राजीव गांधी की जीवनी - Biography of Rajiv Gandhi in Hindi

Rajiv Gandhi Biography In Hindi – राजीव गांधी की जीवनी

नमस्कार दोस्तों आज के हमारे लेख में आपको हम Rajiv Gandhi Biography In Hindi की जानकारी देने वाले है , वह स्वतन्त्र भारत के सातवे प्रधान मंत्री , भारत में पहला कॉम्प्यूटर लाने वाले महान व्यक्ति थे।

आज राजीव गांधी की जीवनी में आपको उनकी माता indira gandhi , उनके पिताजी feroze gandhi और rajiv gandhi wife , sonia gandhi के सबंधी सम्पूर्ण जानकारी बताने वाले है। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 जन्मे इन्दिरा गांधी के पुत्र और पूर्व प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के दौहित्र राजीव गांधी भारत देश के सातवे प्रधान मंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य राजनेता थे।

rajiv gandhi marriage इटली देश की इक लड़की से हुई थी। राजीव गांधी इटली के कैम्ब्रिज में पढ़ते वक्त एंटोनिया मैनो नाम की लड़की से मुलाकात हुई और 1968 में शादी करली फिर उनका नाम बदल के सोनिया गांघी रख दिया। उनकी पत्नी आज भी राष्ट्रीय भारतीय कोँग्रेश पार्टी का नेतृत्व किया करते है ,तो चलिए आपको ले चलते है उनसे जुडी कई रोचक और महत्व पूर्ण जानकारी के लिए। 

Rajiv Gandhi Biography In Hindi –

  नाम

  राजीव गांधी

  पूरा नाम

  राजीव फिरोज गांधी

  जन्म

  20 अगस्त, 1944

  जन्म स्थान

  मुंबई

  पिता

  फिरोज गांधी

  माता

  इंदिरा गांधी

  पत्नी

  सोनिया गांधी

  बेटा

  राहुल गांधी

 

  बेटी

  प्रियंका गांधी

  भाई

  संजय गांधी

  अवॉर्ड

  भारत रत्न

  पेशा

  कोंग्रेस राजनेता और पूर्व प्रधान मंत्री

  राष्ट्रीयता

  भारतीय

  मृत्यु

  21 मई, 1991

  मृत्यु स्थान

  तमिलनाडु, श्रीपेरंबदूर

राजीव गांधी की जीवनी –

शादी के बाद सोनिया गाँधी से उनके दो बच्चे भी हुए बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी Rajiv Gandhi आजाद भारत के सातवे प्रधान मंत्री थे जिसने देश का संचालन लिया। और अपनी सूज -बुज से देश को स्व निर्भर करने के सभी प्रयत्न किये थे। कई क्रांतीओ को जन्म देने में सफलताको प्राप्त हुए। उन्हों ने देश को साक्षारता कारण में मुख्य भूमिका निभाई थी।

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राजीव गाँधी का जन्म –

इंदिरा गाँधी और फ़िरोज़ गाँधी के पुत्र Rajiv Gandhi का जन्म 20 अगस्त 1944 के दिन मुंबई शहर में हुआ था। पति पत्नी में अलगाव होने के कारन इंदिरा गांधी अपने पिताजी के पास रहने लगे और राज निति में कदम रखे। क्योकि उनके पिताजी जवाहरलाल प्रधान मंत्री थे। जब Rajiv Gandhi पढाई छोड़ के भारत आये तब उनके इक भाई संजय गाँधी जिन्हो ने अपनी माँ इंदिरा की राह चलते राजनीतिमे कदम रख के कोंग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम किया था।

राजीव गांधी का परिवार  – 

Rajiv Gandhi family में उनके पिता फ़िरोज़ गाँधी, माता इंदिरा गांधी उनके भाई संजय गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गाँधी थे उनके दो बच्चे भी है बेटा राहुल गाँधी और बेटी प्रियंका गांधी। Rajeev Ghandi के मौत के बाद सोनिया गांधी ने कई साल तक कोंग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और कई उतार चढ़ाव भी देखे है। राहुल गाँधी और बहन प्रियंका वाड्रा गांधी आजभी कोंग्रेस के राजनेता के रूप से कार्यरत हे राहुल गांधी अमेठी लोकसभा के चुनाव क्षेत्र से चुना में जीते और कई बार हारे भी है।

राजीव गांधी शिक्षा- (Rajiv Gandhi Education)

Rajiv Gandhi की प्रायमरी शिक्षा देहरादून के इक विध्यालय में हुई थी। फिर इटली के कैम्ब्रिज शहर की इक यूनिवर्सिटी से उन्हों 196  5 में इंजीनियरिंग की पढाई की लेकिन डिग्री को हासिल नहीं किया। कोयोकि पढाई को बिच ही छोड़ दिया था। फिर उन्हों ने भारत में आ कर पायलट की ट्रैनिग लेना शुरू करदी और इन्डियन एयर लाइन्स में पायलट नए थे। इसके बाद इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद Rajiv Gandhi को राजनीती में कदम रख ना पड़ा था।

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राजीव गाँधी पायलट कब बने – 

इंदिरा गांधी 1966 में कांग्रेस पार्टी की और से प्रधान मंत्री बने थे उनके बाद Rajiv Gandhi ने दिल्ही शहर में आ करके पायटल बनने के लिए ट्रेनिंग लेनी शुरू करदी थी। 1970 में उन्हों ने इंडियन एयरलाइन में पायलट का काम करना शुरू करदिया।  उसके बाद इंदिरा गाँधी के मौत के बाद वह राजनीती मे उतरे और पुरे भारत देश में भूचाल सी लहार मचा दी और जबरदस्त लोक चाहना को हासिल करके प्रजा का प्यार और सत्ता दोनों कपो हासिल किया।

राजीव गांधी की राजनीती सफर –

पहले राजीव को राजनीति में कोई दिचस्पी नहीं थी। 23 जून 1980 में उनके भाई संजय गांधी की मौत विमान दुर्घटना से होने के बाद राजीव को राज नीति मे आना पड़ा।Rajiv Gandhi ने अमेठी लोकसभा का चुनाव लड़ा और जित गए और 1981 में वह कोंग्रेस पार्टी के युवा अध्यक्ष बनाने में सफल हुए। उन्होंने अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीता और संसद में स्थान बनाया। 1981 में राजीव गांधी को भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। और वही से उन्हों ने राजनैतिक सफलताओ को सर करके अपना नाम ऊँचा कर दिखाया

भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री –

इंदिरा गांधी को एक शिख बॉडीगार्ड ने 31 अक्टूबर 1984 के दिन मार दिया गया उनके थोड़े वक्त के बाद ही भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस पार्टी के सदस्यों ने निर्णय कर के पार्टी की सभी जिम्मेदारिया Rajiv Gandhi के सर में रख दी।1981 की साल में लड़े गए चुनाव में राजी गांधी ने 80 % सीटों को कोंग्रेस के नाम करके एक भूचाल सी मचाके भारत देश के सबसे काम उम्र के प्रधान मंत्री की शपथ ग्रहण की थी उनका शासन काल 1984 से 1989 तक रहा था।

राजीव गाँधी ने देश की प्रगति रफ़्तार को दुगुनी करके बहुमूल्य योगदान दिया इसमें कंप्यूटर संचार क्रांति और शिक्षा को महत्त्व देना शुरू करके उन्हों ने 18 साल के युवाओ को वोट डालने और पंचायती राज का प्रारम्भ किया।भारत के युवा प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने देश की आंतरिक विग्रह को दबोच कर के देश में शांति की अनुभूति करवाई और देश की युवा शक्ति को महत्व दे करके देश की विकास को भागडोर को मजबूत करदिया था। उन्हों ने युवाओ के लिए जवाहर रोजगार योजना का प्रारम्भ किया और सबको रोज़गार मिले ऐसे प्रयत्न हमेशा करते रहे।

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राजीव गांधी का योगदान – (Rajiv Gandhi Contribution)

Rajiv Gandhi का पूरा परिवार भारत देश की विकास गाथा में शामिल हे लेकिन युवा प्रधान मंत्री Rajiv Gandhi का योगदान भी कम नहीं है उन्हों ने आतंकवादियों के विरुद्ध सेना ओर पुलिस अभ्यं चला के देश में शांति का स्थापन किया थाश्रीलंका की सरकार से वाटा गाटो के बाद शांति समजोता किया लेकिन उसकी असर उलटी हुई और भारतीय शांति सेना को श्रीलंका की एल टी टी इ आतंकवादिई संगठन को नियंत्रित करना पड़ा था।

पुरे देश में सभी व्यक्तिओ को साक्षारता दिलाने हेतु उन्हों ने कई योजनाए चलाई और सफल भी रहे है। 1985 में आम चुनाव में राजीव गाँधी का प्रचंड बहुमत ने पुरे देश में एक लहार सी फैलाई और उनके युवा एव आधुनिक दृष्टिकोण के नेतृत्वने कई सफल मसलो को जन्म दिया।भारत सर्कार को कई दलालो से मुक्ति दिला के नौकर शाही को ख़त्म करके एक नए युग का निर्माण करना चाहा और भारत लोकतंत्र को मजबूत करके पुरे विश्व में स्थान दिलाया है।

युवा प्रधान मंत्री –

युवा प्रधान मंत्री के पद को Rajiv Gandhi ने अपने सूज बुझ और अनुभव से एक नई चमक प्रदान की थी। उन्ही के नेतृत्व में कई फैसले लिए गए और उन्ही फेसलो से भारत देश को कई सफलताए मिली हे जो गिनी भी नहीं जा सकती हे। औद्योगिक विकास की शरुआत के सहयोगी रहे थे राजीव गाँधी भारत देश में पहला ‘ टेक्नोलॉजी मिशन’ नामक संस्था की स्थापना करवाई और अपने शासन के वक्त कई विदेशी यात्रा को समूर्ण करके अंतरराष्ट्रीय कक्षा के सबंधो को भी सुधार के देशमे सांस्कृतिक

और आर्थिक सुधर करके देश को एक नई ऊंचाई पर लेजाने में बहुत बढ़िया योगदान दिया है। इन्होने इतना बढ़िया योगदान दिया है की भारत देश चाह करके भी मिटा नहीं सकता है।उन्हों ने मिझोरम आसाम और पंजाब के राजनैतिक समझोते के वक्त ही अपनी सूज बुज का परिचय पुरे देश को देदीये थे। एशियाई खेलो में 1982 के नवम्बर में भारत देश की और से मेजबानी की और विस्व के स्तर पर देश को उभारने हेतु योगदान दिया।

राजीव गाँधी पर लगे आरोप –

1980 एव 1990 की साल में भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस पर भ्रस्टाचार का आरोप लगा था लेकिन Rajeev गांधी खुद भष्टाचार के पूर्ण रूप से विरोधी थे। फिरभी उन पर बोफोर्स कांड का आरोप लगाथा।इससे राजीव की राजनैतिक करियर में बहुत गहरा असर पडाथा। इससे 1989 की साल में हुए चुनाव में दिखा और Rajeev गाँधी को हार को स्वीकार करना पड़ा था।उन्हों ने दो साल तक विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई और वह समय उनके राजनैतिक करियर का कस्ट दायक वक्त बतलाया जाता है।

ऐसी परिस्थितियों में भी वह अपने स्वाभाव को अनुकूलित और कंट्रोल करपाते थे इस कारन ही लोगो के उनको सम्मान और प्यार मिला था।Rajiv Gandhi ने दो साल तक विपक्ष में रहकर कार्य किया. इनका राजनेतिक जीवन बहुत कष्टदायक था, जिसके साथ वह अपने धेर्यवान स्वभाव के कारण ही न्याय कर पाए, इसलिए इन्हें बहुत प्यार एवम सम्मान मिला।

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राजीव गांधी की मृत्यु – (Rajiv Gandhi Death)

राजीव गांधी 46 वर्षों के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। पूर्व युवा राजीव गांधी 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री रहे थे। श्रीलंका देश में हो रहे आतंकी हमलो के प्रश्नो मिटाने की प्रक्रिया पर दबाव डालने वाले Rajiv Gandhi को इन्ही कारण से ही जान गावानि पड़ी थी। 21 मई 1991 के दिन तमिलनाडु चुनाव प्रचार के वक्त श्रीपेरंबदूर में मानव बम से आतंकियों ने Assassination of Rajiv Gandhi करदी थी और भारत देश ने अपना एक शक्तिशाली , वीर और युवा राजनेता और सातवा प्रधान मंत्री को खोना पड़ा। इससे पहले भी राजीव गाँधी पर जानलेवा हमला करवाया था।

गांधी परिवार ने इंदिरा गाँधी और rajeevi गाँधी को आतंकी हमले में खो दिया था मगर संजय गाँधी की मौत की कोई जानकारी आजभी नहीं मिली है।भारत देश के युवा प्रधान मंत्री raajivi गांधी की मौत से देश की जनता को गहरा आघात पंहुचा था। जिन्हे यद् करके लोग आजभी दुखी हुआ करते है। देश आज भी राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी को भुला नहीं पाया है। ऐसी जिन्दीगी को जिने वाले महान इंसान थे Rajeev गाँधी के मौत के बाद कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व पत्नी सोनिया गाँधी ने किया जो की सफल भी रही थी।

Rajiv Gandhi Life Style Video –

राजीव गांधी के रोचक तथ्य – 

  • पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमन्त्री और भारत में कंप्यूटर क्रांति के जनक माने जाते हैं।
  • राजीव गांधी भारत के 40 की उम्र में बनने वाले सातवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। 
  • श्रीलंका में हो रहे आतंकी मामलों को ठीक करने के लिए राजीव गाँधी ने अहम कदम उठाये थे।
  • श्रीलंका में गृहयुद्ध खत्म करने के लिए राजीव गांधी ने राष्ट्रपति जयवर्धने से एक समझौता किया था। 
  • 1980 और 1990 के बीच में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाया गया था। 
  • आपको बता दें कि राजीव गाँधी पर बोफोर्स तोपों  की खरीददारी में लिए गए घूस कमीशन का आरोप लगा था। 
  • 1966 की साल में  राजीव गांधी पढाई पूर्ण करके भारत आ गए ,इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थीं।
  • राजीव गांधी को संगीत में बहुत ही रूचि थी। उन्हें पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत पसंद था। 
  • 1984 की साल में कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव अमेठी से लड़ा। 
  • कांग्रेस को 533 में से 404 सीटें मिलीं जो कि इतिहास की सबसे बड़ी जीत मानी गई। . 
  • राजीव गांधी भारत के सातेवं और 40 साल की कम उम्र में सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे । 
  • बड़ा फैसला लेने से पहले अपनी पार्टी के साथ राजीव गांधी विचार विमर्श किया करते थे। 
  • राजीव गांधी ने देश को आधुनिकता की तरफ अग्रसर किया था। 

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राजीव गांधी के कुछ प्रश्न –

1 .राजीव गांधी का मौत कैसे हुआ?

श्रीपेरंबदूर में आतंकी धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी। 

2 .राजीव गांधी प्रधानमंत्री कब बने?

भारत के सातवें प्रधानमंत्री ३१ अक्तूबर १९८४ के दिन राजीव गांधी बने थे। 

3 .राजीव गांधी का जन्म कब और कहां हुआ था?

20 अगस्त 1944 के दिन राजीव गांधी का जन्म इन्दिरा गांधी के घर हुआ था। 

4 .राजीव गांधी का पूरा नाम क्या था?

उनका पूरा नाम राजीव रत्ना गांधी है। 

5 .राजीव गांधी ने देश के लिए क्या किया?

राजीव गांधी भारत को आधुनिकता की तरफ अग्रसर करने वाले प्रधान मंत्री थे।  

6 .राजीव गांधी कितने भाई थे ? इंदिरा गांधी के कितने बेटे थे ?

राजीव गांधी के एक भाई sanjay gandhi थे।  इंदिरा गांधी के दो बेटे थे भारत देश के सातवे पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी था। 

7 .क्यों राजीव गांधी की हत्या ? राजीव गांधी कहाँ से हैं ?

राजीव गांधी की हत्या उनके अच्छे कामो के कारन हुई कहा जाता है। राजीव गांधी मुंबई शहर थे।  

8 .सोनिया गांधी और राजीव गांधी कैसे मिले ? क्या राजीव गांधी जीवित हैं ?

राजीव गांधी से सोनिया गांधी की पहली मुलाकात वर्सिटी रेस्तरां हुई थी। एक आतंकी धमाके में मौत हो चुकी है। 

9 .राजीव गांधी ने कितनी सीटें जीतीं?

1984 में हुए चुनावों में कांग्रेस को 542 में से 415 सीटों पर जीती। वह राजीव गांधी की मेहनत थी।

10 .राजीव गांधी के साथ सभी किसकी मृत्यु हुई?

बम धमाके के समय तमिलनाडु कांग्रेस के बड़े राजनेता राममूर्ति,जी के मूपनार और जयंती नटराजन उस वक्त मौजूद थे।

Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Rajiv Gandhi Biography In Hindi बहुत अच्छी पसंद आया होगा। इस लेख के जरिये  हमने rajiv gandhi father और rajiv gandhi mother से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द । भारत माता की जय।

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Prime Minister Narendra Modi Biography In Short - नरेंद्र मोदी की जीवनी

Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी / पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन

LIVE UPDATES पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन 30/12-2022

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी  की पूज्य माताश्री, हीरा बा के निधन से मुझे गहरी वेदना हुई है। पूज्य हीराबा उदारता, सादगी, परिश्रम और जीवन के उच्च मूल्यों के प्रतिमान थे। एक पुत्र के लिए माँ पूरी दुनिया होती है एक माँ का निधन किसी भी व्यक्ति के जीवन में ऐसी शून्यता लाता है, जिसकी भरपाई असंभव है।

पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन
पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन
Rajiv Gandhi

“प्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, हम सभी जानते हैं कि आपकी प्यारी माँ हीराबा के साथ आपका भावनात्मक बंधन था। किसी की माँ को खोने का दुःख किसी के लिए भी सहन करना बहुत कठिन है।दुख की इस घड़ी में प्रधानमंत्रीजी और उनके पूरे परिवार के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।

मैं बहुत दुखी हूँ और कोई भी शब्द यह नहीं बता सकता कि मुझे आपके लिए कितना खेद है।” नुकसान। दुख की इस घड़ी में मेरी गहरी सहानुभूति और हार्दिक संवेदनाएं भेजना। आप अपनी मां के साथ साझा की गई यादों में शांति और आराम पा सकते हैं, । ॐ शांति! ॐ शांति! ॐ शांति!

 

 

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Prime Minister Narendra Modi Biography In Hindi में भारत के 14 वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय बताने वाले है। 

नरेंद्र मोदीजी ने 2014 में और 2019 में बी.जे.पी पार्टी की नेतृत्व कर के जित पाई। pm मोदीजी की एक आकर्षक बात यह है की नरेंद्र मोदीजी पहेली बार गुजरात के विधायक प्रधान मंत्री बने थे। आज हम narendra modi wife , jashodaben ,narendra modi family और narendra modi salary के बारेमे बताने वाले है। सांसद के रूप में भारत के pm बन चुके। सन 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत से जित हुई थी इसका श्रेय नरेंद मोदीजी को जाता है। यह बहुमत से मिली जित 1984 के बाद पहली बार pm नरेंद मोदी द्वारा बी.जे.पी को मिली थी। 

नरेंद मोदीजी की बचपन की स्कूल और उनकी चाय की स्टॉल और उनकी घर की गलियों में वह बड़े हुवे वह गलिया और वह बचपन में जिस तालाब में नहाने जाते वह तालाब के बारे में और उनकी बचपन की कहानिया यह आर्टिकल में मिल जाएँगी। नरेंद मोदीजी पर मुझे गर्व है क्योकि मे भी उनके के गांव का यानि वडनगर का रहनेवाला हु। तो चलिए में नरेंद्र मोदी की जीवनी से रूबरू करवाता हु।

Narendra Modi Biography In Hindi –

 नाम नरेंद्रभाई दामोदरदास मोदी ( modi full name ) 
जन्म 17 सितम्बर 1950
जन्म स्थान वड़नगर
जिला महेसाणा ,गुजरात
पिता श्री दामोदरदास मूलचंदभाई मोदी
माता हीराबेन मोदी
पत्नी श्रीमती जसोदाबेन
भाई सोमाभाई मोदी, अमृतभाई मोदी, प्रहलादभाई मोदी, पंकजभाई मोदी
बहन वासंतीबेन मोदी
मोदी जी का कद 170 से.मी. ( 5.7फिट )
धर्म हिन्दू
राजनीतिकपार्टी भारतीय जनता पार्टी ( बी.जे.पी )
प्रधानमंत्री पद 14 वें प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी की जीवनी हिंदी में –

2018 में 24 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ग्लोबल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये नरेंद्र मोदीजी के योगदान के लिये उनको सिओल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। PM नरेंद्र मोदीजी का नाम विश्व में सबसे बड़ी स्वास्थ सेवा की योजना प्रारंभ करने के लिये नॉबेल शांति पुरस्कार से उन्हें नामांकित किया था। PM नरेंद्र मोदीजी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल से लेकर प्रधानमंत्री बनने के पश्च्यात उनके कार्यकाल में काफी सारि उपलब्धिया उनके नाम की है।

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narendra modi birthday –

नरेंद्र मोदीजी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर शहर में हुआ था ।

नरेंद्र मोदीजी के माता -पिता के नाम –

narendra modi son of narendra damodardas modi यानि उनके पिताजी का नाम श्री दामोदरदास मूलचंदभाई मोदी और माता हीराबेन मोदी के नाम से पहचाने जाते है।

Narendra Modi Children –

pm नरेंद्र मोदीजी का बचपन बहोत कठिनाईयो से बिता था। pm नरेंद्र मोदीजी का जन्म गुजराती परिवार के वडनगर शहर में हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी के पिता का व्यवसाय वह एक छोटी सी चाय की दुकान में चाय बेचने का काम करते थे। pm नरेंद्र मोदीजी उनके पिता को मदद करनेके लिए वह चाय की दुकान पर काम करते थे। वह सुबह में पिता के साथ चले जाते और जब स्कूल का समय होने पर वह चले जाते और बादमे रिसेस के समय पर वह घर नहीं

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

जाते और पिता को मदद करने के लिए चाय की दुकान चले जाते। और pm नरेंद्र मोदीजीने खुद चाय की दुकान चलाई थी। pm नरेंद्र मोदीजी 8 साल की modi age में आरएसएस के संगठन के संपर्क में आये। और यहाँ से उनका लम्बा सफर शुरू हुवा। pm नरेंद्र मोदीजी ई.स 1985 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। मोदीजी लम्बे समय तक आरएसएस के संगठन में रहे और इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुये। इसके बाद उनकी राजनीति के सफर में तीव्र गति आई और मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में चुना गये।

Narendra Modi बचपन में किस तालाब में नहाने जाते थे –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

नरेंद्र मोदीजी बचपन में शर्मिस्ठा तालाब में नहाने जाते थे , जो आप फोटो में देख सकते है। मोदीजी उनके दोस्तों के साथ यह तालाब में नहाने के लिये जाया करते थे , तब वह झील में मगरमच्छ रहते थे। नरेंद्र मोदीजी जब छोटे तब उस शर्मिष्ठा झील मेसे मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लाते है। और जब घर जाते है तब उनकी माताजी हीराबा ने उनको समझाया की बच्चे को कोई माँ से अलग करे तो दोनों को परेशानी होती है , माकी यह बात सुनकर मोदीजी उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस छोड़ आते थे।

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 नरेंद्र मोदी की बचपन की कहानिया

pm नरेंद्र मोदीजी की बचपन की कई रोचक कहानिया है जिसे सुनकर आपको प्रधानमंत्री पर आपको गर्व महसूस होगा। मोदीजी की बचपन की कहानिया इस प्रकार है।

  •  pm नरेंद्र मोदीजी खंभे पर क्यों चढे थे :

नरेंद्र मोदीजी के बारे में ऐसा कहा जाता है की वो स्कूल के दिनों में एक n.c .c केम्प का आयोजन किया गया था इसमें नरेंद्र मोदीजी गए थे। वहा एक खंभे पर एक पंछी को फसा हुवा देख.परन्तु n.c .c केम्प के बाहर निकलना मनाई थी फिर भी वह केम्प के बहार निकलकर वह तुरंत खंभे पर चढ़ जाते है और वह पंछी को बचाते है। यह देखकर उनके शिक्षक गोवर्धनभाई पटेल उन पर भड़क जाते हे परन्तु बाद में यह बात का पता चला तो उनका गुस्सा शांत हो जाता है।

  •  pm नरेंद्र मोदीजी कैसे जूते पॉलिश करते थे :

pm नरेंद्र मोदीजी को उनके मामा ने सफ़ेद कैनवास के जूते खरीदकर दिये थे। क्योकि उनके घर में नये जुते लाने पैसे नहीं थे। जब उनको नये जूते मिलगये तो उन्हें पॉलिश करने की समस्या हुई और उनके पास पॉलिश खरीद ने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिये उन्होंने एक तरकीब निकाली और जो स्कूल बचे हुवे चौक शिक्षक फेक देते थे उनको एकठ्ठा किया और उनको पानी में भिगोकर वह लेप जूतों पर लगा देते थे।

  •  मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ने की कहानी :

pm नरेंद्र मोदीजी जब छोटे थे तब शर्मिष्ठा झील में अपने दोस्तों साथ नहाने जाते थे। तब वह झील में मगरमच्छ रहते थे। नरेंद्र मोदीजी जब छोटे तब उस शर्मिष्ठा झील मेसे मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लाते है। और जब घर जाते है तब उनकी माताजी हीराबा ने उनको समझाया की बच्चे को कोई माँ से अलग करे तो दोनों को परेशानी होती है। माकी यह बात सुनकर मोदीजी उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस छोड़ आते है।

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Narendra Modi Education –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

आप जो फोटो में देख सकते है इसमें शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी। modi education यह स्कूल स्थानीय वडनगर में स्थित है। वह स्कूल का नाम B .N हाइसस्कूल के नाम से पहचाना जाता है। यह स्कुल का पूरा नाम श्री भगवताचार्य नारायणाचार्य हाइसस्कूल है। modi education pm नरेंद्र मोदी ने B .N हाइसस्कूल में ई.स 1967 तक उनकी पढाई हायर सेकेंडरी तक पूरी कर ली।

इनके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण अपने घर का त्याग कर दिया और इसके बाद सम्पूर्ण भारत में यात्रा करके अनेक संस्कृतियों का अध्ययन किया। इस तरह मोदीजी ने उनकी पढाई कई साल तक नहीं की। इसके बाद narendra modi education ने उनकी पढ़ाई ई.स 1978 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में गये। इसके बाद अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। और वहा मोदीजी ने राजनीति विज्ञान में क्रमश स्नातक एवम आगे बढ़ते गये।

narendra modi education के बारे में एक शिक्षक ने बताया था की modi education पढाई में सामान्य थे। लेकिन मोदीजी ज्यादातर समय पुस्तकालय में बिताते थे। pm नरेंद्र मोदीजी के विवाद में कोई खड़ा नहीं हो सकता। क्योकि pm नरेंद्र मोदीजी वाद -विवाद की कला निपूर्ण थे।

 नरेंद्र मोदीजी बचपन से सेना में भर्ती होना क्यों चाहते थे –

pm नरेंद्र मोदीजी एक देश भक्त व्यक्ति थे इसलिये वह बचपन से ही देश सेवा करने का सपना देखते रहते थे। देश की सेवा करने के लिए वह सेना में भी शामिल होना चाहते थे। लेकिन किस्मत को यह मंजूर नहीं था। उनके भाग्य में देश के pm बननेका पद निश्चित था तो फिर वह सेना में शामिल कैसे हो सकते है।

 नरेंद्र मोदीजी बचपन में चाय कहा बेचते थे

 

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

pm नरेंद्र मोदीजी जो आप फोटो में देख रहे हे वह उनकी चाय स्टॉल है। यह उनकी चाय स्टॉल वडनगर के रेल्वे स्टेशन पर उनकी चाय स्टॉल मौजूद है। और यह उनकी चाय स्टॉल अभी भी मौजूद है। इसे अभीभी उनकी याद में उनकी निशानी के तौर पर रखा गया है। और जब भारत – पाकिस्तान के युद्ध के समय में ट्रेन में जाने वाले सैनिको को चाय और अन्य मदद करते थे।

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नरेंद्र मोदीजी का बचपन का जिगरी दोस्त –

pm नरेंद्र मोदीजी के बचपन में कई दोस्त थे लेकिन उनके एक दोस्त जिगरी दोस्त के ठाकोर मोणकाजी के नाम से जाने जाते। और वह वडनगर के नजदीक सुलिपुर के गांव में वह रह रहे है और हाली के समय में वह किसान है और खेती कर रहे है । उनकी यह दोनो की दोस्ती स्कूलों के दिनों में जब पढ़ने आते थे तब उनकी दोस्ती हुई थी। और वह अच्छे दोस्त माने जाते है।

यह दोनों वडनगर में स्थित उनकी चाय स्टॉल पर स्कूल के छुट्टी के समय दोनों जाया करते थे और मूम्फ़ली मेसे तेल निकाल ने का काम और नमक पीसने का काम साथमे करते थे । और नरेंद्र मोदीजी के घर कई बार जाते थे। और वह शर्मिष्ठा झील में नहाने के लिये वह दोनों और कई दोस्त साथमे जाया करते थे। और कई बार मस्ती करते थे और लड़ते ज़गड़ते थे परंतु वह दोनों बहोत अच्छे दोस्त थे।

और जब दोनों बड़े हो गये और मोदीजी कई साल घर छोड़ कर चले गये और इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी संगठन में शामिल हो गये। उनके दोस्त ठाकोर मोणकाजी कई बार मोदीजी को याद करते है और नरेंद्र मोदीजी और उनकी बाते कहा करते है। हम भी उनसे मिले ओर यह सारी बाते सुनी और आपके सामने पेश की है।

 नरेंद्र मोदीजी का परिवार –

pm नरेंद्र मोदी का परिवार मोध यानि घांची ,तेली समुदाय से जुड़ा हुवा है। यह समुदाय भारत सरकार ध्वारा वर्ग श्रेणी में उनका परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में माना जाता है। pm नरेंद्र मोदी उनके माता -पिता की तीसरी संतान है। pm नरेंद्र मोदी के बड़ेभाई सोमा मोदी है modi age करीबन वर्तमान में 75 वर्ष हैं वह स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के रूप कार्य कर चुके है।

pm नरेंद्र मोदीजी  के दूसरे बड़े भाई का नाम अमृत मोदी है। वह एक मशीन ऑपरेटर है modi age करीबन 72 साल है। उनके बाद pm नरेंद्र मोदीजी का छोटा भाई प्रहलाद मोदी है जिनकी modi age करीबन 62 साल हैं वह अहमदाबाद में एक शॉप चलाते है। और उनके छोटे भाई पंकज मोदी है वह गांधीनगर में सूचना विभाग में एक क्लर्क के रूप कार्य कर रहे है।

Narendra modi wife –

pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह घांची की समुदाय की परम्पराओं के अनुसार हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह 18 साल की उम्र में ई.स 1968 में हुवा था। pm नरेंद्र मोदीजी का विवाह श्री मति जशोदा बेन के साथ हुवा है। रिपोटर्स के अनुसार ऐसा माना जाता है

की उनका तलाक अभीभी नहीं हुवा लेकिन वह एक दूसरे से अलग हो गये है। pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography की पत्नी श्री मति जशोदा बेन गुजरात के एक सरकारी स्कूल में कार्य किया करते थे जोकि हाली के समय में रिटायर हो गये है। pm नरेंद्र मोदीजी के एक भी बच्चे नहीं है। क्योकि वह विवाह कुछ ही समय में दोनों अलग हो गये थे।

 नरेंद्र मोदीजी घर त्याग करके कहा गये

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

pm नरेंद्र मोदीजी ने पढ़ाई छोड़ने के बाद वह माना जाता है की वह उत्तर भारत में चले गये। उत्तर भारत में वह हिमालय और ऋषिकेश के स्थानों का उल्लेख किया गया है। pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography यह स्थानों से करीबन 2 साल के बाद लौट आये।

 नरेंद्र मोदीजी का शुरुआती राजनीतिक करियर –

मोदीजी ने कॉलेज की पढाई पूर्ण करने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए।  और पूरा समय प्रचारक के रूप में R.S.S ( राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ) को दिया वह एक हिन्दू राष्ट्रवादी राजनीतिक संघ है। 1975 से 1977 में भारत के प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने राष्ट्रीय आपातकाल के समय में R.S.S संघ पर प्रदिबंध लगा दिया था। जिस प्रतिबंध में शामिल में होने के कारण pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi को अंडरग्राउंड होने के लिये होना पड़ा था। और गिरफ्तारी से बचने के लिये वह भेस बदलकर यात्रा करते थे। भारत के आपातकाल के समय में pm नरेंद्र मोदीजी बहोत सक्रीय रहते थे।

उस वक्त कांग्रेस सरकार का विरोध करने के पर्चे के वितरण और कई और हथकंडे का कार्य अपनाये। यह सब कार्य से pm नरेंद्र मोदीजी का साहस ,प्रबंधकीय , संगठात्मकता ,निडरता और लीडरशिप जैसे कई महत्वपूर्ण कौशल दिखाई दिया।इस के बाद नरेंद्र राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। pm नरेंद्र मोदीजी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में लिखने का काम किया करते थे।

ई.स 1985 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा बी.जे.पी यानि भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला लिया। और नरेंद्र मोदी 1987 में पूर्णरूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके। pm नरेंद्र मोदीजी ने प्रथम बार अहमदाबाद नगरपालिका के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को व्यवस्थि करने में पूरी मदद की और इस चुनाव में बी.जे.पी पार्टी की जित हुई।

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 नरेंद्र मोदीजी का राजनीतिक करियर –

 

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

ई.स 1987 में pm नरेंद्र मोदीजी का बी.जे.पी में प्रवेश होने के बाद उनकी अच्छी गति विधियों के कारण उनका सफर तेजी से बढ़ने लगा। क्योकि नरेंद्र मोदी जी एक एक प्रतिभा शाली पुरुष और बुद्धिमान थे। नरेंद्र मोदी ने व्यवसायों,छोटे सरकारी और हिन्दूत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया। और pm नरेंद्र मोदीजी को गुजरात ब्रांच के महासचिव के रूप में चुना गया।

ई.स 1990 में pm नरेंद्र मोदीजी ने एल के आडवानीजी की अयोध्या रथ यात्रा में संचालन में पूरी तरह से मदद की। इसके कारण नरेंद्र मोदी की क्षमताओं को मान्यता मिली। वह कार्य मोदीजी का पहला राष्ट्रीय स्तर का राजनितिक कार्य बन गया।1991 – 1992 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा हुई। pm नरेंद्र मोदीजी ने ई.स 1990 में गुजरात में विधानसभा के चुनावो के बाद भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

मोदी की गुजरात में जित – Narendra Modi Biography

ई.स 1995 के भारतीय जनता पार्टी ने 121 सीटे जीती जिससे प्रथम बार गुजरात में बी.जे.पी की सरकार बनी।ई.स 1995 में pm नरेंद्र मोदी को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गतिविधियों को संभाल ने लिये बी.जे.पी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। और उनका दिल्ही में स्थानांतरित हो गया। ई.स 1998 में बी.जे.पी में आंतरिक लीडरशिप विवाद चल रहा था

उस वक्त मोदीजी ने उस समय बी.जे.पी की चुनाव जित का रास्ता प्रसस्त किया। जिस कारण आंतरिक विवादों को सुलझाने में सफलतापूर्वक मदद मिली थी। इसके बाद नरेंद्र मोदी को महासचिव नियुक्त किये गए। यह पद के स्थान पर वह ई.स 2001 कार्यकर्ता रहे। उसके बाद नरेंद्र मोदी को अन्य राज्यों की पार्टी संगठन को फिर से लाने का सफलतापूर्वक श्रेय उनको जाता है।

नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्य मंत्री कीतने वक्त बने –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • प्रथम बार नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

pm नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography प्रथम बार . 2001 में विधान सभा का चुनाव लड़ा और इसके बाद नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये। उस चुनाव के समय दरसल उस समय केशुभाई पटेल का स्वास्थ ख़राब हो गया था।

दूसरी और बी.जे.पी पार्टी की उपचुनाव में कुछ विधानसभा की सीटे हार गये थे। इसके बाद बी.जे.पी की राष्ट्रीय लीडरशिप केशुभाई पटेल के हाथ से pm नरेंद्र मोदीजी के हाथो में थमा दिया। और उनको गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। 7 अक्टूबर ई.स 2001 के समय में मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपत ली। इसके बाद एक के बाद एक लगातार उनकी जित निश्चित होती गई।

pm नरेंद्र मोदीजी प्रथम बार 24 फरवरि 2002 में राजकोट के द्रितीय निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव जीता था। नरेंद्र मोदीजी ने कांग्रेस के अश्विन महेता को 14,728 वोटो से हराया था। pm नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की एक दुर्घटना हुई। तब इस दंगे का को फैलाने का आरोप लगाया गया था। और मोदीजी पर चारो तरफ से दबाव आने लगा।

जिस कारण मोदीजी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस कारण मोदीजी का मुख्यमंत्री के स्थान पर कुछ ही समय रहे। गुजरात के यह दंगे को पूरी तरह से जाँच करने के पश्चात ई.स 2010 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट दिया गया जिसमें मोदी जी को इस मामले में ग्रीन सिग्नल दे दिया गया.

  • दूसरी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

pm नरेंद्र मोदीजी को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई इसके बाद मोदीजी को फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात राज्य के विकास के लिए कार्य करना प्रारंभ किया।

और अनेक गुजरात राज्य का विकास जल्द से हो इस कारण उन्होंने कई कार्य किये। ई.स 2007 में नरेंद्र मोदीजी ने वाइब्रेट गुजरात शिखर सम्मेलन में गुजरात में रियल स्टेट निवेश सोदो पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद गुजरात में मुख्यमंत्री रूप में लगातार 2,063 दिन उन्होंने पुरे कर लिये। नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री पद सम्भालनेका का रिकॉर्ड भी उनके नाम किया।

  • तीसरी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

नरेंद्र मोदीजी का रिकॉर्ड आगे भी चलता गया और . 2007 में गुजरात के विधानसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदीजी ने फिरसे जित हांसिल की और गुजरात के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार मोदीजी modi biography ने गुजरात राज्य में आर्थिक विकास के बारे में ज्यादा ध्यान दिया। और उनके साथ निजीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने भारत का विकास करने के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग एपीसेंटर रूप में अपनी नीतियों को प्रोसाहित किया।

नरेंद्र मोदीजी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनाने के बाद गुजरात में कृषि विकास दर में बहेतरीन वृद्धि हुई। और इस वृद्धि के कारण भारत के राज्यों की तुलनामे काफी विकासशील राज्य बन गया। नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण विस्तारो में बिजली जल्द पहोचाने की व्यवस्था की जिससे कृषि को ज्यादा बढ़ाने में मदद मिल सके। नरेंद्र मोदीजी ने ई.स 2011 से 2012 के बिच में मोदी जी ने गुजरात में सद्भावना और गुडविल मिशन प्रारंभ किया।

क्योकि राज्य के मुस्लिम समुदाय तक पहुंचा ने के लिए शुरू किया था। नरेंद्र मोदी जी ने कई उपवास भी किये थे उनका कहना हे की यह कदम गुजरात की शांति ,एकता और सद्भावना के माहौल के लिए गुजरात की एकता को अधिक मजबूत करेगा।

  • चौथी बार नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में :

नरेंद्र मोदीजी का . 2012 में गुजरात का मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त हो गया। और इस वर्ष फिर से गुजरात में विधानसभा चुनाव का आयोजित हुवा। और पिछले सालो की तरह इस साल भी नरेंद्र मोदीजी की जित हुई। और नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री चौथी बार बन गए। और उन्होंने चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए नियुक्त किया गया।

नरेंद्र मोदीजी को राज्य में समृद्धि और विकास करने का श्रेय उनको जाता है। इस कारण गुजरात सरकार के रूप में नरेंद्र मोदी जी ने एक सक्षम शासक के रूप में उनकी पहचान बना ली थी। उनको गुजरात राज्य की तेजी से वीकास करने का श्रेय भी उनको जाता है।

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नरेंद्र मोदीजी की सन 2014 के आम चुनाव में भूमिका –

गुजरात के मुक्खीमंत्री बनाने के 1 साल बाद pm नरेंद्र मोदीजी को जून में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बना दिया। और नरेंद्र मोदीजी इस तरह ई.स 2014 में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के स्थान पर दिखाई दिए। इस कारण मोदीजी को गुजरात का मुख्यमंत्री पद को त्यागना पड़ा। इस निर्णय से लाल कृष्ण आडवाणीजी और बी.जे.पी के सदस्य उनका विरोध किया।

परन्तु नरेंद मोदीजी modi biography ने उस समय वाराणसी और वड़ोदरा में जित हांसिल कर ली थी। और आगे आने वाले आम चुनाव में मोदीजी ने प्रधानमंत्री के स्थान पर अपनी जगह बना ली थी। यह चुनाव के समय नरेंद्र मोदीजी ने सम्पूर्ण भारत में करीबन 437 रैलियो का आयोजन किया। इन आयोजनों में कई मुद्दों को जनता के समक्ष रखा और जिससे जनता प्रभावित और उनकी तरफ आकर्षित हुवे।

और ई.स 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जित बन गई। इस साल बी.जे.पी ने पूर्ण बहुमत रूप के आधार पर 534 सीटों मेसे 282 सीटे उनके नाम करदी। और इस तरह नरेंद मोदीजी भारत के 14 वे प्रधानमंत्री के रूप पहचाने गये।

नरेंद्र मोदीजी pm के रूप में – Narendra Modi Biography

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी

आम चुनाव में जित हांसिल करने के बाद नरेंद्र मोदीजी ने 26 मई 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपत ली। और इसके बाद नरेंद्र मोदी देश के 14 वे प्रधानमंत्री बन गये। नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रजा की उम्मीदे काफी बढ़ने लगी। मोदीजी ने pm के रूप में कई विकास कार्य किये। मोदीजी ने विदेश के व्यवसायों को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित किये।

नरेंद्र मोदीजी ने विभिन्न नियमो ,परमिट्स और इंस्पेक्शन लागु किये क्योकि भारत में आने वाले विदेशी व्यावसाय ज्यादा और सरल माद्यम से बढ़ सके। मोदीजी ने स्वास्थ्य सेवा की तरफ ज्यादा ध्यान दिया और हिंदुत्व ,रक्षा ,पर्यावरण और शिक्षा को ज्यादा प्रोत्साहित किया।

नरेन्द्र मोदीजी 2019 में फिर से pm के रूप में –

नरेन्द्र मोदीजी की फिर से एक बार 2019 में जित हुई। मोदीजी ने दूसरे दलों को काफी पीछे छोड़ दिया। मोदीजी की 303 सीट प्राप्त करके पूर्ण बहुमती से अभूतपूर्व जित हांसल की। भारत के इतिहास मे प्रथम बार किसी नेता ने लगातार दूसरीबार इतनी बड़ी पूर्ण बहुमत से जित हांसिल की। भारत की प्रजा ने इस बार अपना प्रधानमंत्री खुद पसंद किया। और प्रजा ने नरेंद्र मोदीजी Narendra Modi Biography को भरोसा दिलाया।

मोदी क्रांति कहो या फिर मोदी लहर इस बार भारत की लोकसभा चुनाव पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया। मोदीजी की आवाज चारोओर सुनाई देने लगी। प्रदानमंत्री मोदीजी के पिछले 5 सालो के कामो से प्रजा प्रसन्न थी इस लिए प्रजा इस बार भी नरेंद्र मोदीजी को एक और बार pm बनाना चाहती थी। क्योकि मोदीजी से उन्नत भारत की प्रजा को कई उम्मीदे थी।

” pm नरेंद्र मोदीजी ने कहा सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास विजयी भारत “

pm नरेंद्र मोदीजी के ध्वारा किये गई महत्वपूर्ण योजनाये –

ई.स 2014 से लेकर अब तक के कार्यकाल में मोदी जी कई महत्वपूर्ण योजनाये शुरू की इसमें से प्रमुख योजनाये की जानकारी निचे के अनुसार मौजूद है। 

  • स्वच्छ भारत अभियान :

स्वछ भारत अभियान भारत का सबसे मुख्य स्थान पर प्रारंभ किया हुवा अभियान है। यह स्वच्छ भारत अभियान के अनुसार शहरों और ग्रामीण क्षेत्रो में कई लाखो की संख्या में शौचालय का निर्माण करवाया गया है।

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना :

प्रधान मंत्री जनधन योजना किसानो को देखते हुवे यह योजना का प्रारंभ किया गया। यह योजना ध्वारा देश के किसानो के बैंक में खाते खुलवाने के लिये शुरू की गई थी। जिस योजना के माध्यम से किसानो को मुफ्त में अकॉउंट खोले जाये और किसानो को सहायता उनके बैंक खाते में सीधे जमा की जाती है।

  • प्रधानमंत्री उज्जवल योजना :

माननीय प्रधानमंत्री योजना के जरिये गरीब परिवार की महिलाओ को सम्मान देने के लिए उन महिलाओको एलपीजी गैस सिलिंडर प्रदान किये गए।

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना :

माननीय प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना द्वारा फसलों की अच्छी तरह से सिंचाई हो सके और कृषि कार्य को बेहतरीन दिशा मिल सके।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :

माननीय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जरिये फसल के लिये किसानो को विमा प्रदान किया जाता है। क्योकि उनकी प्राकृतिक आपत्तियो के कारण ख़राब हो जाने के कारण उन्हें विमा के जरिये पैसो की सहाय मिल सके।

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना :

नरेंद्र मोदीजी द्वारा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के जरिये युवानो के कौशल के विकास के लिए उन्हें प्रशिक्षण देने की सुविधा की उपलब्धि के लिये यह योजना का प्रारंभ किया गया था।

  • मेक इन इंडिया : Narendra Modi Biography

मोदीजी द्वारा शासन में आने के बाद कुछ बहोत अच्छे अभियान चलाये। उन्ही मेसे एक ‘ मेक इन इण्डिया ‘अभियान प्रारम्भ किया।

  • गरीब कल्याण योजना :

इस योजना के तहत गरीबों के कल्याण एवं उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए कार्य किया गया.

  • सुकन्या समृद्धि योजना :

सुकन्या समृद्धि को प्रारंभ करने का उद्देश्य छोटी बच्चियों सशक्तिकरण के लिए उन्हें मदद करनेके लिए किया गया था।

  • प्रधानमंत्री आवास योजना : Narendra Modi Biography

प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिये गरीबो को सहायता के आधार पर उन्हें घर बनाने की सहायता दी जाती थी।

  • डिजिटल इंडिया प्रोग्राम :

प्रधानमंत्री मोदीजी Narendra Modi Biography ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के नाम से यह देश में अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने के लिए प्रेरित किया गया। और इसके साथ ही मोदीजी ने प्रजा से भी डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिये प्रेरणा दी है। इस तरह से नरेंद्र मोदीजी उनके कार्यकाल में अन्य भी महत्वपूर्ण योजनाये और अभियान जैसे नमामि गंगे , बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना ,सर्व शिक्षा अभियान , स्टैंड अप इंडिया जैसे कई योजनाए प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गए है।

Narendra Modi Life Style Video –

pm नरेंद्र मोदीजी के कार्यकाल के मुख्य कार्य –

pm नरेंद्र मोदीजी modi biography ने उनके कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये और गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब भी इन्होने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए उनकी जानकारी आप देख सकते है।

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  • 1. भूमिजल संरक्षण प्रोजेक्ट :

गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल में इन्होने सरकार ध्वारा भूमिजल प्रोजेक्ट के प्रारंभ करनेका समर्थन दिया। यह प्रोजेक्ट से बीटी कॉटन की खेती में सहायता है। जिस कारण नल कुंपो से सिंचाई सरल हो जाती है। और यह प्रोजेक्ट से गुजरात बीटी कॉटन का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र बन गया।

  • 2. नोटबंदी :

pm नरेंद्र मोदीजी ने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के समय में नोटबंदी जैसा बहोत बड़ा फैसला लिया था। जिस फैसले से मोदी जी ने भारत के 500 और 1000 की पुराने नोटों को बंध कर दिया। और इसके स्थान पर 500 के और 2000 के नये नोटों को जारी किया। यह फैसला एक ऐतिहासिक फैसला था।

  • 3. G.S.T : Narendra Modi Biography

pm नरेंद्र मोदीजी ने नोटबंदी करने के बाद जितने भी अन्य टेक्स लगाये जाते थे वह टेक्स मोदीजी ने उन्हें एक सम्मलित कर दिया और G.S.T नामका एक टेक्स लागु किया।

  • 4. सर्जिकल स्ट्राइक :

pm नरेंद्र मोदीजी ने 2016 में उरी हमले के बाद पाकिस्तान को पाठ सिखाने के लिये मोदीजी भारतीय सेना के साथ मिलकर सर्जिकल स्ट्राइक करने का निर्णय लिया गया था।

  • 5. आर्टिकल 370 :

भारत की सबसे बड़ी समस्या आर्टिकल 370 थी। जिन्हे pm नरेंद्र मोदीजी ने हटादिया और कश्मीर को भी भारत का एक हिस्सा बना लिया।

  • 6.एयर स्ट्राइक : Narendra Modi Biography

pm नरेंद्र मोदी ने इसके बाद वर्ष 2019 फरवरी में हुवे पुलवामा हमले के पश्चात देश के सभी सुरक्षा दलों को पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी प्रकार का का एक्शन लेने के लिए उनके योग्य अनुसार निर्णय लेने की छूट दी गई थी। यह भारतीय सेना के केलिए बहोत बड़ा एलान था। इसके कई समय बाद फरवरी में वायुसेना के ध्वारा एयर स्टाइक की गई थी।

यह मुख्य कार्यो के अलावा pm नरेंद्र मोदीजी ने कई अन्य कार्य जैसे अंतरराट्रीय योग दिवस का पारंभ किया , गुजरात में स्थित स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का निर्माण , राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया नरेंद्र मोदीजी अन्य कई कार्यो अपने नाम किये गये है। pm नरेंद्र मोदीजी ने अन्य विदेश के साथ मित्रता करके उनके साथ मिलकर भारत में बुलेट ट्रेन लेन का काम किया। और अन्य कई कार्यो में मोदीजी ने अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा pm नरेंद्र मोदीजी ने अन्य पडोशी देशो से सबंध मजबूत करने और सबंधो को सुधार ने में बहोत ही उनका भाग रहा है।

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नरेंद्र मोदी जी की उपलब्धियां –

PM नरेंद्र मोदी जी की अब तक मिली हुई उपलब्धिया।ई.स 2007 को इण्डिया टुडे मैगजीन के ध्वारा किये गये सर्वे में नरेंद्र मोदी जी को देश के सर्वश्रेस्ट मुख्यमंत्री के रूप में स्थान मिला। ई.स 2009 में एफडी मैगजीन में मोदीजी को एफडीआई पर्सनालिटी

ऑफ़ द ईयर पुरस्कार के एशिया के विजेता के रूप में सम्मानित किया गया था। इसके अलावा मोदीजी को 2012 में टाइम्स एशियाई एडिशन के कवर पेज पर मोदीजी की फोटो लगवाई गई थी। ई.स 2014 में मोदीजी Narendra Modi Biography का नाम फ़ोर्ब्स मैगजीन में विश्व के सबसे शक्तिशाली मनुश्यो की यादी में 15 वे स्थान पर मौजूद है।

इस सालभी टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के अनुसार विश्व के 100 शक्तिशाली लोगो में मोदीजी का नाम भी दिया गया है।ई.स 2015 में ब्लूमबर्ग मार्केट मैगज़ीन में नरेंद्र मोदीजी का नाम विश्व के 13 वे सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में स्थान है। ई.स 2014 और 2016 में मोदी जी का नाम टाइम मैगज़ीन के पाठक सर्वे के विजेता के रूप में नामांकित किया गया था।ई.स 2016 में अप्रिल माह की 3 तारीख को मोदी जी को सऊदी अरबिया का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार अब्दुलाज़िज़ – अल – सऊद के कहने पर दिया गया था।

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PM नरेंद्र मोदीजी की पसंद चीजे –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • भोजन में पसंद : शाकाहारी
  • पसंदीदा राजनेता : स्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी
  • पसंदीदा नेता : मोहनदास करमचंद गांधी और स्वामी विवेकानंद
  • अन्य पसंद : साहित्य में, योग करने और पढ़ने में

PM नरेंद्र मोदीजी की किताबें –

Narendra Modi Biography In Hindi - नरेंद्र मोदी की जीवनी
Narendra Modi Biography In Hindi – नरेंद्र मोदी की जीवनी
  • नरेंद्र मोदीजी की किताबें : लेखक
  • नरेंद्र मोदी अ पॉलिटिकल बायोग्राफी : एंडी मरीनो
  • सेंटरस्टेज इनसाइड द नरेंद्र मोदी मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस : उदय महुरकर
  • मोदी मेकिंग ऑफ़ अ प्राइम मिनिस्टर : लीडरशिप, शासन एवं प्रदर्शन : विवियन फ़र्नांडिस
  • द मैन ऑफ़ द मोमेंट नरेंद्र मोदी : एम वी कमाथ एवं कालिंदी रंदेरी
  • द नमो स्टोरी अ पॉलिटिकल लाइफ : किंगशुक नाग
  • नरेंद्र मोदी द गेमचेंजर : सुदेश वर्मा

नरेंद्र मोदी जी ध्वारा लिखी गई किताबें

  • 1.ज्योतिपुंज
  • 2.एबोड ऑफ़ लव
  • 3.प्रेमतीर्थ
  • 4.केल्वे ते केलावणी
  • 5.साक्षीभाव
  • 6.सामाजिक समरसता

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PM नरेंद्र मोदीजी के सुविचार –

Narendra Modi Biography कहते है की जब हम तय कर लेते है की हमें कुछ करना है तो हम कई मिलो आगे जा सकते है। नरेंद्र मोदीजी कहते हे हम सबमे अच्छे और बुरे दोनों ही गुण मौजूद है और जो लोग अच्छे गुणों पर ध्यान केंद्रित करते है वह सफल हो जाते है।

PM नरेंद्र मोदीजी कहते है की बन्दुक के साथ पृथ्वी को लाल बना सकते है लेकिन यदि आपके के पास हल हे तो आप पृथ्वी को हरा बना सकते है। नरेंद्र मोदीजी कहते है की हर किसी में सपने देखने की शक्ति होती है लेकिन सपनो को संकल्पो में बदलना चाहिये। किसी भी विचार को कभी मरना नहीं चाहिये।

नरेंद्र मोदीजी कहते है की भारत एक युवा देश है इतने बड़ी संख्या में युवा भारत देश को नहीं बल्कि पूरी दुनिया का भविष्य बदल ने की ताकत है। ( Narendra Modi Biography )नरेंद्र मोदीजी कहते है की मिशन मंगल की सफलता के बाद कोई भी भारत के युवाओं पर सवाल नहीं कर सकता है क्योकि सब कुछ स्वदेशी है।

PM नरेंद्र मोदीजी हमारे देश की एक ऐसी हस्ती है जिनको लोग नहीं भूल सकते। साल 2019 के भारत के आम चुनाव में नरेंद्र मोदीजी फिरसे प्रधानमंत्री के स्थान पर नियुक्त हो गए। सब की उम्मीद करते है की आने वाले सालो में यानि भविष्य में यही हमारे प्रधानमंत्री बने ऐसी हम देशवासियोसे उम्मीद रखते है।

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Conclusion –

दोस्तों आशा करता हु आपको मेरा यह आर्टिकल Prime Minister Narendra Modi Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के जरिये  हमने narendra modi age और narendra modi net worth से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दे दी है अगर आपको इस तरह के अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है। और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Abraham Lincoln Biography In Hind - अब्राहम लिंकन - Thebiohindi

Abraham Lincoln Biography In Hindi – अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Abraham Lincoln Biography In Hind,में अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय देने वाले है। 

उन्होंने अपने शाशन कल में अमेरिका में दास प्रथा (गुलामी प्रथा) का अंत किया था। उनका जन्म एक गरीब अश्वेत परिवार में हुवा था। संयुक्त राज्य अमेरिका में गृह युद्ध के दौरान देश का नेतृत्व किया। आज हम abraham lincoln assassingtion,abraham lincoln speech और abraham lincoln democracy से जुडी रोचक जानकारी बताने वाले है। अब्राहम लिंकन राष्ट्रपति कैसे बने तो आपको बतादे की अब्राहम लिंकन कितने चुनाव हारे तब जाके उनको सफलता प्राप्त हुई थी।  

उन्होंने दास प्रथा का अंत किया, सरकार और अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। अब्राहम लिंकन के विचार इतने महान थे की सदैव सत्य और अच्छाई का पक्ष लेते थे। उन्होंने वकील के पेशे में हमेशा न्याय का साथ दिया था। अन्याय का पक्ष उन्होंने कभी नही लिया। उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। तो चलिए आपको ले चलते है। abraham lincoln life story की सम्पूर्ण माहिती के लिए। 

Abraham Lincoln Biography In Hindi –

पूरा नाम अब्राहम थॉमस लिंकन
जन्म 12 फ़रवरी 1809
जन्म स्थान होड्जेंविल्ले  केंटुकी (अमेरिका)
माता नेन्सी
पिता थॉमस लिंकन
abraham lincoln wife मैरी टॉड
abraham sons रोबर्ट, एडवर्ड, विल्ली और टेड
पेशा

वकील,राजनेता 

राष्ट्रीयता अमेरिकन
मृत्यु 15 अप्रैल 1865

अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय – 

12 फरवरी 1809 को होड्जेविल्ले, केंटकी में अब्राहम लिंकन का जन्म हुआ था। वो एक गरीब परिवार में जन्मे थे। abraham lincoln education घर पर ही हुआ था । अब्राहम लिंकन इलिनॉय में वकालत करने लगे। उनके पिता का नाम थॉमस और उनकी माता का नाम नैंसी हैंक्स लिंकन था। लिंकन की छोटी बहन का नाम सारा था और छोटे भाई का नाम थॉमस था। अब्राहम लिंकन के पिता को पैसों के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता था।

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अब्राहम लिंकन का बचपन – 

अब्राहम लिंकन जब 9 साल उम्र में उनकी मां का देहांत हो गया था। लिंकन की मां के गुजरने के बाद उनके पिता ने फिर से विवाह कर लिया। सौतेली मां ने लिंकन को अपने बेटे की तरह प्यार दिया और उनका मार्गदर्शन किया। बचपन से ही अब्राहम को पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। उनको किताबें पढ़ना बहुत प्रिय था। किताबों के लिए वह मीलों दूर तक पैदल ही चले जाते थे। “द लाइफ ऑफ जॉर्ज वाशिंगटन” उनकी प्रिय पुस्तक थी।

abraham lincoln age 21  हो जाने के बाद बहुत तरह के काम किए। उन्होंने दुकानदार, पोस्ट मास्टर, सर्वेक्षक जैसी बहुत सी नौकरियां की। जीविका के लिए वह कुल्हाड़ी से लकड़ी काटने का काम करने लगे। उन्होंने सुअर काटने से लेकर लकड़हारे तक का काम किया, और खेतों में मजदूरी भी की।

अब्राहम लिंकन का विवाह – Abraham Lincoln Biography

abraham lincoln biography – 1843 में अब्राहम लिंकन ने मैरी टॉड नामक लड़की से विवाह कर लिया। सभी लोग मेरी टॉड को एक महत्वकांक्षी नकचढ़ी घमंडी लड़की समझते थे। मैरी के बारे में यह बात बहुत प्रसिद्ध थी कि वह हमेशा कहती थी कि वह उस पुरुष से विवाह करेगी जो अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा। इस बात के लिए सभी लोग उसका बहुत मजाक उड़ाते थे। लिंकन की पत्नी ने 4 बच्चों को जन्म दिया पर उनमें से सिर्फ एक रॉबर्ट टॉड ही जीवित बचा। सब लोग ऐसी बातें करते हैं कि लिंकन की पत्नी उनसे बात-बात पर झगड़ा करती थी और उनको बिल्कुल भी सम्मान नहीं देती थी

अब्राहम लिंकन की वकालत – Abraham Lincoln Biography

राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन ने 20 सालों तक वकालत की, पर इस दौरान उन्होंने सदैव सत्य और न्याय का ही साथ दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की तरह कभी भी झूठे मुकदमे नहीं लिए। सदा सत्य और न्याय से जुड़े मुकदमे ही लिए। अब्राहम लिंकन ने वकालत से कभी बहुत ज्यादा पैसा नहीं कमाया क्योंकि वह गरीब व्यक्तियों से बहुत कम पैसा लेते थे। बहुत से मुकदमों का निपटारा वह न्यायालय से बाहर ही कर देते थे जिसमें उनको ना के बराबर फीस मिलती थी।

वो अपने मुवक्किलों को कोर्ट के बाहर ही सुलह करने की सलाह देते थे जिससे समय और धन की बर्बादी ना हो। एक बार उनके एक मुवक्किल ने उनको $25 फीस दी, पर लिंकन ने सिर्फ $15 लिए और $10 वापस कर दिए। लिंकन ने कहा कि उनकी फीस सिर्फ $15 ही बनती है। उनकी ईमानदारी और सच्चाई की बहुत ही कहानियां है। लिंकन ने कभी भी झूठे मुकदमों को नहीं लड़ा। हमेशा सच का साथ दिया। वह कभी भी धन के लोभी नहीं रहे।

यही वजह थी कि वह वकालत के समय बहुत कम पैसा ही कमा पाते थे। वह किसी भी धर्म का पक्ष नहीं लेते थे। वह कहते थे कि जब मैं अच्छा काम करता हूं तो अच्छा अनुभव करता हूं और जब बुरा काम करता हूं तो बुरा अनुभव करता हूं। यही मेरा धर्म है।

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राष्ट्रपति के रूप में अब्राहम लिंकन –

अब्राहम लिंकन न्यू रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य थे। रिपब्लिकन पार्टी दास प्रथा को खत्म करना चाहती थी। उनका विचार था कि मनुष्य को दास बनाकर खरीदना बेचना या रखना अमानवीय कार्य है। दास प्रथा को लेकर पूरा अमेरिका देश बंटा हुआ था। आधे लोग चाहते थे कि दास प्रथा खत्म हो जाए जबकि आधे लोग चाहते थे कि यह जारी रहे। दक्षिण अमेरिका के गोरे निवासी चाहते थे।

कि गुलाम (अश्वेत) उनके खेतों में मजदूरों की तरह काम करें। गोरे अश्वेत नागरिकों को अपना गुलाम बनाना चाहते थे। 1860 में अब्राहम लिंकन को अमेरिका के 16 राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।तब अब्राहम लिंकन का संघर्ष पूर्ण हो पाया था। अब्राहम लिंकन का पत्र की बात करे तो उन्होंने शिक्षक को पत्र लिखा की ,मैं जानता हूँ कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं हैं। 

अब्राहम लिंकन के कुछ रौचक बाते – 

  •  टेलीग्राफ का उपयोग करने वाले लिंकन पहले राष्ट्रपति थे।
  •  लिंकन की माँ को जहर वाले दूध से मारा गया था।
  • अब्राहम लिंकन अमेरिकी सीनेट के लिए दो बार भाग दोनों वक्त हार गए।
  • 1876 में लिंकन के शरीर को ग्रेव लुटेरों ने चुराने की कोशिश करी थी। 
  • वह पहले दाढ़ी वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे, पहले एक पेटेंट धारण करते थे। 
  •  4 नवंबर 1842 को लेक्सिंगटन केंटकी के मैरी टॉड से शादी की। उनके कई सौतेले भाइयों की मृत्यु गृहयुद्ध के दौरान हो गई।
  •  राष्ट्रपति बराक ओबामा लिंकन का बहुत सम्मान करते थे। राष्ट्रपति पद की शपत लेने से पहले उस स्थान पर गए  जहासे उन्होंने शुरूआत करी थी। 
  • अब्राहम लिंकन को अपनी मृत्यु के 3 दिन पहले सपना आ गया था कि उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई है यह बात उन्होंने अपने पत्नी मैरि को कही थी। 
  • उन्हें एक प्रतिभाशाली कथाकार के रूप में जाना जाता था और चुटकुले सुनाना पसंद था।
  • 1865 में मेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को वॉशिंगटन के ‘फोर्ड थियटर’ में गोली मार दी गई , जब वो ‘अवर अमेरिकन कज़िन’ नाटक देख रहे थे। गोली मारने वाला जॉन वाइक्स बूथ पेशेवर नाट्यकर्मी था।
  • लिंकन को गोली मारने वाले जॉन वाइक्स बूथ को दस दिन बाद वर्जीनिया के एक फार्म से पकड़ा गया था। 
  • 1865 में अपनी हत्या से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने सीक्रेट सर्विसेज का गठन किया था। 

अब्राहम लिंकन का पुस्तक प्रेम – Abraham Lincoln Biography

लिंकन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन के जीवन से बहुत प्रभावित थे। एक समय उन्हें पता चला कि एक पड़ोसी के पास जार्ज वाशिंगटन का जीवन चरित है। वे उषा से नाच उठे, पर मन में डर आया कि पड़ोसी पुस्तक देगा या नहीं। पड़ोसी ने पुस्तक दे दी। अब्राहम ने शीघ्र ही लौटा देने का वादा किया। अब्राहम लिंकन ने पुस्तक अभी समाप्त ही नहीं की थी कि एक दिन अचानक बड़ी जोर से बारिश हुई। अब्राहम लिंकन झोपड़ी में रहते थे; पुस्तक बारिश के कारन से भीगकर ख़राब हो गई। अब्राहम के मन में बड़ा दुख हुआ, परन्तु वे निराश नहीं हुए। मुझसे एक बड़ा अपराध हो गया है।

सोलह साल की अवस्था वाले असहाय बालक अब्राहम की बात से पड़ोसी आश्चर्यचकित हो गया। वह बालक की सरलता और निष्कपटता से बहुत प्रसन्न हुआ। अब्राहम ने कहा कि मैं पुस्तक लौटा नहीं सकूंगा। यध्यपि वह जल से भीगकर ख़राब हो गई है, तो भी मैं आपको नई पुस्तक दूंगा। तुम नई पुस्तक किस तरह दे सकोगे? घर पर तो पैसे का ठिकाना नहीं है और बात ऐसी करते हो? पडोसी ने झिड़की दी। मुझे अपने श्रम पर विश्वास है। मैं आपके खेत में मजदूरी कर पुस्तक के दुगुने दाम का काम कर दूंगा।

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लिंकन की हत्या के कुछ अनसुने राज़ –

  • दुनिया को लोकतंत्र की नई परिभाषा देने वाले अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन की हत्या से जुड़े कई अहम पहलू अभी तक दुनिया के सामने नहीं आए हैं।
  • आपको बता दें कि 14 अप्रैल 1865 में लिंकन को वाशिंगटन के ‘फोर्ड थियटर’ में उस वक्त गोली मारी गई थी जब वो जब वो ऑवर अमेरिकन कजिन नाटक देख रहे थे।
  • लिंकन को गोली किसी और ने नहीं बल्कि एक जाने माने रंगमंच कर्मी जॉन वाइक्स बूथ ने मारी थी। दिलचस्प बात यह थी कि लिंकन को जिस वक्त गोली मारी गई थी। 
  • उस वक्त उनके निजी सुरक्षागार्ड जॉन पार्कर उनके साथ मौजूद नहीं थे। लिंकन पूरी दुनिया में अपने काम के लिए मशहूर थे। उन्होंने अमेरिका में स्लेवरी या गुलामी प्रथा को पूरी तरह से खत्म कर एक बड़ा काम किया था। 

Abraham Lincoln Death – 

15 अप्रैल 1865 में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में एक सिनेमाघर में अब्राहम लिंकन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जाने माने अभिनेता जॉन वाइक्स बूथ ने उनकी हत्या की जब वो “ऑवर अमेरिकन कजिन” नाटक देख रहे थे। दिलचस्प बात यह थी कि लिंकन को जिस वक्त गोली मारी गई थी। उस वक्त उनके निजी सुरक्षागार्ड जॉन पार्कर उनके साथ मौजूद नहीं थे। लिंकन को गोली मारने वाले जॉन वाइक्स बूथ को 10 दिन बाद वर्जीनिया के एक फार्म से पकड़ा गया। जहां अमेरिकी सैनिकों ने उन्हें एक मुठभेड़ में मार गिराया।

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Abraham Lincoln ka Jeevan Parichay –

Abraham Lincoln Facts – 

  •  अपनी असफलताओ से कभी निराश नही हुए।
  • 21वें वर्ष में वार्ड मैंबर का चुनाव हारे 22वें वर्ष में शादी में असफल हुए। 
  •  27वें में पत्नी ने तलाक दिया, 32वें में सांसद चुनाव का चुनाव हार गए।
  • 37वें, 42वें और 47वें वर्ष में भी चुनाव हारे पर 52 वर्ष की आयु में अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए।
  •  51 वर्ष की उम्र में अमेरिका के 16th सबसे लम्बी अवधिकाल के लिए राष्ट्रपति बने
  • उन्हें पालतू बिल्ली “टैबी ” से बेहद प्यार था। 
  • थैंक्सगिविंग डे को राष्ट्रीय पर्व के रूप में अब्राहम लिंकन के दुबारा ही मनाया गया था
  • अब्राहम ने 22 वर्ष की उम्र में जीवन के पहले बिज़नेस की शुरुवात की परन्तु वे इसमें असफल रहे
  •  24 वर्ष  में दोबारा नया बिज़नेस शुरू किया लेकिन दुर्भाग्यवश ये बिजनेस भी नहीं चल सका था। 
  • राष्ट्रपति के टिकट के लिए अपनी बोली में हार गए। लिंकन 1856 में रिपब्लिकन सम्मेलन में एक असफल उपाध्यक्ष थे।

इसकेबारे में भी जानिए :-

Abraham Lincoln Biography Questions –

1 .abraaham linkan kaun the ? 

अब्राहम लिंकन अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति और दास प्रथा को खत्म करने वाले व्यक्ति थे। 

2 .abraaham linkan ko bachapan se hee kya padhane ka shauk tha ?

अब्राहम लिंकन को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। 

3 .abraaham linkan ko kya padhane ka shauk tha ?

अब्राहम लिंकन को किताबें पढ़ना बहुत प्रिय था।

4 .abraaham linkan ko kis desh ka raashtrapati chuna gaya ?

अब्राहम लिंकन को अमेरिका देश का राष्ट्रपति चुना गया था। 

5 .abraaham linkan amerika ke raashtrapati kab bane ? 

06 नवंबर 1860 के दिन अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। 

6 .abraaham linkan kee saphalata ka sabase bada rahasy kya tha ?

परेशानियों का सामना करना और संकल्प ही अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य था

7 .abraaham linkan amerika ke raashtrapati kaise bane ?

Senate के चुनाव जितके अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। 

8 .abraaham linkan amerika ke raashtrapati kab bane ?

06 नवंबर 1860 के दिन अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे।

Conclusion –

आपको the story of abraham बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने when was abraham lincoln born और abraham meaning से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Mahatma Gandhi Information In Hindi - Thebiohindi

Mahatma Gandhi Information In Hindi – महात्मा गांधी का जीवन परिचय

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Mahatma Gandhi Information In Hindi की जानकारी देंगे एव भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अहम योगदान देने वाले महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताने वाले है। 

दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट के 1915 में गांधीजी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की निव राखी। शोषण , रंगभेद की नीति , अन्याय को दूर करके अहिंसा  और सामाजिक एकताबनके भारत को स्वतंत्रता दिलाई है। आज हम mahatma gandhi quotes , mahatma gandhi history और महात्मा गांधी की आत्मकथा का आपको परिचय देंगे। उन्होंने कैसे एक साधारण व्यक्ति से महात्मा तक की उपाधि हासिल की उसका पूरा लेखा जोखा बताएँगे। 

आज एक ऐसे बडे महान आत्मा के बारे में बात करने वाले हे। जिनकी बाते सभी ने बहुत कुछ बाते सुनी होगी और उनके बारे में कही बार पढ़ा भी होगा जीनका नाम है महात्मा गांधीजी जिन्होंने अपने पुरे जीवन में अपने शरीर का आधा हिस्सा अपने देशवासियो को कपडे मिले इसके लिए खुला ही रहने दिया। महात्मा गांधी भाषण करते तब सभी लोग उन्हें देखते ही रहा करते थे। क्योकि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान बहुत बड़ा है। तो चलिए महात्मा गांधी के विचार बताना शुरू करते है। 

Mahatma Gandhi Information In Hindi –

 नाम  मोहनदास करमचंद गांधी
 जन्म  2 अकतूबर 1869
 पिता  करमचंद गांधी
 माता   पुतलीबाई
 पत्नी  कस्तूरबा
mahatma gandhi children  ( 1 ) हरीलाल गांधी (1888)
 ( 2 ) मणिलाल गांधी (1892)
 ( 3 ) रामदास गांधी (1897)
 ( 4 ) देवदास गांधी (1900)
 वंश  गांधी
gandhiji death  30 जनवरी 1948

महात्मा गांधी की जीवनी –

2 अकतूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधीजी का जन्म हुआ था mahatma gandhi father name करमचंद गांधी था और mahatma gandhi mother name पुतलीबाई था। महात्मा गांधीजी ने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों और पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया था। 

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महात्मा गांधी शिक्षा –

महात्मा गांधीजी को पढाई लिखाई मे बहुत ही रुचि थी। उन्होंने अपनी मातृ भाषा मे ही शिक्षण प्राप्त किया था उनका पुरा बचपन पोरबंदर शहर में ही बिता था। महात्मा गांधीजी मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में हुई। शैक्षणिक स्तर पर मोहनदास एक औसत छात्र ही रहे। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की स्वास्थ्य ख़राब होने की वजह से वह कॉलेज छोड़कर पोरबंदर mahatma gandhi family के पास चले गए और फिर घर पर ही उन्होंने पढ़ाई चालू की थी। 

mahatma gandhi information – महात्मा गांधीजी ने भारत में अपनी पढाई खत्म करने के बाद वो आगेकी पढाई करने के लिए वो इंग्लैंड बले गए ।  महात्मा गांधीजी वहा पर बैरिस्टर कि पढाई की और फिर वो बैरिस्टर बन गये और वो भारत वापस लौट आऐ। महात्मा गांधीजी सत्य अहिंसा और प्रेम के पुजारी थे महात्मा गांधीजी बैरिस्टर बन ने के बाद वो वकालत की पढाई करने के लिए वो दक्षिण आफिका चले गए और फिर उन्होंने अपनी पढाई खत्म की और वो वापस भारत लौट आऐ और फिर उन्होंने फिर भारत में वकिलात करना चालू कर दिया।

गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914) –

महात्मा गाँधीजी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। और वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। फिर उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ। 7 जून, 1893 को ही महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा का पहली बार इस्तेमाल किया था। 1893 में एक महात्मा गांधीजी ने साल के कॉन्ट्रैक्ट पर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका चले गए थे / वह उन दिनों दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहते थे

महात्मा गांधीजी को किसी काम से दक्षिण अफ्रीका में वह एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में सफर कर रहे थे। एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। महात्मा गांधीजी रेलवे अधिकारियों से भिड़ गए और कहा कि वे लोग चाहें तो उनको उठाकर बाहर फेंक सकते हैं लेकिन वह खुद से कंपार्टमेंट छोड़कर नहीं जाएंगे। वास्तव में अन्याय के खिलाफ खड़े होने की यही हिम्मत तो सविनय अवज्ञा थी।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह –

mahatma gandhi information – इस घटना से महात्मा गांधीजी टूटने की बजाए और मजबूत होकर उभरे। और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंग के नाम पर होने वाले भेदभाव और भारतीय समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने का निश्चय किया। यहीं से गांधीजी का एक नया अवतार जन्म लेता है। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधीजी ने भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी महात्मा गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में ही रुकने का फैसला किया और महात्मा गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका के एक कानून के खिलाफ मुहिम चलाई जिसके तहत भारतीय समुदाय के लोगों को वोट देने का अधिकार प्राप्त नहीं था। 

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महात्मा गांधी के आंदोलन –

संन 1914 में महात्मा गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट के आये और इस समय महात्मा गांधीजी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में महात्मा गांधीजी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में महात्मा गांधीजी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और , आर्थिक और सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों को समझने की कोशिश भी कर रहे थे

नमक सत्याग्रह – Mahatma Gandhi Information

नमक सत्याग्रह महात्मा गांधीजी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों में से एक सत्याग्रह हे और 12 मार्च, 1930 में महात्मा गांधीजी ने अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था महात्मा गांधीजी यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था।  महात्मा गांधीजी द्वारा चलाए गए अनेकों आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह मार्च ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर उभरा था। 

महात्मा गांधीजी को नमक सत्याग्रह में अनेक महापुरूषों ने साथ दिया था और लगातार 24 दिनों तक पैदल मार्च निकला और वह दांडी गांव पहुंच गए। उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत ने चाय, कपड़ा, यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था और उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था. हमारे पूर्वजों को इंगलैंड से आनेवाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे। 

mahatma gandhi information – महात्मा गांधीजी ने दांडी पहुंचकर अपने साथियों के साथ हाथ में नमक लेकर बोले कि आज से मैंने नमक का कानून तोड़ देयाभारत छोड़ो आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन , द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 9 अगस्त1942 को आरंभ किया गया था। यह एक आंदोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधीजी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था।

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भारत छोड़ो आंदोलन –

भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” आरंभ करने का निर्णय लिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। आठ अगस्त का दिन अफगानिस्तान में भी एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह रहा है। भारत छोड़ो प्रस्ताव एक ऐसा प्रस्ताव था जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक विशिष्‍ट मोड़ दिया और इस प्रस्ताव ने तो जैसे सारा राजनीतिक माहौल ही बदल डाला।

सारे देश में एक अभूतपूर्व उत्साह की लहर दौड़ गई। लेकिन उस उत्साह को राष्‍ट्रीय विस्फोट में बदल दिया उस रात राष्‍ट्र के प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी ने। तत्कालीन गोरी सरकार के इस कदम की जो तीव्र प्रतिक्रियाएँ हुई, वह सचमुच अभूतपूर्व थी। गांधी जी को पुणे की आगा खां पैलेस में कैद कर लिया गया और लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

भारत छोड़ो आंदोलन’ मूल रूप से एक जनांदोलन बन गया था, जिसमें भारत के हर जाति-वर्ग के लोग ने भाग लिया था। खास बात ये है कि इस आंदोलन में युवाओं की बड़ी भागेदारी थी। यहां तक की छात्रों ने स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए थे और आंदोलनमें शामिल हो गए थे। हालांकि उनमें से कइयों को जेल भी जाना पड़ा था।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा सत्याग्रह महात्मा गाँधी द्वारा प्रारम्भ किया गया था। ‘चम्पारन सत्याग्रह’ के बाद गाँधीजी ने 1918 ई. में खेड़ा सत्याग्रह गुजरात के किसानों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन शुरू किया। खेड़ा में गाँधीजी ने अपने प्रथम वास्तविक ‘किसान सत्याग्रह’ की शुरुआत की थी। खेड़ा के कुनबी-पाटीदार किसानों ने 1918 ई. में अंग्रेज़ सरकार से लगान में राहत की माँग की थी, क्योंकि गुजरात की पूरे वर्ष की फ़सल मारी गई थी। किसानों की दृष्टि में फ़सल चौथाई भी नहीं हुई थी।

mahatma gandhi information – ऐसी स्थिति को देखते हुए लगान की माफी होनी चाहिए थी, पर सरकारी अधिकारी किसानों की इस बात को सुनने को तैयार नहीं थे। किसानों की जब सारी प्रार्थनाएँ निष्फल हो गईं, तब महात्मा गाँधी ने 22 मार्च, 1918 ई. में ‘खेड़ा आन्दोलन’ की घोषणा की और उसकी बागडोर को संभाला था। खेड़ा सत्याग्रह गुजरात के खेड़ा ज़िले में किसानों का अंग्रेज़ सरकार की कर-वसूली के विरुद्ध एक सत्याग्रह (आन्दोलन) था। यह महात्मा गांधी की प्रेरणा से सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य नेताओं की आगेवानी मे हुवा था। 

उन दिनो भारत में भी अंग्रेजो का शासन था। भारत आकर गांधीजी ने देश की आजादी के लिए असहयोग चलाया । गांधीजी ने जनता के दिल में राष्ट्रीयता व स्वतंत्रता की भावना जगाई । महात्मा गांधीजी , गोपाल कृष्ण सुभाषचंद बोस, बाल गंगाधर जयप्रकाश नारायण सरदार पटेल और लालबहादुर शास्त्री जौसे अनेक महान लोगो ने ऐकजुड किया।

चंपारण सत्याग्रह –

अंग्रेजों की विरुद्ध महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में अनेक आंदोलन किए गए थे। इस आंदोलनों में चंपारण सत्याग्रह था. जो भारत के किसानों से जुड़ा हुआ था। 19 अप्रैल, 1917 को शुरू किए गए इस आंदोलन को  101 साल पूरे हो गए हैं। चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था।

 आंदोलन के माध्यम से महात्मा गांधीजी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था। ‘चंपारण’ के साहूकार राज कुमार शुक्ला और संत राउत ने महात्मा गांधीजी से लखनऊ में जाकर मुलाकात की थी। लेकिन गांधीजी चंपारण की दुर्दशा से अनभिज्ञ थे. लिहाजा, ब्रजकिशोर प्रसाद के माध्यम से उन्हें जानकारी हुई. अधिवेशन में चंपारण से संबंधित प्रस्ताव पारित हुआ. शुक्लजी को प्रसन्नता हुई लेकिन इतने से उन्हें संतोष नहीं था। 

उन्होंने गांधीजी से आग्रह किया कि स्वयं चंपारण चलकर रैयतों की दशा अपनी आंखों से देख लें. अधिवेशन के बाद गांधीजी कानपुर और अहमदाबाद गए तब भी शुक्लजी साथ रहे. चंपारण यात्रा की तिथि निश्चित करने का गांधीजी से अनुरोध किया। इस पर गांधीजी ने चंपारण आने के वचन को दुहराया था। 

दलित आंदोलन –

mahatma gandhi information – महात्मा गांधीजी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। और गांधीजी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी। संन 1933 – आज ही के दिन महात्मा गांधीजी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की।

महात्मा गांधीजी ने हरिजन के लिए जगहों के आरक्षण के साथ एक ही निर्वाचक मंडल की इच्छा जाहिर की। लेकिन इस नेतृत्व को दलित नेता भीमराव आंबेडकर ने स्वीकार नहीं किया। महात्मा गांधीजी ने 85 साल पहले हरिजन आंदोलन करते हुए 21 दिन तक उपवास किया थामहात्मा गांधी को दुनिया दूसरे स्मारकों के साथ ही दलितों का भी मसीहा मानती है

यह सच है कि दक्षिण अफ्रीका से वापस लौटने के बाद जब वे मैला उठाने वालों की बस्ती में रहे और उनकी समस्याओं को जाना तो एक साल के भीतर ही 1916 में कांग्रेस के भीतर उन्होंने छुआछूत का मुद्दा उठाया था। महात्मा गांधीजी ने छुआछूत की भावना को खत्म करने के लिए वह अपना शौचालय खुद साफ करते और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहते. ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जिनसे दलितों के लिए महात्मा गांधी के लाठी उठाने के दावे का समर्थन किया जा सकता है

आजादी –

हमारा भारत देश 1947 मे महात्मा गांधीजी के नेतृत्व मे आजाद हुआ था । आजादी के बाद पुरे भारत देश मे खुशीया छाई हुई थी और चारो और गांधीजी की जय जय कार मची हुई थी। भारत देश पूरा 15 अगस्त 1948 को जब आजादी का जश्न मना रहा था तब उस समय एक शख्स ऐसा भी था जो ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्ति के इस महोत्सव में शामिल नहीं था। 

वह खामोशी के साथ राजधानी दिल्ली से कई किलोमीटर दूर कोलकाता में हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति और संयम कायम करने के काम में लगा हुआ था और वह और कोय नहीं बल्कि महात्मा गांधी खुद थे। 

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Mahatma Gandhi Death –

mahatma gandhi death date 30 जनवरी 1948 है। भागते हुए बिरला हाउस के प्रार्थना स्थल की तरफ़ बढ़ रहे थे, तो उनके स्टाफ़ के एक सदस्य गुरबचन सिंह ने अपनी घड़ी की तरफ़ देखते हुए कहा था। “बापू आज आपको थोड़ी देर हो गई.”गाँधी ने चलते-चलते ही हंसते हुए जवाब दिया था, “जो लोग देर करते हैं उन्हें सज़ा मिलती है.” महात्मा गांधीजी को नथूराम गोडसे ने अपनी बेरेटा पिस्टल की तीन गोलियाँ मर कर उनकी हत्या कर दी थी। 

भारत देश ने गांधीजी को राष्टपिता का सन्मान दिया । और उतना ही नहीं आज भी हमारा भारत देश गांधीजी को दिल से याद करता है और उतना ही नहीं हमारे भारत देश में हर साल महात्मा गांधीजी की जन्म तिथि और पुन तिथि भी मनाई जाती है। महात्मा गांधीजी जेसे देश भकत को आज भी दुनिया दिल से याद करती है और उनको सलाम करती है। 

Mahatma Gandhi Information Video –

Mahatma Gandhi Facts – 

  •  गांधीजी  ने सहयोग आंदोलन , नमक सत्याग्रह ,दलित आंदोलन ,भारत छोड़ो आंदोलन और चंपारण सत्याग्रह चलाये थे।
  • महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम में से ‘सत्य के प्रयोग को महात्मा गांधी आत्मकथा का दर्जा हासिल है। 
  • महात्मा गांधी की बेटी का नाम  रानी और मनु था। 
  • भारत में 2 October के दिन महात्मा गांधी जयंती मनाई जाती है। 
  •  गांधीजी को नथूराम गोडसे ने बेरेटा पिस्टल की तीन गोलियाँ मार कर हत्या कर दी थी। 

Mahatma Gandhi Questions –

1 .mahatm gandhi full namai kya tha ?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था।

2 .maut ke vakt mahatm gandhi agai kitanee thee ?

मौत के वक्त महात्मा गाँधी की आयु 78 years थी। 

3 .mahaatma gaandhee dakshin aphreeka se bhaarat kab laute the ?

महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत 1915 में लौटे थे। 

4 .mahaatma gaandhee ke pita ka naam kya tha ?

महात्मा गांधी के पिता का नाम Karamchand Gandhi था। 

5 .mahaatma gaandhee kee mrtyu kab huee ?

महात्मा गांधी की मृत्यु 30 January 1948 के दिन हुई थी।

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Conclusion –

आपको मेरा आर्टिकल Mahatma Gandhi Information In Hindi बहुत अच्छे से समज आया होगा। लेख के जरिये  हमने gandhi asharam और gandhi jayanti से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Subhash Chandra Bose Biography in Hindi - Thebiohindi

Subhash Chandra Bose Biography I n Hindi – सुभाष चंद्र बोस की जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Subhash Chandra Bose Biography in Hindi बताएँगे। गांधीजी को महात्मा की उपाधि देने वाले सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय बताने वाले है। 

सुभाष चंद्र बोस के नारे ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ ने पुरे भारत में प्रसिद्द हुए और उनकी वजह से लोगो ने ‘नेता जी’ कहकर के बुलान शुरू किया था। आज subhash chandra bose slogan , subhash chandra bose birthday और subhash chandra bose death की जानकारी देने वाले है। भारत में सुभाष चंद्र बोस जयंती 23 जनवरी के दिन मनाई जाती है। 

सुभाष चंद्र बोस की कहानी में आपको बतादे की 1960 में सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस भारत आयी तब जबरदस्त स्वागत किया गया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व और कृतित्व बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। और सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का रहस्य आजतक एक रहस्य ही रहा है। subhash chandra bose death date 18 अगस्त 1945 है। तो चलिए उनके बारेमे ज्यादा बताते है। 

Subhash Chandra Bose Biography in Hindi –

 नाम 

 सुभाषचंद्र बोस

 जन्म 

 23 जनवरी 1897

 पिता

 जानकी नाथ बोस

 माता

 प्रभावती देवी

 पत्नी

 एमिली (1937)

subhash chandra bose daughter

 अनीता बोस

 वंश

 बोस

 मृत्यू 

 18 अगस्त 1945

 मृत्यू का कारण

 एक प्लेन हादसे में हुए थी

Subhash Chandra Bose Ka Jeevan Parichay –

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली (subhash chandra bose family) परिवार में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम ‘जानकीनाथ ‘बोस और उनकी माँ का नाम ‘श्रीमती प्रभावती ‘ था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे | प्रभावती और जानकीनाथ बोस की 14 संतान थे | जिन्हे 6 बेटिया और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनके नौवीं संतान और पांच में बेटे थे। सुभाषचंद्र बोज का पूरा जीवन ओरिस्सा के कोटक शहर में बिता था। नेताजी सुभाषचंद्र बोज को पहले से अपने देश की सेवा करने में बहुत रुचि थी।

मशहूर वकील जानकीनाथ बोज ने अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने बहुत ही सारे केस को उन्होंने जीता है। सुभाषचंद्र बोज को अपने माता पिता एवंम अपने भाई बहन के प्रति बहुत ही प्यार था । सुभाष चंद्र बोस के घर के सामने एक बूढ़ी भिखारिन रहती थी। वे देखते थे कि वह हमेशा भीख मांगती थी और दर्द साफ दिखाई देता था। उसकी ऐसी अवस्था देखकर उसका दिल दहल जाता था। भिखारिन से मेरी हालत कितनी अच्‍छी है। यह सोचकर वे स्वयं शर्म महसूस करते थे।

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सुभाष चंद्र बोस की पढाई – Subhash Chandra Bose Biography

कटक के प्रोटेस्टेंड यूरोपियन स्कूल से अपनी पाइमरी शिक्षा पूरी की थी | प्राइमरी के बाद उन्होंने 1909 में उन्होंने रेवनशा कॉलेजियेट स्कूल में अवेश लिया था | बोस ने सन 1915 में 12 वी सेकंड डीविजन से पास की थी। सुभाष चंद्र बोस के पाठशाला के शिक्षक का नाम वेणीमाधव दास था | सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही पढ़ने में होनहार थे | उन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। और स्नातक में भी प्रथम आए थे। 

नेताजी की प्रारंभिक पढाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई | बाद उनकी शिक्षा कलकता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज़े में B.A (ऑनर्स )में प्रवेश लिया था | सुभाष चंद्र बोस के घर से उनके कॉलेज की दूरी 3 किलोमीटर थी। जो पैसे उन्हें खर्च के लिए मिलते थे।  उनमें उनका बस का किराया भी निकालना पड़ता था। सुभाष चंद्र बोस बुढ़िया की मदद हो सके। 

इसीलिए वह पैदल कॉलेज जाने लगे और किराए के बचे हुए पैसे से वह बुढ़िया को देते थे उसी दौरान सेना में भर्ती हो रही थी | उन्होंने भी सेना में भर्ती होने का प्रयास किया परंतु आंखे ख़राब होने के कारण उनको अयोग्य घोषित कर दिया गया| वे स्वामी विवेकानद के अनुनायक थे | अपने परिवार की इच्छा के अनुसार वर्ष 1919 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गए। 

बूढी महिला को सहायता –

सुभाष चंद्र बोस जब विद्यालय जाया करते थे तो मां उन्हें खाने के लिए भोजन दिया करती थी। लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने विद्यालय के पास ही एक बूढ़ी महिला रहती थी। और वह इतनी असहाय थी कि अपने लिए भोजन तक नहीं बना सकती थी। (subhash chandra bose in hindi )सुभाष चंद्र बोस अपना भोजन उस बूढी महिला को खाने के लिए दे दे ते थे | सुभाष चंद्र बोस अपनी जिंदगी बहुत ही खुसी से बिता रहे थे

आईसीएस की परीक्षा में उतीँण होने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनका मनोबल बढ़ाते हुए। देश सेवा का व्रत ले ही लिया था। तो कभी इस पथ से विचलित मत होना। आईसीएस सुभाषचंद्र बोज के शिक्षक वेणीमाधव दास ने ही छात्रो में देश भक्त्ति की आग जलाईं थी ओर उन्होंने ही सुभाषचंद्र बोज के अंदरकी देश भक्त्ति को जागृत कीया था। 

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गुरु की खोज – Subhash Chandra Bose Biography

सुभाषचंद्र बोज 25 साल की उम्र में ही अपने घर को छोड़ कर अपने गुरु की खोज में निकल जाते हैं लेकिन उनकी यह कोशिश ना कामियाब हो जाती है। सुभाषचंद्र बोज हिम्मत नहीं हारते बहुत कोशिश करने के बावजूद भी गुरु नहीं मिलते परंतु फिर वह स्वामी विवेकानंद के पुस्तको वह पढने के बाद वह स्वामी विवेकानंद को अपने गुरु का स्थान देते हैं। सुभाषचंद्र बोज ने स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु बनाया था | सुभाषचंद्र बोज ने स्वामी विवेकानंद के हर एक पुस्तक को पढ़ा और उनमे से जो योग्य लगता वह ज्ञान उनमे से प्राप्त करते थे। 

करियर

इन्होने सेना में भर्ती होने के लिए 49वीं नेटिव बंगाल रेजिमेंट के लिए परीक्षा दी। और उनमे उनकी आँखें कमजोर होने के कारण इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। सुभाष चंद्र बोस IAS बनना चाहते थे। उस समय समस्या यह थी की आयु योग्यता और इनकी आयु के अनुसार इनके पास एक ही मौका था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए उन्होंने 1920 में आवेदन किया और इस परीक्षा में उनको न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्होंने चैथा स्थान भी हासिल किया था। 

सूझ-बूझ और मेहनत से सुभाष जल्द ही कांग्रेस के मुख्य नेताओं में शामिल हो गए| 1928 में जब साइमन कमीशन आया तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया और काले झंडे दिखाए। जनवरी 1941 में सुभाष अपने घर से भागने में सफल हो गए और अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुँच गए | सुभाष चंद्र बोस को देशबंधु चित्तरंजन दास से मिलाने का काम महात्मा गांधी ने ही किया था। 

लेकिन असहयोग आंदोलन को अचानक समाप्त किए जाने से नाराज मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास ने जब कांग्रेस से अलग होकर स्वराज पार्टी बना ली।  तो सुभाष बाबू भी स्वराजियों के साथ ही गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महापुरूषों ने अपना योगदान दिया था। जिनमें सुभाष चंद्र बोस का नाम भी अग्रणी है। सुभाष चन्द्र बोस ने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा था। 

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सुभाष चंद्र बोस ने गांधीजी को दीमहात्माकी उपाधि

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अपनी अनवरत क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण अंग्रेजी सरकार की आँखों की करच बन चुके थे। अंग्रेजी सकार ने  27 जुलाई, 1940 को बिना कोई मुकदमा चलाये, अलीपुर जेल में डाल दियाअंग्रेजी सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस को 5 जनवरी, 1940 को जेल से रिहा तो कर दिया था। उन्होंने जर्मन सरकार के सहयोग से ‘वर्किंग ग्रुप इंडिया’ की स्थापना की थी। 

कुछ समय बाद ‘विशेष भारत विभाग’ में तब्दील हो गया। 22 मई, 1942 को जर्मनी के सर्वोच्च नेता हिटलर से मुलाकात की सुभाषचंद्र बोस ने अपने जीवन के 12 साल कारावास में बिताये थे। उन्होंने भारत की रक्षा के लिए बहुत योग दान दिया है। उनको भारत देश में जन्म हुआ उस बात का उन्हें बहुत गर्व महसूस होता है। सुभाषचंद्र बोस ने सर्व प्रथम 1921 में 6 महीने का कारावास अकेले बिताया था अनेक बार उनको कारावास जाना पड़ा था ।

जनवरी 1942 में उन्होंने रेडियो बर्लिन से प्रसारण करना शुरू किया जिससे भारत के लोगों में उत्साह बढ़ा। वर्ष 1943 में वो जर्मनी से सिंगापुर आए। पूर्वी एशिया पहुंचकर उन्होंने रास बिहारी बोस से ‘स्वतंत्रता आन्दोलन’ का कमान लिया। सुभाषचंद्र बोस को असहाय लोगों की मदद करके खुशी मिलती थी। 1925 में गोपीनाथ साहा नाम के एक कांतिकारी कोलकाता ना पुलिस अधीक्षक चालस टेगाड ने को मारना चाहते थे। 

इंडियन नेशनल आर्मी (INA) –

संन 1939 में द्वितीय विश्व युध्य चल रहा था, तब नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो को उपर दबाब पड़े और वह अपना भारत देश छोडकर चले जाएँ। जनता उनकी रिहाई की मांग करने लगे. तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा था इस दौरान 1941 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अपने भतीजे शिशिर की मदद से वहां से भाग निकले थे। 

कलकत्ता नगर निगम का अध्यक्ष रहने के दौरान जब सुभाष बाबू को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें बहुत ही गंभीर बीमारी की हालत में रिहा किया गया। सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजों को 6 महीने में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया। सुभाष के इस रवैय्ये का विरोध गांधीजी समेत कांग्रेस के अन्य लोगों ने भी किया जिसके कारण सुभाषचंद्र बोस ने उनके अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया

उन्होंने ऐक ‘फॉरवर्ड ब्लाक’ की स्थापना की सुभाषचंद्र बोस सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे.और फिर इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले थे। 1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे. यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे।  

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सुभाषचंद्र बोस और महात्मा गाँधी

नेताजी सभाषचंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच के वैचारिक भेद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने वाले लोग अक्सर 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव वाला प्रसंग जरूर याद दिलाएंगे। यह संदेश चार फरवरी, 1939 को ‘यंग इंडिया’ में छपा था। महात्मा गांधीजी कहते हे की ‘इस हार से मैं खुश हूं.. सुभाष बाबू अब उन लोगों की कृपा के सहारे अध्यक्ष नहीं बने हैं। जिन्हें अल्पमत गुट वाले लोग दक्षिणपंथी कहते हैं, बल्कि चुनाव में जीतकर अध्यक्ष बने हैं। 

हमारा काम तो यह देखना है। कि हमारा उद्देश्य महान हो और सही हो। सफलता यानी कामयाबी हासिल कर लेना हर किसी की किस्मत में नहीं लिखा होता। सुभाषचंद्र बोस अपनी कमी को स्वीकारते और उसे सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करते थे | सुभाष चन्द्र बोस पढ़ाई में बहुत होशियार थे। सारे विषयों में उनके अच्छे अंक आते थे किन्तु बंगाली भाषा में वह कुछ कमजोर थे। 

Subhash Chandra Bose Death – 

1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया। लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी।  कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। उनकी मृत्यु ताईवान में हो गयी। परंतु उसका दुर्घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिल सका। (subhash chandra bose death mystery)सुभाष चंद्र की मृत्यु आज भी विवाद का विषय है और भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा संशय है। 

17 जनवरी, 1941 को जब सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता के अपने एल्गिन रोड वाले मकान से किसी को कुछ बताए बिना गायब हो गयें | सुभाष चन्द्र बोस ने किस समय घर छोड़कर गए थे। इसका कुछ पता नहीं। पिछले तीन दिनों से बहुत कोशिश करने के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली। परिस्थितियों से लगता है कि उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया है। 

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Subhash Chandra Bose Biography Video –

सुभाष चंद्र बोस के रोचक तथ्य –  

  • एकबार अंजानेमे ऐक अनस्ट टे नाम के व्यापारीको उन्होंने गोली मारकर उनकी हत्या करदी।
  • उसके लिए उनको फाँसी की सजा दी गई थी।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जोड़ने के लिए।
  • उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया और आपने मिशन को सफल बनाने के लिए वीडियो का इस्तेमाल करते थे। 
  • अब आजाद हिन्द फ़ौज भारत की ओर बढ़ने लगी और तब सबसे पहले अंदमान और निकोबार को आजाद किया गया। 
  • सुभाष चंद्र बोस का परिवार हिन्दू कायस्थ था।
  • 4 जून, 1925 को ‘यंग इंडिया’ में महात्मा गांधी जब बाढ़ राहत के संदर्भ में एक लेख लिखते हैं।
  • तो ऐसे कार्यों में सबसे दक्ष नेतृत्व के रूप में उन्हें सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस की याद आती है। 
  • subhash chandra bose wife का नाम Emilie Schenkl था।

Subhash Chandra Bose Biography Questions –

1 .netaajee subhaash chandr bos par bhaashan kya hai ?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भाषण तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा बहुत प्रचलित है। 

2 .subhaash chandr bos par kavita kisane likhee hai ?

सुभाष चंद्र बोस पर कविता गोपाल प्रसाद व्यास ने लिखी है। 

3 .subhaash chandr bos kee mrtyu kaise huee ?

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु एक प्लेन दुर्घटना में  हुई थी। 

4 .subhaash chandr bos kee samaadhi kaha hai ?

सुभाष चंद्र बोस की समाधि Renkō-ji, Tokyo, Japan में उपस्थित है। 

5 .netaajee subhaash chandr bos ne 1939 mein kis paartee ka gathan kiya tha ?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में कांग्रेस में फॉरवर्ड ब्लाक का गठन किया था।

6 .subhaash chandr bos naam ke ek raajaneta 2019 mein kis raajy ke mukhyamantree bane hai ?

सुभाष चंद्र बोस नाम के एक राजनेता 2019 में आंध्र प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री बने है।

इसके बारेमे भी जानिए :-

Conclusion –

आपको मेरा  आर्टिकल subhash chandra bose ki jivani बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  हमने subhash chandra bose quotes और subhash chandra bose history से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi - सरदार वल्लभभाई पटेल जीवनी

Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi – सरदार वल्लभभाई पटेल जीवनी

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi बताएँगे। उसमे भारत के लोखंडी और आजाद भारत के प्रणेता पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय देने वाले है।

Sardar Vallabhbhai Patel Information – भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक वल्लभभाई झवेरभाई पटेल थे । उन्होंने अपने भारत देश की आजादी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज हम sardar sarovar dam ,sardar patel stadium और sardar vallabhbhai patel statue जिनके नाम से बना है। उस महान व्यक्ति से सबंधित माहिती बताएँगे और sardar vallabhbhai patel history से वाकिफ कराएँगे  जिन्होंने अपने बलबूते पर भारत को एक करके दिखाया है।  

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, सन् 1875 में उनके मामा के घर नडियाद ने हुआ था । वर्तमान समय में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति स्थापित की गयी है। तो दूसरी और सरदार पटेल स्टेडियम  बदल के नरेंद्र मोदी ने अपना नाम रख दिया है। क्या इतिहास बदलना या उनका नाम मिटाना गलत नहीं है ? उसमे अपनी राय हमारे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे। राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने ही भारत को जोड़ने की मेहनत की थी। तो चलिए आपको ले चलते है। sardar vallabhbhai patel charitra बताने के लिए। 

Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi –

 जन्म   31 अक्टूबर 1875 (नडियाद)
 नाम   सरदार वल्लभभाई पटेल
 पिता  झवेरभाई
 माता   लाड बाई
 भाई   सोमभाई पटेल
 नरसिंहभाई पटेल
 विट्ठलभाई पटेल
 बहन  डाहीबा
 पत्नी  झावेर बा
 पुत्र   ड़ाहयाभाई
 पुत्री   मणीबेन
cast  पटेल
 निधन   15 दिसंबर 1950 (बॉम्बे)

सरदार वल्लभभाई पटेल का प्रारंभिक जीवन – 

sardar vallabhbhai patel birthday 31 अक्टूबर, 1875 है। उनका जन्म उनके मामा के गांव (नडियाद)  हुआ था। और उनके पिता का  नाम जवेरभाई था और उनकी माता का नाम लाड़बाई था। जवेरभाई को चार पुत्र और ऐक पुत्री थी चार भाई ओ में  सरदार वल्लभभाई पटेल सबसे छोटे थे और अपने पिताजीके प्यारे पुत्र थे।

सरदार वल्लभभाई पटेल बचपन से ही अपने पिताजी को खेत के काम में बहुत ही मदद करते थे । पूरा दिन खेत में काम करते और फिर श्याम को घर पर पढ़ाई करते थे ।सरदार वल्लभ भाई को बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही रुचि थी   और तो और उनका पूरा बचपन खेड़ा जिले के करमसद गांव  ने बिता था ।

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Sardar Vallabhbhai Patel के भाई और बहन – 

  • सरदार वल्लभभाई पटेल  तीन  भाई थे :-
  •  सोमभाई पटेल
  •  नरसिंहभाई पटेल
  •  विट्ठलभाई पटेल
  • सरदार वल्लभभाई पटेल  की बहन  :- डाहीबा

पिता जवेरभाई इन चारो पुत्र में से  सरदार वल्लभभाई पटेल सबसे  प्यारे  थे क्यों की सरदार वल्लभभाई पटेल अपने पिता के हर काम मे हाथ  बटा ते थे  और उनकी पढ़ाई लिखाइ  का पूरा खर्च उनके पिता करते थे ।   

सरदार वल्लभभाई पटेल का अभ्यास – 

 सरदार वल्लभभाई पटेल को अपनी स्कूल की  शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लगा करीबन उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की थी।  सरदार वल्लभभाई पटेल को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए  नडियाद के पेटलाद और  बोरसद में भी  जाना पडा  था। ऐसे उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी और फिर आगेकी भी पढ़ाई के लिए वो अहमदबाद गए थे । सरदार वल्लभभाई पटेल परिवार की आर्थिक तंगी  की वजह से वे  कॉलेज नहीं गये।  

लेकिन किताबे खरीद कर ज़िलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी करने लगे और इस परीक्षा में उन्होंने सर्वाधिक अंक प्राप्त किए और वह परीक्षा में पास हो गए ।  सरदार वल्लभभाई पटेल ने वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गये । लेकिन उनके पास कॉलेज का ज्ञान नहीं था ।  वकालत की पढ़ाई 36 महीने तक करनी होती है । लेकिन सरदार  वल्लभभाई पटेल वकालत  के कोर्स को 30 महीने में ही पूरा कर लिया और फिर वह वकील बन गए ।

सरदार वल्लभभाई पटेल का  विवाह – 

सरदार वल्लभभाई पटेल जब  18 साल के थे तभी उनका विवाह उनके  पिताजी ने पडोस वाले गांव में कर दिया था  उनकी पत्नी का नाम झवेर बा था ।  लेकिंन तब वो  पढ़ना चाहते थे । उनकी शादी के तीन-चार  साल बाद  उनकी पत्नी ने एक पुत्र और एक पुत्री  को जन्म दिया   और उनका  नामकरन किया ।  जिसमे पुत्र का नाम  ड़ाहयाभाई और पुत्री का नाम  मनीबेन  रखा था ।

पहले के ज़माने में  में  एक प्रथा प्रचलित थी की जब तक पति खुद काम करकर पैसा नहीं  कमाता तबतक उसकी पत्नी अपने पिता के वहा  पर ही  रहती हे   और पति को अकेला रहना पड़ता है ।  

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पत्नी  झावेर बा की मुत्यु की खबर मिली –

Sardar Vallabhbhai Patel Information – सरदार वल्लभभाई पटेल की पत्नी झावेर बा  कैंसर से पीड़ित थी ।  उनकी पत्नी को सन, 1909 में मुंबई के एक होस्पिटल में भर्ती किया गया था । म्बई हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल की पत्नी झावेर बा का निधन हो गया । 

सरदार वल्लभभाई पटेल  जब सरकारी अदालत में कार्य वही में व्यस्त थे की तभी  पत्नी झावेर बा के निधन की खबर मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अपना काम काज चालू रखा और मुक़दमा जित गये। अदालती कार्यवाही ख़त्म होने के बाद    सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी पत्नी की निधन ही खबर सब को सुना दि ।

सरदार वल्लभभाई पटेल  का राजनैतिक जीवन – 

  •  वल्लभभाई पटेल पहले व्यक्ति थे जो ग्रहमंत्री  बने थे और उन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं आईसीएस का भारतीय करण कर इन्हे भारतीय प्रशासनिक सेवाएं बनवाए थी  ।
  • अहमदाबाद  शहर में     अंतरराष्ट्रीय हवाई मथक का नाम   “सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा” रखा गया है ।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल को  मरणोपरान्त  भारत रत्न  अवार्ड  से संन,  1991 मे सम्मानित किया गया था ।
  •  वल्लभ भाई पटेल  के पुत्र विट्ठलभाई पटेल द्वारा भारत रत्न अवार्ड स्वीकार  किंया  गया था ।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वदेशी खादी  धोती कुर्ता और चप्पल अपनाये  तथा विदेशी कपड़ों की होली सन 1920 में  जलाई थी ।       

बारडोली सत्याग्रह – 

बारडोली सत्याग्रह भारतीय संविधान संग्राम के दौरान सन, 1928 में गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था ।  जिसका नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने खुद किया था और किसानों को उनका न्याय दिलवाया था। बारडोली सत्याग्रह किसानों के ऊपर लगे हुई  कर्ज को कम करने के  लिए सरदार वल्लभभाई  पटेल ने  बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व संभाला था ।सरकार से अपील कर कर किसानो के  खेतों का कर्ज माफ करवाया था ।

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गांधीजी और नेहरू से मुलाकात –

sardar vallabhbhai patel jayanti  – भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु थे और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल । लेकिन उन दोनों में  रात दिन का अंतर था । पंडित जवाहरलाल नेहरु और सरदार वल्लभभाई पटेल दोनों बैरिस्टरी की डिग्री प्राप्त की थी । लेकिन  दोनों में सरदार वल्लभभाई पटेल बहुत ही आगे थे । महात्मा गांधी जी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को रियासत के बारे में बताया था कि जहां तक कश्मीर रियासत का प्रश्न है उसे पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया हुआ था परंतु यह सत्य है। सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बहुत  खुश थे ।

सरदार पटेल के विचार और वचन –

  •  हमेशा   दुसरो  की  सहायता  करनी  चाहिए ।
  •  हमें  खुदका  अपमान  सहन करना शिखना  होगा ।  
  •  हमें  अमीर  गरीब  उच्च नीच  के भेद भाव नहीं करना चाहिए ।
  •  मेरी एक ही इच्छा है कि भारत देश एक अच्छा उत्पादक बन रहे और भारत  देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे 
  •  आप जो काम प्रेम और शांति  से  करते हो वह काम वैर -भाव से नहीं होता हे ।
  •  अपने आप पर पूरा भरोसा  होना चाहिये ।
  •  “हमारे देश की  मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है। 
  •  मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए ।
  •  अपनी  सोच बड़ी होनी चाहिए ।
  •  इंसान अपने कर्म से बड़ा होता है  धन  से नहीं ।

स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी –         

भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन   करना वेहत ही जरुरी था और उसके लिए दो प्रकार के आंदोलन हुये थे ।  एक अहिंसक आंदोलन और दूसरा आंदोलन था सशस्त्र क्रान्तिकारी आंदोलन। भारत की आज़ादी के लिए 1857 से 1947 के बीच जितने भी प्रयत्न हुए, उनमें स्वतंत्रता का सपना संजोये क्रान्तिकारियों और शहीदों की उपस्थिति  सबसे अधिक प्रेरणादायी सिद्ध हुई।   

सरदार बल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता  आंदोलन में अपनी भूमिका  निभाई थी  ।  सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बारडोली सत्याग्रह में अपनी अहम भूमिका निभाई थी । उनके साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा   गांधीजी भी शामिल थे ।

महात्मा गांधीजी ने 22 मार्च, 1918  में खेड़ा सत्याग्रह की घोषणा की थी –       

सरदार बल्लभ भाई पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह में अपनी अहम भूमिका  निभाई थी  और उसका नेतृत्व भी उन्होंने खुद संभाला था ।  खेड़ा सत्याग्रह  राष्ट्रपिता  महात्मा गांधी द्वारा  प्रारंभ किया गया था । सरदार बल्लभ भाई पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह की शरुआत  किसानो पर लगे हुवे कर्ज को कम करने के लिए  किया गया था और इस सत्याग्रह में बहुत सारे लोगों  ने अपना योगदान दिया था ।  महात्मा गांधीजी,  पंडित जवाहरलाल नहेरु  इन सब ने खेड़ा सत्याग्रह में  अपना योगदान दिया था । 

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 भारत छोड़ो आंदोलन –

sardar vallabhbhai patel essay – भारत छोड़ो आंदोलन’ में सरदार पटेल ने  महात्मा गांधी को  1942 में अपना पूर्ण समर्थन दिया। उन्होंने देशभर में यात्रा की और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के लिए समर्थन जुटाया और वे अंग्रेज अफसरों द्वारा 1942 में दोबारा से गिरफ्तार कर लिये गये। वह भारत के राजनीतिक एकीकरण  में  सरदार वल्लभ भाई पटेल ने   सन 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना के असल सर्वोच्च सेनापति थे ।

भारत छोड़ो आंदोलन  में मुहम्मद अली जिन्ना ने महात्मा गाँधी के सभी विचारों और आंदोलन के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था। और  कहा ‘इनकी खोखलीं धार्मिक बातों को माननें वाली नहीं थे’  और मुसलमानों ने इस आंदोलन का पुरज़ोर समर्थन किया। मुसलमानो ने  इस संस्था और इसके कट्टर समर्थको ने भारत छोड़ो आन्दोलन का खुल कर विरोध किया ।

यह आंदोलन सही मायने में एक जन-आंदोलन था जिसमे लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’  ने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में  सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी  कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया।‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान भारत की कुछ ऐसी भी संगठन थीं  जिन्होंने  ‘भारत छोड़ो आंदोलन’  का पुरज़ोर विरोध किया   

सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर  कविता –

          ह पुरुष की ऐसी छवि         

ना देखी, ना सोची कभी

 आवाज में सिंह सी दहाड़ थी

    ह्रदय में कोमलता की पुकार थी

     एकता का स्वरूप जो इसने रचा

       देश का मानचित्र पल भर में बदला

गरीबो का सरदार था वो

दुश्मनों के लिए लोहा था वो

आंधी की तरह बहता गया

ज्वालामुखी सा धधकता गया

बनकर गाँधी का अहिंसा का शस्त्र

महकता गया विश्व में जैसे कोई ब्रह्मास्त्र

इतिहास के गलियारे खोजते हैं जिसे

ऐसे सरदार पटेल अब ना मिलते पुरे विश्व में

सरदार वल्लभ पटेल के नारे – Sardar Vallabh Patel Slogans

  • ( 1 )  हर भारतीय का प्रथम कर्त्यव्य है की वह अपने देश की आजादी का अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और हमे इस आजादी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है ।
  • ( 2 )  मान सम्मान किसी के देने से नही बल्कि अपनी योग्यता के अनुसार ही मिलता है  ।   
  • ( 3 )  जीवन में जितना दुःख भोगना लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा तो फिर व्यर्थ में चिंता क्यू करना ?   
  • ( 4 )  आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक बन सकती है इसलिए आप अपनी आखो को गुस्से से लाल कर सकते है लेकिन अन्याय  का मजबूत हाथो से सामना करना चाहिए ।

सरदार वल्लभभाईपटेल को लौह पुरुष की उपाधि किसने दी थी सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी । भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार वल्लभ भाई  पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। और  तो और  उन्होंने अपने भारत देश को आजाद करवाने के लिए  महात्मा  गांधीजी  और  पंडित जवाहर लाल नेहरू  के  साथ  मिलकर अनेक सत्याग्रह किये थे ।देश के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल के महत्व को सदैव याद रखा जायेगा ।

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स्टैचू ऑफ यूनिटी – Statue of Unity

सरदार वल्लभ भाई पटेल  की 137वी  जन्म जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर, 2013 को  गुजरात के  पूर्व  मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का शिलान्यास किया उसका नाम  एकता की मूर्ति स्टेचू ऑफ यूनिटी रखा गया ।  

  • ( 1 )  “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” की लंबाई 182 मीटर है ।
  • ( 2 )  जहां ताजमहल की सालाना कमाई  56 करोड़ रूपये  है वहीं “स्टैचू ऑफ यूनिटी की” कमाई सालाना 750000000( करोड़ )  है 
  • ( 3 )  “स्टैचू ऑफ यूनिटी” की रख रखाव में हर रोज 1200000  ( लाख )  रुपए खर्च होता है  ।                 
  • ( 4 )  “स्टेचू ऑफ यूनिटी” को बनाने में करीबन 3000 करोड़ रुपये  खर्च हुए ।
  • ( 5 )  “स्टैचू ऑफ यूनिटी” गुजरात के नर्मदा जिले के  केवड़िया  में साधु  आईलैंड पर  स्थित है ।
  • ( 6 )  “स्टैचू ऑफ यूनिटी” बनाने में  करीबन 5 ,700  मेट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है ।
  • ( 7 )  “स्टैचू ऑफ यूनिटी” को बनाने वाले राम सुतार  नोएडा  थे ।  

सरदार वल्लभभाई पटेल का मृत्यु – Sardar Vallabhbhai Patel Death

15 दिसंबर, 1950 को  सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु हो गई और यह “लौह पुरूष” दुनिया को अलविदा कह गये थे । 15 दिसम्बर 1950 को सरदार पटेल का मुबंई में अंतिम संस्कार कर किया गया ।

Sardar Vallabhbhai Patel Biography Video –

Sardar Vallabhbhai Patel Interesting Facts –

  • सरदार पटेल का पूरा नाम Vallabhbhai Jhaverbhai Patel था। 
  • राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान बहुत बड़ा यानि महात्मा गाँधी से भी ज्यादा था। 
  • सरदार पटेल भारत के पहले गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री केव रूप में नियुक्त हुए थे। 
  • राष्ट्रीय एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल का योगदान बताये तो उन्होंने पाकिस्तान में जुड़ने वाले सभी प्रांतो को भारत में जोड़ दिया था। 
  • सरदार पटेल की पत्नी झावेर बा की मौत की खबर सुनते हुए भी उन्होंने अपनी शक्ति का परचा देते हुए। कार्य पूर्ण करके ही गए थे। 

Sardar Vallabhbhai Patel Questions –

1 .saradar vallabh bhai patel ki mrtyu kab hue ?

सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु 15 December 1950 के दिन हुई थी। 

2 .saradar vallabh bhai patel ka janm kaha hua tha ?

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के Nadiad में हुआ था। 

3 .saradar patel ko bharat ka bismark kyon kaha jata hai ?

विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में मुख्य भूमिका निभाने के लिए सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क कहते है। 

4 .saradar patel ki mahanatam upalabdhi kya rahi ?

562 छोटी-बड़ी राजपूत रियासतों को भारतीय संघ में विलीनीकरण को सरदार पटेल की महानतम उपलब्धि कही जाती है। 

5 .saradar vallabhabhai patel ke pita ka naam ?

सरदार वल्लभभाई पटेल के पिता का नाम झवेरभाई पटेल था। 

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Conclusion –

मेरा आर्टिकल Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।  लेख के जरिये  सरदार वल्लभ भाई पटेल का नारा और sardar vallabhbhai patel quotes से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है। हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

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