Sushma Swaraj Biography In Hindi - सुषमा स्वराज की जीवनी

Sushma Swaraj Biography In Hindi – सुषमा स्वराज की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Sushma Swaraj Biography In Hindi बताएँगे। भारत के विदेश मंत्री और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का जीवन परिचय बताने वाले है। 

सुषमा स्वराज एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी की सदस्य थीं।  वह भारत सरकार में विदेश मंत्री थीं। आज हम sushma swaraj speech ,sushma swaraj bhawan और sushma swaraj daughter के अलावा उनसे जुडी दूसरी जानकारी भी बताने वाले  है। उन्होंने छठे कार्यकाल के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया था और 15 वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं। उन्होंने दो बार 1977-1982 और 1987-1990 के दौरान हरियाणा से विधायक बनीं और एक बार 1998 में दिल्ली से। अक्टूबर 1998 में उन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री का पद संभाला था ।

sushma swaraj Political Career ग्राफ भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका का प्रकटीकरण है।  वह सत्ता पक्ष के सदस्य और विपक्ष के रूप में दोनों प्रमुख पदों पर रहे।  वह कई ऐसी युवा महिलाओं के लिए एक आदर्श थीं। जो भारतीय राजनीति की राह पर चलने की ख्वाहिश रखती थीं। सुषमा स्वराज की बेटी का नाम bansuri swaraj है। तो चलिए sushma swaraj hindi में बताना शुरू करते है।  

Sushma Swaraj Biography In Hindi –

name  सुषमा स्वराज
Birth 14/02/1952
birth place अम्बाला, छावनी, पंजाब, भारत
height 4 “11 हाइट इन फिट 
education बी.ए. तथा एलएलबी
College पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
marital status married
Husband name स्वराज कौशल
children 1 पुत्री (बांसुरी स्वराज )
Father हरदेव शर्मा
mother श्रीमती लक्ष्मी देवी
Post विदेश मंत्री (26 मई 2014)
nationality भारतीय
Political party भारतीय जनता पार्टी
death 6 अगस्त 2019 (उम्र 67 वर्ष)
death Place नई दिल्ली, भारत

सुषमा स्वराज की जीवनी –

सुषमा स्वराज 25 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनीं।  1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह-दिवसीय सरकार के दौरान, उन्होंने सूचना और प्रसारण के लिए केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा बहस का लाइव टेलीकास्ट करने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया।  सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय सचिव थीं और पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता भी थीं।

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Sushma Swaraj Education – सुषमा स्वराज शिक्षा

सुषमा स्वराज birthday 14 फरवरी 1952 है। और अंबाला छावनी में श्री हरदेव शर्मा और श्रीमती लक्ष्मी देवी के यहाँ उनका जन्म  हुआ था।  उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रतिष्ठित सदस्य थे। उन्होंने S.D से प्रमुख विषयों के रूप में राजनीति विज्ञान और संस्कृत के साथ B.A में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।  अम्बाला छावनी का महाविद्यालय।  उन्होंने एलएलबी में डिग्री कोर्स किया।  चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से।  1970 में उन्होंने एस। डी। से सर्वश्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार प्राप्त किया।

 कॉलेज, अंबाला छावनी। वह असाधारण गतिविधियों में उत्कृष्ट थी।  उनकी कुछ रूचियों में शास्त्रीय संगीत, कविता, ललित कला और नाटक शामिल हैं।  वह कविता और साहित्य की भी गहरी पाठक हैं। सुषमा स्वराज को N.C.C का सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित किया गया।  एस डी कॉलेज के लगातार तीन वर्षों के लिए।  हरियाणा के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता ने उन्हें लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी अध्यक्ष का पुरस्कार जीता।  

वह ए। सी। बाली मेमोरियल उद्घोषणा प्रतियोगिता में पंजाब विश्वविद्यालय की हिंदी में सर्वश्रेष्ठ वक्ता भी बनीं और वहाँ उन्हें विश्वविद्यालय रंग से सम्मानित किया गया। उन्होंने बयानबाजी प्रतियोगिता, वाद-विवाद, गायन, नाटक और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में भेद के कई पुरस्कार जीते हैं।  वह चार साल तक हरियाणा राज्य के हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष रहीं। 

सुषमा स्वराज का विवाह –

एक आपराधिक वकील के साथ सुषमा स्वराज ने 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील श्री स्वराज कौशल से विवाह किया। श्री स्वराज कौशल 1990 में देश के सबसे युवा राज्यपाल बने। 1990 से 1993 के दौरान, श्री स्वराज कौशल ने राज्यपाल के रूप में कार्य किया। मिजोरम।  1998 से 2004 तक, वह संसद सदस्य थे।  उनकी बेटी, बंसुरी कौशल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्नातक हैं और इनर टेम्पल से लॉ में बैरिस्टर भी हैं।

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सुषमा स्वराज की पेशेवर पृष्ठभूमि –

1973 में सुषमा स्वराज ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया था ।

सुषमाजी ने राजनीति में कैसे प्रवेश किया –

 अगली पीढ़ी के नेता के रूप में माना जाता है, भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराज की स्थापना वर्ष 1970 में एक छात्र नेता के रूप में हुई थी। इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन सुषमा स्वराज द्वारा आयोजित किए गए थे। वह एक असाधारण वक्ता और प्रचारक हैं, जो जनता पार्टी में शामिल होने के बाद, आपातकाल के खिलाफ अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। भारतीय राजनीति में उनकी खोज ने उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और बाद में विपक्ष की पहली महिला नेता के रूप में देखा।  वह 27 वर्ष की कम उम्र में हरियाणा में जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष बने।

सुषमा स्वराज भारतीय राजनीतिज्ञ – Sushma Swaraj Indian Politician

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952, अम्बाला, हरियाणामें हुआ था। जबकि   6 अगस्त, 2019, नई दिल्ली में भारतीय राजनेता और सरकारी अधिकारी के रूप में जन्म हुआ, जिन्होंने राज्य (हरियाणा) में कई विधायी और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। और भारत में राष्ट्रीय (संघ) स्तर पर।  उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता के रूप में पांच साल (2009-14) के लिए लोकसभा (भारतीय संसद के निचले कक्ष) में और भाजपा के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री (2014-19) के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कार्य किया।

Early Life, Education and Early Career –

सुष्मा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।  उनके पिता, हरदेव शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में एक हिंदुत्ववादी संगठन के प्रमुख थे, जहाँ से भाजपा एक अपमानजनक घटना थी। उन्होंने हरियाणा में कॉलेज में भाग लिया, चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय में कानून की डिग्री पूरी की, और 1973 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक वकील (यानी, जो कानून का अभ्यास कर सकते हैं) के रूप में पंजीकृत हुए। एक छात्र के रूप में। 

वह राजनीतिक रूप से विशेष रूप से आरएसएस से जुड़े एक हिंदुत्ववादी संगठन के नेता के रूप में सक्रिय थीं, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के प्रबल विरोधी थे। 1975 में उन्होंने वकील और राजनेता स्वराज कौशल से शादी की, जिन्होंने मिज़ोरम राज्य के गवर्नर के रूप में एक पद (1990-93) की सेवा की।

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Sushma Swaraj Awards –

  • उन्हें हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ स्पीकर का पुरस्कार दिया गया।
  • सुषमा स्वराज को वर्ष 2008 और 2010 में दो बार सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला।
  • वह पहली ऐसी पहली और एकमात्र महिला सांसद हैं जिन्हें उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार मिला है।

राज्य स्तर पर (State – Level Politics) –

1977 में, जनता पार्टी के सदस्य के रूप में, स्वराज पहली बार कार्यालय के लिए भागे और हरियाणा राज्य की विधानसभा में एक सीट के लिए चुने गए।  उसने वहां (1977-82 और 1987-90) दो कार्यकाल दिए, जिसके दौरान वह राज्य सरकार में श्रम और रोजगार (1977-79) और शिक्षा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति (1987-90) मंत्री भी रहीं। 1984 में वह भाजपा में शामिल हो गईं (जो 1980 में जनता से सदस्यों द्वारा स्थापित की गई थीं) और उन्हें पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया था। वह पार्टी में अपने महासचिव बनने के लिए आगे बढ़ीं।

Sushma Swaraj – स्वराज तीन बार (1980, 1984, और 1989) में लोकसभा में एक सीट जीतने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के उम्मीदवार से हर बार हार गए। हालाँकि, 1990 में, वह राज्य सभा (संसद का ऊपरी सदन) के लिए चुनी गईं।  उसने सफलतापूर्वक छह साल बाद लोकसभा में एक सीट पर चुनाव लड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी (मई-जून 1996) की 13-दिवसीय भाजपा नीत सरकार में कैबिनेट मंत्री (सूचना और प्रसारण) थीं।  

1998 में उन्हें फिर से लोकसभा में नियुक्त किया गया और दिल्ली के मुख्यमंत्री (उस पद को संभालने वाली पहली महिला) बनने के लिए अपनी सीट से इस्तीफा देने से पहले उसी मंत्रालय (मार्च-अक्टूबर) के प्रभारी थे। दो महीने से (मध्य अक्टूबर से दिसंबर के शुरू तक)।  1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के हारने के बाद, स्वराज ने राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में लौटने का फैसला किया।

राष्ट्रीय स्तर पर (National – Level Politics) –

1999 के संसदीय चुनावों में, स्वराज ने सोनिया गांधी (राजीव गांधी की विधवा) के खिलाफ एक उत्साही अभियान में कर्नाटक राज्य में एक लोकसभा सीट के लिए भाग लिया, जो उस समय कांग्रेस पार्टी के नेता थे। स्वराज लगभग 55,000 मतों के अपेक्षाकृत कम अंतर से चुनाव हार गई, लेकिन 2000 में वह भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की चुनावी जीत के साथ संसद में लौट आईं, राज्यसभा सदस्य के रूप में एक सीट जीती।

 वह एनडीए सरकार में सूचना और प्रसारण (सितंबर 2000-जनवरी 2003) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और संसदीय कार्य (जनवरी 2003-मई 2004) दोनों मंत्री थे। 2004 के संसदीय चुनावों के बाद, जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन विजयी हुआ, स्वराज (जिसने अपनी राज्यसभा सीट बरकरार रखी थी) ने धमकी दी थी कि अगर वह सोनिया गांधी के प्रधान मंत्री बन जाते हैं, तो वह अपना सिर मुंडवा लेते हैं और सफेद साड़ी (शोक का प्रतीक) दान कर देते हैं।  ।  

सोनिया ने असंबंधित कारणों से, कार्यालय के लिए नहीं चलना चुना।) स्वराज को दो साल बाद राज्यसभा में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया और उन्हें उस कक्ष में विपक्ष का उप नेता नियुक्त किया गया।  उन्होंने 2009 के संसदीय चुनावों में लोकसभा में अपना तीसरा कार्यकाल जीता, जिसमें 389,000 वोटों की उल्लेखनीय जीत का अंतर था, और उस वर्ष दिसंबर में सदन में भाजपा विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था।

सुषमा स्वराज की मौत –

2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की ज़बरदस्त जीत के हिस्से में और भी अधिक अंतर से जीतीं और उन्हें प्रधान मंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में विदेश मामलों और प्रवासी भारतीय मामलों के लिए महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिए गए। इस क्षमता में उसने सोशल मीडिया पर भारतीय नागरिकों के साथ अपने गर्म संबंधों के लिए एक प्रतिष्ठा विकसित की।  2016 के उत्तरार्ध में उसे गुर्दे की विफलता हुई।

 वह एक सफल किडनी प्रत्यारोपण से गुज़री लेकिन स्वास्थ्य मुद्दों से त्रस्त रही जिसने एक सार्वजनिक सेवक के रूप में उसकी क्षमता को प्रभावित किया। उसने 2019 के वसंत में पुनर्मिलन के लिए नहीं दौड़ने का विकल्प चुना और अपने पहले कार्यकाल के अंत में मोदी के मंत्रिमंडल को छोड़ दिया।  उसी साल अगस्त में उसकी कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई।

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सुषमाजी की प्रमुख उपलब्धियां – 

  • 1977 में sushma swaraj age 25 में, भारत में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनीं।
  • 1979 में, 27 वर्ष की आयु में, वह हरियाणा में जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष बने। 
  • सुषमा स्वराज के पास राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता बनने का रिकॉर्ड है।
  • सुषमा स्वराज पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का श्रेय रखती हैं।
  • वह पहली महिला केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी हैं।  
  • सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता भी हैं।

Sushma Swaraj Biography Video –

Sushma Swaraj Interesting Facts –

  • सुषमा स्वराज जयंती 14 फरवरी मनाई जाएँगी। 
  • पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज डेथ डेट 6 August 2019 है। 
  • सुषमा स्वराज दिल्ही की पूर्व मुख्यमंत्री थी। 
  • उनकी बेटी बांसुरी स्वराज के पति का नाम swaraj kaushal है। 
  • सुषमा स्वराज का परिवार में एक भाई, एक बहन, एक बेटी हैं। 

Sushma Swaraj Questions –

1 .sushama svaraj ka janm kab hua tha ?

सुषमा स्वराज का जन्म पंजाब के अम्बाला, छावनी हुआ था। 

2 .sushama svaraj kaun hai ?

सुषमा स्वराज bjp के एक राजनेता और  पूर्व मुख्यमंत्री थे। 

3 .sushama svaraj ke kitane bachche hain ?

सुषमा स्वराज की एकलौती बेटी बांसुरी स्वराज है। 

4 .sushama svaraj ki mrtyu kab hui ?

6 अगस्त 2019 के दिन सुषमा स्वराज की मृत्यु हुई थी।  

5 .sushama svaraj kaha ki mukhyamantri thi ?

सुषमा स्वराज दिल्ही की मुख्यमंत्री थी। 

6 .sushama svaraj kaha se saansad hai ?

सुषमा जी अम्बाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने गए थे।

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Conclusion –

आपको मेरा Sushma Swaraj Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये sushma swaraj quotes और sushma swaraj institute of foreign service से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

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Biography of Sachin Tendulkar - Sachin Tendulkar is known worldwide as the God of Cricket. Sachin Tendulkar India Country - Interesting Facts

Sachin Tendulkar Biography In Hindi – सचिन तेंदुलकर की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Sachin Tendulkar Biography In Hindi बताएँगे। भारतीय क्रिकेट टीम के एक बेहतरीन खिलाडी सचिन तेंदुलकर का जीवन परिचय बताने वाले है। 

सचिन तेंदुलकर  को  द गॉड ऑफ क्रिकेट के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है। सचिन तेंदुलकर भारत देश का एक जाना माना क्रिकेटर है। खेल जगत में सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का मास्टरमाइंड माना जाता है। सचिन रनके मशीन के नाम से भी जाना जाता है। आज हम sachin tendulkar son, sachin tendulkar wife और sachin tendulkar net worth से भी बढ़कर सारी माहिती से वाकिफ कराने वाले है। सचिन के पिता जी ने सचिन तेंदुलकर का नाम  सचिन देव बर्मन  रखा था। उनका नाम संगीतकार  ‘सचिन  देव  बर्मन ‘ के  नाम पे रखा गया। 

सचिन तेंदुलकर को  क्रिकेट  में विश्व में भी इतना  विख्यात हे  की उनकी तुलना ऑस्ट्रेलिया  के सुप्रसिद्ध क्रिकेट खिलाडी  सर डोनाल्ड बैडमैन  से की जाती हे। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट मेच में कई रनो का रिकॉड बनाया हे। सचिन तेंदुलकर का रिकॉड आजतक किसीने नहीं तोड़ पाया। sachin tendulkar net worth सचिन तेंदुलकर की माता एक बीमा कंपनी  में काम करती थी। जो रमेश तेंदुलकर की दूसरी पत्नी थी ।  सचिन तेंदुलकर का  विवाह  अंजलि तेंदुलकर के साथ हुआ था। उनके दो बच्चे भी हे अर्जुन और सारा है। 

Sachin Tendulkar Biography In Hindi –

Name सचिन रमेश तेंदुलकर
Birth 24 अप्रैल 1973
birth place मुंबई  के  राजापुर
height 5फुट  5 इंच (165 मीटर
Weight 62 kg
Father रमेश तेंदुलकर
mother रजनी  तेंदुलकर
brother अजित तेंदुलकर, नितिन तेंदुलकर
sister सविताई तेंदुलकर
wife anjali tendulkar
daughter/son  सारा और अर्जुन
famous मास्टर ब्लास्टर, क्रिकेट के भगवान, द मास्टर
work बोलिंग, बल्लेबाजी, कीपिंग
Batting दायां हाथ
Bowling दायां हाथ लेग स्पिन
religion हिन्दू
nationality भारतीय 

Sachin Tendulkar Birth Introduction – 

sachin tendulkar birthday 24 अप्रैल 1973  मुंबई के  राजापुर के मराठी ब्र्हामण परिवार में हुवा था। सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर ने सचिन  तेंदुलकर का नाम सचिन देव बर्मन रखा था। sachin tendulkar age 47 years है। sachin tendulkar height 1.65 m है। sachin tendulkar wife का नाम अंजलि तेंदुलकर है।  sachin tendulkar son का नाम अर्जुन तेंदुलकर है। जब sachin tendulkar childhood थे। तब उनके  दोस्त  साइकल  चलाते थे।

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सचिन तेंदुलकर का बचपन –

सचिन तेंदुलकर के पास साइकल नहीं थी।  सचिन ने पिता से  कहा की  मुझे साइकल चाहिये। पिता ने  मना कर दिया। इस बात का सचिन तेंदुलकर को इतना गुस्सा आया की सचिन तेंदुलकर  5 दिन  तक घर से  खेलने ने के लिये  नहीं निकले  थे। सचिन तेंदुलकर उनकी घर की बालकनी से उनके दोस्त खेलते थे तब सचिन उनके दोस्तों को खेलते हुए देखते थे। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की सचिन तेंदुलकर का सिर उनकी बालकनी की खिड़की में फस गया।  सचिन तेंदुलकर की माता ने बोहोत सारा तेल डालके सचिन का सिर  निकाला।

इस घटना से सचिन के माता पिता  काफी गभरा गये।  सचिन फिर से ऐसी गिनहोनी हरकत ना कर बैठे इस लिए। सचिन तेंदुलकर के माता पिता डर गये थे। वह घटना के बाद सचिन तेंदुलकर को उनके माता पिता ने साइकल दिलवादी। सचिन तेंदुलकर को अभी भी मालूम नहीं है की मेरे पिता जी साइकल कहासे और कैसे लाये थे? 

Sachin Tendulkar Early Journey –

जब सचिन तेंदुलकर छोटे से 5 वर्ष के थे। तब से ही सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेलने का बहुत शोख था।  सचिन को उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने  क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था। भाई के हरबार क्रिकेट के लिए प्रोत्साहित करने कीवजह से सचिन को क्रिकेटके प्रति लगाव हो गया क्रिकेट खेलना उनके लिए एक शौख बन गया। उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने सचिन को काफी  सपोर्ट किया था।

उनके लिए क्रिकेट खेलना एक पेशन बन गया था। सचिन तेंदुलकर  बचपन में उनके पुराने घर के मैदान पे दोस्तों के साथ टेनिस बोल से क्रिकेट खेलते थे।  सचिन तेंदुलकर के सभी दोस्त बड़े थे।सचिन छोटे थे,फिर भी सचिन उनके गेंदों पे बड़े बड़े लम्बे लमबे छक्के मारते थे। उनके दोस्त और सचिन तेंदुलकर के भाई अजित तेंदुलकर भी मनमे हेरान थे ,की इतना अच्छा क्रिकेट यह कैसे खेल लेता है।  

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सचिन तेंदुलकर को कोच मिला – 

उनके भाई अजित तेंदुलकर को पता चला की सचिन को एक अच्छे कोच की जरूरत है। सचिन तेंदुलकर के भाई अजित तेंदुलकरने सचिन के लिए रामाकांत आचरेक नामक कोच को चुना।  रमाकांत आचरेक एक ब्राह्मण थे। जो क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। अजित तेंदुलकर अपने 11 साल के छोटे भाई सचिन तेंदुलकर को सन 1984 में  एक दिन सुबह शिवाजी पार्क ग्राउन्ड में पहोंचे तब  द्रोणाचार्य रामाकांत बच्चो को क्रिकेट की a.b .c . सीखा रहे थे।  

अजित तेंदुलकर ने उनके छोटे भाई सचिन तेंदुलकर को रमाकांत आचरेक को अपने कोचिन क्लब में सामिल करने की गुजारिस की जब अजित तेंदुलकर और रमाकांत बिच में बात हो रही थे। तब सचिन तेंदुलकर मैदान में बच्चो को क्रिकेट की प्रेक्टिस करते हुए देख रहे थे। प्रैक्टिस करते हुए इन नन्हे खिलाडियों को देखकर सचिन तेंदुलकर के आँखों में क्रिक्केटर बनेका का खवाब पलने लगा। जब सचिन तेंदुलकर का पहले दिन था। तब रमाकांत आचरेक ने सचिन तेंदुलकर को पहले दिन क्रिकेट की बल्लेबाजी नहीं कराई, क्यों की सचिन तेंदुलकर ने पहले कभी मेचिस बोल से क्रिकेट नहीं खेला था।

सचिन के कोच रमाकांत –

उस दिन सचिन तेंदुलकर शिवाजी पार्क से वापस लौट रहे थे। तब अपने भाई अजित तेंदुलकर को उन्होंने कहा की बाकि बल्ले बाजो से वह बेहतरीन खेल सकता हे। उस दिन 11 साल के सचिन तेंदुलकर का आत्म विश्वास दूसरों बच्चो से काफी अधिक था। रमाकांत सचिन को क्रिकेट की प्रेक्टिस करा रहे थे तब रमाकांत के दिमाग में एक बात हमेशा खटकती थी की सचिन बेट को हमेशा नीचे से पकड़ते थे। जिसे क्रिकेट की भाषा में बॉटल हेन्ड गिफ्ट कहा जाता है।

जब सचिन तेंदुलकर सोटेसे से के थे तब सचिन तेंदुलकर के भाई अजित तेंदुलकरके बेट से खेलते थे। तब बेट बड़ा था और सचिन छोटे थे। तब से सचिन को नीव – निचे से बेट पकड़ ने की आदत पड गयी थी। कोच रमाकांत कहते थे की इस तरह से ताकत से शॉर्ट नहीं लगा सकते। इस बात को ध्यान में रखते हुए रामाकांत ने सचिन के बेट पकड़ ने का तरीका बदलवा दिया था।

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सचिन तेंदुलकर का पहला मैच –

सचिन तेंदुलकर इस तरह से बेट पकड़ ने की कारन से अच्छा नहीं खेल पाते थे। सचिन आज भी वही ट्रिक से खेलते हे। एक बार सचिन तेंदुलकर दो घंटे से प्रेक्टिस कर रहे थे। प्रेक्टिस करने के लिए ज़्यादा समय नहीं था। रमाकांत ने सचिन तेंदुलकर को जहा रहते थे। वहा एक टीम के साथ सचिन तेंदुलकर पहली मैच खेलने जा रहे थे। तब ये मैच 50 ओवर की थी। जिनमे सचिन तेंदुलकर पहेली ही दो मेचो में 0 रन से आऊट हो गये थे।  

तीसरी मैच में  51 .38 .45 रन बनाके रमाकांत का दिल जीत लिया  था। जब रमाकांत ने अपनी टीममें कामती मरियम को सामिल कर लिया तब उन्होंने सचिन को  चौथे नंबर पे बल्ले बाजी करने भेजा इसबार सचिनने 50 रन बनाये।  सचिन ज़्यादा रन बना सकते थे पर दुसरो खिलाड़ी का चान्स मिले इसलिए खिलाडी को 50 रन से रिटाइट कर दिया जाता था। ताकि उनके टीम वाले को खेल ने के लिये चान्स मिल सके,जब सचिन मैच में रिकॉड बनाते थे।

सचिन की डायरी –

तब सचिन तेंदुलकर उनकी डायरी मे वह लिखा करते थे। लेकिन सचिन तेंदुलकर वो डायरी खो गयी है। जब वो डायरी मिल जाये तो सचिन के काफी सारा रिकॉड के बारे में हम जान सकेंगे है। जब रामकंत मैच में सिक्का उछल के मैच चालू करवाते थे। तब सचिन तेंदुलकर बहोत खिलाड़ियों से कहते थे की जो भी सचिन को आऊट करेगा उसे ये सिक्का इनाम में मिलेगा। पर सचिन तेंदुलकर कभी आउट ही नहीं होते थे। रोज सिक्के सचिन ही जित के सिक्का घर ले जाते थे। सचिन तेंदुलकर ने  उनके गुरु के पास से 13 सिक्के जीते थे जो आज भी उनके पास हे। 

सचिन तेंदुलकर क्रिकेट क्षेत्र में प्रवेश –

1981 में सचिन तेंदुलकर ने 16 वर्ष की उम्र में आंतरराष्ट्रिय क्रिकेट में स्थान ले लिया। उन्होंने एक दिवसीय सामना और टेस्ट में ज़्यादा शतक संपन्न किए थे। सचिन तेंदुलकर सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले विश्व के एकमात्र खिलाड़ी है। सचिन तेंदुलकर पुरे विश्व के प्रथम बल्लेबाज़ है। 

तेंदुलकर अपना खेल पुरे हिम्मत और आत्मविश्वास से खेलते है । सन 2012 में सचिन तेंदुलकर राज्य सभा  के सदस्य  बनने के लिए  नामित कर दिया गया। उन्होंने  T20 इस सामना में अक्टूबर 2012 में सन्यास लिया और उन्होंने 16 नवबर 2013 को वेस्ट इंडीज़ के साथ sachin tendulkar last matchथा। 

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सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियां –

सचिन  तेंदुलकर को 1989 में  अर्जुन अवॉड मिला था।  उसके बाद 1997 में राजीव गांधी खेल रत्न  पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था। 1999 में पद्मश्री ,सन 2008 में पदमविभूषण   पुरस्कारो से सन्मानित किया  गया था। सचिन तेंदुलकर एक मात्र  खिलाडी हे  जिन्हें इंडियन फोर्स के द्वारा ग्रुप कप्तान का रैंक मिला हे। वो भारत देश के सबसे बड़े खिलाडी हे सचिन को देश में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे की मास्टर ब्लास्टर और लिटिल  मास्टर ऐसे नामो से सचिन को जाना जाता हे।                     

Sachin Tendulkar Marriage –

सचिन तेंदुलकर की सगाई 1994 में न्यूज़ीलैंड में हुई थी। तब सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम के साथ  न्यूज़ीलैंड दौरे पर थे। 24 एप्रील को सचिन के 21 वे बर्थडे पे दोनों की एंगेजमेंट हुई थी।  एक साल बाद 24 मई 1995 को सचिन तेंदुलकर की अंजलि के शादी के बंधन में बंध गए। सचिन तेंदुलकर की शादी के दो साल बाद अंजलि तेंदुलकर को दो बच्चे को जन्म दिया। जिनमें  बेटी सारा तेंदुलकर और बेटा अर्जुन तेंदुलकर थे।

सारा का जन्म 12 अक्टूबर 1997 और अर्जुन का जन्म 14 सितंबर 1999 में हुआ। सारा तेंदुलकर  यूनिवर्सिटी कॉलजे लंदन  से मेडिसिन  में ग्रेज्युट हुई है। हाल के दिनों में सारा के बॉलिवुड  में डेब्यु की अफावाये  भी उडी हाला की सचिन ने ऐसी खबरों को गलत बताया। अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता की तरह क्रिकेटर बनना चाहते  है। अर्जुन T20 लीग और भारत की और से 19 लेबल पर क्रिकेट खेल चुके है। अर्जुन ऑलराउंडर है। वह गेंदबाजी भी  के अलावा  बल्लेबाजी  भी अच्छा कर लेते है। 

Sachin Tendulkar’s Record in the T20 Match-

  मैच  रन  सर्वाधिक शतक अर्धशतक औसत
टी20 अं 10  10  10.00 
आईपीएल 78  2334  100* 13  34.83 
चैंपियंस लीग टी20 13  265  69  20.38 

सचिन तेंदुलकर के शतक –

49· ODI
50· T20
51. test 

इसके बारेमे भी जानिए :-

Sachin Tendulkar’s Record in IPL –

Ipl Season team  Match Inning Run HS Ave SR Four Six
2008  Mumbai Indians 7 7 188 65 31.33 106.21 26 2
2009  Mumbai Indians 13 13 364 68 33.09 120.13 39 10
2010  Mumbai Indians 15 15 618 89 47.54 132.62 86 3
2011  Mumbai Indians 16 16 553 100 42.54 113.32 67 5
2012  Mumbai Indians 13 13 324 74 29.45 114.49 39 4
2013  Mumbai Indians 14 14 287 54 22.08 124.24 38 5
total   78 78 2334 100 34.84 119.82 295 29

Sachin Tendulkar Awards – सचिन तेंदुलकर पुरस्कार

  • 1994 –

    • Cricket

    1997 –

    • Cricketers of the Year
    • Rajiv Gandhi Khel Ratna

    1998 –

    • Leading Cricketer in the World

    1999 –

    • Padma Shri

    2001 –

    • Maharashtra Bhushan Award

    2004 –

    • Team of the Year

    2007 –

    • Team of the Year

    2008 –

    • Padma Vibhushan

    2009 –

    • World Test XI

    2010 –

    • Team of the Year
    • Leading Cricketer in the World
    • Sir Garfield Sobers Trophy
    • LG People’s Choice Award
    • Outstanding Achievement in Sport
    • People’s Choice Award
    • World Test XI

    2011 –

    • Polly Umrigar Award
    • Cricketer of the Year
    • World Test XI

    2012 –

    • Outstanding Achievement Award 

    2014 –

    • Bharat Ratna

Sachin Tendulkar Social Media Profile –

Facebook – https://www.facebook.com/SachinTendulkar/

Email Id – Not Available

WhatsApp Number – Not Available

Official Website – Not Available

Twitter – https://twitter.com/sachin

Sachin Tendulkar Instagram –

Sachin Tendulkar Twitter –

  • Sachin Tendulkar
  • @sachin_rt
  • Proud Indian
  • Following – 81
  • फोल्लोवर्स – 35.3M 

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Sachin Tendulka Biography Video 

Sachin Tendulkar Interesting Facts –

  • सचिन तेंदुलकर का पहला मैच टेस्ट 15 नवम्बर 1989 पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। 
  • पढाई की बात बताये तो सचिन 10th फ़ैल थे लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपना करियर बनाया है।
  • तेंदुलकर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच14 नवम्बर 2013 वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ खेला था। 
  • सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट में 51 और वनडे में 49 और तो और 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले वह एक मात्र खिलाडी हैं। 

Sachin Tendulkar Questions –

( 1 ) क्या सचिन तेंदुलकर ऑल राउंडर हैं ?

हा सचिन तेंदुलकर एक वर्ल्ड क्लास ऑलराउंडर है। 

( 2 ) सबसे ज्याद शतक की संख्या का रिकॉर्ड किस के नाम है ?

सबसे ज्याद शतक की संख्या का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम है। 

( 3 ) सचिन तेंदुलकर नंबर क्या है ?

नंबर 10 सचिन तेंदुलकर नंबर है। 

( 4 ) क्या सचिन तेंदुलकर अरबपति हैं ?

हा सचिन बहुत ही आमिर क्रिकेट खिलाडी है। 

( 5 ) sachin tendulkar wife age ?

sachin tendulkar wife age 53 years

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Conclusion –

आपको मेरा Sachin Tendulkar Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये sachin tendulkar stats और सचिन तेंदुलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Maharana Pratap Biography In Hindi - महाराणा प्रताप की जीवनी

Maharana Pratap Biography In Hindi – महाराणा प्रताप की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Maharana Pratap Biography In Hindi बताने वाले है। जिनकी बहादुरी ओरे पराक्रम से दिल्ही बादशाह अकबर भी कांपने लगता था। 

मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। आज हम maharana pratap vs akbar के युद्ध ,maharana pratap family और maharana pratap ki story से जुडी सभी बातो से वाकिफ कराने वाले है। maharana  pratap sword weight 80 किलोग्राम था। maharana pratap height in feet 2.26 m बताई जाती है। 

महाराणा प्रताप की कथा सदियों सदियों तक इतिहास के पन्नो पे। और भारत की शौर्य गाथाओ में गूजती रहेगी। क्योकि महाराणा प्रताप इतने बहादुर और प्रतापी शाशक थे। की उनके राज्य की और हमला तो ठीक लेकिन कोई आंख उठाके देखने बह नहीं चाहता था। उन्होंने कई वक्त युद्ध के मैदान में अकबर जैसे दिल्ही सल्तनज को करारी हर का सामना करवाया था। चलिए दोस्तों हम आपको maharana pratap ka jivan parichay बताते हे। 

Maharana Pratap Biography In Hindi –

नाम  महाराणा प्रताप
जन्म  9 मई, 1540
पिता  उदयसिंह
माता  महाराणी जयवंताबाई
भाई  शक्ति सिंह
जन्मस्थान  राजस्थान के कुंभलगढ़
राजवंश  सिसोदिया
कुल देवता  एकलिंग महादेव
घोड़ा  चेतक

दिल्ली की सल्तनज – Delhi Sultanaj

Maharana Pratap महाराणा प्रताप के प्राचीन काल समय दिल्ली पर मुगल सम्राट अकबर का शासन था। दिल्ली के मुगल सम्राट अकबर जो भारत के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य की स्थापना कर  इस्लामिक परचम को पूरे हिन्दुस्तान में फहराना चाहता था। लेकिन मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप ने 30 वर्षों के लगातारअकबर के प्रयास के बावजूद महाराणा प्रताप ने अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की। जिसकी आस लिए ही वह इस दुनिया से चला गया था। 

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महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक –

bharat ka veer putra maharana pratap के समय काल दरमियान दिल्ली पर मुगल बादशाह अकबर का शासन था। मेवाड़ के राजा उदयसिह ने मेवाड़ और दिल्ली ऐसी बहुत सारी जगह पर अपनी हुकूमत चलाई थी। अपनी मृत्यू से पहले उदय सिंगने उनकी सबसे छोटी पत्नीका बेटा जगम्मलको राजा घोषित किया था। जबकि प्रताप सिंह जगम्मलसे बडे थे। लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था। और आखिरकार में महाराणा प्रताप को मेवाड़ का और दिल्ली का राज्यअभिषेक उनके नाम पर हुआ था। दिल्ली और मेवाड़ महाराणा प्रताप ने अपनी हकूमत चलाई थी। 

महाराणा प्रताप का आरंभिकजीवन – 

 राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे । महाराणा प्रताप सिंह का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ इस दौरान राजकुमार प्रताप को मेवाड़ के 54वे शाषक के साथ महाराणा का ख़िताब मिला

महाराणा प्रताप का  बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे –

संन 1567 में जब राजकुमार प्रताप को उत्तराधिकारी बनाया गया तब उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी और मुगल सेनाओ ने चित्तोड़ को चारो और से घेर लिया था। महाराणा प्रताप अपनी हिम्मत और अकल मंडी से पूरी बाजी को पलट के रख दिया और उन्होंने मुगल सेना को चारों ओर से गेरकर कर चित्तौड़ से भगा भगा के मारा था।  राणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| भाले का वजन 80 किलो था उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 262 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए के लड़ते थे और उसके बावजूद भी वह युध में विजय प्राप्त करते थे। 

महाराणा प्रताप सिंह जस उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित। विशाल मुग़ल सेनाओ को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया। वे वास्तव में जटिल थी मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किन्तु महाराणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया। 

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महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक – Maharana Pratap Chetak Horse 

 राणा प्रताप की वीरता के साथ साथ उनके घोड़े चेतक की वीरता भी विश्व विख्यात है महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था..महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है। 

 Maharana Pratap Battle of Haldighati –

यह युद्ध 18 जून 1576 को लगभग 4 घंटों के लिए हुआ हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच में हुआ था। महाराणा प्रताप के पास करीबन 20 हजार तक सेना थी हल्दीघाटी का युद्ध भारत के इतिहास की एक मुख्य घटना है। इस युद्ध में कुल 20000 महारण प्रताप के राजपूतों का सामना अकबर की कुल 80000 मुग़ल सेना के साथ हुआ था जो की एक अद्वितीय बात है। Maharana Pratap हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर दोनों की आपस में बहुत ही खतरनाक युद्ध हुआ था।

करीबन हल्दीघाटी का युद्ध 4 घंटे तक चला था और उसमें किसी की भी विजय नहीं हुई थी लेकिन दोस्तों ऐसा माना जाता है। कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का विजय हुआ था मेवाड और मुगलों में घमासान युद्ध हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व एक मात्र मुस्लिम सरदार हाकिम खान सूरी ने किया और मुग़ल सेना का नेतृत्व मानसिंह तथा आसफ खाँ ने किया था। 

महाराणा प्रताप की जीवन से जुडी बाते – Talk about Maharana Pratap’s life

 राणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाने जाते थे। चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है। तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए। maharana pratap singh के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था हालांकि हल्दीघाटी के इसी युद्ध में घायल होने से चेतक की मौत हुई थी महाराणा प्रताप के भले का बजन 82 किलो था और युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे। महाराणा प्रताप ने भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर प्रतिज्ञा ली थी कि जिंदगीभर उनके मुख से अकबर के लिए सिर्फ तुर्क ही निकलेगा और वे कभी अकबर को अपना बादशाह नहीं मानेंगे। 

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महाराणा प्रताप की पत्निया – Maharana Pratap Wife

  •  सोलनखिनीपुर बाई
  • फूलबाई राठौर
  • जसोबाई चौहान
  • शहमति बाई हाडा
  • अलमदेबाई चौहान
  • रत्नावती बाई परमार
  • लखाबाई
  • चंपाबाई जंथी
  • अमरबाई राठौर
  • खीचर आशाबाई
  • महारानी अजबदे पंवार

महाराणा प्रताप की मृत्यु – Maharana Pratap Death

महाराणा प्रताप की मृत्यु अपनी राजधानी चावंड में हुई थी। धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज करवाया लेकिन तबियत में ज्यादा सुधार नहीं आया। इस वाज से महाराणा प्रताप की मोत 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को हो गई थी। महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर के पेरो से जमींन खिसक गई। 

क्योकि मुग़ल बादशाह अकबर को पहली बार उससे भी ज्यादा हिम्मत वाला और अकबर को हारने वाला पहेला वीर योद्धा मिलता था। उनकी मौत से अकबर राजा को बहुत ही दुख हुआ था। महाराणा प्रताप ने 57 वर्ष तक राज किया लेकिन मरते दम  तक उन्होंने किसी के सामने हार नहीं मानी और ना ही तो किसी की गुलामी किए। वह अपनी जिंदगी बहुत ही खुमारी और विरत से व्यतीत करने वाले महाराजा थे।  

इसके बारेमे भी जानिए :-

Maharana pratap History video –

महाराणा प्रताप के रोचक तथ्य –

  • महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि 19 जनवरी है। 
  • श्यामनारायण पांडेय ने कविता ‘हल्दी घाटी का युद्ध’ में महाराणा प्रताप का वर्णन अच्छे शब्दों के साथ किया है।
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु धनुष की डोर खींचते वक्त आँत में चोट लगने के कारण मृत्यु हो गई। 
  • अकबर महाराणा प्रताप की मृत्यु को सुनकर बहुत दुखी हुआ था।
  •  राणा प्रताप, मेवाड़ के 13 वें राजपूत राजा थे। उनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत परिवार में हुआ था।

महाराणा प्रताप प्रश्न –

1 . maharana pratap ki mrityu kaise hui ?

राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से आंत में लगने के कारन महाराणा प्रताप की मोत हुई थी। 

2 . महाराणा प्रताप बच्चे के नाम बताये ?

अमर सिंह,कुँवर दुर्जन सिंह,भगवान दास,शेख सिंह,कुंवर रायभान सिंह,चंदा सिंह,कुंवर हाथी सिंह,कुँवर नाथ सिंह,कुँवर कल्याण दास,सहस मल,कुंवर जसवंत सिंह,कुंवर पुराण मल,कुँवर गोपाल,कुंवर सांवल दास सिंह,कुंवर राम सिंह और कुंवर माल सिंह। 

3 . महाराणा प्रताप के गुरु कौन थे ?

महाराणा प्रताप के गुरु राघवेन्द्र थे। 

4 . maharana pratap father name क्या था ?

महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदयसिंह था। 

5 . महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था ?

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 के दिन हुआ था। 

6 . महाराणा प्रताप की ऊंचाई कितनी है ?

महाराणा प्रताप की ऊंचाई 2.26 m थी । 

7. महाराणा प्रताप की जाती क्या है ?

maharana pratap cast सिसोदिया है।

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Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने maharana pratap weight और महाराणा प्रताप बच्चे से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Sikandar Raza Biography In Hindi - सिकंदर राज़ा की जीवनी

Sikandar King Biography In Hindi – सिकंदर राज़ा की जीवनी

हमारे आर्टिकल में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Sikandar King Biography In Hindi,में पूरी दुनिया को जितने के ख्वाब रखने वाले सिकंदर का जीवन परिचय देने वाले है।  

इस दुनिया में कई महान राजा हो गये। लेकिन  एक ही ऐसा महान राजा हुवा था। जो पुरे विश्व को जितने के लिए निकला था। सिकंदर का पूरा नाम अलेक्जेंडर(alexander) था। लेकिन  पूरी दुनिया सिकंदर के नाम से जानती हैं। आज हम सिकंदर का इतिहास बताएँगे। इसमें sikandar king dom map और सिकंदर भारत कब आया था से रिलेटेड सभी जानकारी बताएँगे। 

सिकंदर ने आधी से भी ज्यादा दुनिया को जित लिया था। उसे एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी पहेचाना जाता है। सिकंदर ने मृत्यु तक पूरी दुनिया को जीत लिया था। उसकी सारी माहिती प्राचीन ग्रीक के सारे व्यक्ति के पास थी। इसीलिए Sikandar को विश्वविजेता भी कहा जाता है। उसके नाम के साथ महान या दी ग्रेट भी लगाया जाता हैं। इतिहास में वह सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। तो चलिए बताते है की सिकंदर कौन था। 

Sikandar King Biography In Hindi –

नाम

 अलेक्सेंडर तृतीय

उपनाम

 सिकन्दर

पिता

 फिलिप द्वितीय

माता

 ओलिम्पिया

सौतेली माता

 क्लेओपटेरा

पत्नी

 रोक्जाना

नाना 

 निओप्टोलेमस

जन्म

 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व

जन्म स्थान

 पेला में

शिक्षकों के नाम

 दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस,   लाईसिमेक्स,एरिसटोटल

 

विशेषता 

 अलेक्सेंडर बचपन से ही एक अच्छा घुड़सवार और योद्धा था

शौक

 गणित,विज्ञान और दर्शन शाश्त्र में रूचि थी

घोड़े का नाम

 बुसेफेल्स

जीते हुए देश

 एथेंस,एशिया माइनर,पेलेस्टाइन और पूरा पर्सिया और सिन्धु   के पहले तक का तब का भारत

मृत्यु

 13 जून 323 ईसा पूर्व

मृत्यु का कारण

 मलेरिया

मृत्यु का स्थान

 बेबीलोन

सिकंदर का प्रारंभिक जीवन –

महान राजा फिलिप द्वितीय जोकि पेला के राजा थे। सिकंदर की मां का नाम ओलिम्पिया था | महान राजा फिलिप द्वितीय ने उनके पुत्र का नाम Sikandar ( अलेक्सेंडर ) रखा था सिकंदर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में “पेला” में हुआ था। उसे प्राचीन नेपोलियन की राजधानी भी मानी जाती है। महान राजा फिलिप द्वितीय जो की मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे। 

सिकंदर की माता ओलिम्पिया इसके बगल वाले राज्य एपिरुस की राजकुमारी थी। सिकंदर के नाना का नाम राजा निओप्टोलेमस था। सिकंदर की माता ओलिम्पिया ने एक पुत्री को भी जन्म दिया था। Sikandar ( एलेक्जेंडर ) की एक बहन थी। सिकंदर बादशाह की कहानी में आपको बतादे की सिकंदर और बहन की देखभाल पेला के शाही दरबार में हुईं थी। 

sikandar raza ने हमेश्या अपने पिता को सैन्य अभियानों या तो फिर विवाहोत्तर सम्बन्धों में बीजी देखा था | माता ओलिम्पिया अपने पुत्र अलेक्जेंडर और उसकी बहन की देखभाल में कुछ भी कमी नहीं छोड़ी थी। माता ओलिम्पिया ने जब Sikandar जन्म दिया तब बचपन से उनके अंदर बुद्धि का विकास हुवा था। \ वह वहुत ही बुद्धिमान था। 12 वर्ष की उम्र में सिकन्दर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। 

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Sikandar Education – सिकंदर ( अलेक्जेंडर ) की शिक्षा 

सिकंदर ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने सबंधि दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस से प्राप्त की थी। फिर किलिप ने सिकंदर को गणित,घुड़सवारी और धनुर्विध्या सब कुछ समजाने के लिये नियुक्त किया था। लेकिन वो Sikandar के उग्र एव विद्रोही स्वभाव को नहीं सम्भाल पाए थे। 

 सिकंदर के दूसरे शिक्षक लाईसिमेक्स थे। उन्होंने सिकंदर के विद्रोही स्वभाव पर अपना काबू किया था। शिक्षक लाईसिमेक्स ने Sikandar को युद्ध की शिक्षा अच्छे से अच्छी दी थी।सिकंदर जब 13 साल के हुवे तब फिलीप ने सिकन्दर के लिए बहुत ही ज्ञानी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की तब एरिस्टोटल भारत में अरस्तु से जाना जाता था।  

 अरस्तु ने सिकंदर को आगे के तीन साल तक साहित्य की शिक्षा प्रदान की थी। अरस्तु ने सिकंदर को वाक्पटुता भी प्रदान की अलावा Sikandar को रुझान विज्ञान ,दर्शन-शास्त्र और मेडिकल के क्षेत्र में भी ज्ञात कराया था। इन सभी विध्या का सिकंदर के जीवन में बहुत ही महत्व पूण हिस्सा रहा है । 

सिकंदर का धर्म क्या था –

उसके समय में ईरानियों के प्राचीन धर्म, पारसी धर्म के मुख्य उपासना स्थलों पर हमले किए गए। Sikandar के हमले की कहानी बुनने में पश्चिमी देशों को ग्रीक भाषा और संस्कृति से मदद मिली जो ये कहती है। Sikandar का अभियान उन पश्चिमी अभियानों में पहला था। पूरब के बर्बर समाज को सभ्य और सुसंस्कृत बनाने के लिए किए गए। 

सिकंदर का राज्याभिषेक –

राजा सिकंदर के पिता 336 ईसा पूर्व की गर्मियों में अपनी बेटी क्लियोपेट्रा की शादी में भाग लेने के लिए गए थे और वहा पर फिलिप को उसके खुदके अंगरक्षकों के कप्तान, पॉसनीस ने फिलिप को जान से मार दिया। और जब उसने वहासे भागने की कोशिस की तो सिकंदर के दो साथी, पेर्डिकस और लेओनाटस ने उनका पीछा किया और उसे भी वहि के वही बेरहेमी से मार दिया। उसके बाद सिकंदर को 20 वर्ष की उम्र में रईसों और उनकी सेना द्वारा राजा घोषित कर दिया गया था। 

सिकंदर की शक्ति का एकीकरण –

राजा सिकंदर को राजपाट संभालने को दिया गया। तभी से अपने प्रतिद्वंद्वियों को एक एक करके मारने लगा था। सिकंदर ने उसकी शरुआत अपने चचेरे भाई अमीनटस चौथे को मरवा के की । Sikandar ने उसने लैंकेस्टीस क्षेत्र के दो मैसेडोनियन राजकुमारों को भी मौत के घाट उतार दिया था।  माना की तीसरे, अलेक्जेंडर लैंकेस्टीस को उन्होंने बक्स दिया था। 

ओलम्पियस ने क्लियोपेट्रा ईरीडिइस और यूरोपा को, जोकि फिलिप की बेटी थी, उसको भी जिंदा जला दिया था । जब अलेक्जेंडर को इस बारे में पता चला, तो वह गुस्सा हुई थे । सिकंदर ने अटलूस की हत्या करने का भी आदेश दिया था। वह क्लियोपेट्रा के चाचा और एशिया अभियान की सेना का अग्रिम सेनापति था।

अटलूस डेमोथेन्स एथेंस में से अपने गुन्हेगार होने की संदेह के विषय में चर्चा करने गया था। अटलूस बहुत बार Sikandar का घोर अपमान कर चुका था। क्लियोपेट्रा की हत्या के बाद, सिकंदर उसे जीवित छोड़ने के लिए बहुत खतरनाक मानता था।  सिकंदर ने एर्हिडियस को छोड़ दिया, लेकिन ओलंपियास द्वारा जहर देने के कारन मानसिक रूप से विकलांग हो चुका था। 

फिलिप की मौत की खबर से अनेक राज्यों में विद्रोह होने लगा। उसमे थीब्स, एथेंस, थिसली और मैसेडोन के उत्तर में थ्रेसियन शामिल थे। पुत्र सिकंदर को जब विद्रोह की खबर मिली तो तत्काल उसके ऊपर ध्यान दिया।  सिकंदर ने दिमाग लगाकर । कूटनीति का इस्तेमाल करने कि बजाय सिकंदर ने 3,000 मैसेडोनियन घुड़सवार सेना का गठन कर लिया। और थिसली की तरफ दक्षिण में कूच करने लगा।

सिकंदर और उसका युद्ध कौशल –

सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय द्वारा मेक्डोनिया को एक मामूली राज्य से एक महान शक्ति सैन्य बनते हुए देखा था। अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत हासिल करते हुवे देखा था। उसे देखते देखते सिकंदर बड़ा हुआ था। 12 साल की उम्र में उन्होंने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। सिकंदर ने अपने पिता को अपनी घुड़सवारी तब दिखाई उन्होंने एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में किया। क्योकि उस पर कोय भी काबू नहीं कर सकता था। 

 प्लूटार्क ने लिखा हे की “फिलिप और उनके सारे दोस्त जब सिकंदर एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में कर रहे थे।  तब सबसे पहले चिंता भरी ख़ामोशी से परिणाम की राह देख रहे थे। सब लीग यह सोच रहे थे की किलिप के पुत्र का भविष्य और जिंदगी तबाह होने वाली है। 

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सिकंदर का प्रिय घोडा –

सभी ने देखा की सिकंदर की विजय हुए तो सभी लोग सिकंदर के लिए तालिया बजाने लगे थे। सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की आँखो में से खुशी के आसु निकल आये थे। Sikandar के पिताजी फिलिप घोड़े से निचे आये और अपने बेटे सिकंदर को गाल पर किश की थी। पिता फिलिप ने सिकंदर को कहा की मेरे बेटे तुम्हे अपनी खुद की और हमारे महान साम्राज्य की और देखना चाहिए हमारा ये मेक्डोनिया का महान साम्राज्य तुम्हारे आगे बहुत ही छोटा है। 

सिकंदर तूम्हारे अंदर एक असीम भावना हे। सिकंदर ने अपने जीवनकाल के दौरान सब युद्धों में अपने प्रिय घोड़े बुसेफेल्स की सवारी की थी। अपने अंतिम स्वास तक उनका घोडा उनके साथ ही रहा था। सिकंदर के पिता फिलिप जब थ्रेस में घुसपैठ की तैयारी कर रहे थे। तब 340 ने अपनी महान मेकडोनियन आर्मी को बुलाया था।

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16 साल की कम उम्र मे बना शाशक – 

किलिप ने अपने पुत्र Sikandar को 16 साल की उम्र में मेक्डोनिया राज्य पर खुद की जगह पर शासन करने का आदेश दिया। सिकंदर छोटी सी उम्र से बहुत ही अच्छे जिम्मेदार बन गये थे। सिकंदर के पिता फिलिप जब मेक्डोनियन आर्मी ने थ्रेस में आगे निकल स्टार्ट किया। मेडी की थ्रेशियन जनजाति ने मेक्डोनिया को उत्तर – पूर्व सिमा पर विद्रोह स्टार्ट कर दिया था। उसकी वजह से पुरे देश पर खतरा बढ़ चुका था। फिर सिकंदर ने आर्मी तैयार की और उनका प्रयोग विद्रोहियों के सामने शुरू कर दिया था  उसके बाद सिकंदर ने तेजी से काम चालू किया।

उन्होंने मेडी जनजाति को हरा दिया था। सिकंदर ने पुरे किले पर अपना साम्राज्य जमा दिया | उसके बाद सिकंदर ने अपने खुद के नाम पर एलेक्जेंड्रोपोलिस रखा था। सिकंदर को 2 साल के बाद पिता फिलिप ने जब 338 ईसा पूर्व में मेकडोनीयन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर सिकंदर को आर्मी में सीनियर जनरल की पोस्ट दी थी। उसके बाद सिकंदर ने चेरोनेआ के युद्ध में ग्रीक को हरा दिया था सिकंदर ने अपनी समजदारी और बहादुरी दिखाते हुए ग्रीक फॉर्स-थेबन सीक्रेट बैंड को पूरी तरह से मार दिया। 

सिकंदर को विश्व विजेता क्यों कहा जाता है –

sikandar raza को विश्व विजेता इसलिए कहा जाता है।

क्योंकि सिकंदर कभी हारा नहीं था।

सिकंदर जब पूरी दुनिया पर कब्जा करने के बाद, जब भारत की ओर बढ़ा तब उसने भारत के राजाओं को भी हराया था।

हम सभी को पोरस और सिकंदर के बीच होने वाले महान युद्ध का पता है।

पिता फिलिप द्वितीय की मुत्यु और परिवार का बिखरना –

चेरोनेआ में ग्रीक की हार के बाद पूरा शाही परिवार बिखर गया था। सिकंदर के पिता फिलीप ने भी क्लेओपटेरा से विवाह कर दिया था। शादी के समारोह में क्लेओपटेरा के अंकल ने फिलिप के न्यायसंगत उत्तराधिकारी होने पर सवाल लगा दिया। सिकन्दर ने अपना कप उस व्यक्ति के चेहरे पर फैंक दिया। उसे बास्टर्ड चाइल्ड कहने के लिए अपना क्रोध व्यक्त किया।  फिलिप खड़ा हुआ और उसने सिकन्दर पर अपनी तलवार तानी जो अर्ध-चेतन अवस्था में होने के कारण चेहरे पर ही गिर गयी। 

सिकन्दर क्रोध में चिल्लाया कि “देखो यहाँ वो आदमी खड़ा हैं जो यूरोप से एशिया तक जीतने की तैयारी कर रहा हैं। लेकिन इस समय अपना संतुलन खोये बिना एक टेबल तक पार नहीं कर सकता। बाद उसने अपनी माँ को साथ लिया और एपिरिस की तरफ चला गया। हालांकि उसे लौटने की अनुमति थी। लेकिन इसके बाद काफी समय तक सिकन्दर मेक्डोनियन कोर्ट से विलग ही रहा था। 

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सिकंदर और भारत –

सिकंदर ने भारत पर 326 ईसा पूर्व में चढ़ाई कर दी थी। सिकंदर ने पंजाब में सिंधु नदी को पार करते हुए वो तक्षशिला पहुंचा था। समयकाल दौरान तक्षशिला मे चाणक्या अध्यापक थे। तक्षशिला के राजा आम्भी ने सिकंदर की अधीनता को स्वीकार किया था। तक्षशिला के अध्यापक चाणक्या ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओ से आग्रह किया।  लेकिन सिकंदर से युद्ध करने के लिए कोई भी नहीं आना चाहता था। 

पश्चिमोत्तर प्रदेश के बहुत सारे राजा महाराजा ओं ने तक्षशिला की देखा देखी करते हुई। सिकंदर के सामने आत्म समर्पण कर दिया था। सिकंदर ने तक्षशिला को जितने के बाद पूरी दुनिया को जीतना का सपना देखा था। वहा से सम्राट फौरन झेलम और चेनाब नदी के बीच बसे राजा पोरस के सम्राज्य की और चलने लगा। सिकंदर राजा पोरस के साम्राज्य को अपने काबू में करना चाहता था। उसी वजह से सिकंदर और राजा पोरस के बीच महा युद्ध हुआ था। 

राजा पोरस और Sikandar King का टकराव –

राजा पोरस ने अपने दिमाग और बहादुरी से सिकंदर के साथ लड़ाई की। उसके काकी संघर्ष और कोशिशों करने के बाद भी राजा पोरस को हार का सामना करना पड़ा था। इस महा युद्ध के दौरान सिकंदर की सेना को भी भारी नुकशान हुआ था। बहुत सारे महान राजाओ का कहना है।  कि राजा पोरस बहुत ही शक्तिशाली शासक माना जाता था। राजा पोरस का पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस का राज्य शासन फैला हुआ था।

सिकंदर और राजा पोरस के युद्ध में पोरस पराजित हुआ था लेकिन सिकंदर को पोरस की बहादुरी ने बहुत ही प्रभावित किया था। क्योंकि राजा पोरस ने जिस तरह लड़ाई लड़ी थी उसे देख सिकंदर दंग रह गए थे। इस युद्ध के बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली। उसे उसका राज्य के साथ साथ कुछ नए इलाके भी दिए थे ।आखिर कर सिकंदर को कूटनीतिज्ञ समझ थी। 

उसीकी वजह से आगे किसी तरह की मदद के लिए उसने राजा पोरस से व्यवहारिक तौर पर दोस्ताना संबंध जारी रखे थे। सिकंदर की सेना ने छोटे हिंदू गणराज्यों के साथ भी लड़ाई लड़ी की थी । सिकंदर की कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई बहुत ही बड़ी थी। कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी।

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Sikandar King की सेना डर गयी –

  • ऐसा भी कहा जाता है कि सभी गणराज्यों को जोड़ने में आचार्य चाणक्य का भी सबसे बड़ा योगदान माना जाता है।
  • यह सभी गणराज्यों ने मिलकर सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था।
  • उसके कारण सिकंदर की सेना बहुत डर गई थी।
  • सिकंदर पूरी दुनिया को जितना चाहता था।
  • कहा जाता है की सिकंदर व्यास नदी तक पहुँचा था।
  • लेकिन उसे वहीं से वापस लौटना पड़ा था।
  • सिकंदर और उसके सैनिको ने कठों से युद्ध किया था। 
  • उसके बाद सैनिक बहुत ही डर गए थे।
  • उसी वजह से सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया था | 
  • व्यास नदी के उस पार नंदवंशी के राजा के पास 20 हजार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हजार 4 घोड़े वाले रथ और करीब 6 हजार हाथी थे। 

सिकंदर और पोरस के युद्ध में कौन जीता – Sikandar

  • राजा सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया था।
  • मगर उसके साहस से प्रभावित होकर उस का राज्य वापस कर दिया।
  • तथा पोरस सिकंदर का सहयोगी बन गया। 
  • सिकंदर की सेना ने व्यास (विपासा) नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।
  • वह भारत में लगभग 19 महीने (326 ईसवी पूर्व से 325 ईसवी पूर्व तक) रहा।
  • इसे हाईडेस्पीज (Hydaspes) का युद्ध भी कहते हैं।

सिकंदर और पोरस के मध्य युद्ध कौन सी नदी के किनारे हुआ था –

मध्य युद्ध  झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पोरस का सामना करना पड़ा।

और दोना के युद्ध में सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया। 

सिकंदर ने उसके साहस को देखते ही उसका राज्य वापस कर दिया। 

सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण कब किया –

सिकन्दर का भारत पर आक्रमण – सिकन्दर यूनान के मकदूनिया प्रान्त का निवासी था।

326 ई०पू० में भारत पर आक्रमण किया था। लेकिन व्यास नदी से आगे नहीं बढ़ पाया था।

सिकन्दर के आक्रमण के समय पश्चिमोत्तर भारत पर दो राजा शासन कर रहे थे। 

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सिकंदर का भारत पर आक्रमण का क्या प्रभाव पड़ा –

डॉ राधा कुमुद मुखर्जी के अनुसार सिकंदर के भारत पर आक्रमण से राजनीतिक एकीकरण को प्रोत्साहन मिला था।  जिससे छोटे राज्य बड़े राज्यों में विलीन हो गए। कला के क्षेत्र में गांधार शैली का भारत मेँ विकास यूनानी प्रभाव का ही परिणाम है। यूनानियों की मुद्रण निर्माण कला का प्रभाव भारतीय मुद्रा कला पर दृष्टिगत होता है।

Sikandar King ने भारत पर आक्रमण किया मगध के शासक कौन थे –

सिकंदर ने भारत के आक्रमण के समय मगध एक शक्तिशाली राज्य था।

जिस पर घनानंद नामक राजा का शासन था। घनानंद की सेना मेँ लगभग 6 लाख सैनिक थे।

अपने देश मेसिडोनिया लौटते समय लगभग 323 ई. पू था। 

Sikandar King History Video –

सिकंदर की मृत्यु –

  • राजा सिकंदर ने कार्थेज और रोम पर विजय प्राप्त करने के बाद हुई।
  • वहा उनकी मृत्यु मलेरिया रोग और तेज बुखार चढ़ने के कारण बेबीलोन में हो गई थी। 
  • वह दिन 13 जून 323 तब उनकी उम्र केवल 32 वर्ष थी। 
  • सिकंदर की मृत्यु के कुछ महीनो बाद उसकी पत्नी रोक्जाना ने एक बेटे को जन्म दिया।
  • उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया था।
  • इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिए लड़ने लगे थे।
  • ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का एलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। 

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सिकंदर की मृत्यु कैसे हुई –

सब का कहना है कि टाईफाइड सिकंदर के समय के कुछ इतिहासकारों का कहना है।

कि उसकी मौत बुखार की वजह से हुई थी।

जिस विषाणु के कारण उसकी मौत हुई थी, उसे नील नदी का विषाणु कहा जाता था।

कुछ का कहना है कि सिकंदर को उसके विश्वासपात्रों ने जहर दे दिया था। 

Alexander the Great Empire Map –

सिकंदर राजा के रोचक तथ्य –

  • राजा सिकंदर के मृत्यु के बाद जब उसकी अर्थि जब ले जा रहे थे।
  • तब सिकंदर के दोनों हाथ अर्थि के बहार लटक रहे थे। 
  • सिकंदर ने अपनी मुत्यु से पहले कहा था।
  • की जब मेंरी मुत्यु हो जाये तब मेरे दोनों हाथ अर्थि के अंदर नहीं होने चाहिए।
  • क्योकि सिकंदर चाहता था की उसके दोनों हाथ अर्थि के बहार ही रहे। 
  • सिकंदर उसके जरिये दुनिया को यह दिखाना चाहता था।
  • की उसने दुनिया को जिता और उसने अपने हाथ में सब कुछ भर लिया।
  • लेकिन मुत्यु के बाद भी हमारे हाथ खाली है। 
  • इंसान जिस तरह दुनिया में ख़ाली हाथ आता हे और ठीक उसी तरह उसको खाली हाथ जाना पड़ता है।
  • चाहे वह कितना भी महान क्यों न बन जाये।

Sikandar Some Questions –

1 .sikandar ko kisane maara ?

भारत से अपने प्रदेश की तरफ़ लौटने  वक्त रास्ते में स्वास्थ्य बिगड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। 

2 .sikandar kee mrtyu kab huee ?

June 323 BC बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हुई थी। 

3 .sikandar kee mrtyu kab aur kahaan huee ?

११ जून ३२३ ईसा पूर्व बेबीलोन में सिकंदर की मौत हुई थी। 

4 .sikandar ke pita ka kya naam tha ?

सिकन्दर के पिता का नाम फिलिप द्वितीय था। 

5 .sikandar ko kisane haraaya tha ?

 पोरस पर आक्रमण किया लेकिन पोरस ने वीरता के साथ लड़ाई लड़ी बहुत संघर्ष के बाद विजय हुआ। 

6 .सिकंदर का जन्म कहाँ हुआ था ?

राजा सिकंदर का जन्म पेला में हुवा था

7 .सिकंदर का पुत्र कौन था ?

राजा सिकंदर चतुर्थ, मैसेडोन हेराकल्स और मैसेडोनथा उनके पुत्र थे।

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Conclusion –

आपको मेरा Sikandar King Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने sikandar king dom और sikandar king movie से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास Sikandar history in hindi या Alexander the Great की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .Is Sikander and Alexander same ?

2 .Who defeated Sikander ?

3 .Why is Alexander the Great called Sikandar ?

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