अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी हिंदी में - Albart Einstein Biography In Hindi

Albert Einstein Biography In Hindi – अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

नमस्कार दोस्तों आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है ,आज हम दुनिया के महान वैज्ञानिक Albert Einstein Biography की जानकारी देने वाले है। इस पूरी दुनिया में कई खोजे ऐसी हुआ करती है जो पुरे विस्व के मानव जीवन को सरल बना देती है।  

आज हम albert einstein family , albert einstein education , albert einstein nationality और albert einstein quotes से सम्बंधित सभी जानकारी इस आर्टिकल के जरिये आपको बताने वाले है। वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और थ्योरिटीकल भौतिकशास्त्री थे ,उन्होंने रिलेटिविटी की थ्योरी को विकसित किया और तो और विज्ञान के दर्शन शास्त्र को प्रभावित करने के लिए भी इनका नाम प्रसिद्ध है। विश्व में सबसे ज्यादा नाम द्रव्यमान ऊर्जा के समीकरण सूत्र E=MC square के लिए है, यह विश्व का बहुत ही प्रसिद्ध समीकरण है। 

उनकी खोज इतनी महान है की अपने जीवन काल दौरान अनेक से अविष्कार किये, और कुछ अविष्कारों के लिए आइंस्टीन का नाम इतिहास के पन्नों में छप गया था इसी कारन albert einstein nobel prize भी दिया गया था। इन्होने जिस तरह अपनी खोज का अविष्कार किया है इस सब की माहिती आज हमारे लेख में मिलने वाली है ,तो चलिए उसकी सम्पूर्ण माहिती देने के लिए आपको  है हमारे आज के विषय के लिए। 

Albert Einstein Biography In Hindi –

 नाम

 अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन ( alberts.ac.in )

 जन्म

 14 मार्च 1879

 जन्म स्थान

 उल्म (जर्मनी)

 पिता

 हेर्मन्न आइंस्टीन

 माता

 पौलिन कोच

 पत्नी

 मरिअक (पहली पत्नी) एलिसा लोवेन्न थाल (दूसरी पत्नी)

 बच्चें

 कदमूनी मार्गेट (दत्तक पुत्री)

 

 निवास

 जर्मनी, इटली, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स

 शिक्षा

 स्विट्ज़रलैंड, ज्यूरिच पॉलीटेक्निकल अकादमी

 नागरिकता

 जर्मनी, बेल्जियम और अमेरिका

 क्षेत्र

 भौतिकी

 जाति

 यहूदी

 सम्मान

 भौतिकी नोबेल पुरस्कार (1921), कोप्ले पदक, मैक्स पैलांक पदक, शताब्दी के महान पुरस्कार (1999)

 डॉक्टरी सलाहकार

 अल्फ्रेड क्लेनर

 शिष्य

 अनस्ट और नाथोंन रोसेन

 ख्याति

 प्रकाश उर्जा प्रभाव, द्रव्यमान उर्जा समतुल्यता और बोस आइन्स्टीन आकंड़े

 मृत्यु

 18 अप्रैल 1955

अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी –

अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत ही बुद्धिमान वैज्ञानिक थे , आधुनिक समय में भौतिकी को सरल बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। Albert Einstein को सन 1921 उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से संबोधित किया गया है Albert Einstein ने बहुत ही हार्ड मेहनत कर इस नोबल पुरस्कार को प्राप्त किया था  इनको गणित में भी बहुत रूचि थी. इन्होंने भौतिकी को सरल तरीके से समझाने के लिए बहुत से अविष्कार किये जोकि लोगों के लिए प्रेरणादायक है। 

इसे भी पढ़े :- सूफ़ी अम्बा प्रसाद का जीवन परिचय

अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रारंभिक जीवन –

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ.और उनके पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन था और उनकी प्यारी माता का नाम पौलिन कोच था Albert Einstein जर्मनी के म्युनिच शहर में बड़े हुए थे और इनकी शिक्षा भी वही से चालू हुए थी अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे और उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया।

Albert Einstein जब 9 साल के हुए तो भी वह बोलना नही जानते थे. और तो और अल्बर्ट आइंस्टीन प्रक्रति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव और कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू किया और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा। 

अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा –

12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला. 16 साल की उम्र में, वे गणित के कठिन से कठिन हल को बड़ी आसानी से कर लेते थे. Albert Einstein ने 16 साल की उम्र में अपनी सेकेंडरी की पढ़ाई को पूरा किया था अल्बर्ट आइंस्टीन को स्कुल बिलकुल पसंद नहीं था और फिर उन्होंने किसीको बताये बिना विश्वविद्यालय में जाने के अवसर को ढूंढने की योजना बनाने लगे. और उनके शिक्षक ने उन्हें वहाँ से हटा दिया, क्युकि उनका बर्ताव अच्छा नहीं था। 

जिसकी वजह से उनके सहपाठी प्रभावित हुए थे | Albert Einstein की बहुत ही इच्छा थी की वो स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में ‘फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में उनको प्रवेश मिले। लेकिन Albert Einstein वहाँ के ऐडमिशन की एग्जाम में फेल हुए . फिर उनके प्राध्यापक ने सलाह दी कि Albert Einstein को सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड के आरौ में ‘कैनटोनल स्कूल’ में डिप्लोमा पूरा करना चाहिए और फिर सन 1896 में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में उनको ऐडमिशन मिल जायेगा उन्होंने प्राध्यापक की सलाह को समझा, वे यहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा इक्छुक थे और वे भौतिकी और गणित में अच्छे थे। 

Albert Einstein ने अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सन 1900 में पास की थी लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन के एक शिक्षक उनके बिलकुल खिलाफ थे, उनका कहना था की आइंस्टीन युसूअल युनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नही है. सन 1902 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पेटेंट ऑफिस में एक इंस्पेक्टर को रखा। 

आइंस्टीन के विवाह –

अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी शिक्षा को ख़त्म करने के बाद करीबन 6 महीने बाद मरिअक से शादी कर ली जोकि उनकी ज्युरिच में सहपाठी थी. Albert Einstein की शादी के कुछ साल बाद उनकी पत्नी मरिअक ने दो बेटे को जन्म दिया था उनके 2 बेटे हुए, तब वे बर्न में ही थे और उनकी उम्र 26 साल थी. उस समय उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान सम्बन्धी दस्तावेज लिखा। 

आइन्स्टीन का वैज्ञानिक समय और कार्य –

अल्बर्ट आइन्स्टीन ने अपने जीवनकाल दौरान अनेक किताबे लिखि है और तो और उन्होंने कई सारे पत्रों को भी प्रकाशित किया हुवा है। अल्बर्ट आइन्स्टीन ने 300 भी ज्यादा अधिक वैज्ञानिक और गैर वैज्ञानिक शोध पत्रों को प्रकाशित किया हुवा है अल्बर्ट आइन्स्टीन अपने खुद के काम के साथ साथ दुसरे वैज्ञानिकों के भी साथ सहकार देते थे जिनमे बोस आइन्स्टीन के आकड़े आइन्स्टीन रेफ्रीजरेटर और अन्य कई शामिल हैं। 

इसे भी पढ़े :- विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

अल्बर्ट आइंस्टीन का करियर और उनकी खोज –

albert einstein biography में आपको बतादे की वह बहुत सारे विज्ञानं दस्तावेज लिखे थे और अपनी डाक्टरेट लेने के बाद उन्होंने लिखे हुवे विज्ञानं दस्तावेज की वजह से वो बहुत ही प्रसिद्ध हुए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने नोकरी करने के लिए यूनिवर्सिटी में कड़ी मेहनत की थी और वो उसमे सफल हो गए और उनको सन 1909 में ये बर्न यूनिवर्सिटी के लेक्चरर बन गये।

कुछ दिनों के बाद और दो 2 नई यूनिवर्सिटी में प्राचार्य के रूप में अपनी प्रतिभा निभाए थी और तो और उनसे बहुत ही प्रभावित होकर उनको कुछ ही दिनों में फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में प्राचार्य नियक्त किया गया था। सन 1913 में मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेंस्र्ट के द्वारा दिए गए अवसर पर आइंस्टीन बर्लिन चले गए। जिसकी वजह से इनका तलाक हो गया। बर्लिन जाने के बाद इन्होने एलसा नाम के लड़की से शादी कर ली। 

albert einstein wikipedia –

उसके बारे में जानना चाहते हो तो उसका एक alberteinstein wikipedia पेज हे आप उसके पेज पर विजिट कर सकते हो | विजिट के लिए निचे लिंक हे उसपर क्लिक करके जा। 

अल्बर्ट आइंस्टीन के एकीकरण –

Albert Einstein ने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किये है जिनकी वजह से वो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुए। उनके कुछ खोज इस प्रकार है E= mc2 = Albert Einstein के द्वारा प्रमाणित द्रव्मान और ऊर्जा का ये समीकरण है जिसको आज नयूक्लेअर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।

प्रकाश की क्वांटम थ्योरी – आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे फोटोन कहा जाता है, जिनमें तरंग जैसी विशेषता होती है. bharat ka einstein kaha jata hai उनकी इस थ्योरी में उन्होंने कुछ धातुओं से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया. उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना की. इस थ्योरी के बाद उन्होंने टेलेविज़न का अविष्कार किया जोकि द्रश्य को शिल्पविज्ञान के माध्यम से दर्शाया जाता है. आधुनिक समय में बहुत से ऐसे उपकरणों का अविष्कार हो चूका है.

ब्रोव्नियन मूवमेंट – यह Albert Einstein की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी ख़ोज कहा जा सकता है, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग मूवमेंट का अवलोकन किया, जोकि अणु और परमाणुओं के अस्तित्व के प्रमाण में सहायक है. हम सभी जानते है कि आज के समय में विज्ञान की अधिकतर सभी ब्रांच में मुख्य है. स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी – Albert Einstein की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है. ब्रम्हांड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रक्रति के नियम के अनुसार बताया है। 

जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

Albert Einstein ने प्रस्तावित किया कि गुरुत्वाकर्षण स्पेस – टाइम कोंटीनूम में कर्व क्षेत्र है, जोकि द्रव्यमान के होने को बताता है. मन्हात्तम प्रोजेक्ट – Albert Einstein ने मन्हात्तम प्रोजेक्ट बनाया, यह एक अनुसंधान है, जोकि यूनाइटेड स्टेट्स का समर्थन करता है, उन्होंने सन 1945 में एटॉमिक बम को प्रस्तावित किया. उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में एटॉमिक बम का विनाश करना सिखा.

आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर –

यह Albert Einstein का सबसे छोटा अविष्कार था, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए. आइंस्टीन ने एक ऐसे रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया जिसमे अमोनिया, पानी, और ब्युटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके. उन्होंने इसमें बहुत सी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया. आसमान नीला होता है – यह एक बहुत ही आसान सा प्रमाण है कि आसमान नीला क्यों होता है किन्तु Albert Einstein ने इस पर भी बहुत सी दलीलें पेश की थी। 

इसे भी पढ़े :- अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

Albert Einstein brain – Albert Einstein Biography

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

आइंस्टीन ने एक थ्योरी में गति और समय के सम्बन्ध को समझाया है।

आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी –

albert einstein biography के जरिये आपको कह दे की उन्होने प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली को फोटान कहा है और तंरंगों की विशेषता बताई है। इनके अनुसार धातुओ में से इलेक्ट्रान निकलते है और वो फोटो इलेक्ट्रिक इफेक्ट की रचना करते है। इसी थ्योरी के आधार पर टेलीविजन की खोज भी हुई।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सम्मान –

  • भौतिकी का नॉबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया.
  • मत्तयूक्की मैडल सन 1921 में दिया गया.
  • कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया.
  • मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया.
  • शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया गया.

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार –

  • जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की। 
  • ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं और एक बराबर ही मुर्ख भी है। 
  • जिंदगी जीने के दो तरीके हैं. पहला यह हैं कि कुछ चमत्कार नहीं हैं दूसरा यह हैं कि दुनिया की हर चीज चमत्कार हैं। 
  • एक सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करो बल्कि मूल्यों पर चलने वाले इंसान बनों। 
  • वक्त बहुत कम है यदि हमें कुछ करना है तो अभी से शुरुआत कर देनी चाहिए। 
  • आपको खेल के नियम सिखने चाहिए और आप किसी भी खिलाड़ी से बेहतर खेलेंगे। 
  • मुर्खता और बुद्धिमता में सिर्फ एक फर्क होता है कि बुद्धिमता की एक सीमा होती है। 

इसे भी पढ़े :- बाबू वीर कुंवर सिंह की जीवनी

Albert Einstein Death –

अल्बर्ट आइंस्टीन को जर्मनी छोड़ कर जाना पड़ा क्योकि तब वाहापर हिटलर का समय था। Albert Einstein कुछ सालो तक अमेरिका में प्रिस्टन कालेज में कार्य करते हुए 18 अप्रैल सन 1955 में इनकी मृत्यु हो गई। दुनिया के महान वैज्ञानिक जिन्होंने अपने ज्ञान से दुनिया को बहुत कुछ दिया, और उनकी खोज को कभी भी भुलाया नही जा सकता है।

Albert Einstein Facts –

  • albert einstein biography में सबको ज्ञात करदे की वह अपने आप को संशयवादी कहते थे। नास्तिक नहीं थे। 
  • अपने दिमाग में ही सारे प्रयोग का हल निकाल लेते थे। 
  • वह बचपन में पढाई में और बोलने में कमजोर हुआ करते थे.
  • अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक वैज्ञानिक ने उनके दिमाग को चुरा लिया था, फिर वह 20 साल तक एक जार में बंद था। 
  • उनको नॉबल पुरस्कार भी दिया गया था लेकिन उनको उसकी राशि उन्हें नही मिल पाई.थी
  • उन्हें राष्ट्रपति के पद के लिए भी चुना गया था। 
  • वह युनिवर्सिटी की ऐडमिशन की परीक्षा में फेल भी हो चुके है। 
  • उनकी याददाश बहुत कम होने के कारण, उनको किसी का नाम, और नंबर भी याद नही रहता था। 
  • इस महान इंसान की आँखे एक सुरक्षित डिब्बे में बंद करके रखी हुई है। 
  • उनके पास अपनी खुदकी गाड़ी नही थी,और इसलिए उनको गाड़ी चलाना भी नहीं आता था। 
  • अल्बर्ट का एक गुरुमंत्र था “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है। 

Albert Einstein Biography Questions –

1 .आइंस्टीन का रियल नाम क्या था ?

Albert Einstein का रियल नाम अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन था। 

2 .आइंस्टीन का जन्म कब हुवा था ? einstein birthday

Albert Einstein का जन्म14 मार्च 1879 में हुवा था। 

3 .आइंस्टीन का जन्म स्थान कोन सा था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म स्थान उल्म (जर्मनी) माना जाता है। 

4 .आइंस्टीन के पिता का नाम क्या था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन था। 

5 .आइंस्टीन की माता का नाम क्या था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन की माता का नाम पौलिन कोच था। 

6 .आइंस्टीन की पत्नी का क्या नाम था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन की दो पत्नी या थी , मरिअक (पहली पत्नी) , एलिसा लोवेन्न थाल (दूसरी पत्नी)

7 .अल्बर्ट आइंस्टीन के कितने संतान थे -?

albert einstein biography में आपको बतादे की उन्हें कोई भी संतान नहींथी। एक दत्तक पुत्री लिया था। 

8 .आइंस्टीन का नियम क्या है ?

उनका नियम था की “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है ” 

9 .अल्बर्ट आइंस्टीन कितने घंटे सोते थे ?

आइंस्टाइन हर रोज़ दस घंटे सोते थे। 

10 .अल्बर्ट आइंस्टीन ने किसकी खोज की?

जिन्होंने सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 की खोज के लिए जाने जाते हैं।

इसे भी पढ़े :- श्यामजी कृष्ण वर्मा की जीवनी

Conclusion –

दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल albert einstein biography बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने what did albert einstein discover से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। धन्यवाद।

Read More >>

Biography of Stephen Hawking In Hindi - स्टीफन हॉकिंग की जीवनी हिंदी में

Stephen Hawking Biography In Hindi – स्टीफन हॉकिंग की जीवनी

नमस्कार दोस्तों आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है , आज आपको हम Stephen Hawking Biography उन्होंने पुरे विस्व को अपनी रिसर्च के जरिये बहुत बड़ी और मूल्यवान खोजे करके देदी और अपना नाम महान वैज्ञानिको में लिखवा दिया है। 

आज इस पोस्ट में आपको stephen hawking wife का नाम क्या था ? , महान वैज्ञानिक stephen hawking education कहा से प्राप्त की थी और stephen hawking deat रीज़न क्या था जैसे कई सवालों के जवाब आज इस आर्टिकल में मिलने वाले है। कई इंसान ऐसे होते है जो अपना काम ही कुछ ऐसे अच्छे और महत्व पूर्ण हुआ करते है की उसका फायदा पुरे विश्व को मिलता है ,ऐसे ही स्टीफन हॉकिंग ने विज्ञान क्षेत्र में बहुत ही महत्ब पूर्ण योगदान दिया है। 

उनका जन्म  8 जनवरी, 1942 के दिन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में हुआ था , उनके पिताजी का नाम फ्रेंक हॉकिंग और माता का नाम इसोबेल हॉकिंग है। उन्होंने अपने जीवन में दो शादिया रचाई थी उनकी पहली पत्नी जेन वाइल्ड और दूसरी पत्नी ऐलेन मेसन थी। अपनी बेहतरीन और महत्वपूर्ण खोज के कारन उन्होंने पुरे विश्व में अपनी एक अलग ही नामना बनाई हुई है , तो दोस्तों आपको उनकी सम्पूर्ण और रोचक जानकारी के लिए ले चलते है। 

Stephen Hawking Biography In Hindi –

  नाम

  स्टीफन विलियम हॉकिंग

  जन्म

  8 जनवरी, 1942

  जन्म स्थान

  कैम्ब्रिज, इंग्लैंड

  पिता

  फ्रेंक हॉकिंग

  माता

  इसोबेल हॉकिंग

  पत्नी

  जेन वाइल्ड(साल 1965-1995), ऐलेन मेसन(साल 1995-2016)

 

  बच्चे

  तीन

  पेशा

  ब्रह्मांड विज्ञानक, लेखक

  संपत्ति

  $20 मिलियन

  IQ लेवल

  160

  मृत्यु

  14 मार्च 2018 (76 वर्ष)

  मृत्यु स्थान

  कैम्ब्रिज, यूनाइटेड किंगडम

स्टीफन हॉकिंग का जीवन परिचय –

इस महान व्यक्ति को मशहूर साइंटिस्ट भी कहते है , स्टीफन हॉकिंग बचपन से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे लेकिन उनके जीवन काल दौरान उनके जीवन में बहुत सारी मुश्केलिया का सामना करना पड़ा था। फिर भी उन्होंने खराब परिस्थितियों का उन्होंने सामना किया और वह एक मशहूर साइंटिस्ट वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को पूरा किया और विज्ञान के क्षेत्र में अपना अनगिनत योगदान दिया ,  उनके योगदान के चलते कई ऐसी चीजों के बारे में खोज की गई जिसकी कल्पना शायद ही पहले किसी ने की होगी।  

इसे भी पढ़े :-अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

स्टीफन हॉकिंग का प्रारंभिक जीवन –

मशहूर साइंटिस्ट stephan hokins का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफ़ोर्ड, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम फ्रैंक था और उनकी माता का नाम इसोबेल था |उनकी माता एक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में सचिव के रूप में कार्यरत थी और उनके पिता फ्रेंक भी उसी संस्‍थान में अनुसंधानकर्ता के रूप में कार्य करते थे।

लेकिन इसके बावजूद उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्‍छी नहीं रही। द्वितीय विश्‍व युद्ध प्रारम्‍भ होने पर वे लोग आजीविका के लिए ऑक्सफोर्ड आ गये, जहां पर हॉकिंग का जन्‍म हुआ। मशहूर साइंटिस्ट stephan hokins के पिता चाहते थे वे जीव विज्ञान की पढ़ाई करें। लेकिन उनको गणित में रूचि थी | स्टीफ़न हॉकिंग की रूचि इस बात से पता चलती है कि उन्‍होंने गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए कुछ लोगों की मदद से पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हिस्सों से एक कंप्यूटर ही बना दिया था।

स्टीफन हॉकिंग शिक्षा – Stephen Hawking Biography

stephen hawking Education स्टीफन हॉकिंग जब 8 साल के थे तब उनके परिवार वाले सेंट अल्बान में आकर वस्वाट करने लगे और वही पर ही एक स्कूल में स्टीफन का एडमिशन करवा दिया गया | अपनी स्कुल की शिक्षा पूरी करने के बाद स्टीफन ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और यहां पर इन्होंने भौतिकी विषय पर अध्ययन किया. जिस समय इन्होंने इस विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था, उस वक्त इनकी आयु महज 17साल की थी। 

स्टीफन हॉकिंग को गणित विषय में बहुत ही एंटरस था और वो गणित विषय में अपनी पढ़ाई करना चाहते थे. लेकिन उस वक्त ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में गणित विषय नहीं था . जिसके कारण उन्हें भौतिकी विषय को चुनना पड़ा. स्टीफन हॉकिंग ने भौतिकी विषय में प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल कर ली और फिर स्टीफन हॉकिंग कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी बाकि की पढ़ाई पूरी की थी | साल 1962 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैथेमैटिक्स एंड थ्योरिटिकल फिजिकल में इन्होंने ब्रह्माण्ड विज्ञान पर अनुसंधान किया। 

स्टीफन हॉकिंग का करियर –

कैम्ब्रिज से अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद भी स्टीफन हॉकिंग ने कॉलेज को छोड़ा नहीं और इस कॉलेज के साथ जुड़े रहे थे में यहां कार्य किया. इन्होंने साल 1972 में डीएएमटीपी में बतौर एक सहायक शोधकर्ता अपनी सेवाएं दी और इसी दौरान इन्होंने अपनी पहली अकादमिक पुस्तक, ‘द लाज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ स्पेस-टाइम’ लिखी थी। यहां पर कुछ समय तक कार्य करने के बाद साल 1974 में इन्हें रॉयल सोसायटी (फैलोशिप) में शामिल किया गया। 

जिसके बाद इन्होंने साल 1975 में डीएएमटीपी में बतौर गुरुत्वाकर्षण भौतिकी रीडर के तौर पर भी कार्य किया और साल 1977 में गुरुत्वाकर्षण भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में भी यहां पर अपनी सेवाएं दी. वहीं इनके कार्य को देखते हुए साल 1979 में इन्हें कैम्ब्रिज में गणित के लुकासियन प्रोफेसर नियुक्त किया गया था, जो कि दुनिया में सबसे प्रसिद्ध अकादमी पद है और इस पद पर इन्होंने साल 2006 तक कार्य किया। 

इसे भी पढ़े :- सूफ़ी अम्बा प्रसाद का जीवन परिचय

स्टीफन हॉकिंग पति पत्नी –

हॉकिंग जब अपनी पहली पत्नी यानी जेन वाइल्ड से मिले थे तभी उसी साल उनको अपनी बीमारी के बारे में पता चला था | स्टीफन हॉकिंग की पत्नी जेन वाइल्ड उस मुशिबत में उनका साथ दिया और साल 1965 में इन्होंने शादी कर ली. जेन और हॉंकिग के कुल तीन बच्चे थे और इनके नाम रॉबर्ट, लुसी और तीमुथियस है। स्टीफन हॉकिंग और जेन वाइल्ड की शादी करीबन 30 वर्षा तक चली थी और फिर 1995 में जेन और हॉकिंग ने तलाक ले लिया था जब स्टीफन हॉकिंग ने जेन वाइल्ड से तलाक ले लिया था उसके बाद हॉकिंग ने ऐलेन मेसन से विवाह कर लिया था और साल 1995 में हुई ये शादी साल 2016 तक ही चली थी।

स्टीफन हॉकिंग की बीमारी –

हॉकिंग जब कैम्ब्रिज में था तब उसके शरीरी में न्यूरो-पेशी समस्याओं के लक्षण विकसित हुए थे और मोटर न्यूरॉन यह एक प्रकार का रोग होता है जिसमे जल्दी से शारीरिक गतिविधियों बंद होने लगती है। उनका बोलना-चलना बंद हो गया, और वह खुद को हिलाने में असमर्थ हो गये। एक स्तर पर, डॉक्टरों ने उन्हें तीन साल का जीवन काल दे दिया था।

माना की,रोग की प्रगति धीमा हो गई है, और उन्होंने अपने अनुसंधान और सक्रिय सार्वजनिक कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए अपनी गंभीर विकलांगता को दूर करने में कामयाबी हासिल की है। स्टीफन हॉकिंग के दोस्तने कैम्ब्रिज में वैज्ञानिक एक कृत्रिम भाषण उपकरण बनाया और उसने उसे एक टचपैड का उपयोग करके बोलने दिया। यह प्रारंभिक सिंथेटिक भाषण ध्वनि स्टीफन हॉकिंग की ‘आवाज’ बन गई है, और परिणामस्वरूप, उन्होंने इस शुरुआती मॉडल की मूल ध्वनि को रखा है – तकनीकी प्रगति के बावजूद।

स्टीफन हॉकिंग ने नवीनतम तकनीक के बावजूद भी,यह अभी भी उसके लिए संचार करने के लिए एक समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी विकलांगता के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण लिया है। उन्होंने कभी भी अपने रोग को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया। सैद्धांतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान और क्वांटम ग्रेविटी में स्टीफन हॉकिंग के प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।

स्टीफन हॉकिंग का मुख्य कार्य –

अनेक उपलब्धियों में अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के लिए गणितीय मॉडल विकसित किया। उन्होंने ब्रह्माण्ड, बिग बैंग और ब्लैक होल की प्रकृति पर बहुत काम किया। 1974 में, उन्होंने अपने सिद्धांत को रेखांकित किया कि ब्लैक होल ऊर्जा रिसाव करते हैं और कुछ भी नहीं दर हो जाती हैं। इसे 1974 में “हॉकिंग विकिरण” के रूप में पहचाना जाता है।

गणितज्ञों रोजर पेनरोस के साथ स्टीफन हॉकिंग दिखाया कि आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का अर्थ है अंतरिक्ष और समय बिग बैंग में शुरू होगा और काला छेद में अंत होगा। अपनी पीढ़ी के सबसे उच्च भौतिकविदों में से एक होने के बावजूद, वह सामान्य भौतिकी मॉडल को आम जनता के लिए एक सामान्य समझ में अनुवाद करने में सक्षम हो गए। उनकी पुस्तकों – समय का एक संक्षिप्त इतिहास और एक संक्षिप्त में ब्रह्मांड दोनों बहुत मशहूर बन गए हैं।

230 दिनों से भी ज्यादा समय के लिए अधिग्रहण सूची में रहने वाले एक संक्षिप्त इतिहास के साथ- 10 दस मिलियन से भी ज्यादा प्रतियां चुकी हैं। अपनी पुस्तकों में, हॉकिंग हर रोज़ भाषा में वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझने की कोशिश करता थे और ब्रह्मांड के पीछे कार्य करने के लिए एक सिंहावलोकन देते थे। सबसे अधिक और सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक बन गए क्योंकी स्टीफन हॉकिंग अपनी पीढ़ी में किसी के पास उतना नॉलेज नहीं था और इसी लिए उसको अपनी पीढ़ी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से कहा गया है। 

इसे भी पढ़े :- विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

Stephen Hawking Biography video –

स्टीफन हॉकिंग की खोज –

  1. सिंगुलैरिटी का सिद्धांत – 1970
  2. ब्लैक होल का सिद्धांत – 1971-74
  3. कॉस्मिक इन्फ्लेशन थ्योरी – 1982
  4. यूनिवर्स का वेव फ़ंक्शन पर मॉडल – 1983
  5. ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ उनकी प्रसिद्ध किताब 1988 में प्रकाशित हुई थी
  6. हॉकिंग की ब्रह्मांड विज्ञान पर आधारित टॉप-डाउन थ्योरी – 2006

स्टीफन हॉकिंग पुरस्कार और उपलब्धियां –

स्टीफन हॉकिंग के पास 13 मानद डिग्रियां हैं.क्योकि उनके योगदान के लिए इन्हें कई अवार्ड भी दिए गए हैं और इन्हें अभी तक दिए गए पुरस्कारों की जानकारी नीचे दी गई है-

( 1 ) 1966 में स्टीफन हॉकिंग को एडम्स पुरस्कार दिया गया था. इस पुरस्कार के बाद इन्होंने साल 1975 में एडिंगटन पदक और साल 1976 में मैक्सवेल मेडल एंड प्राइज मिला था। 

( 2 ) हेइनीमान पुरस्कार हॉकिंग को साल 1976 में दिया गया था. इस पुरस्कार को पाने के बाद इन्हें साल 1978 में एक ओर पुरस्कार से नवाजा गया था और इस पुरस्कार का नाम अल्बर्ट आइंस्टीन मेडल था। 

( 3 ) साल 1985 में हॉकिंग को आरएएस गोल्ड मेडल और साल 1987 डिराक मेडल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल भी दिया गया था. इसके बाद सन् 1988 में इस महान वैज्ञानिक को वुल्फ पुरस्कार भी दिया गया था। 

( 4 ) प्रिंस ऑफ अस्टुरियस अवार्ड भी हॉकिंग ने साल 1989 में अपने नाम किया था. इस अवार्ड को मिलने के कुछ समय बाद इन्होंने एंड्रयू जेमेंट अवार्ड (1998), नायलोर पुरस्कार और लेक्चरशिप (1999) भी दिया गया था। 

( 5 ) साल 1999 में जो अगला पुरस्कार इन्हें मिला था उसका नाम लिलाइनफेल्ड पुरस्कार था और रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट की तरफ से इसी साल इन्हें अल्बर्ट मेडल भी दिया गया था। 

( 6 ) ऊपर बताए गए अवार्ड के अलावा इन्होंने कोप्ले मेडल (2006), प्रेसिडेंटियल मेडल ऑफ फ्रीडम (2009), फंडामेंटल फिजिक्स प्राइज (2012) और बीबीवीए फाउंडेशन फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड (2015) भी दिया गया हैं। 

स्टीफन हॉकिंग पुस्तकें – Stephen Hawking Biography

उन्होंने अपने जीवन काल दौरान अनेक किताबें भी लिखी हैं और स्टीफन हॉकिंग ने सारी किताब अंतरिक्ष के विषय में ही लिखी हुए है और उसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको दी हुए है। 

( 1 ) ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’– हॉकिंग द्वारा लिखी गई सबसे पहली किताब का नाम ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ था. ये किताब बिग बैंग और ब्लैक होल के विषय पर आधारित थी और साल 1988 में प्रकाशित हुई ये किताब 40 भाषाओं में उपलब्ध है। 

( 2 ) ‘द यूनिवर्स इन ए नटशेल’ – ये किताब साल 2001 में प्रकाशित की गई थी और हॉकिंग द्वारा लिखी गई इस किताब को साल 2002 में एवेंटिस प्राइस ऑफ साइंस बुक्स मिला था। 

( 3 ) “द ग्रैंड डिज़ाइन”- हॉकिंग द्वारा लिखी गई “द ग्रैंड डिज़ाइन” किताब साल 2010 में प्रकाशित हुई थी और इस किताब में भी अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी दी गई थी. ये किताब भी काफी सफल किताब साबित हुई थी। 

( 4 ) ‘ब्लैक होल और बेबी यूनिवर्स’ – ये किताब साल 1993 में आई थी और इस पुस्तक में हॉकिंग द्वारा ब्लैक होल से संबंधित लिखे गए निबंधों और व्याख्यानों का जिक्र था. इसके अलावा हॉकिंग ने बच्चों के लिए भी एक किताब लिखी थी. जिसका नाम ”जॉर्ज और द बिग बैंग” था और ये किताब साल 2011 में आई थी। 

इसे भी पढ़े :-अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

स्टीफन हॉकिंग के उद्धरण – Stephen Hawking quotes –

जीवन दुर्भाग्यपूर्ण होगा यदि ये अजीब और रोचक भरा ना हो तो. अगर आप हमेशा नाराज़ रहेंगे एवं कोसते ही रहेंगे तो किसी के पास आपके लिए टाइम नहीं होगा मेरे जीवन का लक्ष्य बहुत ही आसाना है और ये लक्ष्य इस ब्रह्मांड को समझना है और ये पता लगाना है कि ये ऐसा क्यों है और ये क्यों हैं. अज्ञानता दुश्मन नहीं हैं, जबकि दुश्मन वो भ्रम हैं जो ये कहे कि आपको सब कुछ आता हैं। 

Stephen Hawking Movie –

Stephen Hawking में सब को बतादे की साल 2014 में इन पर एक मूवी बनाई गई, जिसका नाम नाम “द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ हैं . इस फिल्म में उनकी जिंदगी के संघर्ष को दिखाया गया था और बताया गया था कि किस तरह से इन्होंने अपने सपनों के पूरा किया था। 

स्टीफन हॉकिंग की कुल संपत्ति –

इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में स्टीफन हॉकिंग का खुद का एक घर है और इस वक्त उनके पास कुल $ 20 मिलियन की संपत्ति है. उन्होंने ये संपत्ति अपने कार्य, पुरस्कारों और किताबों के जरिए कमाई हैं। 

स्टीफन हॉकिंग की मृत्यु –

stephen hawking Death in hindi स्टीफन हॉकिंग बहुत लंबे समय से बीमार चल रहे थे. एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस बीमारी के कारण इन्होंने अपने जीवन के लगभग 53 साल व्हील चेयर पर बताए थे वहीं 14 मार्च को इस महान वैज्ञानिक ने अपनी अंतिम सांस इग्लैंड में ली है और इस दुनिया से विदाई ले ली. लेकिन वैज्ञानिक में इनके द्वारा दिए गए योगदानों को कभी भी भुला नहीं जा सकेगा। 

Stephen Hawking Biography Questions –

1 .स्टीफन हॉकिंग का पूरा नाम क्या था ?

स्टीफन हॉकिंग का पूरा नाम स्टीफन विलियम हॉकिंग

2 .स्टीफन हॉकिंग का जन्म कब हुआ?

उनका जन्म 8 जनवरी, 1942 के दिन हुआ था। 

3 .स्टीफन हॉकिंग का जन्म स्थान कौन सा है ?

स्टीफन हॉकिंग का जन्म स्थान कैम्ब्रिज, इंग्लैंड है

4 .स्टीफन हॉकिंग के पिता का नाम क्या था ?

स्टीफन हॉकिंग के पिता का नाम फ्रेंक हॉकिंग था। 

5 .स्टीफन हॉकिंग की माता का क्या नाम था ?

स्टीफन हॉकिंग की माता का नाम इसोबेल हॉकिंग था

6 .स्टीफन हॉकिंग की पत्नी का नाम क्या था ?

दो पत्नी या थी एक का नाम जेन वाइल्ड(साल 1965-1995), दूसरी का नाम ऐलेन मेसन(साल 1995-2016) था। 

7 .स्टीफन हॉकिंग को स्टीफन हॉकिंग ने किसकी खोज की?

उनकी मुख्य खोज ब्लैक होल और महाविस्फोट का सिद्धांत है। 

8 .स्टीफन हॉकिंग को कौन सी बीमारी थी?

वह मोटर न्यूरॉन नाम के रोग के रोगी थे लेकिन डॉक्टर की भविष्यवाणी को उन्होंने गलत साबित किया था। 

इसे भी पढ़े :- बाबू वीर कुंवर सिंह की जीवनी

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Stephen Hawking Biography बहुत ही पसंद आया होगा इस लेख के जरिये  हमने stephen hawking biography book और what is stephen hawking famous for से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द ।

Read More >>

James Watt Biography In Hindi - जेम्स वाट की जीवनी हिंदी में

James Watt Biography In Hindi – जेम्स वाट की जीवनी हिंदी में

नमस्कार मित्रो आज हम James Watt Biography In Hindi की जानकारी से वाकिफ करने जा रहे है। जिसमे james watt steam engine in hindi की जानकारी के साथ दुनिया को औद्योगिक क्रान्ति की बात करेंगे।  

आज james watt invention ,james watt steam engine और james watt invention industrial revolution की जानकारी देने वाले है। जेम्स वाट ने पाता लगाया की आधुनिक इंजन सिलिंडर को हर बार ठंडा और गर्म करने की प्रक्रिया में बहुत सी उर्जा व्यर्थ गवाते है। तभी जेम्स वाट ने एक डिजाईन का विस्तार किया जो एक अलग कंडेंसर था, इस कंडेंसर से उर्जा व्यर्थ नही होती थी। इससे इंजन की ताकत, कार्यक्षमता और कीमत में भी प्रभावशाली बदलाव देखने मिले। 

बाद में परिणामत उन्होंने अपने इंजन को परिक्रमण (Rotary Motion) करने लायक बनाया और इसकी कार्यक्षमता भी बढ़ायी। इसके साथ ही उन्होंने हॉर्सपॉवर की संकल्पना और SI यूनिट ऑफ़ पॉवर, वॉट को भी विकसित किया, जिसे उन्ही के नाम से हम जानते है आज हम james watt interesting facts भी बताने वाले है। तो चलिए आपको ले चलते है इस की सम्पूर्ण माहिती के लिए। 

James Watt Biography In Hindi –

 नाम 

 जेम्स वाट 

 जन्म

 19 जनवरी 1736

 ग्रीनॉक

 रेन्फ्रिउशायर, स्कॉट्लैंड

 हैन्ड्सवर्थ

 बर्मिंघम, इंग्लैंड

 आवास

 ग्लासगो

 राष्ट्रीयता

 स्कॉटिश

 क्षेत्र

 यांत्रिक इंजीनियर

 संस्थान

 बोव्ल्टन

 बोव्ल्टन

  एंड वाटक़

 प्रसिद्धि

 वाष्प इंजन में सुधार

 

 मृत्यु

 25 अगस्त 1819 (उम्र 83)

जेम्स वाट की जीवनी –

वह एक मैकेनिकल इंजिनियर ही नहीं बल्कि स्कॉटिश खोजकर्ता और केमिस्ट भी थे जेम्स वाट ने वाट स्टीम इंजन का अविष्कार कर उद्योगिक दुनिया में क्रांति का दी थी और उस समय स्टीम इंजन का ज्यादातर उपयोग ग्रेट ब्रिटेन और बाकी अलग अलग देशो में भी हो रहा था। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में प्रभावशाली बदलाव लाये थे जब जेम्स वाट ग्लासगो यूनिवर्सिटी उपकरण बनाने वाले के पोस्ट पर काम करते समय जेम्स वाट को स्टीम इंजन के तंत्रज्ञान में मन (एंटरस ) लगने लगा था। 

इसे भी पढ़े :-स्टीफन हॉकिंग की जीवनी

जेम्स वाट का प्रारंभिक जीवन –

information about james watt – का जन्म 19 जनवरी 1736 को क्लाईड की संकरी खाड़ी में ग्रीनोक्क बंदरगाह पर हुआ था। और जेम्स वाट के पिता जहाज के मालीक और ठेकेदार भी थे और साथ ही साथ वो गाँव के मुख्य बेली भी थे और जेम्स वाट की एग्नेस मुईरहेड, एक अच्छी पढ़ी-लिखी महिला थी जिसका संबंध एक टूटे हुए परिवार से था। उनके माता और पिता दोनों ही पादरी संघ शासित गिरजे के सदस्य थे वाट के दादा, थॉमस वाट गणित के शिक्षक और बेली थे। धार्मिक माता-पिता के हातो बड़े होने के बावजूद बाद में वे अडिस्ट बने थे। 

जेम्स वाट बचपन से ही बहुत गंभीर थे –

james watt ने बचपन से ही सोचा था की वो आगे जाकर जरूर कुछ नया करेंगे और वो सबसे अलग होगा | बचपन से ही जेम्स वाट सब बचो से अलग और गंभीर थे  वह खेल भी ऐसे खेलते थे, जिनमें उनकी गंभीरता साफ नजर आती थी | एक बार जेम्स वाट की माता चूल्हे पर खाना बनाने के लिए रखकर घर के अंदर कुछ काम कर रही थी। जेम्स चूल्‍हे पर रखी पानी के केटली को बहुत ध्यान से देख रहे थे।

उन्होंने देखा की केतली में उबल रहे पानी का भाप बार-बार केतली के ढक्कन को उठा दे रहा है। उन्होंने केतली पर एक कंकर रख दिया फिर भी थोड़ी देर बाद ढक्कन उठ गया तभी उन्हें लगा कि जरूर भाप कोई ना कोई शक्ति है।

James Watt हर रोज स्कूल नहीं जाते थे –

बचपन में जेम्स वाट रोजाना स्कूल भी नही जाते थे। बचपन में उनकी प्यारी माँ जेम्स वाट को घर पर ही पढ़ाया करती थी और फिर बाद में james watt ने ग्रीनोक्क ग्रामर स्कूल जाना शुरू किया स्कूल के दिनों में उन्होंने साबित कर दिया कि उनके अंदर इंजीनियरिंग और गणित के गुण अधिक हैं।

जेम्स वाट क्यों प्रसिद्ध है –

about james watt एक ऐसे आविष्कारक थे जो वैज्ञानिक तथा अभियान्त्रिकी क्षेत्र की समन्वित क्षमता के धनी व्यक्ति थे । जेम्स वाट ने जो वाष्प इंजन सम्बन्धी खोज की,उससे संसार को ऊर्जा तथा ऊष्मा की क्षमता का परिचय हुआ । औद्योगिक क्रान्ति लाने में वाट की यह खोज महान एवं उपयोगी साबित हुई है।

इसे भी पढ़े :- अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

जेम्स वाट ने भाप का इंजन कब बनाया –

1712 में, उन्होंने दुनिया का पहला वायुमंडलीय स्टीम इंजन बनाया जो who is james watt उन्होंने इंग्लैंड में कोयले की खान में स्थापित किया था। न्यूकॉमन की मृत्यु के समय, उनके 100 इंजन स्थापित किए गए थे। स्कॉटिश इंजीनियर जेम्स वाट ने एक अलग कंडेनसर जोड़कर न्यूकॉमन के शुरुआती मॉडल पर सुधार किया।

जेम्स वाट ने किसका आविष्कार किया –

दुनिया में औद्योगिक क्रांति लाने वाले james wat ने बचपन में ही भाप की शक्ति को भांप लिया था और अपनी इसी विश्लेषण शक्ति के बल पर वह आगे चलकर भाप का इंजन बनाने में सफल हुए। 

वाष्प इंजन का आविष्कार कब हुआ –

1698 ई. में मार्क्सेव देला पोर्ता के इस सुझाव का उपयोग टामस सेवरी ने पानी चढ़ाने की एक मशीन में किया। इस प्रकार सेवरी पहला व्यक्ति था जिसने व्यावसायिक उपयोग का एक भाप इंजन बनाया, जिसका उपयोग खदानों में से पानी उलीचने और कुओं में से पानी निकालने में हुआ।

James Watt Video –

जेम्स वाट की ज़िंदगी बदल गई –

james watt की माता की अचानक मुत्यु होगी और उनके पिता को बिजनेश में बहुत ही नुकसान हुवा था | और उसके बाद जेम्स वाट की जिंदगी बदल गई और फिर उन्हें अपरेंटिस का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद पेट भरने के लिए एक घड़ी निर्माता के यहां काम करने के साथ कई छोटे-मोटे काम भी करने पड़े। 1757 में जेम्स ने अपनी छोटी-सी वर्कशॉप बना ली, जिसमें वह यान्त्रिक उपकरण ठीक करने लगे। इसी बीच, उन्हें गुप्त ताप की खोज की घटना के बाद भाप सम्बन्धी शक्ति का ध्यान हो आया। उस दिनों में विश्वविद्यालय में एक स्लो स्लो काम करने वाला अधिक ईधन लेने वाला एक इंजन रिपेरिंग के लिए आया।जेम्स वाट ने इसे सुधारने की जिम्मेदारी उठाइ थी। 

उन्होंने उसमें लगे भाप के इंजन में एक कण्डेन्सर लगा दिया, जो शून्य ( जीरो ) दबाव वाला था। इस वजह से पिस्टन सिलेण्डर के ऊपर नीचे जाने लगा। पानी डालने की जरूरत उसमें नहीं थी। शून्य की स्थिति बनाये रखने के लिए जेम्स ने उसमें एक वायु पम्प लगाकर पिस्टन की पैकिंग मजबूत बना दी। घर्षण रोकने के लिए तेल डाला तथा एक स्टीम टाइट बॉक्स लगाया, जिससे ऊर्जा की क्षति रुक गयी। इस तरह वाष्प इंजन का निर्माण करने वाले जेम्स वाट पहले आविष्कारक बने।

इसे भी पढ़े :- सूफ़ी अम्बा प्रसाद का जीवन परिचय

जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार –

भाप के इंजन का आविष्कार का श्रेय जेम्स वाट को दिया जाता है और इस भाप के इंजन के आविष्कार से ही जेम्स वाट प्रसिद्ध है सबसे पहले भाप के इंजन का आविष्कार मशहूर आविष्कारक थॉमस न्यूकोमन ने इंजन बनाया था और उसके बाद जेम्स वाट ने किया था लेकिन यह कम शक्तिशाली था और इसमे ऊर्जा हानि ज्यादा थी। भाप का भी सही तरह से उपयोग नही था जिससे भाप की हानि भी अधिक मात्रा में होती थी।

जेम्स वाट ने अपने अविष्कार के दौरान एक बहुत ही ताकात करने वाला इंजन बनाया और इस इंजन ओधोगिक निर्माण में तेजी की बरसाद करदी 1763 के वर्ष में जेम्स वाट की वर्कशॉप में न्यूकोमन का बनाया स्टीम इंजन ठीक होने आया। इस भाप के इंजन में केवल एक ही सिलिंडर था जिससे भाप आकर नीचे पानी मे बैठ जाती थी।

शक्तिशाली इंजन –

जेम्स वाट ने बनाये हुए इंजन में भाप को इकट्ठा करने के लिए एक कंडेनसर लगा दया था और वो कंडेनसर जीरो दबाव वाला था जिससे पिस्टन ऊपर नीचे गति करता था और पानी डालने की कोय जरुरत नही आए थी । शून्य दबाव बनाये रखने के लिए पिस्टन की पेकिंग को दुरुस्त और मजबूत किया और एक वायुपम्प भी लगाया।

ऐसा करने से यह इंजन और भी ताकतवर हो गया क्योंकि इसमें ऊर्जा और भाप की बहुत ही बचत हुई। जेम्स वाट के इस इम्प्रूवमेंट से भाप का इंजन न्यूकोमन के इंजन से अधिक शक्तिशाली हो गया।इस इंजन का उपयोग खदानों से पानी बाहर निकालने में होने लगा। james watt ने रोटरी स्टीम इंजन का निर्माण भी किया जो और भी ज्यादा शक्तिशाली था। इस इंजन से बड़ी मशीनरी भी आसानी से कार्य करने लगी।

महान वैज्ञानिक James Watt –

आज हमारी सारी दुनिया महान वैज्ञानिक ओके आविष्कारों की वजह से बहुत ही विक्षित हुए है | दुनिया में बहुत सारे वैज्ञानिको की खोज का सर्वाधिक उपयोग करता है, जेम्सवाट उन महान वैज्ञानिको मे एक हैं जब संपूर्ण विश्व ऊर्जा के किसी मजबूत एवं कारगर स्रोत की तलाश में था तब जेम्स वाट ने भाप इंजन के स्वरुप में बदलाव करके उसे सर्वाधिक सहयोगी बनाने का कार्य किया था । आधुनिक विश्व जिस औद्योगिक क्रांति के महानतम दौर से निकल कर वर्तमान तक आया है

उस औद्योगिक क्रांति का आधार ही जेम्स वाट के आविष्कारों पर आकर अटका था। जेम्स वाट ने ही पहली बार यह प्रतिपादित किया कि भाप में बहुत शक्ति है और अगर उसे समायोजित कर एक निश्चित केंद्र-बिंदु पर प्रशिक्षित किया जाए तो उससे प्राप्त होने वाली शक्ति से बड़ी से बड़ी मशीनें चलाई जा सकती है। 

जेम्स वाट  के छः चीजो पर एकल अविष्कार का पेटेंट है –

  •  पेटेंट 913 A उन्होंने स्टीम इंजन में अलग से कंडेंसर को लगाकर उसका उपयोग करने की विधि बतायी थी।
  • इसे 5 जनवरी 1769 को अपनाया गया था, जबकि 29 अप्रैल 1769 को इसे नामांकित किया गया था।
  • 1775 में संसद में इसे जून 1800 तक बढ़ा दिया गया था।
  • पेटेंट 1,244 शब्दों को कॉपी करने की नयी विधि बतायी, इस बदलाव को 14 फरवरी 1780 में अपनाया गया।
  • 31 मई 1780 में इसे नामांकित किया गया था।
  • 1,306 पेटेंट सूरज और ग्रह की परिक्रमण गति को बढ़ाने की नयी विधि बतलायी।
  • इस बदलाव को 25 अक्टूबर 1781 में अपनाया गया और 23 फरवरी 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,432 स्टीम इंजन में उन्होंने कयी सुधार किये – जिसमे तीन बार मोशन और स्टीम कैरिज लगाया गया।
  • इस बदलाव को 28 अप्रैल 1782 को अपनाया गया और 25 अगस्त 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,321, स्टीम इंजन में उन्होंने कयी सुधार किये – उसकी कार्यक्षमता बढ़ायी और डिजाईन भी बदला।
  • 14 मार्च 1782 को अपनाया गया और 4 जुलाई 1782 को इसे नामांकित किया गया।
  • पेटेंट 1,485 भट्टी के निर्माण की नयी विधि बतायी।
  • इस बदलाव को 14 जून 1785 को अपनाया गया और 9 जुलाई 1785 को नामांकित किया गया।

इसे भी पढ़े :- विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

जेम्स वाट की उपलब्धियां और जानकारी –

  • james watt ने बनाया हुवा इंजन इतना शक्तिसाली हो गया।
  • तरह तरह की फैक्टरियां जेम्स के इंजन से चलने लगी थी।
  • ब्रिटेन की कपड़ा मिले इसी इंजन की सहायता से चलने लगे गयी।
  • जेम्स वाट ने अपने इस इंजन का पेटेंट भी करवाया था जिससे जेम्स वाट ने काफी पैसा कमाया।
  • अपने बिज़नेस पार्टनर वाल्टन के साथ मिलकर वाल्टन एंड वाट कम्पनी स्थापित की जिसके नीचे वाट ने स्टीम इंजन बेचे थे।
  • जेम्स वाट ने भाप की शक्ति को अच्छी तरह से पहचान लिया था।
  • उसी भाप की बदौलत से रेलगाड़िया चलने लगी थी।
  • जेम्स वाट ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी सदस्य भी रहे थे।
  • जेम्स वाट के सम्मान में ही विधुत शक्ति की एक इकाई का नाम वाट रखा गया था।
  • इंजन की पावर को हॉर्स में मापा जाता है जिसको हॉर्स पावर नाम जेम्स वाट ने ही दिया था।

James Watt Death –

दुनिया के महान वैज्ञानिक और अविष्कार james watt की मुत्यु 25 अगस्त 1819 में हुई थी।

यह महान वैज्ञानिक के अविष्कार भाप की शक्ति को पहचानकर उसको औधोगिक क्षेत्र में इस्तेमाल करके क्रांति लाये।

जिससे औधोगिक निर्माण में बहुत तेजी आई थी। 

James Watt Questions –

1 .जेम्स वाट का जन्म कब हुआ था ?

जेम्स वाट का जन्म 30 जनवरी 1736 को हुवा था। 

2 .भाप इंजन का आविष्कार कौन किया ?

what james watt invented – भाप इंजन का आविष्कार थॉमस सेवरीएडवर्ड सोमेरसेट , II मार्क्वेस ऑफ़ वॉरकेस्टर एडवर्ड हबर्ड किया था

3 .भाप का इंजन कैसे बना ?

भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन जो काम करने में जल-वाष्प का उपयोग करता है।

यह इंजन ज्यादातर वाह्य दहन इंजन होते हैं। उसमे Rankine cycle नाम का उष्मा-चक्र काम में लिया जाता है।

4 .जेम्स वाट की राष्ट्रीयता क्या थी ?

जेम्स वाट राष्ट्रीयता स्कॉटिश थी

5 .जेम्स वाट कोन सी संस्थान में थे ?

जेम्स वाट ग्लासगो विश्वविद्यालय संस्थान में थे

6 .जेम्स वाट की प्रसिद्धि क्यों थी ?

जेम्स वाट की प्रसिद्धि वाष्प इंजन में सुधार करने की थी। 

7 .जेम्स वाट की मुत्यु कब हुए थी –

जेम्स वाट की मृत्यु 25 अगस्त 1819 (उम्र 83) में हुए थी

इसे भी पढ़े :- अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

Conclusion –

आपको मेरा James Watt Biography बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने james watt invention industrial revolution और statue of james watt से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति या अभिनेता के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास james watt steam engine in hindi या james watt – wikipedia की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद 

1 .जेम्स वाट क्यों प्रसिद्ध था ?

2 .जेम्स वाट का जन्म कब हुआ ?

Read More >>

Prime Minister Narendra Modi Biography In Short - नरेंद्र मोदी की जीवनी

Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी / पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन

LIVE UPDATES पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन 30/12-2022

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी  की पूज्य माताश्री, हीरा बा के निधन से मुझे गहरी वेदना हुई है। पूज्य हीराबा उदारता, सादगी, परिश्रम और जीवन के उच्च मूल्यों के प्रतिमान थे। एक पुत्र के लिए माँ पूरी दुनिया होती है एक माँ का निधन किसी भी व्यक्ति के जीवन में ऐसी शून्यता लाता है, जिसकी भरपाई असंभव है।

पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन
पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन
Albert Einstein Biography

“प्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, हम सभी जानते हैं कि आपकी प्यारी माँ हीराबा के साथ आपका भावनात्मक बंधन था। किसी की माँ को खोने का दुःख किसी के लिए भी सहन करना बहुत कठिन है।दुख की इस घड़ी में प्रधानमंत्रीजी और उनके पूरे परिवार के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।

मैं बहुत दुखी हूँ और कोई भी शब्द यह नहीं बता सकता कि मुझे आपके लिए कितना खेद है।” नुकसान। दुख की इस घड़ी में मेरी गहरी सहानुभूति और हार्दिक संवेदनाएं भेजना। आप अपनी मां के साथ साझा की गई यादों में शांति और आराम पा सकते हैं, । ॐ शांति! ॐ शांति! ॐ शांति!

 

 

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Prime Minister Narendra Modi Biography In Hindi में भारत के 14 वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय बताने वाले है। 

नरेंद्र मोदीजी ने 2014 में और 2019 में बी.जे.पी पार्टी की नेतृत्व कर के जित पाई। pm मोदीजी की एक आकर्षक बात यह है की नरेंद्र मोदीजी पहेली बार गुजरात के विधायक प्रधान मंत्री बने थे। आज हम narendra modi wife , jashodaben ,narendra modi family और narendra modi salary के बारेमे बताने वाले है। सांसद के रूप में भारत के pm बन चुके। सन 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत से जित हुई थी इसका श्रेय नरेंद मोदीजी को जाता है। यह बहुमत से मिली जित 1984 के बाद पहली बार pm नरेंद मोदी द्वारा बी.जे.पी को मिली थी। 

नरेंद मोदीजी की बचपन की स्कूल और उनकी चाय की स्टॉल और उनकी घर की गलियों में वह बड़े हुवे वह गलिया और वह बचपन में जिस तालाब में नहाने जाते वह तालाब के बारे में और उनकी बचपन की कहानिया यह आर्टिकल में मिल जाएँगी। नरेंद मोदीजी पर मुझे गर्व है क्योकि मे भी उनके के गांव का यानि वडनगर का रहनेवाला हु। तो चलिए में नरेंद्र मोदी की जीवनी से रूबरू करवाता हु।

Narendra Modi Biography In Hindi –

 नाम नरेंद्रभाई दामोदरदास मोदी ( modi full name ) 
जन्म 17 सितम्बर 1950
जन्म स्थान वड़नगर
जिला महेसाणा ,गुजरात
पिता श्री दामोदरदास मूलचंदभाई मोदी
माता हीराबेन मोदी
पत्नी श्रीमती जसोदाबेन
भाई सोमाभाई मोदी, अमृतभाई मोदी, प्रहलादभाई मोदी, पंकजभाई मोदी
बहन वासंतीबेन मोदी
मोदी जी का कद 170 से.मी. ( 5.7फिट )
धर्म हिन्दू
राजनीतिकपार्टी भारतीय जनता पार्टी ( बी.जे.पी )
प्रधानमंत्री पद 14 वें प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी की जीवनी हिंदी में –

2018 में 24 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ग्लोबल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये नरेंद्र मोदीजी के योगदान के लिये उनको सिओल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। PM नरेंद्र मोदीजी का नाम विश्व में सबसे बड़ी स्वास्थ सेवा की योजना प्रारंभ करने के लिये नॉबेल शांति पुरस्कार से उन्हें नामांकित किया था। PM नरेंद्र मोदीजी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल से लेकर प्रधानमंत्री बनने के पश्च्यात उनके कार्यकाल में काफी सारि उपलब्धिया उनके नाम की है।

इसे भी पढ़े :- जेम्स वाट की जीवनी हिंदी

narendra modi birthday –

नरेंद्र मोदीजी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर शहर में हुआ था ।

नरेंद्र मोदीजी के माता -पिता के नाम –

narendra modi son of narendra damodardas modi यानि उनके पिताजी का नाम श्री दामोदरदास मूलचंदभाई मोदी और माता हीराबेन मोदी के नाम से पहचाने जाते है।

Narendra Modi Children –

pm नरेंद्र मोदीजी का बचपन बहोत कठिनाईयो से बिता था। pm नरेंद्र मोदीजी का जन्म गुजराती परिवार के वडनगर शहर में हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी के पिता का व्यवसाय वह एक छोटी सी चाय की दुकान में चाय बेचने का काम करते थे। pm नरेंद्र मोदीजी उनके पिता को मदद करनेके लिए वह चाय की दुकान पर काम करते थे। वह सुबह में पिता के साथ चले जाते और जब स्कूल का समय होने पर वह चले जाते और बादमे रिसेस के समय पर वह घर नहीं

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

जाते और पिता को मदद करने के लिए चाय की दुकान चले जाते। और pm नरेंद्र मोदीजीने खुद चाय की दुकान चलाई थी। pm नरेंद्र मोदीजी 8 साल की modi age में आरएसएस के संगठन के संपर्क में आये। और यहाँ से उनका लम्बा सफर शुरू हुवा। pm नरेंद्र मोदीजी ई.स 1985 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। मोदीजी लम्बे समय तक आरएसएस के संगठन में रहे और इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुये। इसके बाद उनकी राजनीति के सफर में तीव्र गति आई और मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में चुना गये।

Narendra Modi बचपन में किस तालाब में नहाने जाते थे –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

नरेंद्र मोदीजी बचपन में शर्मिस्ठा तालाब में नहाने जाते थे , जो आप फोटो में देख सकते है। मोदीजी उनके दोस्तों के साथ यह तालाब में नहाने के लिये जाया करते थे , तब वह झील में मगरमच्छ रहते थे। नरेंद्र मोदीजी जब छोटे तब उस शर्मिष्ठा झील मेसे मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लाते है। और जब घर जाते है तब उनकी माताजी हीराबा ने उनको समझाया की बच्चे को कोई माँ से अलग करे तो दोनों को परेशानी होती है , माकी यह बात सुनकर मोदीजी उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस छोड़ आते थे।

इसके बारेमे भी पढ़िए:- शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

 नरेंद्र मोदी की बचपन की कहानिया

pm नरेंद्र मोदीजी की बचपन की कई रोचक कहानिया है जिसे सुनकर आपको प्रधानमंत्री पर आपको गर्व महसूस होगा। मोदीजी की बचपन की कहानिया इस प्रकार है।

  •  pm नरेंद्र मोदीजी खंभे पर क्यों चढे थे :

नरेंद्र मोदीजी के बारे में ऐसा कहा जाता है की वो स्कूल के दिनों में एक n.c .c केम्प का आयोजन किया गया था इसमें नरेंद्र मोदीजी गए थे। वहा एक खंभे पर एक पंछी को फसा हुवा देख.परन्तु n.c .c केम्प के बाहर निकलना मनाई थी फिर भी वह केम्प के बहार निकलकर वह तुरंत खंभे पर चढ़ जाते है और वह पंछी को बचाते है। यह देखकर उनके शिक्षक गोवर्धनभाई पटेल उन पर भड़क जाते हे परन्तु बाद में यह बात का पता चला तो उनका गुस्सा शांत हो जाता है।

  •  pm नरेंद्र मोदीजी कैसे जूते पॉलिश करते थे :

pm नरेंद्र मोदीजी को उनके मामा ने सफ़ेद कैनवास के जूते खरीदकर दिये थे। क्योकि उनके घर में नये जुते लाने पैसे नहीं थे। जब उनको नये जूते मिलगये तो उन्हें पॉलिश करने की समस्या हुई और उनके पास पॉलिश खरीद ने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिये उन्होंने एक तरकीब निकाली और जो स्कूल बचे हुवे चौक शिक्षक फेक देते थे उनको एकठ्ठा किया और उनको पानी में भिगोकर वह लेप जूतों पर लगा देते थे।

  •  मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ने की कहानी :

pm नरेंद्र मोदीजी जब छोटे थे तब शर्मिष्ठा झील में अपने दोस्तों साथ नहाने जाते थे। तब वह झील में मगरमच्छ रहते थे। नरेंद्र मोदीजी जब छोटे तब उस शर्मिष्ठा झील मेसे मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लाते है। और जब घर जाते है तब उनकी माताजी हीराबा ने उनको समझाया की बच्चे को कोई माँ से अलग करे तो दोनों को परेशानी होती है। माकी यह बात सुनकर मोदीजी उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस छोड़ आते है।

इसे भी पढ़े :- स्टीफन हॉकिंग की जीवनी

Narendra Modi Education –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

आप जो फोटो में देख सकते है इसमें शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी। modi education यह स्कूल स्थानीय वडनगर में स्थित है। वह स्कूल का नाम B .N हाइसस्कूल के नाम से पहचाना जाता है। यह स्कुल का पूरा नाम श्री भगवताचार्य नारायणाचार्य हाइसस्कूल है। modi education pm नरेंद्र मोदी ने B .N हाइसस्कूल में ई.स 1967 तक उनकी पढाई हायर सेकेंडरी तक पूरी कर ली।

इनके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण अपने घर का त्याग कर दिया और इसके बाद सम्पूर्ण भारत में यात्रा करके अनेक संस्कृतियों का अध्ययन किया। इस तरह मोदीजी ने उनकी पढाई कई साल तक नहीं की। इसके बाद narendra modi education ने उनकी पढ़ाई ई.स 1978 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में गये। इसके बाद अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। और वहा मोदीजी ने राजनीति विज्ञान में क्रमश स्नातक एवम आगे बढ़ते गये।

narendra modi education के बारे में एक शिक्षक ने बताया था की modi education पढाई में सामान्य थे। लेकिन मोदीजी ज्यादातर समय पुस्तकालय में बिताते थे। pm नरेंद्र मोदीजी के विवाद में कोई खड़ा नहीं हो सकता। क्योकि pm नरेंद्र मोदीजी वाद -विवाद की कला निपूर्ण थे।

 नरेंद्र मोदीजी बचपन से सेना में भर्ती होना क्यों चाहते थे –

pm नरेंद्र मोदीजी एक देश भक्त व्यक्ति थे इसलिये वह बचपन से ही देश सेवा करने का सपना देखते रहते थे। देश की सेवा करने के लिए वह सेना में भी शामिल होना चाहते थे। लेकिन किस्मत को यह मंजूर नहीं था। उनके भाग्य में देश के pm बननेका पद निश्चित था तो फिर वह सेना में शामिल कैसे हो सकते है।

 नरेंद्र मोदीजी बचपन में चाय कहा बेचते थे

 

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

pm नरेंद्र मोदीजी जो आप फोटो में देख रहे हे वह उनकी चाय स्टॉल है। यह उनकी चाय स्टॉल वडनगर के रेल्वे स्टेशन पर उनकी चाय स्टॉल मौजूद है। और यह उनकी चाय स्टॉल अभी भी मौजूद है। इसे अभीभी उनकी याद में उनकी निशानी के तौर पर रखा गया है। और जब भारत – पाकिस्तान के युद्ध के समय में ट्रेन में जाने वाले सैनिको को चाय और अन्य मदद करते थे।

इसे भी पढ़े :- अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

नरेंद्र मोदीजी का बचपन का जिगरी दोस्त –

pm नरेंद्र मोदीजी के बचपन में कई दोस्त थे लेकिन उनके एक दोस्त जिगरी दोस्त के ठाकोर मोणकाजी के नाम से जाने जाते। और वह वडनगर के नजदीक सुलिपुर के गांव में वह रह रहे है और हाली के समय में वह किसान है और खेती कर रहे है । उनकी यह दोनो की दोस्ती स्कूलों के दिनों में जब पढ़ने आते थे तब उनकी दोस्ती हुई थी। और वह अच्छे दोस्त माने जाते है।

यह दोनों वडनगर में स्थित उनकी चाय स्टॉल पर स्कूल के छुट्टी के समय दोनों जाया करते थे और मूम्फ़ली मेसे तेल निकाल ने का काम और नमक पीसने का काम साथमे करते थे । और नरेंद्र मोदीजी के घर कई बार जाते थे। और वह शर्मिष्ठा झील में नहाने के लिये वह दोनों और कई दोस्त साथमे जाया करते थे। और कई बार मस्ती करते थे और लड़ते ज़गड़ते थे परंतु वह दोनों बहोत अच्छे दोस्त थे।

और जब दोनों बड़े हो गये और मोदीजी कई साल घर छोड़ कर चले गये और इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी संगठन में शामिल हो गये। उनके दोस्त ठाकोर मोणकाजी कई बार मोदीजी को याद करते है और नरेंद्र मोदीजी और उनकी बाते कहा करते है। हम भी उनसे मिले ओर यह सारी बाते सुनी और आपके सामने पेश की है।

 नरेंद्र मोदीजी का परिवार –

pm नरेंद्र मोदी का परिवार मोध यानि घांची ,तेली समुदाय से जुड़ा हुवा है। यह समुदाय भारत सरकार ध्वारा वर्ग श्रेणी में उनका परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में माना जाता है। pm नरेंद्र मोदी उनके माता -पिता की तीसरी संतान है। pm नरेंद्र मोदी के बड़ेभाई सोमा मोदी है modi age करीबन वर्तमान में 75 वर्ष हैं वह स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के रूप कार्य कर चुके है।

pm नरेंद्र मोदीजी  के दूसरे बड़े भाई का नाम अमृत मोदी है। वह एक मशीन ऑपरेटर है modi age करीबन 72 साल है। उनके बाद pm नरेंद्र मोदीजी का छोटा भाई प्रहलाद मोदी है जिनकी modi age करीबन 62 साल हैं वह अहमदाबाद में एक शॉप चलाते है। और उनके छोटे भाई पंकज मोदी है वह गांधीनगर में सूचना विभाग में एक क्लर्क के रूप कार्य कर रहे है।

Narendra modi wife –

pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह घांची की समुदाय की परम्पराओं के अनुसार हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह 18 साल की उम्र में ई.स 1968 में हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह श्री मति जशोदा बेन के साथ हुवा है। रिपोटर्स के अनुसार ऐसा माना जाता है

की उनका तलाक अभीभी नहीं हुवा लेकिन वह एक दूसरे से अलग हो गये है। pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography की पत्नी श्री मति जशोदा बेन गुजरात के एक सरकारी स्कूल में कार्य किया करते थे जोकि हाली के समय में रिटायर हो गये है। pm नरेंद्र मोदीजी के एक भी बच्चे नहीं है। क्योकि वह विवाह कुछ ही समय में दोनों अलग हो गये थे।

 नरेंद्र मोदीजी घर त्याग करके कहा गये

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

pm नरेंद्र मोदीजी ने पढ़ाई छोड़ने के बाद वह माना जाता है की वह उत्तर भारत में चले गये। उत्तर भारत में वह हिमालय और ऋषिकेश के स्थानों का उल्लेख किया गया है। pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography यह स्थानों से करीबन 2 साल के बाद लौट आये।

 नरेंद्र मोदीजी का शुरुआती राजनीतिक करियर –

मोदीजी ने कॉलेज की पढाई पूर्ण करने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए।  और पूरा समय प्रचारक के रूप में R.S.S ( राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ) को दिया वह एक हिन्दू राष्ट्रवादी राजनीतिक संघ है। 1975 से 1977 में भारत के प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने राष्ट्रीय आपातकाल के समय में R.S.S संघ पर प्रदिबंध लगा दिया था। जिस प्रतिबंध में शामिल में होने के कारण pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi को अंडरग्राउंड होने के लिये होना पड़ा था। और गिरफ्तारी से बचने के लिये वह भेस बदलकर यात्रा करते थे। भारत के आपातकाल के समय में pm नरेंद्र मोदीजी बहोत सक्रीय रहते थे।

उस वक्त कांग्रेस सरकार का विरोध करने के पर्चे के वितरण और कई और हथकंडे का कार्य अपनाये। यह सब कार्य से pm नरेंद्र मोदीजी का साहस ,प्रबंधकीय , संगठात्मकता ,निडरता और लीडरशिप जैसे कई महत्वपूर्ण कौशल दिखाई दिया।इस के बाद नरेंद्र राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। pm नरेंद्र मोदीजी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में लिखने का काम किया करते थे।

ई.स 1985 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा बी.जे.पी यानि भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला लिया। और नरेंद्र मोदी 1987 में पूर्णरूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके। pm नरेंद्र मोदीजी ने प्रथम बार अहमदाबाद नगरपालिका के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को व्यवस्थि करने में पूरी मदद की और इस चुनाव में बी.जे.पी पार्टी की जित हुई।

इसे भी पढ़े :-सूफ़ी अम्बा प्रसाद का जीवन परिचय

 नरेंद्र मोदीजी का राजनीतिक करियर –

 

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

ई.स 1987 में pm नरेंद्र मोदीजी का बी.जे.पी में प्रवेश होने के बाद उनकी अच्छी गति विधियों के कारण उनका सफर तेजी से बढ़ने लगा। क्योकि नरेंद्र मोदी जी एक एक प्रतिभा शाली पुरुष और बुद्धिमान थे। नरेंद्र मोदी ने व्यवसायों,छोटे सरकारी और हिन्दूत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया। और pm नरेंद्र मोदीजी को गुजरात ब्रांच के महासचिव के रूप में चुना गया।

ई.स 1990 में pm नरेंद्र मोदीजी ने एल के आडवानीजी की अयोध्या रथ यात्रा में संचालन में पूरी तरह से मदद की। इसके कारण नरेंद्र मोदी की क्षमताओं को मान्यता मिली। वह कार्य मोदीजी का पहला राष्ट्रीय स्तर का राजनितिक कार्य बन गया।1991 – 1992 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा हुई। pm नरेंद्र मोदीजी ने ई.स 1990 में गुजरात में विधानसभा के चुनावो के बाद भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

मोदी की गुजरात में जित – Narendra Modi Biography

ई.स 1995 के भारतीय जनता पार्टी ने 121 सीटे जीती जिससे प्रथम बार गुजरात में बी.जे.पी की सरकार बनी।ई.स 1995 में pm नरेंद्र मोदी को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गतिविधियों को संभाल ने लिये बी.जे.पी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। और उनका दिल्ही में स्थानांतरित हो गया। ई.स 1998 में बी.जे.पी में आंतरिक लीडरशिप विवाद चल रहा था

उस वक्त मोदीजी ने उस समय बी.जे.पी की चुनाव जित का रास्ता प्रसस्त किया। जिस कारण आंतरिक विवादों को सुलझाने में सफलतापूर्वक मदद मिली थी। इसके बाद नरेंद्र मोदी को महासचिव नियुक्त किये गए। यह पद के स्थान पर वह ई.स 2001 कार्यकर्ता रहे। उसके बाद नरेंद्र मोदी को अन्य राज्यों की पार्टी संगठन को फिर से लाने का सफलतापूर्वक श्रेय उनको जाता है।

नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्य मंत्री कीतने वक्त बने –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • प्रथम बार नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography प्रथम बार . 2001 में विधान सभा का चुनाव लड़ा और इसके बाद नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये। उस चुनाव के समय दरसल उस समय केशुभाई पटेल का स्वास्थ ख़राब हो गया था।

दूसरी और बी.जे.पी पार्टी की उपचुनाव में कुछ विधानसभा की सीटे हार गये थे। इसके बाद बी.जे.पी की राष्ट्रीय लीडरशिप केशुभाई पटेल के हाथ से pm नरेंद्र मोदीजी के हाथो में थमा दिया। और उनको गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। 7 अक्टूबर ई.स 2001 के समय में मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपत ली। इसके बाद एक के बाद एक लगातार उनकी जित निश्चित होती गई।

pm नरेंद्र मोदीजी प्रथम बार 24 फरवरि 2002 में राजकोट के द्रितीय निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव जीता था। नरेंद्र मोदीजी ने कांग्रेस के अश्विन महेता को 14,728 वोटो से हराया था। pm नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की एक दुर्घटना हुई। तब इस दंगे का को फैलाने का आरोप लगाया गया था। और मोदीजी पर चारो तरफ से दबाव आने लगा।

जिस कारण मोदीजी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस कारण मोदीजी का मुख्यमंत्री के स्थान पर कुछ ही समय रहे। गुजरात के यह दंगे को पूरी तरह से जाँच करने के पश्चात ई.स 2010 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट दिया गया जिसमें मोदी जी को इस मामले में ग्रीन सिग्नल दे दिया गया.

  • दूसरी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

pm नरेंद्र मोदीजी को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई इसके बाद मोदीजी को फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात राज्य के विकास के लिए कार्य करना प्रारंभ किया।

और अनेक गुजरात राज्य का विकास जल्द से हो इस कारण उन्होंने कई कार्य किये। ई.स 2007 में नरेंद्र मोदीजी ने वाइब्रेट गुजरात शिखर सम्मेलन में गुजरात में रियल स्टेट निवेश सोदो पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद गुजरात में मुख्यमंत्री रूप में लगातार 2,063 दिन उन्होंने पुरे कर लिये। नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री पद सम्भालनेका का रिकॉर्ड भी उनके नाम किया।

  • तीसरी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

नरेंद्र मोदीजी का रिकॉर्ड आगे भी चलता गया और . 2007 में गुजरात के विधानसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदीजी ने फिरसे जित हांसिल की और गुजरात के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार मोदीजी modi biography ने गुजरात राज्य में आर्थिक विकास के बारे में ज्यादा ध्यान दिया। और उनके साथ निजीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने भारत का विकास करने के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग एपीसेंटर रूप में अपनी नीतियों को प्रोसाहित किया।

नरेंद्र मोदीजी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनाने के बाद गुजरात में कृषि विकास दर में बहेतरीन वृद्धि हुई। और इस वृद्धि के कारण भारत के राज्यों की तुलनामे काफी विकासशील राज्य बन गया। नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण विस्तारो में बिजली जल्द पहोचाने की व्यवस्था की जिससे कृषि को ज्यादा बढ़ाने में मदद मिल सके। नरेंद्र मोदीजी ने ई.स 2011 से 2012 के बिच में मोदी जी ने गुजरात में सद्भावना और गुडविल मिशन प्रारंभ किया।

क्योकि राज्य के मुस्लिम समुदाय तक पहुंचा ने के लिए शुरू किया था। नरेंद्र मोदी जी ने कई उपवास भी किये थे उनका कहना हे की यह कदम गुजरात की शांति ,एकता और सद्भावना के माहौल के लिए गुजरात की एकता को अधिक मजबूत करेगा।

  • चौथी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

नरेंद्र मोदीजी का . 2012 में गुजरात का मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त हो गया। और इस वर्ष फिर से गुजरात में विधानसभा चुनाव का आयोजित हुवा। और पिछले सालो की तरह इस साल भी नरेंद्र मोदीजी की जित हुई। और नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री चौथी बार बन गए। और उन्होंने चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए नियुक्त किया गया।

नरेंद्र मोदीजी को राज्य में समृद्धि और विकास करने का श्रेय उनको जाता है। इस कारण गुजरात सरकार के रूप में नरेंद्र मोदी जी ने एक सक्षम शासक के रूप में उनकी पहचान बना ली थी। उनको गुजरात राज्य की तेजी से वीकास करने का श्रेय भी उनको जाता है।

इसे भी पढ़े :- विजय सिंह पथिक की जीवनी हिंदी

नरेंद्र मोदीजी की सन 2014 के आम चुनाव में भूमिका –

गुजरात के मुक्खीमंत्री बनाने के 1 साल बाद pm नरेंद्र मोदीजी को जून में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बना दिया। और नरेंद्र मोदीजी इस तरह ई.स 2014 में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के स्थान पर दिखाई दिए। इस कारण मोदीजी को गुजरात का मुख्यमंत्री पद को त्यागना पड़ा। इस निर्णय से लाल कृष्ण आडवाणीजी और बी.जे.पी के सदस्य उनका विरोध किया।

परन्तु नरेंद मोदीजी modi biography ने उस समय वाराणसी और वड़ोदरा में जित हांसिल कर ली थी। और आगे आने वाले आम चुनाव में मोदीजी ने प्रधानमंत्री के स्थान पर अपनी जगह बना ली थी। यह चुनाव के समय नरेंद्र मोदीजी ने सम्पूर्ण भारत में करीबन 437 रैलियो का आयोजन किया। इन आयोजनों में कई मुद्दों को जनता के समक्ष रखा और जिससे जनता प्रभावित और उनकी तरफ आकर्षित हुवे।

और ई.स 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जित बन गई। इस साल बी.जे.पी ने पूर्ण बहुमत रूप के आधार पर 534 सीटों मेसे 282 सीटे उनके नाम करदी। और इस तरह नरेंद मोदीजी भारत के 14 वे प्रधानमंत्री के रूप पहचाने गये।

नरेंद्र मोदीजी pm के रूप में – Narendra Modi Biography

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

आम चुनाव में जित हांसिल करने के बाद नरेंद्र मोदीजी ने 26 मई 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपत ली। और इसके बाद नरेंद्र मोदी देश के 14 वे प्रधानमंत्री बन गये। नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रजा की उम्मीदे काफी बढ़ने लगी। मोदीजी ने pm के रूप में कई विकास कार्य किये। मोदीजी ने विदेश के व्यवसायों को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित किये।

नरेंद्र मोदीजी ने विभिन्न नियमो ,परमिट्स और इंस्पेक्शन लागु किये क्योकि भारत में आने वाले विदेशी व्यावसाय ज्यादा और सरल माद्यम से बढ़ सके। मोदीजी ने स्वास्थ्य सेवा की तरफ ज्यादा ध्यान दिया और हिंदुत्व ,रक्षा ,पर्यावरण और शिक्षा को ज्यादा प्रोत्साहित किया।

नरेन्द्र मोदीजी 2019 में फिर से pm के रूप में –

नरेन्द्र मोदीजी की फिर से एक बार 2019 में जित हुई। मोदीजी ने दूसरे दलों को काफी पीछे छोड़ दिया। मोदीजी की 303 सीट प्राप्त करके पूर्ण बहुमती से अभूतपूर्व जित हांसल की। भारत के इतिहास मे प्रथम बार किसी नेता ने लगातार दूसरीबार इतनी बड़ी पूर्ण बहुमत से जित हांसिल की। भारत की प्रजा ने इस बार अपना प्रधानमंत्री खुद पसंद किया। और प्रजा ने नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography को भरोसा दिलाया।

मोदी क्रांति कहो या फिर मोदी लहर इस बार भारत की लोकसभा चुनाव पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया। मोदीजी की आवाज चारोओर सुनाई देने लगी। प्रदानमंत्री मोदीजी के पिछले 5 सालो के कामो से प्रजा प्रसन्न थी इस लिए प्रजा इस बार भी नरेंद्र मोदीजी को एक और बार pm बनाना चाहती थी। क्योकि मोदीजी से उन्नत भारत की प्रजा को कई उम्मीदे थी।

” pm नरेंद्र मोदीजी ने कहा सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास विजयी भारत “

pm नरेंद्र मोदीजी के ध्वारा किये गई महत्वपूर्ण योजनाये –

ई.स 2014 से लेकर अब तक के कार्यकाल में मोदी जी कई महत्वपूर्ण योजनाये शुरू की इसमें से प्रमुख योजनाये की जानकारी निचे के अनुसार मौजूद है। 

  • स्वच्छ भारत अभियान :

स्वछ भारत अभियान भारत का सबसे मुख्य स्थान पर प्रारंभ किया हुवा अभियान है। यह स्वच्छ भारत अभियान के अनुसार शहरों और ग्रामीण क्षेत्रो में कई लाखो की संख्या में शौचालय का निर्माण करवाया गया है।

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना :

प्रधान मंत्री जनधन योजना किसानो को देखते हुवे यह योजना का प्रारंभ किया गया। यह योजना ध्वारा देश के किसानो के बैंक में खाते खुलवाने के लिये शुरू की गई थी। जिस योजना के माध्यम से किसानो को मुफ्त में अकॉउंट खोले जाये और किसानो को सहायता उनके बैंक खाते में सीधे जमा की जाती है।

  • प्रधानमंत्री उज्जवल योजना :

माननीय प्रधानमंत्री योजना के जरिये गरीब परिवार की महिलाओ को सम्मान देने के लिए उन महिलाओको एलपीजी गैस सिलिंडर प्रदान किये गए।

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना :

माननीय प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना द्वारा फसलों की अच्छी तरह से सिंचाई हो सके और कृषि कार्य को बेहतरीन दिशा मिल सके।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :

माननीय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जरिये फसल के लिये किसानो को विमा प्रदान किया जाता है। क्योकि उनकी प्राकृतिक आपत्तियो के कारण ख़राब हो जाने के कारण उन्हें विमा के जरिये पैसो की सहाय मिल सके।

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना :

नरेंद्र मोदीजी द्वारा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के जरिये युवानो के कौशल के विकास के लिए उन्हें प्रशिक्षण देने की सुविधा की उपलब्धि के लिये यह योजना का प्रारंभ किया गया था।

  • मेक इन इंडिया : Narendra Modi Biography

मोदीजी द्वारा शासन में आने के बाद कुछ बहोत अच्छे अभियान चलाये। उन्ही मेसे एक ‘ मेक इन इण्डिया ‘अभियान प्रारम्भ किया।

  • गरीब कल्याण योजना :

इस योजना के तहत गरीबों के कल्याण एवं उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए कार्य किया गया.

  • सुकन्या समृद्धि योजना :

सुकन्या समृद्धि को प्रारंभ करने का उद्देश्य छोटी बच्चियों सशक्तिकरण के लिए उन्हें मदद करनेके लिए किया गया था।

  • प्रधानमंत्री आवास योजना : Narendra Modi Biography

प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिये गरीबो को सहायता के आधार पर उन्हें घर बनाने की सहायता दी जाती थी।

  • डिजिटल इंडिया प्रोग्राम :

प्रधानमंत्री मोदीजी Narendra Modi Biography ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के नाम से यह देश में अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने के लिए प्रेरित किया गया। और इसके साथ ही मोदीजी ने प्रजा से भी डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिये प्रेरणा दी है। इस तरह से नरेंद्र मोदीजी उनके कार्यकाल में अन्य भी महत्वपूर्ण योजनाये और अभियान जैसे नमामि गंगे , बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना ,सर्व शिक्षा अभियान , स्टैंड अप इंडिया जैसे कई योजनाए प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गए है।

Narendra Modi Life Style Video –

pm नरेंद्र मोदीजी के कार्यकाल के मुख्य कार्य –

pm नरेंद्र मोदीजी modi biography ने उनके कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये और गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब भी इन्होने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए उनकी जानकारी आप देख सकते है।

इसे भी पढ़े :- सुषमा स्वराज की जीवनी

  • 1. भूमिजल संरक्षण प्रोजेक्ट :

गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल में इन्होने सरकार ध्वारा भूमिजल प्रोजेक्ट के प्रारंभ करनेका समर्थन दिया। यह प्रोजेक्ट से बीटी कॉटन की खेती में सहायता है। जिस कारण नल कुंपो से सिंचाई सरल हो जाती है। और यह प्रोजेक्ट से गुजरात बीटी कॉटन का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र बन गया।

  • 2. नोटबंदी :

pm नरेंद्र मोदीजी ने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के समय में नोटबंदी जैसा बहोत बड़ा फैसला लिया था। जिस फैसले से मोदी जी ने भारत के 500 और 1000 की पुराने नोटों को बंध कर दिया। और इसके स्थान पर 500 के और 2000 के नये नोटों को जारी किया। यह फैसला एक ऐतिहासिक फैसला था।

  • 3. G.S.T : Narendra Modi Biography

pm नरेंद्र मोदीजी ने नोटबंदी करने के बाद जितने भी अन्य टेक्स लगाये जाते थे वह टेक्स मोदीजी ने उन्हें एक सम्मलित कर दिया और G.S.T नामका एक टेक्स लागु किया।

  • 4. सर्जिकल स्ट्राइक :

pm नरेंद्र मोदीजी ने 2016 में उरी हमले के बाद पाकिस्तान को पाठ सिखाने के लिये मोदीजी भारतीय सेना के साथ मिलकर सर्जिकल स्ट्राइक करने का निर्णय लिया गया था।

  • 5. आर्टिकल 370 :

भारत की सबसे बड़ी समस्या आर्टिकल 370 थी। जिन्हे pm नरेंद्र मोदीजी ने हटादिया और कश्मीर को भी भारत का एक हिस्सा बना लिया।

  • 6.एयर स्ट्राइक : Narendra Modi Biography

pm नरेंद्र मोदी ने इसके बाद वर्ष 2019 फरवरी में हुवे पुलवामा हमले के पश्चात देश के सभी सुरक्षा दलों को पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी प्रकार का का एक्शन लेने के लिए उनके योग्य अनुसार निर्णय लेने की छूट दी गई थी। यह भारतीय सेना के केलिए बहोत बड़ा एलान था। इसके कई समय बाद फरवरी में वायुसेना के ध्वारा एयर स्टाइक की गई थी।

यह मुख्य कार्यो के अलावा pm नरेंद्र मोदीजी ने कई अन्य कार्य जैसे अंतरराट्रीय योग दिवस का पारंभ किया , गुजरात में स्थित स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का निर्माण , राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया नरेंद्र मोदीजी अन्य कई कार्यो अपने नाम किये गये है। pm नरेंद्र मोदीजी ने अन्य विदेश के साथ मित्रता करके उनके साथ मिलकर भारत में बुलेट ट्रेन लेन का काम किया। और अन्य कई कार्यो में मोदीजी ने अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा pm नरेंद्र मोदीजी ने अन्य पडोशी देशो से सबंध मजबूत करने और सबंधो को सुधार ने में बहोत ही उनका भाग रहा है।

इसे भी पढ़े :- अमिताभ बच्चन का जीवन परिचय

नरेंद्र मोदी जी की उपलब्धियां –

PM नरेंद्र मोदी जी की अब तक मिली हुई उपलब्धिया।ई.स 2007 को इण्डिया टुडे मैगजीन के ध्वारा किये गये सर्वे में नरेंद्र मोदी जी को देश के सर्वश्रेस्ट मुख्यमंत्री के रूप में स्थान मिला। ई.स 2009 में एफडी मैगजीन में मोदीजी को एफडीआई पर्सनालिटी

ऑफ़ द ईयर पुरस्कार के एशिया के विजेता के रूप में सम्मानित किया गया था। इसके अलावा मोदीजी को 2012 में टाइम्स एशियाई एडिशन के कवर पेज पर मोदीजी की फोटो लगवाई गई थी। ई.स 2014 में मोदीजी Narendra Modi Biography का नाम फ़ोर्ब्स मैगजीन में विश्व के सबसे शक्तिशाली मनुश्यो की यादी में 15 वे स्थान पर मौजूद है।

इस सालभी टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के अनुसार विश्व के 100 शक्तिशाली लोगो में मोदीजी का नाम भी दिया गया है।ई.स 2015 में ब्लूमबर्ग मार्केट मैगज़ीन में नरेंद्र मोदीजी का नाम विश्व के 13 वे सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में स्थान है। ई.स 2014 और 2016 में मोदी जी का नाम टाइम मैगज़ीन के पाठक सर्वे के विजेता के रूप में नामांकित किया गया था।ई.स 2016 में अप्रिल माह की 3 तारीख को मोदी जी को सऊदी अरबिया का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार अब्दुलाज़िज़ – अल – सऊद के कहने पर दिया गया था।

Narendra Modi Instagram – 

  • narendramodi
  • 433 posts
  • 51.1m followers
  • 0 फोलोइंग 
  • Prime Minister of India

Narendra Modi Social Media Profile –

Facebook – https://www.facebook.com/narendramodi/

Email Id – Not Available

WhatsApp Number – Not Available

Official Website – Not Available

narendra modi twitter – https://twitter.com/narendramodi

PM नरेंद्र मोदीजी की पसंद चीजे –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • भोजन में पसंद : शाकाहारी
  • पसंदीदा राजनेता : स्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी
  • पसंदीदा नेता : मोहनदास करमचंद गांधी और स्वामी विवेकानंद
  • अन्य पसंद : साहित्य में, योग करने और पढ़ने में

PM नरेंद्र मोदीजी की किताबें –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • नरेंद्र मोदीजी की किताबें : लेखक
  • नरेंद्र मोदी अ पॉलिटिकल बायोग्राफी : एंडी मरीनो
  • सेंटरस्टेज इनसाइड द नरेंद्र मोदी मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस : उदय महुरकर
  • मोदी मेकिंग ऑफ़ अ प्राइम मिनिस्टर : लीडरशिप, शासन एवं प्रदर्शन : विवियन फ़र्नांडिस
  • द मैन ऑफ़ द मोमेंट नरेंद्र मोदी : एम वी कमाथ एवं कालिंदी रंदेरी
  • द नमो स्टोरी अ पॉलिटिकल लाइफ : किंगशुक नाग
  • नरेंद्र मोदी द गेमचेंजर : सुदेश वर्मा

नरेंद्र मोदी जी ध्वारा लिखी गई किताबें

  • 1.ज्योतिपुंज
  • 2.एबोड ऑफ़ लव
  • 3.प्रेमतीर्थ
  • 4.केल्वे ते केलावणी
  • 5.साक्षीभाव
  • 6.सामाजिक समरसता

इसे भी पढ़े :- सचिन तेंदुलकर की जीवनी

PM नरेंद्र मोदीजी के सुविचार –

Narendra Modi Biography कहते है की जब हम तय कर लेते है की हमें कुछ करना है तो हम कई मिलो आगे जा सकते है। नरेंद्र मोदीजी कहते हे हम सबमे अच्छे और बुरे दोनों ही गुण मौजूद है और जो लोग अच्छे गुणों पर ध्यान केंद्रित करते है वह सफल हो जाते है।

PM नरेंद्र मोदीजी कहते है की बन्दुक के साथ पृथ्वी को लाल बना सकते है लेकिन यदि आपके के पास हल हे तो आप पृथ्वी को हरा बना सकते है। नरेंद्र मोदीजी कहते है की हर किसी में सपने देखने की शक्ति होती है लेकिन सपनो को संकल्पो में बदलना चाहिये। किसी भी विचार को कभी मरना नहीं चाहिये।

नरेंद्र मोदीजी कहते है की भारत एक युवा देश है इतने बड़ी संख्या में युवा भारत देश को नहीं बल्कि पूरी दुनिया का भविष्य बदल ने की ताकत है। ( Narendra Modi Biography )नरेंद्र मोदीजी कहते है की मिशन मंगल की सफलता के बाद कोई भी भारत के युवाओं पर सवाल नहीं कर सकता है क्योकि सब कुछ स्वदेशी है।

PM नरेंद्र मोदीजी हमारे देश की एक ऐसी हस्ती है जिनको लोग नहीं भूल सकते। साल 2019 के भारत के आम चुनाव में नरेंद्र मोदीजी फिरसे प्रधानमंत्री के स्थान पर नियुक्त हो गए। सब की उम्मीद करते है की आने वाले सालो में यानि भविष्य में यही हमारे प्रधानमंत्री बने ऐसी हम देशवासियोसे उम्मीद रखते है।

इसे भी पढ़े :- बाबू वीर कुंवर सिंह की जीवनी

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Prime Minister Narendra Modi Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये  हमने narendra modi age और narendra modi net worth से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Read More >>

Biography of Shanti Swaroop Bhatnagar In Hindi - Biography Hindi

Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi – शांति स्वरूप भटनागर जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi में रासायनिक प्रयोगशाला के संस्थापक शान्ति स्वरूप भटनागर का जन्म परिचय बताने वाले है। 

एक महान और बुद्धिमान व्यक्ति थे , वे बचपन में ऐसे सवाल करते थे की इनके अध्यापक भी सोच विचार में पड़ जाते थे और उनके सवाल का जवाब देना मुमकिन नहीं ना मुमकिन था। आज shanti swarup bhatnagar contribution to science ,shanti swaroop bhatnagar mother name और shanti swaroop bhatnagar invention की जानकारी बताने वाले है।

शान्ति स्वरूप भटनागर के पिता की मृत्यु हो गई तब भटनागर बहुत छोटी उम्र के थे। उनके पिता की मृत्यु बाद वे इनके नाना ने जिम्मेदारी ली थी ,बाद में उन्होंने पढाई में ध्यान दिया और आखिर में वे एक महान व्यक्ति बन गए। उनकी याद में आज भी शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड दिया जाता है तो चलिए इस महान इन्सान के सफलता की कहानी की शुरुआत करते है। 

Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi –

 नाम  शान्ति स्वरूप भटनागर ( shanti swaroop bhatnagar )
 जन्म  21 फरवरी 1894
 जन्म स्थर  शाहपुर अब पाकिस्तान में भेरा नामक गांव में
 पिता   परमेश्वरी सहाय
 शिक्षा  पंजाब विश्वविद्यालय युनिवर्सिटी कालेज, लंदन
 राष्टीयता  भारतीय
 पुरस्कार पद्म भूषण’1954, नाइट बेचलर 1941,ओबीइ 1936 ,रॉयल सोसाइटिना ना फेलो 1943,
 मृत्यु साल  1 जनवरी 1955
 मृत्यु स्थान   भारत के नई दिल्ली
 पुरस्कार  पद्म भूषण से सम्मानित, सी. एस. आई. आर. (CSIR)

शांति स्वरूप भटनागर की जीवनी –

शांति स्वरूप भटनागर का जन्म ई.स 21 फरवरी 1894 में शाहपुर (अब पाकिस्तान में भेरा नामक गांव मेंहुवा था इनके पिता का नाम परमेश्वरी सहाय भटनागर था जब शान्ति स्वरूप भटनागर केवल 8 महीने के हुए थे तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता के मृत्यु के बाद शांति स्वरूप भटनागर की देख भाल की जिम्मेदारी उनके नाना ने लेली थी।

इनके नाना एक इंजीनियर थे उनके नाना जी इंजीनियर होने के कारण शान्ति स्वरूप भटनागर इनके नाना की तरह वे बने थे। शान्ति स्वरूप भटनागर को बचपन में ही उन्होंने बचपन में ही इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाते थे उन्हें बचपन में इलेक्ट्रानिक में चीज बनाना ते थे |

इसे भी पढ़े :- जयंत विष्णु नार्लीकर की जीवनी

शान्ति स्वरूप भानगर की शिक्षा –

shanti swaroop bhatnagar ने शुरुआत की शिक्षा उन्हों ने डीएवी हाई स्कूल में की थी इसके बाद वे सरुआती शिक्षा पूर्ण करया बाद वे ई.स 1919 में लाहौर की हाइसस्कूल में उन्होंने एड्मिसन लिया था। इसके बाद उन्होंने चर्चित सरस्वती स्टेज सोसाइटी की सदस्यता ले ली इसके बाद उन्होंने शिक्षा के साथ साथ शान्ति स्वरूप भटनागर हिंदी भाषा के साथ साथ उन्होंने उर्दू भाषा का भी अध्यापक किया और उन्होंने उर्दू भाषा भी सिख लिया था। 

शान्ति स्वरूप भटनागर ने उर्दू भाषा में एक करामति नाम पे एक नाटन लिखा था वो नाटक उर्दू भाषा में था तो शान्ति स्वरूप भटनागर ने उर्दू भाषा का अनुवाद उन्होंने इस नाटक का अंग्रेजी भाषा में सरस्वती स्टेज सोसाइटी पे किया था।इनके बाद अंग्रेजी भाषा में उन्होंने अनुवाद किया था तो शान्ति स्वरूप भटनागर को ये भाषा अनुवाद दरमियान उनको ई.स1919 को ‘सर्वश्रेष्ठ नाटक’ पुरस्कार और एवॉर्ड मिला था। 

ई.स 1913 में शान्ति सवरूप भटनागर पंजाब यूनिवर्सिटी से इंटरमीडिएट ने प्रथम नबर में परीक्षा पास किया था वे परीक्षा पास कर्या बाद उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में एड्मिसन लिया था। वहा पे शान्ति स्वरूप भटनागर ने ई.स 1916 में बीएससी और एमएससी की परीक्षा उन्होंने इस यूनिवर्सिटी में पास की थी। 

अमेरिका में शिक्षा –

इनके बाद शान्ति स्वरूप भटनागर को आगे पढाई करने के लिए ‘दयाल सिंह ट्रस्ट’ से छात्रवृति मिली थी इनके बाद वे पढाई करने के लिए वे अमेरिका जाने की तैयारी कर ली थी। शान्ति स्वरूप भटनागर ने आगे पढाई करने के लिए वे अमेरिका जाने के तैयारी करली लेकिन वे अमेरिका नहीं जा सके क्योकि उन्हें लंदन से अमेरिका जाने के लिए जहाजों में उनकी टिकिट नहीं मिली थी और उनकी वजह यह थी इस समय प्रथम विश्व युद्ध हुवा था। 

इस प्रथम विश्व युद्ध के कारन सभी जहाजों की सीट अमेरिका के सेनिको के लिए बुकिंग कर दी थी वे विश्व युद्ध के कारन शांती स्वरूप भटनागर अमेरिका नहीं पोहच सके थे और वे लंदन में ही रुक गए थे। जो भी होता हे वे अच्छे के लिए ही होता है और एक एशा ही हुवा की शान्ति स्वरूप भटनागर को इस समय यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक प्रोफेसर फ्रेडरिक जी डोनन के सानिध्य ने पढाई करने की ऑफर कर दी थी। 

ई.स 1921 में उन्होंने डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि प्राप्त कर ली थी जब शान्ति स्वरूप ने लंदन टूर जाने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग ने उन्हें 250 यूरो दिया था टूर पे धूमने के लिए। 

शान्ति स्वरूप भटनागर भारत वापस आते ही प्रोफ़ेसर बन गए –

shanti swaroop bhatnagar लंदन टूर खत्म होते ही वे ई.स1921 भारत वापस आये और इनके बाद वे नारस हिन्दू विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक (प्रोफेसर) बन गए और वे 3 साल तक वे अधयापन किया इसके बाद में वे पंजाब यूनिवर्सिटी में जुड़ गए। शान्ति स्वरूप भटनागर ने एक प्रोफेसर से के रूप में उन्होंने 19 साल तक शिक्षा देने की सेवा की थी|

इसे भी पढ़े :-नरेंद्र मोदी की जीवनी

Shanti Swaroop Bhatnagar को क्यों प्रयोगशाला का जनक कहा जाता है –

शान्ति स्वरूप भटनागर को प्रयोगशाला के जनक इसलिए कहा जाता है की उन्होंने भारत में कही रायसायनिक प्रयोगशाला ओ की स्थापनाए की थी ,इस लिए उन्हें प्रयोगशाला के जनक कहा जाता है। shanti swaroop bhatnagar ने भारत में कुल मिलकर 12 प्रयोगशाला की स्थापना ये की थी| नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनआरडीसी)और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। 

डॉ भटनागर ने इनमें मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान भी शामिल है ,भारत में विज्ञान के विकास में उनके काफी सारे योगदान को देखते हुए। इनके देहांत के बाद सीएसआईआर ने उनकी याद में उनके नाम पर पुरस्कार की घोषणा की ये पुरस्कार ये महान साइटिस ओ को दिया जाता है शान्ति स्वरूप भटनागर को ई.स 1943 में ब्रिटिश सरकार ने मशहूर रॉयल सोसायटी के भी चुने थे। 

शान्ति स्वरूप भटनागर एक महान वैज्ञानिक थे और इनके दिमाग में तेज़ बुद्धि शारी भी थे वे वैज्ञानिक होते भी एक कवी भी थे उन्होंने उनके जीवन में नाटक और कहानियो भी लिखी थी ,शान्ति स्वरूप ने इनके कॉलेज दरमियान नाटक और कहानिया लिखर उन्होंने कई सारे पुरस्कार भी प्राप्त किये थे। लेकिन बतौर लेखक उनकी ख्याति कॉलेज परिसर से आगे नहीं जा पाई. शांति स्वरुप ने बीएचयू का कुलगीत भी लिखा था हिंदी कविता का बेहतरीन उदाहरण भी है। 

शान्ति स्वरूप भटनागर की प्रयोगशालाए –

  • 1.केन्द्रीय खाद्य प्रोसैसिंग प्रौद्योगिकी संस्थान, मैसूर

ये प्रयोगशाला केन्द्रीय खाद्य प्रोसैसिंग प्रौद्योगिकी संस्था मैसूर में हैसाइटिश एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक प्रयोगशाला है।

  • 2.राष्ट्रीय रासायनिकी प्रयोगशाला, पुणे

ये प्रयोगशाला की स्थापना 6 अप्रेल 1947 में की गयी थी जवाहर लाल नेहरू जी ई.स 3 जनवरी 1950 इस राष्ट्र को समर्पित किया था 
इस प्रयोगशाला के प्रथम अध्यापक डॉ॰जे.डब्ल्यु.मैक्बेन थे| ये प्रयोगशाला ई.स 1950-1952 में ये प्रयोगशाला वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान सबंधित आती है। ये प्रयोगशाला में पीएचडी के 300 जितने लोग काम करते है |

  • 3.राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, नई दिल्ली

ये प्रयोगशाला अमहदाबाद में बनाया गया हे ,ये प्रयोगशाला एक मुख्य रूप से अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग मिलकर एक स्वायत्त संस्था है ,इस प्रयोगशाला में सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानखगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी जैसे पयोग की पढाई की जाती है। 

  • 4 .राष्ट्रीय मैटलर्जी प्रयोगशाला, जमशेदपुर

 ये प्रयोगशाला भारत में एक ऐसी प्रयोगशाला जिसमे भारत में 38 प्रयोगशाला में से एक ऐसी प्रयोगशाला में से है एक है ,इस प्रयोगशाला का उद्घाटन ई.स 26 नवम्बर 1950 में जवाहरलाल नेहरू जी किया था। 

और ये प्रयोगशाला जमशेदपुर के बर्मामाइन्स में बनी हुयी है |  इस प्रयोगशाला की आधारशिला 21 नवम्बर 1946 को भारत के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य थेउनके द्वारा रखा गया था

  • 5.केन्द्रीय ईंधन संस्थान, धनबाद

ये सस्था झारखण्ड बनी हुयी है ये प्रयोगशाला भारत की वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक अंगीभूत प्रयोगशाला है। 
ये प्रयोगशाला खनन से खपत तक ईस प्रयोगशाला कोयला के ऊर्जा श्रृंखला ओ के प्रयोग किया जाता है , अनुसंधान व विकास से निवेश उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है।

इसे भी पढ़े :- जेम्स वाट की जीवनी हिंदी

शान्ति स्वरूप भटनागर के पुरस्कार के बारे में जानकारी –

यह पुरस्कार सी एस आई आर के प्रथम स्थापक को ये shanti swaroop bhatnagar के सन्मान में दिया जाता है। 

  • जीवविज्ञान
  • रसायन विज्ञान
  • पर्यावरण विज्ञान
  • इंजीनियरिंग
  • गणित,
  • चिकित्सा
  • भौतिकी

ये पुरस्कार काफी मेहनत और अविष्कार करनेवाले 45 वर्ष की आयुमे हमारे भारत देश के भारतीय वैज्ञानिकों को दिया जाता है। ये पुरस्कार आखिर ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है ,जिसने CSIR की राय में, मानव ज्ञान और प्रगति को बढ़ाने में काफी योगदान दिया है उन्हें ये पुरस्कार दिया जाता है। 

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार – (Shanti Swaroop Bhatnagar Award)

विज्ञान के क्षेत्रों में योगदान के लिए विज्ञान एक ओद्यौगिक अनुसंधान सीएसआईआर द्वारा हर साल दिया जाता है। shanti swaroop bhatnagar पुरस्कार 2019 में बृहस्पतिवा को दिया गया। सीएसआईआर की स्थापन दिन की अवसर मनाते हे। उस दिन पुरस्कार देने के लिए चुने गए थे। वैज्ञानिकों में भारतीय विज्ञान की शिक्षा का एक जो स्थान है। 

वैज्ञानिक डा. के साईकृष्णन और दिल्ली में स्थापित है इस रास्ट्रीय रोग पतिरोग सोमन शामिल है इनमे जिव विज्ञान के क्षेत्रों में ये पुरस्कार दिया जाता है। ये पुरस्कार प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हरसवर्धन के बावजूद इस पुरस्कार की घोषण की या गया था ये पुरस्कार भारत के वैज्ञानिकों को दिया जाता है। 

रसायन विज्ञानके क्षेत्रों में वे साल में शांति स्वरूप भटनागर संन्मान को ईआईटी मुंबई के डाऔर राघवन बी सुनोज वे बेगलुर में है। और जवाहरलाल नेहरू जी। साइंटिफिक रिसर्च के डा. तापस कुमार माजी को संयुक्त रूप से चुना गया इस पुरस्कार माइक्रोसॉफ़ के रीसच इंडिया के माणिक शर्मा को पुरस्कार उन्हें दिया जायेगा। 

यहाँ पे गणित के स्थान ओ में गणित और विज्ञानके मयूरभाई पंचोली और कोलकाता में रहनेवाले नीना गुप्ता तथा धीरज कुमार और हैदराबाद में रहने वाले एल वि प्रशाद और मोमद जावेद और ये सभी को ये पुरस्कार से सन्मानित किया जायेगा। भौतिक विज्ञान के क्षेत्रों में बेगलुर में रहने वाले भारतीय साइटिस के डा अनिदा सिन्हा और मुंबई में रहनेवाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के डा. और शनकर घोष वे साल शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है।

Shanti Swaroop Bhatnagar Death –

शान्ति स्वरूप भटनागर की मृत्यु ई.स 1 जनवरी 1955 में उनको हदय दर्द होने के कारण उनकी मृत्यु हुयी थी। 

इसे भी पढ़े :- स्टीफन हॉकिंग की जीवनी

Shanti Swaroop Bhatnagar Interesting Fact –

  • शान्ति स्वरूप भटनागर केवल 8 महीने के हुए थे तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। 
  • पिता के मृत्यु के बाद शांति स्वरूप भटनागर की देख भाल की जिम्मेदारी उनके नाना ने लेली थी।
  • शान्ति स्वरूप भटनागर हिंदी भाषा के साथ साथ उन्होंने उर्दू भाषा का भी अध्यापक किया और उन्होंने उर्दू भाषा भी सिख लिया था। 
  • स्वरूप भटनागर ने एक प्रोफेसर से के रूप में उन्होंने 19 साल तक शिक्षा देने की सेवा की थी|
  • शान्ति स्वरूप भटनागर को प्रयोगशाला के जनक इसलिए कहा की उन्होंने भारत में कही रायसायनिक प्रयोगशाला ओ की स्थापनाए की थी। 

Shanti Swaroop Bhatnagar Questions –

1 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2019 किसे दिया गया ?

 डा. अनिंदा सिन्हा और डा. शंकर घोष को दिया गया था। 

2 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की शुरुआत कब हुई थी ?

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की शुरुआत 1960 कि साल से किया गया था। 

3 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है ?

विज्ञाण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं असाधारण भारतीय प्रतिभा के धनियों को उजागर करना है। उन्हें शांति स्वरूप भटनागर के सम्माण में दिया जाता है।

4 .शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2020 किसे दिया गया ?

बुशरा अतीक को चिकित्सा विज्ञान की श्रेणी में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2020 दिया गया था। 

5 .शांति स्वरूप भटनागर माता का नाम क्या है ?

उसक माता का नाम ज्ञात नहीं है लेकिन उनके पिताजी का नाम परमेश्वरी सहाय था। 

इसे भी पढ़े :- अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Shanti Swaroop Bhatnagar Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने shanti swarup bhatnagar prize for science and technology 2020 और shanti swaroop bhatnagar awards  से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द। 

Read More >>

Biography oF Samudragupta In Hindi - समुद्र्गुप्त की जीवनी हिंदी में

Samudragupta Biography In Hindi – समुद्र्गुप्त की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Samudragupta Biography In Hindi में आपको गुप्त राजवंश के महान राजा समुद्रगुप्त का जीवन परिचय से ज्ञात कराने वाले है। 

इस महान राजा  को गुप्त राजवंश के चौथे महान राजा माने जाते है , चन्द्रगुप्त पहले के दूसरे अधिकारी पाटलिपुत्र समुद्रगुप्त के साम्राज्य की राजधानी मानी जाती है । वे वैश्विक इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक एवं सम्राट कहा जाता है। आज samudragupta history in hindi में आपको samudragupta wife , samudragupta son name और samudragupta achievements से सबंधित जानकारी देने वाले है। ऐसा कह सकते है की आज हम समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन की कहानी बताने वाले है 

समुद्रगुप्त का शासनकाल भारत के लिये सोने का ( स्वर्णयुग ) की शुरूआत कही जाती है ,और समुद्रगुप्त को गुप्त राजवंश का महान राजा माना जाता है। समुद्रगुप्त को एक महान शासक, वीर योद्धा माना जाता है और तो और समुद्रगुप्त को कला के संरक्षक भी माना जाता है । उनका नाम जावा पाठ में तनत्रीकमन्दका के नाम से प्रकट है। Samudragupta का नाम समुद्र की चर्चा करते हुए और अपने विजय अभियान की वजह से रखा गया था और उसका अर्थ होता है।”महासागर”। समुद्रगुप्त के बहुत भाई थे, फिर भी उनके पिता ने समुद्रगुप्त की प्रतिभा के देख कर उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था ।

Samudragupta Biography In Hindi –

नाम

समुद्रगुप्त

उपनाम

तनत्रीकमन्दका

पिता

चन्द्रगुप्त प्रथम

माता

कुमारादेवी

पुत्र

चंद्रगुप्त द्वितीय

पत्नी

दत्तदेवी

समुद्र्गुप्त की जीवनी – 

चंद्रगुप्त की मृत्यु के बाद, उनकी राजगादी के लिये संघर्ष हुआ जिसमें समुद्रगुप्त एक प्रबल दावेदार बन कर उभरे। कहा जाता है कि समुद्रगुप्त ने राज्य पर अपना शासन करने के लिये अपने प्रतिद्वंद्वी अग्रज राजकुमार काछा को युद्ध में हराया था समुद्रगुप्त का नाम सम्राट अशोक के साथ जोड़ा जा रहा है माना की वो दोनो एक-दूसरे के बहुत ही करीब थे । और वो एक अपने विजय अभियान के लिये जाने जाते थे और दूसरे अपने धुन के लिये जाने जाते थे। समुद्र्गुप्त को भारत के महान शासक जाता हे समुद्र्गुप्त ने अपने जीवन काल के दौरान कभी भी हार नहीं मानी थी । वि.एस स्मिथ के द्वारा उन्हें भारत के नेपोलियन की संज्ञा दी गई थी। 

समुद्रगुप्त का शासनकाल –

चंद्रगुप्त को मगध राज्य के महान राजा और गुप्त वंश के पहले शासक माने जाते है उन्होने एक लिछावी राजकुमारी, कुमारिदेवी के साथ उन्होंने विवाह कर लिया था और उनकी वजह से उन्हे गंगा नदी के तटीय जगहो पर एक पकड़ मिला जो उत्तर भारतीय वाणिज्य का मुख्य स्रोत माना गया था। उन्होंने लगभग दस वर्षों तक एक प्रशिक्षु के रूप में बेटे के साथ उत्तर-मध्य भारत में शासन किया और उन्की राजधानी पाटलिपुत्र, भारत का बिहार राज्य, जो आज कल पटना के नाम से जाना जाता है। पिता की मृत्यु के बाद ,समुद्रगुप्त ने राज्य शासन संभाला था और उन्होने शायद पूरे भारत पर विजय प्राप्त करने के बाद ही आराम ग्रहण किया था

समुद्रगुप्त का शासनकाल, एक विशाल सैन्य अभियान के रूप में वर्णित किया। हुवा माना जाता है शासन शुरू करने के साथ उन्होने मध्य भारत में रोहिलखंड और पद्मावती के पड़ोसी राज्यों पर हमला किया। उन्होंने बंगाल और नेपाल के कुछ राज्यों के पर विजय प्राप्त की और असम राज्य को शुल्क देने के लिये विवश किया। उन्होंने कुछ आदिवासी राज्य मल्वास, यौधेयस, अर्जुनायस, अभीरस और मधुरस को अपने राज्य में विलय कर लिया। अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूर्वी ईरान के शासक, खुशानक और सकस भी साम्राज्य में शामिल कर लिये गए।

इनके बारे में भी जानिए :- दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी

समुद्रगुप्त का वैवाहिक गठबंधन –

राजा समुद्रगुप्त के शासनकाल की सबसे अच्छी घटना वकटका राजा रुद्रसेन दूसरे की और पश्चिमी क्षत्रपों के रूप में शक राजवंश के जरिये सदियों से शासन करते आये थे और जो काठियावाड़ के सौराष्ट्र की प्रायद्वीप के पराजय के साथ अपने वैवाहिक गठबंधन में बंधा था। लग्न के गठजोड़ गुप्तों की परदेशी नीति में एक मुख्य अच्छा स्थान रखा है । समुद्रगुप्त के गुप्तो ने लिछवियो से लग्न गठबंधन कर बिहार में समुद्रगुप्त ने अपनी स्थिति को मजबूत किया था। 

समुद्रगुप्त ने पड़ोसी राज्यों से उपहार स्वीकार कर लिये थे। एक ही उद्देश्य के साथ, चन्द्रगुप्त द्वितीय नागा राजकुमारी कुबेर्नगा से शादी की और वकटका राजा से शादी में अपनी बेटी, प्रभावती, रुद्र शिवसेना द्वितीय दे दी है।यह समुद्रगुप्त का एक रणनीतिक स्थिति पर अपना राज जमा लिया था जो वकटका राजा के अधीनस्थ गठबंधन सुरक्षित रूप वकटका गठबंधन कूटनीति के मास्टर स्ट्रोक था।

यह रुद्र शिवसेना जवान मारे गए और उसके बेटे की उम्र के लिए आया था, जब तक उसकी विधवा शासनकाल में उल्लेखनीय है डेक्कन के अलग अलग राजवंशों की भी गुप्ता शाही परिवार में उन्होंने विवाह कर लिया था । समुद्रगुप्त गुप्त, इस तरह अपने डोमेन के दक्षिण में मैत्रीपूर्ण संबंधों की भी रचना की है यह भी चन्द्रगुप्ता दूसरे के दक्षिण-पश्चिम की ओर विस्तार के लिए कमरे की तलाश के लिए पसंद करते हैं समुद्रगुप्त के दक्षिणी रोमांच का नवीनीकरण नहीं किया है कि इसका मतलब है।

समुद्रगुप्त गुप्त वंश का उत्तराधिकारी – Samudragupta Gupta Dynasty

चंद्रगुप्त पहले के बाद समुद्रगुप्त मगध के सिंहासन पर विराज मान हुवा था । चंद्रगुप्त के अपने पुत्र थे। पर गुण और साहस में समुद्रगुप्त सबसे उत्तम था। लिच्छवी कुमारी श्रीकुमारदेवी का पुत्र होने के कारण भी उसका विशेष महत्त्व था। चंद्रगुप्त ने उसे ही अपना दूसरा अधिकारी चुना था। 

और अपने इस निर्णय को राज्यसभा बुलाकर सभी सभ्यों के सम्मुख उद्घोषित किया। यह करते हुए प्रसन्नता के कारण उसके सारे शरीर में रोमांच हो आया था, और आँखों में आँसू आ गए थे। उसने सबके सामने समुद्रगुप्त को गले लगाया, और कहा – ‘तुम सचमुच आर्य हो, और अब राज्य का पालन करो।’ इस निर्णय से राज्यसभा में एकत्र हुए सब सभ्यों को प्रसन्नता हुई।

सम्राट समुद्रगुप्त के गुण और चरित्र –

सम्राट समुद्रगुप्त के वैयक्तिक गुणों और चरित्र के बारे मे प्रयाग की प्रशस्ति में बड़े अच्छे और सुंदर पाये जाते हैं। इसे महादण्ड नायक ध्रुवभूति के पुत्र, संधिविग्रहिक महादण्डनायक हरिषेण ने तैयार किया था। हरिषेण के शब्दों में समुद्रगुप्त का चरित्र इस प्रकार का था ‘उसका मन विद्वानों के सत्संग-सुख का व्यसनी था। उसके जीवन में सरस्वती और लक्ष्मी का अविरोध था।

वह वैदिक मार्ग का अनुयायी था। उसका काव्य ऐसा था, कि कवियों की बुद्धि विभव का भी उससे विकास होता था, यही कारण है कि उसे ‘कविराज’ की उपाधि दी गई थी। ऐसा कौन सा ऐसा गुण है, जो उसमें नहीं था। सैकड़ों देशों में विजय प्राप्त करने की उसमें अपूर्व क्षमता थी। अपनी भुजाओं का पराक्रम ही उसका सबसे उत्तम साथी था। परशु, बाण, शंकु, शक्ति आदि अस्त्रों-शस्त्रों के सैकड़ों घावों से उसका शरीर सुशोभित था।

  • समुद्रगुप्त का सूत्र

समुद्रगुप्त के इतिहास का सबसे अच्छा स्रोत, वर्तमान इलाहाबाद की बाजु में, कौसम्भि में पहाड़ो में शिलालेखों में से एक बहुत ही अच्छा शिलालेख है। इस शिलालेख में समुद्रगुप्त के विजय अभियानों का विवरण दिया गया है। इस शिलालेख पर लिखा है, “जिसका खूबसूरत शरीर, युद्ध के कुल्हाड़ियों, तीरों, भाले, बरछी, तलवारें, शूल के घावों की सुंदरता से भरा हुआ है।

यह शिलालेख भारत के राजनीतिक भूगोल की वजह से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें विभिन्न राजाओं और लोगों का नाम अंकित है, जोकि चौथी शताब्दी के शुरूआत में भारत में मौजुद थे। इसमें समुद्रगुप्त के जित के अभियान पर लिखा गया है और तो और उसके लेखक हरिसेना को माना गया हुवा है जो समुद्रगुप्त के दरबार के सबसे महत्वपूर्ण महान कवि माने जाते थे । समुद्रगुप्त जहाँ उत्तर भारत के एक महान शासक एवं दक्षिण में उनकी पहुँच को स्वयं दक्षिण के राजा भी बराबर नहीं कर पाते थे ।

  • समुद्रगुप्त का सिक्का –

समुद्रगुप्त का ज्यादा उसे और शिलालेख के जरिये जारी किए गए उनके सिक्कों के माध्यम से समुद्रगुप्त के बारे में जाना जाता है। और इस आठ अलग अलग प्रकार के थे और सभी को शुद्ध सोने का बना दिया गया था । अपने विजय अभियान उसे सोने और भी कुषाण के साथ अपने परिचित से सिक्का बनाने विशेषज्ञता लाया।

बहुत ही शांति के रूप से, समुद्रगुप्त गुप्ता की मौद्रिक प्रणाली का पिता माना जाता है। समुद्रगुप्त ने बताया और कहा कि सिक्कों की अलग अलग प्रकार की शरुआत की थी । वे मानक प्रकार, आर्चर प्रकार, बैटल एक्स प्रकार, प्रकार, टाइगर कातिलों का प्रकार, राजा और रानी के प्रकार और वीणा प्लेयर प्रकार के रूप में जाने जायेगे वो तकनीकी और मूर्तिकला की चालाकी के लिए एक अच्छी गुणवत्ता का प्रदर्शन करते हुए सिक्कों की कम से कम तीन प्रकार की शरुआत की थी

1. आर्चर प्रकार, 2.लड़ाई-कुल्हाड़ी और 3. टाइगर प्रकार – मार्शल कवच में समुद्रगुप्त का प्रतिनिधित्व कीया था जैसे विशेषणों वीरता,घातक लड़ाई-कुल्हाड़ी,बाघ असर coins of samudragupta, उसकी एक कुशल योद्धा जा रहा है साबित होते हैं। सिक्कों की समुद्रगुप्त के प्रकार वह प्रदर्शन किया बलिदान और उसके कई जीत और दर्शाता है।

इनके बारे में भी जानिए :- शांति स्वरूप भटनागर की जीवनी

समुद्रगुप्त और सिंहल से सम्बन्ध – (achievements of samudragupta)

समुद्रगुप्त के इतिहास की बहुत सारी बातो का भी उदभव किया हुवा है । इस समय में सीलोन का महान राजा मेघवर्ण था। और राजा मेघवर्णशासन के काल में दो बौद्ध-भिक्षु बोधगया की तीर्थयात्रा के लिए आए थे। वहाँ पर उनके रहने के लिए समुचित प्रबन्ध नहीं था। जब वे अपने देश को वापिस चले गए  तो समुद्रगुप्त ने इस विषय में अपने राजा मेघवर्ण से शिकायत की। मेघवर्ण ने निश्चय किया, कि बोधगया में एक बौद्ध-विहार सिंहली यात्रियों के लिए बनवा दिया जाए।

इसकी अनुमति प्राप्त करने के लिए उसने एक दूत-मण्डल समुद्रगुप्त की सेवा में भेजा। समुद्रगुप्त ने बड़ी प्रसन्नता से इस कार्य के लिए अपनी अनुमति दे दी, और राजा मेघवर्ण ने ‘बौधिवृक्ष’ के उत्तर में एक विशाल विहार का निर्माण करा दिया। जिस समय प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्यू-त्सांग बोधगया की यात्रा के लिए आया था, यहाँ एक हज़ार से ऊपर भिक्षु निवास करते थे।

समुद्रगुप्त का वैदिक धर्म और परोपकार –

समुद्रगुप्त को ब्राह्मण धर्म के ऊपर से धारक था । लेकिन धर्म के कारण अपनी सेवाओं को इलाहाबाद के शिलालेख और उसके लिए ‘धर्म-बंधु’ की योग्यता शीर्षक का उल्लेख है। लेकिन उन्होंने कहा कि अन्य धर्मों के प्रति असहिष्णु नहीं था। उनका बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को संरक्षण और महेंद्र के अनुरोध की स्वीकृति, बोधगया में एक बौद्ध मठ का निर्माण करने के सीलोन के राजा कथन से वह अन्य धर्मों का उन्होंने साबित किया था ।

उसे (परिवहन) मकर (मगरमच्छ) के साथ मिलकर लक्ष्मी और गंगा के आंकड़े असर अन्य सिक्कों के साथ सिक्कों का समुद्रगुप्त को प्रकार ब्राह्मण धर्मों में अपने विश्वास में गवाही देने के लिए दिया गया था । समुद्रगुप्त धर्म की सच्ची भावना आत्मसात किया था और उस कारण के लिए, वह इलाहाबाद शिलालेख में (करुणा से भरा हुआ) के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘गायों के हजारों के कई सैकड़ों के दाता के रूप में’ वर्णित किया गया है।

Samudragupta Victory – (समुद्रगुप्त की विजय)

समुद्रगुप्त ने उत्तर और दक्षिण के अपना साम्राज्य ज़माने के लिये रणनीतिक योजनाओं को अपनाया। दूर के अभियानों को अपना ने से पहले, उसने पहले पड़ोसी राज्यों को अपने अधीन करने का निणर्य किया किया था ।समुद्रगुप्त के आक्रमणों में तीन अलग-अलग चरण देखने को मिलते है, मतलब आर्यावर्त में उनका पहला अभियान, दक्षिणापथ में समुद्रगुप्तका अभियान और आर्यावर्त में उसका दूसरा अभियान मन ।

उनके आक्रमणों और विजय के अलावा, समुद्रगुप्त ने भी अटाविका या वन राज्यों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने गुप्त साम्राज्य के मोर्चे पर स्थित राज्यों के साथ राजनयिक संबंध भी स्थापित किए थे उन्होंने , अंत में, दूर की विदेशी शक्तियों के साथ राजनीतिक वार्ता का आदान-प्रदान किया। पुरे उत्तर भारत में उनके सबसे अच्छे पहले अभियान में, समुद्रगुप्त ने तीन राजाओं को हराया और उन तीनो राजा ओ का साम्राज्य छीन लिया।

और वे थे, अच्युता नागा, नागा सेना और गणपति नागा। ये नागा राजा शायद गुप्तों के खिलाफ एकजुट होकर काम करते थे और समुद्रगुप्त के लिए खतरे का एक स्रोत थे। उन्होंने क्रमशः अहिच्छत्र, पद्मावती, और मथुरा के राज्यों में शासन किया। उनके साथ पहली मुठभेड़ में गुप्त सम्राट ने उसे दिखने के लिए विवश किया था । और वह उत्तर में उनके सेकंड अभियान में था, कि कुछ नए इंसान के साथ ये राजा पूरी तरह से समाप्त हो गए थे। तीन उत्तरी शक्तियों पर अपनी विजय के बाद, समुद्रगुप्त ने दक्खन में अपना अभियान शुरू किया। अपने दक्षिणी अभियानों के दौरान उन्होंने बारह राजकुमारों के रूप में कई विनम्रता दिखाई। 

समुद्रगुप्त का मथुरा पर विजय –

समुद्रगुप्त की विजय का वर्णन में जीते गये राज्यों में मथुरा भी था, समुद्रगुप्त ने मथुरा राज्य को भी अपने कब्जे में ले लिया था और मथुरा के राजा गणपति नाग को समुद्रगुप्त हराया था। उस समय में पद्मावती का नाग शासक नागसेन था,जिसका नाम प्रयाग-लेख में भी आता है। इस शिलालेख में नंदी नाम के एक राजा का नाम भी है। वह भी नाग राजा था और विदिशा के नागवंश से था। समुद्रगुप्त के समय में गुप्त साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी। इस साम्राज्य को उसने कई राज्यों में बाँटा।

राजा समुद्रगुप्त के विरोधी राजाओं के उलेख से पता चलता है गंगा-यमुना को आखिर कार दोआब ‘अंतर्वेदी’ विषय के नाम से पहचाना जात है । स्कन्दगुप्त के शाशन काल में अंतर्वेदी का शासक ‘शर्वनाग’ था ऐसा उल्लेख किया गया है । इस के पूर्वज भी इस राज्य के राजा रहे होंगे। सम्भवः समुद्रगुप्त ने मथुरा और पद्मावती के नागों की शक्ति को देखते हुए उन्हें शासन में उच्च पदों पर रखना सही समझा हो।

समुद्रगुप्त ने यौधेय, मालवा, अर्जुनायन, मद्र आदि प्रजातान्त्रिक राज्यों को कर लेकर अपने अधीन कर लिया। दिग्विजय के पश्चात् समुद्रगुप्त ने एक अश्वमेध यज्ञ भी किया। यज्ञ के सूचक सोने के सिक्के भी समुद्रगुप्त ने चलाये। इन सिक्कों के अतिरिक्त अनेक भाँति के स्वर्ण सिक्के भी मिलते है।

इनके बारे में भी जानिए :- जयंत विष्णु नार्लीकर की जीवनी

समुद्रगुप्त की अधीनता –

उनके पश्यात समुद्रगुप्त को युद्धों की आवश्यकता की नहीं हुई। इन विजयों से उसकी धाक ऐसी बैठ गई थी, कि अन्य प्रत्यन्त नृपतियों तथा यौधेय, मालव आदि गणराज्यों ने स्वयमेवअपनी अधीनता स्वीकृत कर ली थी। ये सब कर देकर, आज्ञाओं का पालन कर, प्रणाम कर, तथा राजदरबार में उपस्थित होकर सम्राट समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकृत करते थे। इस प्रकार करद बनकर रहले वाले प्रत्यन्त राज्यों के नाम हैं। 

समतट या दक्षिण-पूर्वी बंगाल –

  • कामरूप या असम
  • नेपाल
  • डवाक या असम का नोगाँव प्रदेश
  • कर्तृपुर या कुमायूँ और गढ़वाल के पार्वत्य प्रदेश।
  • निःसन्देह ये सब गुप्त साम्राज्य के प्रत्यन्त या सीमा प्रदेश में स्थित राज्य थे।

समुद्रगुप्त के साम्राज्य का विस्तार –

समुद्रगुप्त का प्रत्यक्ष प्रशासन साम्राज्य कि तरह व्यापक था। और यहाँ पर शायद पूरा उत्तर भारत शामिल था। उनके पश्यात यहाँ पर पश्चिमी पंजाब, पश्चिमी राजपुताना, सिंध, गुजरात और उड़ीसा गुप्त साम्राज्य भी शामिल नहीं थे। उसके बावजूद भी यहाँ का साम्राज्य विशाल था। पूर्व में, यह ब्रह्मपुत्र नदी के रूप में दूर तक विस्तारित था।

दक्षिण में, यह नर्मदा नदी को छू गया। उत्तर में, यह हिमालय तक पहुँच गया। ठीक ही इतिहासकार वीए स्मिथ ने समुद्रगुप्त के क्षेत्र और शक्ति कहने की सीमा को भी बताया है समुद्रगुप्त की चौथी शताब्दी की सरकार के बहुत ही अच्छे प्रभुत्व इस तरह भारत के सबसे अहम् आबादी वाले और उपजाऊ देशों में शामिल था।

यह पूर्व में ब्रह्मपुत्र से लेकर पश्चिम में जमुना और चंबल तक फैला हुआ था। उत्तर में हिमालय के पैर से लेकर दक्षिण में नर्मदा तक। ऐसे विस्तृत सीमाओं से पुरे, असम और गंगा के डेल्टा के साथ हिमालय और दक्षिणी ढलानों पर राजपुताना और मालवा की मुक्त जनजातियों के गठबंधन के समर्थन के बंधन द्वारा साम्राज्य से जुड़े थे।

दक्षिण को सम्राट की सेनाओं द्वारा उखाड़ फेंका गया था और अपनी अदम्य ताकत को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था। इस प्रकार परिभाषित किया गया साम्राज्य अब तक का सबसे बड़ा था जो कि अशोक के छह शताब्दियों पहले के दिनों से भारत में देखा गया था और इसका अधिकार स्वाभाविक रूप से समुद्रगुप्त को विदेशी शक्तियों के सम्मान के लिए मिला था। 

Samrat Samudragupta History Hindi – 

Samudragupta का विदेशी शक्तियों से संबंध –

समुद्रगुप्त ने सिर्फ गुप्त साम्राज्य की सरहद पर अपनी सीमावर्ती राज्यों की और गणराज्यों को अपने वश में कर लिया, और तो और साम्राज्य के बाहर की फोरेन का साम्राज्य के मन में भी भय पैदा कर दिया। पश्चिम और उत्तर-पश्चिम की शक्तियों के साथ-साथ दक्षिण में जैसे सिम्हाला या सीलोन के साम्राज्य ने गुप्त सम्राट को विभिन्न तरीकों से उनके सम्मान का भुगतान किया।

इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख ऐसी सेवाओं को संदर्भित करता है जैसे व्यक्तिगत संबंध, मासिक सेवा के लिए युवतियों के उपहार और भेंट समुद्रगुप्त के बहुत करीब संबंधों के प्राप्त करने की भी अपील की, इंपीरियल गुप्ता गरुड़ सील को आकर्सन करते हुए, उनके लिए अपने देश के रूप में मैत्रीपूर्ण देशों पर शासन करने की गारंटी का संकेत दिया। Samudragupta ने अपनी इच्छाओं को दोस्ताना तरीके से स्वीकार किया।

उन फोरेन की ताकत के बीच जो दोस्ती जैसे संबंधों की दिष्या में आते थे, काबुल घाटी में बाद के कुषाण शासक थे, जो अब भी खुद को दैवपुत्र-शाही-शाहानुशाही के रूप में स्टाइल करना जारी रखते थे। सुदूर उत्तर-पश्चिम में शक शासक भी थे जिन्होंने Samudragupta का पक्ष लिया था।

समुद्रगुप्त का भारतवर्ष पर एकाधिकार –

समुद्रगुप्त का शाशन काल भारतीय इतिहास में `दिग्विजय` नाम के जित की खुशी के लिए विख्यात माना जाता ना है Samudragupta ने मथुरा और पद्मावती के नाग राजाओं को पराजित कर उनके राज्यों को अपने अधिकार में ले लिया। उसने वाकाटक राज्य पर विजय प्राप्त कर उसका दक्षिणी भाग, जिसमें चेदि, महाराष्ट्र राज्य थे, वाकाटक राजा रुद्रसेन के अधिकार में छोड़ दिया था।

उसने पश्चिम में अर्जुनायन, मालव गण और पश्चिम-उत्तर में यौधेय, मद्र गणों को अपने अधीन कर, सप्तसिंधु को पार कर वाल्हिक राज्य पर भी अपना शासन स्थापित किया। समस्त भारतवर्ष पर एकाधिकार क़ायम कर उसने `दिग्विजय` की। समुद्र गुप्त की यह विजय-गाथा इतिहासकारों में ‘प्रयाग प्रशस्ति` के नाम से जानी जाती है।

समुद्रगुप्त का अश्वमेध यज्ञ –

पुरे भारत में अबाधित राज किया था और बहुत बड़ी जित को ख़त्म कर के Samudragupta ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजान किया और यज्ञ में विराज मान हुई थे । शिलालेखों में उसे ‘चिरोत्सन्न अश्वमेधाहर्ता’ और ‘अनेकाश्वमेधयाजी’ कहा गया है।Samudragupta ने अश्वमेधो में केवल एक पुरानी परिपाटी का ही उलेख नहीं किया बल्की इस अवसर से बेनिफिट लेकर कृपण, दीन, अनाथ और आतुर लोगों को भरपूर सहायता देकर उनके उद्धार का भी प्रयत्न किया गया था।

प्रयाग की प्रशस्ति में इसका बहुत स्पष्ट संकेत है। समुद्रगुप्त के कई सिक्कों में अश्वमेध यज्ञ का भी चित्र बताया गया है। samudragupta coins अश्वमेध यज्ञ के उपलक्ष्य में ही जारी किया गया था। Samudragupta के सिक्कों में एक तरफ़ जहाँ यज्ञीय अश्व का चित्र है, और वहीं दूसरी तरफ़ अश्वमेध की भावना को इन सुन्दर शब्दों में प्रकट किया गया है  ‘राजाधिराजः पृथिवीमवजित्य दिवं जयति अप्रतिवार्य वीर्य राजाधिराज पृथ्वी को जीतकर अब स्वर्ग की जय कर रहा है, उसकी शक्ति और तेज़ अप्रतिम है। 

इनके बारे में भी जानिए :- नरेंद्र मोदी की जीवनी

Samudragupta का प्रशस्ति गायन –

भारत के दक्षिण एवंम पश्चिम के बहुत से राजा Samudragupta के अस्तित्व में थे, और उसे बहुत ही अच्छे भेट पहुंचाकर उन्हें खुश रखते थे। और ऐसे तीन महान राजाओं का तो समुद्रगुप्त प्रशस्ति में उल्लेख भी किया गया है।ये ‘देवपुत्र हिशाहानुशाहि’, ‘शक-मुरुण्ड’ और ‘शैहलक’ हैं। दैवपुत्र शाहानुशाहि से कुषाण राजा का अभिप्राय है। शक-मुरुण्ड से उन शक क्षत्रपों का ग्रहण किया जाता है,

जिनके अनेक छोटे-छोटे राज्य इस युग में भी उत्तर-पश्चिमी भारत में विद्यमान थे। उत्तरी भारत से भारशिव, वाकाटक और गुप्त वंशों ने शकों और कुषाणों के शासन का अन्त कर दिया था। पर उनके अनेक राज्य उत्तर-पश्चिमी भारत में अब भी विद्यमान थे। सिंहल के राजा को सैहलक कहा गया है। इन शक्तिशाली राजाओं के द्वारा Samudragupta का आदर करने का प्रकार भी प्रयाग की प्रशस्ति में स्पष्ट रूप से लिखा गया है।

समुद्रगुप्त का एक अनुमान –

Samudragupta ने बिना भरोशा किये भारतीय हिस्टरी के सबसे महान राजा में से एक है समुद्रगुप्त ने एक सैनिक,और योद्धा संस्कृति के संरक्षक के रूप में, वह भारत के शासकों के बीच प्रतिष्ठित है। कुछ लोग उन्हें गुप्त वंश का सबसे बड़ा सम्राट मानते हैं। समुद्रगुप्त की महानता भारत के एकीकरण के लिए एक योद्धा के रूप में Samudraguptaकी साहसी भूमिका में थी। इस संबंध में, उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य samudragupta maurya की भूमिका को दोहराया।

वह भारत के उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से पर एक शाही सत्ता के राजनीतिक आधिपत्य को स्थापित करने में सफल रहे। अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण में,  जबकि उन्होंने ऊपरी भारत के अधिकांश हिस्सों को अपने प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत एक ठोस राजनीतिक इकाई में परिवर्तित कर दिया, उन्होंने दक्खन, सीमांत राज्यों और जनजातीय क्षेत्रों को अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के साथ उन पर एक निश्चित प्रभाव के साथ रखा।

समुद्रगुप्त भारत के नेपोलियन –

उपाधियां की बात करे तो समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता था। कला इतिहासकार और स्मिथ ने उनकी जित के लिए भारत के नेपोलियन के रूप में संदर्भित किया है। माना की कई अलग इतिहासकार इस तथ्य को कोय नहीं मानते थे, लेकिन नेपोलियन की तरह वह कभी पराजित नहीं हुये न ही निर्वासन या जेल में गये थे। उन्होंने 380 ईस्वी से अपनी मृत्यु तक गुप्त राजवंश पर शासन किया। 

समुद्रगुप्त की मुत्यु –

महाराजा समुद्रगुप्त की मृत्यु कब हुई ? और samudragupta death को लेकर कोय ज्ञात जानकारी मिलती नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता हे की उनकी शासनावधि ल. 335/350-380 तक की माने जाती है उन्होंने 380 ईस्वी से अपनी मृत्यु तक गुप्त राजवंश पर शासन किया।

Samudragupta Facts –

  • गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहते हैं ?
  • भारतीय के इतिहास में गुप्तकाल को स्वर्ण युग माना गया है क्यों की गुप्तकाल में भारतीय विज्ञान से लेकर साहित्य, स्थापत्य तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में नये प्रतिमानों की स्थापना की गई जिससे यह काल भारतीय इतिहास में ‘स्वर्ण युग’ के रूप में जाना गया।
  • समुद्रगुप्त का शासनकाल भारत के लिये सोने का ( स्वर्णयुग ) की शुरूआत कही जाती है
  • समुद्रगुप्त को युद्धों की आवश्यकता की नहीं हुई। इन विजयों से उसकी धाक ऐसी बैठ गई थी, कि अन्य प्रत्यन्त नृपतियों तथा यौधेय, मालव आदि गणराज्यों ने स्वयमेवअपनी अधीनता स्वीकृत कर ली थी। 
  • यूरोप का समुद्रगुप्त कौन था (who was samudragupta) बहरहाल समुद्रगुप्त के पराक्रम और विजय अभियानों के कारण कुछ लोग उनकी तुलना नेपोलियन से करते हैं और इसी आधार पर नेपोलियन को यूरोप का समुद्रगुप्त कहा जा सकता है। 

इनके बारे में भी जानिए :- जेम्स वाट की जीवनी हिंदी में

Samudragupta Question –

1 .गुप्त वंस के पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती कोन थे ?

पूर्ववर्ती चन्द्रगुप्त प्रथम  ,उत्तरवर्ती चन्द्रगुप्त द्वितीय या रामगुप्त है। 

2 .भारतीय इतिहास में कौन सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है ?

भारतीय इतिहास में गुप्त काल को स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है

3 .समुद्रगुप्त की विजय यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

समुद्रगुप्त की विजय यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत में राष्ट्रीय एकता की स्थापना करना था। 

4 .समुद्रगुप्त ने कब तक शासन किया ?

समुद्रगुप्त ने करिबन (राज 335/350-380)

5 .गुप्त वंश का अन्तिम शासक कौन था ?

कुमारगुप्त तृतीय गुप्त वंश का अन्तिम शासक था।

6 .गुप्त वंश के बाद कौन सा वंश आया ?

गुप्तों के पतन के बाद हूण, मौखरि, मैत्रक, पुष्यभूति और गौड का शाशन आया। 

7 .कौन सा ग्रंथ गुप्त काल में रचा गया ?

हितोपदेश व पंचतंत्र की रचना भी गुप्त काल में हुई है

8 .दक्षिण में समुद्रगुप्त की नीति क्या थी ?

उत्तर भारत के राजाओं का विनाश कर उनके राज्यों को अपने साम्राज्य में मिला लिया

9 .समुद्रगुप्त ने कलिंग पर कब आक्रमण किया था ?

समुद्रगुप्त ने कलिंग पर 350 – 418 ई. में आक्रमण किया था

10.गुप्त काल का सबसे प्रसिद्ध वेद कौन था ?

इतिहास का सर्वप्रमुख स्त्रोतअभिलेख है। जिसे ‘प्रयाग-प्रशस्ति’ कहा जाता है।

11 .गुप्त काल की सबसे प्रसिद्ध स्त्री शासिका कौन थी  ?

गुप्त काल की सबसे प्रसिद्ध स्त्री शासिका प्रभावती गुप्त थी

12 .समुद्रगुप्त का दूसरा नाम क्या था ?

समुद्रगुप्त का दूसरा नाम जावा पाठ में तनत्रीकमन्दका के नाम से प्रकट है

13 .समुद्र्गुप्त के माता -पिता का नाम क्या था ?

समुद्र्गुप्त के पिता का नाम चन्द्रगुप्त प्रथम था और माता का नाम कुमारादेवी था

14 .समुद्रगुप्त का दरबारी कवि कौन था ?

समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिसेन था

15 .समुद्रगुप्त का पुत्र कौन है ?

समुद्रगुप्त का पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय था

16 .समुद्रगुप्त की पत्नी कौन है ?

समुद्रगुप्त की पत्नी दत्तदेवी थी

17 .समुद्र्गुप्त का घराना क्या था ?

समुद्र्गुप्त का घराना गुप्त राजवंश था। 

Conclusion –

आपको मेरा Samudragupta Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये samudragupta father और samudragupta empire map से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Read More >>

Bhagwati Charan Vohra biography In Hindi - भगवती चरण वोहरा की जीवनी

Bhagwati Charan Vohra biography In Hindi – भगवती चरण वोहरा की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Bhagwati Charan Vohra biography In Hindi में भारत के एक महान क्रन्तिकारी भगवती चरण वोहरा की जीवनी बताने वाले है। 

उन्होने अपने विचारो से भारत के कई लोगों को क्रांतिकारी विचारों का प्रचार-प्रसार के लिए तैयार किया और एक ‘अध्ययन केन्द्र’ बनाया था आज हम bhagwati charan vohra books ,durgawati deviऔर bhagwati charan vohra death की जानकारी बताने वाले है। वह एक महान क्रांतिकारी थे ,इनके पिता शिव चरण वोहरा रेलवे के एक उच्च अधिकारी थे। इस के पश्यात वे आगरा से लाहौर चले गये थे। 

भारत देश को आजाद करने के लिए कई लोगो ने अपना बलिदान दिया है किसी ने अपना धन दिया तो कीसीने अपनी जान देदी कई लोगो को बिना जुर्म किये जेल की सजा भी दी गई थी तो कई लोगो को फांसी पर भी चढ़ा दिया गया था ऐसे ही एक क्रान्तिकार की हम आज बात करने वाले है जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से भारत को आजादी दिलाने में सहयोग दिया है तो चलिए शुरू करते है। 

Bhagwati Charan Vohra biography In Hindi –

  नाम   भगवती चरण होरा 
  जन्म   15 November 1903
  जन्मस्थान   आग्रारा
  पिता   शिव चरण वोहरा
  पत्नी   दुर्गा 
  मृत्यु   28 मई 1930

भगवती चरण वोहरा की जीवनी –

उनका का जन्म आग्रारा में हुआ था , इनका पूरा परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न था। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में हुई। उन्हीका विवाह छोटी से तभी कर दिया गया था , उनकी पत्नी का नाम दुर्गा था। कुछ दिन बाद वे दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया ” दुर्गा भाभी ” सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।

भगवती चरण होरा एक महान क्रांतिकारी थे | और उन्होने इन लोगों ने क्रांतिकारी विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए एक ‘अध्ययन केन्द्र’ बनाया था , भगवती चरण वोहरा का जन्म आग्रारा में हुआ था। इनके पिता शिव चरण वोहरा रेलवे के एक उच्च अधिकारी थे। इस के पश्यात वे आगरा से लाहौर चले गये थे। 

इस के बारे में भी जानिए :- समुद्र्गुप्त की जीवनी

Bhagwati Charan Vohra ने पढाई छोडदी- 

लाहौर नेशनल कालेज में शिक्षा के दौरान भगवती चरण ने रुसी सभी क्रांति करो की सलाह लेकर उन सभी से प्रेरणा लेकर छात्रो की एक अध्ययन मण्डली का गठन किया था। कई लोग पूछते है की Why did bhagwati charan vohra study ? उनको बतादे की राष्ट्र की परतंत्रता और उससे आज़ाद होने से वे प्रश्न पर केन्द्रित इस अध्ययन मण्डली में नियमित रूप से शामिल होने वालो में भगत सिंह, सुखदेव आदि प्रमुख थे। 

इसके बाद वे चलकर इन्ही लोगो ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की।जब पढ़ाई चल रही थी तभी ई.स 1921 में ही भगवती चरण गांधी जी के आह्वान पर पढाई को बिच में ही छोड र्दी और असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे। इसी कारन उन्होंने अपनी पढाई छोड़ दी थी। 

असहयोग आन्दोलन वापस होने के बाद पढाई पूरी की –

इसके बाद आन्दोलन वापस आने के बाद भगवती चरण होरा उन्होंने उनकी कालेज की पढाई पूरी कर दी। बीए कि परीक्षा पास की साथ ही नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाया । वे सभा के जनरल सेक्रेटीके भगत सिंह और प्रोपेगंडा वहेंचणी सेक्रेटी के भगवती चरण में था । अप्रैल 1928 में नौजवान भारत की सभा का पत्र सामने लाया गया ।

भगत सिंह सभी साथीदार बात लेकर मसविदे को पूरा हो जाने से सभी काम भगवती चरण वोहरा ने सभाला था । सभी नौजवान भारत सभा के लोगो में भगवती स्मरण और भगत सिंह का ही प्रमुख हाथ था। भगत सिंह के अलावा वे ही संगठन के प्रमुख और सिद्धांतकार थे। क्रांतिकारी विचारक, एकठा , वक्ता, प्रचारकर्ता, आदर्श के प्रति निष्ठा व प्रतिबधता तथा उसके लिए हारते हुवे भी हिम्मत – हौसला ताकत आदि वो भगवती चरण में भी था ।

किसी काम को पूरा करने के बाद मनोयोग के साथ पूरा हो जाने से भगवती चरण परेशान थे । 1924 में प्रशिद्ध क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल “भारत देश – प्रजातीय संघ के घोषणा पत्र – दि रिवोल्यूशनरी” को 1 जनवरी 1925 को व्यापक से विपरीत करने की प्रमुख हक़दारी भगवती चरण पर ही थी। जिसे बखूबी पूरा कर दिखाया इसके वे बाद के दौर में उनके साथियो में भगवती चरण के बारे में सदेश फैलाया गया आदमी है और उससे कोई भी काम पूरा कर पाते हैं।

Bhagwati Charan Vohra पर आरोप –

वैसे आरोपों को लगाने के पीछे का हाथ उस समय जूथ में आये वे लोग थे। जिन्हें किसी काम का जोखिम नहीं उठाना था , भी वे लोग बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी भगवती चरण पर आरोप लगाकर न केवल खुद नेता में आना चाहते थे। तब भी क्रांतिकरि पूछताश पर रोक भी लगाना चाहते थे। वैसे व्यक्ति का यह विचार भी था। कि सभा के काम को आपसी बहस, मुबाहिसा, प्रचार और पैसा जमा करने के काम तक सीमित कर दिया जाए।

भगवती चरण पर सी० आई० डी० का आरोप लगाने वालो में प्रमुख सज्जन जयचन्द्र विद्यालंकार थे। वे उन दिनों नेशनल विद्यापीढ़ के होनर भी थे। जवान क्रांतिकारी सभी पर इनके पद, ज्ञान व विद्वता कि डर भी थी। भगवती चरण इसे आरोपों से बिना डरे बिना हुए क्रांतिकारी कार्यो को आगे बढाने में लगे रहे थे। उनका कहना था कि ” जो दुगना है उसे करते जाना उनका काम है। सफाई देना और नाम बनाना उनका कर्तव्य है।

इस के बारे में भी जानिए :- दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी

नौजवान भारत सभा की स्थापना –

लाहौर नेशनल कालेज में शिक्षा के दौरान भगवती चरण ने रुसी सभी क्रांति करो की सलाह लेकर उन सभी से प्रेरणा लेकर छात्रो की एक अध्ययन मण्डली का गठन किया था। राष्ट्र की परतंत्रता और उससे आज़ाद होने से वे प्रश्न पर केन्द्रित इस अध्ययन मण्डली में नियमित रूप से शामिल होने वालो में भगत सिंह, सुखदेव आदि प्रमुख थे। इसके बाद वे चलकर इन्ही लोगो ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की।जब पढ़ाई चल रही थी तभी ई.स 1921 में ही भगवती चरण गांधी जी के आह्वान पर पढाई को बिच में ही छोर र्दी असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे।

भगवती चरण वोहरा ने हत्याएं की थी –

लखनऊ के काकोरी मामला, लाहौर षड्यंत्र केस और फिर लाला लाजपत राय जिन अंग्रेज ने मारा था इस अंग्रेज को भी भगवती चरण ने मोत के घाट उतार दिया था सार्जेंट – सांडर्स की हत्या में भी उनका हाथ था ,परंतु वो इतना आरोप होते उए भी आज तक वो कभी भी गिरफ्तार नही हुए पर न तो कभी पकड़े गये और न ही क्रांतिकारी कार्यो को करने से उन्होंने अपना पैर कभी भी वापस नही खीचा।

इस बात का सबूत यह है कि इतने आरोपों से घिरे होने के बाद भी भगवती चरण ने स्पेशल ट्रेन में बैठे वायसराय को चालू रेलवे में ही मार देने का भरपूर प्रयास किया। इस काम में यशपाल, इन्द्रपाल, भागाराम उनके साथ ओर वें उनके काम मे सहयोगी थे। काफी महीने भरपुर ओर की तैयारी के बाद नियत तिथि पर चलती स्पेशल ट्रेन के नीचे बम-बिस्फोट भी किया वो कामयाब भी हो गये। परन्तु वायसराय बच जाता है । ट्रेन में खाना बनाने और खाना खाने वाला डिब्बा खड़ा हो गया और उसमे एक व्यक्ति कि मौत हो गयी।

इस के बारे में भी जानिए :- शांति स्वरूप भटनागर की जीवनी

Bhagwati Charan Vohra Death –

भगवती चरण वोहरा एक दिन नदी तट पर बोम्ब का परीक्षण कर रहे थे उस समय बोम्ब भगवती चरण वोहरा के हाथ मे फट जाता है और उनकी मुत्यु हो जाती है।

भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय वीडियो –

Bhagwati Charan Vohra Fact –

  • नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाया । वे सभा के जनरल सेक्रेटीके भगत सिंह और प्रोपेगंडा वहेंचणी सेक्रेटी के भगवती चरण में था ।
  • उनके पिताजी पैसा उधार देना का काम करते थे। 
  • षड्यंत्र केस और फिर लाला लाजपत राय जिन अंग्रेज ने मारा था इस अंग्रेज को भी भगवती चरण ने मोत के घाट उतार दिया था
  • 1921 में ही भगवती चरण गांधी जी के आह्वान पर पढाई को बिच में ही छोड र्दी और असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे।

इस के बारे में भी जानिए :- जयंत विष्णु नार्लीकर की जीवनी

भगवती चरण वोहरा के कुछ प्रश्न –

1 .भगवती चरण होरा का जन्म कब और कहा हुआ था ?

भगवती चरण होरा का जन्म ई.स 4 जुलाई 1904 आग्रारा में हुवा था

2 .भगवती चरण होरा के पिता क्या काम करते थे  ?

भगवती चरण होरके पिता राय साहब पंडित शिवचरण लाल और वे रेल्वें में काम करते थे साथ ही वो लोगो को पैसा उधार देना का काम करते थे|

3 .असहयोग आन्दोलन वापस होने के बाद पढाई क्यों पूरी की ?

असहयोग आन्दोलन वापस होने के बाद नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाने के लिए उन्होंने पढाई पूर्ण की थी। 

4 .भगवती चरण होरा का जन्म कब और कहा हुवा था ?

भगवती चरण होरा का जन्म ई.स 4 जुलाई 1904 आग्रारा में हुवा था। 

5 .भगवती चरण होरा के पिता क्या काम करते थे ?

उनके पिता राय साहब पंडित शिवचरण लाल और वे रेल्वें में काम करते थे साथ ही वो लोगो को पैसा उधार देना का काम करते थे। 

6 .भगवती चरण वोहरा की मुत्यु कैसे हुई ?

बोम्ब का परीक्षण करते समय भगवती चरण वोहरा के हाथ मे फट जाता है और उनकी मुत्यु हो जाती है।

इस के बारे में भी जानिए :- नरेंद्र मोदी की जीवनी

Conclusion –

आपको मेरा Bhagwati Charan Vohra biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये sachindra vohra और bhagwati charan vohra cause of death से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Read More >>

Begum Hazrat Mahal Biography In Hindi - बेगम हज़रत महल की जीवनी परिचय

Begum Hazrat Mahal Biography In Hindi | बेगम हज़रत महल का जीवन परिचय

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Begum Hazrat Mahal biography in hindi में बेहतरीन कुशल रणनीतिकार योद्धा बेगम हजरत महल का जीवन परिचय बताने वाले है। 

आज the real name of begum hazrat mahal , begum hazrat mahal speech और begum hazrat mahal lucknow का कार्य की जानकारी बताने वाले है। वह पहले मुहम्मदी खानुम के नाम से जानि जाती थी , बेगम हजरत महल का जन्म भारत में अवध राज्य के फैजाबाद में करीबन ई.स1820 हुआ था। वे पेशे से गणिका थीं और जब उनके माता-पिता ने उन्हें बेचा तब वे शाही हरम में एक खावासिन के तौर पर आ गयीं। इसके बाद उन्हें शाही दलालों को बेच दिया गया जिसके बाद उन्हें परी की उपाधि दी गयी और वे ‘महक परी’ कहलाने लगीं।

Begum of awadh (हजरत महल) की उपाधि उनके बेटे बिरजिस कादर के जन्म से ही मिली हुई थी। Begam hajrat mahal ने विनम्र स्वभाव और बहुत ही खूबसूरत थी।लेकिन उनका नेतृत्व, युद्ध कौशल और गुण भी अजीब मौजूद थे। बेगम हजरत महल एक बेहतरीन कुशल रणनीतिकार योद्धा थी। यह खूबियां अंग्रेजों के खिलाफ भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान से साफ दिखाई देती हैं , चलिए शुरू करते है begum hazrat mahal in hindi की सम्पूर्ण जानकारी। 

Begum Hazrat Mahal Biography In Hindi –

 नाम

 बेगम हज़रत महल (Begum hazarat mahal)

 

 बचपन का नाम

 मुहम्मदी खानुम

 जन्म

 1 फैज़ाबाद, अवध, भारत

 निधन

 7 अप्रैल 1879 (आयु 59)

 निधन स्थल

 काठमांडू, नेपाल

 पती

 वाजिद अली शाह

 पिता

 गुलाम हुसैन

 बेटा

 बिरजिस क़द्र

 प्रसिद्धि

 वीरांगना

 नागरिकता

 भारतीय

 अन्य जानकारी

 लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया था।

 

 धर्म

 शिया इस्लाम

बेगम हज़रत महल का जीवन परिचय

Begam hazrat mahal in hindi  ज्ञात करदे की अंग्रेओ को धुल चटाने में और भारत को आज़ाद करने के लिए कई सारे क्रांतिकारी वीर पुरुषों ने अपना – अपना योगदान दिया हुआ है और अपनी धन – दौलद रुपया मालमिलकत सबकुछ न्योछावर कर दिया था। ऐसे ही Begam hazrat महल सैन्य और युद्ध कौशल में निपुण योद्धा महिला थी , जो खुद युद्ध के मैदान में उतरकर अपने सैनिको को शिक्षा देती थी औरलड़ाई में जित प्राप्ति के लिए उनका हौसलाबढ़ाया करती थी ,उनके अंदर एक आदर्श और कुशल शासक के सारे गुण मौजूद थे। 

इसके बारे में भी जानिए :- भगवती चरण वोहरा की जीवनी

बेगम हजरत महल का देह लालित्य केसा था

Hazrat Begum Mahal का सुंदर रुप भी हर किसी को मोहित कर लेता था, वहीं एक बार जब अबध के नवाब ने उन्हें देखा तो वे उनकी सुंदरता पर लट्टू हो गए ,और उन्हें अपने शाही हरम में शामिल कर लिया और फिर बाद में अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने उन्हें अपनी शाही रखैल से Begam (beegum) बना लिया। इसके बाद उन्होंने बिरजिस कादर नाम के पुत्र को जन्म दिया। फिर उन्हें ‘हजरत महल’ की उपाधि दी गई। begum hazrat mahal original name मुहम्मदी खानुम था। 

बेगम हजरत महल की स्वातंत्र सैनानी की भूमिका

भारत वीर यौद्धाओ की जन्म भूमि रहा है। भारत को अंग्रेजी शासन से आजाद करवाने की लड़ाई में उनकी बहादुरी के लिए रानीलक्ष्मीबाई,अरुणा असफ अली सरोजिनी नायडू, सावित्री बाई फुले भारत वीरागंनाओं की जन्म भूमि रही है। और वीर महिलाओं का नाम लिया जाता हैं, वहीं ऐसे ही क्रांतिकारी महिलाओं में Begum hazrath mahal का भी नाम शामिल है। बेगम हजरत महल 1857 में हुई आजादी की पहले युद्ध में अपनी बेहतरीन ओर कुशल संगठन शक्ति बहादुरी से अंग्रेज शासन के छक्के छुड़ा दिए थे।

सावित्री बाई फुले लखनऊ को अंग्रेजों से बचने के लिए एक बहादुर और जाबांज योद्धा की तरह युद्ध लड़ी थी और सभी प्रकारके क्रांतिकारी कदम उठाकर ब्रिटिश शासन को अपनी शक्ति का परिचय दिखा था ।अवध के शासक वाजिद अली शाह की पहली पत्नी [बेगम] थी, जिन्हें अवध की महारानी ओर आन-बान शान मानते थे। 

बेगम हजरत महल . 1857 के विद्रोह का नेतृत्व कैसे किया

ब्रिटिश हुकूमत के सामने महिला क्रांतिकारियों ने भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम किया उसमे महा रानीलक्ष्मी बाई ,सावित्रीबाईफूले,और अरुणा असफअली महिला क्रन्तिकारी यौद्धाओ का नाम उभर कर इतिहास के पन्नो पर आ ही जाता है। इतिहास के पन्नो पर बेगम हज़रत महल का नाम भी आता है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपना सब कुछ लुटवा कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अपनी वीरता और कुशल नेतृत्व से अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

बेगम हज़रत महल का जन्म फैजाबाद जिले में अवध प्रान्त मे 1820 में हुआ था। उनके बाल्यावस्था का नाम मुहम्मदी खातून था।  बेगम हजरत महल पेशे से गणिका थीं। उसके माता-पिता ने उन्हें बेचा तब वे शाही हरम में एक रखैल [वैश्या] के तौर पर आ गयीं थी । लखनऊ के विध्वंश के बाद भी बेगम हजरत महल के पास कुछ वफ़ादार यौद्धा और उनके पुत्र विरजिस क़द्र थे।

1 नवम्बर 1858 को महारानी विक्टोरिया ने अपनी घोषणा से ईस्ट इंडिया कंपनी का ब्रिटिश शासन भारत में समाप्त कर उसे अपने हाथो में ले लिया। कहा गया की रानी सब को उचित मान सम्मान देगी। किन्तु बेगम हजरत महल ने रानी विक्टोरिया की घोषणा का विरोध किया था। उन्होंने प्रजा को उसकी खामियों से परिचित करवाया। लखनऊ में करारी हार के बाद वह अवध के देहातों में चली गईं और वहाँ से भी क्रांति की चिंगारी चरम सिमा तक सुलगाई। बेगम हज़रत महल और महा रानी लक्ष्मीबाई के सैनिक छावनी में तमाम महिलायें शामिल हुई थीं।

महिला सैनिक की ट्रेनिंग

लखनऊ में बेगम हज़रत महल की महिला सैनिक छावनी का नेतृत्व रहीमी के हाथों से हुआ था, जिसने फ़ौजी वेष अपनाकर तमाम महिलाओं को तोप गोले और बन्दूक चलाना सिखा दिया था । रहीमी की अग्रतामे में इन महिलाओं ने अंग्रेज़ों से जमकर यूद्ध किया था लखनऊ की हैदरीबाई तवायफ के यहाँ तमाम अफसर अंग्रेज आते थे और कई वक्त क्रांतिकारियों के ख़िलाफ़ योजनाओं पर बातचित किया करते थे।

हैदरीबाई ने अपनी देशभक्ति का अच्छा परिचय देते हुये इन महत्त्वपूर्ण सूचनो को क्रांतिकारियों तक पहुँचाया था और बाद में हैदरीबाई भी रहीमी के सैनिक दलो में शामिल हो गयी थी । बेगम हज़रत महल ने जब संभव था तब तक अपनी पूरा जोर ओर ताकत लगाकर अंग्रेज़ों का मुकाबला किया था । उसने हथियार निचे रख कर नेपाल जाकर शरण लेनी पड़ी थी ।

बेगम हजरत ने लड़ते-लड़ते थक चुकीथी और वह चाहती थी कि किसी तरह भारत छोड़ कर चली जाये । नेपाल देश के महाराजा जंग बहादुर ने उनको शरण दी थी। जो अंग्रजो के मित्र बने थे। बेगम हजरत अपने बेटे बिरजिस के साथ नेपाल चली गई और वहीं उनका निधन हो गया था । आज भी उनकी क़ब्र का मकबरा उनके त्याग व बलिदान ओर वीरताकी की अमर याद दिलादेती है। 

इसके बारे में भी जानिए :- समुद्र्गुप्त की जीवनी

बेगम हजरत महल का बेटा बिरजिस क़द्र

बिरजिस क़द्र का जन्म 20 अगस्त 1845 और मृत्यु 14 अगस्त 1893 को हुईथी बेगम हजरत महल और वाजिद अली शाह का पुत्र था उनके कुछ विषयों मे 1857 के भारतीयो विद्रोह विग्रहमें भारत में अंग्रेज की सैन्य उपस्थिति लड़ी थी। राजकुमार बिरजीस कदर ने प्रतिवादी ब्रिटिश सेना के काठमांडू में शरण मांगी थी , जिसने महाराजा और उनकी मां बेगम हजरत महल से अवध को नियंत्रण किया। वह जांग बहादुरराणा के प्रशासन के दौरमें बहोतमूल्य गहने के खिलाफ अंग्रेजों से निकासी से बनाए रखने के लिए कामयाब रहे।

वह कोलकाता जानेसे पहले सतरा साल तक काठमांडू में रहते थे। क्वाड्र भी एक बेनुम शायर था जिसने काठमांडू में कई जगह ताराही महाफिल ई मुशैराका आयोजन कराया था, जिसे उनके समकालीन ख्वाजा नेमुदाद्दीन बदाखशी ने दर्ज किया था। 1995 में काठमांडू के प्रोफेसर अब्दुर्राफ ओर दूसरे आदिल सरवर नेपाली ने उनकी माजलिस ई मुशलीराह का रिकॉर्ड हासिल किया और नेपाल में उर्दू शैरी के काम में प्रकाशित किया था। 

बेगम हजरत महल की मदद राजा जयलाल सिंह कैसे की

हजरत महल ने भले ही राजधानी में प्रशासन की डोर संभाली किन्तु युद्ध में स्वयं ही हाथी पे सवार होकर बेगम हजरत हिस्सा लेती रहती थीं, लेकिन यह भी सच था कि उनके पास युद्ध का कोईभी प्रकार का अनुभव नहीं रहा था। ऐसे में सेना को देखने का काम राजा जयलाल सिंह के पास हुआ करता था और आम जनता से लड़ाके तैयार करने का कार्य मौलवी अहमद उल्लाह शाह का था ।

इस दीर्घकालीन के दो सिपाही तब अपनी तलवारों को अंग्रेजों का खून पिलाते रहते थे , जब तक कि नगर में गद्दारों को पूरी तरह दबाया नहीं था । महा राजा जयलाल सिंह आजमगढ़ के नाजिम रहा करते थे। वे नवाब की सेना के सेनापति बनकर युद्धो में हिस्सा ले रहे थे। उनके साथ पिताजी राजा दर्शन सिंह और भाईश्री राजा रघुबर दयाल भी गदर के महा नायकों में से थे।

रणनीति ओर युद्धकौशल बनाने में राजा जयलाल सिंह पर यह जिम्मेदारीया थी कि वे कहा कब और कितनी टुकड़ी तैनात करेंगे , जिससे नगर के भीतर अंग्रेज अफसर प्रवेश न कर दे । इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन ने बताया हैं की राजा जयलाल सिंह क्षत्रिय कुर्मी थे। वह बेहतरीन तलवारबाज और कुशल बेहतरीन ओर रणनीतिकार भी। यही वजह है कि गिनती के सैनिक होने के बावजूद उन्होंने लंबे समय तक अंग्रेजों को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया था ।

आलमबाग का युद्ध

आलमबाग के यूद्ध के दौरान जब क्रातिकारियों की छावनी सेना के पांव उखड़ने लगे।

तब राजा जयलाल सिंह को तालकटोरा की तरफ का हिस्सा बाचने को कहा गया।

वह पूरी तरह वहा डटे रहे और ऐसी योजना बनाई थी।

कि जल्द से उधर से अंग्रेजों को खदेड़कर उस ओर ले जाएं।

जहा से विद्रोही सैनिकों को संगठित किया जा सके अंतत: वह अपनी योजना में सफल रहे।

और आलमबाग का युद्ध क्रातिकारियों के पक्ष में गया।

इसके बारे में भी जानिए :- दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी

बेगम हजरत महल की धार्मिल एकता

वाजिद अली शाह ने तलाक़ दे दिया तो अकेले ही अंग्रेजों पर हमला कर दिया जो अंग्रेजों के दबाव में भी क़ौमी एकता की मिसाल बनाई थी। वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने अवध के शासन से उतार दिया था. उनके साथ उनकी मां और दो ख़ास बेगमें कलकत्ता के लिए निकल पड़े थे , बेगम हज़रात महल ने तकरीबन दस महीनों तक अवध राज़ पर राज किया। अंग्रेजों के खिलाफ साथ देने वालों में थे। 

आजमगढ़ के महाराजा राजा जयलाल सिंह, पेशवा नाना साहिब. उन्हीकी मदद से बेगम हज़रत महल ने अंग्रेजों को धूल चटाई। बेगम मानटी थी कि रोड बनवाने के लिए मंदिर और मस्जिद तोड़े जा रहे हैं वो ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरी सड़कों पे उतारे जा रहे हैं ओर ये कैसे मान लिया जाए कि अंग्रेज हमारे धर्म के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे , बेगम हजरत महल हिन्दू मुस्लिम एकता की बेनुम मिसाल थी।

बेगम हजरत महल की छात्रवृत्ति योजना – Begum Hazrat Mahal National Scholarship

हजरत महल छात्रवृति में अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को मासिक रूप से मदद राशि दीजाती है।

बल्कि वे अध्यन की प्रक्रिया को आगे भी चालू रख सकते है।

इस छात्रवृति के लिए मौलाना आजाद शिक्षा फाउंडेशन एक नोडल विभाग के रूप में योजना बना रहे है|

इस छात्रवृति का लाभ केवल अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों यानी

मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी से संबंधित छात्राएं ही ले पाती हैं।

begum hazrat mahal scholarship योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक

मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कक्षा – 9 व 10 के लिए 5000/- रुपये तथा

कक्षा 11 व 12 के लिए 6000/- रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दिए जाते हैं|

बेगम हज़रत महल पार्क – Begum Hazrat Mahal Park

बेगम हज़रत महल का मक़बरा जामा मस्जिद, घंटाघर के नजदीक काठमांडू के बिच में स्थित है, जानीता दरबार मार्ग से नजदीक है। इसकी देखभाल जामा मस्जिद केंद्रीय समिति ने की है।15 अगस्त 1962 को महल को महान विद्रोह में उनकी भूमिका के लिए लखनऊ के हज़रतगंज के पुराने विक्टोरिया पार्क में सम्मान दिया गया था। पार्क के नामकरण के साथ, एक संगमरमर स्मारक का बनावट किया गया था, जिसमें अवध शाही परिवार के शस्त्रों के कोट और चार गोल पीतल के टुकड़े वाले संगमरमर के टैबलेट मौजूद थे।

पार्क का इस्तेमाल रामशिला, दसहरा के दौरान, साथ ही लखनऊ महोत्सव (लखनऊ प्रदर्शनी) के उस समय किया जाता है। बेगम हजरत महल पार्क को अवध के आखिरी नवाब, नवाब वाजिद अली शाह की बेगम की स्‍म‍ृति में उनके नाम पर ही बनवाया गया था। यह पार्क शहर के केंद्र में होटल क्‍लॉर्क अवध के पास में खडा है। जब नवाब को कलकत्‍ता भेज दिया था तो बेगम हजरतमहल ने ही लखनऊ के मामलों का प्रभार संभाला हुआ था।

इसके बारे में भी जानिए :-शांति स्वरूप भटनागर की जीवनी

बेगम हजरत महल का मृत्यु कैसे हुवा – Begum Hazrat Mahal Death

About begum hazrat mahal in hindi में आपको बतादे की

अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से जंग लड़ी थी और इसके चलते उन्‍हे

नेपाल में शरण लेनी पड़ी थी, फिर 1879 में उन्ही की मृत्‍यु हो गई थी।

  • स्मारक :

आजादी के पश्‍चात्, भारत सरकार ने बेगम हजरत महल की याद में

एक स्‍मारक का बनावट करवाया और उसे 15 अगस्‍त 1962 को

आम जनता के लिए खोल दिया गया 

इस स्‍मारक में एक संगमरमर की टेबल है।

जिसमें चार सर्कुलर पीतल की प्‍लेट और भुजाओं के कोट

सजे हुए है जो अवध के शाही परिवार के है। 

Begum Hazrat Mahal का जीवन परिचय

बेगम हजरत महल के रोचक तथ्य

  • रानी बेगम हजरत महल को उनके माता-पिता ने उन्हें शाही दलालों को बेच दिया गया था। 
  • बेगम हजरत महल ने विनम्र स्वभाव और बहुत ही खूबसूरत थी।
  • लेकिन उनका नेतृत्व, युद्ध कौशल और गुण भी अजीब मौजूद थे।
  • बेगम हजरत महल एक बेहतरीन कुशल रणनीतिकार योद्धा थी।
  • 18 57 के विद्रोह के दौरान लखनऊ का नेतृत्व  बेगम हजरत महल ने किया था। 
  • अवध के शासक वाजिद अली शाह की पहली पत्नी [बेगम] थी। 
  • जिन्हें अवध की महारानी ओर आन-बान शान मानते थे। 
  • बेगम हज़रत महल का मक़बरा जामा मस्जिद, घंटाघर के नजदीक काठमांडू के बिच में स्थित है। 

Begum Hazrat Mahal Questions – 

Q : बेगम हजरत महल का असली नाम क्या था ?

Ans : बेगम हजरत महल का ओरिजनल नाम मुहम्मदी खानुम था।

Q : बेगम हजरत महल का दूसरा नाम क्या था ?

Ans : बेगम हजरत महल का दूसरा नाम मुहम्मदी खानुम था।

Q : बेगम हजरत महल के पिता का नाम क्या था ?

Ans : बेगम हजरत महल के पिताजी का नाम गुलाम हुसैन था। 

Q : बेगम हजरत महल का जन्म कब हुआ था ?

Ans : बेगम हजरत महल का जन्म 1820 में फैज़ाबाद, अवध, भारत में हुआ था 

Q : 1857 के विद्रोह के दौरान लखनऊ का नेतृत्व करने वाली बेगम हजरत महल का वास्तविक नाम क्या था?

Ans : 1857 के विद्रोह के दौरान लखनऊ का नेतृत्व करने वाली बेगम हजरत महल का वास्तविक नाम मुहम्मदी खानुम था। 

इसके बारे में भी जानिए :- जयंत विष्णु नार्लीकर की जीवनी

Conclusion –

आपको मेरा Begum Hazrat Mahal Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये 1857 revolt begum hazrat mahal real name और

begum hazrat mahal slogan in hindi से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Read More >>