Shree Krishna Biography In Hindi – श्री कृष्ण का जीवन परिचय

हिन्दुओ के भगवान विष्णु के आठवें अवतार Shree Krishna Biography In Hindi में बताने वाले है। कन्हैया,श्याम, केशव, गोपाल और द्वारकाधीश जैसे हजारो नामो से प्रसिद्ध श्री कृष्ण का जीवन परिचय में आपका स्वागत है।

नमस्कार मित्रो आज हम श्री कृष्ण की कथा में अपार ज्ञान, त्याग और प्रेम की कहानी में बताएँगे की Little Krishna ने किस तरह एक साधारण ग्वाला से सोने की नगरी द्वारका के राजा द्वारकाधीश की सफर पूर्ण की थी। आज हम Radha Krishna Images, Radhe Krishna क्यों बोला जाता है ? गोकुल से चले जाने के बाद Krishna Flute क्यों नहीं बजाते थे ? जैसे कई रोचक माहि टी की जानकारी से वाकिफ करने वाले है। 

Jai Shree Krishna ने द्वापर युग में जन्म लिया था। धर्म की रक्षा के लिए एव पूर्ण निर्माण के हेतु पूरी पृथ्वी को दुर्जनो से मुक्त करवाया और पवित्रा हिन्दू धर्म को स्थापित किया था। उनका जन्म बहुत ही भयानक और कठिन परिस्थितियों में हुआ था। लेकिन उन्होंने अपने बुद्धि चातुर्य से सबका निवारण कर दिया था। उन्हें पूर्ण पुरुषोतम भी कहते है। क्योकि वह 16 कला लेके जन्मे थे। तो चलिए Bhagwan Shri Krishna Story In Hindi में बताना शरू करते है। 

Shree Krishna Biography In Hindi –

नाम  कृष्ण वासुदेव यादव 
संस्कृत नाम कृष्णः
तमिल  கிருஷ்ணா
कन्नड़  ಕೃಷ್ಣ
जन्मस्थान  मथुरा की जेल 
जन्म तिथि  श्रवण अष्टमी कृष्ण पक्ष 
परिचय  राधा कृष्ण, विष्णु, ,स्वयं भगवान् , ब्राह्मण, परमात्मन 
अस्त्र सुदर्शन चक्र 
माता  देवकी
पिता  वासुदेव

 

पालक माता यशोदा 
पालक पिता  नंदा बाबा
भाई  बलराम,
बहन  सुभद्रा
रानियाँ  राधा ,रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, नग्नजित्ती, लक्षणा, कालिंदी, भद्रा जैसी सोलह पटरानियां 
युद्ध  कुरुक्षेत्र युद्ध
शास्त्र गीत गोविंद, भगवद् गीता, महाभारत, विष्णु पुराण,हरिवंश,भागवत पुराण
निवासस्थान वृंदावन, द्वारका, गोकुल, वैकुंठ, द्वारका नगरी 
त्यौहार  कृष्णा जन्माष्टमी
धर्मस्थान  द्वारका मंदिर 

भगवान श्री कृष्ण का जन्म –

श्री कृष्ण कौन थे ? कृष्ण भगवान का जन्म माता देवकी के कोख से हुआ था। उनके पिताजी का नाम वासुदेव था। अपने भाई ने देवकी को कारगर में बंद कर दिया था। क्योकि एक आकाशवाणी हुई थी। और उसमे ऐसा कहा गया था। की उसके भाई की कोट उनके आठवे पुत्र से होने वाली है। लेकिन कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने उन्हें एक टोपले में रख के यशोदा और नंद बाबा के घर पे भेज दिया उनके घर जन्मी बच्ची को उनके जगह रखवा दी थी।

ऐसा कहा जाता है की वह कृष्णा की मायावी चाल थी। जन्म ले समय ही भगवन ने माता पिता को पूर्ण दर्शन दिए और कहा था। की में फिरसे बच्चे के स्वरूप हो जाता हु मुझे आपके मित्र नन्द बाबा के घर भेज दो और उनकी बेटी को आपके पास ले आओ तुम चिंता मत करो जेल के सारे सिपाही सोजाएंगे और जेल का दरवाजा भी स्वयं ही खुल जायेगा यमुना नदी भी तुम्हे रास्ता देगी। जैसा प्रभु ने कहा वैसा ही हुआ और बालक कृष्ण जेल  बहार निकल गए। 

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Shree Krishna का बचपन –

पिताजी वासुदेव जी ने बालक श्री कृष्ण को लेके जेल से निकल के यमुना नदी को भी पार कर लिया। और वृन्दावन में मित्र नंद के घर जाके अपने बेटे को रख के उनकी बेटी को लेके लौट आये आते जैल के द्वार स्वयं ही बन्द हो गए थे। जब कंस को पता चला की देवकी ने बालक को जन्म दिया है। तब उन्हें मरने आया और बच्ची को उठाके पटकना चाहा लेकिन बेटी हवा मे अदृश्य हो गयी और बोली की हे दुष्ट तुजे मारने वाला वृन्दावन पहुंच चूका है। 

Shree Krishna ने किया कंस का वध –

मामा कंस ने अपने भांजे श्रीकृष्ण को मौत देने के लिए कई मायावी राक्षसो को भेजा था। लेकिन कृष्ण ने अपनी ताकत और चालाकी से सबको मार दिया था। राक्षसी पूतना ने एक सुंदर स्त्री के रूप में कृष्ण को जहरीले स्तन से दूध पिलाने के वृन्दावन भेजी थी। लेकिन कृष्ण ने दूध पिने के वक्त पूतना को मारदिया था। दूसरे वक्त बगुले  लेके श्री कृष्ण मारना चाहा लेकिन उन्हें भी कड़ कर फेंक दिया।और मौत के घाट उतार दिया था। उस राक्षस का नाम वकासुर था।

उसके पश्यात कंस ने कालिया नाग को श्री कृष्ण की हत्या करने भेजा लेकिन उनके सर पर बाँसुरी बजाते हुए नृत्य करने लगे थे। उनके विष से यमुना नदी को मुक्त किया था। कृष्ण ने कंस के अनेक मायावी राक्षसों का नाश कर दिया था। सभी प्रयासों में विफल हुआ इसी लिए कंस खुद कृष्ण का वध करने निकल पड़ा था। मामा और भांजे में जबरदस्त युद्ध हुआ और कृष्ण भगवान ने कंस का वध कर दिया था। 

श्री कृष्ण रास लीला –

अपने बालयकाल में श्री कृष्ण गोकुल में अपनी सुरीली बांसुरी से गोपियों को रास लीला रचाया करते है। अपनी सुरीली बांसुरी से पशु , पक्षी, वनस्पति और गोकुलवासी को अपनी धुन से मग्न करदेते थे। वह धुन को सुनकर सभी बड़े ही खुश खुशाल होते थे। सभी को कृष्ण की बांसुरी सुनना बेहद ही प्रिय लगता था। गोकुल में श्री कृष्ण राधा जी (Radha Krishna) को बहुत ही प्रेम करते थे। लेकिन गोकुल छोड़ने के पश्यात उन्होंने राधा से कहा था। की वह आज से बांसुरी बजाना छोड़ देंगे। तब से भगवन कृष्ण ने अपने प्यार के लिए त्याग कर दिया था। 

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Shree Krishna की शिक्षा –

भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम शिक्षा उज्जैन में हुई थी। श्री कृष्ण ने कंस को मारा उसी लिए उनका अज्ञातवास ख़त्म हो गया था। उसी लिए कृष्ण और बलराम दोनों भाईओ को शिक्षा दीक्षा देने के लिए उज्जैन नगरी जाना पड़ा था। उज्जैन में दोनों संदीपनी ऋषी के विद्या आश्रम में दीक्षा एव शिक्षा लेना शुरू किया था। वहा भगवान की भेट उनके प्रिय मित्र सुदामा से हुई थी। वहा रहके उन्होंने अपनी शिक्षा और पारंगतता प्राप्त की थी। 

द्वारिकाधीश का पद –

अपने गुरु संदीपनी ऋषी से शिक्षा पूर्ण करके कृष्ण ने अपने प्रिय मित्र (Krishna Priya) सुदामा अलग हुए। उन्होंने अपने ,मामा से जीता हुए मथुरा के राज्य को त्याग दिया और अपनी खुद की नगरी द्वारिका का निर्माण किया था। वह द्वारिका नगरी को उन्होंने दरिया के किनारे बनाया और उतना ही नहीं बाह नगरी को सोने से बनाया था। लोग आज भी कहते है की अगर जीता हुआ मथुरा छोड़े वही सोने कि नगरी द्रारिका का राजा (Roy Krishna) बन सकता है। 

महाभारत युद्ध को रोकना चाहा –

महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण का योगदान बहुत ही बड़ा रहा है। पहले उन्होंने हस्तिनापुर के राजपरिवार में चल रहे मन मोटाव को खत्म करना चाहते थे। लेकिन वह संभव नहीं था। क्योकि दुर्योधन पांडवो को एक सुई की नौक जैसा राज्य भी पांडवो को देना नहीं चाहता था। उन्हेने कई वक्त सबको समजने की कोशिश की थी की अगर युद्ध हुआ तो उसमे आपके परिवार का ही नुकसान है। फिर भी कोई मानने को तैयार नहीं था। राज दूत बने कृष्ण का भर सभा ने अपमान किया फिरभी वह शांत रहे थे। 

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गीता का उपदेश और अर्जुन के सारथि –

महाभारत के युद्ध में श्री Krishna धनुर्धर अर्जुन के साथ थे। और उनके रथ के सारथी (Krishna Drawing) रहे थे। युद्ध में अर्जुन को युद्ध में कई सलाह दी थी उस पवित्र उपदेश को हमारे हिन्दू धर्म में श्री कृष्ण की श्री मद भागवत गीता कहते है। वह उपदेश अर्जुन को युद्ध में बहुत ही सहायक सिद्ध हुआ था। पांडव महाभारत का युद्ध जित सके थे। उसका मुख्य आधार भगवान कृष्णा ही थे। उनका उपदेश गीता के नाम से आज भी प्रसिद्ध है। महाभारत की लड़ाई में श्रीकृष्ण ने हथियार उठाये बिना ही युद्ध के परिणाम को पांडवो के नाम लिख दिया था। 

उस लड़ाई में श्रीकृष्ण ने अधर्म पर धर्म को विजयी करने के लिए प्रयास किया था। कौरवो के अधर्म को ख़त्म करके कौरव वंश का नाश करके पांडवो के साथ धर्म की स्थापना की थी। कौरवो की माता गांधारी उनके सभी पुत्रो के विनाश का कारन वासुदेव कृष्ण को ही मानती थी। उसी लिए जब जब भगवंत उन्हें सांत्वना देने गए तब यह श्राप दिया था। की जिस तरह तुमने मेरे कुल का विनाश किया उसी तरह तेरे यदुवंश का भी विनाश हो जाएंगा। वहा से कृष्ण भगवन अपनी नगरी द्वारिका चले गए थे।

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Shree Krishna  के यदुवंश का पतन –

Jai Shri Krishna ने द्वारिका नगरी को सुख सम्पन्नता से भर दिया था। उसी कारन उनके पुत्र बहुत ही शक्तिशाली हो चुके थे। उसी कारन ही यदुवंश बहुत ही सम्पन था। कहा जाता है की सांब नामके पुत्र ने दुर्वासा ऋषि को हास्यस्पद बनाने के कारन उन्हे दुर्वासा ऋषि ने क्रोध में श्राप दिया था। की आप के यदुवंश का विनाश हो जाएगा। अपनी शक्तिशाली प्रणाली के कारन उनका अपराध भी बढ़ चूका था।

अपनी दोह्म दोह्म और खुशाल राज्य से श्रीकृष्ण बहुत ही प्रसन्न थे। लेकिन श्राप के कारन उनके निवारण के लिए। प्रभास नदी के किनारे पर उनका निवारण और पापों से मुक्त होने की राह बताई थी। श्राप मुक्ति के लिए गए थे। लेकिन ऋषि दुर्वासा की वजह से वह सभी व्यक्ति मदिरा पान करके नशे में चक चूर हो चुके थे। और एक दूसरे को मारने लगे थे। ऐसे गृहयुद्ध से यदुवंश का नाश हो चूका था। 

श्री कृष्ण की मृत्यु – Shree Krishna Death

हमारे हिन्दुओ के वेद और पुराणों के मताअनुसार यदुवंश के गृहयुद्ध को देख के श्रीकृष्ण बहुत ही दुखी हुए थे। उस स्थान को छोड़ के वह वन में विचरण करने लगे थे। तब एक वक्त जंगल मे पीपल के पेड़ के नीचे कृष्णा आराम करते हुए सो रहे थे। तब जरा नामक एक शिकारी ने उनके पैर में रहे निशान को हिरन की आंख समज के अपने धनुष से विषयुक्त बाण से निशान लगाया था। उस तीर ने श्रीकृष्ण के पैर को भेदते हुए श्रीकृष्ण के देह रूप को त्याग करने के लिए मजबूर करदिया था। और उन्होंने देह त्याग करके बैकुण्ठ धाम में चले गए थे। उसके साथ ही उन्होंने बनाई हुई सोने की द्वारिका नगरी उसी वक्त समुद्र में चली गयी थी। 

कृष्ण वंशावली – यादवकुल

  • श्री कृष्ण के वंशज कौन है ?
  • मनु |
  • इला |
  • पुरुरवस् |
  • आयु |
  • नहुष |
  • ययाति |
  • यदु |
  • क्रोष्टु |
  • वृजिनिवन्त् |
  • स्वाहि |
  • रुशद्गु |
  • चित्ररथ |
  • शशबिन्दु |
  • पृथुश्रवस् |
  • अन्तर |
  • सुयज्ञ |
  • उशनस् |
  • शिनेयु |
  • मरुत्त |
  • कम्बलबर्हिस् |
  • रुक्मकवच |
  • परावृत् |
  • ज्यामघ |
  • विदर्भ |
  • क्रथभीम |
  • कुन्ति |
  • धृष्ट |
  • निर्वृति |
  • विदूरथ |
  • दशार्ह |
  • व्योमन् |
  • जीमूत |
  • विकृति |
  • भीमरथ|
  • रथवर |
  • दशरथ |
  • एकादशरथ |
  • शकुनि |
  • करम्भ |
  • देवरात |
  • देवक्षत्र |
  • देवन |
  • मधु |
  • पुरुवश |
  • पुरुद्वन्त |
  • जन्तु |
  • सत्वन्त् |
  • भीम |
  • अन्धक |
  • कुकुर |
  • वृष्णि |
  • कपोतरोमन |
  • विलोमन् |
  • नल |
  • अभिजित् |
  • पुनर्वसु |
  • उग्रसेन |
  • कंस |
  • कृष्ण |
  • साम्ब |

कृष्णा भगवान की कुछ अन्य जानकारी 1 

नाम:- चंद्रवंश प्रताप यदुकुल भूषण, पूर्णपुरुषोत्तम, द्वारिकाधीश महाराजा श्री कृष्णचंद्रजी वासुदेवजी यादव (पूर्ण क्षत्रिय)

वर्तमान 

महामहिम महाराजाधिराज १०००८ श्री, श्री, श्री, कृष्णचंद्रसिंहजी वासुदेवसिंहजी नेक नामदार महाराजा द्वारका।
-: जन्मदिन: –
30/31-09 ई 8 तारीख को सूर्य / सोमवार

-: जन्म की तारीख: –
संवत ५वां संवत २१६० श्रवण वाद आठम [जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं]

-: स्टार टाइम: –
रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र

-: राशि-विवाह:-
वृष लग्न और वृष

-: जन्म स्थान: –
मथुरा में तालुका, राजा कंस की राजधानी, जिला – मथुरा (उत्तर प्रदेश)

-: वंश – कबीले: –
चंद्र वंश यदुकुल क्षेत्र – मधुपुरी

-: युग मन्वन्तर:-
द्वापर युग सतमो वैवस्वत मन्वंतरि

-: वर्ष: –
द्वापर युग के ४.५ वर्ष ६वें महीने और ५वें दिन

-: मां: –
देवकी [राजा कंस के चचेरे भाई देवराज की बेटी, जिसे कंस अपनी बहन मानता था। 

-: पिता: –
वासुदेव [जिसका पहले अवतार का नाम आनंद दुदुंभी था]

-: पालक माता – पिता: –
जशोदा, मुक्ति देवी का अवतार, नंद, ग्वालों के राजा वरुद्रों का अवतार

-:बड़ा भाई:-
वासुदेव और रोहिणी के पुत्र शेष का अवतार – श्री बलरामजी

-: बहन: –
सुभद्रा

-: फोई: –
वासुदेव की बहन पांडव की माता कुंती

-: माँ: –
मथुरा के राजा कंस, कालनेमी दानव के अवतार

-: बलसाखा:-
संदीपनी ऋषि आश्रम के सहपाठी सुदामा

-: निजी मित्र:
अर्जुन

-: प्रिय सखी: –
द्रौपदी

-: प्रिय प्रेमिका: –
सच्ची भक्ति की अवतार राधा

कृष्णा भगवान की कुछ अन्य जानकारी 2 

-: प्रिय सारथी: –
दारुकी

-: रथ का नाम:-
नंदी घोष रथ, जिसके साथ शैब्य, मेघपुष्य बलाहक, सुग्रीव चार घोड़ों पर सवार थे। 

-: रथ पर ध्वज:-
गरुड़ध्वज, चक्रध्वज, कपिध्वज

-: रथ का रक्षक:-
भगवान नरसिंह

-: गुरु और गुरुकुल:-

संदीप के ऋषि गगाचार्य गुरुकुल थे अवंती नागर

-: पसंदीदा खेल: –
गैडी बॉल, गिलिडंडा, मक्खन चोरी

-: पसंदीदा स्थान: –
गोकुल, वृंदावन, व्रज, द्वारका

-: पसंदीदा पेड़:-
कदंबा, पिपलो, पारिजात, भंडारवाडी

पसंदीदा शौक: –
बांसुरी बजाना, गाय चराना 

-: पसंदीदा पकवान: –
तांदुल, दूध दही छाछ

-: पसंदीदा जानवर: –
गाय, घोड़े

-: पसंदीदा गाना: –
श्रीमद्भगवद् गीता, गोपियों के गीत, रासी

-: प्रिय फल क्षत्रिय कर्म: –
मारने वाले को मारने में कोई पाप नहीं, कर्म करो, फल की आशा मत करो

-: पसंदीदा हथियार:-
सुदर्शन चक्र

-: प्रिय विधानसभा हॉल: –
सुधर्मा

-: प्रिय पंख: –
मोर

-: प्रिय फूल: –
कमल और कांच के बने पदार्थ
-: पसंदीदा मौसम: –
बरसात का मौसम, श्रावण मास, हिंडोला का समय

-: प्रिय पटरानी: –
रुक्मणीजी

-: पसंदीदा आसन:-
वरदमुद्रा, अभयमुद्रा, एक पैर दूसरे पर रखकर खड़े हैं। 

-: पहचान के निशान: –
श्रीवत्स का संकेत है कि भृगु ऋषि ने छाती में लात मारी

-: विजय चिन्ह:-
पंचजन्य शंख की ध्वनि

-: मूल रूप: –
श्री अर्जुन को दिव्य नेत्र देना और गीता में दर्शन देना विश्व महा दर्शन है। 

-: हथियार, शस्त्र: –
सुदर्शन चक्र, कौमुकी गड़ा, सारंगपनिधनुष, विद्याधर तलवार, नंदक खडागो

-: बाल कौशल: –
कलिनाग दमन, गोवर्धन उंचाक्यो, दिव्या रासलीला

कृष्णा भगवान की कुछ अन्य जानकारी 3 

-: Patranis: –
रुक्मिणी, जाम्बवती, मित्र वृंदा, भाद्र, सत्यभामा, लक्ष्मण, कालिंदी, नगनजीत

-: 12 गुप्त शक्तियाँ:-
कीर्ति, क्रांति, त्रिष्टि, पुष्टि, इला, ऊर्जा, माया, लक्ष्मी, विद्या, प्रीति, अविद्या, सरस्वती

-: श्री कृष्ण का अर्थ:-
सहायक, काला, खिंचाव, आकर्षण, संकुचन

-: दर्शन अपया: –
जशोदा, अर्जुन, राधा, अक्रूरजी नारद, शिवाजी, हनुमान, जम्बूवान।

-: चक्र से वध:-
शिशुपाल, बाणासुर, शतधन्वा, इंद्र, राहु

-: प्रिय जी”: –
गोपी, गाय, गोवाल, गमदू, गीता, गोठड़ी, गोरा, गोराज, गोमती, गुफा

-: नाम प्रकाशित: –
कानो, लालो, रणछोड़, द्वारकाधीश, शामलियो, योगेश्वर, माखनचोर, जनार्दन

-: चार योग:-
गोकुली में भक्ति
मथुरा में शक्ति
कुरुक्षेत्र में ज्ञान
द्वारिका में कर्म योग

-: विशेषताएं: –
जिंदगी में कभी नहीं रोया

-: किसकी रक्षा की:-
द्रौपदी , सुदामा की दरिद्रता मिट गई, गजेंद्र का उद्धार, महाभारत के युद्ध में पांडवों की रक्षा हुई, त्रिवक दासी का दोष दूर हुआ, कुब्ज का रूप हुआ, नलकुबेर और मणिग्रीव दो रुद्रो वृक्ष थे। 

-: मुख्य त्योहार: –
जन्माष्टमी, रथयात्रा, भाई बीज, गोवर्धन पूजा, तुलसी विवाह, गीता जयंती
हर महीने के भागवत सप्त, योगेश्वर दिवस, सभी पटोत्सव, नंद महोत्सव, पूनम और हिंडोला

-: धर्म ग्रंथ और साहित्य: –
श्रीमद्भगवद् गीता, महाभारत, श्रीमद्भगवद् १०८ पुराण, हरिवंश, गीत गोविंद, गोपी गीत, डोंगरेजी महाराज के भगवद जनकल्याण चरितग्रंथ और कई अन्य।

-: भगवान कृष्ण के पात्रों से संबंधित रूप: –
नटखट बालक कनाइयो, मक्खन चोर कनाइयो आदि।

-: श्री कृष्ण भक्ति के विभिन्न संप्रदाय:-
श्री संप्रदाय, कबीर पंथ, मीराबाई, रामानंद, वैरागी, वैष्णो

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Shree Krishna Biography In Hindi

श्रीकृष्ण की कुछ रोचक जानकारी –

  • श्री कृष्ण भगवान वासुदेव और माता देवकी की आठवीं संतान थे। 
  • कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा से यह सिख मिलती है की हमें जीवन कैसे जीना चाहिए। 
  • श्री कृष्णा रामानंद सागर कृत सीरियल बहुत ही प्रसिद्ध हुई थी। 
  • कृष्ण की बचपन की कहानी बताये तो उन्होंने सिर्फ 6 दिन की उम्र में ही एक राक्षस का वध किया था। 
  • श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में दिया श्रीमद्भगवतगीता का ज्ञान आध्यात्मिकता के साथ साथ एक वैज्ञानिक व्याख्या भी है।  
  • श्री कृष्ण भगवान ने कलारिपट्टू की शुरुआत की थी वह आज मार्शल आर्ट के नाम से विकसित है। 
  • अपने जीवन में श्री कृष्ण ने दो नगरों की स्थापना की एक द्वारका और दूसरी पांडवो की इंद्रप्रस्थ। 
  • Shree Krishna Serial all Episodes देखना है। या Shree Krishna Wallpaper, Lord Krishna Images, Krishna Images और Krishna Photo देखने चाहते है तो आप इंटरनेट पर देख सकते है। 

श्रीकृष्ण के कुछ प्रश्न –

1 .Sri Krishna Ne Arjun ko Geeta ke Madhyam se kya Updesh diya ?

धर्म की रक्षा के लिए अपने पराये नहीं देखना चाहिए। 

2 .Sri Krishna kis Samay gopi ke ghar gaya ?

अपने बचपन में श्री कृष्णा गोपियो के घर माखन खाने जाते थे। 

3 .श्री कृष्ण भगवान ने कालिया नाग का घमंड कैसे तोड़ा ?

उन्होंने कालिया नाग को उसके सर पे चढ़के बांसुरी बजायी और नृत्य किया ऐसे उसका घमंड तोडा था। 

4 .भगवान श्रीकृष्ण हमेशा किसमें लीन रहते हैं ?

श्रीकृष्ण हमेशा प्रजा के कल्याण के कार्य में लीन रहते हैं। 

5 .श्री कृष्ण के हाथ कहां तक नहीं पहुंच सकते हैं ?

भगवान श्री कृष्ण के हाथ पृथ्वी के सभी स्थानों तक पहुंच सकते है। 

6 .श्री कृष्ण से वरदान स्वरूप दुर्योधन को क्या प्राप्त हुआ ?

दुर्योधन को श्री कृष्ण से वरदान में उसकी 18 अक्षणि सैन्य की भेट मिली थी। 

7 .श्री कृष्ण भगवान को मोहन नाम से क्यों बुलाया जाता है ?

मन मोहक होने के कारन उन्हें मोहन नाम से बुलाते थे। 

8 .श्री कृष्ण के संसार से जाने का क्या कारण था ?

उनका अवतार कार्य पूर्ण होने के कारन श्री कृष्ण ने संसार को छोड़ के वैकुंठ सिधार गए। 

9 .Krishna Bhagwan Kis Cast Ke The ?

Yaduvanshee (kshatriy)

10 .Krishna Janmashtami कब मनाई जाती है ?

Krishna Jayanthi यानि उनके जन्म दिन पर कृष्णा जन्माष्ठमी मानते है। 

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Conclusion –

आपको मेरा Shree Krishna Biography In Hindi  बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Krishna In Hindi और Shree Krishna Ramanand Sagar से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Lord Krishna History या Shree Krishna Quotes की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .कृष्ण किस जाति के थे ?

2 .श्री कृष्ण के 12 नाम जानते है तो बताईये ?

3 .Krishna Janmashtami Date 2021 ?

4 .Radha Krishna Serial कितनी बनी है ?

5 .Shree Krishna Status हमें भेजे और श्री कृष्ण 108 नाम जानते है तो जरूर बताये ?

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