अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी हिंदी में - Albart Einstein Biography In Hindi

Albert Einstein Biography In Hindi – अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

नमस्कार दोस्तों आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है ,आज हम दुनिया के महान वैज्ञानिक Albert Einstein Biography की जानकारी देने वाले है। इस पूरी दुनिया में कई खोजे ऐसी हुआ करती है जो पुरे विस्व के मानव जीवन को सरल बना देती है।  

आज हम albert einstein family , albert einstein education , albert einstein nationality और albert einstein quotes से सम्बंधित सभी जानकारी इस आर्टिकल के जरिये आपको बताने वाले है। वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और थ्योरिटीकल भौतिकशास्त्री थे ,उन्होंने रिलेटिविटी की थ्योरी को विकसित किया और तो और विज्ञान के दर्शन शास्त्र को प्रभावित करने के लिए भी इनका नाम प्रसिद्ध है। विश्व में सबसे ज्यादा नाम द्रव्यमान ऊर्जा के समीकरण सूत्र E=MC square के लिए है, यह विश्व का बहुत ही प्रसिद्ध समीकरण है। 

उनकी खोज इतनी महान है की अपने जीवन काल दौरान अनेक से अविष्कार किये, और कुछ अविष्कारों के लिए आइंस्टीन का नाम इतिहास के पन्नों में छप गया था इसी कारन albert einstein nobel prize भी दिया गया था। इन्होने जिस तरह अपनी खोज का अविष्कार किया है इस सब की माहिती आज हमारे लेख में मिलने वाली है ,तो चलिए उसकी सम्पूर्ण माहिती देने के लिए आपको  है हमारे आज के विषय के लिए। 

Albert Einstein Biography In Hindi –

 नाम

 अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन ( alberts.ac.in )

 जन्म

 14 मार्च 1879

 जन्म स्थान

 उल्म (जर्मनी)

 पिता

 हेर्मन्न आइंस्टीन

 माता

 पौलिन कोच

 पत्नी

 मरिअक (पहली पत्नी) एलिसा लोवेन्न थाल (दूसरी पत्नी)

 बच्चें

 कदमूनी मार्गेट (दत्तक पुत्री)

 

 निवास

 जर्मनी, इटली, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स

 शिक्षा

 स्विट्ज़रलैंड, ज्यूरिच पॉलीटेक्निकल अकादमी

 नागरिकता

 जर्मनी, बेल्जियम और अमेरिका

 क्षेत्र

 भौतिकी

 जाति

 यहूदी

 सम्मान

 भौतिकी नोबेल पुरस्कार (1921), कोप्ले पदक, मैक्स पैलांक पदक, शताब्दी के महान पुरस्कार (1999)

 डॉक्टरी सलाहकार

 अल्फ्रेड क्लेनर

 शिष्य

 अनस्ट और नाथोंन रोसेन

 ख्याति

 प्रकाश उर्जा प्रभाव, द्रव्यमान उर्जा समतुल्यता और बोस आइन्स्टीन आकंड़े

 मृत्यु

 18 अप्रैल 1955

अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी –

अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत ही बुद्धिमान वैज्ञानिक थे , आधुनिक समय में भौतिकी को सरल बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। Albert Einstein को सन 1921 उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से संबोधित किया गया है Albert Einstein ने बहुत ही हार्ड मेहनत कर इस नोबल पुरस्कार को प्राप्त किया था  इनको गणित में भी बहुत रूचि थी. इन्होंने भौतिकी को सरल तरीके से समझाने के लिए बहुत से अविष्कार किये जोकि लोगों के लिए प्रेरणादायक है। 

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अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रारंभिक जीवन –

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ.और उनके पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन था और उनकी प्यारी माता का नाम पौलिन कोच था Albert Einstein जर्मनी के म्युनिच शहर में बड़े हुए थे और इनकी शिक्षा भी वही से चालू हुए थी अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे और उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया।

Albert Einstein जब 9 साल के हुए तो भी वह बोलना नही जानते थे. और तो और अल्बर्ट आइंस्टीन प्रक्रति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव और कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू किया और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा। 

अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा –

12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला. 16 साल की उम्र में, वे गणित के कठिन से कठिन हल को बड़ी आसानी से कर लेते थे. Albert Einstein ने 16 साल की उम्र में अपनी सेकेंडरी की पढ़ाई को पूरा किया था अल्बर्ट आइंस्टीन को स्कुल बिलकुल पसंद नहीं था और फिर उन्होंने किसीको बताये बिना विश्वविद्यालय में जाने के अवसर को ढूंढने की योजना बनाने लगे. और उनके शिक्षक ने उन्हें वहाँ से हटा दिया, क्युकि उनका बर्ताव अच्छा नहीं था। 

जिसकी वजह से उनके सहपाठी प्रभावित हुए थे | Albert Einstein की बहुत ही इच्छा थी की वो स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में ‘फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में उनको प्रवेश मिले। लेकिन Albert Einstein वहाँ के ऐडमिशन की एग्जाम में फेल हुए . फिर उनके प्राध्यापक ने सलाह दी कि Albert Einstein को सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड के आरौ में ‘कैनटोनल स्कूल’ में डिप्लोमा पूरा करना चाहिए और फिर सन 1896 में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में उनको ऐडमिशन मिल जायेगा उन्होंने प्राध्यापक की सलाह को समझा, वे यहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा इक्छुक थे और वे भौतिकी और गणित में अच्छे थे। 

Albert Einstein ने अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सन 1900 में पास की थी लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन के एक शिक्षक उनके बिलकुल खिलाफ थे, उनका कहना था की आइंस्टीन युसूअल युनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नही है. सन 1902 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पेटेंट ऑफिस में एक इंस्पेक्टर को रखा। 

आइंस्टीन के विवाह –

अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी शिक्षा को ख़त्म करने के बाद करीबन 6 महीने बाद मरिअक से शादी कर ली जोकि उनकी ज्युरिच में सहपाठी थी. Albert Einstein की शादी के कुछ साल बाद उनकी पत्नी मरिअक ने दो बेटे को जन्म दिया था उनके 2 बेटे हुए, तब वे बर्न में ही थे और उनकी उम्र 26 साल थी. उस समय उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान सम्बन्धी दस्तावेज लिखा। 

आइन्स्टीन का वैज्ञानिक समय और कार्य –

अल्बर्ट आइन्स्टीन ने अपने जीवनकाल दौरान अनेक किताबे लिखि है और तो और उन्होंने कई सारे पत्रों को भी प्रकाशित किया हुवा है। अल्बर्ट आइन्स्टीन ने 300 भी ज्यादा अधिक वैज्ञानिक और गैर वैज्ञानिक शोध पत्रों को प्रकाशित किया हुवा है अल्बर्ट आइन्स्टीन अपने खुद के काम के साथ साथ दुसरे वैज्ञानिकों के भी साथ सहकार देते थे जिनमे बोस आइन्स्टीन के आकड़े आइन्स्टीन रेफ्रीजरेटर और अन्य कई शामिल हैं। 

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अल्बर्ट आइंस्टीन का करियर और उनकी खोज –

albert einstein biography में आपको बतादे की वह बहुत सारे विज्ञानं दस्तावेज लिखे थे और अपनी डाक्टरेट लेने के बाद उन्होंने लिखे हुवे विज्ञानं दस्तावेज की वजह से वो बहुत ही प्रसिद्ध हुए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने नोकरी करने के लिए यूनिवर्सिटी में कड़ी मेहनत की थी और वो उसमे सफल हो गए और उनको सन 1909 में ये बर्न यूनिवर्सिटी के लेक्चरर बन गये।

कुछ दिनों के बाद और दो 2 नई यूनिवर्सिटी में प्राचार्य के रूप में अपनी प्रतिभा निभाए थी और तो और उनसे बहुत ही प्रभावित होकर उनको कुछ ही दिनों में फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में प्राचार्य नियक्त किया गया था। सन 1913 में मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेंस्र्ट के द्वारा दिए गए अवसर पर आइंस्टीन बर्लिन चले गए। जिसकी वजह से इनका तलाक हो गया। बर्लिन जाने के बाद इन्होने एलसा नाम के लड़की से शादी कर ली। 

albert einstein wikipedia –

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अल्बर्ट आइंस्टीन के एकीकरण –

Albert Einstein ने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किये है जिनकी वजह से वो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुए। उनके कुछ खोज इस प्रकार है E= mc2 = Albert Einstein के द्वारा प्रमाणित द्रव्मान और ऊर्जा का ये समीकरण है जिसको आज नयूक्लेअर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।

प्रकाश की क्वांटम थ्योरी – आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे फोटोन कहा जाता है, जिनमें तरंग जैसी विशेषता होती है. bharat ka einstein kaha jata hai उनकी इस थ्योरी में उन्होंने कुछ धातुओं से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया. उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना की. इस थ्योरी के बाद उन्होंने टेलेविज़न का अविष्कार किया जोकि द्रश्य को शिल्पविज्ञान के माध्यम से दर्शाया जाता है. आधुनिक समय में बहुत से ऐसे उपकरणों का अविष्कार हो चूका है.

ब्रोव्नियन मूवमेंट – यह Albert Einstein की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी ख़ोज कहा जा सकता है, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग मूवमेंट का अवलोकन किया, जोकि अणु और परमाणुओं के अस्तित्व के प्रमाण में सहायक है. हम सभी जानते है कि आज के समय में विज्ञान की अधिकतर सभी ब्रांच में मुख्य है. स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी – Albert Einstein की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है. ब्रम्हांड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रक्रति के नियम के अनुसार बताया है। 

जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

Albert Einstein ने प्रस्तावित किया कि गुरुत्वाकर्षण स्पेस – टाइम कोंटीनूम में कर्व क्षेत्र है, जोकि द्रव्यमान के होने को बताता है. मन्हात्तम प्रोजेक्ट – Albert Einstein ने मन्हात्तम प्रोजेक्ट बनाया, यह एक अनुसंधान है, जोकि यूनाइटेड स्टेट्स का समर्थन करता है, उन्होंने सन 1945 में एटॉमिक बम को प्रस्तावित किया. उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में एटॉमिक बम का विनाश करना सिखा.

आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर –

यह Albert Einstein का सबसे छोटा अविष्कार था, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए. आइंस्टीन ने एक ऐसे रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया जिसमे अमोनिया, पानी, और ब्युटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके. उन्होंने इसमें बहुत सी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया. आसमान नीला होता है – यह एक बहुत ही आसान सा प्रमाण है कि आसमान नीला क्यों होता है किन्तु Albert Einstein ने इस पर भी बहुत सी दलीलें पेश की थी। 

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Albert Einstein brain – Albert Einstein Biography

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

आइंस्टीन ने एक थ्योरी में गति और समय के सम्बन्ध को समझाया है।

आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी –

albert einstein biography के जरिये आपको कह दे की उन्होने प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली को फोटान कहा है और तंरंगों की विशेषता बताई है। इनके अनुसार धातुओ में से इलेक्ट्रान निकलते है और वो फोटो इलेक्ट्रिक इफेक्ट की रचना करते है। इसी थ्योरी के आधार पर टेलीविजन की खोज भी हुई।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सम्मान –

  • भौतिकी का नॉबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया.
  • मत्तयूक्की मैडल सन 1921 में दिया गया.
  • कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया.
  • मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया.
  • शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया गया.

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार –

  • जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की। 
  • ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं और एक बराबर ही मुर्ख भी है। 
  • जिंदगी जीने के दो तरीके हैं. पहला यह हैं कि कुछ चमत्कार नहीं हैं दूसरा यह हैं कि दुनिया की हर चीज चमत्कार हैं। 
  • एक सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करो बल्कि मूल्यों पर चलने वाले इंसान बनों। 
  • वक्त बहुत कम है यदि हमें कुछ करना है तो अभी से शुरुआत कर देनी चाहिए। 
  • आपको खेल के नियम सिखने चाहिए और आप किसी भी खिलाड़ी से बेहतर खेलेंगे। 
  • मुर्खता और बुद्धिमता में सिर्फ एक फर्क होता है कि बुद्धिमता की एक सीमा होती है। 

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Albert Einstein Death –

अल्बर्ट आइंस्टीन को जर्मनी छोड़ कर जाना पड़ा क्योकि तब वाहापर हिटलर का समय था। Albert Einstein कुछ सालो तक अमेरिका में प्रिस्टन कालेज में कार्य करते हुए 18 अप्रैल सन 1955 में इनकी मृत्यु हो गई। दुनिया के महान वैज्ञानिक जिन्होंने अपने ज्ञान से दुनिया को बहुत कुछ दिया, और उनकी खोज को कभी भी भुलाया नही जा सकता है।

Albert Einstein Facts –

  • albert einstein biography में सबको ज्ञात करदे की वह अपने आप को संशयवादी कहते थे। नास्तिक नहीं थे। 
  • अपने दिमाग में ही सारे प्रयोग का हल निकाल लेते थे। 
  • वह बचपन में पढाई में और बोलने में कमजोर हुआ करते थे.
  • अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक वैज्ञानिक ने उनके दिमाग को चुरा लिया था, फिर वह 20 साल तक एक जार में बंद था। 
  • उनको नॉबल पुरस्कार भी दिया गया था लेकिन उनको उसकी राशि उन्हें नही मिल पाई.थी
  • उन्हें राष्ट्रपति के पद के लिए भी चुना गया था। 
  • वह युनिवर्सिटी की ऐडमिशन की परीक्षा में फेल भी हो चुके है। 
  • उनकी याददाश बहुत कम होने के कारण, उनको किसी का नाम, और नंबर भी याद नही रहता था। 
  • इस महान इंसान की आँखे एक सुरक्षित डिब्बे में बंद करके रखी हुई है। 
  • उनके पास अपनी खुदकी गाड़ी नही थी,और इसलिए उनको गाड़ी चलाना भी नहीं आता था। 
  • अल्बर्ट का एक गुरुमंत्र था “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है। 

Albert Einstein Biography Questions –

1 .आइंस्टीन का रियल नाम क्या था ?

Albert Einstein का रियल नाम अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन था। 

2 .आइंस्टीन का जन्म कब हुवा था ? einstein birthday

Albert Einstein का जन्म14 मार्च 1879 में हुवा था। 

3 .आइंस्टीन का जन्म स्थान कोन सा था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म स्थान उल्म (जर्मनी) माना जाता है। 

4 .आइंस्टीन के पिता का नाम क्या था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन था। 

5 .आइंस्टीन की माता का नाम क्या था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन की माता का नाम पौलिन कोच था। 

6 .आइंस्टीन की पत्नी का क्या नाम था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन की दो पत्नी या थी , मरिअक (पहली पत्नी) , एलिसा लोवेन्न थाल (दूसरी पत्नी)

7 .अल्बर्ट आइंस्टीन के कितने संतान थे -?

albert einstein biography में आपको बतादे की उन्हें कोई भी संतान नहींथी। एक दत्तक पुत्री लिया था। 

8 .आइंस्टीन का नियम क्या है ?

उनका नियम था की “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है ” 

9 .अल्बर्ट आइंस्टीन कितने घंटे सोते थे ?

आइंस्टाइन हर रोज़ दस घंटे सोते थे। 

10 .अल्बर्ट आइंस्टीन ने किसकी खोज की?

जिन्होंने सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 की खोज के लिए जाने जाते हैं।

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Conclusion –

दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल albert einstein biography बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने what did albert einstein discover से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। धन्यवाद।

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Biography of Stephen Hawking In Hindi - स्टीफन हॉकिंग की जीवनी हिंदी में

Stephen Hawking Biography In Hindi – स्टीफन हॉकिंग की जीवनी

नमस्कार दोस्तों आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है , आज आपको हम Stephen Hawking Biography उन्होंने पुरे विस्व को अपनी रिसर्च के जरिये बहुत बड़ी और मूल्यवान खोजे करके देदी और अपना नाम महान वैज्ञानिको में लिखवा दिया है। 

आज इस पोस्ट में आपको stephen hawking wife का नाम क्या था ? , महान वैज्ञानिक stephen hawking education कहा से प्राप्त की थी और stephen hawking deat रीज़न क्या था जैसे कई सवालों के जवाब आज इस आर्टिकल में मिलने वाले है। कई इंसान ऐसे होते है जो अपना काम ही कुछ ऐसे अच्छे और महत्व पूर्ण हुआ करते है की उसका फायदा पुरे विश्व को मिलता है ,ऐसे ही स्टीफन हॉकिंग ने विज्ञान क्षेत्र में बहुत ही महत्ब पूर्ण योगदान दिया है। 

उनका जन्म  8 जनवरी, 1942 के दिन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में हुआ था , उनके पिताजी का नाम फ्रेंक हॉकिंग और माता का नाम इसोबेल हॉकिंग है। उन्होंने अपने जीवन में दो शादिया रचाई थी उनकी पहली पत्नी जेन वाइल्ड और दूसरी पत्नी ऐलेन मेसन थी। अपनी बेहतरीन और महत्वपूर्ण खोज के कारन उन्होंने पुरे विश्व में अपनी एक अलग ही नामना बनाई हुई है , तो दोस्तों आपको उनकी सम्पूर्ण और रोचक जानकारी के लिए ले चलते है। 

Stephen Hawking Biography In Hindi –

  नाम

  स्टीफन विलियम हॉकिंग

  जन्म

  8 जनवरी, 1942

  जन्म स्थान

  कैम्ब्रिज, इंग्लैंड

  पिता

  फ्रेंक हॉकिंग

  माता

  इसोबेल हॉकिंग

  पत्नी

  जेन वाइल्ड(साल 1965-1995), ऐलेन मेसन(साल 1995-2016)

 

  बच्चे

  तीन

  पेशा

  ब्रह्मांड विज्ञानक, लेखक

  संपत्ति

  $20 मिलियन

  IQ लेवल

  160

  मृत्यु

  14 मार्च 2018 (76 वर्ष)

  मृत्यु स्थान

  कैम्ब्रिज, यूनाइटेड किंगडम

स्टीफन हॉकिंग का जीवन परिचय –

इस महान व्यक्ति को मशहूर साइंटिस्ट भी कहते है , स्टीफन हॉकिंग बचपन से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे लेकिन उनके जीवन काल दौरान उनके जीवन में बहुत सारी मुश्केलिया का सामना करना पड़ा था। फिर भी उन्होंने खराब परिस्थितियों का उन्होंने सामना किया और वह एक मशहूर साइंटिस्ट वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को पूरा किया और विज्ञान के क्षेत्र में अपना अनगिनत योगदान दिया ,  उनके योगदान के चलते कई ऐसी चीजों के बारे में खोज की गई जिसकी कल्पना शायद ही पहले किसी ने की होगी।  

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स्टीफन हॉकिंग का प्रारंभिक जीवन –

मशहूर साइंटिस्ट stephan hokins का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफ़ोर्ड, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम फ्रैंक था और उनकी माता का नाम इसोबेल था |उनकी माता एक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में सचिव के रूप में कार्यरत थी और उनके पिता फ्रेंक भी उसी संस्‍थान में अनुसंधानकर्ता के रूप में कार्य करते थे।

लेकिन इसके बावजूद उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्‍छी नहीं रही। द्वितीय विश्‍व युद्ध प्रारम्‍भ होने पर वे लोग आजीविका के लिए ऑक्सफोर्ड आ गये, जहां पर हॉकिंग का जन्‍म हुआ। मशहूर साइंटिस्ट stephan hokins के पिता चाहते थे वे जीव विज्ञान की पढ़ाई करें। लेकिन उनको गणित में रूचि थी | स्टीफ़न हॉकिंग की रूचि इस बात से पता चलती है कि उन्‍होंने गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए कुछ लोगों की मदद से पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हिस्सों से एक कंप्यूटर ही बना दिया था।

स्टीफन हॉकिंग शिक्षा – Stephen Hawking Biography

stephen hawking Education स्टीफन हॉकिंग जब 8 साल के थे तब उनके परिवार वाले सेंट अल्बान में आकर वस्वाट करने लगे और वही पर ही एक स्कूल में स्टीफन का एडमिशन करवा दिया गया | अपनी स्कुल की शिक्षा पूरी करने के बाद स्टीफन ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और यहां पर इन्होंने भौतिकी विषय पर अध्ययन किया. जिस समय इन्होंने इस विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था, उस वक्त इनकी आयु महज 17साल की थी। 

स्टीफन हॉकिंग को गणित विषय में बहुत ही एंटरस था और वो गणित विषय में अपनी पढ़ाई करना चाहते थे. लेकिन उस वक्त ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में गणित विषय नहीं था . जिसके कारण उन्हें भौतिकी विषय को चुनना पड़ा. स्टीफन हॉकिंग ने भौतिकी विषय में प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल कर ली और फिर स्टीफन हॉकिंग कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी बाकि की पढ़ाई पूरी की थी | साल 1962 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैथेमैटिक्स एंड थ्योरिटिकल फिजिकल में इन्होंने ब्रह्माण्ड विज्ञान पर अनुसंधान किया। 

स्टीफन हॉकिंग का करियर –

कैम्ब्रिज से अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद भी स्टीफन हॉकिंग ने कॉलेज को छोड़ा नहीं और इस कॉलेज के साथ जुड़े रहे थे में यहां कार्य किया. इन्होंने साल 1972 में डीएएमटीपी में बतौर एक सहायक शोधकर्ता अपनी सेवाएं दी और इसी दौरान इन्होंने अपनी पहली अकादमिक पुस्तक, ‘द लाज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ स्पेस-टाइम’ लिखी थी। यहां पर कुछ समय तक कार्य करने के बाद साल 1974 में इन्हें रॉयल सोसायटी (फैलोशिप) में शामिल किया गया। 

जिसके बाद इन्होंने साल 1975 में डीएएमटीपी में बतौर गुरुत्वाकर्षण भौतिकी रीडर के तौर पर भी कार्य किया और साल 1977 में गुरुत्वाकर्षण भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में भी यहां पर अपनी सेवाएं दी. वहीं इनके कार्य को देखते हुए साल 1979 में इन्हें कैम्ब्रिज में गणित के लुकासियन प्रोफेसर नियुक्त किया गया था, जो कि दुनिया में सबसे प्रसिद्ध अकादमी पद है और इस पद पर इन्होंने साल 2006 तक कार्य किया। 

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स्टीफन हॉकिंग पति पत्नी –

हॉकिंग जब अपनी पहली पत्नी यानी जेन वाइल्ड से मिले थे तभी उसी साल उनको अपनी बीमारी के बारे में पता चला था | स्टीफन हॉकिंग की पत्नी जेन वाइल्ड उस मुशिबत में उनका साथ दिया और साल 1965 में इन्होंने शादी कर ली. जेन और हॉंकिग के कुल तीन बच्चे थे और इनके नाम रॉबर्ट, लुसी और तीमुथियस है। स्टीफन हॉकिंग और जेन वाइल्ड की शादी करीबन 30 वर्षा तक चली थी और फिर 1995 में जेन और हॉकिंग ने तलाक ले लिया था जब स्टीफन हॉकिंग ने जेन वाइल्ड से तलाक ले लिया था उसके बाद हॉकिंग ने ऐलेन मेसन से विवाह कर लिया था और साल 1995 में हुई ये शादी साल 2016 तक ही चली थी।

स्टीफन हॉकिंग की बीमारी –

हॉकिंग जब कैम्ब्रिज में था तब उसके शरीरी में न्यूरो-पेशी समस्याओं के लक्षण विकसित हुए थे और मोटर न्यूरॉन यह एक प्रकार का रोग होता है जिसमे जल्दी से शारीरिक गतिविधियों बंद होने लगती है। उनका बोलना-चलना बंद हो गया, और वह खुद को हिलाने में असमर्थ हो गये। एक स्तर पर, डॉक्टरों ने उन्हें तीन साल का जीवन काल दे दिया था।

माना की,रोग की प्रगति धीमा हो गई है, और उन्होंने अपने अनुसंधान और सक्रिय सार्वजनिक कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए अपनी गंभीर विकलांगता को दूर करने में कामयाबी हासिल की है। स्टीफन हॉकिंग के दोस्तने कैम्ब्रिज में वैज्ञानिक एक कृत्रिम भाषण उपकरण बनाया और उसने उसे एक टचपैड का उपयोग करके बोलने दिया। यह प्रारंभिक सिंथेटिक भाषण ध्वनि स्टीफन हॉकिंग की ‘आवाज’ बन गई है, और परिणामस्वरूप, उन्होंने इस शुरुआती मॉडल की मूल ध्वनि को रखा है – तकनीकी प्रगति के बावजूद।

स्टीफन हॉकिंग ने नवीनतम तकनीक के बावजूद भी,यह अभी भी उसके लिए संचार करने के लिए एक समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी विकलांगता के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण लिया है। उन्होंने कभी भी अपने रोग को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया। सैद्धांतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान और क्वांटम ग्रेविटी में स्टीफन हॉकिंग के प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।

स्टीफन हॉकिंग का मुख्य कार्य –

अनेक उपलब्धियों में अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के लिए गणितीय मॉडल विकसित किया। उन्होंने ब्रह्माण्ड, बिग बैंग और ब्लैक होल की प्रकृति पर बहुत काम किया। 1974 में, उन्होंने अपने सिद्धांत को रेखांकित किया कि ब्लैक होल ऊर्जा रिसाव करते हैं और कुछ भी नहीं दर हो जाती हैं। इसे 1974 में “हॉकिंग विकिरण” के रूप में पहचाना जाता है।

गणितज्ञों रोजर पेनरोस के साथ स्टीफन हॉकिंग दिखाया कि आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का अर्थ है अंतरिक्ष और समय बिग बैंग में शुरू होगा और काला छेद में अंत होगा। अपनी पीढ़ी के सबसे उच्च भौतिकविदों में से एक होने के बावजूद, वह सामान्य भौतिकी मॉडल को आम जनता के लिए एक सामान्य समझ में अनुवाद करने में सक्षम हो गए। उनकी पुस्तकों – समय का एक संक्षिप्त इतिहास और एक संक्षिप्त में ब्रह्मांड दोनों बहुत मशहूर बन गए हैं।

230 दिनों से भी ज्यादा समय के लिए अधिग्रहण सूची में रहने वाले एक संक्षिप्त इतिहास के साथ- 10 दस मिलियन से भी ज्यादा प्रतियां चुकी हैं। अपनी पुस्तकों में, हॉकिंग हर रोज़ भाषा में वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझने की कोशिश करता थे और ब्रह्मांड के पीछे कार्य करने के लिए एक सिंहावलोकन देते थे। सबसे अधिक और सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक बन गए क्योंकी स्टीफन हॉकिंग अपनी पीढ़ी में किसी के पास उतना नॉलेज नहीं था और इसी लिए उसको अपनी पीढ़ी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से कहा गया है। 

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Stephen Hawking Biography video –

स्टीफन हॉकिंग की खोज –

  1. सिंगुलैरिटी का सिद्धांत – 1970
  2. ब्लैक होल का सिद्धांत – 1971-74
  3. कॉस्मिक इन्फ्लेशन थ्योरी – 1982
  4. यूनिवर्स का वेव फ़ंक्शन पर मॉडल – 1983
  5. ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ उनकी प्रसिद्ध किताब 1988 में प्रकाशित हुई थी
  6. हॉकिंग की ब्रह्मांड विज्ञान पर आधारित टॉप-डाउन थ्योरी – 2006

स्टीफन हॉकिंग पुरस्कार और उपलब्धियां –

स्टीफन हॉकिंग के पास 13 मानद डिग्रियां हैं.क्योकि उनके योगदान के लिए इन्हें कई अवार्ड भी दिए गए हैं और इन्हें अभी तक दिए गए पुरस्कारों की जानकारी नीचे दी गई है-

( 1 ) 1966 में स्टीफन हॉकिंग को एडम्स पुरस्कार दिया गया था. इस पुरस्कार के बाद इन्होंने साल 1975 में एडिंगटन पदक और साल 1976 में मैक्सवेल मेडल एंड प्राइज मिला था। 

( 2 ) हेइनीमान पुरस्कार हॉकिंग को साल 1976 में दिया गया था. इस पुरस्कार को पाने के बाद इन्हें साल 1978 में एक ओर पुरस्कार से नवाजा गया था और इस पुरस्कार का नाम अल्बर्ट आइंस्टीन मेडल था। 

( 3 ) साल 1985 में हॉकिंग को आरएएस गोल्ड मेडल और साल 1987 डिराक मेडल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल भी दिया गया था. इसके बाद सन् 1988 में इस महान वैज्ञानिक को वुल्फ पुरस्कार भी दिया गया था। 

( 4 ) प्रिंस ऑफ अस्टुरियस अवार्ड भी हॉकिंग ने साल 1989 में अपने नाम किया था. इस अवार्ड को मिलने के कुछ समय बाद इन्होंने एंड्रयू जेमेंट अवार्ड (1998), नायलोर पुरस्कार और लेक्चरशिप (1999) भी दिया गया था। 

( 5 ) साल 1999 में जो अगला पुरस्कार इन्हें मिला था उसका नाम लिलाइनफेल्ड पुरस्कार था और रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट की तरफ से इसी साल इन्हें अल्बर्ट मेडल भी दिया गया था। 

( 6 ) ऊपर बताए गए अवार्ड के अलावा इन्होंने कोप्ले मेडल (2006), प्रेसिडेंटियल मेडल ऑफ फ्रीडम (2009), फंडामेंटल फिजिक्स प्राइज (2012) और बीबीवीए फाउंडेशन फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड (2015) भी दिया गया हैं। 

स्टीफन हॉकिंग पुस्तकें – Stephen Hawking Biography

उन्होंने अपने जीवन काल दौरान अनेक किताबें भी लिखी हैं और स्टीफन हॉकिंग ने सारी किताब अंतरिक्ष के विषय में ही लिखी हुए है और उसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको दी हुए है। 

( 1 ) ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’– हॉकिंग द्वारा लिखी गई सबसे पहली किताब का नाम ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ था. ये किताब बिग बैंग और ब्लैक होल के विषय पर आधारित थी और साल 1988 में प्रकाशित हुई ये किताब 40 भाषाओं में उपलब्ध है। 

( 2 ) ‘द यूनिवर्स इन ए नटशेल’ – ये किताब साल 2001 में प्रकाशित की गई थी और हॉकिंग द्वारा लिखी गई इस किताब को साल 2002 में एवेंटिस प्राइस ऑफ साइंस बुक्स मिला था। 

( 3 ) “द ग्रैंड डिज़ाइन”- हॉकिंग द्वारा लिखी गई “द ग्रैंड डिज़ाइन” किताब साल 2010 में प्रकाशित हुई थी और इस किताब में भी अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी दी गई थी. ये किताब भी काफी सफल किताब साबित हुई थी। 

( 4 ) ‘ब्लैक होल और बेबी यूनिवर्स’ – ये किताब साल 1993 में आई थी और इस पुस्तक में हॉकिंग द्वारा ब्लैक होल से संबंधित लिखे गए निबंधों और व्याख्यानों का जिक्र था. इसके अलावा हॉकिंग ने बच्चों के लिए भी एक किताब लिखी थी. जिसका नाम ”जॉर्ज और द बिग बैंग” था और ये किताब साल 2011 में आई थी। 

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स्टीफन हॉकिंग के उद्धरण – Stephen Hawking quotes –

जीवन दुर्भाग्यपूर्ण होगा यदि ये अजीब और रोचक भरा ना हो तो. अगर आप हमेशा नाराज़ रहेंगे एवं कोसते ही रहेंगे तो किसी के पास आपके लिए टाइम नहीं होगा मेरे जीवन का लक्ष्य बहुत ही आसाना है और ये लक्ष्य इस ब्रह्मांड को समझना है और ये पता लगाना है कि ये ऐसा क्यों है और ये क्यों हैं. अज्ञानता दुश्मन नहीं हैं, जबकि दुश्मन वो भ्रम हैं जो ये कहे कि आपको सब कुछ आता हैं। 

Stephen Hawking Movie –

Stephen Hawking में सब को बतादे की साल 2014 में इन पर एक मूवी बनाई गई, जिसका नाम नाम “द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ हैं . इस फिल्म में उनकी जिंदगी के संघर्ष को दिखाया गया था और बताया गया था कि किस तरह से इन्होंने अपने सपनों के पूरा किया था। 

स्टीफन हॉकिंग की कुल संपत्ति –

इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में स्टीफन हॉकिंग का खुद का एक घर है और इस वक्त उनके पास कुल $ 20 मिलियन की संपत्ति है. उन्होंने ये संपत्ति अपने कार्य, पुरस्कारों और किताबों के जरिए कमाई हैं। 

स्टीफन हॉकिंग की मृत्यु –

stephen hawking Death in hindi स्टीफन हॉकिंग बहुत लंबे समय से बीमार चल रहे थे. एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस बीमारी के कारण इन्होंने अपने जीवन के लगभग 53 साल व्हील चेयर पर बताए थे वहीं 14 मार्च को इस महान वैज्ञानिक ने अपनी अंतिम सांस इग्लैंड में ली है और इस दुनिया से विदाई ले ली. लेकिन वैज्ञानिक में इनके द्वारा दिए गए योगदानों को कभी भी भुला नहीं जा सकेगा। 

Stephen Hawking Biography Questions –

1 .स्टीफन हॉकिंग का पूरा नाम क्या था ?

स्टीफन हॉकिंग का पूरा नाम स्टीफन विलियम हॉकिंग

2 .स्टीफन हॉकिंग का जन्म कब हुआ?

उनका जन्म 8 जनवरी, 1942 के दिन हुआ था। 

3 .स्टीफन हॉकिंग का जन्म स्थान कौन सा है ?

स्टीफन हॉकिंग का जन्म स्थान कैम्ब्रिज, इंग्लैंड है

4 .स्टीफन हॉकिंग के पिता का नाम क्या था ?

स्टीफन हॉकिंग के पिता का नाम फ्रेंक हॉकिंग था। 

5 .स्टीफन हॉकिंग की माता का क्या नाम था ?

स्टीफन हॉकिंग की माता का नाम इसोबेल हॉकिंग था

6 .स्टीफन हॉकिंग की पत्नी का नाम क्या था ?

दो पत्नी या थी एक का नाम जेन वाइल्ड(साल 1965-1995), दूसरी का नाम ऐलेन मेसन(साल 1995-2016) था। 

7 .स्टीफन हॉकिंग को स्टीफन हॉकिंग ने किसकी खोज की?

उनकी मुख्य खोज ब्लैक होल और महाविस्फोट का सिद्धांत है। 

8 .स्टीफन हॉकिंग को कौन सी बीमारी थी?

वह मोटर न्यूरॉन नाम के रोग के रोगी थे लेकिन डॉक्टर की भविष्यवाणी को उन्होंने गलत साबित किया था। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Stephen Hawking Biography बहुत ही पसंद आया होगा इस लेख के जरिये  हमने stephen hawking biography book और what is stephen hawking famous for से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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James Watt Biography In Hindi - जेम्स वाट की जीवनी हिंदी में

James Watt Biography In Hindi – जेम्स वाट की जीवनी हिंदी में

नमस्कार मित्रो आज हम James Watt Biography In Hindi की जानकारी से वाकिफ करने जा रहे है। जिसमे james watt steam engine in hindi की जानकारी के साथ दुनिया को औद्योगिक क्रान्ति की बात करेंगे।  

आज james watt invention ,james watt steam engine और james watt invention industrial revolution की जानकारी देने वाले है। जेम्स वाट ने पाता लगाया की आधुनिक इंजन सिलिंडर को हर बार ठंडा और गर्म करने की प्रक्रिया में बहुत सी उर्जा व्यर्थ गवाते है। तभी जेम्स वाट ने एक डिजाईन का विस्तार किया जो एक अलग कंडेंसर था, इस कंडेंसर से उर्जा व्यर्थ नही होती थी। इससे इंजन की ताकत, कार्यक्षमता और कीमत में भी प्रभावशाली बदलाव देखने मिले। 

बाद में परिणामत उन्होंने अपने इंजन को परिक्रमण (Rotary Motion) करने लायक बनाया और इसकी कार्यक्षमता भी बढ़ायी। इसके साथ ही उन्होंने हॉर्सपॉवर की संकल्पना और SI यूनिट ऑफ़ पॉवर, वॉट को भी विकसित किया, जिसे उन्ही के नाम से हम जानते है आज हम james watt interesting facts भी बताने वाले है। तो चलिए आपको ले चलते है इस की सम्पूर्ण माहिती के लिए। 

James Watt Biography In Hindi –

 नाम 

 जेम्स वाट 

 जन्म

 19 जनवरी 1736

 ग्रीनॉक

 रेन्फ्रिउशायर, स्कॉट्लैंड

 हैन्ड्सवर्थ

 बर्मिंघम, इंग्लैंड

 आवास

 ग्लासगो

 राष्ट्रीयता

 स्कॉटिश

 क्षेत्र

 यांत्रिक इंजीनियर

 संस्थान

 बोव्ल्टन

 बोव्ल्टन

  एंड वाटक़

 प्रसिद्धि

 वाष्प इंजन में सुधार

 

 मृत्यु

 25 अगस्त 1819 (उम्र 83)

जेम्स वाट की जीवनी –

वह एक मैकेनिकल इंजिनियर ही नहीं बल्कि स्कॉटिश खोजकर्ता और केमिस्ट भी थे जेम्स वाट ने वाट स्टीम इंजन का अविष्कार कर उद्योगिक दुनिया में क्रांति का दी थी और उस समय स्टीम इंजन का ज्यादातर उपयोग ग्रेट ब्रिटेन और बाकी अलग अलग देशो में भी हो रहा था। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में प्रभावशाली बदलाव लाये थे जब जेम्स वाट ग्लासगो यूनिवर्सिटी उपकरण बनाने वाले के पोस्ट पर काम करते समय जेम्स वाट को स्टीम इंजन के तंत्रज्ञान में मन (एंटरस ) लगने लगा था। 

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जेम्स वाट का प्रारंभिक जीवन –

information about james watt – का जन्म 19 जनवरी 1736 को क्लाईड की संकरी खाड़ी में ग्रीनोक्क बंदरगाह पर हुआ था। और जेम्स वाट के पिता जहाज के मालीक और ठेकेदार भी थे और साथ ही साथ वो गाँव के मुख्य बेली भी थे और जेम्स वाट की एग्नेस मुईरहेड, एक अच्छी पढ़ी-लिखी महिला थी जिसका संबंध एक टूटे हुए परिवार से था। उनके माता और पिता दोनों ही पादरी संघ शासित गिरजे के सदस्य थे वाट के दादा, थॉमस वाट गणित के शिक्षक और बेली थे। धार्मिक माता-पिता के हातो बड़े होने के बावजूद बाद में वे अडिस्ट बने थे। 

जेम्स वाट बचपन से ही बहुत गंभीर थे –

james watt ने बचपन से ही सोचा था की वो आगे जाकर जरूर कुछ नया करेंगे और वो सबसे अलग होगा | बचपन से ही जेम्स वाट सब बचो से अलग और गंभीर थे  वह खेल भी ऐसे खेलते थे, जिनमें उनकी गंभीरता साफ नजर आती थी | एक बार जेम्स वाट की माता चूल्हे पर खाना बनाने के लिए रखकर घर के अंदर कुछ काम कर रही थी। जेम्स चूल्‍हे पर रखी पानी के केटली को बहुत ध्यान से देख रहे थे।

उन्होंने देखा की केतली में उबल रहे पानी का भाप बार-बार केतली के ढक्कन को उठा दे रहा है। उन्होंने केतली पर एक कंकर रख दिया फिर भी थोड़ी देर बाद ढक्कन उठ गया तभी उन्हें लगा कि जरूर भाप कोई ना कोई शक्ति है।

James Watt हर रोज स्कूल नहीं जाते थे –

बचपन में जेम्स वाट रोजाना स्कूल भी नही जाते थे। बचपन में उनकी प्यारी माँ जेम्स वाट को घर पर ही पढ़ाया करती थी और फिर बाद में james watt ने ग्रीनोक्क ग्रामर स्कूल जाना शुरू किया स्कूल के दिनों में उन्होंने साबित कर दिया कि उनके अंदर इंजीनियरिंग और गणित के गुण अधिक हैं।

जेम्स वाट क्यों प्रसिद्ध है –

about james watt एक ऐसे आविष्कारक थे जो वैज्ञानिक तथा अभियान्त्रिकी क्षेत्र की समन्वित क्षमता के धनी व्यक्ति थे । जेम्स वाट ने जो वाष्प इंजन सम्बन्धी खोज की,उससे संसार को ऊर्जा तथा ऊष्मा की क्षमता का परिचय हुआ । औद्योगिक क्रान्ति लाने में वाट की यह खोज महान एवं उपयोगी साबित हुई है।

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जेम्स वाट ने भाप का इंजन कब बनाया –

1712 में, उन्होंने दुनिया का पहला वायुमंडलीय स्टीम इंजन बनाया जो who is james watt उन्होंने इंग्लैंड में कोयले की खान में स्थापित किया था। न्यूकॉमन की मृत्यु के समय, उनके 100 इंजन स्थापित किए गए थे। स्कॉटिश इंजीनियर जेम्स वाट ने एक अलग कंडेनसर जोड़कर न्यूकॉमन के शुरुआती मॉडल पर सुधार किया।

जेम्स वाट ने किसका आविष्कार किया –

दुनिया में औद्योगिक क्रांति लाने वाले james wat ने बचपन में ही भाप की शक्ति को भांप लिया था और अपनी इसी विश्लेषण शक्ति के बल पर वह आगे चलकर भाप का इंजन बनाने में सफल हुए। 

वाष्प इंजन का आविष्कार कब हुआ –

1698 ई. में मार्क्सेव देला पोर्ता के इस सुझाव का उपयोग टामस सेवरी ने पानी चढ़ाने की एक मशीन में किया। इस प्रकार सेवरी पहला व्यक्ति था जिसने व्यावसायिक उपयोग का एक भाप इंजन बनाया, जिसका उपयोग खदानों में से पानी उलीचने और कुओं में से पानी निकालने में हुआ।

James Watt Video –

जेम्स वाट की ज़िंदगी बदल गई –

james watt की माता की अचानक मुत्यु होगी और उनके पिता को बिजनेश में बहुत ही नुकसान हुवा था | और उसके बाद जेम्स वाट की जिंदगी बदल गई और फिर उन्हें अपरेंटिस का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद पेट भरने के लिए एक घड़ी निर्माता के यहां काम करने के साथ कई छोटे-मोटे काम भी करने पड़े। 1757 में जेम्स ने अपनी छोटी-सी वर्कशॉप बना ली, जिसमें वह यान्त्रिक उपकरण ठीक करने लगे। इसी बीच, उन्हें गुप्त ताप की खोज की घटना के बाद भाप सम्बन्धी शक्ति का ध्यान हो आया। उस दिनों में विश्वविद्यालय में एक स्लो स्लो काम करने वाला अधिक ईधन लेने वाला एक इंजन रिपेरिंग के लिए आया।जेम्स वाट ने इसे सुधारने की जिम्मेदारी उठाइ थी। 

उन्होंने उसमें लगे भाप के इंजन में एक कण्डेन्सर लगा दिया, जो शून्य ( जीरो ) दबाव वाला था। इस वजह से पिस्टन सिलेण्डर के ऊपर नीचे जाने लगा। पानी डालने की जरूरत उसमें नहीं थी। शून्य की स्थिति बनाये रखने के लिए जेम्स ने उसमें एक वायु पम्प लगाकर पिस्टन की पैकिंग मजबूत बना दी। घर्षण रोकने के लिए तेल डाला तथा एक स्टीम टाइट बॉक्स लगाया, जिससे ऊर्जा की क्षति रुक गयी। इस तरह वाष्प इंजन का निर्माण करने वाले जेम्स वाट पहले आविष्कारक बने।

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जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार –

भाप के इंजन का आविष्कार का श्रेय जेम्स वाट को दिया जाता है और इस भाप के इंजन के आविष्कार से ही जेम्स वाट प्रसिद्ध है सबसे पहले भाप के इंजन का आविष्कार मशहूर आविष्कारक थॉमस न्यूकोमन ने इंजन बनाया था और उसके बाद जेम्स वाट ने किया था लेकिन यह कम शक्तिशाली था और इसमे ऊर्जा हानि ज्यादा थी। भाप का भी सही तरह से उपयोग नही था जिससे भाप की हानि भी अधिक मात्रा में होती थी।

जेम्स वाट ने अपने अविष्कार के दौरान एक बहुत ही ताकात करने वाला इंजन बनाया और इस इंजन ओधोगिक निर्माण में तेजी की बरसाद करदी 1763 के वर्ष में जेम्स वाट की वर्कशॉप में न्यूकोमन का बनाया स्टीम इंजन ठीक होने आया। इस भाप के इंजन में केवल एक ही सिलिंडर था जिससे भाप आकर नीचे पानी मे बैठ जाती थी।

शक्तिशाली इंजन –

जेम्स वाट ने बनाये हुए इंजन में भाप को इकट्ठा करने के लिए एक कंडेनसर लगा दया था और वो कंडेनसर जीरो दबाव वाला था जिससे पिस्टन ऊपर नीचे गति करता था और पानी डालने की कोय जरुरत नही आए थी । शून्य दबाव बनाये रखने के लिए पिस्टन की पेकिंग को दुरुस्त और मजबूत किया और एक वायुपम्प भी लगाया।

ऐसा करने से यह इंजन और भी ताकतवर हो गया क्योंकि इसमें ऊर्जा और भाप की बहुत ही बचत हुई। जेम्स वाट के इस इम्प्रूवमेंट से भाप का इंजन न्यूकोमन के इंजन से अधिक शक्तिशाली हो गया।इस इंजन का उपयोग खदानों से पानी बाहर निकालने में होने लगा। james watt ने रोटरी स्टीम इंजन का निर्माण भी किया जो और भी ज्यादा शक्तिशाली था। इस इंजन से बड़ी मशीनरी भी आसानी से कार्य करने लगी।

महान वैज्ञानिक James Watt –

आज हमारी सारी दुनिया महान वैज्ञानिक ओके आविष्कारों की वजह से बहुत ही विक्षित हुए है | दुनिया में बहुत सारे वैज्ञानिको की खोज का सर्वाधिक उपयोग करता है, जेम्सवाट उन महान वैज्ञानिको मे एक हैं जब संपूर्ण विश्व ऊर्जा के किसी मजबूत एवं कारगर स्रोत की तलाश में था तब जेम्स वाट ने भाप इंजन के स्वरुप में बदलाव करके उसे सर्वाधिक सहयोगी बनाने का कार्य किया था । आधुनिक विश्व जिस औद्योगिक क्रांति के महानतम दौर से निकल कर वर्तमान तक आया है

उस औद्योगिक क्रांति का आधार ही जेम्स वाट के आविष्कारों पर आकर अटका था। जेम्स वाट ने ही पहली बार यह प्रतिपादित किया कि भाप में बहुत शक्ति है और अगर उसे समायोजित कर एक निश्चित केंद्र-बिंदु पर प्रशिक्षित किया जाए तो उससे प्राप्त होने वाली शक्ति से बड़ी से बड़ी मशीनें चलाई जा सकती है। 

जेम्स वाट  के छः चीजो पर एकल अविष्कार का पेटेंट है –

  •  पेटेंट 913 A उन्होंने स्टीम इंजन में अलग से कंडेंसर को लगाकर उसका उपयोग करने की विधि बतायी थी।
  • इसे 5 जनवरी 1769 को अपनाया गया था, जबकि 29 अप्रैल 1769 को इसे नामांकित किया गया था।
  • 1775 में संसद में इसे जून 1800 तक बढ़ा दिया गया था।
  • पेटेंट 1,244 शब्दों को कॉपी करने की नयी विधि बतायी, इस बदलाव को 14 फरवरी 1780 में अपनाया गया।
  • 31 मई 1780 में इसे नामांकित किया गया था।
  • 1,306 पेटेंट सूरज और ग्रह की परिक्रमण गति को बढ़ाने की नयी विधि बतलायी।
  • इस बदलाव को 25 अक्टूबर 1781 में अपनाया गया और 23 फरवरी 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,432 स्टीम इंजन में उन्होंने कयी सुधार किये – जिसमे तीन बार मोशन और स्टीम कैरिज लगाया गया।
  • इस बदलाव को 28 अप्रैल 1782 को अपनाया गया और 25 अगस्त 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,321, स्टीम इंजन में उन्होंने कयी सुधार किये – उसकी कार्यक्षमता बढ़ायी और डिजाईन भी बदला।
  • 14 मार्च 1782 को अपनाया गया और 4 जुलाई 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,485 भट्टी के निर्माण की नयी विधि बतायी।
  • इस बदलाव को 14 जून 1785 को अपनाया गया और 9 जुलाई 1785 को नामांकित किया गया।

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जेम्स वाट की उपलब्धियां और जानकारी –

  • james watt ने बनाया हुवा इंजन इतना शक्तिसाली हो गया।
  • तरह तरह की फैक्टरियां जेम्स के इंजन से चलने लगी थी।
  • ब्रिटेन की कपड़ा मिले इसी इंजन की सहायता से चलने लगे गयी।
  • जेम्स वाट ने अपने इस इंजन का पेटेंट भी करवाया था जिससे जेम्स वाट ने काफी पैसा कमाया।
  • अपने बिज़नेस पार्टनर वाल्टन के साथ मिलकर वाल्टन एंड वाट कम्पनी स्थापित की जिसके नीचे वाट ने स्टीम इंजन बेचे थे।
  • जेम्स वाट ने भाप की शक्ति को अच्छी तरह से पहचान लिया था।
  • उसी भाप की बदौलत से रेलगाड़िया चलने लगी थी।
  • जेम्स वाट ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी सदस्य भी रहे थे।
  • जेम्स वाट के सम्मान में ही विधुत शक्ति की एक इकाई का नाम वाट रखा गया था।
  • इंजन की पावर को हॉर्स में मापा जाता है जिसको हॉर्स पावर नाम जेम्स वाट ने ही दिया था।

James Watt Death –

दुनिया के महान वैज्ञानिक और अविष्कार james watt की मुत्यु 25 अगस्त 1819 में हुई थी।

यह महान वैज्ञानिक के अविष्कार भाप की शक्ति को पहचानकर उसको औधोगिक क्षेत्र में इस्तेमाल करके क्रांति लाये।

जिससे औधोगिक निर्माण में बहुत तेजी आई थी। 

James Watt Questions –

1 .जेम्स वाट का जन्म कब हुआ था ?

जेम्स वाट का जन्म 30 जनवरी 1736 को हुवा था। 

2 .भाप इंजन का आविष्कार कौन किया ?

what james watt invented – भाप इंजन का आविष्कार थॉमस सेवरीएडवर्ड सोमेरसेट , II मार्क्वेस ऑफ़ वॉरकेस्टर एडवर्ड हबर्ड किया था

3 .भाप का इंजन कैसे बना ?

भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन जो काम करने में जल-वाष्प का उपयोग करता है।

यह इंजन ज्यादातर वाह्य दहन इंजन होते हैं। उसमे Rankine cycle नाम का उष्मा-चक्र काम में लिया जाता है।

4 .जेम्स वाट की राष्ट्रीयता क्या थी ?

जेम्स वाट राष्ट्रीयता स्कॉटिश थी

5 .जेम्स वाट कोन सी संस्थान में थे ?

जेम्स वाट ग्लासगो विश्वविद्यालय संस्थान में थे

6 .जेम्स वाट की प्रसिद्धि क्यों थी ?

जेम्स वाट की प्रसिद्धि वाष्प इंजन में सुधार करने की थी। 

7 .जेम्स वाट की मुत्यु कब हुए थी –

जेम्स वाट की मृत्यु 25 अगस्त 1819 (उम्र 83) में हुए थी

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Conclusion –

आपको मेरा James Watt Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने james watt invention industrial revolution और statue of james watt से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास james watt steam engine in hindi या james watt – wikipedia की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .जेम्स वाट क्यों प्रसिद्ध था ?

2 .जेम्स वाट का जन्म कब हुआ ?

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Biography of Shanti Swaroop Bhatnagar In Hindi - Biography Hindi

Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi – शांति स्वरूप भटनागर जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi में रासायनिक प्रयोगशाला के संस्थापक शान्ति स्वरूप भटनागर का जन्म परिचय बताने वाले है। 

एक महान और बुद्धिमान व्यक्ति थे , वे बचपन में ऐसे सवाल करते थे की इनके अध्यापक भी सोच विचार में पड़ जाते थे और उनके सवाल का जवाब देना मुमकिन नहीं ना मुमकिन था। आज shanti swarup bhatnagar contribution to science ,shanti swaroop bhatnagar mother name और shanti swaroop bhatnagar invention की जानकारी बताने वाले है।

शान्ति स्वरूप भटनागर के पिता की मृत्यु हो गई तब भटनागर बहुत छोटी उम्र के थे। उनके पिता की मृत्यु बाद वे इनके नाना ने जिम्मेदारी ली थी ,बाद में उन्होंने पढाई में ध्यान दिया और आखिर में वे एक महान व्यक्ति बन गए। उनकी याद में आज भी शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड दिया जाता है तो चलिए इस महान इन्सान के सफलता की कहानी की शुरुआत करते है। 

Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi –

 नाम  शान्ति स्वरूप भटनागर ( shanti swaroop bhatnagar )
 जन्म  21 फरवरी 1894
 जन्म स्थर  शाहपुर अब पाकिस्तान में भेरा नामक गांव में
 पिता   परमेश्वरी सहाय
 शिक्षा  पंजाब विश्वविद्यालय युनिवर्सिटी कालेज, लंदन
 राष्टीयता  भारतीय
 पुरस्कार पद्म भूषण’1954, नाइट बेचलर 1941,ओबीइ 1936 ,रॉयल सोसाइटिना ना फेलो 1943,
 मृत्यु साल  1 जनवरी 1955
 मृत्यु स्थान   भारत के नई दिल्ली
 पुरस्कार  पद्म भूषण से सम्मानित, सी. एस. आई. आर. (CSIR)

शांति स्वरूप भटनागर की जीवनी –

शांति स्वरूप भटनागर का जन्म ई.स 21 फरवरी 1894 में शाहपुर (अब पाकिस्तान में भेरा नामक गांव मेंहुवा था इनके पिता का नाम परमेश्वरी सहाय भटनागर था जब शान्ति स्वरूप भटनागर केवल 8 महीने के हुए थे तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता के मृत्यु के बाद शांति स्वरूप भटनागर की देख भाल की जिम्मेदारी उनके नाना ने लेली थी।

इनके नाना एक इंजीनियर थे उनके नाना जी इंजीनियर होने के कारण शान्ति स्वरूप भटनागर इनके नाना की तरह वे बने थे। शान्ति स्वरूप भटनागर को बचपन में ही उन्होंने बचपन में ही इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाते थे उन्हें बचपन में इलेक्ट्रानिक में चीज बनाना ते थे |

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शान्ति स्वरूप भानगर की शिक्षा –

shanti swaroop bhatnagar ने शुरुआत की शिक्षा उन्हों ने डीएवी हाई स्कूल में की थी इसके बाद वे सरुआती शिक्षा पूर्ण करया बाद वे ई.स 1919 में लाहौर की हाइसस्कूल में उन्होंने एड्मिसन लिया था। इसके बाद उन्होंने चर्चित सरस्वती स्टेज सोसाइटी की सदस्यता ले ली इसके बाद उन्होंने शिक्षा के साथ साथ शान्ति स्वरूप भटनागर हिंदी भाषा के साथ साथ उन्होंने उर्दू भाषा का भी अध्यापक किया और उन्होंने उर्दू भाषा भी सिख लिया था। 

शान्ति स्वरूप भटनागर ने उर्दू भाषा में एक करामति नाम पे एक नाटन लिखा था वो नाटक उर्दू भाषा में था तो शान्ति स्वरूप भटनागर ने उर्दू भाषा का अनुवाद उन्होंने इस नाटक का अंग्रेजी भाषा में सरस्वती स्टेज सोसाइटी पे किया था।इनके बाद अंग्रेजी भाषा में उन्होंने अनुवाद किया था तो शान्ति स्वरूप भटनागर को ये भाषा अनुवाद दरमियान उनको ई.स1919 को ‘सर्वश्रेष्ठ नाटक’ पुरस्कार और एवॉर्ड मिला था। 

ई.स 1913 में शान्ति सवरूप भटनागर पंजाब यूनिवर्सिटी से इंटरमीडिएट ने प्रथम नबर में परीक्षा पास किया था वे परीक्षा पास कर्या बाद उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में एड्मिसन लिया था। वहा पे शान्ति स्वरूप भटनागर ने ई.स 1916 में बीएससी और एमएससी की परीक्षा उन्होंने इस यूनिवर्सिटी में पास की थी। 

अमेरिका में शिक्षा –

इनके बाद शान्ति स्वरूप भटनागर को आगे पढाई करने के लिए ‘दयाल सिंह ट्रस्ट’ से छात्रवृति मिली थी इनके बाद वे पढाई करने के लिए वे अमेरिका जाने की तैयारी कर ली थी। शान्ति स्वरूप भटनागर ने आगे पढाई करने के लिए वे अमेरिका जाने के तैयारी करली लेकिन वे अमेरिका नहीं जा सके क्योकि उन्हें लंदन से अमेरिका जाने के लिए जहाजों में उनकी टिकिट नहीं मिली थी और उनकी वजह यह थी इस समय प्रथम विश्व युद्ध हुवा था। 

इस प्रथम विश्व युद्ध के कारन सभी जहाजों की सीट अमेरिका के सेनिको के लिए बुकिंग कर दी थी वे विश्व युद्ध के कारन शांती स्वरूप भटनागर अमेरिका नहीं पोहच सके थे और वे लंदन में ही रुक गए थे। जो भी होता हे वे अच्छे के लिए ही होता है और एक एशा ही हुवा की शान्ति स्वरूप भटनागर को इस समय यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक प्रोफेसर फ्रेडरिक जी डोनन के सानिध्य ने पढाई करने की ऑफर कर दी थी। 

ई.स 1921 में उन्होंने डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि प्राप्त कर ली थी जब शान्ति स्वरूप ने लंदन टूर जाने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग ने उन्हें 250 यूरो दिया था टूर पे धूमने के लिए। 

शान्ति स्वरूप भटनागर भारत वापस आते ही प्रोफ़ेसर बन गए –

shanti swaroop bhatnagar लंदन टूर खत्म होते ही वे ई.स1921 भारत वापस आये और इनके बाद वे नारस हिन्दू विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक (प्रोफेसर) बन गए और वे 3 साल तक वे अधयापन किया इसके बाद में वे पंजाब यूनिवर्सिटी में जुड़ गए। शान्ति स्वरूप भटनागर ने एक प्रोफेसर से के रूप में उन्होंने 19 साल तक शिक्षा देने की सेवा की थी|

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Shanti Swaroop Bhatnagar को क्यों प्रयोगशाला का जनक कहा जाता है –

शान्ति स्वरूप भटनागर को प्रयोगशाला के जनक इसलिए कहा जाता है की उन्होंने भारत में कही रायसायनिक प्रयोगशाला ओ की स्थापनाए की थी ,इस लिए उन्हें प्रयोगशाला के जनक कहा जाता है। shanti swaroop bhatnagar ने भारत में कुल मिलकर 12 प्रयोगशाला की स्थापना ये की थी| नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनआरडीसी)और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। 

डॉ भटनागर ने इनमें मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान भी शामिल है ,भारत में विज्ञान के विकास में उनके काफी सारे योगदान को देखते हुए। इनके देहांत के बाद सीएसआईआर ने उनकी याद में उनके नाम पर पुरस्कार की घोषणा की ये पुरस्कार ये महान साइटिस ओ को दिया जाता है शान्ति स्वरूप भटनागर को ई.स 1943 में ब्रिटिश सरकार ने मशहूर रॉयल सोसायटी के भी चुने थे। 

शान्ति स्वरूप भटनागर एक महान वैज्ञानिक थे और इनके दिमाग में तेज़ बुद्धि शारी भी थे वे वैज्ञानिक होते भी एक कवी भी थे उन्होंने उनके जीवन में नाटक और कहानियो भी लिखी थी ,शान्ति स्वरूप ने इनके कॉलेज दरमियान नाटक और कहानिया लिखर उन्होंने कई सारे पुरस्कार भी प्राप्त किये थे। लेकिन बतौर लेखक उनकी ख्याति कॉलेज परिसर से आगे नहीं जा पाई. शांति स्वरुप ने बीएचयू का कुलगीत भी लिखा था हिंदी कविता का बेहतरीन उदाहरण भी है। 

शान्ति स्वरूप भटनागर की प्रयोगशालाए –

  • 1.केन्द्रीय खाद्य प्रोसैसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान, मैसूर

ये प्रयोगशाला केन्द्रीय खाद्य प्रोसैसिंग प्रौद्योगिकी संस्था मैसूर में हैसाइटिश एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक प्रयोगशाला है।

  • 2.राष्ट्रीय रासायनिकी प्रयोगशाला, पुणे

ये प्रयोगशाला की स्थापना 6 अप्रेल 1947 में की गयी थी जवाहर लाल नेहरू जी ई.स 3 जनवरी 1950 इस राष्ट्र को समर्पित किया था 
इस प्रयोगशाला के प्रथम अध्यापक डॉ॰जे.डब्ल्यु.मैक्बेन थे| ये प्रयोगशाला ई.स 1950-1952 में ये प्रयोगशाला वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान सबंधित आती है। ये प्रयोगशाला में पीएचडी के 300 जितने लोग काम करते है |

  • 3.राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, नई दिल्ली

ये प्रयोगशाला अमहदाबाद में बनाया गया हे ,ये प्रयोगशाला एक मुख्य रूप से अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग मिलकर एक स्वायत्त संस्था है ,इस प्रयोगशाला में सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानखगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी जैसे पयोग की पढाई की जाती है। 

  • 4 .राष्ट्रीय मैटलर्जी प्रयोगशाला, जमशेदपुर

 ये प्रयोगशाला भारत में एक ऐसी प्रयोगशाला जिसमे भारत में 38 प्रयोगशाला में से एक ऐसी प्रयोगशाला में से है एक है ,इस प्रयोगशाला का उद्घाटन ई.स 26 नवम्बर 1950 में जवाहरलाल नेहरू जी किया था। 

और ये प्रयोगशाला जमशेदपुर के बर्मामाइन्स में बनी हुयी है |  इस प्रयोगशाला की आधारशिला 21 नवम्बर 1946 को भारत के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य थेउनके द्वारा रखा गया था

  • 5.केन्द्रीय ईंधन संस्थान, धनबाद

ये सस्था झारखण्ड बनी हुयी है ये प्रयोगशाला भारत की वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक अंगीभूत प्रयोगशाला है। 
ये प्रयोगशाला खनन से खपत तक ईस प्रयोगशाला कोयला के ऊर्जा श्रृंखला ओ के प्रयोग किया जाता है , अनुसंधान व विकास से निवेश उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है।

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शान्ति स्वरूप भटनागर के पुरस्कार के बारे में जानकारी –

यह पुरस्कार सी एस आई आर के प्रथम स्थापक को ये shanti swaroop bhatnagar के सन्मान में दिया जाता है। 

  • जीवविज्ञान
  • रसायन विज्ञान
  • पर्यावरण विज्ञान
  • इंजीनियरिंग
  • गणित,
  • चिकित्सा
  • भौतिकी

ये पुरस्कार काफी मेहनत और अविष्कार करनेवाले 45 वर्ष की आयुमे हमारे भारत देश के भारतीय वैज्ञानिकों को दिया जाता है। ये पुरस्कार आखिर ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है ,जिसने CSIR की राय में, मानव ज्ञान और प्रगति को बढ़ाने में काफी योगदान दिया है उन्हें ये पुरस्कार दिया जाता है। 

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार – (Shanti Swaroop Bhatnagar Award)

विज्ञान के क्षेत्रों में योगदान के लिए विज्ञान एक ओद्यौगिक अनुसंधान सीएसआईआर द्वारा हर साल दिया जाता है। shanti swaroop bhatnagar पुरस्कार 2019 में बृहस्पतिवा को दिया गया। सीएसआईआर की स्थापन दिन की अवसर मनाते हे। उस दिन पुरस्कार देने के लिए चुने गए थे। वैज्ञानिकों में भारतीय विज्ञान की शिक्षा का एक जो स्थान है। 

वैज्ञानिक डा. के साईकृष्णन और दिल्ली में स्थापित है इस रास्ट्रीय रोग पतिरोग सोमन शामिल है इनमे जिव विज्ञान के क्षेत्रों में ये पुरस्कार दिया जाता है। ये पुरस्कार प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हरसवर्धन के बावजूद इस पुरस्कार की घोषण की या गया था ये पुरस्कार भारत के वैज्ञानिकों को दिया जाता है। 

रसायन विज्ञानके क्षेत्रों में वे साल में शांति स्वरूप भटनागर संन्मान को ईआईटी मुंबई के डाऔर राघवन बी सुनोज वे बेगलुर में है। और जवाहरलाल नेहरू जी। साइंटिफिक रिसर्च के डा. तापस कुमार माजी को संयुक्त रूप से चुना गया इस पुरस्कार माइक्रोसॉफ़ के रीसच इंडिया के माणिक शर्मा को पुरस्कार उन्हें दिया जायेगा। 

यहाँ पे गणित के स्थान ओ में गणित और विज्ञानके मयूरभाई पंचोली और कोलकाता में रहनेवाले नीना गुप्ता तथा धीरज कुमार और हैदराबाद में रहने वाले एल वि प्रशाद और मोमद जावेद और ये सभी को ये पुरस्कार से सन्मानित किया जायेगा। भौतिक विज्ञान के क्षेत्रों में बेगलुर में रहने वाले भारतीय साइटिस के डा अनिदा सिन्हा और मुंबई में रहनेवाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के डा. और शनकर घोष वे साल शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है।

Shanti Swaroop Bhatnagar Death –

शान्ति स्वरूप भटनागर की मृत्यु ई.स 1 जनवरी 1955 में उनको हदय दर्द होने के कारण उनकी मृत्यु हुयी थी। 

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Shanti Swaroop Bhatnagar Interesting Fact –

  • शान्ति स्वरूप भटनागर केवल 8 महीने के हुए थे तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। 
  • पिता के मृत्यु के बाद शांति स्वरूप भटनागर की देख भाल की जिम्मेदारी उनके नाना ने लेली थी।
  • शान्ति स्वरूप भटनागर हिंदी भाषा के साथ साथ उन्होंने उर्दू भाषा का भी अध्यापक किया और उन्होंने उर्दू भाषा भी सिख लिया था। 
  • स्वरूप भटनागर ने एक प्रोफेसर से के रूप में उन्होंने 19 साल तक शिक्षा देने की सेवा की थी|
  • शान्ति स्वरूप भटनागर को प्रयोगशाला के जनक इसलिए कहा की उन्होंने भारत में कही रायसायनिक प्रयोगशाला ओ की स्थापनाए की थी। 

Shanti Swaroop Bhatnagar Questions –

1 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2019 किसे दिया गया ?

 डा. अनिंदा सिन्हा और डा. शंकर घोष को दिया गया था। 

2 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की शुरुआत कब हुई थी ?

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की शुरुआत 1960 कि साल से किया गया था। 

3 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है ?

विज्ञाण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं असाधारण भारतीय प्रतिभा के धनियों को उजागर करना है। उन्हें शांति स्वरूप भटनागर के सम्माण में दिया जाता है।

4 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2020 किसे दिया गया ?

बुशरा अतीक को चिकित्सा विज्ञान की श्रेणी में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2020 दिया गया था। 

5 .शांति स्वरूप भटनागर माता का नाम क्या है ?

उसक माता का नाम ज्ञात नहीं है लेकिन उनके पिताजी का नाम परमेश्वरी सहाय था। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने shanti swarup bhatnagar prize for science and technology 2020 और shanti swaroop bhatnagar awards  से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द। 

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Biography of Isaac Newton In Hindi - आइजक न्यूटन की जीवनी परिचय हिंदी में

Isaac Newton Biography In Hindi – आइजक न्यूटन की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे आर्टिकल में आपका स्वागत है आज हम  isaac newton biography and contribution में एक महान साइंटिस्ट एव गणितज्ञ सर आइजक न्यूटन का जीवन परिचय बताने वाले है। 

वह एक ज्योतिष दार्शनिक भी थे उन्होंने गति के सिद्धांत और गुरुत्वाकर्षण बल के सिद्धान्त के नियम आदि की शोध की थी। आज what did isaac newton discover ? ,isaac newton gravity और isaac newton quotes की जानकारी देने वाले है। एक किसान का बेटे से विश्व के महान साइंटिस्ट एव गणितज्ञ बनने तक न्यूटन की कहानी बहुत रस भरी और रोचक है। 

सर आइज़क न्यूटन की खोज मानव जीवन के लिए एक बेहतरीन योगदान साबित हुआ है , न्यूटन के गति नियम से पृथ्वी सूर्य के आसपास गोल परिक्रमा करती है उसका पता चल सका है। उनके महान विचारो के फल स्वरूप आइज़क न्यूटन आविष्कार पुरे विस्व में बहुत प्रचलित है। isaac newton family में उनके पिताजी से पहले ही मर चुके थे  तो चलिए शुरू करते है उनसे जुडी कई साडी जानकारी स ेआपको ज्ञात करवाते है। 

Isaac Newton Biography In Hindi –

  नाम    आइजैक न्यूटन
  जन्म   14 जनवरी 1643
  जन्मस्थान   इंग्लैंड के लिंकनशायर के वूलस्टोर्प में
  पिता   सर आइजक न्यूटन
  माता   हन्ना ऐस्क्फ़ 
  मृत्यु   31 मार्च 1727
  मृत्यु स्थान

 जर्मनी

आइजक न्यूटन की जीवनी –

ऐसा एक दिन था आइजैक न्यूटन सेफ के पेड़ के नीचे बैठे थे और अचानक सेफ के पेड़ ऊपर से एक सेब गिरा तभी न्यूटन के मन में विचार आया की सेफ निचे क्यू गिरा,वो सेफ ऊपर क्यों नहीं गया। वह काफी समय तक से सेफ के पेड़ के निचे बैठकर यही सोच रहे थे। बहुत देर तक सोचने और विचारने के बाद उन्होंने प्रयोग करके पता लगाया कि जो चीज ऊपर है वह नीचे आएगी। जब भी गुरुत्वाकर्षण बल रहेगा तब तक वह चीज नीचे ही गिरे गा |तब गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाएगा तो वो चीज वही तैरने लगेगी। इस प्रकार न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की थी।

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Isaac Newton childhood (आइजैक न्यूटन का बचपन)

आइजैक न्यूटन के पिता की मृत्यु उनके जन्म लेने के दो महीने पहले ही हो चुकी थी , जब वो सिर्फ 3 वर्ष के थे तब आइजैक न्यूटन की माँ ने दूसरी बार शादी कर ली थी और तब उनको छोड़ के चली गयी थी ,उसके बाद उनकी देख रेख उनकी दादी ने की थी, न्यूटन के सौतेले पिता की जब मृत्यु हो गयी, तब उनकी माँ वूल्स्थोर्पे लौट आई और उन्होंने पारिवारिक खेती में न्यूटन को मदद करने के लिए कहा, लेकिन न्यूटन को खेती की अपेक्षा पढना पसंद था। 

Isaac Newton Education (आइजैक न्यूटन की शिक्षा)

आइजैक न्यूटन की बचपन की पढाई अपने गाँव में ही हुई थी , जब वो 12 साल के हुए तब वे इंग्लैंड के ग्रंथम में किंग पाठशाला में पढने के लिए चले गए।  वहाँ वे फार्मासिस्ट के घर में रहते थे जिसका नाम क्लार्क था. न्यूटन को क्लार्क की रासायनिक पुस्तकालय और प्रयोगशाला बहुत पसंद थी। उन्होंने क्लार्क की बेटी का मनोरंजन करने के लिए यांत्रिक उपकरणों का निर्माण किया था, जिसमे शामिल था एक लाईव माउस, फ्लोटिंग लालटेन और सन डायल्स द्वारा चलने वाली पवन चक्की का समावेश हुआ करता था। 

आइजैक न्यूटन19 वर्ष की अवस्था में उन्होंने इंग्लैण्ड के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश करके 1665 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी , वे मास्टर डिग्री भी प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन प्लेग बीमारी की होने से उन्हें वूल्स्थोर्पे वापस जाना पड़ा था।जहाँ पर वे 1666 से 1667 तक रहे. जहा पे वे उनके बुनियादी प्रयोगों का उपयोग करते रहे, साथ ही गुरुत्वाकर्षण बण के बारे में और प्रकाश के अध्ययन के बारे अपनी सोच पर काम करते रहे। 

कैम्ब्रिज से लौट कर उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री को पूरा किया और उसके बाद अपनी खोज को विस्तृत करने में लग गए. उसके गणित के टीचर उनसे बहुत प्रभावित थे, 1669 में उनके टीचर ने किसी और नौकरी के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया और इसने कहा की न्यूटन को अपनी जगह लेने को कहा, जिसके बाद न्यूटन गणित के प्रोफेसर बन गए। 

आइजैक न्यूटन का करियर – 

आइज़क न्यूटन वो अपने गणित के अध्यापक को बहुत प्यारे थे। न्यूटन जब इस कॉलेज से मास्टर की डिग्री प्राप्त कर रहे थे इसी कॉलेज के प्रोफेसर ने दूजी जॉब के लिए प्रोफेसर के पद से निकाल दिया इसके बाद इनके गणित के अध्यापक ने न्यूटन को उस पद को सभाल ने को कहा था। न्यूटन ने उनकी बात को इनकार नहीं किया और वे गणित के प्रोफेसर बन गए। न्यूटन अपने प्रयोगों को बहोत आगे तक ले जाने के लिए और ज्यादा शोध करने के लिए प्रयत्न करने लगे और न्यूटन ने जो खोज ऐसा कहाजाता है की उन्होंने कई लाजवाब और बेहतरी संशोधन किये हुए है। 

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गति के नियम में प्रयोग – 

  • 1.नियम था “जड़त्व का नियम” ये नियम के अनुसार एक चिज़ तक स्थिर बनी रहेगी जब भी उस पर कोई भार ना लगाया जाए और एक चीज तब तक गति में रहेगी जब तक इस पर कोई शक्ति ना लगाया जाए।
  • 2.नियम है “संवेग का नियम” वे पालन के अनुसार वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर वहा पर लगाए गये शक्ति के अनुक्रमानुपाती तथा संवेग परिवर्तन आरोपित बल की दिशा में होता है।
  • 3.नियम है “क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम” ये नियम के में जब किसी चीज़ पर कोई ताकत लगाया जाता है तो चिज़ भी उतना ही बल उस बल के विपरीत दिशा में लगाती है।

क्या आइजैक न्यूटन का सेब का पेड़ अभी भी जीवित है –

जगत के महान साइंटिस्ट सर आइजैक न्यूटन का सेब का वृक्ष आपको भारत में देख सकते हो इसने उन्हें गुरुत्वाकर्षण का नियम शोध के लिए प्रेरित किया। आज से करीब 350 साल पहले उस सेब के वृक्ष से गिरे फल को देखकर ही न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत और गति की शोध की थी। इस वृक्ष का वंशज भारत में आप देख सकते हो ये पेड़ देश में नई पीढ़ी के साइंटिस्ट को चुना गया है। 

पुणे में इंटर विद्यापीठ केन्द्र फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) विदेशक सोमक रायचौधरी के अनुसार, स्थरांतर के प्रांगण में यह मामले में एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसके तहत IUCAA कंपाउंड में न्यूटन ट्री की कलम को भारतीय सेब के वृक्ष पर उगाने की तुलना की जा रही है. न्यूटन के इस वृक्ष के क्लोन दुनिया के कई और देशों में इसी तकनीक के सहारे पहुंच चुके हैं। 

इंग्लैड के लिंकनशायर में लोगों ने न्यूटन के घर के गार्डन में ऐसे ही वृक्ष उगाने की मेहनत की थी , ऐसी मेहनत 1977 में भारतीय साइंटिस्ट जयंत नार्लीकर ने यहां की थी. अब IUCAA द्वारा मेहनत की जा रही है। हालांकि की नार्लीकर को न्यूटन के सेब के वृक्ष की बजाय बरगद के पेड़ को कार्य के लिए आदेश किया। ई.स 1997 और 2007 के बीच न्यूटन के ‘एप्पल ट्री’ को विकास करने के लिए तीन प्रयास किए गए। रायचौधरी ने बताया कि वह पेड़ 2007 के आखिर में खत्म हो गया था। 

आइजैक न्यूटन की सफलता – 

अगस्त 1684 में, हैली न्यूटन के साथ कैम्ब्रिज गए,वो उनके अलगाव से बाहर आ रहे थे। हैली ने जान बुच के से उनको कहा कि सूर्य के आकर्षण से सूर्य के आकर्षण के बीच (हुक के सिद्धांत) के बीच की दूरी के बाद एक ग्रह की कक्षा किस आकार में आती है। पिछले 6 सालों से अपने काम के कारण से न्यूटन को आंसर मालूम था, और आंसर दे दिया “एक अंडाकार” हैली ने उनको गणितीय सवरूप से समस्या का करने के लिए राजी किया। और सभी लागतों का भुगतान करने की पेशकश की ताकि सोच ने को प्रकाशित किया जा सके, जो न्यूटन के प्रिंसिपिया में था।

1687को प्रिंसिपिया के संस्कर के प्रकाशन पर, रॉबर्ट हुक ने जल्दी न्यूटन पर रॉबरी का इंतजाम लगाया और वादा कहा कि उसने व्युत्क्रम वर्गों के सिद्धांत की शोध की है और न्यूटन ने उनका काम चुरा लिया है। न्यूटन, बोहोत गुस्से में थे और दृढ़ता से खुद खोजों का बचाव किया। हैली,उन्होंने न्यूटन के काम मे बहुत शांत किया था, दो पुरुषों के बीच शांति बनाने की कोशिश की। प्रिंसिपिया के ई.स1687 में सब के सामने किया गया था। न्यूटन की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि बढ़ने के बाद, हुक का नाश हुआ, जिससे वह अपने प्रतिद्वंद्वी की ओर और भी कड़वा और घृणित हो गया।

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आइजैक न्यूटन ने भौतिकी का पिता क्यों कहा जाता है – 

अपनी इस किताब में न्यूटन ने गुरुत्व और गति के 3 नियम का शोध किया जिसने अगली तीन के लिये भौतिक सौर मॉडल के साइटिस दृष्टिकोण पर अपना परिचय स्थापित कर दिखया।  न्यूटन ने बताए की सृष्टि पर चीज़ की गति और आकाशीय पिंडो की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमो के समान समुच्चय के द्वारा होता है। व्यक्ति केवल उन्हें ज़डपी वेग केपलर के पालन तथा खुद गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच स्थापित की. इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और साइटिस क्रांति के आधुनि के बारे में पिछले संदेह को दूर किया। 

Isaac Newton ने यांत्रिकी में वेग यातो कोणीय वेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को विकसाया किया. प्रकाश में, उसने पहले व्यवहारिक परावर्ती बनाया। इस सहारे पर रंग का सिद्धांत विकास किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उसने शीतलन का पालन किया और ध्वनि की गति का में खोज किया. गणित में, अवकलन और सरखी के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के पास न्यूटन खो जाता है। साइंटिस्ट के आमने सामने न्यूटन की स्थिर बहुत शीर्ष पद पर है, पर ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी में 2005 में हुए साइंटिस्ट के एक सर्वेक्षण के द्वारा सामने आता है। 

इतिहास पर प्रभाव –

विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का. इस सर्वेक्षण में न्यूटन को खूब प्रभावी पाया गया. न्यूटन धार्मिक भी थे।  हालाँकि वे एक वंश से ईसाई थे, न्यूटन एक प्राकृतिक विज्ञान, जिसके लिए उन्हें आज याद किया जाता है,न्यूटन की तुलना में बाइबिल हेर्मेनेयुटिक्स पर अधिक लिखा है। इसके बाद में न्यूटन रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष भी रहे। न्यूटन ने ब्रिटिश सरकार की वार्डन और मास्टर ऑफ़ द रॉयल मिंट बनकर सेवा की।

न्यूटन जैसे महान साइंटिस्ट का जीवन हमें बताता है न्यूटन की कमजोर शुरुवात और दुनिया भर के विरोध के बावजूद धुन का पक्का व्यक्ति कुछ भी कर गुजर सकता है। हमें उनके जैसे पेरणा लेनी चाइये और ज़िंदगी में कही तरह की मुश्किलों आती है लेकिन हमें बिना डरे निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिये और एक दिन अपने सपनो को साकार करना चाहिये। 

आइज़क न्यूटन की विधि – 

एक सेट को हल करने के लिए एक अनुमान तकनीक है ,अज्ञात के बराबर संख्या के साथ विभिन्न nonlinear समीकरण। न्यूटन रैपसन विधि का इस्तमाल कर लोड प्रवाह के लिए समाधान के दो इस्तमाल हैं ,1 विधि चर के लिए आविष्कार निर्देशांक का इस्तमाल करती है जबकि 2 विधि ध्रुवीय सामान्य रूप का इस्तमाल करती है। इन दो विधियों में से ध्रुवीय समन्वय रूप का पर्याप्त रूप से इस्तमाल किया जाता है।

आइज़क न्यूटन रैपसन विधि की प्रक्रिया – 

यह वॉल्टेज का सरुआत मूल्य मान लें | Vi 0 और सामान्य विभाग कोण δi0 i = 2, 3,… .. के लिए काफी वजन बसों के लिए और पीवी बसों के लिए विभाग कोण आम तौर पर हम मान लिया गया बस वोल्टेज परिमाण और इसके चरण कोण को सुस्त बस मात्रा के बराबर सेट करते हैं। 

  • = 1.0, δ1 = 0 =।

गणना पीमैं और क्यूमैं निम्नलिखित समीकरण (5) और (6) से प्रत्येक लोड बस के लिए ऊपर दिखाया गया है। पीवी बसों के लिए, क्यूई का मूल्य नहीं है ,निर्दिष्ट है, लेकिन इसी सीमा ज्ञात है। यदि क्यूई की गणना मूल्य सीमा के भीतर है तो केवल isPi की गणना की जाती है। यदि क्यूई की गणना मूल्य सीमा से परे है, तो एक ऊपर सीमा लगाई जाती है और क्यू की गणना ऊपर सीमा से क्यूई की गणना मूल्य घटाकर भी की जाती है। विचाराधीन बस को अब वजन बस माना जाता है।

आइज़क न्यूटन रैपसन विधि के लाभ –

वह द्विघात अभिसरण महत्व के पास है। इसलिए, अभिसरण बहुत तेज है पुनरावृत्तियों की संख्या प्रणाली के आकार से आज़ाद है। उच्च सटीकता का समाधान छोटे और बड़े दोनों प्रणालियों के लिए दो से तीन पुनरावृत्तियों में लगभग हमेशा प्राप्त होता है। न्यूटन रैपसन विधि अभिसरण सुस्त बस की पसंद के प्रति संवेदनशील नहीं है सभी मिलावट , गणना समय में सेव होती है क्योंकि कम संख्या में पुनरावृत्तियों की आवश्यकता होती है।

आइज़क न्यूटन रैपसन विधि की सीमाएं – 

वह समाधान तकनीक भारी है जैकबियन के तत्वों को प्रत्येक पुनरावृत्ति के लिए गणना करने में अधिक समय लगता है। कंप्यूटर मेमोरी की आवश्यकता बड़ी है।

Isaac Newton Book (आइसाक न्यूटन की पुस्तक)

वह पुस्तक में न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी है, इस पुस्तक के लेखक हैं नंदिता दासइस पुस्तक का कुल साइज 1.4MB है | पुस्तक में कुल 24 पृष्ठ हैं अगर आपको पढ़ना है तो आप भी पढ़ सकते है। 

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Isaac Newton’s death ( आइज़क न्यूटन की मृत्यु )

न्यूटन की मृत्यु 31 मार्च 1727 को , जर्मनी मे हुवा था | इन्हें वेस्टमिंस्टर एब्बे में समाया गया था। न्यूटन के एक भी बच्चे नही थे इनकी प्रॉपटी को इनके सगा सबधीने इनके प्रॉपटी को अपने नाम कर लिया ,न्यूटन की मृत्यु के इनके शरीर में काफी ज्यादा में पारा (mercury) पाया गया था जो शायद उसे रासायनिक कामो करने के वजे से थे। इज़क न्यूटन का स्मारक उन्हें के कब्र के ऊपर चना गया है और उसकी प्रतिमा पत्थर की है जिसको माइकल रिज्ब्रेक ने वाइट और धूसर संगमरमर में बनाया है और इसका डिजाइन शिल्पकारी विलियम कैंट द्वारा बनाया गया है।

उनका स्मारक दर्शाता है कि उनकी दाहिने कोहिनी इस महान किताबो पर है और उनका बाया हाथ एक गणितीय सूची की और इशारा कर रहा है। जोसेफ लुईस लाग्रेंज जो की एक फ्रेंच गणितज्ञ थे , वे शायद कहते थे की न्यूटन एक महान प्रतिभाशाली था और जोसेफ लुईस लाग्रेंज ने एक बारउन्हें भी कहा था कि न्यूटन साथ ही सबसे बड़ा भाग्यशाली भी था। अलेक्जेंडर पोप एक अंग्रेजी कवि थे इन्होंने न्यूटन की उपलब्धियों से प्रभावित होकर स्मृति लेख लिखा था। 

Isaac Newton Video –

Isaac Newton Facts –

  • आइजैक न्यूटन के पिता की मृत्यु उनके जन्म लेने के दो महीने पहले ही हो चुकी थी। 
  • न्यूटन ने गुरुत्व और गति के 3 नियम का शोध किया जिसने अगली तीन के लिये भौतिक सौर मॉडल के साइटिस दृष्टिकोण पर अपना परिचय स्थापित कर दिखया था। 
  • आज से करीब 350 साल पहले उस सेब के वृक्ष से गिरे फल को देखकर ही न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत और गति की शोध की थी। 
  • कॉलेज के प्रोफेसर ने दूजी जॉब के लिए प्रोफेसर के पद से निकाल दिया इसके बाद इनके गणित के अध्यापक ने न्यूटन को उस पद को सभाल ने को कहा था। 
  • वह सिर्फ 3 वर्ष के थे तब आइजैक न्यूटन की माँ ने दूसरी बार शादी करली थी और उनको छोड़ के चली गयी थी। 

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Isaac Newton Questions –

1 .आइजैक न्यूटन का जन्म कब और कहा हुवा था ?

आइजैक न्यूटन का जन्म 14 जनवरी 1643 में इंग्लैंड के लिंकनशायर के वूलस्टोर्प में हुवा था 

2 .आइजैक न्यूटन के माता पिता का क्या नाम था ?

आइजैक न्यूटन के माता का नाम हन्ना ऐस्क्फ़ और पिताजी का नाम सर आइजक न्यूटन था। 

3 .न्यूटन का पूरा नाम क्या है ?

न्यूटन का पूरा नाम  सर आइजक न्यूटन था। 

4 .सर आइज़क न्यूटन ने किसकी खोज की थी ?

सर आइज़क न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत (सिद्धान्त) की खोज की हुई थी। 

5 . आइज़क न्यूटन को कैसे शिक्षित किया गया था ?

उनको पहले घर पर ही पढ़ाया गया था। दस साल के बाद ही उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया था। 

Conclusion –

आपको मेरा isaac newton biography and contribution बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये isaac newton inventions और isaac newton fun facts से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी - Biography of thomas alva edison

Thomas Alva Edison Biography In Hindi – थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है ,आज हम Thomas Alva Edison Biography In Hindi में प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने अमरीकी आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय बताने वाले है। 

उनका जन्म 11 फ़रवरी 1847 के दिन अमेरिका में हुआ था ,फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। आज हम मेन्लो पार्क के जादूगर” के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले thomas edison childhood ,thomas edison quotes और thomas edison net worth की जानकारी बताने वाले है।

थॉमस अल्वा एडीसन को प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है ,अमेरिका में अकेले १०९३ पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं। एडीसन बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे , थॉमस अल्वा एडिसन की कहानी में हम भी आज उस महान इन्सान की सभी बातो से सबको महितगार करने वाले है तो चलिए शुरू करते है ,पुरे दुनिया को उजास देने वाले बल्ब जैसे बेहतरीन भेट देने वाले वैज्ञानिक से जुडी रोचक जानकारी के लिए। 

Thomas Alva Edison Biography In Hindi –

नाम  थॉमस अल्वा एडीसन
जन्म 11 फ़रवरी 1847
पिता सैमुअल ऑग्डेन एडिसन
माता नैंसी मैथ्यु इलियट
पत्नी  मैरी स्टिलवेल (वि॰ 1871–84) ,मीना मिलर (वि॰ 1886–1931
राष्ट्रीयता अमेरिकी
व्यवसाय आविष्कारक, व्यापारी
संबंधी  लुईस मिलर (ससुर)
धार्मिक मान्यता देववादी
बच्चे 1. मैरियन एस्टेल एडीसन (1873–1965) 2.थॉमस अल्वा एडीसन जूनियर (1876–1935) 3.विलियम लेस्ली एडीसन (1878–1937) 4 .मेडेलीन एडीसन (1888–1979) 5 .चार्ल्स एडीसन (1890–1969) 6.थिओडर मिलर एडीसन (1898–1992)
मृत्यु अक्टूबर 18, 1931 (उम्र 84)

थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी –

महान् आविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन का जन्म ओहायो राज्य के मिलैन नगर में 11 फ़रवरी 1847 ई. को हुआ। बचपन से ही एडिसन ने कुशाग्रता, जिज्ञासु वृत्ति और अध्यवसाय का परिचय दिया। छह वर्ष तक माता ने घर पर ही पढ़ाया, सार्वजनिक विद्यालय में इनकी शिक्षा केवल तीन मास हुई। तो भी एडिसन ने ह्यूम, सीअर, बर्टन, तथा गिबन के महान ग्रंथों एवं डिक्शनरी ऑव साइंसेज़ का अध्ययन 10वें जन्मदिन तक पूर्ण कर लिया था। एडिसन 12 वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे थे ।

वे रेल में पत्र छापते और वैज्ञानिक प्रयोग करते। तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त कर 20 वर्ष की आयु तक, एडिसन ने तार कर्मचारी के रूप में नौकरी की। जीविकोपार्जन से बचे समय को एडिसन प्रयोग और परीक्षण में लगाते थे। वैज्ञानीक प्रयोगों की धुन भी उन्हें शुरू से ही थी । स्कूल की पढ़ाई में मन न लगा तो माँ के प्रोत्साहन से घर में ही छोटे छोटे प्रयोग करने लगे । बारह वर्ष की आयु में उन्होंने ट्रेन में अख़बार बेचना शुरू किया । प्रयोगों का भूत वहाँ भी उनके सिर से न उतरा ट्रेन का डिब्बा ही उनकी प्रयोगशाला बन गया।

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दुनिया को बल्ब से रोशन करने वाले थॉमस एडिसन ने कभी हार नहीं मानी –

महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन बहुत ही मेहनती थे। बचपन में उन्हें यह कहकर स्कूल से निकाल दिया गया कि वह मंद बुद्धि बालक है। उसी थॉमस एडिसन ने कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए जिसमें से ‘बिजली का बल्ब’ प्रमुख है। उन्होंने बल्ब का आविष्कार करने के लिए हजारों बार प्रयोग किए थे तब जाकर उन्हें सफलता मिली थी। एक बार जब वह बल्ब बनाने के लिए प्रयोग कर रहे थे तभी एक व्यक्ति ने उनसे पूछा आपने करीब एक हजार प्रयोग किए लेकिन आपके सारे प्रयोग असफल रहे आपकी सारी मेहनत बेकार हो गई तो क्या आपको दुख नहीं होता था। 

तब एडिसन ने कहा मैं नहीं समझता कि मेरे एक हजार प्रयोग असफल हुए है। मेरी मेहनत बेकार नहीं गई क्योंकि मैंने एक हजार प्रयोग करके यह पता लगाया है कि हम इन एक हजार तरीकों से बल्ब नहीं बनाया जा सकता। मेरा हर प्रयोग, बल्ब बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है और मैं अपने प्रत्येक प्रयास के साथ एक कदम आगे बढ़ता हूं। कोई भी सामान्य व्यक्ति होता तो वह जल्द ही हार मान लेता लेकिन थॉमस एडिसन ने अपने प्रयास जारी रखे और हार नहीं मानी। आखिरकार एडिसन की मेहनत रंग लाई फिर उन्होंने बल्ब का आविष्कार करके पूरी दुनिया को रोशन कर दियाथा और यह थॉमस एडिसन का विश्वास ही था जिसने आशा की किरण को बुझने नहीं दिया नहीं उन्होंने पूरी दुनिया को बल्ब के द्वारा रोशन कर दिया था ।

थॉमस अल्वा एडिसन का वैवाहिक जीवन –

थॉमस एल्वा एडिसन ने 24 साल की उम्र में 16 साल की मैरी स्टिलवेल से विवाह कर लिया था। एडसिन ने मैरी से अपनी मुलाकात के महज 2 महीने के बाद ही उनसे शादी करने का फैसला ले लिया था और फिर 1871 में क्रिसमस के मौके पर वे दोनों एक-दूसरे से शादी के बंधन में बंध गए थे। उन्हें अपनी इस शादी से तीन बच्चे थे विलियम, थॉमस जूनियर और मैरियन भी पैदा हुए थे। शादी के करीब 13 साल बाद मैरी स्टिलवेल की बीमारी की वजह से मौत हो गई। करीब 1 साल बाद 1885 में थॉमस एल्वा एडिसन ने मीना मिलर नाम की महिला के साथ विवाह कर लिया था। अपनी दूसरी शादी से भी एडिसन को मेडेलीन, थिओडोर और चार्ल्स नाम के तीन बच्चे हुए थे।

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थॉमस अल्वा एडिसन का अनुसंधानओं का आरंम्भ –

1869 में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार “विद्युत मतदानगणक” को पेटेंट कराया। नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया। 1870-76 ई. के बीच एडिसन ने अनेक आविष्कार किए। एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की विधि खोजी, स्टॉक एक्सचेंज के लिए तार छापने की स्वचालित मशीन को सुधारा, तथा बेल टेलीफोन यंत्र का विकास किया। उन्होंने 1875 ई. में “सायंटिफ़िक अमेरिकन” में “ईथरीय बल” पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया था। 1878 ई. में फोनोग्राफ मशीन पेटेंट कराई जिसकी 2010 ई. में अनेक सुधारों के बाद वर्तमान रूप मिला था । 

21 अक्टूबर 1879 ई. को एडिसन ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया। 1883 ई. में “एडिसन प्रभाव” की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ। अगले दस वर्षो में एडिसन ने प्रकाश, उष्मा और शक्ति के लिए विद्युत के उत्पादन और त्रितारी वितरण प्रणाली के साधनों और विधियों पर प्रयोग किए भूमि के नीचे केबुल के लिए विद्युत के तार को रबड़ और कपड़े में लपेटने की पद्धति ढूँढी थी। डायनेमो और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत रेलगाड़ी तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया था ।

40 युद्धोपयोगी आविष्कार –

एडिसन ने क्षार संचायक बैटरी भी तैयार की थी लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किए, 1891 ई. में चलचित्र कैमरा पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया। प्रथम विश्वयुद्ध में एडिसन ने जलसेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर 40 युद्धोपयोगी आविष्कार किए। पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने 21 अक्टूबर 1915 ई. को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को संमानित किया। 1927 ई. में एडिसन नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य निर्वाचित हुए। 21 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया था।

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मेनलो पार्क –

मेनलो पार्क, न्यू जिस में थॉमस अल्वा एडिसन ने अपना रिसर्च लैब बनाया था। यह पहला संस्थान था जहां जो सिर्फ आविष्कार को समर्पित था। वहां एडिसन आविष्कार करते और फिर उसका व्यावहारिक इस्तेमाल करते। फिर उसका बड़े पैमाने पर निर्माण होता था। मेनलो पार्क में बड़ी संख्या में एडिसन के कर्मचारी काम करते थे। ये आम कर्मचारी नहीं थे बल्कि आविष्कारकों की टीम थी जो एडिसन को आविष्कारों का आइडिया देते थे। 

थॉमस अल्वा एडिसन का आविष्कार –

उनके तीन प्रसिद्ध आविष्कार हैं। 

फोनोग्राफ: एडिसन का यह पहला सबसे बड़ा आविष्कार था। इससे वह काफी प्रसिद्ध हुए। यह पहली मशीन थी जिसमें आवाज को रिकॉर्ड और प्लेबैक किया जा सकता था।

लाइट बल्ब: उन्होंने इलेक्ट्रिक लाइट बल्ब बनाए जिसका घरों में इस्तेमाल होता है। उन्होंने लाइट बल्ब के लिए सहायक अन्य चीजें जैसे सेफ्टी फ्यूज और ऑन ऑफ स्विच बनाए।

मोशन पिक्चर: उन्होंने मोशन पिक्चर यानी बनाने पर काफी काम किया था। 

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थॉमस एडिसन के प्रसिद्ध अविष्कारों की सूची –

  • इलैक्ट्रिक बल्ब
  • ग्रामोफोन
  • इलेक्ट्रॉनिक वोट रिकॉर्डर
  • फोनोग्राम
  • बैट्रीज़
  • कीनेटोस्कोप
  • इलेक्ट्रिक ट्रेन

एडिसन ने प्रेस ब्यूरों में किया काम –

सन 1866 में दुनिया को अपने अविष्कारों से जगमग करने वाले थॉमस एल्वा एडिसन लुइसविले, केंटुकी चले गए थे। जहां पर उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस के ब्यूरो में भी काम किया। एडिसन ने वहां पर रात में अपनी ड्यूटी करवा ली थी, जिससे कि उन्हें अपने प्रयोगों के लिए ज्यादा समय मिल सके। वहीं एक दिन ऑफिस में वे बैटरी पर कुछ तेजाब से प्रयोग कर रहे थे, तभी तेजाब नीचे फर्श पर फैल गया। जिसके बाद थॉमस एल्वा एडिसन को नौकरी से बाहर निकाल दिया गया था।

थॉमस एल्वा एडिसन की मृत्यु –

सचमुच ,एडिसन एक महान वैज्ञानिक थे । 18 अक्टूबऱ 1931को 84 वष की उम में वैज्ञान के इस जादूगर ने विश्व से विदा ली । उनकी शवयात्रा में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट प्रमुख आइजन हूबर भी शामिल हुए थे। इलैक्ट्रिक बल्ब का अविष्कार करने वाले महान अविष्कारक थॉमस एल्वा एडिसन अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में भी अविष्कार कर रहे थे। वे एक महान वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक जाने-माने व्यापारी भी थे। थॉमस एल्वा एडिसन ने करीब 1093 अविष्कारों के पेटेंट अपने नाम किए थे।

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एडीसन के अनमोल विचार –

  • हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है. सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है हमेशा एक और बार प्रयास करना। 
  • मैं असफल नहीं हुआ हूँ. मैंने 10,000 ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करते हैं। 
  • व्यस्त होने का मतलब हमेशा हकीकत में काम होना नहीं है। 
  • कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। 

Thomas Alva Edison Biography Video-

Thomas Alva Edison Facts –

  • 21 अक्टूबर 1879 ई. को एडिसन ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया था। 
  • महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन बहुत ही मेहनती थे लेकिन बचपन में उन्हें यह कहकर स्कूल से निकाल दिया गया कि वह मंद बुद्धि बालक है।
  • एडिसन 12 वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे थे ।
  • 1869 में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार “विद्युत मतदानगणक” को पेटेंट कराया।
  • नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया।
  • 21 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया था। 

Thomas Alva Edison Questions –

1 .थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म कब हुआ था ?

11 फ़रवरी 1847 के दिन थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म अमेरिका में हुआ था। 

2 .थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार कब किया ?

बल्ब का आविष्कार 21 अक्टूबर 1879 के दिन किया था।  

3 .थॉमस अल्वा एडिसन की मृत्यु कैसे हुई ?

उनकी मौत 18 अक्टूबऱ 1931को 84 वर्ष की उम्र में हुई थी। 

4 .थॉमस अल्वा एडिसन ने किसका आविष्कार किया था?

1093 अविष्कारों भेट थॉमस अल्वा एडिसन ने दी है। 

5 .बल्ब का आविष्कार कैसे हुआ?

बल्ब का आविष्कार 21 अक्टूबर 1879 के दिन थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था। 

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Thomas Alva Edison Biography In Hindi आपको बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा और पसंद भी आया होगा । इस लेख के जरिये  हमने thomas edison education और thomas edison family से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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Biography of Galileo Galilei In Hindi - गैलीलियो गैलीली की जीवनी

Galileo Galilei Biography In Hindi | गैलीलियो गैलीली की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Galileo Galilei Biography आपको बताने वाले है। विस्व के महान विज्ञानी ने अपने जीवनकाल में गैलीलियो गैलिली की खोज और इसकी सारी जानकारी हम लेके आये है। 

आज हमारे आर्टिकल से आपको what was galileo famous for ?, Galileo Galilei achievements और galileo education की माहिती हमारी पोस्ट के जरिये सबको देने वाले है। इटली के वैज्ञानिक और महान गैलीलियो आविष्कारक थे तथा दूरदर्शी के विकास में उनका अतुलनीय सहयोग था। इस महान विचारक का जन्म आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर में एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। आधुनिक इटली का शहर पीसा 15 फ़रवरी 1564 केा महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली के जन्म को भी ईश्वर की रचना का दोष मानकर ऐतिहासिक भूल कर बैठा था।

वैज्ञानिक galileo galilei telescope की भी खोज की है। galileo story in hindi में आपको बताये की उसके द्वारा प्रतिपादित सिंद्वांतो से धार्मिक मान्यताओं का खंडन होता था। जिसके लिये गैलीलियो को ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के लिये सारी उम्र कारावास की सजा सुनायी गयी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली उस समय के जाने माने संगीत विशेषज्ञ थे। वे “ल्यूट” नामक वाद्य यंत्र बजाते थे, यही ल्यूट नामक यंत्र बाद में गिटार और बैन्जो के रूप में विकसित हुआ। तो चलिए गैलीलियो गैलीली ने दूरबीन का आविष्कार किस वर्ष किया और गैलीलियो गैलिली के बारे में बताते है। 

Galileo Galilei Biography In Hindi –

 नाम Galileo Galilei
 जन्म  15 फरवरी,1565
Galileo ka janm kahan hua tha  पीसा शहर ( इटली )
 पिता  विन्सौन्जो गैलिली
 मृत्यु  8 जनवरी 1642
 मृत्यु स्थान  जेल में 

गैलीलियो का जीवन परिचय – Galileo Galilei Information In Hindi

galileo kaun the ?

गैलीलियो गैलिली तस्वीरें
गैलीलियो गैलिली तस्वीरें

गैलीलियो इटली का निवासी था और उनका जन्म पीसा शहर में हुआ था। 

अपनी संगीत रचना के दौरान विन्सौन्जो गैलिली ने तनी हुयी डोरी या तार के

तनाव और उससे निकलने वाले स्वरों का गहनता से अध्ययन किया। 

तथा यह पाया कि डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाली आवाज में संबंध है।

पिता के द्वारा संगीत के लिये तनी हुयी डोरी या तार से निकलने वाली ध्वनियों के

अंतरसंबंधों के परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन उनके पुत्र गैलीलियो द्वारा किया गया।

इस अध्ययन को करने के दौरान बालक गैलीलियो के मन में सुग्राहिता पूर्ण प्रयोग करते हुये।

उनके परिणामो को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान करली थी। 

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गैलीलियो का सिद्धांत और प्रयोग प्रेषणा –

गैलिलियो बायोग्राफी इन हिंदी में बतादे की उन्होंने पाया कि प्रकृति के नियम एक दूसरे कारकों से प्रभावित होते हैं और किसी एक के बढने और घटने के बीच गणित के समीकरणों जैसे ही संबंध होते है। इसलिये उन्होने कहा किः-‘ ईश्वर की भाषा गणित है। इस महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक ने ही प्रकाश की गति को नापने का साहस किया। इसके लिये गैलीलियो और उनका एक सहायक अंधेरी रात में कई मील दूर स्थित दो पहाड़ की चोटियों पर जा बैठे। जहां से गैलीलियो ने लालटेन जलाकर रखी, अपने सहायक का संकेत पाने के बाद उन्हें लालटेन और उसके खटके के माध्यम से प्रकाश का संकेत देना था। दूसरी पहाड़ी पर स्थित उनके सहायक को लालटेन का प्रकाश देखकर अपने पास रखी दूसरी लालटेन का खटका हटाकर पुनः संकेत करना था।

About galileo galilei in hindi में बताये की दूसरी पहाड़ की चोटी पर चमकते प्रकाश को देखकर गैलीलियो को प्रकाश की गति का आकलन करना था। इस प्रकार Galileo Galilei ने जो परिणाम पाया वह बहुत सीमा तक वास्तविक तो न था परन्तु प्रयोगों की आवृति और सफलता असफलता के बाद ही अभीष्‍ट परिणाम पाने की जो मुहिम उनके द्वारा प्रारंभ की गयी वह अद्वितीय थी। कालान्तर में प्रकाश की गति और उर्जा के संबंधों की जटिल गुल्थी को सुलझाने वाले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन ने इसी कारण उन्हें ‘आधुनिक विज्ञान का पिता ‘ के नाम से संबोधित किया।

गैलीलियो गैलीली के प्राप्तकर्ता – ( Invention of Galileo Galilei )

Galileo Galilei से पहले नामक व्यक्ति ने दूरबीन का आविष्कार कर लिया था और गैलीलियो को जब इसके बारे में पता लगा तो उन्होंने इससे भी शक्तिशाली दूरबीन बना दिया था। इसके बाद गैलीलियो गैलिली ने खगोल विज्ञान की महान खोजे की और विज्ञान को नई दिशा दी। इस शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से गैलीलियो ने खगोल पिंडो को निहारा। गैलीलियो ने सर्वप्रथम चाँद के गड्ढे देखे थे। बृहस्पति ग्रह को दूरबीन की सहायता से सर्वप्रथम गैलीलियो ने ही देखा था। गैलीलियो गैलिली ने बृहस्पति के चार चन्द्रमाओ की भी गैलीलियो की खोज है। और कहा था कि ये चारों चन्द्रमा ब्रहस्पति के चक्कर लगाते है। शनि ग्रह के चारो और रिंग्स की खोज गैलीलियो गैलिली ने ही की थी।

गैलीलियो गैलीली और न्यूटन का आगमन –

कॉपरनिकस के सूर्यकेंद्री सिद्धांत ने जहां एक तरफ बाइबिल में उल्लिखित और चर्च द्वारा प्रसारित ज्ञान, दूसरी ओर महान ज्ञानसाधक अरस्तु और टॉलेमी के मत को चुनौती दी थी| वहीं ब्रूनो ने अपने विचार बेबाकी से प्रकट करके चर्च से लोहा लिया और आगे जाकर टाइको ब्राहे के महत्वपूर्ण खगोलीय आंकड़ों की सहायता से जोहांस केप्लर ने ग्रहीय गति के रहस्य को उजागर करते हुए कॉपरनिकस के सिद्धांत में जरूरी सुधार किए।

गैलीलियो का चित्र
गैलीलियो का चित्र

‘कोपरनिकसीय क्रांति’, ‘ब्रूनो की शहादत’ और केप्लर द्वारा ‘ग्रहों की गति के नियमों के प्रतिपादन’ के बाद अभी खगोल विज्ञान में असली क्रांति होनी बाकी थी। उसकी शुरुआत हुई सत्रहवीं सदी में इटली के महान खगोलविद गैलीलियो गैलिली से. अपने समकालीन वैज्ञानिकों से अलग राह अपनाते हुए वैज्ञानिकों के नजरिए में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए।  विचारों की सत्यता सिद्ध करने के लिए उस समय आमतौर पर प्रचलित तर्क-वितर्क का ही सहारा नहीं लेते थे, बल्कि अपने सिद्धांत को साबित करने के लिए प्रयोगों को भी जरूरी मानते थे। गैलीलियो को प्रयोगात्मक विज्ञान का जनक माना जाता है। 

Galileo Galilei के विशिष्ट योगदान से खगोल विज्ञान में एक अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ आया। 1609 में गैलीलियो ने हालैंड के ऐनकसाज हैन्स लिपरशे के द्वारा दूरबीन के आविष्कार के बाद स्वयं पुनर्निर्माण किया सर्वप्रथम खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग किया. गैलीलियो ने अपनी दूरबीन की सहायता से चन्द्रमा पर उपस्थित क्रेटर, बृहस्पति ग्रह के चार प्राकृतिक उपग्रहों सहित सूर्य के साथ परिक्रमा करने वाले सौर कलंकों या सौर धब्बों का भी पता लगाया। 

गैलीलियो और न्यूटन –

गैलीलियो ही वे वैज्ञानिक थे जिन्होंने यह पता लगाया कि सूर्य के पश्चात पृथ्वी का निकटवर्ती तारा प्रौक्सिमा-सेंटौरी है. इसके अतिरिक्त गैलीलियो ने हमें शुक्र की कलाओं से संबंधित ज्ञान तथा कॉपरनिकस के सूर्यकेंद्री सिद्धांत को सत्य प्रमाणित किया. इसलिए गैलीलियो को आधुनिक खगोलशास्त्र के पितामह का भी सम्मान दिया जाता है. गैलीलियो के अमूल्य योगदान को अल्बर्ट आइंस्टाइन तथा स्टीफन हाकिंग जैसे महान वैज्ञानिकों ने नम्रतापूर्वक स्वीकार किया है.

स्टीफन हाकिंग ने अपनी किताब ए ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ टाइम में लिखा है: “गैलीलियो, शायद किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में, आधुनिक विज्ञान के जन्म के लिए अधिक उत्तरदायी थे. गैलीलियो को शुरू से ही कॉपरनिकस के सूर्यकेंद्री सिद्धांत में विश्वास था. वर्ष 1597 में उन्होने केप्लर को लिखा था, “मैं कॉपरनिकस के मॉडल में विश्वास करता हूं. इससे खगोल विज्ञान की बहुत सारी गुत्थियां सुलझ जाती हैं।

Galileo Galilei
Galileo Galilei

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गैलीलियो गैलीली का विज्ञानी करियर –

जब गैलीलियो ने अपने दूरबीन के जरिए कॉपरनिकस के सिद्धांत के समर्थन में जरूरी प्रमाण इकट्ठे किए, तभी उन्होने इसे सार्वजनिक रूप से समर्थन देना शुरू किया. गैलीलियो ने जब अपनी दूरबीन से देखा तो उन्हें बृहस्पति ग्रह के पास चार छोटे-छोटे ‘तारे’ जैसे दिखाई दिए. गैलीलियो समझ गए कि बृहस्पति ग्रह का अपना एक अलग संसार है। 

उसके इर्द-गिर्द घूम रहे ये पिंड अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. यहीं से टोलेमी और अरस्तु की परिकल्पनाओं की नींव हिल गई. जिनमें ग्रह और सूर्य सहित सभी पिंडों की गतियों का केन्द्र पृथ्वी को बताया गया था. गैलीलियो की इस खोज से सौरमडंल के सूर्यकेंद्री सिद्धांत को बहुत बल मिला। 

जब गैलीलियो ने सूर्यकेन्द्री सिद्धांत का समर्थन करना शुरू किया, उन्हें धर्मगुरुओ और कट्टरपंथियों के विरोध का सामना करना पडा़ और जैसा कि हम जानते हैं कि धार्मिक रूप से ईसाई चर्च ने भूकेंद्री मॉडल को स्वीकृति दे दी थी क्योंकि ब्रह्मांड का यह मॉडल बाइबिल के उत्पत्ति अध्याय के अनुरूप था। 1615 में कैथोलिक चर्च ने गैलीलियो को धर्मविरोधी करार दे दिया. फरवरी 1616 मे वे आरोप मुक्त हो गए, लेकिन चर्च ने सूर्यकेंद्री सिद्धांत को गलत और धर्म के विरुद्ध कहा. गैलीलियो को इस सिद्धांत का प्रचार न करने की चेतावनी दी गई जिसे उसने मान लिया। 

सूर्यकेन्द्री सिद्धांत के दुबारा समर्थन –

1632 मे नई किताब ‘डायलाग कन्सर्निंग द टू चिफ वर्ल्ड सिस्टमस’ मे उनके द्वारा सूर्यकेन्द्री सिद्धांत के दुबारा समर्थन के बाद चर्च ने फिर से धर्मविरोधी घोषित कर दिया। महान वैज्ञानिक को अपना शेष जीवन अपने घर में ही गुजारना पड़ा। गैलीलियो ने पृथ्वी पर पिंडों की गति को प्रभावित करने वाले यांत्रिकी के तात्विक नियमों की खोज की। उन्होंने नियम बनाए वे गिरते हुए पिंडों और लोलकों की गति के उनके व्यापक अध्ययन पर आधारित थे। जानते हैं कि गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से बृहस्पति के उपग्रहों की गतियों का विश्लेषण करते हुए कॉपरनिकस के सिद्धांत की पुष्टि की। कुछ नियम बनाए बनाये थे।  

जो सभी पिंडों की गतियों को समान रूप से प्रभावित करते हैं, फिर चाहे पृथ्वी पर फेंका गया पत्थर हो या फिर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाले ग्रहों की बात हो वास्तव में गैलीलियो और उनके समकालीनों के लिए यह बात समझ से परे रही होगी कि खगोलीय पिंडों की गति भी उन्हीं गैलीलियो का नियम से बंधी है। दैनिक जीवन की सामान्य प्रक्षेपित वस्तु बात की घोषणा के लिए सर आइजक न्यूटन का आगमन हुआ। 

सत्रहवीं शताब्दी के दो महान विचारकों का उल्लेख प्रासंगिक होगा. पहले रेने देकार्ते जिन्होंने तर्क और विवेक की राह अपनाई और दूसरे फ्रांसिस बेकन जिन्होंने प्रयोग या आविष्कार को अधिक महत्व दिया. न्यूटन के लिए देकार्ते और बेकन दोनों के ही उदाहरण आवश्यक एवं महत्वपूर्ण थे. न्यूटन को देकार्ते से यह प्रेरणा मिली कि प्रकृति सदैव और हर जगह एकसमान है और उसमें एकरूपता छिपी रहती है।

Galileo Galilei Biography In Hindi

गुरुत्वाकर्षण –

जीवन के तथ्य और सच्चाइयां विस्मयकारी होती हैं। उनके पीछे छिपे सिद्धांतों की गूढ़ता के प्रति वे उदासीन रहते हैं. न्यूटन और सेब की कहानी तो सभी जानते हैं मगर उनके द्वारा प्रस्तावित गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के पीछे गहन तार्किक विचारशीलता एवं गैलीलियो द्वारा किए गए प्रयोगों को आत्मसात कर एक सार्वभौमिक सच्चाई को अति अनुशासित व विलक्षण रूप से प्रकाशित कर पाने की उनकी क्षमता अद्भुत थी। 

सन 1666 में प्लेग की महामारी फैलने के दौरान न्यूटन अपनी जागीर में रह रहे थे, गुरुत्वाकर्षण के बारे में उनके मन में पहली बार विचार आया. पेड़ से सेब गिरते देखकर गुरुत्वाकर्षण का विचार सूझने का किस्सा उसी दौरान का है. न्यूटन इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जो बल सेब को धरती की ओर खींचता है, वही बल चंद्रमा को पृथ्वी की ओर और पृथ्वी को सूर्य की ओर खींचता है. केप्लर के ग्रहीय गति के नियमों के आधार पर अंततोगत्वा न्यूटन इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि केवल पृथ्वी ही नहीं। 

अपितु प्रत्येक ग्रह और विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है. दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है. कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम कहते हैं।

galileo galilei images
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गैलीलियो गैलीली का गति नियम –

कभी-कभी इस नियम को ‘गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम’

(इनवर्स स्क्वायर लॉ) भी कहा जाता है. यह galiliyo की एक क्रांतिकारी खोज है। 

Galileo Galilei न्यूटन एक सशक्त गणितज्ञ थे और उनका एक मूलभूत निष्कर्ष था कि एक ठोस गोलक का व्यवहार अपने केंद्र पर अवस्थित एक वज़नी बिंदु की तरह होता है. न्यूटन ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए यह दिखा दिया कि ग्रहों के मार्गों का निश्चित निर्धारण किया जा सकता है। साथ ही यह भी कि ग्रह अपने निश्चित मार्ग पर घूमते हुए एक ब्रह्मांडीय घड़ी का काम करते हैं. उन्होंने गणितीय कुशाग्रता एवं परम धैर्य का परिचय देते हुए।

ज्वार–भाटों की, धूमकेतुओं की कक्षाओं की एवं अन्य ब्रह्मांडीय पिंडों के गतिचक्र की गणना की। न्यूटन द्वारा प्रेरित वैचारिक क्रांति के आधार में थी उनकी यह मान्यता कि जो नियम सामान्य आकार की वस्तुओं पर लागू होते हैं, वे वस्तुत: सार्वभौमिक हैं और हर छोटे–बड़े किसी भी आकार या शक्ल के पदार्थ या पिंडों पर लागू होते हैं. अठाहरवी सदी के दौरान ग्रहीय गतियों की समझ के लिए न्यूटन के नियमों की व्यापक छानबीन की गई. मगर क्या न्यूटन के नियम हमारे सौरमंडल के बाहर भी प्रासंगिक है, इसको लेकर कई लोगों ने संदेह प्रकट किया। 

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम –

1803 में सर विलियम हर्शेल जुड़वा तारों के अध्ययन के आधार पर यह घोषणा कर सके कि कुछ मामलों में ये जोड़े वास्तविक भौतिक युग्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो एक दूसरे के चारों ओर चक्कर लगते हैं. हर्शेल के खगोलीय अवलोकनों के आधार पर आगे यह भी स्थापित हुआ कि जिन कक्षाओं को हम देखते हैं वे दरअसल अंडाकार हैं. इस प्रकार दूरस्थ तारों के बारे में न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियमों की प्रयोज्यता सिद्ध हुई। यह सवाल कि क्या ब्रह्मांड के समस्त पदार्थों के लिए एक सार्वभौम एवं एकसमान नियम को निर्धारण किया जा सकता है, आखिरकार एक वैज्ञानिक सिद्धान्त के रूप में स्थापित हुआ. इस प्रकार वैज्ञानिक चिंतन के क्षेत्र पहली महान क्रांति हुई. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं। 

Galileo Galilei Biography Video In Hindi –

Galileo Galilei को पृथक-वास में जाना पड़ा –

खगोल विज्ञानी और भौतिक शास्त्री गैलीलियो गैलिली को

1630 के दशक के दौरान मुश्किल वक्त का सामना करना पड़ा-

उनकी सेहत ठीक नहीं थी, एक विवादास्पद किताब के लिये उन्हें नजरबंद रखा गया।

और मुकदमे का सामना करना पड़ा तो वहीं उस वक्त प्लेग फैलने की वजह से 

उनके बारे में प्रकाशित एक किताब में घटनाओं का जिक्र किया गया है।

वैज्ञानिक के तौर पर गैलीलियो का सफर 1583 में शुरू हुआ। उन्हें मेडिकल स्कूल से बाहर निकाला गया , तब उन्होंने गणित पढ़ना शुरू किया। 1590 में उन्होंने गति को लेकर अरस्तू के सिद्धांतों की आलोचना शुरू हुई । अरस्तू का कहना था वस्तुएं अंतर्निर्मित संवेग की वजह से चलती हैं। कुछ रुढ़ीवादी चर्चों के संदेशों के प्रति व्यक्तिगत असहमति के बावजूद 16 मई 1630 को पोप अर्बन अष्टम द्वारा रोम में सम्मानित अतिथि के तौर पर मेजबानी की गयी वह यह मानकर रोम से रवाना होते हैं। सूर्य के धब्बों के संदर्भ में गैलीलियो ने अपनी किस पुस्तक में लिखा तो पोप ने उनकी किताब “डायलॉग ऑन द टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स” के प्रकाशन की मंजूरी दे दी है। 

ऐसा करने के लिये galeli को कुछ मामूली सुधार और शीर्षक में बदलाव करना होगा। लीवियो ने ‘डायलोगो’ को वेटिकन की प्रतिबंधित पुस्तकों की श्रेणी में रख दिया गया। कोई रास्ता न बचता देख अपनी गिरती सेहत के बावजूद गैलीलियो 20 जनवरी 1633 को रोम के लिये रवाना हुए। लेकिन प्लेग के बढ़ते प्रकोप के कारण उन्हें तस्कनी पार करने से पहले खुद पृथक-वास में रहना पड़ा।

गेलेलियो का अंतिम समय – ( Galileo Galilei Last Time )

galileo scientist biography in hindi –

महान Galileo Galilei से पहले निकोलस कोपरनिकस ने बताया था।

कि पृथ्वी गोल है और तमाम ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है।

यही सिद्धान्त गैलीलियो ने बताया और पुरानी मान्यता को नकार दिया।

सभी ग्रह और सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करते है।

यह बहुत बड़ी खोज थी और खगोल विज्ञान में नया विस्तार था।

गैलीलियो ने कोपरनिकस की थ्योरी को सही बताना शुरू कर दिया था।

Galileo Galilei का यह सिद्धान्त धार्मिक मान्यताओं के विरूद्ध था

इसलिये गैलीलियो का विरोध हुआ।

चर्च ने गैलिली को आदेश दिया कि वह इसे अपनी सबसे बड़ी भुल बताए। और माफी मांगे।

उन्होंने दबाव में आकर ऐसा ही किया लेकिन फिर भी उन्हें जेल में डाल दिया गया।

जीवन के आखिरी वर्षो में गैलीलियो की आंखों की रोशनी चली गयी थी।

8 जनवरी 1642 को गैलेलियो की जेल में रहते हुए ही मृत्यु हो गयी थी।

images of galileo galilei
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Galileo Galilei Facts –

  • galilo को परीक्षा मूलक (प्रयोगात्मक) विज्ञान का जनक माना जाता है।
  • गैलिलियो ने दोलन का सूत्र का प्रतिपादन किया और दूरबीन का आविष्कार किया। 
  • दूरदर्शी यंत्र को अधिक उन्नत बनाया। उसकी सहायता से अनेक खगोलीय प्रेक्षण लिये।
  • कॉपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया।
  • gaililiyo को आधुनिक प्रायोगिक खगोलिकी का जनक माना जाता है।
  • लीवियो ने कहा कि पोप के साथ अपनी दोस्ती की ताकत को जरूरत से ज्यादा
  • आंकने और सुधारवाद के बाद के दौर में पोप की कमजोर मनोवैज्ञानिक व
  • राजनीतिक स्थिति को कमतर आंकने वाले गैलीलियो यही मानते रहे कि स्थिति ऐसी बनी रहेगी।
  • करीब 13 साल बाद समतल और दोलकों की मदद से खुद किये गए कई प्रयोगों के बाद
  • उन्होंने पहले “गति के नियम” का सूत्र दिया हालांकि वह 1638 तक उन्हें प्रकाशित नहीं करवा पाए।
  • गैलीलियो के कई साहसी बयानों ने उन्हें कैथोलिक चर्च के साथ टकराव की राह पर ला खड़ा किया।
  • और उन्हें 22 जून 1633 को विधर्म का संदेश देने का दोषी ठहराया गया।
  • खगोल-भौतिक शास्त्री मारियो लीवियो ने गैलीलियो के ऐतिहासिक जीवन-वृतांत पर
  • “गैलीलियो एंड द साइंस डिनायर्स” शीर्षक से एक किताब लिखी है।
  • जो उस व्यक्ति के जीवन की झलकियां दिखाती हैं।
  • “बौद्धिक रूप से कट्टर था और अपने समय के हिसाब से काफी आगे।”

FAQ –

1 .गैलीलियो ने किन 3 चीजों की खोज की ?

gelilio ने शुक्र के चरण , बृहस्पति के चंद्रमा और मिल्की वे के सितारे की खोज की थी। 

2 .गैलीलियो गैलीली कौन है और उसने क्या आविष्कार किया था ?

वह एक महान वैज्ञानिक थे और उन्होंने कई महत्व पूर्ण चीजों की खोज की हुई है। 

3 .गैलीलियो गैलीली में क्या विश्वास था ?

उनको यह विश्वास था की पृथ्वी और अन्य सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। 

4 .गैलीलियो की मृत्यु कब हुई ? गैलीलियो की मृत्यु कैसे हुई ?

8 जनवरी 1642 को गैलेलियो की जेल में रहते हुए 77 साल की उम्र में मौत हुई थी। 

5 .विज्ञान का जनक किसे कहा जाता है ?

विज्ञानं का जनक गैलीलियो को कहते है। 

6 .क्या गैलीलियो की शादी हुई थी ?

नहीं उन्होंने शादी नहीं की हुई है, मरीना गाम्बा नाम की महिला के बहुत लगाव था। 

7 .गैलीलियो का पूरा नाम क्या है ?

उनका पूरा नाम गैलीलियो गैलीली था। 

8 .विज्ञान का राजा कौन है ?

विज्ञानं का राजा गेलेलियो को कहते है। 

9 .गैलीलियो क्यों महत्वपूर्ण है ?

उन्होंने ज्यादा महत्व पूर्ण खोजे की हुई आज भी उनकी प्रसिद्धि बरक़रार है। 

10 .गैलीलियो ने किसका आविष्कार किया था ?

उन्होंने कई अविष्कार किये है लेकिन उनमे से गति के नियम बहुत महत्व पूर्ण है। 

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Conclusion –

मेरा यह आर्टिकल Galileo Galilei Biography पूरी तरह से समज आ गया होगा।

इस लेख के जरिये  हमने galileo galilei contribution के सबंधीत गैलीलियो के विचार, गैलीलियो के बारे में

और Galileo galilei quotes की सम्पूर्ण जानकारी दे दी है।

अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। 

तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है।

और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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Biography oF Rusho In Hindi - रसो की जीवनी हिंदी में - Biography Hindi

Rusho Biography In Hindi – जीन-जैक्स रौसेउ की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Rusho Biography In Hindi में एक लेखक, दार्शनिक, वनस्पति विज्ञानी, प्रकृतिवादी और संगीतकार रूसो का जीवन परिचय देने वाले है। 

आज आर्टिकल में रूसो के शिक्षा दर्शन कराके रूसो की नकारात्मक शिक्षा और रूसो का निषेधात्त्मक शिक्षा से सम्बंधित सभी बातो से आपको ज्ञात करने वाले है इसके आलावा Ruso brothers ,Ruso na sai lyrics और Ruso nu prakhyat pustak  भी देने वाले है। वह सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं पर सवाल उठाने में कामयाब रहे थे। यानि रूसो के विचार बहुत ही अच्छे थे वह समाज में बदलाव देखना चाहते थे। 

उनके योगदान को आज आधुनिक समाजों के सामाजिक और ऐतिहासिक विकास में महत्वपूर्ण माना जाता है। अठारहवीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली विचारक ने प्रकाशन के बाद प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल की थी। वर्ष 1750 में “विज्ञान और कला पर भाषण रूसो को डीजोन की प्रतिष्ठित फ्रांसीसी अकादमी ध्वारा पुरस्कार से सम्मान  मिला था। उनके लेखन का उद्देश्य खुले तौर पर इंगित करना था कि विज्ञान और कलाओं की प्रगति समाज, इसकी नैतिकता और नैतिकता को भ्रष्ट करने के लिए कैसे जिम्मेदार थी।

Rusho Biography In Hindi –

नाम

 जीन-जैक्स रूसो

जन्म

 28 जून, 1712

जन्म स्थान

 जेनेवा

पिता

 इसहाक रूसो

माता

 सुजैन बर्नार्ड 

मृत्यु

 2 जुलाई, 1778

मृत्यु स्थान

 फ्रांस के एरमेननविले में

रूसो का जन्म – (russo philosopher in hindi)

jean jacques rousseau – 28 जून, 1712  के दिन जेनेवा में जीन-जैक्स रूसो का जन्म हुआ था। उनके माता-पिता इसहाक रूसो और सुजैन बर्नार्ड थे। जिनकी जन्म के कुछ दिनों बाद मृत्यु हो गई थी। rusho का पालन-पोषण उनके पिता ने किया था वह एक विनम्र प्रहरी थे। जिनके साथ कम उम्र से ही उन्होंने ग्रीक और रोमन साहित्य पढ़ा था। उनका एकमात्र भाई घर से भाग गया था।  जब rusho 10 साल के थे तब उसके पिता शिकार में लगे हुए थे। एक जमीनदार के साथ उनकी ज़मीन पर क़दम रखने को लेकर कानूनी विवाद चल रहा था। समस्याओं से बचने के लिए वह सुज़ैन की मौसी के साथ न्योन, बर्न के पास गया। उन्होंने दोबारा शादी की और तब से जीन-जैक्स उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। 

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सामाजिक योगदान – Social Contribution

उनका दूसरा भाषण असमानता की उत्पत्ति पर 1755 में प्रकाशित प्रसिद्ध विचारक थॉमस हॉब्स के विचारों के खिलाफ जाने के बाद काफी विवाद उत्पन्न हुआ था। उन्होंने संकेत दिया कि मनुष्य स्वभाव से अच्छा है। हालांकि यह विभिन्न संस्थाओं के साथ नागरिक समाज है। जो उसे भ्रष्ट करता है। जिससे वह अस्पष्टता, हिंसा और अत्यधिक विलासिता के कब्जे में चला जाता है।  रूसो को फ्रांसीसी प्रबुद्धता के सबसे महान विचारकों में से एक माना जाता है। उनके सामाजिक और राजनीतिक विचार फ्रांसीसी क्रांति के प्रस्तावक थे।

अपने साहित्यिक स्वाद के लिए वे स्वच्छंदतावाद से आगे थे और रूसो का शिक्षा दर्शन के क्षेत्र में उनकी अवधारणाओं के लिए उन्हें आधुनिक शिक्षाशास्त्र का जनक माना जाता है। उस समय के लोगों के जीवन के तरीके पर इसका बहुत प्रभाव पड़ा था। बच्चों को अलग तरीके से शिक्षित करने के लिए सिखाया गया लोगों की आँखों को प्रकृति की सुंदरता के लिए खोल दिया था। स्वतंत्रता को सार्वभौमिक आकांक्षा का उद्देश्य बना दिया और मॉडरेशन के बजाय दोस्ती और प्यार में भावनाओं की अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया था। 

रूसो की पढाई –

rusho अपने मामा के साथ रहा, जिसने उसे और उसके बेटे अब्राहम बर्नार्ड को जिनेवा के बाहरी इलाके के एक गाँव में भेजा था। जहाँ उन्होंने गणित और ड्राइंग सीखा था। 13 साल की उम्र में उन्हें एक नोटरी और फिर एक उत्कीर्णन (उन्हें विभिन्न मुद्रण तकनीकों का इस्तेमाल किया गया) से अवगत कराया गया। उत्तरार्द्ध ने उसे मारा और 14 मार्च 1728 को रोसेवा जेनेवा भाग गया, एंटोनक्ट्रेंडो ने कहा कि शहर के द्वार कर्फ्यू द्वारा बंद कर दिए गए थे। 

उन्होंने रोमन कैथोलिक पादरी के साथ पास के सवॉय में शरण ली थी जिसने उन्हें 29 साल के प्रोटेस्टेंट मूल के रईस फ्रांस्वाइस-लुईस डी वॉरेंस से मिलवाया और उनके पति से अलग हो गए। राजा पीडमोंट ने प्रोटेस्टेंटों को कैथोलिक धर्म को लाने में मदद करने के लिए इसका भुगतान किया और रूसो को धर्म परिवर्तन के लिए साविन की राजधानी ट्यूरिन में भेज दिया। 

इस कारन उन्हें जिनेवा की नागरिकता त्यागनी पड़ी थी।  हालांकि बाद में वह इसे वापस पाने के लिए केल्विनिज़्म में लौट आया था।  नियोक्ता के अनियमित भुगतानों के कारण, सरकारी नौकरशाही के प्रति अविश्वास की भावना को देखते हुए। 11 महीने बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 

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रूसो की वयस्क आयु –

jj rousseau – एक किशोर के रूप में, rusho ने कुछ समय तक एक सेवक, सचिव और ट्यूटर के रूप में काम किया, इटली (सवॉय और पीडमोंट) और फ्रांस की यात्रा की। समय-समय पर वे डी वॉरेंस के साथ रहते थे। जिन्होंने उन्हें एक पेशे में शुरू करने की कोशिश की और उन्हें औपचारिक संगीत सबक प्रदान किया। एक समय वह पुजारी बनने की संभावना के साथ एक मदरसे में गया। 

रूसो 20 वर्ष के हो गए तो डी वॉरेंस ने उन्हें अपना प्रेमी माना। उसने और पादरी के उच्च शिक्षित सदस्यों द्वारा गठित उसके सामाजिक दायरे ने उसे विचारों और पत्रों की दुनिया से परिचित कराया था। इस समय में रूसो संगीत, गणित और दर्शन का अध्ययन करने के लिए समर्पित था। 25 साल की उम्र में उन्हें अपनी मां से विरासत मिली और इसका कुछ हिस्सा डी वॉरेंस को दिया गया। 27 साल की उम्र में उन्होंने ल्योन में एक ट्यूटर के रूप में नौकरी स्वीकार की थी। 

1742 में उन्होंने एकेडेमी डे साइंसेज को एक नई संगीत संकेतन प्रणाली पेश करने के लिए पेरिस की यात्रा की जो उन्होंने सोचा था कि वह उन्हें अमीर बना देगा। हालांकि, अकादमी ने इसे अव्यावहारिक माना और इसे अस्वीकार कर दिया था। 1743 से 1744 तक उन्होंने वेनिस में फ्रांस के राजदूत, मोंटैथ की गिनती के सचिव के रूप में सम्मान का एक पद संभाला, एक मंच जो उन्हें ओपेरा के लिए एक प्यार जगाता था।

रूसो पेरिस लोट आया –

rusho पेरिस लौट आया और थेरेस लेवाससेयुर की रखैल बन गया जो मां और भाइयों की देखभाल करती थी। अपने रिश्ते की शुरुआत में वे एक साथ नहीं रहते थे। लेकिन बाद में रूसो ने थेरेस और उसकी माँ को अपने नौकरों के रूप में उसके साथ रहने के लिए ले लिया। उनके अनुसार बयान, उनके 5 बच्चे थे। लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं है। रूसो ने थेरेस को बच्चों के लिए एक अस्पताल पहुंचाने के लिए कहा ऐसा लगता है।

कि क्योंकि वह उस शिक्षा पर भरोसा नहीं करता जो वह प्रदान कर सकता था। जब जीन-जैक्स बाद में शिक्षा के बारे में अपने सिद्धांतों के लिए प्रसिद्ध थे। वोल्टेयर और एडमंड बर्क ने अपने सिद्धांतों की आलोचना के रूप में बच्चों के परित्याग का उपयोग किया। rusho के विचार राइडर और दार्शनिक जैसे दार्शनिकों के साथ उनके संवादों का परिणाम थे। जिनमें से वे पेरिस में एक महान मित्र बन गए।

उन्होंने लिखा है किपेरिस के पास एक शहर विन्सेन्स के माध्यम से चलना यह रहस्योद्घाटन था कि कला और विज्ञान मनुष्य के पतन के लिए जिम्मेदार थे , जो मूल रूप से प्रकृति से अच्छा है। पेरिस में उन्होंने संगीत में भी अपनी रुचि जारी रखी। उन्होंने ओपेरा और विलेज सोथसेयर के गीत और संगीत लिखे, जो 1752 में किंग लुईस के लिए किया गया था। वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने रूसो को आजीवन पेंशन की पेशकश की, लेकिन उसने मना कर दिया था। 

रूसो की जेनोआ की यात्रा (1754) –

  • 1754 में, केल्विनिज़्म के लिए पुनर्निर्मित, रूसो जेनोआ की नागरिकता प्राप्त करने के लिए वापस आ गया। 
  • 1755 में उन्होंने अपना दूसरा महान कार्य, दूसरा प्रवचन पूरा किया। 
  • 1757 में उनका 25 वर्षीय सोफी डी’हॉडेट से अफेयर था, हालांकि यह ज्यादा समय तक नहीं चला। 

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Rusho के तीन मुख्य कार्य –

  • 1761 – जूलिया या न्यू हेलोइस, एक रोमांटिक उपन्यास जो उनके अप्राप्य प्रेम से प्रेरित था।
  • उन्हें पेरिस में बड़ी सफलता हासिल हुई थी। 
  • 1762 – सामाजिक अनुबंध, ऐसा काम जो मूल रूप से
  • एक ऐसे समाज में पुरुषों की समानता और स्वतंत्रता से संबंधित है। 
  • जो न्यायपूर्ण और मानवीय दोनों है। 
  • यह पुस्तक ने राजनीतिक आदर्शों के लिए फ्रांसीसी क्रांति को प्रभावित किया था। 
  • 1762 – एमिलियो या शिक्षा, एक शैक्षणिक उपन्यास, मनुष्य की प्रकृति के बारे में एक संपूर्ण दार्शनिक ग्रंथ है।
  • रूसो के अनुसार, यह अपने कामों में सबसे अच्छा और सबसे महत्वपूर्ण था।
  • इस पुस्तक के क्रांतिकारी चरित्र ने उन्हें तत्काल निंदा अर्जित की।
  • इसे पेरिस और जेनेवा में प्रतिबंधित और जला दिया गया।
  • हालांकि, यह जल्दी से यूरोप में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक बनी थी। 

रूसो का माउंटिशियर्स में स्थानांतरण – Transfer of Russo to Mtitiers

प्रकाशन शिक्षा ने फ्रांसीसी संसद को नाराज कर दिया, जिसने रूसो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जो स्विट्जरलैंड भाग गए। इस देश के अधिकारियों ने उसके साथ सहानुभूति नहीं की, और वह तब था जब उसे वोल्टेयर से एक निमंत्रण मिला था, हालांकि रूसो ने जवाब नहीं दिया था। स्विस अधिकारियों ने उसे सूचित किया कि वह बर्न में नहीं रह सकता है, दार्शनिक डीलेबर्ट ने उसे सलाह दी कि वह न्यूचैटल की रियासत में चले जाए, जो कि प्रशिया के राजा फ्रेडरिक द्वारा शासित है, जिसने उसे स्थानांतरित करने में मदद की थी। 

रूसो दो साल (1762-1765) से अधिक समय तक पढ़ने और लिखने के लिए मॉटियर्स में रहे थे। स्थानीय अधिकारियों को उनके विचारों और लेखन के बारे में पता होना शुरू हो गया और वह उन्हें वहां रहने की अनुमति देने के लिए सहमत नहीं हुए।उसके बाद वह एक छोटे स्विस द्वीप, सैन पेड्रो द्वीप पर चले गए। हालांकि बर्न के कैंटन ने उसे आश्वासन दिया था वहा गिरफ्तारी के डर के बिना उसमें रह सकता है। 17 अक्टूबर 1765 को बर्नीसे सीनेट ने उसे 15 दिनों में द्वीप छोड़ने का आदेश दिया था। 29 अक्टूबर, 1765 को वह स्ट्रासबर्ग चले गए और बाद में डेविड ह्यूम के इंग्लैंड जाने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया। 

रूसो का इंग्लैंड में शरणार्थी (1766-1767) –

फ्रांस में थोड़ी देर रुकने के बाद, रूसो ने इंग्लैंड में शरण ली।

जहां दार्शनिक डेविड ह्यूम ने उनका स्वागत किया, लेकिन जल्द ही वे दुश्मन बन गए थे। 

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ग्रेनोबल –

  • 22 मई, 1767 को रूसो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट होने के बावजूद फ्रांस लौट गये।
  • 1769 के जनवरी में वह और थेरेस ग्रेनोबल के पास एक खेत पर रहने के लिए गए।
  • जहाँ उन्होंने वनस्पति विज्ञान का अभ्यास किया और अपना काम पूरा किया था।
  • 1770 के अप्रैल में वे ल्योन और बाद में पेरिस चले गए।
  • 1788 में रेने डे गिरार्डिन ने उन्हें एरमेननविले में अपने महल में रहने के लिए आमंत्रित किया था।
  • जहां वे थेरेस के साथ चले गए। उन्होंने रेने के बेटे को वनस्पति विज्ञान पढ़ाया था। 

रूसो का शिक्षा दर्शन – 

rusho दूसरे, रूसो ने समाज के भीतर डूबे हुए व्यक्ति को शिक्षित करके नैतिक व्यक्ति के प्रस्थान का प्रस्ताव रखा। यह शिक्षा प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। इस प्राकृतिक शिक्षा की विशेषताओं के सार पर एक व्यापक शोध पर आधारित हैं।  न कि पारंपरिक तत्वों पर जो सामाजिक संरचनाओं को प्रस्तावित करते हैं। अर्थ में रूसो के लिए प्रकृति के संपर्क में होने पर बच्चों के पास प्राथमिक और सहज आवेग बहुत मूल्यवान थे। वे सबसे अच्छे संकेतक होंगे कि मनुष्य को अपने प्राकृतिक सार के बचाव के लिए कैसे व्यवहार करना चाहिए। 

एमिल रूसो ने कहा कि इन आवेगों औपचारिक शिक्षा द्वारा सेंसर किया गया है। और नहीं बल्कि इस शिक्षण बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया है। रूसो के अनुसार स्त्री शिक्षा भी बहुत आवश्यक थी। बहुत समय से पहले ही उनकी बुद्धि को विकसित करने और काम वे उन्हें अपेक्षा की जाती है वयस्कता में निहित होने के लिए तैयार करते हैं। शिक्षा के इस प्रकार वह बुलाया “सकारात्मक” थी। 

रूसो के नकारात्मक शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित है। जिसके माध्यम से इंद्रियों के विकास और उन पहले प्राकृतिक आवेगों के विकास को बढ़ावा देना है। तर्क रूसो द्वारा उठाए गए के अनुसार, यह “ज्ञान के शरीर” को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है और फिर अपने सबसे अच्छे रूप को विकसित करने के लिए तो आप एक परिदृश्य है। 

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रूसो का सामाजिक व्यवहार – 

rusho – सामान्य तौर पर, इस ऐतिहासिक अस्तित्व के निरंकुश दृष्टिकोण को बहुत स्पष्ट तरीके से उजागर नहीं किया जाता है।

लेकिन सामाजिक व्यवहार को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके छुपाया जाता है।

जिसमें शिक्षा की व्यापक भागीदारी होती है।

इस सामान्यीकृत अहंकार के परिणामस्वरूप, समाज एक निरंतर उत्पीड़न करता है।

जो वास्तविक स्वतंत्रता का आनंद लेने से रोकता है। 

उसी समय, यह देखते हुए कि सामाजिक व्यवहार पुरुषों के सच्चे इरादों को छिपाने के लिए जिम्मेदार है।

यह वास्तव में समझना संभव नहीं है। कि होने के भ्रष्टाचार का स्तर क्या है।

इसे पहचानने में सक्षम होना और इसके बारे में कुछ सकारात्मक करना।

रूसो के अनुसार प्रकृति की स्थिति में अकल्पनीय दो अवधारणाओं के उद्भव के परिणामस्वरूप ऐतिहासिक व्यक्ति उत्पन्न हुआ था।

और एक ही समय में सामाजिक राज्य के लिए आवश्यक था ,शक्ति और धन की। 

Rusho Death – रूसो का मौत 

jean rousseau rusho – रूसो प्रकृतिवाद की फ्रांस के एरमेननविले में 2 जुलाई, 1778 को मृत्यु हो गई।

यह जानते हुए भी कि केवल 11 साल बाद ही उनके विचार

सामाजिक अनुबंध, वे स्वतंत्रता की क्रांति की घोषणा करने के लिए काम करेंगे।

1782 में मरणोपरांत उनका काम प्रकाशित हुआ एकान्त वाकर के सपने।

यह उसका अंतिम वसीयतनामा है जहाँ रूसो उन अजूबों को पकड़ता है जो प्रकृति हमें देती है। 

Rusho Biography In Hindi Video –

Rusho Facts –

  •  रूसो सामाजिक संस्थाओं और उनमें विद्यमान रूढ़ियों के कटु आलोचक थे। 
  •  सामाजिक समझौता में लिखते है की मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है लेकिन वह सर्वत्र जंजीरों से जकड़ा हुआ है। 
  •  रूसो कहते थे की अपनी क्रियाओं के स्वाभाविक परिणामों द्वारा नैतिक आदर्शों का ज्ञान प्राप्त करना ही निषेधात्मक शिक्षा है।
  • रूसो आधुनिक युग के महान विचारक जिन्होंने मानव के स्वभाव,
  • प्राकृतिक अवस्था, राज्य की उत्पत्ति और असमानता पर पुस्तके लिखी है। 

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Rusho Questions –

रूसो की निषेधात्मक शिक्षा क्या है ?
बालक को उसके स्वभाव, रुचि अर प्रकृति के विरुद्ध कुछ भी न सीखना उसको रूसो निषेधात्मक शिक्षा कहते थे। 
रूसो कौन था ? (Ruso kaun tha in hindi )
वह एक लेखक, दार्शनिक, वनस्पति विज्ञानी, प्रकृतिवादी और संगीतकार थे। 
रूसो की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम ?
द सोशल कॉन्टैक्ट रूसो की प्रसिद्ध पुस्तक है। 
रूसो के आदर्श राज्य की जनसंख्या क्या है ?
महान दार्शनिक रूसो के अनुसार एक राज्य की जनसंख्या 10000 होनी चाहिए 
रूसो का शिक्षा सिद्धांत क्या है ?
 मानव को प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने के योग्य बनाना रूसो का शिक्षा सिद्धांत है।

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Rusho Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज और पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने Ruso kaun tha और रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दे दी है ; अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है , और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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Kalpana Chawla Biography In Hindi | कल्पना चावला की जीवनी

हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज के हमारे आर्टिकल , Kalpana Chawla Biography In Hindi में भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री, कल्पना चावला का जीवन परिचय देने वाले है। 

17 मार्च 1962 को कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ और भारतीय मूल की अमरीकी अंतरिक्ष यात्री द्वितीय भारतीय और प्रथम भारतीय महिला ने अपनी प्रथम अंतरिक्ष उड़ान 1996 में STS-87 के साथ भरी थी। और  ‘कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा’ में एक हादसे में सात अंतरिक्ष यात्री के साथ 1 फरवरी 2003 को मौत हुई थी। देश  की महिलाए आदर्श के रूप में दिखती कल्पना  2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण कर चुकी है। इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया और चाँद पर कदम रखा था।

कल्पना का सफर भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है। आज kalpana chawla jayanti, kalpana chawla quotes in hindi और kalpana chawla birth anniversary की बात होने वाली है। उन्हें नासा में मिलने वाली जिम्मेदारियां एवं सफलता भारत का सर और ऊँचा कर देती हैं। इसीलिए कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं। कल्पना चावला की कहानी में आज how did kalpana chawla become an astronaut की माहिती देने वाले है। तो चलिए आपको कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी के लिए ले चलते है। 

Kalpana Chawla Biography In Hindi –

 नाम 

 कल्पना चावला

 जन्म

 1 जुलाई 1961

 जन्म स्थान

  करनाल

 पिता

 बनारसी लाल चावला

 माता

 संज्योथी चावला

 पति 

 जीन पिएरे हैरिसन

 पेशा

  इंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट

 पहली अन्तरिक्ष की यात्रा 

 1996 में STS-87

 दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा

 2003 में STS-107 फ्लाइट

अवार्ड्स

 कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक

 

मृत्यु

 1 फरवरी 2003

 मृत्यु का कारण

 स्पेस शटल का टूटना

Kalpana Chawla ka Jivan Parichay –

कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं। तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ। तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो।  कल्पना भारत के पहले पायलट जे.आर.डी टाटा से प्रभावित थी।

इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी। भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा हैं- कप्लना-1. कल्पना के देहांत के बाद kalpana chawla husband भारत आये थे और कल्पना के भस्मावशेषों को हिमालय पर बिखेरा था ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। 

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कल्पना चावला का जन्म –

कल्पना चावला इन हिंदी में बतादे की अन्तरिक्ष में उड़ान भले अमेरिका से भरी हो लेकिन उनका जन्म भारत मे हुआ था. इनकी जन्म तिथी 17 मार्च 1962 हैं. कल्पना मुलत: भारतीय नागरिक थी इनका जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था

Kalpana Chawla Education – कल्पना चावला शिक्षा

कल्पना ने अपनी बीएससी भी 1982 में भारत के ही पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में की. उसके बाद वो मास्टर की डिग्री करने टेक्सास चली गई। जहाँ कल्पना ने टेक्सास यूनिवर्सिटी से 1984 में एरोस्पस इंजीनियरिंग में एमएससी की. इसके बाद 1988 में उन्होंने कोलोराडो यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की. कल्पना की परवरिश उन्मुक्त माहौल में हुई थी जिसमें मेहनत को प्रोत्साहन मिलता था। 

Kalpana Chawla Family – कल्पना चावला का परिवार

कल्पना का जन्म संज्योथी चावला और बनारसीलाल चावला के यहाँ हुआ था. kalpana chawla parents की बात करे तो  उनकी 2 बहनें हैं जिनका नाम दीपा और सुनीता हैं .इसके अलावा एक भाई संजय भी हैं। कल्पना ने अमेरिका में पढाई के दौरान वहीँ पर शादी करने का फैसला कर लिया और उन्होंने अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जीन पिएरे हैरिसन से शादी की थी,इस शादी के बाद कल्पना को यूएस की नागरिकता मिल गयी थी। 

कल्पना चावला का कार्य क्षेत्र –

1988 में कल्पना चावला ने अपनी डॉक्टरेट पूरी होते ही नासा एम्स रिसर्च सेंटर में पॉवर-लिफ्ट कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनामिक्स में काम करना शुरू कर दिया। उनका शोध एयरक्राफ्ट के आस-पास हवा का प्रवाह देखने का था. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद फ्लो सॉल्वर में मैपिंग के साथ गणना का काम किया था। 1993 में कल्पना चावला ने ओवरसेटमेथड्स इंक.,लोस एटलोस,कैलिफोर्निया में वाईस प्रेसिडेंट और रिसर्च वैज्ञानिक के तौर पर जॉइन किया। 

यहाँ उनका काम एक टीम बनाकर अन्य रिसर्चर के साथ मूविंग मल्टीपल बॉडी प्रॉब्लम के अनुकरण को देखना था. वो विकास और एयरोडायनामिक ऑप्टिमाइजेशन में आवश्यक तकनीकों के प्रयोग के लिए जिम्मेदार थी. कल्पना चावला द्वारा किये गए विभिन्न प्रोजेक्ट्स अलग-अलग पेपर्स कई जर्नल्स में प्रकाशित हो रखे हैं। 

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Kalpana Chawla NASA Experience –

  • 1994 में कल्पना चावला का नासा में चयन हो गया,इसके बाद कल्पना ने 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनॉट प्रतिभागी के तौर पर एस्ट्रोनॉट के 15वें ग्रुप में जॉइन किया। 
  • एक साल तक प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद वो EVA/रोबोटिक कंप्यूटर ब्रांच के एस्ट्रोनॉट ऑफिस में टेक्निकल इशू के काम के लिए क्रू प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त की गयी। 
  • उनको दिए गए कामों में रोबोटिक सिचुएशनल अवरेनेस डिस्प्ले और टेस्टिंग स्पेस शटल कण्ट्रोल सॉफ्टवेयर इन दी शटल, एविओनिकस इंटीग्रेशन लेबोरेटरी में सॉफ्टवेयर को नियंत्रित करना था। 
  • नवम्बर 1996 में कल्पना चावला को STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त किया गया। 
  • जनवरी,1998 में उन्हें शटल और स्टेशन फ्लाइट के लिए क्रू रिप्रेजेन्टेटिव के पद पर नियुक्त किया गया,उसके बाद उन्होंने एस्ट्रोनॉट ऑफिस क्रू सिस्टम एंड हैबिटेबिलिटी सेक्शन में काम किया। 
  • वह 1997 में STS-87 और 2003 में STS-107 पर 30 दिन,14 घंटे और 54 मिनट के लिए अंतरिक्ष में गयी। 

Kalpana Chawla Space Travel – कल्पना चावला अंतरिक्ष यात्रा

  • 1996 का वर्ष था जब कल्पना चावला ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
  • इस यात्रा से कल्पना चावला भारत की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री बनी थी।
  • राकेश शर्मा के बाद कल्पना जी दूसरी भारतीय अंतरिक्ष यात्री थी। 19 नवम्बर का दिन था
  • और कल्पना चावला के समेत कुल 6 यात्री थे।
  • इस अंतरिक्ष यान का नाम कोलंबिया STS-87 था।
  • पहली उड़ान के दौरान कल्पना ने 372 घण्टे अंतरिक्ष मे बिताए। कल्पना चावला की उड़ान यही नहीं रुकी
  • और उन्होंने अन्तरिक्ष का 16 जनवरी 2003 को दूसरी बार सफर किया।
  • कल्पना चावला के बारे में जानकारी बताये तो यह सफर उनका आखिरी सफर था।
  • नासा के कोलंबिया STS-107 नामक अंतरिक्ष यान में कल्पना समेत 7 अंतरिक्ष यात्री इस यात्रा पर थे।
  • इस यान ने कैनेडी स्पेस सेन्टर से अपनी उड़ान भरी थी।
  • 1 फरवरी 2003 का वक्त था, जब एक भयानक हादसा हुआ।
  • 16 दिन स्पेस में बिताने के बाद कल्पना चावला और उनके बाकी क्रू मेंबर धरती पर वापस आ रहे थे।
  • धरती पर शटल को उतरने में केवल 16 मिनट शेष थे।
  • यान की गति 20 हजार किलोमीटर प्रति घण्टा थी।
  • शटल ने जैसे ही पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया, एक भयंकर धमाका हुआ। स्पेस शटल जलकर खाक हो गया।
  • अंतरिक्ष की यह उड़न परी अंतरिक्ष मे ही विलीन हो गयी।
  • यान का मलबा अमेरिका के टेक्सास शहर के पास गिरा था।

S T S -107 Colombia –

16 जनवरी से 1 फरवरी 2003 तक 16 दिनों की ये उड़ान विज्ञान और रिसर्च मिशन को समर्पित थी.एक दिन में 24 घंटे का काम होता था,जिसमे क्रू के सदस्य 2 शिफ्ट में बारी-बारी से 80 प्रयोग का सफल परिक्षण कर चुके थे। STS -107 मिशन का 1 फरवरी 2003 को अकस्मात अंत तब हो गया, जब स्पेस शटल कोलम्बिया और क्रू निर्धारित लैंडिंग से 16 मिनट पहले प्रवेश करते हुए नष्ट हो गया। 

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Kalpana Chawla Awards & Achievements –

कल्पना को मरणोपरांत काफी पुरूस्कार और सम्मान मिले, जिनमें कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक प्रमुख है। 2003 में कल्पना के देहांत के बाद भारत के प्रधानमंत्री ने मौसमी सेटेलाईट के नाम कल्पना के नाम पर रखने की घोषणा की जिस कारण MetSat-1 नाम के सेटेलाइट का नाम कल्पना के नाम पर रखा गया। 

MetSat-1 को 12 सितम्बर 2002 लांच किया गया था. इसी दौरान 2004 में कर्नाटक सरकार द्वारा यंग महिला वैज्ञानिको के लिए कल्पना चावला अवार्ड भी स्थापित किया गया. नासा ने कल्पना चावला की याद में उन्हें सुपरकंप्यूटर भी समर्पित किया। कल्पना चावला को स्पेस फ्लाइट अनुभव :STS-87 कोलंबिया (19 नवम्बर से 5 दिसम्बर 1997 तक). STS-87 चौथी यूएस माईक्रोग्रेविटी पेलोडफ्लाइट थी। 

यह इस प्रयोग पर आधारित थी कि अन्तरिक्ष में वजन रहित वातावरण में कैसे विभिन्न भौतिक गतिविधियाँ होती हैं, और सूर्य के बाहरी वायुमंडलीय ऑब्जरवेशन का कार्य भी इसमें शामिल था। क्रू के 2 सदस्यों का काम EVA (स्पेस वाक) था जो कि एक स्पार्टन उपग्रह का मैन्युअल कैप्चर दिखाया गया,इसके साथ EVA टूल्स की टेस्टिंग और भविष्य के स्पेस स्टेशन असेंबली की प्रक्रिया तय करना था। STS-87 ने धरती के 252 परिक्रमा 36 घंटे और 34 मिनट में की थी। 

कल्पना चावला के साथ हुआ हादसा –

1 फरवरी 2003 की सुबह जब स्पेस शटल धरती पर लौट रहा था और कैनेडी स्पेस सेंटर पर लैंड करने वाला था। तब लांच के समय एक ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का टुकड़ा टूट गया था। इसने शटल के उस विंग्स को क्षतिग्रस्त कर दिया जो कि इसकी री-एंट्री के समय हीट से रक्षा कर रही थी. जैसे ही शटल वातावरण मे पहुंचा,विंग के अंदर की गर्म हवा ने इसको तोड़ दिया था। 

अस्थायी क्राफ्ट हिला और लुढ़का और 1 मिनट के भीतर ही शिप के सभी क्रू सदस्य इसकी चपेट में आ गए. जमीन पर गिरने से पहले टेक्सास और लुसियाना पर इसका शटल टुटा. यह दुर्घटना 1986 में शटल चेलेंजेर में हुए विस्फोट के बाद स्पेस शटल प्रोग्राम के लिए दूसरी बड़ी दुर्घटना थी। और कल्पना चावला डेथ के समय kalpana chawla age 41 साल थी। 

अंतिम समय में कोन था कल्पना चावला के साथ –

कल्पना चावला के साथ उनके क्रू में कमांडर रिक.डी.हस्बैंड, पायलट विलियम सी.एमसीकूल,पेलोड कमांडर माइकल पी.एंडरसन, पेलोड स्पेशलिस्ट इलान रामोन जो कि पहले इजरायली एस्ट्रोनॉट थे और मिशन स्पेशलिस्ट डेविड एम.ब्राउन और लॉरेल बी.क्लार्क थे। kalpana chawla movie भी बनी जिसका नाम Chak De और यशराज फिल्म के बैनर तले फिल्म निर्माण हुई है।  

इस दुर्घटना पर की जाने वाली जांच बनी डोक्यूमेंटरिज एवं इवैंट –

कोलम्बिया की घटना को आधिकारिक रूप से जांचने और समझने की कोशिश की जा चुकी हैं.

जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या हुआ था। 

कैसे भविष्य में ऐसी दुर्घटना से बचा जा सकता हैं. –

  • “कोलम्बिया एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन बोर्ड (2003)” एवं
  • नासा के “कोल्मबिया क्रू सर्वाइवल इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट” (यह 2008 में रिलीज़ हुयी)

कोलम्बिया क्रू से भी कुछ डाक्यूमेंटरीज दी गई हैं.

जिसमें एस्ट्रोनॉट डायरीज “रीमेम्बेरिंग दी कोलम्बिया शटल क्रू” (2005) और

2013 में आई डोक्युमेंट्री जो इलान रामों पर केन्द्रित थी। 

जिसका नाम “स्पेस शटल कोलुम्बिया मिशन ऑफ़ होप” था।

टेक्सास की युनिवर्सिटी ने 2010 में अर्लिंग्टन कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में

कल्पना चावला के नाम मेमोरियल समर्पित किया गया।

शुभारम्भ में उसके डिस्प्ले पर फ्लाइट सूट,फोटोग्राफ,चावला के जीवन की जानकारी

और एक कोलम्बिया एस्ट्रोनॉट के साथ हुए हादसे के समय जॉनसन स्पेस सेंटर पर फहराया जाने वाला झंडा था। 

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मौत तय थी फिरभी भरी उड़ान –

आपको Kalpana chavla in hindi में आपको कह देते है। की इस पूरे मिशन के प्रोग्राम मैनेजर ने आगे चलकर यह खुलासा किया कि यान सुरक्षित जमीन पर नहीं लौटेगी, यह पहले से ही तय था। फिर भी किसी ने इस बात की भनक बाहर, यहां तक की सातों अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं लगने दी. नासा ने ऐस क्यों किया, यह गुत्थी आजतक नहीं सुलझी है। कल्पना हमेशा कहती थीं कि वो अंतरिक्ष के लिए ही बनी हैं।  भारत जैसे देश में एक बेटी का यह कहना कि वो अंतरिक्ष के लिए बनी है।

Kalpana chawla information in hindi वो भी उस दौर में,बहुत बड़ी बात है. यहां भारत में रहने वाले मां-बाप को बेटियों को पढ़ाने का हौंसला देने के लिए अक्सर जिन नामों का सहारा लिया जाता है। उसमें सबसे शीर्ष के स्थानों पर रही हैं, कल्पना चावला जिसने ना जाने कितनी ही कल्पनाओं को उड़ने के लिए प्रेरित किया। kalpana chawla history in hindi देख जिसने ना जाने कितने ही मां-बाप को अपनी बेटी में एक कल्पना ढ़ूंढ़ने को मजबूर कर दिया।

Kalpana Chawla in Hindi Video –

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Kalpana Chawla Interesting Fact –

  • Autobiography of kalpana chawla in hindi में आपको बतादे की 
  • कल्पना बचपन से जिज्ञासु प्रवृति और स्वतंत्र स्वभाव की थी। 
  • करनाल जैसे छोटे शहर से अंतरिक्ष तक का सफर किसी प्रेरणा से कम नही है।
  • भारत ने अपनी इस महान बेटी के सम्मान में अपने पहले मौसम उपग्रह का नाम कल्पना1 रखा था।
  • कल्पना ने अपना नाम तक खुद चुना था।
  • उनकी मासी बताती हैं कि कल्पना को घर पर सब “मोंटो” नाम से बुलाने लगे थे। 
  • उनके घर के पास ही “टैगोर बाल निकेतन स्कूल में
  • प्रवेश के समय वहां की प्राध्यापिका ने उनका नामा पूछा था 
  • कल्पना चावला भारत के युवाओं और खासकर महिलाओं के लिए एक महान आदर्श है।
  • कल्पना ने विश्व को दिखा दिया कि भारत की बेटियां भी किसी से कम नही है।

FAQ –

1 .कल्पना पहली बार अंतरिक्ष यात्रा पर कब गई?

19 नवंबर 1997 के दिन कल्पना पहली बार 35 साल की उम्र में अंतरिक्ष यात्रा पर गयी थी। 

2 .कल्पना चावला की मौत कैसे हुई ?

1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते एक हादसे का शिकार हुई और मृत्यु हुई थी। 

3 .कल्पना चावला का जन्म कब हुआ ?

1 July 1961 के दिन कल्पना चावला का जन्म हुआ था। 

4 .कल्पना चावला का विवाह कब हुआ ?

2 December 1983 में कल्पना चावला की शादी हुई थी। 

5 .कल्पना चावला कहां की रहने वाली थी ?

वह हरियाणा के करनाल की रहने वाली थी 

6 .कल्पना चावला की मृत्यु कब हुई थी ?

1 फरवरी 2003 के दिन कल्पना चावला की मृत्यु हुई थी।

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Kalpana Chawla Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज और पसंद आया होगा। इसके जरिये  हमने Information about kalpana chawla in hindi, कल्पना चावला माहिती और Kalpana chawla death reason hindi ,से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है।  अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

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