Maharana Pratap Biography In Hindi - महाराणा प्रताप की जीवनी

Maharana Pratap Biography In Hindi – महाराणा प्रताप की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Maharana Pratap Biography In Hindi बताने वाले है। जिनकी बहादुरी ओरे पराक्रम से दिल्ही बादशाह अकबर भी कांपने लगता था। 

मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। आज हम maharana pratap vs akbar के युद्ध ,maharana pratap family और maharana pratap ki story से जुडी सभी बातो से वाकिफ कराने वाले है। maharana  pratap sword weight 80 किलोग्राम था। maharana pratap height in feet 2.26 m बताई जाती है। 

महाराणा प्रताप की कथा सदियों सदियों तक इतिहास के पन्नो पे। और भारत की शौर्य गाथाओ में गूजती रहेगी। क्योकि महाराणा प्रताप इतने बहादुर और प्रतापी शाशक थे। की उनके राज्य की और हमला तो ठीक लेकिन कोई आंख उठाके देखने बह नहीं चाहता था। उन्होंने कई वक्त युद्ध के मैदान में अकबर जैसे दिल्ही सल्तनज को करारी हर का सामना करवाया था। चलिए दोस्तों हम आपको maharana pratap ka jivan parichay बताते हे। 

Maharana Pratap Biography In Hindi –

नाम  महाराणा प्रताप
जन्म  9 मई, 1540
पिता  उदयसिंह
माता  महाराणी जयवंताबाई
भाई  शक्ति सिंह
जन्मस्थान  राजस्थान के कुंभलगढ़
राजवंश  सिसोदिया
कुल देवता  एकलिंग महादेव
घोड़ा  चेतक

दिल्ली की सल्तनज – Delhi Sultanaj

Maharana Pratap महाराणा प्रताप के प्राचीन काल समय दिल्ली पर मुगल सम्राट अकबर का शासन था। दिल्ली के मुगल सम्राट अकबर जो भारत के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य की स्थापना कर  इस्लामिक परचम को पूरे हिन्दुस्तान में फहराना चाहता था। लेकिन मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप ने 30 वर्षों के लगातारअकबर के प्रयास के बावजूद महाराणा प्रताप ने अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की। जिसकी आस लिए ही वह इस दुनिया से चला गया था। 

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महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक –

bharat ka veer putra maharana pratap के समय काल दरमियान दिल्ली पर मुगल बादशाह अकबर का शासन था। मेवाड़ के राजा उदयसिह ने मेवाड़ और दिल्ली ऐसी बहुत सारी जगह पर अपनी हुकूमत चलाई थी। अपनी मृत्यू से पहले उदय सिंगने उनकी सबसे छोटी पत्नीका बेटा जगम्मलको राजा घोषित किया था। जबकि प्रताप सिंह जगम्मलसे बडे थे। लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था। और आखिरकार में महाराणा प्रताप को मेवाड़ का और दिल्ली का राज्यअभिषेक उनके नाम पर हुआ था। दिल्ली और मेवाड़ महाराणा प्रताप ने अपनी हकूमत चलाई थी। 

महाराणा प्रताप का आरंभिकजीवन – 

 राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे । महाराणा प्रताप सिंह का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ इस दौरान राजकुमार प्रताप को मेवाड़ के 54वे शाषक के साथ महाराणा का ख़िताब मिला

महाराणा प्रताप का  बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे –

संन 1567 में जब राजकुमार प्रताप को उत्तराधिकारी बनाया गया तब उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी और मुगल सेनाओ ने चित्तोड़ को चारो और से घेर लिया था। महाराणा प्रताप अपनी हिम्मत और अकल मंडी से पूरी बाजी को पलट के रख दिया और उन्होंने मुगल सेना को चारों ओर से गेरकर कर चित्तौड़ से भगा भगा के मारा था।  राणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| भाले का वजन 80 किलो था उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 262 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए के लड़ते थे और उसके बावजूद भी वह युध में विजय प्राप्त करते थे। 

महाराणा प्रताप सिंह जस उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित। विशाल मुग़ल सेनाओ को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया। वे वास्तव में जटिल थी मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किन्तु महाराणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया। 

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महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक – Maharana Pratap Chetak Horse 

 राणा प्रताप की वीरता के साथ साथ उनके घोड़े चेतक की वीरता भी विश्व विख्यात है महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था..महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है। 

 Maharana Pratap Battle of Haldighati –

यह युद्ध 18 जून 1576 को लगभग 4 घंटों के लिए हुआ हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच में हुआ था। महाराणा प्रताप के पास करीबन 20 हजार तक सेना थी हल्दीघाटी का युद्ध भारत के इतिहास की एक मुख्य घटना है। इस युद्ध में कुल 20000 महारण प्रताप के राजपूतों का सामना अकबर की कुल 80000 मुग़ल सेना के साथ हुआ था जो की एक अद्वितीय बात है। Maharana Pratap हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर दोनों की आपस में बहुत ही खतरनाक युद्ध हुआ था।

करीबन हल्दीघाटी का युद्ध 4 घंटे तक चला था और उसमें किसी की भी विजय नहीं हुई थी लेकिन दोस्तों ऐसा माना जाता है। कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का विजय हुआ था मेवाड और मुगलों में घमासान युद्ध हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व एक मात्र मुस्लिम सरदार हाकिम खान सूरी ने किया और मुग़ल सेना का नेतृत्व मानसिंह तथा आसफ खाँ ने किया था। 

महाराणा प्रताप की जीवन से जुडी बाते – Talk about Maharana Pratap’s life

 राणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे। चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है। तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए। maharana pratap singh के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था हालांकि हल्दीघाटी के इसी युद्ध में घायल होने से चेतक की मौत हुई थी महाराणा प्रताप के भले का बजन 82 किलो था और युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे। महाराणा प्रताप ने भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर प्रतिज्ञा ली थी कि जिंदगीभर उनके मुख से अकबर के लिए सिर्फ तुर्क ही निकलेगा और वे कभी अकबर को अपना बादशाह नहीं मानेंगे। 

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महाराणा प्रताप की पत्निया – Maharana Pratap Wife

  •  सोलनखिनीपुर बाई
  • फूलबाई राठौर
  • जसोबाई चौहान
  • शहमति बाई हाडा
  • अलमदेबाई चौहान
  • रत्नावती बाई परमार
  • लखाबाई
  • चंपाबाई जंथी
  • अमरबाई राठौर
  • खीचर आशाबाई
  • महारानी अजबदे पंवार

महाराणा प्रताप की मृत्यु – Maharana Pratap Death

महाराणा प्रताप की मृत्यु अपनी राजधानी चावंड में हुई थी। धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज करवाया लेकिन तबियत में ज्यादा सुधार नहीं आया। इस वाज से महाराणा प्रताप की मोत 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को हो गई थी। महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर के पेरो से जमींन खिसक गई। 

क्योकि मुग़ल बादशाह अकबर को पहली बार उससे भी ज्यादा हिम्मत वाला और अकबर को हारने वाला पहेला वीर योद्धा मिलता था। उनकी मौत से अकबर राजा को बहुत ही दुख हुआ था। महाराणा प्रताप ने 57 वर्ष तक राज किया लेकिन मरते दम  तक उन्होंने किसी के सामने हार नहीं मानी और ना ही तो किसी की गुलामी किए। वह अपनी जिंदगी बहुत ही खुमारी और विरत से व्यतीत करने वाले महाराजा थे।  

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Maharana pratap History video –

महाराणा प्रताप के रोचक तथ्य –

  • महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि 19 जनवरी है। 
  • श्यामनारायण पांडेय ने कविता ‘हल्दी घाटी का युद्ध’ में महाराणा प्रताप का वर्णन अच्छे शब्दों के साथ किया है।
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु धनुष की डोर खींचते वक्त आँत में चोट लगने के कारण मृत्यु हो गई। 
  • अकबर महाराणा प्रताप की मृत्यु को सुनकर बहुत दुखी हुआ था।
  •  राणा प्रताप, मेवाड़ के 13 वें राजपूत राजा थे। उनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत परिवार में हुआ था।

महाराणा प्रताप प्रश्न –

1 . maharana pratap ki mrityu kaise hui ?

राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से आंत में लगने के कारन महाराणा प्रताप की मोत हुई थी। 

2 . महाराणा प्रताप बच्चे के नाम बताये ?

अमर सिंह,कुँवर दुर्जन सिंह,भगवान दास,शेख सिंह,कुंवर रायभान सिंह,चंदा सिंह,कुंवर हाथी सिंह,कुँवर नाथ सिंह,कुँवर कल्याण दास,सहस मल,कुंवर जसवंत सिंह,कुंवर पुराण मल,कुँवर गोपाल,कुंवर सांवल दास सिंह,कुंवर राम सिंह और कुंवर माल सिंह। 

3 . महाराणा प्रताप के गुरु कौन थे ?

महाराणा प्रताप के गुरु राघवेन्द्र थे। 

4 . maharana pratap father name क्या था ?

महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदयसिंह था। 

5 . महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था ?

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 के दिन हुआ था। 

6 . महाराणा प्रताप की ऊंचाई कितनी है ?

महाराणा प्रताप की ऊंचाई 2.26 m थी । 

7. महाराणा प्रताप की जाती क्या है ?

maharana pratap cast सिसोदिया है।

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Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने maharana pratap weight और महाराणा प्रताप बच्चे से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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