Tanaji Malusare Biography In Hindi | तानाजी मालुसरे का जीवन परिचय

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है , आज हम Tanaji Malusare Biography In Hindi (Tanaji story in hindi) में भारत देश को अंग्रेजो से बचाने वाले तानाजी मालुसरे का जीवन परिचय बताने वाले है। 

हमारे भारतवर्ष में एक से बढ़कर एक वीर योद्धा ने जन्म लिया है एव जिन्होंने अपने मातृभूमि के लिए बड़ी से बड़ी लड़ाइयां लड़ कर भारत के इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया हुआ है आज ऐसे ही एक वीर और प्रतापी योद्धा tanhaji real story में सभी को tanaji malusare son ,rayaba malusare और तानाजी मालुसरे इतिहास में अपना नाम कर दिखाया है Tanaji biography in hindi की कहानी प्रस्तुत है। 

आज हम जिस वीर योद्धा की बात कर रहे हैं वह मराठा साम्राज्य से जुड़े हुए हैं। वीर छत्रपति शिवाजी राव के बारे में तो आपने सुना ही होगा उनके काल में उन्होंने ढेरों लड़ाइयां लड़ी और उन्हें जीतकर सिर्फ अपने राज्य की रक्षा ही नहीं लेकिन प्रजाहित के कार्य भी किये और उनका बहुत प्यार पाया है। तो चलिए आपको ले चलते है इस महान इन्सान तानाजी मालुसरे की जीवनी से रूबरू करवाते है।

Tanaji Malusare Biography in Hindi –

नाम  तानाजी मालुसरे
जन्म  सन 1600
जन्म स्थान गोन्दोली गॉव, सतारा जिला, महाराष्ट्र
पिता सरदार कलौजी
माता पार्वती बाई
पत्नी सावित्री मालुसरे
बेटा रायबा मालुसरे
पेशा वीर सिपाही
शैली मराठा साम्राज्य का सूबेदार
प्रसिद्धि की मुख्य वजह सिंहगढ़ ( कोंढाणा किला ) का युद्ध
Tanhaji cast (Tanaji malusare cast) कोली
गृहनगर सातारा
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पसंद  सैन्य प्रदर्शन
मृत्यु सन 1670

Tanaji Malusare का जन्म और बचपन –

मराठा साम्राज्य में वीर योद्धा तानाजी मालुसरे का जन्म 1600 ईसवीं में हुआ था। उनका जन्म महाराष्ट्र के ही एक छोटे से गांव जो सातारा जिले में आता था उस गांव का नाम गोदोली में हुआ था। तानाजी के पिता सरदार कलोजी और माता पार्वती बाई कलोजी थी वे दोनों ही एक हिंदू कोली परिवार से ताल्लुक रखते थे। तानाजी को बचपन से ही बच्चों की तरह खेल खेलने का नहीं बल्कि तलवारबाजी का शौक रहा था

जिसके चलते वे छत्रपति शिवाजी से मिले और बचपन से ही उनके मित्र बन गए। उनकी वीरता के चर्चे दूर-दूर तक हुआ करते थे और उनकी वीरता के चलते ही उन्हें मराठा साम्राज्य में एक उच्च पद के रूप में मुख्य सूबेदार के रूप में नियुक्त कर दिए गए। Tanaji Malusare और शिवाजी की मित्रता बचपन से ही इतनी घनिष्ठ थी कि दोनों एक-दूसरे के बिना कोई भी काम करते नहीं थे भले ही वे युद्ध में लड़ना क्यों ना हो। 

Tanaji history in hindi में आपको बतादे की औरंगजेब के खिलाफ उन दोनों ने युद्ध में हिस्सा लिया और युद्ध के दौरान ही औरंगजेब के द्वारा उन्हें बंदी बना लिया गया। बाद में दोनों ने मिलकर योजना बनाई और औरंगजेब के किले से वे दोनों एक साथ भाग निकले।

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मराठा साम्राज्य में Tanaji Malusare का महत्वपूर्ण योगदान –

सूबेदार के रूप में मराठा साम्राज्य के लिए तानाजी ने सदैव ही अपने महत्वपूर्ण योगदान को निभाते हुए अपना समर्पण दिखाया। उन्होंने देश के हालातों को देखते हुए बचपन में ही देश को पूर्ण स्वराज कराने की कसम धारण कर ली थी। बस फिर क्या था वे अपनी इस कसम को पूरा करने के लिए युद्ध के मैदान में उतर चले। इतिहास के पन्नों में उन्हें कोंडाणा किले के युद्ध मे लहराए गए अपने परचम को लेकर एक अहम स्थान मिला था ।

Tanaji Malusare ने जीजाबाई की प्रतिज्ञा का किया सम्मान –

Tanhaji history in hindi में सबको बतादे की उस समय शिवाजी की ओर से Veer Tanaji Malusare को यह संदेश मिला कि माता जीजाबाई ने यह प्रतिज्ञा की है कि जब तक वह कोडाना किले को मराठा साम्राज्य में शामिल नहीं कर लेती तब तक वह अन्न जल का त्याग करती हैं। उनकी यह प्रतिज्ञा तुरंत ही शिवाजी द्वारा तानाजी तक पहुंचाई गई और जैसे ही तानाजी को यह बात पता चली वह घर में चल रही अपने पुत्र के विवाह उत्सव की तैयारियों को छोड़कर माता जीजाबाई की प्रतिज्ञा को पूरी करने निकल पड़े।

क्यों हुआ था सिंहगढ़ का युद्ध? –

17वीं शताब्दी में मुगल और मराठा सेनाएं एकदूसरे के आमने-सामने थीं. हिंदुस्तान के ज्यादा से ज्यादा हिस्से पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच युद्ध होते रहते थे. कहा जाता है कि उस वक्त मराठा साम्राज्य के कब्जे में करीब 23 महत्वपूर्ण और विशालकाय किले थे। मुगल साम्राज्य इन पर अपना आधिपत्य चाहता था।

1665 में मुगल सेना के राजपूत कमांडर जय सिंह ने शिवाजी महाराज को पुरंदर के किले में घेर लिया। इसके बाद मराठा साम्राज्य के साथ मुगलों की सेना ने जबरन पुरंदर का समझौता करवाया. इस समझौते के मुताबिक शिवाजी महाराज को पुरंदर, लोहागढ़, तुंग, तिकोना और सिंहगढ़ के किले को मुगल साम्राज्य को सौंपना था। 

सिंहगढ़ किले को लेकर क्यों हुआ विवाद –

इन सारे किलों में सिंहगढ़ का किला सबसे महत्वपूर्ण था ,इसे पूरे पश्चिमी इलाके की राजधानी के बतौर देखा जाता था. जिसका भी इस किले पर आधिपत्य होगा वही पूरे पश्चिमी इलाके पर राज कर सकता था। इसके बाद पुरंदर किले का नंबर आता था. इसलिए जयसिंह का कहना था कि सिंहगढ़ पहला किला होगा, जिसे शिवाजी महाराज मुगल साम्राज्य को सौंपेंगे। 

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शिवाजी जब बातचीत करने पहुंचे तो औरंगजेब ने बना लिया बंदी –

पुरंदर समझौते के मुताबिक मुगल साम्राज्य से बातचीत करने के लिए शिवाजी महाराज आगरा पहुंचे. लेकिन मुगल बादशाह औरंगजेब ने धोखे से शिवाजी को नजरबंद कर दिया था। किसी तरह से मुगल सेना को चकमा देकर शिवाजी महाराज महाराष्ट्र पहुंचने में कामयाब रहे. इसके बाद शिवाजी महाराज ने मुगलों से अपने किलों की वापसी का अभियान शुरू किया। 

Tanaji Malusare को सिंहगढ़ पर कब्जे की दी जिम्मेदारी –

शिवाजी महाराज ने सिंहगढ़ पर कब्जे की जिम्मेदारी अपने विश्वासपात्र सेनापति तान्हाजी मालुसरे को दी ,इस अभियान में तान्हाजी के साथ उनके भाई सूर्याजी भी थे ,सिंहगढ़ किला मुगल कमांडर उदय भान के कब्जे में था. फिल्म में उदयभान का रोल सैफ अली खान कर रहे हैं। सिंहगढ़ पर कब्जा करना आसान नहीं था ,इसके लिए किले की दीवारों पर सीधी चढ़ाई चढ़नी थी और फिर दुश्मन को परास्त कर युद्ध में जीत हासिल करनी थी। 

शिवाजी को मालूम था कि सारे किलों पर फतह हासिल नहीं की जा सकती ,सिंहगढ़ किले पर कब्जे के लिए भी इसी तरह की सीधी चढ़ाई चढ़नी थी. इसके बाद मेन गेट पर पहुंच कर किले के फाटक को खोलना था. मराठा सेना के लिए ये आसान नहीं था

Tanaji Malusare पुत्र का विवाह छोड़ निकले युद्ध पर – 

तानाजी ने युद्ध के लिए प्रस्थान करने की योजना बनाई तब उस समय उनके पुत्र रायबा का विवाह था। परंतु देश के लिए लड़ने वाले सैनिकों को अपने परिवार से कहीं अधिक अपना देश प्यारा होता है। अपने देश को ही अपना परिवार मानकर प्राथमिकता देते हैं ऐसा ही कुछ तानाजी ने किया जब वह अपने बेटे के विवाह को छोड़कर युद्ध की ओर प्रस्थान कर गए।

तानाजी और उनकी सेना में स्वराज का भूत चढ़ा था कि किसी भी हालत में कोंडाना किले को अपने नाम करना । रात के काले घने अंधेरे में उन्होंने कोंडाणा किले को अपने सैनिकों के साथ मिलकर चारों तरफ से घेर लिया और धीरे-धीरे सारे सैनिक महल के अंदर जा घुसे। उस किले की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि उसमें किसी का भी घुस पाना मुश्किल था। लेकिन तानाजी की चतुर और चालाक बुद्धि की मदद से पूरी सेना के साथ मिलकर किले पर घमासान आक्रमण कर दिया।

उनके इस आक्रमण ने मुगल सैनिकों को पलभर के लिए भी समझने का मौका नहीं दिया। मुगल सैनिकों को इस बात का अंदाजा तक नहीं हुआ कि उन पर यह हमला कैसे और किस तरफ से हुआ है वे इस बात को समझ पाते इससे पहले ही मराठा सेना उन पर पूरी तरह से टूट पड़ी। बहुत ही वीरता के साथ तानाजी ने यह युद्ध लड़ा और आखिर में युद्ध लड़ते लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। अगर आपको तानाजी मालुसरे वंशावळ hindi जानना है तो हमें जरूर बताये। 

कोंडाणा किले का युद्ध –

अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने छत्रपति शिवाजी के साथ बहुत युद्ध लड़े भी और उनमें जीत भी हासिल की। सिंह गढ़ का यह युद्ध उन्होंने अपनी जान देकर जीत लिया और इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम भी दर्ज करा लिया। जब यह वीरगति को प्राप्त हो गए तो यह युद्ध वहीं पर नहीं थमा उनके मामा और उनके भाई ने मिलकर इस युद्ध को पूरा लड़ा और आखिर में जीत प्राप्त करके कोंडाणा किले पर अपना स्वामित्व हासिल कर लिया वहां पर मराठा झंडा लहरा कर अपनी जीत को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ फैला दिया।

उनकी मृत्यु की बात जब शिवाजी तक पहुंची तब उन्होंने बेहद अधिक शौक के साथ यही कहा कि किला तो जीत लिया परंतु हमने मराठा साम्राज्य का एक वीर शेर खो दिया। तानाजी की याद में उस किले को सिंह गढ़ के किले के नाम से पहचान दी गई। तानाजी के युद्ध पराक्रम में उनका साथ उनके भाई सूर्या जी माला सूर्य और मामा शेलार ने उनका साथ दिया और उन दोनों की वीरता ने भी उन्हें इतिहास के सुनहरे पन्नों में रोशन कर दिया।

कोंडाना किले की इस लड़ाई को जीतने के लिए तानाजी ने 5000 मुगल सैनिकों के लिए सिर्फ 342 सैनिक चुने जिन्होंने अपनी वीरता का पराक्रम दिखाते हुए उसके लिए पर अपना विजय परचम लहराया। मराठा साम्राज्य के वीर सैनिक सदैव ही देश के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं उन्हीं में से एक तानाजी मालेसुर भी रहे।

प्रतिष्ठाएँ –

तानाजी के इस पराक्रम को सराहाते हुए शिवाजी ने पुणे और उसके आसपास के क्षेत्र में उनकी कई सारी प्रतिष्ठाएँ स्थापित कराई। जो आज भी इतिहास के सुनहरे पन्नों को रोशन करती हैं और वहां पर रहने वाले लोगों को गर्व व सम्मान से जीने का हक देती है। तानाजी की जीत के बाद उनको सम्मान व श्रद्धांजलि देते हुए पुणे में स्थित वाकडेवाडी’ नामक स्थान का नाम बदलकर ‘नरबीर तानाजी’ रखा गया।

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कोंढ़ाणा (सिंह गढ़) किले का इतिहास –

यह एक प्राचीन पहाड़ी किला है | पूर्व समय में यह किला कोंढ़ाणा के नाम से जाना जाता था | सिंहगढ़ का यह एतिहासिक किला महाराष्ट्र राज्य में पुणे शहर से 30 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में स्थित है | इसे करीब 2000 वर्ष पहले निर्मित किया गया था |

सिंहगढ़ का युद्ध –

तानाजी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण युद्धों में एक युद्ध था सिंहगढ़ का युद्ध ( कोढ़ाणा ) 1670 में मराठा साम्राज्य व मुगलो के बीच लड़ा गया। युद्ध की शुरुआत होने वाली तब तानाजी अपनी पुत्री के विवाह में व्यस्त थें। विवाह के बीच ही जब उनके पास मराठा साम्राज्य से इस युद्ध की जानकारी मिली तब वो उसी क्षण अपने मामा शेलार मामा के साथ इस युद्ध में मराठा सेना को मजबूती देने निकल जाते है। मराठा सम्राठ शिवाजी हर हालात में इस किले को एक बार पुनः हासिल करना चाहते थें। युद्ध की शुरुआत से पहले शिवाजी महाराज तानाजी को कहते है की “ कोढाणा किले को मुगलो की कैद से मुक्त कराना अब इज्जत बन गया है। यदि हम इस किले को हासिल नही कर पाएं तो आने वाली पीढ़ियां उन पर हंसेगी की हम हिंदू अपना घर भी मुगलो से मुक्त नही करा पाएं।

तानाजी मालसुरे की कसम –

यह बात तानाजी ने सुनी ने तभी कसम खाई की अब उनके जीवन का उदेश्य केवल कोढाणा किले को हासिल करना है। कोढ़ाना किले की बनावट कुछ इस तरह से थी की हमला करने वाली सेना को सबसे ज्यादा विपरीत परिस्थियों का सामना करना पड़ता था। शिवाजी इस किले को हर परिस्थिती भुलाकर इसे जितना चाहतें थें।  किले पर करीब 5000 हजार मुगल सैनिको का पहरा था व किलें सुरक्षा का जिम्मा उदयभान राठौर के हाथों में था। उदयभान (Udaybhan rathod) थे तो एक हिंदू शासक लेकिन सत्ता की लालसा के कारण मुस्लिम बन गए। इस परिस्थितियों में कोढणा किले का एक ही भाग ऐसा था जहां से मराठा सेना आसानी से किले में प्रवेश कर सकें और वो भाग था किले की ऊंची पहांडीयों का पश्चिमी भाग।

युद्ध की रणनिति –

तानाजी की रणनीती के अनुसार उन्होंने यह तय किया की वो पश्चिमी भाग की चट्टानों पर गोहपड की सहायता से चढ़कर किले की सुरक्षा को भेदेगें। गोहपड़ लकड़ी व रस्सी की सहायता से बनाई जाती है। जो गोह नामक चिपकली की तरह होती है यह एक बार में मुश्किल से मुश्किल चट्टान से चिपक जाती है। तानाजी के कोढणा किले में प्रवेश करने के बाद मराठा सेना एक के बाद एक किले में प्रवेश कर जाते है।

विर तानाजी की गोहपड़ का नाम यशंवंती था। मुगल से कोढणा किले को मुक्त कराने के लिए करीब 342 सैनिको के साथ तानाजी किले में प्रवेश कर जाते है। किले में सुरक्षा के लिए तैनात मुगल सेनापती उदयभान को इस बात की भनक लग जाती है और कोढणा किले में मुगल व मराठा सैनिको के बीच भंयकर युद्ध होता है।तानाजी जब सैनिको का सामना कर रहें होते है तब अचानक युदयभान हमला कर उनकी की हत्या कर देता है।

तानाजी की मौत का बदला उनके शेलार मामा ने उदयभान को मौत की घाट उतार कर लिया। अतः में जंग समाप्त होती है और एक बार फिर कोढ़णा किले पर मराठा साम्राज्य का अधिकार होता है। कोढणा किले को जीतने के बाद मराठा सम्राट शिवाजी किले की जीत के बाद भी दुखी हो गए और बोले “ गढ़ आला पण सिंह गेला ” यानी गढ़ तो जीत लिया लेकिन मेरा सिंह तानाजी मुझे छोड़ कर चला गया ”

युद्ध में घोरपड़ की भूमिका –

तानाजी नें किले की उस दिशा से अंदर प्रवेश करने के लिए कुल तीन प्रयास किए।

जिनमें से दो विफल रहे | उसके बाद तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिल गयी।

उन्होंने “घोरपड़” की मदद से खड़ी चट्टान की चढ़ाई की,घोरपड़ एक प्रकार की छिद्रित मोनिटर छिपकली ( monitor lizard )होती है। 

रस्सी की सहाय से उसे दीवार पर चिपका कर खड़ी चढ़ाई संभव होती है।

उस छिपकली का नाम “यशवंती” रखा गया था।  तानाजी नें इसी युक्ति के बल पर किले में प्रवेश किया। 

हालांकि सभी इतिहासकार इस बात को लेकर एकमत नहीं हैं। 

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Tanaji Malusare का दिलेर युद्ध कौशल –

युद्ध में तानाजी की ढाल टूट गई | तब उन्होंने अपना सिर का फेटा (पगड़ी को) खोल लिया। 

और उसे अपने दूसरे हाथ में लपेट लिया ताकि उसे ढाल की तरह इस्तमाल कर सकें। 

उन्होंने एक हाथ से तीव्र गति से तलवार चलाई और दूसरे हाथ पर शत्रु की तलवार के घाव लिए |

सूर्याजी मालसुरे का आक्रमण –

सूर्याजी मालसुरे तानाजी के छोटे भाई थे, उन्होंने कोंढाणा (सिंह गढ़) की लड़ाई में

500 सैनिकों के साथ कल्याण द्वार से मोरचा संभाला | उन्होंने बड़ी वीरता से मुघलों को खदेड़ दिया

और किले पर विजय का ध्वज लहराया |

Tanaji Malusare की मृत्यू – 

Tanaji hindi में आपको कह्देते की वह सबसे ज्यादा घमासान युद्ध तानाजी मालुसरे और उदयभान के बीच में हुआ इस लड़ाई में उदयभान राठौर ने वीर योद्धा तानाजी पर छल करके वार किया। जिस कारण तानाजी गंभीर रूप से घायल हो गए और मृत्यु को प्राप्त कर गए। Tanaji Malusare के शेलार मामा यह नहीं देख पाए और उदयभान को मौत के घाट उतार दिया तथा तानाजी की मौत का बदला लेकर वीरता का परिचय दिया।

तानाजी के छोटे भाई सूर्याजी मालुसरे की मृत्यु – यह तो आप जान चुके हैं कि सूर्याची मालुसरे तानाजी के छोटे भाई थे। उन्होंने कल्याण द्वार में से मोर्चा संभाला था। सूर्यजी मालुसरे ने भी मुगलों के साथ उन्हें खदेड़ कर किले पर विजय प्राप्त कर वीरता का परिचय दिया।

वीर तानाजी की याद में स्मारक –

मुगलों के अधिन से कोढ़ना किले से मुक्त कराने के बाद शिवाजी महाराज ने

कोढ़ना किले का नाम बदलकर अपने मित्र की याद में सिंहगढ़ रख दिया।

साथ ही पुणे नगर के “ वाकडेवाडी ” का नाम “ नरबीर तानाजी वाडी ” रख दिया।

तानाजी की वीरता को देखते हुए शिवाजी ने उनकी याद में महाराष्ट्र में उनकी याद में कई स्मारक स्थापित किए।

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सिंह गढ़ किले का एतिहासिक घटना क्रम –

  • ईस्वी 1328 में दिल्ली राज्य के सम्राट “मुहम्मद बिन तुगलक” ने
  • कोली आदिवासी सरदार नाग नायक से किले पर कब्जा कर लिया
  • शिवाजी के पिता संभाजी भोसले इब्राहीम आदिल शाह प्रथम के सेनापति थे |
  • उनके हाथ में पुणे का नियंत्रण था, स्वराज्य स्थापना हेतु उन्होंने आदिल शाह के सुभेदार सिद्दी अम्बर को परास्त किया।
  • और कोंढ़ाणा (अब सिंह गढ़) किला जीत लिया |
  • इसवी 1647 में छत्रपति शिवाजी ने किले का नाम सिंह गढ़ किया |
  • 1649 में शाहजी महाराज को आदिल शाह की कैद से आज़ाद कराने के लिए सिंह गढ़ किला छोड़ना पड़ा |
  • 1670 इसवी में शाहजी और शिवाजी महाराज नें मिल कर सिंह गढ़ किला फिर से अर्जित कर लिया |
  • संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, एक बार फिर मुग़लों नें यह किला फ़तेह किया |
  • इसवी 1693 में मराठों नें “सरदार बलकवडे” के कुशल नेतृत्व की वजह से सिंह गढ़ किले को जित लिया |
  • 1703 में औरंगजेब नें यह किला जीता। 
  • तीन वर्ष बाद, संगोला, पतांजी शिवदेव और विसाजी चापरा की
  • कुशल युद्धनिति के कारण मराठों नें यह किला जित लिया |
  • इसवी 1818 तक इस किले पर मराठा साम्राज्य का आधिपत्य रहा |
  • उसके बाद अंग्रेजों नें यह किला जित लिया |
  • उन्हें यह कठिन कार्य अंजाम देने के लिए करी 90 दिन लगे |

Tanhaji Movie –

बॉलीवुड की Tanhaji full movie शिवाजी महाराज के मित्र और सेनापति  तानाजी मालुसरे के जीवन पर आधारित थी। एक सामान्य व्यक्ति से सैनिक की कहानी को राष्ट्रीय स्तर  पर उजागर करने का श्रेय फिल्मनिर्माता को मिलता है। किन्तु सिनेमा ने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों से भी छेड़खानी करदी है वह सही नहीं है। इतिहास को तोड़-मरोड़कर के नहीं दिखा सकते है। दूसरी और देखा जाये तो फिल्म बहुत इंट्रस्टिंग है आपको भी अगर ऐसे महान और वीर प्रतापी सेनापति के बारे मे जानना है। तो आपभी यह फिल्म देख सकते है उसमे अजय देवगन साहब ने तानाजी का किरदार निभाया हुआ है। 

Tanhaji story Video –

Tanaji Malusare और शिवाजी महराज से जुड़े रोचक तथ्य –

  • जब मुग़ल सेना शिवाजी महाराज की खोज में लगी थी। 
  • इस लिए शिवाजी वेश बदल कर रहते थे। 
  • कुछ समय बाद विचरण करते हुए वह एक गरीब ब्राह्मण के घर पहुंचे |
  • यह व्यक्ति अपनी माता के साथ भिक्षा मांग कर अपना घर चलाता था। 
  • खुद की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बावजूद उसने यथाशक्ति शिवाजी महाराज का आदर सत्कार किया |
  • सुबह विनायक (ब्राह्मण) भिक्षा मांगने घर से निकले।
  • दुर्भाग्यवश उस दिन उन्हें बहुत कम अन्न प्राप्त हुआ। 
  • तब घर जा कर उन्होंने भोजन बनाया और अपनी माता और शिवाजी को खिला दिया। 
  • उस रात वह खुद भूखा ही सो गया |
  • अपने अतिथि की इस दरियादिली को देख कर शिवाजी भावुक हो गए। 
  • उन्होंने विनायक की दरिद्रता दूर करने का निश्चय किया। 
  • इसी प्रयोजन से उन्होंने वहां के एक मुग़ल सरदार को पत्र भिजवाया |
  • पत्र में लिखा था कि शिवाजी महाराज इस दिन ब्राह्मण के घर पर रुके हैं।
  • इस महत्वपूर्ण सूचना के बदले इस गरीब ब्राह्मण को 2 हज़ार अशर्फियाँ दे दें।
  • पत्र मिलते ही मुग़ल सुभेदार पूरी बात समझ गया। 
  • सूचना मिलते ही उसने गरीब ब्राह्मण को पुरस्कार दे दिया।
  • और शिवाजी महाराज को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया |
  • प्रसंग के बाद तानाजी के माध्यम से ब्राह्मण को पता चला की
  • उनके घर स्वयं छत्रपति शिवाजी महाराज ठहरे थे |
  • शिवाजी मुग़ल सेना के हाथ लगे, इस भ्रम के कारण ब्राह्मण छाती पीट-पीट कर विलाप करने लगा |
  • ताण्हाजी नें उसे सांत्वना दी और मार्ग में ही मुग़ल सुभेदार की
  • टुकड़ी से संघर्ष कर के शिवाजी महाराज को मुक्त करा। 

तानाजी मालुसरे के प्रश्न –

1 .तानाजी मालुसरे जन्म कहा हुआ था।?

History of tanaji in hindi में आपको बतादे की वीर तानाजी का जन्म महाराष्ट्र के गोन्दोली गॉव में हुआ था। 

2 .तानाजी मालुसरे जन्म दिनांक कौन सी है ?

वीर तानाजी मालुसरे जन्म दिनांक इस 1626 है। 

3 .तानाजी की मृत्यु कैसे हुई ?

तानाजी ने अपनी बहादुरी से लड़ते हुए सिंहगढ़ का क़िला जीता लेकिन इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे। 

4 .तानाजी मालुसरे का जन्म कब हुआ ?

1626 में महाराष्ट्र के गोन्दोली गॉव में हुआ था। 

5 .मराठा योद्धा तानाजी मालुसरे की बहादुरी की बदौलत मराठा सेना ने 1670 में किस किले पर कब्जा किया ?

मुगलों से युद्ध कर तान्हाजी के बदौलत मराठा सेना ने सिंहगढ़ किले पर अपना अधिकार कर लिया था

6 .वीर तानाजी कौन थे ?

 तानाजी मालुसरे महाराजा छत्रपति शिवाजी के करीबी मित्र और सेनापति थे।

7 .तानाजी के बेटे का नाम क्या था ?

वीर तानाजी के बेटे का नाम रायबा मालुसरे था। 

8 .शिवजी का सेनापति कौन था ?

शिवजी का सेनापति वीर तानाजी मालुसरे थे।

9 .Tanaji ke chhote bhai ka naam tha ?

सूर्याजी मालसुरे तानाजी के छोटे भाई थे।

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल tanhaji real story in hindi आपको बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा और पसंद भी आया होगा । इस लेख के जरिये  हमने how did tanaji died, तानाजी मालुसरे का इतिहास और tanaji malusare family से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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