Subhash Chandra Bose Biography in Hindi - Thebiohindi

Subhash Chandra Bose Biography I n Hindi – सुभाष चंद्र बोस की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Subhash Chandra Bose Biography in Hindi बताएँगे। गांधीजी को महात्मा की उपाधि देने वाले सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय बताने वाले है। 

सुभाष चंद्र बोस के नारे ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ ने पुरे भारत में प्रसिद्द हुए और उनकी वजह से लोगो ने ‘नेता जी’ कहकर के बुलान शुरू किया था। आज subhash chandra bose slogan , subhash chandra bose birthday और subhash chandra bose death की जानकारी देने वाले है। भारत में सुभाष चंद्र बोस जयंती 23 जनवरी के दिन मनाई जाती है। 

सुभाष चंद्र बोस की कहानी में आपको बतादे की 1960 में सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस भारत आयी तब जबरदस्त स्वागत किया गया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व और कृतित्व बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। और सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का रहस्य आजतक एक रहस्य ही रहा है। subhash chandra bose death date 18 अगस्त 1945 है। तो चलिए उनके बारेमे ज्यादा बताते है। 

Subhash Chandra Bose Biography in Hindi –

 नाम 

 सुभाषचंद्र बोस

 जन्म 

 23 जनवरी 1897

 पिता

 जानकी नाथ बोस

 माता

 प्रभावती देवी

 पत्नी

 एमिली (1937)

subhash chandra bose daughter

 अनीता बोस

 वंश

 बोस

 मृत्यू 

 18 अगस्त 1945

 मृत्यू का कारण

 एक प्लेन हादसे में हुए थी

Subhash Chandra Bose Ka Jeevan Parichay –

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली (subhash chandra bose family) परिवार में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम ‘जानकीनाथ ‘बोस और उनकी माँ का नाम ‘श्रीमती प्रभावती ‘ था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे | प्रभावती और जानकीनाथ बोस की 14 संतान थे | जिन्हे 6 बेटिया और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनके नौवीं संतान और पांच में बेटे थे। सुभाषचंद्र बोज का पूरा जीवन ओरिस्सा के कोटक शहर में बिता था। नेताजी सुभाषचंद्र बोज को पहले से अपने देश की सेवा करने में बहुत रुचि थी।

मशहूर वकील जानकीनाथ बोज ने अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने बहुत ही सारे केस को उन्होंने जीता है। सुभाषचंद्र बोज को अपने माता पिता एवंम अपने भाई बहन के प्रति बहुत ही प्यार था । सुभाष चंद्र बोस के घर के सामने एक बूढ़ी भिखारिन रहती थी। वे देखते थे कि वह हमेशा भीख मांगती थी और दर्द साफ दिखाई देता था। उसकी ऐसी अवस्था देखकर उसका दिल दहल जाता था। भिखारिन से मेरी हालत कितनी अच्‍छी है। यह सोचकर वे स्वयं शर्म महसूस करते थे।

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सुभाष चंद्र बोस की पढाई – Subhash Chandra Bose Biography

कटक के प्रोटेस्टेंड यूरोपियन स्कूल से अपनी पाइमरी शिक्षा पूरी की थी | प्राइमरी के बाद उन्होंने 1909 में उन्होंने रेवनशा कॉलेजियेट स्कूल में अवेश लिया था | बोस ने सन 1915 में 12 वी सेकंड डीविजन से पास की थी। सुभाष चंद्र बोस के पाठशाला के शिक्षक का नाम वेणीमाधव दास था | सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही पढ़ने में होनहार थे | उन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। और स्नातक में भी प्रथम आए थे। 

नेताजी की प्रारंभिक पढाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई | बाद उनकी शिक्षा कलकता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज़े में B.A (ऑनर्स )में प्रवेश लिया था | सुभाष चंद्र बोस के घर से उनके कॉलेज की दूरी 3 किलोमीटर थी। जो पैसे उन्हें खर्च के लिए मिलते थे।  उनमें उनका बस का किराया भी निकालना पड़ता था। सुभाष चंद्र बोस बुढ़िया की मदद हो सके। 

इसीलिए वह पैदल कॉलेज जाने लगे और किराए के बचे हुए पैसे से वह बुढ़िया को देते थे उसी दौरान सेना में भर्ती हो रही थी | उन्होंने भी सेना में भर्ती होने का प्रयास किया परंतु आंखे ख़राब होने के कारण उनको अयोग्य घोषित कर दिया गया| वे स्वामी विवेकानद के अनुनायक थे | अपने परिवार की इच्छा के अनुसार वर्ष 1919 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गए। 

बूढी महिला को सहायता –

सुभाष चंद्र बोस जब विद्यालय जाया करते थे तो मां उन्हें खाने के लिए भोजन दिया करती थी। लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने विद्यालय के पास ही एक बूढ़ी महिला रहती थी। और वह इतनी असहाय थी कि अपने लिए भोजन तक नहीं बना सकती थी। (subhash chandra bose in hindi )सुभाष चंद्र बोस अपना भोजन उस बूढी महिला को खाने के लिए दे दे ते थे | सुभाष चंद्र बोस अपनी जिंदगी बहुत ही खुसी से बिता रहे थे

आईसीएस की परीक्षा में उतीँण होने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनका मनोबल बढ़ाते हुए। देश सेवा का व्रत ले ही लिया था। तो कभी इस पथ से विचलित मत होना। आईसीएस सुभाषचंद्र बोज के शिक्षक वेणीमाधव दास ने ही छात्रो में देश भक्त्ति की आग जलाईं थी ओर उन्होंने ही सुभाषचंद्र बोज के अंदरकी देश भक्त्ति को जागृत कीया था। 

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गुरु की खोज – Subhash Chandra Bose Biography

सुभाषचंद्र बोज 25 साल की उम्र में ही अपने घर को छोड़ कर अपने गुरु की खोज में निकल जाते हैं लेकिन उनकी यह कोशिश ना कामियाब हो जाती है। सुभाषचंद्र बोज हिम्मत नहीं हारते बहुत कोशिश करने के बावजूद भी गुरु नहीं मिलते परंतु फिर वह स्वामी विवेकानंद के पुस्तको वह पढने के बाद वह स्वामी विवेकानंद को अपने गुरु का स्थान देते हैं। सुभाषचंद्र बोज ने स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु बनाया था | सुभाषचंद्र बोज ने स्वामी विवेकानंद के हर एक पुस्तक को पढ़ा और उनमे से जो योग्य लगता वह ज्ञान उनमे से प्राप्त करते थे। 

करियर

इन्होने सेना में भर्ती होने के लिए 49वीं नेटिव बंगाल रेजिमेंट के लिए परीक्षा दी। और उनमे उनकी आँखें कमजोर होने के कारण इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। सुभाष चंद्र बोस IAS बनना चाहते थे। उस समय समस्या यह थी की आयु योग्यता और इनकी आयु के अनुसार इनके पास एक ही मौका था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए उन्होंने 1920 में आवेदन किया और इस परीक्षा में उनको न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्होंने चैथा स्थान भी हासिल किया था। 

सूझ-बूझ और मेहनत से सुभाष जल्द ही कांग्रेस के मुख्य नेताओं में शामिल हो गए| 1928 में जब साइमन कमीशन आया तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया और काले झंडे दिखाए। जनवरी 1941 में सुभाष अपने घर से भागने में सफल हो गए और अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुँच गए | सुभाष चंद्र बोस को देशबंधु चित्तरंजन दास से मिलाने का काम महात्मा गांधी ने ही किया था। 

लेकिन असहयोग आंदोलन को अचानक समाप्त किए जाने से नाराज मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास ने जब कांग्रेस से अलग होकर स्वराज पार्टी बना ली।  तो सुभाष बाबू भी स्वराजियों के साथ ही गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महापुरूषों ने अपना योगदान दिया था। जिनमें सुभाष चंद्र बोस का नाम भी अग्रणी है। सुभाष चन्द्र बोस ने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा था। 

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सुभाष चंद्र बोस ने गांधीजी को दीमहात्माकी उपाधि

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अपनी अनवरत क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण अंग्रेजी सरकार की आँखों की करच बन चुके थे। अंग्रेजी सकार ने  27 जुलाई, 1940 को बिना कोई मुकदमा चलाये, अलीपुर जेल में डाल दियाअंग्रेजी सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस को 5 जनवरी, 1940 को जेल से रिहा तो कर दिया था। उन्होंने जर्मन सरकार के सहयोग से ‘वर्किंग ग्रुप इंडिया’ की स्थापना की थी। 

कुछ समय बाद ‘विशेष भारत विभाग’ में तब्दील हो गया। 22 मई, 1942 को जर्मनी के सर्वोच्च नेता हिटलर से मुलाकात की सुभाषचंद्र बोस ने अपने जीवन के 12 साल कारावास में बिताये थे। उन्होंने भारत की रक्षा के लिए बहुत योग दान दिया है। उनको भारत देश में जन्म हुआ उस बात का उन्हें बहुत गर्व महसूस होता है। सुभाषचंद्र बोस ने सर्व प्रथम 1921 में 6 महीने का कारावास अकेले बिताया था अनेक बार उनको कारावास जाना पड़ा था ।

जनवरी 1942 में उन्होंने रेडियो बर्लिन से प्रसारण करना शुरू किया जिससे भारत के लोगों में उत्साह बढ़ा। वर्ष 1943 में वो जर्मनी से सिंगापुर आए। पूर्वी एशिया पहुंचकर उन्होंने रास बिहारी बोस से ‘स्वतंत्रता आन्दोलन’ का कमान लिया। सुभाषचंद्र बोस को असहाय लोगों की मदद करके खुशी मिलती थी। 1925 में गोपीनाथ साहा नाम के एक कांतिकारी कोलकाता ना पुलिस अधीक्षक चालस टेगाड ने को मारना चाहते थे। 

इंडियन नेशनल आर्मी (INA) –

संन 1939 में द्वितीय विश्व युध्य चल रहा था, तब नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो को उपर दबाब पड़े और वह अपना भारत देश छोडकर चले जाएँ। जनता उनकी रिहाई की मांग करने लगे. तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा था इस दौरान 1941 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अपने भतीजे शिशिर की मदद से वहां से भाग निकले थे। 

कलकत्ता नगर निगम का अध्यक्ष रहने के दौरान जब सुभाष बाबू को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें बहुत ही गंभीर बीमारी की हालत में रिहा किया गया। सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजों को 6 महीने में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया। सुभाष के इस रवैय्ये का विरोध गांधीजी समेत कांग्रेस के अन्य लोगों ने भी किया जिसके कारण सुभाषचंद्र बोस ने उनके अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया

उन्होंने ऐक ‘फॉरवर्ड ब्लाक’ की स्थापना की सुभाषचंद्र बोस सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे.और फिर इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले थे। 1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे. यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे।  

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सुभाषचंद्र बोस और महात्मा गाँधी

नेताजी सभाषचंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच के वैचारिक भेद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने वाले लोग अक्सर 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव वाला प्रसंग जरूर याद दिलाएंगे। यह संदेश चार फरवरी, 1939 को ‘यंग इंडिया’ में छपा था। महात्मा गांधीजी कहते हे की ‘इस हार से मैं खुश हूं.. सुभाष बाबू अब उन लोगों की कृपा के सहारे अध्यक्ष नहीं बने हैं। जिन्हें अल्पमत गुट वाले लोग दक्षिणपंथी कहते हैं, बल्कि चुनाव में जीतकर अध्यक्ष बने हैं। 

हमारा काम तो यह देखना है। कि हमारा उद्देश्य महान हो और सही हो। सफलता यानी कामयाबी हासिल कर लेना हर किसी की किस्मत में नहीं लिखा होता। सुभाषचंद्र बोस अपनी कमी को स्वीकारते और उसे सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करते थे | सुभाष चन्द्र बोस पढ़ाई में बहुत होशियार थे। सारे विषयों में उनके अच्छे अंक आते थे किन्तु बंगाली भाषा में वह कुछ कमजोर थे। 

Subhash Chandra Bose Death – 

1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया। लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी।  कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। उनकी मृत्यु ताईवान में हो गयी। परंतु उसका दुर्घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिल सका। (subhash chandra bose death mystery)सुभाष चंद्र की मृत्यु आज भी विवाद का विषय है और भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा संशय है। 

17 जनवरी, 1941 को जब सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता के अपने एल्गिन रोड वाले मकान से किसी को कुछ बताए बिना गायब हो गयें | सुभाष चन्द्र बोस ने किस समय घर छोड़कर गए थे। इसका कुछ पता नहीं। पिछले तीन दिनों से बहुत कोशिश करने के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली। परिस्थितियों से लगता है कि उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया है। 

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Subhash Chandra Bose Biography Video –

सुभाष चंद्र बोस के रोचक तथ्य –  

  • एकबार अंजानेमे ऐक अनस्ट टे नाम के व्यापारीको उन्होंने गोली मारकर उनकी हत्या करदी।
  • उसके लिए उनको फाँसी की सजा दी गई थी।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जोड़ने के लिए।
  • उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया और आपने मिशन को सफल बनाने के लिए वीडियो का इस्तेमाल करते थे। 
  • अब आजाद हिन्द फ़ौज भारत की ओर बढ़ने लगी और तब सबसे पहले अंदमान और निकोबार को आजाद किया गया। 
  • सुभाष चंद्र बोस का परिवार हिन्दू कायस्थ था।
  • 4 जून, 1925 को ‘यंग इंडिया’ में महात्मा गांधी जब बाढ़ राहत के संदर्भ में एक लेख लिखते हैं।
  • तो ऐसे कार्यों में सबसे दक्ष नेतृत्व के रूप में उन्हें सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस की याद आती है। 
  • subhash chandra bose wife का नाम Emilie Schenkl था।

Subhash Chandra Bose Biography Questions –

1 .netaajee subhaash chandr bos par bhaashan kya hai ?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भाषण तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा बहुत प्रचलित है। 

2 .subhaash chandr bos par kavita kisane likhee hai ?

सुभाष चंद्र बोस पर कविता गोपाल प्रसाद व्यास ने लिखी है। 

3 .subhaash chandr bos kee mrtyu kaise huee ?

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु एक प्लेन दुर्घटना में  हुई थी। 

4 .subhaash chandr bos kee samaadhi kaha hai ?

सुभाष चंद्र बोस की समाधि Renkō-ji, Tokyo, Japan में उपस्थित है। 

5 .netaajee subhaash chandr bos ne 1939 mein kis paartee ka gathan kiya tha ?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में कांग्रेस में फॉरवर्ड ब्लाक का गठन किया था।

6 .subhaash chandr bos naam ke ek raajaneta 2019 mein kis raajy ke mukhyamantree bane hai ?

सुभाष चंद्र बोस नाम के एक राजनेता 2019 में आंध्र प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री बने है।

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Conclusion –

आपको मेरा  आर्टिकल subhash chandra bose ki jivani बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने subhash chandra bose quotes और subhash chandra bose history से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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