati and akbar से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है।

तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Rani durgawati history in hindi की जानकारी

या Rani durgavati photo की कोई जानकारी हैं। 

या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए।

सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं

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