Biography of Lata Mangeshkar In Hindi - लता मंगेशकर की जीवनी

Lata Mangeshkar Biography In Hindi – लता मंगेशकर की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Lata Mangeshkar Biography In Hindi में भारत की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जीवन परिचय देने वाले है। 

सुर-साधिका, सरस्वती की वरद् पुत्री, कोकिल कण्ठी सुश्री लता मंगेशकर भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मी पार्श्व गायिका हैं । शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गायिका लता का गायन भारत के लिए ही नहीं, वरन् विश्व के लिए भी विस्मित कर देने वाला है । स्वर कोकिला लता मंगेशकर का एक-एक गीत सम्पूर्ण कलाकृति होता है। आज lata mangeshkar husband ,lata mangeshkar birthday और lata mangeshkar tamil songs से सम्बंधित सभी बाते बताने वाले है। स्वर, लय और शब्दार्थ का एक ऐसा त्रिवेणी नाद सौन्दर्य उनकी सुर लहरियों में समाया होता है कि कानों में पड़ते ही मधुरता एवं मादकता की अनुभूति दिल की गहराइयों में उतरने लगती है ।

भारतीय संगीत को विलक्षणता तथा लोकप्रियता की चरम सीमा तक पहुंचाने वाली ‘लताजी’ के स्वरों में कोमलता और मधुरता का अनूठा समन्वय है ।गायन में निर्मलता का ऐसा झरना फूट पड़ता है, जो अपने नादमय सौन्दर्य से सबको सिक्त कर देता है । संगीत की परिपूर्णता लताजी के गानों को सुनकर मिल जाती है । वे ‘दादा साहब फाल्केपद्‌मश्री भारत रत्न’ ही नहीं, कई पुरस्कारों और उपाधियों से सम्मानित हैं , प्रत्येक भारतीय को उन पर गर्व है। 

 नाम  लता मंगेशकर
 उप नाम  बॉलीवुड की नाइटिंगेल
 जन्म  28 सितंबर 1929 
 जन्म स्थान  इंदौर
 पिता  पंडित दीनानाथ मंगेशकर
 माता  शेवंती (शुधमाती)
 व्यवसाय  पार्श्व गायक (प्ले बैक सिंगर)
 राष्ट्रीयता  भारतीय

Lata Mangeshkar Biography In Hindi –

Lata Mangeshkar का जन्‍म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर हुआ। इनके पिता उनके पिता के नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकरऔर माता शेवंती (शुधमाती)रंगमंच के कलाकार और गायक भी थे इसलिए संगीत इन्‍हें विरासत में मिली। वर्तमान समय 2021 की साल में lata mangeshkar age 91 वर्ष है। 

लता मंगेशकर का पहला नाम ‘हेमा’ था, मगर जन्‍म के 5 साल बाद माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया था। लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं। मीना, आशा, उषा तथा हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। इनके जन्‍म के कुछ दिनों बाद ही परिवार महाराष्‍ट्र चला गया। 

इसके बारेमे भी जानिए :- गरेना फ्री फायर की जीवनी

लता मंगेशकर का बचपन (Lata Mangeshkar Childhood)

लता का जन्म मराठी ब्रम्हण परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।

हालाँकि Lata Mangeshkar का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया।

उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये। पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), Lata Mangeshkar को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा।

अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी।

बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया। र्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी. भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आया गया था.

दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी. जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी.ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था. लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया.

1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया।

इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।

1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

लता मंगेशकर की शरुआती पढाई –

लता ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति और बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला।

शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। वर्ष 1942 में उनके पिता की मौत हो गई। तब लता केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्‍त मास्‍टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की थी। 

लता मंगेशकर ने क्यों छोड़दि पढाई-

30 हजार से ज्यादा गाने गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को दुनिया के छह विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की डिग्री दी है, लेकिन सच्चाई यह है कि लता मंगेशकर ने सिर्फ कुछ महीने ही स्कूल में बिताए हैं। पहली ही क्लास में हैडमास्टर से नाराज हुई, फिर स्कूल की तरफ मुंह उठाकर भी नहीं देखा। भारत रत्न लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर), भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं। 

जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालांकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फिल्मी गाने गाए हैं, लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं।

इसके बारेमे भी जानिए :- तानाजी की जीवनी

लता मंगेशकर की सुरीली आवाज –

साथ काम करने वाले संगीत निर्देशक अपने आप को भाग्यशाली समझते थे जिन्हें एक ही आवाज में भोलापन, कौमार्य, स्त्रीत्व तथा सही उच्चारण सहित सातों स्वर और सारे नवरस मिल गए थे. लता जी आज के भी गायकों और संगीतकारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। ऐसा तो हो नहीं सकता कि लता जी का गाया कोई गाना आपका अपना गाना न हो। कहीं कोई धुन, कहीं कोई बोल और कहीं कोई पूरा गाना ही जीवन की पगथली में कांटे की तरह चुभ कर असर कर जाता है।

पचास साल में लता ने अलग-अलग परिस्थितियों में और इतनी भाषाओं में इतने गीत गाए हैं कि शायद ही कोई इंसान होगा जिसके निजी जीवन को उनके स्वर ने छुआ न हो। आज भी जब लता जी के गाए ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को सुनने का मौका मिलता है तो शरीर का रोम-रोम रोमांचित हो उठता है. यह गीत 1962 में चीन से पराजय के बाद लिखा गया था। 

इस गाने पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आंसू छलक आए थे. लाखों की तादाद में बिकते हैं. खरीदने वालों में 80 साल के बुजुर्ग भी होते हैं और 18 साल के युवा भी. आज इंटरनेट ने उनके गाए हजारों गानों को, जिनमें से कई नायाब हैं, भूमंडलीय बना दिया। 

13 वर्ष की उम्र में परिवार का बोझ – Lata Mangeshkar

1942 में लता मंगेशकर पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया। उनके पिता की जब मृत्यु हुई तब लता मात्र 13 वर्ष की थी। लता पर परिवार का बोझ आ गया। नवयुग चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक मास्टर विनायक, मंगेशकर परिवार के नजदीकी लोगों ने लता का करियर गायिका और अभिनेत्री के रूप में संवारने के लिए मदद की।

लता को अभिनय पसंद नहीं था, लेकिन पैसो की तंगी के कारण उन्होंने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। मंगला गौर (1942), माझे बाल (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी मां (1945), जीवन यात्रा (1946) जैसी फिल्मों में लता ने छोटी-मोटी भूमिकाएं अदा की।

लता को सदाशिवराव नेवरेकर ने एक मराठी फिल्म में गाने का अवसर 1942 में दिया। लता ने गाना रिकॉर्ड भी किया, लेकिन फिल्म के फाइनल कट से वो गाना हटा दिया गया। 1942 में रिलीज हुई मंगला गौर में लता की आवाज सुनने को मिली। इस गाने की धुन दादा चांदेकर ने बनाई थी। 1943 में प्रदर्शित मराठी फिल्म ‘गजाभाऊ’ में लता ने हिंदी गाना ‘माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ गाया।

1945 में लता मंगेशकर मुंबई शिफ्ट हो गईं और इसके बाद उनका करियर आकार लेने लगा। वहां पर उन्होंने भिंडीबाजार घराना के उस्ताद अमन अली खान से भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया। फिल्म बड़ी मां (1945) में गाए भजन ‘माता तेरे चरणों में’ और 1946 में रिलीज हुई ‘आपकी सेवा में’ लता द्वारा गाए गीत ‘पा लागूं कर जोरी’ ने लोगों का ध्यान लता की ओर खींचा।

लता को किया रिजेक्ट –

वसंत देसाई और गुलाम हैदर जैसे संगीतकारों के सम्पर्क में लता आईं और उनका करियर निखरने लगा। लता के गुलाम हैदर मेंटर बन गए। वे लता को दिग्गज फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी के पास ले गए जो उस समय ‘शहीद’ (1948) नामक फिल्म बना रहे थे।

हैदर ने लता को लेने की सिफारिश मुखर्जी से की। लता को सुनने के बाद मुखर्जी ने यह कहते हुए लता को लेने से इंकार कर दिया कि लता की आवाज बहुत पतली है। इससे हैदर भड़क गए। वे लता की प्रतिभा को पहचान चुके थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में लता छा जाएगी और ये सारे निर्माता-निर्देशक लता के चरणों में गिर कर लता से अपनी फिल्मों में गाने की मिन्नत करेंगे।

गुलाम हैदर ने लता से ‘मजबूर’ (1948) में एक गीत ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’ गवाया। यह गीत लता का पहला हिट माना जा सकता है। गुलाम हैदर ने लता में जो प्रतिभा देखी थी इसका जिक्र अक्सर लता करती रही हैं। लता के अनुसार गुलाम हैदर उनके सही मायनों में गॉडफादर थे और उन्हें लता की प्रतिभा में पूरा विश्वास था।

खुद की शैली को किया विकसित – Lata Mangeshkar

लता जब पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना करियर बना रही थी तब नूरजहां, शमशाद बेगम जैसी गायिकाओं का बोलबाला था। लता पर भी इन गायिकाओं का प्रभाव था और वे उसी शैली में गाती थीं। लता समझ गईं कि यदि उन्हें आगे बढ़ना है तो अपनी शैली विकसित करनी होगी और उन्होंने यही किया। उन्होंने हिंदी और उर्दू के उच्चारण सीखे।

इसके बारेमे भी जानिए :- बीरबल का जीवन परिचय

आएगा आने वाला से नहीं देखा पीछे मुड़ कर –

1949 में एक फिल्म रिलीज हुई ‘महल’। इसमें खेमचंद प्रकाश ने लता से ‘आएगा आने वाला’ गीत गवाया जिसे मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह गीत सुपरहिट रहा। इस गीत ने एक तरह से ऐलान कर दिया कि आएगा आने वाला आ चुका है। यह गीत लता के बेहतरीन गीतों में से एक माना जाता है और आज भी सुना जाता है। इस गीत की कामयाबी के बाद लता ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

1950 से 1970 का बेहतरीन दौर –

1950 से 1970 का दौर भारतीय फिल्म संगीत के लिए बेहतरीन माना जाता है। जब एक से बढ़कर एक गायक, संगीतकार, गीतकार और फिल्मकार थे। सबने मिल कर बेहतरीन फिल्में और संगीत रचा और लता मंगेशकर के स्वरों में ढल कर एक से बढ़कर एक गीत सुनने को मिले।

अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, सचिनदेव बर्मन, नौशाद, हुस्नलाल भगतराम, सी. रामचंद्र, सलिल चौधरी, सज्जाद-हुसैन, वसंत देसाई, मदन मोहन, खय्याम, कल्याणजी आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, राहुल देव बर्मन जैसे नामी संगीतकार मधुर धुनों का निर्माण कर रहे थे और लता मंगेशकर सभी की पहली पसंद थी।

इन संगीतकारों के साथ लता ने अनेक यादगार गीत गाए जिनकी लोकप्रियता की कोई सीमा नहीं रही। लता के आवाज का माधुर्य आम जन के सिर चढ़ कर बोला और लता मंगेशकर देखते ही देखते चोटी की गायिका बन गईं। महिला गायिकाओं में उनके इर्दगिर्द कोई भी नजर नहीं आता था।

कई फिल्में महज इसलिए सफल रही क्योंकि लता मंगेशकर के गाए गाने लोकप्रिय हुए और इस कारण ही फिल्म चल निकली। अपने सहज सरल स्वभाव के कारण लता फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और संगीतकारों की पहली पसंद बन गई। हर गाने को लेकर उनकी मेहनत गाने में झलकती थी।

हर गाने को लता विशेष बना देती थीं। चाहे वो रोमांटिक गाना हो, राग आधारित हो, भजन हो, देशभक्ति से ओतप्रोत हो। उनके द्वारा गाए गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को सुन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी आंख भर आई थी।

दीदार, बैजू बावरा, उड़न खटोला, मदर इंडिया, बरसात, आह, श्री 420, चोरी चोरी, सज़ा, हाउस नं 44, देवदास, मधुमति, आज़ाद, आशा, अमरदीप, बागी, रेलवे प्लेटफॉर्म, देख कबीरा रोया, चाचा जिंदाबाद, मुगल-ए-आजम, दिल अपना और प्रीत पराई, बीस साल बाद, अनपढ़, मेरा साया, वो कौन थी, आए दिन बहार के, मिलन, अनिता, शगिर्द, मेरे हमदम मेरे दोस्त, दो रास्ते, जीने की राह जैसी सैकड़ों फिल्मों में लता ने मधुर नगमे गाए।

संगीतकार लता के पास कठिन से कठिन गीत लाते थे और लता बड़ी आसानी से उन्हें गा देती थी। राज कपूर, बिमल रॉय, गुरुदत्त, मेहबूब खान, कमाल अमरोही जैसे दिग्गज फिल्मकार की पहली पसंद लता ही रही 1970 से फिल्म संगीत में गिरावट आना शुरू हो गई, लेकिन लता ने अपने आपको इससे बचाए रखा।

उनके गाने क्वालिटी लिए होते थे और वे सफलता के शीर्ष पर बनी रहीं। इस दौर में भी उन्होंने पाकीज़ा, प्रेम पुजारी, अभिमान, हंसते जख्म, हीर रांझा, अमर प्रेम, कटी पतंग, आंधी, मौसम, लैला मजनूं, दिल की राहें, सत्यम शिवम सुंदरम जैसी कई फिल्मों में यादगार गीत गाए।

अस्सी और नब्बे के दशक में भी गूंजते रहे नगमे – 

अस्सी के दशक में कई नए संगीकार उभर कर आएं। अनु मलिक, शिवहरी, आनंद-मिलिंद, राम-लक्ष्मण ने भी लता से गीत गवाना पसंद किया। सिलसिला, फासले, विजय, चांदनी, कर्ज, एक दूजे के लिए, आसपास, अर्पण, नसीब, क्रांति, संजोग, मेरी जंग, राम लखन, रॉकी, फिर वही रात, अगर तुम न होते, बड़े दिल वाला, मासूम, सागर, मैंने प्यार किया, बेताब, लव स्टोरी, राम तेरी गंगा मैली जैसी सैकड़ों फिल्म में लता के गाए गीत गली-गली गूंजते रहे।

90 के दशक में लता ने गाना कम कर दिया। इस दौर में भी डर, लम्हें, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, दिल से, पुकार, ज़ुबैदा, रंग दे बसंती, 1942 ए लव स्टोरी जैसी फिल्मों में लता को सुनने को मिला। हालांकि वे समय-समय पर कहती भी रहीं कि आज के दौर के संगीतकार उनके पास अच्छे गीत का प्रस्ताव लाते हैं तो उन्हें गीत गाने में कोई समस्या नहीं है।

लगभग सात दशक से भारतीय फिल्में लता के गीतों से लकदक होती रहीं। मधुबाला से लेकर तो माधुरी दीक्षित तक जैसी तमाम हीरोइनों को उन्होंने आवाज दी। लता की आवाज कभी भी किसी भी अभिनेत्री पर मिसफिट नहीं लगी। शाहरुख खान ने तो एक बार लता के सामने कहा भी था कि काश उन पर भी कोई लता की आवाज में गीत फिल्माया जाता।

इसके बारेमे भी जानिए :- सुखदेव थापर की जीवनी

सभी के परिवार का हिस्सा –

Lata Mangeshkar हमेशा अपने सौम्य स्वभाव के लिए जानी गईं। तमाम फिल्म निर्माता, निर्देशक, संगीतकार, गायक, हीरो, हीरोइनों से उनके पारिवारिक रिश्ते रहे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, अमिताभ बच्चन, यश चोपड़ा, राहुलदेव बर्मन, मुकेश, किशोर कुमार से उनके घनिष्ठ संबंध रहे। पीढ़ी दर पीढ़ी उनके संबंध मधुर रहे। लता को हर किसी ने अपने परिवार का ही हिस्सा माना। 

इक्के-दुक्के रहे विवाद –

अक्सर सफेद साड़ी में नजर आने वाली लता ने विवादों से हमेशा अपने आपको दूर रखा। सचिन देव बर्मन से जरूर एक बार उनका मनमुटाव हो गया था और दोनों ने पांच साल तक साथ काम नहीं किया। इसी तरह मोहम्मद रफी और लता गीतों की रॉयल्टी पर एकमत नहीं हो सके और उन्होंने भी कुछ समय नहीं गाया। सी. रामचंद्र और ओपी नैयर से उनका छोटा-मोटा विवाद रहा। हालांकि इन्हें विवाद की बजाय मनमुटाव कहना ही ठीक होगा जो कि आमतौर पर साथ में काम करने वालों के बीच हो जाता है।

लता मंगेशकर को दिया जहर –

वर्ष 1962 में लता की जान लेने की कोशिश की गई। लता को एक दिन सुबह उठते ही उन्हें पेट में जबरदस्त दर्द हुआ। उनकी हालत ऐसी थी कि अपनी जगह से हिलने में भी उन्हें दिक्कत होने लगी। लता जी को स्लो प्वॉइजन दिया गया था। हालांकि उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इस बारे में आज तक खुलासा नहीं हो पाया।

लता मंगेशकर की शादी (Lata Mangeshkar Marriage)

Lata Mangeshkar की शादी नहीं हो पाई। बचपन से ही परिवार का बोझ उन्हें उठाना पड़ा। इस दुनियादारी में वे इतना उलझ गईं कि शादी के बारे में उन्हें सोचने की फुर्सत ही नहीं मिली। बताया जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता मंगेशकर के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन लता जी ने इसे ठुकरा दिया था। हालांकि लता ने इस बारे में कभी खुल कर नहीं कहा, परंतु बताया जाता है कि सी. रामचंद्र के व्यक्तित्व से लता बहुत प्रभावित थीं और उन्हें पसंद भी करती थीं।

एक इंटरव्यू में सी. रामचंद्र ने कहा था कि लता उनसे शादी करना चाहती थीं, परंतु उन्होंने इंकार कर दिया क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थे। लेकिन रोचक बात यह है कि लता को इंकार करने की बात कहने वाले सी. रामचंद्र ने इस घटना के बाद अपनी एक अन्य महिला मित्र शांता को दूसरी पत्नी बना लिया था।

1958 में सी. रामचंद्र के साथ व्यावसायिक रिश्ते खत्म कर लेने के बारे में लता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक रेकॉर्डिस्ट इंडस्ट्री में मेरे बारे में उल्टी-सीधी बातें फैला रहा था और मैंने सी. रामचंद्र से कहा कि उसे हटा दें। परंतु वह उस रेकॉर्डिस्ट के साथ काम करने पर ही अड़े हुए थे। इस बात के बाद मैंने उनके साथ काम न करने का फैसला किया।

इसके बारेमे भी जानिए :- कुंवर सिंह की जीवनी

कितने गीत गाए लता मंगेशकर ने –

Lata Mangeshkar – के कौन से गीत पसंद किए गए या लोकप्रिय रहे इसकी सूची बहुत लंबी है। लता ने ढेर सारे गाने गाए जिनमें से अधिकांश पसंद किए गए। किसी को मदन मोहन के संगीत में लता की गायकी पसंद आई तो किसी को नौशाद के संगीत में। सब की अपनी-अपनी पसंद रही। लता ने कितने गाने गाए इसको लेकर भी बढ़ा-चढ़ा कर दावे किए गए।

खुद लता ने कहा कि वे नहीं जानती कि उन्होंने कितने गाने गाए क्योंकि उन्होंने कोई रिकॉर्ड नहीं रखा। गिनीज़ बुक में भी उनका नाम शामिल किया गया था, लेकिन इसको लेकर भी खासा विवाद हुआ। 25 या 30 हजार गानों की बातें करना बेमानी है। लगभग 5 से 6 हजार गीतों में लता ने अपनी आवाज दी है।

मान-सम्मान और पुरस्कार –

Lata Mangeshkar को ढेरों पुरस्कार और सम्मान मिले। जितने मिले उससे ज्यादा के लिए उन्होंने मना कर दिया। 1970 के बाद उन्होंने फिल्मफेअर को कह दिया कि वेसर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी और उनकी बजाय नए गायकों को यह दिया जाना चाहिए। लता को मिले प्रमुख सम्मान और पुरस्कार इस तरह से हैं

भारत सरकार पुरस्कार – 

 1969  पद्म भूषण
 1989  दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
 1999  पद्म विभूषण
 2001   भारत रत्न

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार –

 1972  फिल्म परी के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
 1974  फ़िल्म कोरा कागज़ के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
 1990  फिल्म लेकिन के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

फिल्मफेयर अवार्ड्स – 

 1959   “आजा रे परदेसी” (मधुमती)
 1963   “काहे दीप जले कही दिल” (बीस साल बाद)
 1966  “तुम मेरे मंदिर तुम मेरी पूजा” (खानदान)
 1970   “आप मुझसे अच्छे लगने लगे” (जीने की राह से)
 1993  फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
 1994   “दीदी तेरा देवर दीवाना” (हम आपके हैं कौन) के लिए विशेष पुरस्कार
 2004  फ़िल्मफ़ेयर स्पेशल अवार्ड 

महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार –

 1966  सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका
 1966  सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक (‘आनंदघन’ नाम से)
 1977  जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
 1997  महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
 2001  महाराष्ट्र रत्न

बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर इन फिल्मों –

 1964  वो कौन थी
 1967  मिलन
 1968  राजा और रंक
 1969  सरस्वतीचंद्र
 1970  दो रास्ते
 1971  तेरे मेरे सपने
 1972  पाकीज़ा
 1973  बॉन पलाशिर पदबाली (बंगाली फिल्म)
 1973   अभिमान
 1975  कोरा कागज़
 1981  एक दूजे के लिए
 1983   A Portrait Of Lataji
 1985   राम तेरी गंगा मैली
 1987  अमरसंगी (बंगाली फिल्म)
 1991  लेकिन

 इनके अलावा ढेर सारे पुरस्कार, सम्मान और ट्रॉफियां। मध्यप्रदेश सरकार ने Lata Mangeshkar के नाम पर पुरस्कार भी स्थापित किया है। 

Lata Mangeshkar Biography Video –

Lata Mangeshkar Facts –

  • सिंगर लताजी दादा साहब फाल्केपद्‌मश्री भारत रत्न’ ही नहीं, कई पुरस्कारों और उपाधियों से सम्मानित हैं। 
  • 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया था। 
  • 30 हजार से ज्यादा गाने गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को दुनिया के छह विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की डिग्री दी है, लेकिन सच्चाई यह है कि लता मंगेशकर ने सिर्फ कुछ महीने ही स्कूल में बिताए हैं।
  • वर्ष 1942 की साल में उनके पिता की मौत हो गई थी इस वक्त लताजी की उम्र सिर्फ और सिर्फ 13 साल की हुआ करती थी। 

Lata Mangeshkar Questions –

1 .लता मंगेशकर सिंगर कैसे बने ?

1947 में वसंत जोगलेकर की फ़िल्म से शुरू किया इस गानों से चर्चा में होने के कारन लता को पार्श्वगायिका के रूप में 1949 में फ़िल्म ‘महल’ के ‘आयेगा आनेवाला’ से मिली थी। 

2 .लता मंगेशकर का निधन कब हुआ ?

गायिका लता मंगेशकर अभी जिन्दा है उनकी मौत नहीं हुई है। 

3 .लता मंगेशकर के पिता का नाम क्या था ?

पंडित दीनानाथ मंगेशकर लता मंगेशकर के पिता थे। 

4 .लता मंगेशकर की माता का नाम क्या है ?

शेवंती (शुधमाती) ता मंगेशकर की माता थे। 

5 .लता मंगेशकर के पति का नाम काया है  ?

लताजी ने शादी नहीं की हुई है उनका कोई पति नहीं है। 

इसके बारेमे भी जानिए :- भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Lata Mangeshkar Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये  हमने lata mangeshkar total songs और lata mangeshkar net worth से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। जय हिन्द ।

Read More >>